दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। हमारा आज का टॉपिक है दाद का देसी उपचार ।दाद की वजह से बहुत परेशानी झेलनी पड़ती है।इसमें बहुत बुरी खुजली लगती है।आखिर ये दाद है क्या? दाद त्वचा रोग है।एक फंगल इन्फेक्शन है जो फंगस के संक्रमण से होता है।संक्रमित व्यक्ति की वस्तुओं जैसे, कपड़ा, साबुन, कंघा आदि के इस्तेमाल करने से या उसके संपर्क में आने से फैलता है।इसमें त्वचा पर लाल या गहरे ब्राउन रंग के गोल गोल निशान (चकत्ते) पड़ जाते हैं।इसमें खुजली लगती है और जलन भी होती है।
दाद चार प्रकार का होता है –
(i) टीनिया क्रूरीस (Tinea cruris) – यह जोड़ों, जांघों और कमर के नीचे पृष्ठभाग पर (नितम्बों) के आस पास की त्वचा को प्रभावित करता है।अधिकतर किशोर आयु के लड़कों या पुरुषोँ को होता है।
(ii) टीनिया कैपेटिस (Tinea capitis) – टीनिया कैपेटिस सिर की त्वचा (Scalp) में होता है।माथे के कुछ हिस्से में भी गंजापन दिखाई देने लगता है।यह बचपन और किशोरावस्था के मध्य बच्चों में देखने को मिलता है।इसीलिये स्कूलों को बहुत जल्दी प्रभावित करता है। क्योंकि इस आयु वर्ग के बच्चे स्कूल जाते हैं।
(iii) टीनिया पैडिस (Tinea Paedis) – यह दाद पैरों की त्वचा को प्रभावित करता है।संक्रमित सार्वजनिक स्थानों पर, विशेषकर नंगे पैर जाने से होता है।
(iv) टिनिया बार्बी (Tinea Barbae) – यह गर्दन पर और दाढ़ी पर होता है।और गर्दन पर सूजन के निशान बन जाते हैं।बाल टूटने या सैलून में दाढ़ी बनवाने के कारण यह दाद हो जाता है।इसे नाई की खुजली (Barber’s Itch) भी कहते हैं।
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दाद के लक्षण – Symptoms of Ringworm
शरीर का प्रभावित अंग और संक्रमण के कारण पर दाद के लक्षण निर्भर करते हैं।फिर भी लक्षण मुख्यतः इस प्रकार हैं।
1. दाद त्वचा पर परतदार रूप में उभरकर आता है।
2. दाद फैलता है और बढ़कर फफोले के समान हो जाता है।
3. लाल रंग के गोल चकत्ते बन जाते हैं।
4. दाद में खुजली होती है।खुजली के साथ साथ छोटी छोटी फुंसियां भी हो सकती हैं।
5. जलन भी होती है।
दाद के कारण – Cause of Ringworm
1. फंगल इन्फेक्शन (Fungal Infection)- जैसा कि हमने पहले ही बताया है कि दाद एक फंगल इन्फेक्शन है जोकि फफूंदी के संक्रमण से होता है।फफूंदी जैसा परजीवी बाहरी त्वचा की कोशिकाओं में पनपता है और बहुत आसानी से और कई तरीकों से फैलता है।
2. संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क से (Infected Person)- दाद से प्रभावित व्यक्ति के, छूने, हाथ मिलाने या अन्य किसी तरीके से सम्पर्क में आने से दाद होने की संभावना बन जाती है।
3. संक्रमित वस्तुओं के स्पर्श से (Infected Objects)- दाद से पीडित व्यक्ति की वस्तुएं जैसे कंघी, ब्रश, कपड़े, तौलिया, बिस्तर, चादर आदि का उपयोग करने से या संक्रमित व्यक्ति ने जिन वस्तुओं को छुआ हो जैसे अलमारी, नल, चाबी टेबल, कुर्सी आदि को छूने से दाद हो सकता है।
4. संक्रमित जानवर (Infected Animals)- यदि कोई जानवर जैसे कुत्ता, बिल्ली, गाय आदि के सम्पर्क में आने से अर्थात उनके साथ खेलने, प्यार करने आदि से भी दाद का संक्रमण मनुष्य को हो सकता है।
5. शरीर की साफ सफाई ना करना ।
6. ज्यादा समय तक त्वचा पर पसीना रहना या किसी अन्य कारण से शरीर का गीला रहना।
7. इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) का कमजोर होना।
8. आरामदायक जूते की अपेक्षा टाइट जूते पहनना।
9. संक्रमित जल यानि स्विमिन्ग पूल, तालाब आदि में स्नान करने से।
10. संक्रमित मिट्टी के छू जाने से।
कुछ सावधानियां :-
1. संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने से बचें।
2. संक्रमित व्यक्ति की वस्तुओं को ना छूएं।
3. आरामदायक जूते पहनें।
4. पसीने को रूमाल, छोटा तौलिया आदि से साफ करते रहें।
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5. ज्यादा समय तक गीले ना रहें।
6. सार्वजनिक स्थानों पर नंगे पैर ना जायें।
7. जानवरों के स्मपर्क में आने के पश्चात नहायें या हथ, पैर अच्छी तरह धोयें।
8. अपने शरीर की सफाई रखें।
9. अपने आन्तरिक वस्त्र और जुराब, रूमाल आदि प्रतिदिन धोयें।
10. खाने में लौंग का सेवन करना चाहिये इससे फंगल संक्रमण दूर होता है।
11. तला भुना, ज्यादा तीखा, मिर्च मसालेदार भोजन, जंक फूड, सोडा युक्त पेय पदार्थ आदि का सेवन नहीं करना चाहिये।
