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मिसकैरेज क्या है? – What is Miscarriage in Hindi

मिसकैरेज क्या है?

स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग में। दोस्तो, जब महिला गर्भवती होती है तो उसकी खुशी बस वही जानती है, उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। परन्तु उसके पेट में पल रहा भ्रूण किसी कारणवश स्वतः यानि अपने आप ही नष्ट हो जाए तो यह दुख महिला को संसार का सबसे बड़ा दुख लगता है। 24 सप्ताह की गर्भावस्था से पहले ही भ्रूण के स्वतः खत्म हो जाने को मेडिकल भाषा में मिसकैरेज कहा जाता है। भ्रूण के मिसकैरेज हो जाने से यह दुख महिला को अंदर से तोड़ देता है। महिला शारीरिक और मानसिक आघात से गुजरती है और इससे उबरने में उसे बहुत समय लगता है।

मिसकैरेज होना एक सामान्य समस्या है जिसके होने के संकेत कभी-कभी पहले ही मिल जाते हैं तो कई बार महिला को मिसकैरिज होने का पता भी नहीं चलता। महिला को रक्तस्राव ना होने पर और अल्ट्रासाउंड के जरिये मिसकैरिज होने की पुष्टि हो जाती है। यदि महिला को रक्तस्राव हो रहा है तो मिसकैरिज के बारे में कोई संदेह नहीं रह जाता। आखिर यह मिसकैरिज है क्या और क्या इसका उपचार है। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “मिसकैरिज क्या है?”। 

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आपको मिसकैरिज के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसका उपचार क्या है। तो, सबसे पहले जानते हैं कि मिसकैरिज क्या है और इसके चरण के बारे में। फिर, इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।

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मिसकैरेज क्या है? – What is Miscarriage?

दोस्तो, मिसकैरेज (miscarriage) शब्द को आमतौर पर हिन्दी में गर्भपात के अर्थ में लिया जाता है। सामान्यतः गर्भपात शब्द स्त्री के गर्भ को अपनी इच्छा से या जबरदस्ती समाप्त किए जाने की ओर इशारा करता है जिसे अंग्रेजी में Abortion कहा जाता है। Abortion के लिये हर देश के अपने कानून हैं और इसके लिए विशेष चिकित्सा प्रक्रिया होती है जिसे गर्भावस्था की चिकित्सा समाप्ति (Medical Termination of Pregnancy) कहा जाता है। 

परन्तु यदि भ्रूण की 24 सप्ताह की गर्भावस्था से पहले ही किसी कारणवश स्वतः यानि अपने आप ही प्राकृतिक रूप से मृत्यु हो जाती है तो इसे स्वत: गर्भपात (Spontaneous abortion) या गर्भावस्था की विफलता (Pregnancy loss) कहा जाता है। यह एक प्राकृतिक गर्भपात है और इसी को अंग्रेजी में मिसकैरेज (miscarriage) कहा जाता है। इस गर्भपात का, Abortion वाले गर्भपात से कुछ लेना देना नहीं है और ना ही कोई संबंध। यदि किसी स्त्री को लगातार तीन या उससे अधिक बार मिसकैरेज होता है तो इसे रीकरंट मिसकैरेज (recurrent miscarriage) कहा जाएगा।

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मिसकैरेज के चरण – Stages of Miscarriage

मिसकैरेज दो चरणों में हो सकता है। विवरण निम्न प्रकार है – 

1. आरंभिक गर्भपात (Early Miscarriage) – गर्भावस्था के आरंभिक 12 हफ्तों में, भ्रूण का अपने आप नष्ट हो जाना यानि मृत्यु हो जाना, इस अवस्था को आरंभिक गर्भपात कहा जाता है। आंकड़ों के अनुसार लगभग 85 प्रतिशत मामले गर्भावस्था के 12 हफ्ते से पहले होते हैं।

2. देर से हुआ गर्भपात (Late Miscarriage) – जब भ्रूण की मृत्यु गर्भावस्था के 12 सप्ताह के बाद हो तो इसे देर से हुआ गर्भपात कहा जाता है।

