दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जिनके बारे में पता बहुत बाद में चलता है जब वे एडवांस स्टेज पर होती हैं या पूरी तरह विकसित हो चुकी होती हैं। और जब पता चलता है तो समझ लीजिये कि पैरों के नीचे से जमीन खिसक जाती है। लगता है कि जैसे ज़िन्दगी मुट्ठी में से बालू रेत की तरह फिसलती जा रही हो। मरीज को तो यह लगने लगता है कि उसकी आधी मौत हो चुकी है, आधा जीवन डॉक्टर्स के हाथ में है कि वे उसे वापस कर पायेंगे या नहीं। और इस आधे जीवन का 50 प्रतिशत भाग पैसे पर निर्भर करता है क्योंकि ऐसी बीमारियों में बेहिसाब पैसा लगता है। इलाज सफल हो गया तो अधूरी ज़िन्दगी पूरी हो जाती है। दोस्तो, हम बात कर रहे हैं ब्लड कैंसर की जिसे दुनियां की सबसे क्रूरतम बीमारी कहा जाये तो गलत नहीं होगा। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “ब्लड कैंसर से बचाव के उपाय”। यद्यपि इस बीमारी का केवल डॉक्टरी इलाज ही है परन्तु कुछ देसी उपाय इससे काफी हद तक बचाव करने में मदद कर सकते हैं। देसी हैल्थ क्लब इस लेख के माध्यम से आज आपको कैंसर और ब्लड कैंसर के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और इससे बचाव के कुछ देसी उपाय भी बतायेगा। तो, सबसे पहले जानते हैं कि कैंसर क्या होता है, इसकी शुरुआत कैसे होती है और ब्लड कैंसर क्या होता है।
कैंसर क्या है ?- What is Cancer?
मानव शरीर अनेक और अनगिनत कोशिकाओं (Cells) से बना हुआ होता है तथा इन कोशिकाओं में लगातार विभाजन होता रहता है जोकि सामान्य प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया पर शरीर का पूरा नियंत्रण होता है। परन्तु जब किसी विशेष अंग की कोशिकाओं पर शरीर अपना नियंत्रण नहीं रख पाता या नियंत्रण बिगड़ जाता है और कोशिकाऐं बेहिसाब विकसित होने लगती हैं, तब उसे कैंसर कहा जाता हैं। दोस्तो, आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि कैंसर के, 200 से भी अधिक प्रकार होते हैं, ऐसा डॉक्टर्स और शोधकर्ता मानते हैं। और अधिकतर इनके लक्षण भी अलग-अलग होते हैं। इन सब में ब्लड कैंसर सबसे ज्यादा खतरनाक होता है जिसकी बारे में हम आगे बतायेंगे।
कैंसर की शुरूआत कैसे होती है? – How Does Cancer Start?:
कैंसर की शुरूआत कोशिकाओं के ज़ीन में बदलाव होने से होती है। ज़ीन में बदलाव किसी विशेष कारण से होता है या खुद अपने आप में भी बदलाव आ सकता है। इसके होने की दूसरी वजह भी हो सकती हैं जैसे, रेडियेशन, अल्ट्रावॉलेट किरणों का प्रभाव, गुटका, खैनी, तंबाकू, धूम्रपान, शराब, अन्य नशीले पेय पदार्थ, ड्रग्स आदि। शरीर में कैंसर वाली कोशिकाऐं के बढ़ने के साथ-साथ ट्यूमर (एक प्रकार की गांठ) उभरता रहता है। समय रहते यदि इसका पता चल जाये तो इसका उपचार संभव हो जाता है अन्यथा यह पूरे शरीर में फैल जाता है। कैंसर की कोशिकाओं को रोग प्रतिरक्षा प्रणाली झेल नहीं पाती और समाप्त हो जाती हैं। इसीलिये कैंसर लाइलाज रोग बन जाता है।
ब्लड कैंसर क्या है? – What is Blood Cancer?
