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ऑस्टियोपोरोसिस क्या है? – What is Osteoporosis in Hindi

ऑस्टियोपोरोसिस क्या है?

दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। आज हम आपको एक ऐसी बीमारी के बारे में बतायेंगे जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हृदय रोग के बाद वैश्विक स्वास्थ्य समस्या के रूप में, दूसरे नंबर पर आती है। इस रोग का नाम है “ऑस्टियोपोरोसिस” (Osteoporosis) जो सीधे तौर पर हड्डी से संबंधित है और विश्व की एक आम समस्या है। इसका नाम भी बहुत कम लोगों ने सुना होगा। आखिर यह ऑस्टियोपोरोसिस है क्या और इससे बचने के क्या उपाय हैं। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “ऑस्टियोपोरोसिस क्या है?”। 

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको पहले ऑस्टियोपोरोसिस के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि इससे बचने के क्या घरेलू उपाय हैं। तो, सबसे पहले जानते हैं कि ऑस्टियोपोरोसिस क्या है और यह कितने प्रकार का होता है। फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।

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ऑस्टियोपोरोसिस क्या है?
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ऑस्टियोपोरोसिस क्या है? – What is Osteoporosis?

दोस्तो, ऑस्टियोपोरोसिस एक अस्थि (हड्डी) रोग है जिसमें हड्डियां अपना घनत्व खो देती हैं और इतनी कमजोर हो जाती हैं कि हल्का सा झटका लगने पर पर हल्की सी चोट लगने पर प्रभावित हड्डी टूट जाती है। यह झटके या चोट को सहन नहीं कर पाती। ये फ्रैक्चर्स सामान्य गतिविधियों में कहीं भी हो सकते हैं परन्तु अधिकतर कूल्हे, कलाई या रीढ़ की हड्डी में होते हैं। इस स्थिति में हड्डियों में छिद्र होने लगते हैं जिनको माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है। इसीलिये इसे छिद्रयुक्त हड्डी (Porosis bone) यानि “ऑस्टियोपोरोसिस” कहा जाता है। 

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यह स्थिति हड्डी का घनत्व अर्थात् अस्थि खनिज घनत्व (Bone Mineral Density) कम हो जाने पर उत्पन्न होती है। यह रोग महिला या पुरुष किसी को भी हो सकता है परन्तु इससे एशियाई महिलाएं जिनकी रजोनिवृति हो चुकी है, अधिक पीड़ित हैं। आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका में 5.4 करोड़ लोग और भारत में हर तीन में एक महिला और हर आठ में से एक पुरुष, इस रोग के शिकार हैं। 50 वर्ष और उससे अधिक व्यक्तियों को इस बारे में डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिये।

ऑस्टियोपोरोसिस के प्रकार – Types of Osteoporosis

दोस्तो, ऑस्टियोपोरोसिस मुख्यतः चार प्रकार का होता है। विवरण निम्न प्रकार है –

1. प्राइमरी ऑस्टियोपोरोसिस (Primary Osteoporosis)- यह आम प्रकार का ऑस्टियोपोरोसिस है जिसका संबंध उम्र बढ़ने से है। पुरुषों में लगभग 45 से 50 वर्ष की आयु के बाद और महिलाओं में मासिक धर्म बंद होने के बाद हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। 

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2. सेकेंडरी ऑस्टियोपोरोसिस (Secondary Osteoporosis)- ऑस्टियोपोरोसिस के इस प्रकार में कुछ मेडिकल स्थितियों के कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं जैसे कि हाइपरपेरायरायडिज्म, हाइपरथायरायडिज्म या ल्युकेमिआ आदि। इसके अतिरिक्त हड्डियों को कमजोर बनाने वाली दवाएं जैसे उच्च खुराक वाली कॉर्टिकोस्टेरॉइड का सेवन छः माह से अधिक करने पर, थायराइड प्रतिस्थापन (Replacement) या ब्रेस्ट कैंसर के उपचार में ली जाने वाली दवाओं की अधिक मात्रा, इस ऑस्टियोपोरोसिस के लिये जिम्मेदार होती हैं। यह किसी भी उम्र में हो सकता है।