मिसकैरेज के प्रकार – Types of Miscarriage

मिसकैरेज के मुख्यतः निम्नलिखित पांच प्रकार होते हैं –

1. मिस्ड मिसकैरेज (Missed Miscarriage) – मिसकैरेज के इस प्रकार में भ्रूण समाप्त भी हो जाता है और महिला को पता भी नहीं चलता क्योंकि इस में ना तो रक्तस्राव होता है और ना ही कोई लक्षण प्रकट होते हैं। इसका पता अल्ट्रासाउंड से चलता है जिसमें भ्रूण के हृदय की धड़कन नहीं मिलती। 

2. पूर्ण गर्भपात (Complete Miscarriage) – इस प्रकार के मिसकैरेज में पेट में तेज दर्द होना और अधिक रक्तस्राव जैसे लक्षण प्रकट होते हैं और गर्भाशय से भ्रूण पूरा का पूरा बाहर आ जाता है। 

3. अधूरा गर्भपात (Incomplete Abortion) – जैसा कि नाम से जाहिर है कि इसमें पूरी तरह गर्भपात नहीं होता। भ्रूण का केवल कुछ हिस्सा गर्भाशय से बाहर आता है। इसका भी पता अल्ट्रासाउंड से चलता है। इसमें भी महिला को अधिक रक्तस्राव होता है और पेट में दर्द भी। 

4. अपरिहार्य गर्भपात (Inevitable Miscarriage) – इस में महिला की गर्भाशय ग्रीवा खुल जाती है और  रक्तस्राव होने लगता है। पेट में लगातार ऐंठन होना इसका लक्षण है। गर्भाशय ग्रीवा खुलने से गर्भाशय से भ्रूण बाहर आ जाता है। इसमें पूर्ण गर्भपात की संभावना अधिक रहती है।

5. संक्रमित गर्भपात (Infected Miscarriage) – मिसकैरेज के इस प्रकार में गर्भाशय के अंदर संक्रमण होने की वजह से मिसकैरेज हो जाता है।

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मिसकैरेज होने के कारण – Cause of Miscarriage

मिसकैरेज होने के कई कारण हो सकते हैं जो निम्न प्रकार हैं –

1. गुणसूत्र में असामान्यता (Abnormality in Chromosome)- गुणसूत्र (chromosome) में असमानता, 50 प्रतिशत मामलों में मिसकैरेज होने का कारण बनता है। भ्रूण एक जोड़ी गुणसूत्र माता से और एक जोड़ी गुणसूत्र पिता से प्राप्त करता है। कोई फालतू गुणसूत्र अथवा इसका अभाव यानि गुणसूत्र में कोई भी असमानता, भ्रूण के विकसित होने से पहले ही नष्ट होने का कारण बनता है। हम यहां स्पष्ट कर दें कि 23 के जोड़े में कुल गुणसूत्र 46 होते हैं। 

22 गुणसूत्र जोड़े पुरुष और महिला में समान होते हैं, इनको समजात गुणसूत्र (Autosomes) कहा जाता है। परन्तु 23वां जोड़ा पुरुष और महिला में समान नहीं होता, इसे विषमजात गुणसूत्र (heterosomes) कहा जाता है। इसे सेक्स क्रोमोसोम के नाम से जाना जाता है। महिला में दो X अर्थात् (XX) गुणसूत्र  होते हैं तथा पुरुष में एक X और एक Y यानि (XY) गुणसूत्र होता है। जब पुरुष का X महिला के X के साथ मिलता है तो महिला भ्रूण बनता है मगर जब पुरुष का Y महिला के X के साथ मिलता है तो पुरुष भ्रूण का निर्माण होता है।

2. प्रतिरक्षा संबंधित समस्याएं (Immune Related Problems)- प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़ी समस्याएं जैसे कि ऑटो इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम, किसी प्रकार की एलर्जी या अस्थमा आदि से गर्भाशय में भ्रूण का इम्प्लांटेशन नहीं हो पाता।

3. कुछ चिकित्सकीय स्थितियां (Certain Medical Conditions) –  कुछ चिकित्सकीय स्थितियां जैसे कि थायराइड, डायबिटीज, ऑस्टियोपोरोसिस और कुशिंग सिंड्रोम आदि जिनको एंडोक्रिनोलॉजिकल डिसऑर्डर कहा जाता है, भी मिसकैरेज होने के कारण बनते हैं। 

