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डेक्सट्रोकार्डिया क्या है? – What is Dextrocardia in Hindi

डेक्सट्रोकार्डिया क्या है?

स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, आपने फिल्मों में देखा होगा कि एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के हृदय पर गोली मार देता है परन्तु बाद में पता चलता है कि वह तो बच गया। मगर कैसे? गोली मारने वाला सोचता है उसने तो गीली सही निशाने पर मारी थी फिर वह बचा कैसे?। बाद में उसे पता चलता है कि जिसको व्यक्ति को गोली मारी थी उसका दिल बाईं तरफ ना होकर दाईं तरफ था। दोस्तो, यह कोई मजाक नहीं है बल्कि हकीकत है। बहुत ही कम लोग ऐसे होते हैं जिनका दिल दाईं तरफ होता है। इस आर्टिकल के लेखक की एक महिला रिश्तेदार भी ऐसी है कि उसका दिल दाईं तरफ स्थित है। दिल के दाईं तरफ होने की स्थिति को डेक्स्ट्रोकार्डिया कहा जाता है जो कि एक दुर्लभ जन्मजात दिल का दोष है। ऐसे लोग दुनियां में बहुत कम होते हैं लगभग 12 हजार में से एक। आखिर यह डेक्स्ट्रोकार्डिया है क्या? दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “डेक्सट्रोकार्डिया क्या है?”। 

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको इस बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा इसका उपचार क्या है। तो, सबसे पहले जानते हैं कि हृदय क्या है और डेक्स्ट्रोकार्डिया क्या है?। फिर इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।

हृदय क्या है? – What is Heart?

दोस्तो, हृदय शरीर का अंदरूनी, महत्वपूर्ण, जटिल और हड्डी रहित अंग है। इसकी आकृति शंख के समान होती है। यह मांसपेशियों का बना होता है। यह धड़कते हुए यानि पंप करते हुए धमनियों के जरिये ऑक्सीजन और पोषक तत्वों से युक्त रक्त को ऊतकों तथा शरीर के सभी अंगों तक पहुंचाता है। हृदय में चार कक्ष (Chambers) और चार वाल्व होते हैं जो हृदय से पूरे शरीर तक और वापिस हृदय तक रक्त पंप करने का काम करते हैं।ऊपर के दोनों चैम्बर्स को एट्रिआ (Atria) तथा नीचे के दोनों चैम्बर्स को वेंट्रिकल (Ventricle) कहा जाता है।

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 चैम्बर्स के बीच एक मोटी दीवार होती है जिसे सेप्टम (Septum) कहते हैं। इसका तात्पर्य यह है कि हृदय के दांये भाग में दांया एट्रिआ और दांया वेंट्रिकल और बाएं भाग में बांया एट्रिआ और बांया वेंट्रिकल होते हैं। जहां तक हृदय वाल्व का प्रश्न है तो हम बता दें कि बाईं तरफ के हृदय में माइट्रल वाल्व (mitral valve) और दाईं तरफ के हृदय में दिल में ट्राइकसपिड वाल्व (tricuspid valvel लगे होते हैं इनको एट्रियोवेंट्रिकुलर वाल्व (atrioventricular valve) कहा जाता है तथा महाधमनी (aorta) में महाधमनी वाल्व (aortic valve), और फुफ्फुसीय धमनी (pulmonary artery) में फुफ्फुसीय वाल्व (pulmonary valve) मौजूद होते हैं। 

इनको सेमिलुनर वाल्व (semilunar valves) कहा जाता है। हृदय का वजन महिलाओं में लगभग 250 से 300 ग्राम तथा पुरुर्षों में लगभग 300 से 350 ग्राम होता है। हृदय औसतन एक मिनट में 72 से 80 बार धड़कता है तथा यह एक मिनट में लगभग 70 मिली।लीटर रक्त पंप करता है।

डेक्स्ट्रोकार्डिया क्या है? – What is Dextrocardia

बाईं तरफ का फेफड़ा, दाईं तरफ के फेफड़े की तुलना में छोटा होता है। अतः छाती की तरफ बहुत जगह होती है जिसमें 75 प्रतिशत हृदय छाती की तरफ समाया हुआ होता है बाकी थोड़ा सा हिस्सा छाती के बीच आ जाता है। यह हृदय की सामान्य स्थिति होती है। 

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परन्तु जब किसी व्यक्ति में हृदय, बाईं तरफ ना होकर दाईं तरफ स्थित हो तो इसे मेडिकल भाषा में डेक्स्ट्रोकार्डिया (Dextrocardia) कहा जाता है। इसे हिन्दी में दक्षिण-हृदयता कहते हैं। यह एक अति दुर्लभ स्थिति होती है जो जन्म से ही हृदय दोष लिए हो सकती है। ऐसा मामला 12,000 में से एक होता है। आंकड़ों के अनुसार विश्व में कुल आबादी का एक प्रतिशत मामले डेक्स्ट्रोकार्डिया के हैं।