ब्लड कैंसर को श्वेतरक्तता यानी श्वेताणु रक्तता (Leukemia) भी कहा जाता है। यह रक्त बनाने वाले ऊतकों (Tissues) का एक कैंसर होता है जो संक्रमण से लड़ने की शरीरिक क्षमता में बाधा उत्पन्न करता है। सरल शब्दों में कहा जाये तो समझिये कि जब शरीर में रक्त बनाने वाली रक्त कोशिकाओं में कैंसर होने लगता है तब शरीर में रक्त की कमी होती चली जाती है। यह बहुत तेज गति से शरीर में संक्रमण फैलाना शुरू कर देता है। इन रक्त कोशिकाओं को स्टेम सेल भी नहीं बचा पाते हैं और ना मरम्मत कर पाते हैं। इसी को ब्लड कैंसर कहा जाता है। यह कैंसर अस्थि मज्जा (Bone Marrow) को भी प्रभावित कर नुकसान पहुंचाता है। ब्लड कैंसर किसी भी आयु में हो सकता है। इसे जानलेवा और लाइलाज इसलिये कहा जाता है क्योंकि शुरुआत में इसके लक्षणों को कोई गंभीरता से नहीं लेता या पता नहीं चल पाता। जब पता चलता है तब तक देर हो चुकी होती है अर्थात् डॉक्टर्स के लिये मरीज का उपचार करना बहुत बड़ी चुनौती बन जाती है।
ब्लड कैंसर के प्रकार -Types of Blood Cancer
दोस्तो, ब्लड कैंसर यानी ल्यूकेमिया में रक्त कोशिकाओं का अस्थि मज्जा (Bone Marrow) के अंदर असामान्य रूप से उत्पादन होता है जिससे शरीर में ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स बुरी तरह प्रभावित होते हैं। रेड ब्लड सेल्स की तुलना में व्हाइट ब्लड सेल्स की मात्रा बहुत अधिक हो जाती है। ल्यूकेमिया के चार प्रकार होते हैं। विवरण निम्न लिखित है –
1. एक्यूट माइलोजीनस ल्यूकेमिया (AML) – ल्यूकेमिया का यह आम रूप है जिससे ज्यादातर बच्चे और बड़े प्रभावित होते हैं। इस प्रकार के ल्यूकेमिया में कैंसर कोशिकाऐं बोन मैरो (जहां हड्डी के अंदर खून बनता है) की तरफ तेजी से बढ़ती हैं, अर्थात् इनका विकास शुरू हो जाता है। ये अपरिपक्व सफेद रक्त कोशिकाऐं होती हैं। इनको ‘ब्लास्ट’ कहा जाता है। ऐसा होने पर स्वस्थ श्वेत रक्त कोशिकाओं, लाल रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स के काम में बाधा आती है। ये अपना काम ठीक से नहीं कर पातीं। एक्यूट माइलोजीनस ल्यूकेमिया के भी अपने आठ प्रकार होते हैं। ये आठ प्रकार इस आधार पर निर्धारित किये जाते हैं कि ल्यूकेमिया किस कोशिका से विकसित हुआ है। इनको मायलोब्लास्टिक (Myeloblastic – M0, M1, M2, प्रमोमालिकटिक (Promyelocytic – M3), मायलोमोनोसाइटिक (Myelomonocytic – M4), मोनोसाइटिक (Monocytic – M5), ऐराइथ्रोल्युकेमिया (Erythroleukemia – M6) और मेगाकरायोसाइटिक (Megakaryocytic – M7) कहा जाता है।
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2. एक्यूट लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया (ALL) – यह ल्यूकेमिया बहुत तेजी से विकसित होता है और बच्चों में होता है। यह स्वस्थ कोशिकाओं के स्थान पर ल्यूकेमिया कोशिकाओं का निर्माण करता है जो ठीक से परिपक्व नहीं होती हैं। ये कोशिकाऐं रक्त के द्वारा अन्य अंगों जैसे मस्तिष्क, लिवर, लिम्फ नोड्स और टेस्टेस और ऊतकों तक पहुंच जाती हैं और बढ़ती और विभाजित होती रहती हैं। इन ल्यूकेमिया कोशिकाओं के बढ़ने, विभाजित होते रहने और प्रसार के कारण कई लक्षण होने की संभावना बन जाती है।