3. ओस्टियोजेनेसिस इम्परफेक्टा (Osteogenesis Imperfecta)- यह जन्म से उत्पन्न होने वाला ऑस्टियोपोरोसिस का, दुर्लभ प्रकार है जो बिना किसी  स्पष्ट कारण के हड्डियां टूटने का कारण बनता है। इसकी वजह से बच्चों में बार बार फ्रैक्चर होते रहते हैं।

4.  इडियोपैथिक जुवेनाइल ऑस्टियोपोरोसिस (Idiopathic Juvenile Osteoporosis)- यह भी ऑस्टियोपोरोसिस का एक दुर्लभ प्रकार है जिसमें 8 से 14 वर्ष की उम्र के बच्चे प्रभावित होते है। इसका भी कारण स्पष्ट नहीं है। इस प्रकार के ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियों का निर्माण बहुत कम होता है या हड्डियां बहुत ज्यादा कमजोर होती हैं और फ्रैक्चर का जोखिम अधिक होता है।

ऑस्टियोपोरोसिस के चरण – Stages of Osteoporosis 

ऑस्टियोपोरोसिस को निम्नलिखित चार चरणों में विभाजित किया जा सकता है –

1. पहला चरण (First Stage)- यह ऑस्टियोपोरोसिस का आरंभिक चरण 30 वर्ष की आयु में शुरु हो सकता है। इसमें हड्डियों की क्षति और नयी हड्डियों का निर्माण की दर एक ही रहती है। इसके ऐसे लक्षण या समस्याएं नजर नहीं आते हैं जिन पर ध्यान दिया जाये।

2. दूसरा चरण (Second Stage) – इसकी शुरूआत लगभग 35 वर्ष की उम्र के बाद होती है। इसमें पुरानी हड्डियों के टूटने की दर नई हड्डियों के निर्माण से अधिक होती है। ऐसा पुरानी और नई हड्डियों में असंतुलन से होता है और इस चरण में ध्यान देने लायक लक्षणों को पहचानना बहुत कठिन होता है। 

3. तीसरा चरण (Third Step)- इस चरण में 45 से 55 वर्ष की आयु के व्यक्ति ऑस्टियोपोरोसिस का शिकार होते हैं। इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं और इनका निदान भी होता है। इसमें हड्डियां कमजोर पड़ जाती हैं और टूटने लगती हैं।

4. चौथा चरण (Fourth Stage)- ऑस्टियोपोरोसिस का यह गंभीर स्थिति होती है। इसमें विकलांग होना और रीढ़ की हड्डी में विकृति आ जाना आम समस्या है। इस चरण में हड्डियों में अधिक फ्रैक्चर होते हैं।

ऑस्टियोपोरोसिस के कारण – Cause of Osteoporosis

ऑस्टियोपोरोसिस होने के हो सकते हैं निम्नलिखित कारण :-

1. अस्थि खनिज घनत्व (Bone Mineral Density) कम हो जाना। हड्डियों के स्वास्थ के लिये आवश्यक कैल्शियम, विटामिन-डी, फॉस्फेट, पोटेशियम, मैग्नीशियम आदि तत्वों की कमी।

2. नई हड्डियों के निर्माण और पुरानी हड्डियों के पुनर्जीवन के बीच असंतुलन हो जाना।

3. पारिवारिक इतिहास। माता-पिता में हिप फ्रैक्चर का इतिहास और कुछ दवाओं का लंबे समय तक उपयोग का प्रभाव।

