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बेर खाने के फायदे – Benefits of Eating Plum in Hindi

बेर खाने के फायदे

स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग में। दोस्तो, आज हम बताएंगे आपको एक ऐसे फल के बारे में जिसे भारत में देहाती फल कहा जाता है। इस फल के साथ हर उस भारतीय की बचपन की यादें जुड़ी हुई हैं जिनका गांव से नाता रहा है। जो भक्ति और प्रेम का प्रतीक रहा है और जिसकी धार्मिक मान्यता भी रही हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं बेर की। बेर, बहुत छोटा सा परन्तु अपनी मिठास से आत्मा तृप्त कर देने वाला फल है। यह एक ऐसा फल है जिसके लिए बचपन में गांव से जंगलों में निकल जाते थे और बेर तोड़कर लाते थे, इनमें बहुत ही छोटे-छोटे एकदम ब्राउन रंग के बेर भी हुआ करते थे जिनको झाड़ी वाले बेर कहा जाता था। बेर एंटीऑक्सीडेंट और आयुर्वेदिक गुणों से समृद्ध होता है। अतः बेर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ के लिए अत्यंत लाभदायक होता है। आखिर ऐसा क्या है इस बेर में जो स्वास्थ के लिए लाभदायक होता है। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “बेर खाने के फायदे”।

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आपको बेर के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसके फायदे क्या हैं। तो, सबसे पहले जानते हैं कि बेर क्या है और इसकी उत्पत्ति। फिर, इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।

बेर क्या है? – What is Plum?

बेर एक मौसमी फल है जिसका वृक्ष पर्णपाती वृक्ष अथवा झाड़ी है जिसकी शाखाएं कांटेदार होती हैं। इस वृक्ष को एकबार भरपूर पानी की आवश्यकता होती है। बाद में यह वर्षा पर निर्भर होकर भी फल देता है। इसका वृक्ष लगभग 5-12 मीटर तक ऊंचा हो जाता है। इसकी हरी पत्तियां चमकदार और फूल छोटे आकार के लगभग 5 मिलीमीटर के और पीले रंग के होते हैं। इसके फल भी छोटे आकार के होते हैं। 

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कच्चा फल हरे रंग का और पकने पर पीला, पीला लाल, पीला हरा हो जाता है। बहुत ज्यादा पकने पर इसका रंग गहरा ब्राउन हो जाता है एकदम खजूर की तरह। इसकी गुठली बहुत कठोर होती है। बेर खाने में बहुत मीठा होता है। बेर रैम्नेसी Rhamnaceae) परिवार से संबंध रखता है तथा इसका वानास्पतिक नाम जिजिपैंस मौरिशिएना (Ziziphus mauritiana) है। 

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बेर की उत्पत्ति – Origin of Plum

बेर की उत्पत्ति के बारे में कई मत हैं। इनका विवरण निम्न प्रकार है – 

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1. माना जाता है कि भगवान विष्णु भूलोक पर आकर तप करने लगे। उनके तप में सहयोगी बनने की इच्छा लिए लक्ष्मी जी भी उनको देखने पृथ्वी पर आ गईं। उन्होंने विष्णु जी को बैशाख-ज्येष्ठ (मई-जून) के महीने की घनघोर गर्मी में खुले आकाश के नीचे कठोर तप कर रहे हैं। यह दृश्य देखकर लक्ष्मी जी तप स्थल पर बेरी का वृक्ष बनकर विष्णु जी को शीतल छाया प्रदान करने लगीं। इस प्रकरण को बेर की उत्पत्ति माना जाता है। 

2. हजारों वर्ष पूर्व वाल्मीकि रामायण सहित भारत के कई धार्मिक ग्रंथों में बेर का प्रसंग मिलता है। वाल्मीकि रामायण में “शबरी के बेर” प्रसंग पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाए हुए है। शबरी के जूठे बेर भगवान राम के प्रति प्रेम और भक्ति भाव का प्रतीक हैं। 

3. यदि हिन्दी साहित्य की बात की जाए तो औरंगजेब के शासनकाल में महाकवि भूषण ने भी बेर का जिक्र किया है। औरंगजेब ने अपनी बुराई के बारे में महाकवि भूषण से कविता कहने को कहा तो जानबख्शी का वादा लेकर कविता कही जो इस प्रकार है – 

ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहनवारी ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहाती हैं। 