3. क्रोनिक माइलोजीनस ल्यूकेमिया (CML) – इसे क्रोनिक मायलोइड ल्यूकेमिया के नाम से भी जाना जाता है। यह अधिकतर व्यस्क लोगों को प्रभावित करता है। ल्यूकेमिया के इस रूप में बोन मैरो और रक्त प्रभावित होता है। यह बोन मैरो की खून बनाने वाली कोशिकाओं में शुरू होकर धीरे-धीरे खून में फैलता है। फिर शरीर के भागों में फैल जाता है।
4. क्रोनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया (CLL) – यह धीमी गति से बढ़ने वाला कैंसर है। इससे अधिकतर 55 साल से अधिक उम्र वाले व्यक्तियों को प्रभावित करता है। ल्यूकेमिया का यह प्रकार बोन मैरो के लिम्फोसाइट में शुरू होकर खून में फैलता है। यह ल्यूकेमिया लिम्फ नोड्स और लिवर जैसे अंगों में फैल जाता है। बहुत असामान्य लिम्फोसाइट्स विकसित होने पर सामान्य रक्त कोशिकाओं का विकास रुक जाता है और शरीर संक्रमण से लड़ने में सक्षम नहीं हो पाता।
बल्ड कैंसर के चरण (Stages of Blood Cancer)
बल्ड कैंसर यानी ल्यूकेमिया की चरणबद्धता (staging) ) इसके निदान Diagnose होने के बाद निर्धारित की जाती है। स्टेजिंग करते समय, श्वेत रक्त कोशिकाओं, प्लेटलेट संख्या, मरीज की आयु, पिछला इतिहास, हड्डियों का नुकसान, बढ़ा हुआ लिवर आदि तथ्यों को ध्यान में रखा जाता है। विवरण निम्न प्रकार है –
1. कोशिकाओं के प्रकार और कैंसर कोशिकाऐं माइक्रोस्कोप के नीचे कैसी दिखती हैं, इस आधार पर एक्यूट माइलोजीनस ल्यूकेमिया और एक्यूट लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया की स्टेजिंग की जाती है।
2. डायग्नोज़ करते समय श्वेत रक्त कोशिकाओं (White Blood Cell) की संख्या के आधार पर एक्यूट लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया और क्रोनिक लिम्फोसाइटैटिक ल्यूकेमिया की स्टेजिंग की जाती है।
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3. ब्लड और बोन मैरो में अपरिपक्व श्वेत रक्त कोशिकाओं या मायलोब्लास्ट (Myeloblast) की उपस्थिति के आधार पर एक्यूट माइलोजीनस ल्यूकेमिया और क्रोनिक माइलोजीनस ल्यूकेमिया की स्टेजिंग निर्धारित की जाती है।
कुछ एक्सपर्ट्स इसे निम्न लिखित चार चरणों में विभाजित करते हैं –
1. प्रथम चरण (Stage 1)- पहले चरण में लिम्फ नोड्स में बढ़ोत्तरी को आधार माना जाता है। लिम्फोसाइटों की संख्या में अचानक वृद्धि इसका कारण होता है। यह अभी फैला नहीं होता या शरीर का कोई अंग प्रभावित नहीं हुआ होता।
2. दूसरा चरण (Stage-2)- दूसरे चरण में, लिवर, प्लीहा और लिम्फ नोड्स बढ़ने के कारण इनमें से कोई एक अंग जरूर प्रभावित होता है। लिम्फोसाइट्स में इजाफा इस चरण में बहुत ज्यादा होता है।
3 तीसरा चरण (Stage-3)- इस चरण में एनीमिया विकसित होता है और एनीमिया विकसित होता है और लिवर, प्लीहा और लिम्फ अभी भी बढ़े हुए होते हैं। निश्चित रूप से इनमें से एक से ज्यादा अंग प्रभावित होते हैं।
4. चौथा चरण (Stage-4)- यह सबसे अधिक खतरनाक स्टेज होती है। इसमें प्लेटलेट्स बहुत तेजी से नीचे गिरती हैं। कैंसर कोशिकाऐं अन्य अंगों के साथ-साथ फेफड़ों को भी प्रभावित करने लगती हैं।
ब्लड कैंसर होने के कारण – Cause to Blood Cancer