4. लंबे समय तक कोर्टिकॉस्टिरॉइड का हाई डोज लेना।

5. विशेष मेडिकल स्थितियां जैसे हाइपरपेरायरायडिज्म, हाइपरथायरायडिज्म या ल्युकेमिआ, सूजन, हार्मोन से संबंधित स्थितियां आदि।

6. थायराइड प्रतिस्थापन (Replacement) या ब्रेस्ट कैंसर के उपचार में ली जाने वाली दवाएं।

7. बढ़ती उम्र पुरुषों में लगभग 45 से 50 वर्ष की आयु के बाद और महिलाओं में मासिक धर्म बंद होने के बाद यह समस्या हो सकती है।  । 

8. रजोनिवृति के बाद हार्मोन में बदलाव।

9. धूम्रपान करना।

10. अधिक मात्रा में शराब का सेवन करना।

ये भी पढ़े- एवैस्कुलर नेक्रोसिस क्या है?

ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण – Symptoms of Osteoporosis

जैसा कि हमने ऊपर ऊपर बताया कि ऑस्टियोपोरोसिस के पहले और दूसरे चरण में इस रोग के लक्षण नजर नहीं आते हैं। तीसरे और चौथे चरण में इसके निम्नलिखित लक्षण नोटिस किये जा सकते हैं –

1. फ्रैक्चर होते रहना (Continue to Fracture)- हल्की सी चोट लगने पर हड्डी का टूट जाना। यहां तक कमजोर हड्डी होने के कारण जोर से छींकने या खांसने पर भी फ्रैक्चर हो जाते हैं। अक्सर हिप, कलाई या स्पाइनल वर्टिब्रा (Vertebrae) की हड्डियों में फ्रैक्चर आते हैं।

2. रीढ़ की हड्डी का संकुचन (Spinal Vertebrae) – रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर आने से पॉश्चर में बदलाव आ जाता है। इसमें रीढ़ की हड्डी टेढ़ी तक हो जाती है जोकि आपकी लंबाई को प्रभावित करती है। आपके कपड़े भी फिट नहीं आ पाते।

3. पीठ में झुकाव (Lean Back)- रीढ़ की हड्डी के संकुचन की वजह से पीठ के ऊपर के हिस्से में झुकाव आ जाता है। देखने में ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे कूबड़ निकला हो।

4. पीठ और गर्दन में दर्द (Back and Neck Pain)- रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर आ जाने से और पीठ में झुकाव के कारण पीठ और गर्दन में हल्का या गंभीर दर्द उत्पन्न हो सकता है।

5. सांस लेने में दिक्कत (Breathing Problem)- रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर आ जाने से और पीठ में झुकाव के कारण वायुमार्ग पर अतिरिक्त दबाव पड़ने लगता है जो फेफड़ों के विस्तार को प्रभावित करता है। परिणामस्वरूप सांस लेने में दिक्कत होती है।

6. मसूड़ों का ढीला हो जाना (Loosening of Gums)- ऑस्टियोपोरोसिस का प्रभाव जबड़ों पर भी पड़ता है। जबड़ों की हड्डी की घनिष्टता कम हो जाने पर रही है मसूड़े ढीले पड़ जाते हैं और दांतों पर अपनी पकड़ को छोड़ देते हैं। 

7. पकड़ने की क्षमता कम होना (Loss of Grip)- ऑस्टियोपोरोसिस का सीधा प्रभाव हाथों की पकड़ने की क्षमता पर पड़ता है। इस रोग में हाथों की पकड़ने की क्षमता में कमी आने लगती है। यह कमजोर हड्डियों का सबसे बड़ा लक्षण है।

ऑस्टियोपोरोसिस का परीक्षण – Test of Osteoporosis

डॉक्टर सबसे पहले मरीज की मेडिकल हिस्ट्री और उसके परिवार की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानकारी लेते हैं, फिर मरीज का कद मापते हैं क्योंकि ऑस्टियोपोरोसिस में रीढ़ की हड्डी के संकुचन का प्रभाव लंबाई पर पड़ता है। डॉक्टर को ऑस्टियोपोरोसिस की शंका होने पर निम्नलिखित टेस्ट करवा सकते हैं –

