स्वागत है हमारे ब्लॉग में। दोस्तो, ऐसा भी होता है कि हाथ, पैरों में सूजन आ जाती है या चेहरा भी सूज जाता है। अक्सर गर्भवती महिला के पैरों में सूजन आ जाती है। और यह भी सुना होगा कि आंतों पर सूजन या लिवर पर सूजन आ गई या गर्भाशय पर सूजन आ गई। ये सूजन है क्या? ये कोई बीमारी नहीं है बल्कि लक्षण है किसी विशेष बीमारी का जिसका पता टेस्ट के द्वारा चलता है कि सूजन आने का यह विशेष रोग कारण है।
दोस्तो, मेडिकल भाषा में इस सूजन को एडिमा (Edema) कहा जाता है जो कि शरीर के अंदर के किसी अंग पर या शरीर के बाहर हो सकती है। एडिमा की मुख्य वजह ऊतकों का द्रव में फंस जाना होती है। यह द्रव छोटी रक्त वाहिकाओं से रिसता है। शरीर के अंदर या बाहर जिस हिस्से में सूजन है उसी के अनुसार एडिमा के प्रकार को वर्गीकृत किया गया है। आखिर यह एडिमा है क्या दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “एडिमा क्या है?”
देसी हैल्थ क्लब इस लेख के माध्यम से आपको एडिमा के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसका उपचार क्या है। तो, सबसे पहले जानते हैं कि एडिमा क्या है और एडिमा के प्रकार। फिर, इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।
एडिमा क्या है? – What is Edema
दोस्तो, शरीर के आंतरिक और बाह्य अंगों में होने वाली सूजन को मेडिकल भाषा में एडिमा (Edema) कहा जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें सूक्ष्म रक्त वाहिकाओं (minute blood vessels) अर्थात् कैपिलरीज (capillaries) से किसी भी द्रव के रिसाव में शरीर के ऊतक फंस जाते हैं। परिणाम स्वरूप शरीर के आंतरिक और बाहरी हिस्सों में सूजन आ जाती है। यह सूजन अधिकतर पैरों, टखनों और टांगों में होती है परन्तु पेट, हाथ और चेहरे पर भी सूजन आ सकती है।
देसी हैल्थ क्लब यहां स्पष्ट करता है कि एडिमा कोई रोग नहीं है बल्कि कुछ चिकित्सकीय स्थितियों का लक्षण है जैसे कि हार्ट फेलियर, लिवर सिरोसिस, त्वचा में संक्रमण, किडनी डिसऑर्डर आदि। एडिमा की स्थिति, चोट लगने, ज्यादा नमक खाने से, सनबर्न से तथा कुछ दवाओं की प्रतिक्रिया स्वरूप हो सकती है। अधिकतर 60 वर्ष से अधिक व्यक्तियों या गर्भवती महिलाओं को एडिमा की समस्या होती है।
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एडिमा के प्रकार – Types of Edema
मूलतः एडिमा के प्रकार, शरीर के अंग विशेष के प्रभावित होने के आधार पर बताए गए हैं। इनका विवरण निम्न प्रकार है –
1. पेरिफेरल एडिमा (Peripheral Edema) – इस प्रकार का एडिमा शरीर के निचले अंगों जैसे टांगों, पैरों और टखनों को प्रभावित करता है, परन्तु कभी-कभी इससे बांहें भी प्रभावित हो जाती हैं। लिवर फेल्योर, हार्ट फेल्योर, लिम्फ नोड्स की समस्या तथा कुछ दवाओं के रीएक्शन इस एडिमा की वजह होती हैं।
2. पीडल एडिमा (Pedal Edema) – एडिमा के इस प्रकार को पैरों में सूजन के नाम से भी जाना जाता है। यह पैरों के पंजों में, तलवों में और पैर के आसपास द्रव जमा हो जाने के कारण होता है। इस प्रकार का एडिमा अक्सर गर्भवती महिलाओं को और वृद्ध व्यक्तियों को होता है। इसमें पैरों में सुन्नत भी आ जाती है जिससे चलना, फिरना बेहद कठिन हो जाता है।
3. लिंफेडिमा (Lymphedema) – जैसा कि नाम से विदित है कि यह लिम्फ नोड्स की हानि की वजह से होता है। इसमें बाहों और पैरों में सूजन रहती है। यह स्थिति उन ऊतकों के हानि हो जाने की वजह से भी हो सकती है जो ऊतक बैक्टीरिया और खराब पदार्थों को छानने का काम करते हैं। कैंसर के उपचार में उपयोग में लाई गई रेडिएशन थैरेपी या सर्जरी या कोई चोट इन ऊतकों की क्षति का कारण हो सकती हैं।