ब्लड कैंसर के हो सकते हैं निम्नलिखित कारण –
1. मैक्स हेल्थ केयर की एक रिपोर्ट के अनुसार कोई व्यक्ति से ब्लड कैंसर की चपेट में आ सकता है। कई बार आनुवांशिक या एजिंग की समस्या के चलते ये रोग व्यक्ति को घेर लेता है। इसके अतिरिक्त कमजोर इम्यून सिस्टम और विभिन्न प्रकार के इंफेक्शन के कारण भी ब्लड कैंसर हो सकता है।
2. बहुत अधिक मात्रा में रेडियेशन या कुछ कैमिकल्स जैसे बेंजीन के संपर्क में आने से।
3. कीमोथेरेपी के प्रभाव से भी ब्लड कैंसर होने की संभावना रहती है।
4. निकोटिन के कारण भी बल्ड कैंसर बन सकता है। बीड़ी,सिगरेट, तंबाकू में निकोटिन भरपूर मात्रा में होता है।
5. शराब, ड्रग्स आदि नशीली वस्तुऐं भी बल्ड कैंसर का कारण बन सकती हैं।
6. एच,आई,वी एड्स से पीड़ित व्यक्ति को बल्ड कैंसर होने की संभावना बनी रहती है।
7. आनुवांशिकता, यानी घर के किसी सदस्य को ब्लड कैंसर है तो दूसरे सदस्य को भी विशेषकर जुड़वां के केस में 20 प्रतिशत ब्लड कैंसर होने की संभावना रहती है।
8. कैंसर कोशिकाऐं जब रक्त कोशिकाओं, बोन मैरो और प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करने लगे तो ब्लड कैंसर होगा ही।
ब्लड कैंसर के लक्षण – Symptoms of Blood Cancer
1. ब्लड कैंसर के शुरुआत में उल्टियां या दस्त लगना, चमड़ी में खुजली, त्वचा पर दाग-धब्बे होना, मुंह और गले की समस्या, जबड़ों में सूजन और खून आना, फेफडों की समस्या के साथ-साथ माइग्रेन के दर्द के भी लक्षण देखे जाते हैं।
2. बुखार बने रहना।
3. हड्डियों में दर्द रहना।
4. भूख न लगना, इस वजह से वज़न का लगातार कम होते रहना।
5. कमजोरी, थकान, चक्कर आना।
6. सांस लेने में दिक्कत होना।
7. रात को भी पसीना आना।
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8. पेट के बाईं तरफ सूजन और पेट में दर्द रहना।
9. आंखों में धुंधलापन या तेज दर्द होना।
10. कमर में दर्द रहना।
11. महिलाओं के केस में मासिक धर्म के समय बहुत अधिक रक्तश्राव होना।
12. मल त्याग करने में दिक्कत होना, खून जाना।
ब्लड कैंसर का परीक्षण – Test of Blood Cancer
1. शारीरिक जांच (Physical Examination)- मरीज के शरीर में आये बदलाव के बारे में जानने के लिये शारीरिक जांच की जाती है जैसे एनीमिया के कारण त्वचा का पड़ जाना, लिम्फ नोड्स की सूजन, और लिवर या प्लीहा के आकार में बढ़ोत्तरी।
2. रक्त की जांच (Blood Test)- बल्ड सेंपल के द्वारा यह जांच की जाती है कि शरीर में श्वेत रक्त कोशिकाओं या प्लेटलेट्स का असामान्य स्तर है या नहीं। इससे ब्लड कैंसर के होने या ना होने के बारे में पुष्टि हो जाती है।
3. बोन मैरो की जांच (Bone Marrow Examination)- बोन मैरो हड्डियों के भीतर भरा हुआ एक गूदे के समान ऊतक होता है। यह जो शरीर में रक्त कोशिकाएं निर्माण करने में मददगार होता है। हिपबोन से बोन मैरो का सेंपल लेकर जांच की जाती है ताकि लक्षणों के आधार पर उपचार के विकल्प निर्धारित किये जा सकें।
4. इमेजिंग (CT scan) – CT scan के द्वारा कैंसर फैलने की गति और प्रभावित अंग की स्थिति को समझा जाता है।
ब्लड कैंसर का डॉक्टरी इलाज – Blood Cancer Medical Treatment
