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डिसमेनोरिया क्या है? – What is Dysmenorrhea in Hindi

डिसमेनोरिया क्या है?

आज का हमारा आर्टिकल महिलाओं को समर्पित है। दर्द जिसको होता है वही जानता है उसकी पीड़ा, चाहे दर्द शारीरिक, मानसिक रोग का हो या भावनात्मक दर्द हो। दूसरे को उसका अहसास नहीं होता। मगर महिला को होने वाला एक दर्द ऐसा है जिसको हर महिला समझती है क्योंकि उस दर्द को झेलना हर महिला की नियति (destiny) है। जी हां हम बात कर रहे हैं मासिक धर्म से होने वाले दर्द की जिससे हर महिला गुजरती है। मैं काजल शर्मा, इस आर्टिकल की लेखिका, महिला होने के नाते इस दर्द को वह अच्छी तरह समझती हूं कि मासिक धर्म का दर्द क्या होता है। 

वैसे तो यह दर्द सामान्य बात है क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से स्वाभाविक है परन्तु जब यह दर्द हद से ज्यादा बढ़ जाए और सहन ना हो सके तो यह सामान्य से विशेष दर्द बन जाता है। इस विशेष दर्द को मेडिकल भाषा में डिसमेनोरिया (Dysmenorrhea) कहा जाता है। यह कोई रोग नहीं है और ना ही कोई विकार बल्कि महिला रोग से जुड़ी एक चिकित्सकीय अवस्था है। इस अवस्था में महिला का गर्भाशय प्रभावित होता है जिसका, चिकित्सकीय स्थिति के आधार पर उपचार भी किया जाता है। आखिर यह डिसमेनोरिया है क्या?। बस, यही है हमारा आज का टॉपिक “डिसमेनोरिया क्या है?”

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आपको डिसमेनोरिया के बारे में जानकारी विस्तार से जानकारी देगा और इसके उपचार के बारे में भी बताएगा। तो, सबसे पहले जानते हैं कि डिसमेनोरिया क्या है और इसके प्रकार। फिर, इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।

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डिसमेनोरिया क्या है? – What is Dysmenorrhea?

महिलाओं में मासिक धर्म एक प्राकृतिक और स्वाभाविक प्रक्रिया है। पीरियड के दौरान पेट में दर्द और ऐंठन होना भी सामान्य है। दर्द और ऐंठन पेट के निचले हिस्से में होते हैं। यह होता ही होता है। कई महिलाओं को यह दर्द पीरियड से पहले भी महसूस होता है। पीरियड के दौरान जब यह दर्द इस कदर हद से ज्यादा होने लगे कि महिला रोजाना के कामकाज भी ना कर पाए और असहनीय पीड़ा होने लगे, यहां तक कि यह दर्द गर्भाशय में भी पीड़ा देने लगे और काबू से बाहर हो जाए तो इसी अवस्था को “डिसमेनोरिया” कहा जाता है। 

यह कोई रोग नहीं है और ना ही कोई विकार अपितु एक अवस्था है जिसे जो महिला रोग चिकिस्ता स्थिति की श्रेणी में रखा गया है क्योंकि विशेष स्थिति में इस अवस्था के इलाज की जरूरत पड़ जाती है। यह अवस्था यौन समस्याओं के कारण भी हो सकती है। मासिक धर्म के दर्द से गर्भाशय कैसे प्रभावित होता है इसका जिक्र हम आगे करेंगे।

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डिसमेनोरिया के प्रकार – Types of Dysmenorrhea?

डिसमेनोरिया दो प्रकार का होता है – प्राथमिक और द्वितीयक। इनका विवरण निम्न प्रकार है –

1. प्राथमिक डिसमेनोरिया (Primary Dysmenorrhea)- डिसमेनोरिया का यह आम प्रकार है जिससे आमतौर पर 50 प्रतिशत महिलाएं प्रभावित होती हैं और महिलाओं को इस बारे में पता ही नहीं होता। प्राथमिक डिसमेनोरिया में पीरियड का दर्द पीरियड खत्म होने के बाद भी रहता है जिनसे कुछ घरेलू उपायों के माध्यम से राहत पाई जा सकती है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ यह समस्या स्थाई रूप से खत्म हो जाती है। प्राथमिक डिसमेनोरिया के केवल 10 प्रतिशत मामले ही गंभीर होते हैं।

2. द्वितीयक डिसमोनोरिया (Secondary Dysmenorrhea)- इस स्थिति में पीरियड में होने वाला दर्द एंडोमेट्रियोसिस, गर्भाशय फाइब्रॉएड, एडिनोमायोसिस और श्रोणि (Pelvic) सूजन रोग जैसी गायनेकोलॉजिकल समस्याओं से जुड़ा होता है। यह महिलाओं में बढ़ती उम्र के साथ अधिक होता है।