12. बहुत ज्यादा नमकीन तथा मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें।
13. मद्यपान, धूम्रपान व अन्य प्रकार के नशीले पदार्थों का सेवन ना करें।
14. ऐसे खाद्य पदार्थ जो विटामिन-ई से युक्त हों, उनका सेवन करना चाहिये। जैसे मसूर की दाल, पालक, बादाम, जैतून का तेल, सूरजमुखी का तेल, अखरोट, आदि।इससे प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होगी।
दाद का देसी उपचार – Home Remedies for Ringworm
1. नारियल तेल (Coconut Oil)- नारियल तेल बहुमुखी प्रतिभा का धनी है।यह एंटी-फंगल होता है और दाद से बचाव करता है।फंगस, जीवाणु आदि को बढ़ने से रोकता है।दाद पर रूई की सहायता से यह तेल लगायें, दिन में तीन चार बार।
2. हल्दी (Turmeric)- हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट के अलावा एंटीफंगल गुण भी मौजूद होते हैं।हल्दी पाउडर में और थोड़ा-सा पानी डालकर पेस्ट बनालें और दाद पर लगायें।
3. लहसुन (Garlic)- लहसुन पैर के दाद बहुत प्रभावशाली है। इसमें पाये जाने वाला एजीन (Ajoene) कम्पाउंड प्राकृतिक एंटी फंगल एजेंट होता है जो फंगल संक्रमण को ठीक करता है।लहसुन की एक या दो कलियों को पीस कर या लम्बी लम्बी परत काट कर दाद पर लगा दें।
4. नीम (Azadirachta Indica)- नीम में मौजूद फंगीसाइड्स (Fungicides) फंगल इंफेक्शन से बचाने में सहायता कर सकता है।यह बालों को प्रभावित करने वाले दाद, पैरों के नाखून और त्वचा के फंगस को खत्म करने कर सकता है।नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर पानी को ठंडा कर नहायें।नीम की पत्तियों को पीस कर दाद पर लगायें।इसमें नीम के तेल की कुछ बूंदें भी मिलाई जा सकती हैं।
5. करेला (Bitter Gourd)- करेले के पत्ते के रस में गुलाबजल मिलाकर दाद पर लगायें।
6. खीरे के रस को दाद पर लगायें।
7. दालचीनी के पत्तों को पीस कर शहद में मिलाकर दाद पर लगायें।
8. सेब का सिरका (Apple Vinegar)- सेब के सिरके को दाद की आयुर्वेदिक दवा कहा जाता है। इसमें एंटी-फंगल गुण मौजूद होते हैं।इसकी कुछ बूंदें रूई की सहायता से दाद पर लगायें।दिन में 4-5 बार।
9. टी ट्री ऑयल (Tea tree Oil)- टी ट्री ऑयल में एंटी-फंगल गुण पाये जाते हैं जो फंगस को पनपने नहीं देते।दाद खाज खुजली होने के कारण बनने वाले फंगस को पनपने नहीं देता। टी ट्री ऑयल की पांच से छह बूंदों में नारियल की एक दो बूंद अच्छी तरह मिलाकर दाद पर तीन चार बार लगायें।
10. राई के बीजों को एकदम बारीक पीसकर पाउडर बनालें। इसमें नारियल का मिलाकर पेस्ट बनाकर दाद पर लगायें.
11. एलोवेरा (Aloe Vera)- एलोवेरा को दाद का अचूक उपचार माना जाता है।यह एंटी-फंगल और जीवाणुरोधी होता है।एलोवेरा के जैल को दिन में 2-3 बार लगायें।एलोवेरा के पीले भाग (एलो-लेटेक्स) का प्रयोग ना करें।एलोवेरा त्वचा की स्वस्थ रखने के लिए कई पोषक तत्व और मिनरल प्रदान करता है।
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12. इमली (Tamarind)- इमली के बीजों को नींबू के रस में पीसकर दाद पर लगायें।
13. सरसों (Mustard)- सरसों के बीज में कैरोटीन, विटामिन, सल्फर और ल्यूटिन होते हैं। ये सभी तत्व एटीफंगल की तरह काम कर सकते हैं।इन बीजों को आधा घंटा पानी में भिगो कर पीस कर पेस्ट तैयार कर लें।इस पेस्ट को दाद प्रभावित त्वचा पर लगायें.
14. एक ग्राम देसी कपूर और बीस ग्राम नारियल के तेल में मिलाकर घोल तैयार कर लें।रात को सोते समय दाद पर लगायें.
15. आख के फूल, इमली के बीज, पंवार के बीज, हरश्रृंगार की पत्ती, पापड़ा, कत्था और पलास इन सभी को अच्छे से पीस कर पाउडर बना लें, फिर इसको खट्टे मठ्ठे में मिलाकर दाद पर लगायें.
16.मूली के बीज, कालीमिर्च, सज्जी,सिंदूर और मेनसिल बराबर मात्रा में पीसकर दही में मिलाकर दाद पर लगायें।
Conclusion
दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको त्वचा रोग यानी दाद के बारे में बताया। दाद कितने प्रकार के होते हैं, इसके होने के क्या कारण होते हैं और क्या सावधानियां बरती जायें जिससे ये ना हो, ये सब बताया और साथ ही साथ दाद का देसी उपचार भी बताये है। दोस्तो हमारा आज का यह लेख आपको कैसा लगा। कृपया अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके।और हम आपके लिए ऐसे ही Health- Related Topic लाते रहें।धन्यवाद।
Disclaimer- यह लेख केवल जानकारी मात्र है।किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।
Good information.