दोस्तो, ल्यूकेमिया किसी भी प्रकार का हो, डॉक्टर के लिए यह जानना बेहद जरूरी होता है कि मरीज में ब्लड कैंसर कैसे हुआ। यह एक चुनौती भी होती है तभी डॉक्टर मरीज की आयु, उसके स्वास्थ को ध्यान में रखते हुऐ, उपचार के विकल्प और चिकित्सा नीति तैयार करते हैं। ब्लड कैंसर के उपचार में मुख्य रूप से निम्नलिखित चिकित्सा पद्यति अपनाई जाती है –
1. प्लेटलेट्स (Platelets)- ब्लड कैंसर के मामले में अधिकतर प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं। इसलिये मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ानी पड़ती है लेकिन जब मरीज का शरीर इसे स्वीकार ना कर पा रहा हो तब उस समय यह चुनौती बन जाती है। क्योंकि प्लेटलेट्स फिर कम होने लगती हैं। यदि मरीज में प्लेटलेट्स 30 हजार से ज्यादा हों तो खतरे की बात नहीं होती, परन्तु 25 हजार से कम होने पर स्थिति गंभीर मानी जाती है।
2. कीमो थेरेपी (Chemotherapy)- यह सबसे ज्यादा प्रचलित चिकित्सा पद्यति है। इसके द्वारा यह पता लगाया जाता है कि ल्यूकेमिया कौन से प्रकार का है और ब्लड कैंसर किस कोशिका की वजह से पनपा है। इस पद्यति में रसायनों का उपयोग कर उसी कोशिका को मार दिया जाता है जिससे ब्लड कैंसर उत्पन्न हुआ है। ल्यूकेमिया के प्रकार के अनुसार ही एक या दो दवाओं के द्वारा उपचार किया जाता है। ये दवाईयां गोली या इंजेक्शन के रूप में हो सकती हैं।
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3. बायोलॉजिकल थेरेपी (Biological Therapy)- इस चिकित्सा में ऐसे उपचारों का इस्तेमाल किया जाता है जिससे की मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली, ल्यूकेमिया कोशिकाओं को पहचान करके, उन्हें समाप्त करने में मदद करे।
4. रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy)- इस चिकित्सा में एक्स-रे या अन्य उच्च-ऊर्जा बीम (High energy beams) का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को क्षति पहुंचाने और उनके पनपने से रोकने के लिए किया जाता है। रेडियेशन का उपयोग शरीर के विशेष क्षेत्र पर या पूरे शरीर पर, जरूरत के अनुसार किया जाता है।
5. लक्षित (Targeted) चिकित्सा – इस चिकित्सा पद्यति में ऐसी दवाईयां दी जाती हैं जो कैंसर कोशिकाओं में मौजूद विशिष्ट कमजोरियों को क्षति पहुंचाती हैं।
6. स्टेम कोशिका प्रत्यारोपण (Stem Cell Transplant)- स्टेम कोशिका को मूल कोशिका भी कहा जाता है। ये ऐसी कोशिकाऐं होती हैं जो शरीर के किसी भी अंग को विकसित करने में मदद करती हैं। ये कोशिका प्लेसेंटा के अतिरिक्त शरीर का कोई भी भाग बनाने में सक्षम होती हैं। ये शरीर की किसी भी कोशिका की मरम्मत कर सकती हैं और शरीर की दूसरी कोशिका के रूप में भी अपने को ढाल लेती हैं। जैसे किडनी, लिवर, हृदय का प्रत्यारोपण होता है, स्टेम कोशिका का भी प्रत्यारोपण किया जाता है जिसके द्वारा रोग ग्रस्त बोन मैरौ को स्वस्थ बोन मैरौ के साथ बदल दिया जाता है।
ब्लड कैंसर से बचाव के उपाय – How to Protect Against Blood Cancer