4. अंडा या शुक्राणुओं की खराब गुणवत्ता (Poor Quality of Eggs or Sperm)- महिला के अंडे और पुरुष के शुक्राणुओं की गुणवत्ता यदि खराब है गर्भ ठहरने की संभावना कम ही रहती है। यदि महिला घर्भवती हो भी जाए तो मिसकैरेज होने का खतरा रहता है।

5. गर्भाशय की समस्या (Uterus Problem)- यदि गर्भाशय के आकार में कोई समस्या है या इससे जुड़ी कोई अन्य समस्या है तो मिसकैरेज होने की संभावना बनी रहती है।  

6. पीसीओडी या पीसीओएस की समस्या (PCOD or PCOS Problem)- गर्भाशय ठीक है मगर महिला पॉलिसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर (PCOD) या पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (OCOS) से ग्रस्त है तो भी मिसकैरेज हो सकता है। 

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मिसकैरेज होने के जोखिम कारक – Risk Factors for Miscarriage

कुछ कारक गर्भ के लिए खतरा बनते हैं जिनकी वजह से मिसकैरेज होने की संभावना रहती है। ये जोखिम कारक निम्न प्रकार हैं –

1. आयु घटक (Age Factor) – अधिक आयु में शादी होना बहुत बड़ा कारक होता है। यदि महिला की आयु 35 वर्ष है और पुरुष की आयु 40 वर्ष है तो मिसकैरेज होने की संभावना 20 वर्ष की महिला की तुलना में कहीं अधिक होती है। लगभग 20 प्रतिशत जोखिम। 40 वर्ष की आयु में 40 प्रतिशत, 45 वर्ष की आयु में 80 प्रतिशत मिसकैरेज का जोखिम रहता है।

2. बार-बार मिसकैरेज होना (Recurrent Miscarriage)- जिस महिला को दो या अधिक बार मिसकैरेज हुआ है, उसको अगली बार भी मिसकैरेज होने की संभावना रहती है। हम यहां स्पष्ट कर दें कि तीन या तीन से अधिक बार मिसकैरेज होने को रिकरेंट मिसकैरेज (recurrent miscarriage) कहा जाता है। 

3. वजन का सामान्य से कम होना या अधिक होना। हमारा तात्पर्य मोटापे से है।

4. हार्मोन में कमी/परिवर्तन। हार्मोन ही भ्रूण को पोषक तत्वों की आपूर्ति करते हैं।

5. महिला की शारीरिक कमजोरी, पोषक तत्वों का अभाव। जंकफूड का अधिक सेवन। 

6. हाई ब्लड प्रेशर।

7. संक्रमण।

8. धूम्रपान करना या तंबाकू का किसी अन्य रूप में सेवन करना।

9. शराब का अधिक सेवन।

10. ड्रग्स व अन्य नशीले पदार्थों का सेवन। 

मिसकैरेज के लक्षण – Miscarriage symptoms

मिसकैरेज के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं :-

  1. योनि से रक्तस्राव होना मुख्य लक्षण है।
  2. टिश्युज़ का बाहर आना।
  3. रक्तस्राव रक्त के थक्के दिखना।
  4. भूरे या गहरे लाल रंग का स्राव।
  5. पेट में ऐंठन और तेज दर्द 
  6. कमर कटना (दर्द)
  7. सिर दर्द, चक्कर आना।
  8. अत्याधिक कमजोरी महसूस होना।
  9. बुखार होना।
  10. वजन कम होना। 

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मिसकैरेज से होने वाली समस्याएं – Problems Caused by Miscarriage

सबसे पहले हम यहां स्पष्ट कर दें कि मिसकैरेज होने का मतलब यह नहीं है कि भविष्य में गर्भधारण करने में कोई दिक्कत आएगी। ऐसा कुछ नहीं होता बल्कि गर्भधारण करने में सामान्य रुप से कोई दिक्कत नहीं होती। हां, निम्नलिखित समस्याएं जरूर झेलनी पड़ सकती हैं –