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डेक्स्ट्रोकार्डिया के प्रकार – Types of Dextrocardia

डेक्स्ट्रोकार्डिया के निम्नलिखित रूप देखे जा सकते हैं –

1. पृथक डेक्स्ट्रोकार्डिया (Isolated Dextrocardia) – यह डेक्स्ट्रोकार्डिया का सबसे सामान्य रूप है। इसमें केवल हृदय ही दाईं तरफ स्थित होता है, बाकी और कोई हृदय के विकार, दोष नहीं होते और ना ही शरीर के अन्य अंगों के साथ किसी भी प्रकार की असमानता होती है। इसमें व्यक्ति को किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं होती। वह सामान्य जीवन जीता है।

2. डेक्सट्रोकार्डिया हृदय दोष सहित (Dextrocardia with Heart Defects) – यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें हृदय दाईं तरफ स्थित होने के साथ-साथ, कुछ हृदय दोष भी होते हैं जो हृदय की कार्य प्रणाली को बाधित करते हैं। ये हृदय दोष लक्षण और जटिलताएं उत्पन्न करते हैं। इन दोषों के निवारण के लिये इलाज की जरूरत पड़ती है। 

3. साइटस इनवर्सस के साथ डेक्स्ट्रोकार्डिया (Dextrocardia with Situs Inversus) – साइटस इनवर्सस के साथ डेक्स्ट्रोकार्डिया की स्थिति में शरीर के कुछ अंग उल्टी दिशा में होते हैं। उदहारण के लिये लिवर हमेशा दाईं ओर स्थित होता है परन्तु इसमें यह बाईं ओर हो जाएगा। 

तिल्ली (Spleen) बाईं ओर के बजाय दाईं तरफ हो जाएगी। ऐसी अवस्था में ये अंग सामान्य रूप से कार्य कर भी सकते हैं और नहीं भी। अंगों के ठीक से काम ना करने की स्थिति में सांस लेने की में दिक्कत हो सकती है या अन्य जटिलताएं जन्म ले सकती हैं।

4. हेटेरोटेक्सी के साथ डेक्स्ट्रोकार्डिया (Dextrocardia with Heterotaxy) – यह एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें शरीर के कुछ अंग गुम होते हैं या होते भी हैं तो सामान्य अवस्था में नहीं होते। अथवा ये अंग पूरी तरह विकसित ना होकर अधूरे विकसित होते हैं। यदि इस स्थिति को बिना इलाज के छोड़ दिया जाए तो यह गंभीर स्वास्थ समस्या का रूप ले सकती है और जानलेवा हो सकती है।

डेक्स्ट्रोकार्डिया के साथ अन्य जन्मजात हृदय दोष – Other Congenital Heart Defects with Dextrocardia

डेक्स्ट्रोकार्डिया यदि अन्य दोषों के साथ है तो इसमें निम्नलिखित जन्मजात हृदय दोष हो सकते हैं –

1. महाधमनी, बाईं तरफ की निलय (Ventricle) के साथ जुड़ने की अपेक्षा हृदय की दाईं निलय के साथ जुड़ती है।

2. हृदय के चारों चेंबर्स को अलग करने वाली दीवारों का सही ढंग से ना बन पाना। इसे एंडोकार्डियल कुशन दोष (endocardial cushion defect) कहा जाता है।

3. पल्मोनरी स्टेनोसिस अर्थात् पल्मोनरी वाल्व का मोटा होना, संकुचित होना और सख्त होना।

4. टेट्रालजी ऑफ़ फलो यानि गर्भाशय में बच्चे के हृदय का सही से विकास ना हो पाना।

5. निलयी वंशीय दोष। यह एक ऐसा जन्मजात हृदय दोष है जिसमें बच्चे के हृदय के बीच की दीवार सेप्टम में एक छेद होता है।

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डेक्स्ट्रोकार्डिया की जटिलताएं – Complications of Dextrocardia

हमने ऊपर बताया है कि डेक्स्ट्रोकार्डिया यदि सामान्य रूप में है तो किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं होती। परन्तु यदि यह अन्य हृदय दोषों के साथ है तो लक्षणों व जटिलताओं को जन्म दे सकता है। ये जटिलताएं निम्न प्रकार हो सकती हैं –

1. अन्य अंगों के विपरीत दिशा में होने पर अन्य स्थितियों के परीक्षण में दिक्कत आती है तथा सर्जरी प्रक्रिया में भी परेशानी होती है। कई बार लोगों को काम करते समय कहते सुना होगा कि मेरा उल्टा हाथ पड़ रहा है। ऐसी ही स्थिति में सर्जरी प्रक्रिया और निदान प्रक्रिया में दिक्कत आती है। 