दोस्तो, सबसे पहले देसी हैल्थ क्लब स्पष्ट करता है कि कैंसर या ब्लड कैंसर अत्यंत गंभीर और घातक बीमारी है जिसका केवल डॉक्टर से इलाज करवाना ही एकमात्र उपाय है। देसी उपाय केवल बचाव करने में काफी हद तक मदद कर सकते हैं। हम बता रहे हैं कुछ निम्नलिखित देसी उपाय जो ब्लड कैंसर से बचाव में मदद कर सकते हैं –
1. सूर्य की धूप (Sun)- सूर्य की धूप से विटामिन-डी मिलता है जिसे एक्सपर्ट्स् ब्लड कैंसर से बचाव में रामबाण उपाय मानते हैं। सूर्य विटामिन-डी का प्राकृतिक श्रोत है। शरीर में विटामिन-डी की पर्याप्त मात्रा ब्लड कैंसर से बचाने में सक्रिय भूमिका निभाती है। एक शोध के आधार पर कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के सहायक प्राध्यापक सेड्रिक गारलैंड का कहना है कि ल्यूकेमिया में लगातार हो रही बढ़ोतरी का एक प्रमुख कारण विटामिन-डी की कमी को माना जा सकता है। वैज्ञानिकों द्वारा ब्लड कैंसर को लेकर एक शोध किया गया जिसमें उन देशों को शामिल किया गया जहां सूर्य की रोशनी या तो पर्याप्त मात्रा में होती है, या फिर अपर्याप्त मात्रा में पहुंचती है। शोध में सामने आये विश्व के 132 देशों के निष्कर्ष के आंकड़ों में यह पता चला कि जिन देशों में सूर्य का प्रकाश भरपूर मात्रा था वहां के लोगों में विटामिन-डी की कमी नहीं थी और ब्लड कैंसर के आंकड़ों में भी कमी देखने को मिली। विश्व के 132 देशों के आंकड़ों के आधार पर यह निष्कर्ष निकला कि यदि आप ब्लड कैंसर से बचना चाहते हैं, तो सूर्य का प्रकाश यानि धूप लेना आपके लिए अनिवार्य है।
2. ब्रोकली (Broccoli)- पोषक तत्व विशेषज्ञ (Nutrient expert) उलरिके गोंडर के अनुसार सब्जियों में ब्रोकोली सुपरस्टार है। उलरिके इसकी वजह बताती हैं, “इसमें सल्फर कंपाउंड होते हैं, ग्लूकोसिनोलेट्स तभी रिलीज होता है जब इसे चबाया, काटा या पकाया जाता है। वैज्ञानिक शोधों ने यह दिखाया है कि इसमें कई कैंसररोधी गुण होते हैं।” ब्रोकोली के डंठल यानी तने में ऐसे तत्व फूलों से अधिक होते हैं। इसलिये हमें सिर्फ पूरी ब्रोकोली खानी चाहिये। उनका मानना है कि ब्रोकोली में मौजूद कैंसररोधी तत्वों का एक बड़ा हिस्सा पकाने के दौरान नष्ट हो जाता है। इसलिये बेहतर होगा कि इसके छोटे-छोटे टुकड़े काटकर चबाने और निगलने लायक बनाना चाहिये बजाय पकाने के। यह ब्रोकली ब्लड कैंसर से बचाने में उत्तम विकल्प है।
3. लाल और पीले रंग के फल (Red and Yellow Fruits)- उलरिके गोंडर का कहना है कि लाल और पीले रंग के फल अच्छे माने जाते हैं। उलरिके ने बताया कि “सेब और अंगूर को लाल रंग एंथोसाइनिन से मिलता है। कद्दू या पपीते को खूबसूरत नारंगी रंग क्रैरिटोनॉएड से मिलता है। ये सिर्फ रंग ही नहीं भरता है बल्कि कैंसर से बचाव करने वाले तत्वों से भरा रहता है। लाल रंग वाले ऐसे प्राकृतिक फोटोकैमिकल्स का एंटीऑक्सीडेंट असर होता है जो कई प्रकार से कोशिकाओं की रक्षा करता है।” पोषक तत्व विशेषज्ञ उलरिके गोंडर के अनुसार कैंसर से बचाव के मामले में इन रंगों के फलों का इस्तेमाल करना चाहिये।