4. पलमॉनेरी एडिमा (Pulmonary Edema) – यह एडिमा फेफड़ों में हवा की थैलियों में द्रव भरने के कारण होता है जो श्वास तंत्र को फेल करने की वजह बन सकता है। इसमें सांस लेने में दिक्कत होना, घुटन महसूस करना, मुंह से झागदार थूक आना, थूक में रक्त आना, हृदय की असामान्य धड़कन आदि लक्षण हो सकते हैं।
5. प्रमस्तिष्क एडिमा (Cerebral Edema) – मस्तिष्क में बहुत अधिक मात्रा में द्रव जमा हो जाने के कारण मस्तिष्क में सूजन आ जाती है। यह एक अत्याधिक गंभीर स्थिति है। सिर में गंभीर चोट लगना, ब्रेन ट्यूमर, एलर्जिक रिएक्शन, मस्तिष्क की शिराओं का फट जाना या इनका ब्लॉक हो जाना आदि इस प्रमस्तिष्क एडिमा की कारण बनते हैं।
6. मैक्यूलर एडिमा (Macular Edema) – इस प्रकार के एडिमा में आंख के आंतरिक भाग में सूजन हो जाती है। इसकी वजह होता है रेटिना में मौजूद रक्त वाहिकाओं में द्रव का जमा हो जाना।
7. एंजियोडीमा (Angioedema) – यह वस्तुतः त्वचाविज्ञान की स्थिति है। एडिमा के इस प्रकार में सूजन, त्वचा की बाह्य सतह की अपेक्षा आंतरिक सतह पर होती है। कोई एलर्जी का प्रभाव या दवाओं का रीएक्शन इसका कारण बनते हैं।
एडिमा के कारण – Cause of Edema
हमने ऊपर बताया है कि कुछ बीमारियों, कुछ स्थितियों और कुछ दवाओं की प्रतिक्रिया स्वरूप एडिमा का जन्म होता है। यदि इन सब पर विचार किया जाए तो एडिमा के निम्नलिखित कारण निकल कर आते हैं :-
- शरीर पर चोट लगना।
- मस्तिष्क पर चोट लगना।
- ब्रेन ट्यूमर।
- ब्रेन एन्यूरिज्म
- लिवर सिरोसिस
- किडनी की समस्या।
- हार्ट फेलियोर
- कैंसर
- कीमोथेरेपी
- रक्त संचार में कमी
- एनाफिलेक्सिस
- वेनस इंसफिशिएंसी
- सनबर्न
- त्वचा में संक्रमण
- संक्रमण
- ब्लड ब्लड क्लॉट
- गर्भावस्था
- हार्मोन में परिवर्तन
- वृद्धावस्था
- जहरीले कीड़े द्वारा काटे जाना।
- मोटापा
- डाइबाटीज
- नमक का अधिक सेवन करना
- गर्मी के मौसम में ज्यादा देर तक खड़े रहना अथवा चलते रहना।
- एंटीडिप्रेसेंट्स, ब्लड प्रेशर की दवाओं की प्रतिक्रिया तथा गर्भ निरोधक दवाओं में एस्ट्रोजन की उपस्थिति।
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एडिमा के लक्षण – Symptoms of Edema
एडिमा के निम्नलिखित लक्षण स्पष्ट दिखाई देते हैं –
- त्वचा या मांसपेशियों का बढ़ा हुआ आकार दिखाई देना इसका मुख्य लक्षण है।
- त्वचा को दबाने पर गड्ढा बनना।
- त्वचा में खिंचाव पड़ना और अकड़न।
- पेट फूलना।
- मितली, उल्टी आना।
- आंतरिक अंगों, मांसपेशी या हड्डी के आकार बढ़ जाना जिसे इमेजिंग स्कैन के जरिए स्पष्ट देखा जा सकता है।
- नींद की समस्या
- प्रभावित स्थान पर दर्द भी महसूस हो सकता है।
- प्लस रेट का बढ़ जाना।
- सांस लेने में दिक्कत होना या खांसी होना।
- छाती में दर्द होना।
- हाथ व गर्दन की नसों का फूल जाना।
- वजन का कम हो जाना या बढ़ जाना।
- त्वचा में खुजली होना।
एडिमा की गंभीरता – Severity of Edema
एडिमा की गंभीरता जानने के लिए इसको मापना जरूरी होता है। इसके लिए प्रयुक्त किए जाने वाले पैमाने को एडिमा ग्रेडिंग कहा जाता है। इसके उपयोग से यह पता चल जाता है कि ऊतकों में कितना द्रव जमा है। डॉक्टर कुछ सेकंड के लिए आपकी प्रभावित त्वचा को दबाते हैं और छोड़ने पर एक गड्ढा बनता है। यह गड्ढा इस बात का संकेत देता है कि ऊतकों में अतिरिक्त द्रव जमा है।
एडिमा ग्रेडिंग स्केल गड्ढे की गहराई को मापता है और यह भी बताता है कि गड्ढे को सामान्य होने में कितना समय लगता है। इसे पिटिंग टेस्ट कहते हैं। गड्ढा कितनी जल्दी सामान्य हो जाता है। एडिमा ग्रेडिंग को चार निम्नलिखित चरण होते हैं
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1. ग्रेड 1 (Grade 1)- प्रभावित त्वचा को एक बार दबाने के बाद, 2 मिलीमीटर की गहराई का गड्ढा तुरंत भर जाता है। यह सबसे कम गंभीर प्रकार का एडिमा होता है।