डिसमेनोरिया के कारण – Cause of Dysmenorrhea

डिसमेनोरिया का प्रमुख कारण है गर्भाशय में संकुचन। गर्भाशय के संकुचन से उत्पन्न होते हैं दर्द और ऐंठन। अब यह प्रश्न उठता है कि गर्भाशय में संकुचन क्यों होता है और दर्द और ऐंठन के लिए वास्तव में जिम्मेदार कौन है?। देसी हैल्थ क्लब इन सभी प्रश्नों का उत्तर पर विस्तार से प्रकाश डाल रहा है। विवरण निम्न प्रकार है –

1. जिस प्रकार मासिक धर्म का अपना धर्मचक्र होता है उसी प्रकार ऑवुलेशन का भी अपना चक्र होता है। महिला के अंडाशय (Ovary) से अंडा निकलने की प्रक्रिया को ऑवुलेशन (Ovulation) कहा जाता है। यह ऑवुलेशन प्रक्रिया मासिक धर्म के 15वें दिन होती है। ऑवुलेशन प्रक्रिया में अंडाशय से अंडा निकल कर फैलोपिन ट्यूब में चला जाता है जहां शुक्राणु द्वारा निषेचित होने का इंतजार करता है। यह गर्भधारण करने की अवस्था होती है। इस गर्भधारण करने की अवस्था में गर्भाशय की परत मोटी हो जाती है।

2. अंडा निषेचित ना होने और गर्भधारण ना होने की स्थिति में नष्ट हो जाता है और बह जाता है।

3. मासिक धर्म के दौरान गर्भाशय में संकुचन होता है, इसकी मांसपेशियां सिकुड़ती हैं। प्रोस्टाग्लैंडीन नामक आणविक यौगिक (Molecular compounds) मासिक धर्म के दौरान बहते हैं जिनकी वजह होते हैं एंडोमेट्रियल कोशिकाओं की क्षति। प्रोस्टाग्लैंडीन व अन्य सूजन मध्यस्थों (Inflammatory mediators) का बहाव ही “गर्भाशय के संकुचन” का कारण बनते हैं।

4. गर्भाशय का संकुचन तथा इस संकुचन से पास के ऊतकों को होने वाली ऑक्सीजन की कमी ही मासिक धर्म के दौरान “दर्द” और “ऐंठन” के कारण होते हैं।

5. गर्भाशय का संकुचन तब तक जारी रहता है जब तक कि गर्भाशय, क्षतिग्रस्त एंडोमेट्रियल कोशिकाओं और ऊतकों को अच्छी तरह निचोड़कर, जननांग और गर्भाशय ग्रीवा (Uterine cervix) के जरिए शरीर से बाहर ना निकाल दे। तब तक मासिक धर्म के दौरान दर्द और ऐंठन बने रहते हैं।

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डिसमेनोरिया के जोखिम कारक – Risk Factors for Dysmenorrhea

डिसमेनोरिया के निम्नलिखित जोखिम कारक हो सकते हैं –

  1. मासिक धर्म की अनियमितता
  2. मासिक धर्म का पारिवारिक इतिहास यानि परिवार में किसी महिला को यह समस्या है या रही है तो यह आपके साथ भी हो सकता है। ऐसी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
  3. 20 वर्ष से कम आयु होना
  4. 11 वर्ष से पहले युवा हो जाना।
  5. मासिक धर्म के दौरान अत्याधिक रक्तस्राव होना।
  6. धूम्रपान करना।
  7. शराब या अन्य नशीली वस्तुओं का सेवन करना।

डिसमेनोरिया के लक्षण – Symptoms of Dysmenorrhea

डिसमेनोरिया की स्थिति में निम्नलिखित लक्षण प्रकट होते हैं –

  1. पेट में हर समय दबाव महसूस होना
  2. पेट में असहनीय दर्द होना
  3. पेट में ऐंठन होना
  4. जी मिचलाना
  5. उल्टी होना
  6. दस्त लगना
  7. कुछ भी खाने का मन ना करना
  8. कमजोरी और थकावट महसूस होना
  9. दर्द की वजह से कमर कटना
  10. नीचे कूल्हों में दर्द होना
  11. जांघों में अधिक दर्द होना
  12. तनाव, सिर में दर्द।

डिसमेनोरिया का परीक्षण –  Test of Dysmenorrhea

डिसमेनोरिया में चिकित्सकीय स्थितियों की जानकारी के लिये निम्नलिखित टेस्ट किये जा सकते हैं ‘

  • अल्ट्रासाउंड
  • सीटी स्कैन
  • एमआरआई
  • लेप्रोस्कोपी टेस्ट

डिसमेनोरिया का उपचार – Treatment of Dysmenorrhea

मासिक धर्म की ऐंठन और दर्द को कम करने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाई जा सकती हैं –

1. ओवर-द-काउंटर दर्द (Over-the-Counter Pain) – दर्द निवारक दवाएं ली जा सकती हैं जैसे कि इबुप्रोफेन (एडविल, मोट्रिन आईबी, अन्य) या नेप्रोक्सन सोडियम (एलेव)। पीरीयड शुरु होने से एक दिन पहले नियमित रूप से लेने दर्द और ऐंठन के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