4. अंगूर (Grapes)- हाल ही में हुऐ एक शोध की मानें तो अंगूर के सेवन से ब्लड कैंसर से बचाव हो सकता है। अमेरिकन एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित एक कैंसर रिसर्च में बताया गया है कि अंगूर के बीज में पाया जाने वाला जेएनके प्रोटीन, कैंसर कोशिकाओं की विकीर्णों को नियंत्रित करने का काम करता है। अंगूर के बीज सिर्फ 48 घंटे में हर प्रकार के कैंसर को 76 प्रतिशत तक विकीर्ण करने में सक्षम होते हैं। शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि अंगूर के बीजों का अर्क ल्यूकेमिया और अन्य कैंसर को सकारात्मक रूप से ठीक करने में मददगार साबित होता है।
5. फल और सब्जियां (Fruits and Vegetables)- दोस्तो, लाल, पीले फलों और अंगूर के बारे में तो हमने बता ही दिया। रक्त कैंसर के मरीज को कुछ ऐसे फलों और सब्जियों का भी सेवन करना चाहिये जिससे कि शरीर में हीमोग्लोमबिन का स्तर बढ़े, जो अंटीऑक्सीडेन्ट, फाइटोकेमिकल्स और विटामिन-सी से भरपूर हों और ताकि आपकी इम्युनिटी पावर स्ट्रोंग बने। जिससे कि इम्युनिटी रक्त कैंसर कोशिकाओं से लड़कर उनको निष्क्रिय कर सके। फलों में कीवी, आड़ू , अनार, कमरख, ब्लूबैरी, चेरी, लोकाट (Loquat), रसभरी और सब्जियों में ब्रोकोली के अतिरिक्त गोभी, मशरुम, गाजर, शलजम,पालक, सरसों का साग फायदेमंद होते हैं। इन फल और सब्जियों में विटामिन, खनिज, एंजाइम, एंटीऑक्सिडेंट्स और फाइटोकेमिकल्स का उच्च स्रोत होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में मददगार होते हैं।
6. ग्रीन टी (Green Tea)- माना जाता है कि ग्रीन टी पीने से स्वस्थ कोशिकाओं का उत्पादन होता जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में मदद करती हैं। ग्रीन टी में एंटी-ऑक्सीसडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं जो अनेक प्रकार के कैंसर की संभावना को खत्म करते हैं। नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट द्वारा प्रयोगशाला में पशुओं पर किये अध्यन से पता चला कि ग्रीन टी में मौजूद पॉलीफेनॉल ट्यूमर को बढ़ने से रोक सकता है और Ultraviolet Rays से होने वाली क्षति को भी कम सकता है। प्रतिदिन दो या तीन कप ग्रीन टी पीने से बल्ड कैंसर की संभावना से बचा जा सकता है।
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7. लाल मिर्च (Red Chilli)- ब्लड कैंसर के मरीज को लाल मिर्च का सेवन करने की सलाह दी जाती है क्योंकि इसमें पाये जाने वाले एंटी-ऑक्सीकडेंट्स कैंसर कोशिकाओं को पनपने और इनके विकास को रोकते हैं और रक्त संचार को बढ़ाते हैं। लाल मिर्च में मौजूद विटामिन-सी स्वयं एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो शरीर को फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से मुक्त करके रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और कैंसर के कारक से लड़ने में मदद करता है। ये कोशिकाओं और डीएनए में होने वाले उस बदलाव से भी रक्षा करता है, जो कैंसर पैदा कर सकता है। लाल मिर्च की चटनी बनाकर खाने के साथ खाई जा सकती है।