  1. एनीमिया की समस्या यानि शरीर में रक्त की कमी।
  2. शारीरिक कमजोरी।
  3. योनि से बदबूदार स्राव।
  4. गर्भाशय में संक्रमण।
  5. पेट के निचले भाग में दर्द रहना।
  6. चक्कर आना।
  7. बालों का झड़ना।

मिसकैरेज का निदान – Miscarriage Diagnosis

मिसकैरेज की जांच के लिये डॉक्टर निम्नलिखित टेस्ट कर सकते हैं –

1. अल्ट्रासाउंड (Ultrasound)- अल्ट्रासाउंड के जरिए भ्रूण की हृदय की धड़कन और उसके विकास का पता लगाया जाता है। यदि पहली बार में पता नहीं चलता है तो अगले हफ्ते दुबारा से अल्ट्रासाउंड किया जाता है।

2. पेल्विक परीक्षण (Pelvic Exam)- इसमें टेस्ट के जरिए गर्भाशय ग्रीवा की स्थिति का यह पता लगाया जाता है कि गर्भाशय ग्रीवा कितना फैला हुआ है या कितना पतला है।

3. टिश्यू टेस्ट (Tissue Test)- इस टेस्ट के माध्यम से गर्भाशय ग्रीवा से निकलने वाले उत्तकों की जांच की जाती है इससे मिसकैरेज होने की पुष्टि हो जाती है।

4. ब्लड टेस्ट (Blood Test)- ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (HCG) और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन को प्रजनन के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इनके असामान्य स्तर होने पर गर्भधारण में समस्या हो सकती है। अतः ब्लड टेस्ट के जरिए इन हार्मोन के स्तर की जांच की जाती है। 

5. क्रोमोसोम की जांच (Chromosome Test)- यदि महिला को पहले भी मिसकैरिज हो चुका है तो ब्लड सेंपल के जरिए  महिला और पुरुष के क्रोमोसोम की जांच की जाती है क्योंकि क्रोमोसोम की असमानताएं गर्भधारण में बन सकती हैं।

मिसकैरेज से बचाव – Miscarriage Prevention 

यद्यपि मिसकैरेज को रोका नहीं जा सकता परन्तु इसकी संभावना को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं –

  1. सबसे पहले अपने शरीर को गर्भधारण के लिए हृष्ट-पुष्ट बनाएं।
  2. ऐसे पोषक तत्वों का अधिक सेवन करें जो प्रजनन क्षमता को बढ़ाएं।
  3. भरपूर नींद लें।
  4. तनाव ना लें।
  5. पूरा आराम करें।
  6. पेट की मालिश करें।
  7. रोजाना 600 आईयू विटामिन-ई का उपयोग करें।
  8. हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर या डाइबिटीज के मामले में  50 आईयू विटामिन-ई का सेवन करें।
  9. गर्भधारण के पश्चात अपने आहार में ऐसे खाद्य पदार्थों को शामिल करें जिनसे पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम, आयरन और फोलिक एसिड प्राप्त हो।
  10. अपने आहार में हरी सब्जियां, ताजा फल (पपीता और अनानास को छोड़कर), मशरूम, शेलफिश, अखरोट, दूध, दही, पनीर को शामिल करें।
  11. विशेषज्ञ की सलाह पर हल्के-फुल्के ऐसे व्यायाम, योगा करें जिनसे पेट पर दबाव ना पड़े। 
  12. संक्रमण से बचने के लिए सेक्सुअल हाइजीन की तरफ ध्यान दें। सेक्सुअल हाइजीन पर विस्तार से जानकारी के लिए हमारा पिछला आर्टिकलसेक्सुअल हाइजीन कैसे मेंटेन करें” पढ़ें।

क्या ना करें? – What not to Do?