कंद मूल भोग करैं कंद मूल भोग करैं तीन बेर खातीं ते वै तीन बेर खाती हैं। 

अर्थात् क्षत्रपति शिवाजी महाराज के भय से शत्रुओं की रानियां जो ऊंचे विशाल मंदर (महलों) में रहती थीं वे आज ऊंचे पर्वतों की मंदर (गुफाओं) में रहती हैं। जो रानियां तीन बेर (बार) खाना खाती थीं वे आज केवल तीन बेर (बेर फल) खाकर ही गुजारा करती हैं। 

4. विश्वकोश ब्रिटेनिका (Britannica) के अनुसार बेर की उत्पत्ति करीब 4000 वर्ष पूर्व चीन में हुई। 

5. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) के कृषि वैज्ञानिक प्रो़ रंजीत सिंह और प्रो़ एसके सक्सेना द्वारा लिखित पुस्तक ‘Fruits’ में बेर का उत्पत्ति केंद्र चीन को बताया गया है।

6. एक अन्य विश्वकोश The Encyclopedia of Fruit & Nuts बताता है कि बेर चीन से ईरान, आर्मेनिया, सीरिया और भूमध्यसागरीय भागों में लाए गए थे। सन् 1837 में अमेरिका में बेर का आगमन हुआ।

बेर की खेती कहां होती है? – Where is Plum Cultivated?

1. विदेश में बेर की खेती चीन, अफगानिस्तान, मलेशिया, लेबनान, ईरान, पाकिस्तान, म्यान्मार, श्रीलंका  अमेरिका, अफ्रीका, क्वींसलैंड और ऑस्ट्रेलिया में होती है।

2. भारत के लगभग सभी राज्यों में बेर की खेती कुछ न कुछ क्षेत्रों में होती है परन्तु मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में इसकी खेती अधिक होती है। 

धार्मिक मान्यताएं – Religious Beliefs

1. यदि धार्मिक मान्यताओं की बात की जाए तो समझिए कि बेर को भारत में पवित्र माना जाता है। भगवान राम के मिलने की खुशी में शबरी बेरों को खुद चख कर भगवान राम को खिलाती है कि उनके पास खट्टे बेर ना चले जाएं। शबरी के इस भक्ति और प्रेम भाव से जूठे बेर भी पवित्र हो जाते हैं। अतः बेर को भगवान राम का प्रसाद माना जाता है।

2. रामः ईश्वरः यस्य अर्थात् राम हैं जिनके ईश्वर, उन भगवान शिव का भी बेर अति प्रिय फल है। इसीलिए महाशिवरात्री के पावन पर्व पर बेर शिवलिंग पर चढ़ाए जाते हैं और शिवरात्री का व्रत करने वाले भक्त भी फलाहार में बेर अवश्य ग्रहण करते हैं।

बेर के गुण – Properties of Plum

  • बेर की तासीर ठंडी होती है।
  • बेर का स्वाद सेब की भांति मीठा होता है।
  • एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-डायबिटीज, एंटी फंगल, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-अल्सर, न्यूरोप्रोटेक्टिव, एंटी-माइक्रोबियल आदि गुण उपस्थित होते हैं।
  • बेर में विटामिन-ए, बी कॉम्प्लेक्स और विटामिन-सी तथा प्रोटीन, कार्ब्स, कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, कॉपर, ज़िंक आदि खनिजों का समावेश होता है। 

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बेर के पोषक तत्व (मात्रा प्रति 100 ग्राम)  – Nutrients of Plum (Quantity per 100 Grams)

  • पानी : 77.86 ग्राम
  • कैलोरी : 79 Kcal
  • प्रोटीन : 1.20 ग्राम
  • कार्बोहाइड्रेट : 20.23 ग्राम
  • फैट : 0.20ग्राम
  • फाइबर : 3.46 ग्राम (26)
  • कैल्शियम : 21 मिलीग्राम
  • पोटेशियम : 250 मिलीग्राम
  • फास्फोरस : 23 मिलीग्राम
  • आयरन : 0.48 मिलीग्राम
  • सोडियम : 3 मिलीग्राम
  • मैग्नीशियम : 10 मिलीग्राम
  • मैंगनीज : 0.084 मिलीग्राम
  • जिंक : 0.05 मिलीग्राम
  • कॉपर : 0.073 मिलीग्राम
  • विटामिन-ए आरएई : 2 माइक्रोग्राम
  • विटामिन-ए : 40 आईयू
  • विटामिन-सी : 69 मिलीग्राम
  • थियामिन : 0.020 मिलीग्राम
  • राइबोफ्लेविन : 0.040 मिलीग्राम
  • नियासिन : 0.900 मिलीग्राम
  • विटामिन-बी6 : 0.081 मिलीग्राम