1. बोन मिनरल डेंसिटी स्कैन (BMD) – यह टेस्ट एक्स-रे के द्वारा किया जाता है जिसे ड्युल-एनर्जी-एक्स-रे एब्सोरपिटिओमर्टी (dual-energy X-ray absorptiometry – DEXA)) कहा जाता है। यह टेस्ट दो तरह की डिवाइस से किया जाता है- एक सेंट्रल डिवाइस जो यह स्कैन अस्पताल में किया जाता है और यह कूल्हे और रीढ़ की हड्डी में घनत्व को मापता है, दूसरे पेरिफेरियल डिवाइस के जरिये जो कि एक मोबाइल मशीन होती है, इससे कलाई, ऐड़ी या उंगलियों की हड्डियों की जांच होती है।

2. क्वांटिटेटिव कंप्यूटेड टोमोग्राफी (Quantitative Computed Tomography) – इस तकनीक में एक सामान्य एक्स-रे कम्प्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) स्कैनर का उपयोग करते हुए हड्डी के घनत्व को मापा जाता है।

3. अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) – अल्ट्रासाउंड के जरिये पैर की एड़ी की जांच की जाती है। इससे ऑस्टियोपोरोसिस के शुरुआती लक्षणों का भी पता लग सकता है।

4. ब्लड, यूरिन टेस्ट (Urine Test) – हड्डियों के कमजोर होने की कोई और कारण तो नहीं है, यह जानने के लिये ब्लड और यूरीन टेस्ट करवाये जा सकते हैं। 

ऑस्टियोपोरोसिस का उपचार – Osteoporosis treatment

1. ऑस्टियोपोरोसिस के आरंभिक उपचार में निम्नलिखित सलाह दी जाती हैं –

(i) मरीज को पर्याप्त कैल्शियम युक्त भोजन करने को कहा जाता है जिससे शरीर में कैल्शियम की कमी पूरी है। यदि आवश्यक हुआ तो डॉक्टर कैल्शियम के पूरक (supplement) भी खाने को देते हैं।

(ii) विटामिन-डी लेने की सलाह दी जाती है। इसके लिये दूध और दूध से बने उत्पाद का सेवन करने को कहा जाता है। इसके अतिरिक्त विटामिन-डी के टेब्लेट्स दिये जाते हैं।

(iii) वजन उठाने वाली एक्सरसाइज करने को कहा जाता है।

2. दवाएं – महिला और पुरुष दोनों के लिए निर्धारित ऑस्टियोपोरोसिस दवाएं बिस्फोस्फॉनेट हैं, दी जा सकती हैं जैसे –

(i) एलेंड्रोनेट (Alendronate)

(ii) राइसड्रोनेट (एक्टोनेल) [Risedronate (Actonel)]

(iii) इबैंड्रोनेट (Ibandronate)

(iv) ज़ोलेड्रॉनिक एसिड (Zoledronic acid)

3. डिनॉसूमैब (Denosumab) – बिस्फोस्फॉनेट्स की अपेक्षाकृत डिनॉसूमैब से समान या बेहतर अस्थि घनत्व के परिणाम मिलते हैं और सभी प्रकार के फ्रैक्चर की संभावनाएं कम हो जाती हैं। डिनॉसूमैब त्वचा के नीचे हर छह महीने में एक शॉट के जरिये दिया जाता है।

4.  टेरिपेराटाइड (फोरटीओ) [Teriparatide (Forteo)] – पैराथायरॉइड हार्मोन के समान यह एक शक्तिशाली दवा है जो नई हड्डियों के गठन को उत्तेजित करती है। यह इंजेक्शन के द्वारा त्वचा के नीचे दी जाती है। इस उपचार के दो वर्ष बाद, नई हड्डियों के विकास को निरन्तर बनाए रखने के लिए एक अन्य ऑस्टियोपोरोसिस दवा दी जाती है।