2. ग्रेड 2 (Grade 2)- ग्रेड 2 का अर्थ है कि त्वचा को दबाने से तीन से चार मिलीमीटर की गहराई का गड्ढा बनता है और इसे भरने में 15 सेकंड लगते हैं।
3. ग्रेड 3 (Grade 3)- इसमें गड्ढा 5 से 6 मिलीमीटर की गहराई का बनता है।
4. ग्रेड 4 (Grade 4)- यह गंभीर प्रकार की एडिमा माना जाता है। इसमें 8 मिलीमीटर की गहराई का गड्ढा बनता है जिसे भरने में 2 से 3 मिनट का समय लगता है।
एडिमा की जटिलताएं – Complications of Edema
दोस्तो, एडिमा यानि सूजन बिना इलाज के ही छोड़ दिया जाये तो भविष्य में निम्नलिखित समस्याएं बन सकती हैं –
- सूजन बढ़ती ही रहेगी और कष्टकारी रहेगी।
- चलने फिरने में दिक्कत होगी।
- त्वचा में अकड़न।
- खुजली बन सकती है।
- ऊतकों की परतों के बीच निशान बन सकते हैं।
- त्वचा में संक्रमण होने की संभावना बन सकती है।
- त्वचा के अल्सर का जोखिम बढ़ सकता है।
- ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित हो सकता है।
एडिमा का निदान – Diagnosis of Edema
एडिमा के निदान के लिए यह जानना जरूरी होता है कि एडिमा की वजह क्या है। इसके लिए डॉक्टर सबसे पहले शारीरिक परीक्षण करते हैं, फिर कुछ टेस्ट की सिफारिश कर सकते हैं। विवरण निम्न प्रकार है –
1. शारीरिक परीक्षण (Physical Examination)- शारीरिक परीक्षण में डॉक्टर मरीज की पिछली बीमारियों और उनके उपचार के लिए ली गई दवाओं की जानकारी लेते हैं, वजन माप सकते हैं तथा पिटिंग टेस्ट कर सकते हैं। इसका विवरण हम ऊपर दे चुके हैं।
2. एल्बुमिन ब्लड टेस्ट (Albumin Blood Test)- ब्लड में एल्बुमिन नामक प्रोटीन का स्तर मापने के लिए यह टेस्ट किया जाता है। एल्बुमिन शरीर में द्रव संतुलन बनाए रखने, सेल के विकास और ऊतकों की मरम्मत में योगदान के लिए जिम्मेदार होता है।
3. ब्लड इलेक्ट्रोलाइट लेवल (Blood Electrolyte Level)- इस टेस्ट के जरिए शरीर में सोडियम, क्लोरीन, पोटेशियम और कार्बन डाईऑक्साइड जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स के स्तर का पता लगाया जाता है। डायरिया, उल्टी, शुगर, हृदय रोगहार्ट की नसों की क्षति, मांसपेशियों में किसी प्रकार की समस्या, क्रोनिक किडनी की समस्या आदि कई अन्य बीमारियों में यह टेस्ट कराया जाता है।
4. इकोकार्डियोग्राफी (Echocardiography)- इकोकार्डियोग्राम हृदय के चित्र तैयार करने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है जो हृदय की धड़कन और हृदय द्वारा रक्त पंप करने दृश्य बनाने में मदद करता है।
5. इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram)- यह टेस्ट हृदय की लय का पता लगाने के लिए किया जाता है।
6. किडनी फंक्शन टेस्ट (Kidney Function Test)- यह टेस्ट किडनी की कार्य क्षमता को जानने के लिए किया जाता है कि ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट (GFR) क्या है यानि कि किडनी कितनी अच्छी तरह से ब्लड को छान रही है।
7. लिवर फंक्शन टेस्ट (Liver Function Test)- इस टेस्ट के द्वारा ब्लड में बिलीरुबिन, प्रोटीन और लिवर एंजाइम के स्तर को माप कर लिवर की कार्य प्रणाली की क्षमता का पता लगाया जाता है।
8. मूत्र-विश्लेषण (Urine Analysis)- इसे यूरिन टेस्ट के नाम से जाना जाता है। इससे मूत्र पथ में संक्रमण, किडनी की पथरी, किडनी की समस्या, मांसपेशियों का टूटना आदि के बारे में जानकारी मिल जाती है।
9. एक्स-रे (X-Ray)- एक्स-रे के जरिए शरीर के प्रभावित अंग की हड्डियों और कोमल ऊतकों के चित्र मिल जाते हैं।
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एडिमा में क्या खाना चाहिए? – What to Eat in Edema?