गर्भवती महिलाओं को ऐसा क्या नहीं करना चाहिए जिससे मिसकैरेज होने का जोखिम बने। विवरण निम्नप्रकार है :-

  1. वसायुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें।
  2. पिज्जा, बर्गर जैसे जंकफूड का सेवन ना करें। 
  3. मैगी नूडल्स को बिल्कुल अवॉइड करें।
  4. कोल्डड्रिंक्स, पेस्ट्री आदि को अवॉइड करें।
  5. ग्रीन टी पीना अवॉइड करें।
  6. चाय, कॉफी का सेवन कम करें।
  7. रोजाना पुदीना की चाय, पुदीना का तेल इस्तेमाल ना करें।
  8. विटामिन-सी से भरपूर खाद्य पदार्थों का ज्यादा सेवन ना करें। 
  9. पपीता और अनानास में पपेन नमक रसायन गर्भपात का खतरा बढ़ता है इसलिए इन फलों का सेवन भूलकर भी न करें।
  10. शराब का सेवन ना करें।
  11. ड्रग्स तथा नशीली वस्तुओं का सेवन ना करें।
  12. धूम्रपान ना करें। तम्बाकू का किसी भी रूप में ना करें।

मिसकैरेज का उपचार –  Miscarriage Treatment

दोस्तो, यहां हम स्पष्ट कर दें कि यदि मिसकैरेज होने पर गर्भाशय से सभी ऊतक बाहर निकल गए हैं तो इस अवस्था में किसी भी उपचार की जरूरत नहीं होती। इस बात की पुष्टि अल्ट्रासाउंड द्वारा की जाती है कि गर्भाशय में कोई भी ऊतक शेष नहीं है, सब साफ़ है। परन्तु यदि गर्भाशय में कोई ऊतक बचे रह जाते हैं तो उपचार की जरूरत पड़ती है। इस अवस्था में दवाओं और सर्जिकल प्रोसिजर के जरिये उपचार किया जाता है। विवरण निम्न प्रकार है –

1. दवाएं (Medicines)- ऊतकों और प्लेसेंटा को गर्भाशय से बाहर निकालने के लिये खाने के लिये कुछ दवाएं दी जाती हैं और कुछ गोलियां योनि में डाल दी जाती हैं। इन दवाओं के जरिए 24 घंटे के अंदर प्लेसेंटा और बचे हुए ऊतक गर्भाशय से बाहर आ जाते हैं। प्लेसेंटा गर्भावस्था के दौरान बनने वाला अस्थाई अंग होता है जो गर्भावस्था तक ही रहता है।

2. सर्जिकल प्रोसिजर (Surgical Procedure)- यदि महिला को बहुत ज्यादा रक्तस्राव हो रहा है या गर्भाशय में संक्रमण है तो उस स्थिति में सर्जिकल प्रोसिजर विधि अपनाई जाती है। इस विधि में गर्भाशय ग्रीवा को फैलाकर ऊतकों को गर्भाशय से बाहर निकाला जाता है। संक्रमण के लक्षण ना मिलने पर महिला को तीन से चार हफ्तों का समय दिया जाता है ताकि मिसकैरेज की पुष्टि की जा सके। भ्रूण के खराब हो जाने की पुष्टि हो जाने पर स्थिति के अनुसार दवाओं या सर्जिकल प्रोसिजर द्वारा ऊतकों को बाहर निकाल कर गर्भाशय को साफ़ किया जाता है। 

Conclusion – 

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको मिसकैरेज के बारे में विस्तार से जानकारी दी। मिसकैरेज क्या है?, मिसकैरेज के चरण, मिसकैरेज के प्रकार, मिसकैरेज होने के कारण, मिसकैरेज होने के जोखिम कारक, मिसकैरेज के लक्षण, मिसकैरेज से होने वाली समस्याएं, मिसकैरेज का निदान, मिसकैरेज से बचाव और क्या ना करें, इन सब के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से मिसकैरेज के उपचार भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको मिसकैरेज के बारे में विस्तार से जानकारी दी। मिसकैरेज क्या है?, मिसकैरेज के चरण, मिसकैरेज के प्रकार, मिसकैरेज होने के कारण, मिसकैरेज होने के जोखिम कारक, मिसकैरेज के लक्षण, मिसकैरेज से होने वाली समस्याएं, मिसकैरेज का निदान, मिसकैरेज से बचाव और क्या ना करें, इन सब के बारे में विस्तार पूर्वक बताया।
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