5 हार्मोन थेरेपी – Hormone Therapy

(i) एस्ट्रोजेन थेरेपी (Estrogen Therapy)- हड्डियों के घनत्व को बनाए रखने के लिये, रजोनिवृत्ति के तुरन्त बाद यह थेरेपी शुरु की जाती है। यद्यपि इससे ब्लड क्लॉटिंग, एंडोमेट्रियल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर या हृदय रोग के जोखिम की संभावना बढ़ जाती है। अतः एस्ट्रोजेन थेरेपी का इस्तेमाल कभी कभार युवा महिलाओं पर किया जाता है।

(ii) टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (Testosterone Replacement Therapy)- उम्र बढ़ती उम्र के साथ पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होने लगता है। ऐसे में इसके स्तर में सुधार के लिये टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। परन्तु ऑस्टियोपोरोसिस के उपचार के लिये पुरुषों में ऑस्टियोपोरोसिस की दवाओं का बेहतर प्रभाव और परिणाम देखा गया है।

ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के घरेलू उपाय – Home Remedies to Prevent Osteoporosis

दोस्तो, हमें एक बात समझनी होगी की ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के लिये हड्डियों के घनत्व को बढ़ाना होगा ताकि ये मजबूत बनें। हड्डियों का घनत्व पौष्टिक और खनिज युक्त भोजन से बढ़ेगा।  इसी लिये हड्डी घनत्व को हड्डी खनिज घनत्व (Bone Mineral Density – BMD) कहा जाता है। अब बताते हैं आपको ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के कुछ घरेलू उपाय जो निम्न प्रकार हैं। इनको अपनाकर आप हड्डियों के घनत्व को बढ़ा सकते हैं –

1. बादाम (Almond)- हड्डियों को मजबूत करने के लिये कैल्शियम की आवश्यकता होती है। कैल्शियम हड्डियों का अत्यंत महत्वपूर्ण घटक है। बादाम कैल्शियम का उत्तम श्रोत है। इसमें भरपूर मात्रा में कैल्शियम होता है। रात भर के लिये 5-7 बादाम पानी में भिगो दें। अगले दिन सुबह इनका छिलका उतारकर, पीसकर पेस्ट बना लें। 

इस बादाम पेस्ट को दूध विशेषकर गाय का दूध, या सोया मिल्क या बकरी के दूध में मिलाकर पीयें। इससे आपको भरपूर कैल्शियम मिलेगा और साथ ही दूध से विटामिन-डी। इससे हड्डियां का घनत्व बढ़ेगा जिससे हड्डियां मजबूत होंगी। अतः अपने भोजन में बादाम और दूध को सम्मलित करें। कैल्शियम पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “कैल्शियम की कमी को पूरा करने के उपाय” पढ़ें। 

2. दूध (Milk)- हड्डी स्वास्थ के लिये विटामिन-डी भी बेहद जरूरी होता है। इसके बिना तो कुछ भी नहीं। विटामिन-डी का प्राकृतिक श्रोत धूप है और इसके बाद दूध सर्वोत्तम श्रोत है। दूध पीने से दैनिक आवश्यकता का 20 प्रतिशत विटामिन-डी मिल जाता है। इससे कैल्शियम भी मिल जाता है।

 स्वास्थ्य और आहार विशेषज्ञ भी आहार में एक गिलास गाय का दूध पीने की का सलाह देते हैं।  जो विटामिन डी की आपकी दैनिक जरूरत का 20% देता है। दूध पूर्ण वसा वाला होना चाहिये। विटामिन-डी पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “विटामिन-डी की कमी कैसे दूर करें” पढ़ें।