एडिमा की स्थिति में ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जो इसको कम करने में मदद करें। निम्नलिखित खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें –
- हरे पत्तेदार सब्जियां,
- समुद्री सब्जियां
- चुकंदर
- लहसुन
- हरी प्याज
- टमाटर
- अनानास
- अंगूर
- ब्लूबेरी
- चेरी
- जैतून के तेल, खाना बनाने के लिए
- लीन मीट
एडिमा में क्या नहीं खाना चाहिए? – What Should not be Eaten in Edema?
एडिमा में निम्नलिखित खाद्य पदार्थों को अवॉइड करें –
- डेयरी उत्पाद जैसे कि पनीर, दूध और आइसक्रीम
- सोया, मक्का
- प्रिजर्वेटिव तथा एडिटिव्ज़ खाद्य पदार्थ
- पास्ता, सफेद ब्रेड और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ
- कुकीज़, क्रैकर्स, केक, फ्रेंच फ्राइज़ और मार्जरीन
- चीनी का अधिक उपयोग
- नमक का अधिक उपयोग
- शराब, ड्रग्स, नशीले पदार्थ
- तंबाकू का किसी भी रूप में सेवन
एडिमा से बचाव – Prevention of Edema
कुछ निम्नलिखित उपाय अपनाकर सूजन को कम किया जा सकता है और एडिमा से बचाव किया जा सकता है –
- यदि सूजन है तो पैरों का व्यायाम करें।
- पैर लटका कर ना बैठें।
- लेटने से पहले पैरों के नीचे तकिया लगाएं ताकि पैर आपके हृदय से ऊपर रहें।
- नमक का सेवन कम करें ताकि द्रव ना जमे।
- चीनी का सेवन कम करें।
- जंक फूड और बाहर के खाने को अवॉइड करें।
- अपने वजन को कंट्रोल करें।
- लंबे सफ़र पर अधिक देर बैठे ना रहें। बीच-बीच में रुक कर टहलते रहें।
- आरामदायक जुराब पहनें। ये अधिक टाइट नहीं होने चाहिएं।
- अंडरवीयर और पेन्ट अधिक टाइट नहीं होने चाहिएं।
एडिमा का उपचार – Treatment of Edema
दोस्तो, हल्की फुल्की सूजन में दवा की जरूरत नहीं पड़ती, कुछ दिनों में यह अपने आप ठीक हो जाती है। गंभीर एडिमा में उपचार की जरूरत पड़ती है।
(A) डॉक्टरी इलाज – Medical Treatment
गंभीर एडिमा में लक्षणों को समझ कर और इसके कारणों को जानकर उस विशेष बीमारी का उपचार किया जाता है उदाहरण के लिए –
(i) यदि सूजन ट्यूमर की वजह से है तो सर्जरी की जा सकती है या कीमोथेरेपी/रेडिएशन थेरेपी की मदद ली जा सकती है।
(ii) चकत्ते या पित्ती की वजह से आदि से होने वाली सूजन के लिए एंटिहिस्टामिन (antihistamines) ली जा सकती दवाएं हैं, इसके लिए डॉक्टर की पर्ची की जरूरत नहीं होती।
(iii) किसी विशेष दवा के रीएक्शन से होने वाले एडिमा के लिए डॉक्टर विकल्प स्वरूप कोई अन्य दवा लिख सकते हैं जो सूजन पैदा ना करे।
(iv) इसके अतिरिक्त डॉक्टर ड्यूरेटिक दवाएं लिख सकते हैं। ये दवाएं सोडियम को शरीर से बहार निकालने मदद करती हैं। इन दवाओं में ब्यूटामाइन और फ्यूरोसेमाइड आदि सम्मलित होती हैं।
(v) एंटीकोगुलेशन थेरेपी – डॉक्टर एंटीकोगुलेशन थेरेपी की सलाह दे सकते हैं। इस थेरेपी का उपयोग रक्त के थक्का जमने से रोकने के लिए किया जाता है।
(vi) ऑक्सीजन थेरेपी – डॉक्टर एडिमा के इलाज के लिए ऑक्सीजन थेरेपी की भी सलाह दे सकते हैं। इस थेरेपी से शरीर के सभी अंगों में पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचने में मदद होती है।
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(B) घरेलू उपचार – Home Remedies