8. हल्दी (Turmeric)- हल्दी को मसाले के अतिरिक्त औषधी के रूप में भी जाना जाता है। इसके औषधीय गुणों के कारण वैज्ञानिकों ने इसे एक प्राकृतिक आश्चर्य माना है। इसमें मुख्यतः एंटीइन्फ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीट्यूमर, एंटीकैंसर, एंटीसेप्टिक, एंटीवायरल, हेपटोप्रोटेक्टिव और नेफ्रोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं। हल्दी में पाये जाने वाला करक्यूमिन तत्व ट्यूमर सेल्स को कम करने और उसके विकास को रोकने में मदद करता है। इसकी एंटीनियोप्लास्टिक प्रोपर्टीज़ ट्यूमर से बचाव करने में मदद करता है। इम्युनिटी को बढ़ाने के लिये तो यह रामबाण उपाय है। सब्जी में तो इसका इस्तेमाल किया ही जाता है परन्तु दूध में हल्दी मिलाकर पीने लाभ भी अद्वितीय हैं। दूध में मौजूद कैल्शियम और विटामिन-डी और हल्दी के अनेक गुण बल्ड कैंसर से निश्चित रूप से बचाव करेंगे।
9. गेहूं के ज्वारे का जूस (Wheat Germ Juice)- गेहूं के ज्वारे के रस को संजीवनी माना जाता है। प्रतिदिन इसके पीने से इम्युनिटी सिस्टम स्ट्रोंग होता है और रक्त संचार में सुधार होता है। इसके जूस में भरपूर क्लोरोफिल होता है जो शरीर में हीमोग्लोबिन का निर्माण करता है और ऑक्सीजन की मात्रा देता है। जब कैंसर कोशिकाओं को ज्यादा ऑक्सीजन मिलने लगती है तो कैंसर का दम घुटने लगता है। गेहूं के ज्वारों में विटामिन बी-17 या लेट्रियल और सेलेनियम दोनों होते हैं और ये दोनों ही शक्तिशाली कैंसररोधी माने जाते हैं। एक शोध के अनुसार गेहूं के ज्वारे में एंटीकैंसर गुण होते हैं जो कैंसर के खतरे को दूर रखने में मदद करते हैं और कैंसर कोशिकाओं को भी बढ़ने से रोकने में कारगर हो सकते हैं।
10. एलोवेरा (Aloe vera)- एलोवेरा को बल्ड कैंसर के उपचार में उत्तम विकल्प माना जाता है। एलोवेरा की पत्तियों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। फिर उसमें आधा लीटर शहद और 3-4 चम्मच फलों का जूस अच्छी तरह मिला लें। प्रतिदिन तीन बार खाना खाने से 15 मिनट पहले इस घोल को पीयें। 10 दिन बाद ब्लड सेल्स की जांच करा लें। या लगभग 35 ग्रा। एलोवेरा की पत्तियों को छोटे-छोटे टुकड़ों में 6 बड़े चम्मच अल्कोहल और 50 ग्रा। शहद डालकर मिक्सी में पीस लें। प्रतिदिन तीन बार खाना खाने से आधा घंटा पहले एक बड़ी चम्मच यह दवा ले लें।
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Conclusion –
दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको कैंसर और ब्लड कैंसर से बचाव के उपाय के बारे में विस्तार से जानकारी दी हैं। देसी हैल्थ क्लब ने इस लेख के माध्यम से बताया कि कैंसर क्या है, कैंसर की शुरुआत कैसे होती है, ब्लड कैंसर क्या है, ब्लड कैंसर के प्रकार, इसके कितने चरण (stages) होते हैं, ब्लड कैंसर होने के कारण, इसके लक्षण, ब्लड कैंसर का परीक्षण, ब्लड कैंसर का डॉक्टरी इलाज और ब्लड कैंसर से बचाव के देसी उपाय भी विस्तारपूर्वक बताये। आशा है आपको ये लेख अवश्य पसन्द आयेगा।
दोस्तो, इस लेख से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो लेख के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह लेख आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health- Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।
Disclaimer – यह लेख केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।
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