2. हार्मोनल बर्थ कंट्रोल (Hormonal Birth Control)- जन्म नियंत्रण टेब्लेट्स में मौजूद हार्मोन ओव्यूलेशन को रोकने का काम करते हैं जिससे और पीरियड में ऐंठन का प्रभाव कम हो जाता है। इसके अतिरिक्त ऐंठन की गंभीरता को कम करने के लिए इंजेक्शन, स्किन पैच, बांह की त्वचा के नीचे रखा गया एक प्रत्यारोपण या जननांग में डाले जाने वाली रिंग अथवा इंट्रायुटेराइन डिवाइस (IUD) का सहारा लिया जा सकता है।

3. सर्जरी (Surgery)- कुछ चिकित्सकीय स्थितियों जैसे कि एंडोमेट्रियोसिस या फाइब्रॉएड आदि के मामले में जो मासिक धर्म में ऐंठन की वजह बनती हैं, के उपचार के लिए सर्जरी की जा सकती है।

4. गर्भाशय को निकालना (Hysterectomy)- जब सभी उपायों का परिणाम सफल नहीं हो पाता तो उस स्थिति में सर्जरी के द्वारा गर्भाशय को निकाल दिया जाता है। उपचार में फिर यही एकमात्र विकल्प होता है।

डिसमेनोरिया में क्या नहीं खाना चाहिए? – What Should not be Eaten in Dysmenorrhea?

डिसमेनोरिया की समस्या में निम्नलिखित खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए :-

1. मांस,

2. मछली

3. अंडे

4. दुग्ध उत्पाद

5. सलाद ड्रेसिंग

6. मार्जरीन

7. जंक फूड

8. आलू चिप्स

9. फ्रेंच फ्राइज़

10. चाय, कॉफी।

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डिसमेनोरिया में क्या खाना चाहिए? – What Should be Eaten in Dysmenorrhea?

हमने ऊपर बताया है कि पीरियड में ओमेगा 3 फैटी एसिड, कैल्शियम और मैग्नीशियम, विटामिन-ई, बी1, बी6 युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें। इनमें निम्नलिखित खाद्य पदार्थों को शामिल किया जा सकता है –

  1. साबुत अनाज, मक्का, दलिया, गेहूं और मल्टीग्रेन चपाती।
  2. ब्रोकोली, टमाटर, सेम, पत्तेदार साग, मशरूम।
  3. शेलफिश
  4. दूध, सोया, टोफू।
  5. नींबू, संतरा, मौसमी, केले, एवोकाडो, सेब, नाशपाती, जामुन, खरबूजे, मीठे आलू,
  6. फ्लैक्स और कद्दू के बीज, तिल के बीज, मूंगफली, सूरजमुखी के बीज, पिस्ता।

डिसमेनोरिया के घरेलू उपाय – Home Remedies for Dysmenorrhea

निम्नलिखित घरेलू उपाय अपनाकर पीरियड के दर्द और ऐंठन के प्रभाव को कम किया जा सकता है –

  1. कमर के निचले भाग और पेट की मालिश करें।
  2. कमर के निचले भाग और पेल्विक एरिया की हीटिंग पैड या गर्म पानी की बोतल से सिंकाई करें।
  3. पीरियड के दिनों में गर्म पानी से नहाएं।
  4. नियमित रूप से व्यायाम करें।
  5. तनाव में ना रहें।
  6. भरपूर आराम करें।
  7. भरपूर नींद लें।
  8. सूजन की स्थिति में नमक का कम इस्तेमाल करें
  9. शराब, धूम्रपान हो, कैफीन और शुगर युक्त पदार्थों को अवॉइड करें।
  10. ओमेगा 3 फैटी एसिड, कैल्शियम और मैग्नीशियम, विटामिन-ई, बी1, बी6 युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें।

Conclusion –

आज के आर्टिकल में हमने आपको डिसमेनोरिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डिसमेनोरिया क्या है, डिसमेनोरिया के प्रकार, डिसमेनोरिया के कारण, डिसमेनोरिया के जोखिम के कारक, डिसमेनोरिया के लक्षण, डिसमेनोरिया का परीक्षण, डिसमेनोरिया का उपचार, डिसमेनोरिया में क्या नहीं खाना चाहिए और डिसमेनोरिया में क्या खाना चाहिए, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से बहुत सारे डिसमेनोरिया के घरेलू उपाय भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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आज के आर्टिकल में हमने आपको डिसमेनोरिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डिसमेनोरिया क्या है, डिसमेनोरिया के प्रकार, डिसमेनोरिया के कारण, डिसमेनोरिया के जोखिम के कारक, डिसमेनोरिया के लक्षण, डिसमेनोरिया का परीक्षण, डिसमेनोरिया का उपचार, डिसमेनोरिया में क्या नहीं खाना चाहिए और डिसमेनोरिया में क्या खाना चाहिए, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया।
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