  1. साइटस इनवर्सस डेक्सट्रोकार्डिया की स्थिति में एपेंडिसाइटिस का तेज दर्द पेट के दाएं हिस्से की अपेक्षा बाईं तरफ हो सकता है।
  2. ग्रासनली में विकार।
  3. आंत संबंधी विकार।
  4. क्रोनिक निमोनिया।
  5. साइनस संक्रमण।
  6. हृदय विकार।
  7. असामान्य हृदय गति।

डेक्स्ट्रोकार्डिया के कारण – Cause of Dextrocardia

डेक्स्ट्रोकार्डिया के प्रमाणिक कारण अज्ञात हैं। अनुमानतः गर्भावस्था के आरंभ में आनुवंशिक परिवर्तनों के कारण यह स्थिति जन्म ले सकती है। अंगों की संरचना और स्थिति में 60 से अधिक जीन का योगदान होता है परन्तु उस विशेष जीन का पता नहीं चल पाया जो डेक्सट्रोकार्डिया की वजह बनती है।

डेक्स्ट्रोकार्डिया के लक्षण – Symptoms of Dextrocardia

पृथक डेक्स्ट्रोकार्डिया के कोई लक्षण प्रकट नहीं होते और ना ही व्यक्ति को कोई दिक्कत होती है। हां, अन्य दोषों के साथ डेक्स्ट्रोकार्डिया के निम्नलिखित लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं –

  1. सायनोसिस यानि रक्त में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं होने की वजह से त्वचा का रंग नीला हो जाना।
  2. सांस लेने में दिक्कत होना।
  3. अधिकतर थकावट और कमजोरी महसूस होना।
  4. शरीर का सही से विकास ना हो पाना।
  5. वजन ना बढ़ना।
  6. बार-बार फेफड़ों में संक्रमण होना।
  7. पीलिया हो जाना।
  8. त्वचा का बहुत अधिक पीला हो जाना।

डेक्स्ट्रोकार्डिया का निदान – Diagnosing Dextrocardia

हृदय के स्थिति और स्थान की जानकारी लेने के लिए निम्नलिखित टेस्ट किए जा सकते हैं –

  1. छाती का एक्स-रे
  2. सीटी स्कैन
  3. ईसीजी
  4. इकोकार्डियोग्राम
  5. एमआरआई

डेक्स्ट्रोकार्डिया के उपचार – Treatment of Dextrocardia

डेक्स्ट्रोकार्डिया का कोई विशेष उपचार नहीं है। कुछ विशेष स्थितियों में जीवन भर इसकी लगातार निगरानी और प्रबंधन की जरूरत हो सकती है। पृथक डेक्स्ट्रोकार्डिया के लिये उपचार की जरूरत ही नहीं होती क्योंकि व्यक्ति को कोई दिक्कत नहीं होती और वह सामान्य जीवन जीता है।  हां, यदि डेक्स्ट्रोकार्डिया अन्य दोषों के साथ है तो उन दोषों का उपचार किया जा सकता है। विवरण निम्न प्रकार है –

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1. एंटीबायोटिक्स – Antibiotics

(i) श्वसन संक्रमण के प्रबंधन के लिए।

(ii) फेफड़ों से तरल पदार्थ को बाहर निकालने के लिए।

(iii) हृदय के रक्त को पंप करने के लिए, कुशलता को सुधारने के लिए।

2. हृदय के लिए पेसमेकर प्रबंधन।

3. जन्मजात हृदय के दोषों, छाती या पेट की अंगों की समस्याओं के निवारण के लिए सर्जरी।

Conclusion –

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको डेक्सट्रोकार्डिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी। हृदय क्या है?, डेक्स्ट्रोकार्डिया क्या है?, डेक्स्ट्रोकार्डिया के प्रकार, डेक्स्ट्रोकार्डिया के साथ अन्य जन्मजात हृदय दोष, डेक्स्ट्रोकार्डिया की जटिलताएं, डेक्स्ट्रोकार्डिया के कारण, डेक्स्ट्रोकार्डिया के लक्षण और डेक्स्ट्रोकार्डिया का निदान, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से डेक्स्ट्रोकार्डिया के उपचार के बारे में भी बताया। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।

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Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको डेक्सट्रोकार्डिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी। हृदय क्या है?, डेक्स्ट्रोकार्डिया क्या है?, डेक्स्ट्रोकार्डिया के प्रकार, डेक्स्ट्रोकार्डिया के साथ अन्य जन्मजात हृदय दोष, डेक्स्ट्रोकार्डिया की जटिलताएं, डेक्स्ट्रोकार्डिया के कारण, डेक्स्ट्रोकार्डिया के लक्षण और डेक्स्ट्रोकार्डिया का निदान, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया।
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