हम बता रहे हैं कुछ निम्नलिखित घरेलू उपाय जिनके जरिए एडिमा से राहत पाई जा सकती है। संक्षेप में विवरण निम्न प्रकार है। विस्तार से विवरण हम अगले आर्टिकल में देंगे –
(i) गर्म पानी से सिंकाई (Hot Water Irrigation)- पानी गर्म करके, इसमें तौलिया भिगोकर, निचोड़कर, प्रभावित क्षेत्र पर थोड़ी देर रखें। फिर भिगोएं और फिर से रखें। यह प्रक्रिया दोहराते रहें।
(ii) सेंधा नमक (Rock Salt)- पानी गर्म करके इसमें थोड़ा सा सेंधा नमक और फिटकरी मिला कर, इस पानी में प्रभावित अंग को डुबोकर रखें। यदि यह संभव ना हो तो, इसमें तौलिया भिगोकर, निचोड़कर, प्रभावित क्षेत्र पर रख कर सिंकाई करें।
(iii) ठंडी सिंकाई (Cold Fomentation)– तौलिया में बर्फ़ के टुकड़े भरकर प्रभावित क्षेत्र पर रख कर सिंकाई करें। बाजार में आइसपैड भी मिल जाते हैं इनको ठंडा करने के लिए फ्रीजर में रखा जाता है।
(iv) ग्रीन टी (Green Tea)- दिन में दो, तीन कप ग्रीन टी पीएं, इससे भी सूजन में आराम लग जाता है। एक कप ग्रीन टी में आप आधा चम्मच शहद भी मिला सकते हैं।
(v) अदरक की चाय (Ginger Tea)- अदरक के छोटे टुकड़े को अच्छी तरह छेत कर डेढ कप पानी में तब तक उबालें जब तक पानी एक कप रह जाए। इसे छानकर थोड़ा ठंडा करके पीएं। सूजन उतर जाएगी। इसमें आधा चम्मच शहद भी डाला जा सकता है।
(vi) मालिश (Massage)- 30 मिलीलीटर जैतून के तेल में 5-6 बूंद ऑरेगेनो ऑयल मिलाकर सूजन वाले हिस्से की मालिश करें। मालिश के लिए अरंडी का तेल, टी ट्री ऑयल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। सरसों के तेल को गुनगुना करके सूजन वाली जगह पर मालिश करने से सूजन में आराम आ जाता है।
(vii) हल्दी (Turmeric)- रात को एक गिलास गुनगुने दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर पीएं, दिन में हल्दी पाउडर में थोड़ा सा पानी मिलाकर पेस्ट बनाएं और सूजन वाली जगह पर लगाएं।
(viii) अनानास का जूस (Pineapple Juice)- दिन में दो या तीन बार अनानास का जूस निकाल कर पीएं। इससे सूजन के साथ-साथ रक्त के थक्के जमने की समस्या भी खत्म हो जाएगी।
(ix) अलसी के बीज (Flax Seeds)- एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच अलसी के बीज का पाउडर अच्छी तरह मिलाकर पीएं। इसे दिन में दो बार पी सकते हैं। अलसी के बीज का पाउडर ना मिलने पर अलसी के तेल की तीन, चार बूंदें गर्म पानी में डाल सकते हैं।
(x) धनिया के बीज (Coriander Seeds)- एक कप पानी में दो चम्मच धनिया के बीज डालकर उबालें। जब यह पानी आधा कप रह जाए तो छानकर पी लें। इसे दिन में दो बार पी सकते हैं।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको एडिमा के बारे में विस्तार से जानकारी दी। एडिमा क्या है?, एडिमा के प्रकार, एडिमा के कारण, एडिमा के लक्षण, एडिमा की गंभीरता, एडिमा की जटिलताएं, एडिमा का निदान, एडिमा में क्या खाना चाहिए, एडिमा में क्या नहीं खाना चाहिए और एडिमा से बचाव, इन सब के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से एडिमा के बहुत सारे डॉक्टरी तथा घरेलू उपचार भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
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