बेर का उपयोग –  Uses of Plum

बेर का उपयोग निम्न प्रकार से किया जा सकता है – 

  • बेर को ऐसे ही खा सकते हैं।
  • बेर का जूस निकाला जा सकता है। 
  • बेर की चाय बनाई जा सकती है।
  • बेर या इसकी पत्तियों का अर्क निकाला जा सकता है जिसे काढा कहा जाता है। 
  • बेर का अचार और मुरब्बा भी बनाया जाता है। 
  • बेर का उपयोग ब्रांडी बनाने के लिए भी किया जाता है।

बेर खाने का सही समय – Right Time to Eat Plum

बेर खाने का कोई सही या गलत समय निर्धारित नहीं है। बेर आप कभी भी किसी भी समय खा सकते हैं।

बेर की मात्रा – Amount of Plum

एक दिन में 3 या 4 बेर खा सकते हैं। सूखे बेर एक दिन में 15 ग्राम से अधिक नहीं खाने चाहिएं। 

बेर खाने के फायदे – Benefits of Eating Plum

बेर खाने के फायदे निम्न प्रकार हैं –

1. मस्तिष्क स्वास्थ के लिये फायदेमंद (Beneficial for Brain Health)- बेर खाने से मस्तिष्क स्वास्थ ठीक रहता है। बेर में न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण उपस्थित होते हैं जो न्यूरोनल कोशिकाओं की रक्षा करते हैं। ये गुण मस्तिष्क की क्षति के जोखिम को कम करते हैं, मस्तिष्क का विकास करते हैं और स्मरण शक्ति की क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं। बेर के एंटीऑक्सिडेंट गुण तनाव, चिंता को दूर करने में मदद करते हैं। 

2. नींद में सुधार करे (Improve Sleep)- तनाव, चिंता जैसी मानसिक परेशानियां नींद ना आने की वजह बनते हैं। हमने ऊपर बताया है कि बेर के एंटीऑक्सिडेंट गुण तनाव, चिंता को दूर करने में मदद करते हैं। जब ये वजह खत्म हो जाएगी तो नींद अपने-आप आएगी। वैसे भी बेर में सैपोनिन्स (Saponins) नामक तत्व मौजूद होता है जो नींद की गुणवत्ता को सुधारने में मदद करता है। 

3. कैंसर की रोकथाम करे (Prevent Cancer)-  बेर खाने के फायदे कैंसर की रोकथाम के लिए भी देखे जा सकते हैं। बेर में अमीनो एसिड्स, बायो-एक्टिव एलिमेंट्स, पॉलीसेकेराइड व अन्य एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं के विरुद्ध लड़ते हैं और उनको विकसित नहीं होने देते। 

4. इम्युनिटी बढ़ाए (Increase Immunity)- बेर में विटामिन-सी की भरपूर मात्रा होती है जिससे शरीर की दैनिक जरूरत को पूरी हो जाती है। विटामिन-सी, एंटीऑक्सिडेंट्स के रूप में काम करता है और इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करता है। इसके अतिरिक्त बेर में फास्फोरस, आयरन, मैग्नीशियम, मैंगनीज, ज़िंक, कॉपर जैसे खनिज होते हैं, ये भी इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं। 

5. पाचन तंत्र में सुधार करे (Improve Digestive System)- बेर खाने से मेटाबॉलिजम बढता है और पाचन तंत्र में सुधार होता है। बेर में उच्च मात्रा में फाइबर होता है जो भोजन को रसादार बनाता है। इस प्रक्रिया से भोजन जल्दी पचता है। पाचन तंत्र को भोजन पचाने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती। पाचन तंत्र सही रहने पर पेट से जुड़ी समस्याएं नहीं रहतीं।

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6. कब्ज से राहत (Relief from Constipation)- सुबह के समय प्राकृतिक रूप से पेट साफ़ ना होना, इसी को कब्ज कहते हैं। हमने ऊपर भी बताया है कि बेर में उच्च मात्रा में फाइबर होता है। यह फाइबर मल को नरम बनाता है। परिणामस्वरूप इसे त्यागने में कोई दिक्कत नहीं होता। प्राकृतिक रूप से मल त्याग हो जाता है। इस प्रकार बेर कब्ज से राहत दिलाने में मदद करता है।

7. रक्त के प्रवाह और शुद्धिकरण के लिए (Blood Flow and Purification)- आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सा पद्धति में बेर को रक्त के प्रवाह को बढ़ाने और शुद्धिकरण के लिये उपयोग में लाया जाता रहा है। बेर में मौजूद फास्फोरस और आयरन रक्त की कमी को पूरा करते हैं और साथ ही रक्त के प्रवाह को भी बढ़ाने का काम करते हैं। बेर विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और रोगजनकों को दूर करने और रक्त को शुद्ध करने का काम करता है तथा ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करता है। 

8. हड्डियों को मजबूती दे (Strengthen Bones)- हड्डियों के लिए कैल्शियम एक आवश्यक आवश्यकता है। बेर में कैल्शियम के अतिरिक्त फास्फोरस, आयरन, मैग्नीशियम, मैंगनीज, ज़िंक, कॉपर जैसे खनिज पर्याप्त मात्रा में मौजूद होते हैं। ये सभी तत्व अस्थि खनिज घनत्व के स्तर को बढ़ाने का काम करते हैं। अस्थि खनिज घनत्व का स्तर ठीक रहने पर हड्डियों को मजबूती मिलती है। हड्डियां मजबूत रहने की स्थिति में अस्थि रोग होने की संभावना नहीं रहती।

9. हृदय स्वास्थ के लिए फायदेमंद (Beneficial for Heart Health)- बेर खाने से हृदय भी स्वस्थ रहता है। इसमें मौजूद फाइटोकॉन्स्टिट्यूएंट्स हृदय को सुरक्षित रखते हैं। बेर के सेवन से रक्त शुद्ध होता है, रक्त संचार अघ्छा होता है, रक्त प्रवाह बढ़ता है, शरीर फ्री रेडिकल्स से मुक्त रहता है। 

विटामिन-बी कॉम्प्लेक्स, विटामिन-सी, तथा खनिज हृदय स्वास्थ को बनाए रखते हैं। बेर में फैट नहीं के बराबर होता है जो हृदय को नुकसान नहीं पहुंचाता। इसलिये रक्त वाहिनियों और आर्टरीज में प्लाक भी नहीं जमता। मुख्य रूप से प्लाक जमने ही हृदय रोगों का जन्म होता है और हार्ट अटैक पड़ता है। 

10. त्वचा स्वास्थ के लिए फायदेमंद (Beneficial for Skin Health)- बेर में पानी की मात्रा बहुत अधिक होती है। 100 ग्राम बेर में लगभग 78 ग्राम पानी। बेर के सेवन से त्वचा हाइड्रेट रहती है। त्वचा रोग/विकार दूर होते हैं। खुजली, मुंहासे जैसे विकार खत्म होते हैं। बेर, एंटीएजिंग प्रभाव प्रदर्शित करता है। इसके सेवन से चेहरे की झुर्रियां और फाइनलाइन्स कम होती हैं। चेहरे पर निखार आता है और त्वचा मुलायम रहती है। 

बेर खाने के नुकसान –  Disadvantages of Eating Plum

बेर खाने के हो सकते हैं निम्नलिखित नुकसान –

  • बेर में फाइबर अधिक होता है। अधिक बेर खाने से पेट में अधिक फाइबर जमा हो जाएगा जिससे पेट में सूजन की समस्या हो सकती है। 
  • बेर अधिक खाने से पेट में गैस बन सकती है, पेट में दर्द बन सकता है या दस्त लग सकते हैं।
  • बेर के अधिक खाने से सारे दिन सुस्ती छाई रह सकती है। 
  • भूख कम लगने की समस्या बन सकती है।
  • कब्ज की शिकायत हो सकती है।
  • लेटेक्स से एलर्जी वाले लोगों को बेर को अवॉइड करना चाहिए।
  • डायबिटीज से ग्रस्त लोगों को बेर का सेवन अधिक नहीं करना चाहिए। 

Conclusion –

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको बेर के बारे में विस्तार से जानकारी दी। बेर क्या है, बेर की उत्पत्ति, बेर की खेती कहां होती है, धार्मिक मान्यताएं, बेर के गुण, बेर के पोषक तत्व, बेर का उपयोग, बेर खाने का सही समय और बेर की मात्रा, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से बेर खाने के बहुत सारे फायदे बताए और बेर खाने के कुछ नुकसान भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको बेर के बारे में विस्तार से जानकारी दी। बेर क्या है, बेर की उत्पत्ति, बेर की खेती कहां होती है, धार्मिक मान्यताएं, बेर के गुण, बेर के पोषक तत्व, बेर का उपयोग, बेर खाने का सही समय और बेर की मात्रा, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया।
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