3. दही (Curd)- दही में विटामिन-डी की प्रचुर मात्रा होती है और कैल्शियम भी पर्याप्त मात्रा में मिल जाता है। यह प्रोटीन तथा अन्य खनिज पदार्थों से समृद्ध होती है। हड्डियों की मजबूती के लिये दही को अपने भोजन में शामिल करें। बेहतर होगा यदि दही घर पर ही जमायें। इसके लिये भैंस के फुल क्रीम दूध का इस्तेमाल करें। दही आपके शरीर में विटामिन-डी और कैल्शियम की कमी को पूरा करेगी।

4. पनीर/चीज़ (cheese)- पनीर/चीज़ को स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थ के रूप में श्रेष्ठ खाद्य पदार्थ माना जाता है। क्योंकि इनमें प्रोटीन, मांस के समान ही पर्याप्त मात्रा में होता है। ये डेयरी उत्पाद हैं जो दूध से बनते हैं और विटामिन-डी का भरपूर श्रोत होते हैं। विटामिन-डी के अतिरिक्त ये  विटामिन-सी, विटामिन-ए, विटामिन-बी12 तथा

पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम जैसे लाभकारी पोषक खनिज तत्वों से भरपूर होते हैं। इनसे हड्डी के घनत्व के लिये लगभग सभी आवश्यक तत्व मिल जाते हैं। रिकोटा चीज़ से अन्य चीज़ की तुलना में अधिक विटामिन-डी मिल जाता है। अतः हड्डियों के स्वास्थ के लिये पनीर/चीज़ को अपने आहार में शामिल करें।

5. तिल के बीज (Sesame Seeds)- ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षणों को कम करने के लिये और हड्डियों से जुड़ी अन्य बीमारियों से राहत पाने के लिये तिल के बीजों का सेवन करें। इनसे विटामिन-डी पर्याप्त मात्रा में मिल जाते हैं। इसके लिये थोड़े से तिल के भुने हुए बीज एक गिलास दूध के साथ सेवन करें। इससे हड्डियां को मजबूती मिलेगी और ऑस्टियोपोरोसिस की संभावना नहीं होगी।

6. सोया उत्‍पाद (Soya Products)- जो लोग किसी कारणवश दूध नहीं पी सकते या डेयरी उत्पाद का सेवन नहीं कर सकते, उनके लिये सोया उत्तम विकल्प है। वे सोया मिल्क पी सकते हैं और सोया उत्पाद का सेवन कर सकते हैं। सोया हड्डियों के घनत्व में सुधार करने के लिये एक प्रभावशाली और प्राकृतिक उपाय है। इससे विटामिन-डी, कैल्शियम तथा अन्य पोषक खनिज मिल जाते हैं जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं।  यह महिलाओं में एस्‍ट्रोजेन के स्‍तर में संतुलन बनाये रखता है।

7. अनानास (Pineapple)- हड्डियों की मजबूती के लिये मैंगनीज एक आवश्यक खनिज है। शरीर में मैंगनीज की कमी ऑस्टियोपोरोसिस का कारण बन सकता है। प्रतिदिन महिलाओं को 1।8 मिलीग्राम और पुरुषों के लिए 2।3 मिलीग्राम मैंगनीज की आवश्यकता होती है। एक कप अनानास खाने से शरीर को दैनिक जरूरत का 75 प्रतिशत मैंगनीज मिल जाता है। इसके अतिरिक्त अनानास के सेवन से कैल्शियम भी प्राप्त होता है। 

दोनों ही घटक हड्डियों को मजबूत बनाते हैं और ऑस्टियोपोरोसिस विकार की संभावना को कम करते हैं। देसी हैल्थ क्लब यहां स्पष्ट करना चाहता है कि गर्भवती महिलाओं को अनानास का सेवन करने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि अनानास में अबोर्टिफैसियंट (abortifacient) अर्थात् गर्भपात कराने वाला गुण होता है।  अनानास पर अधिक जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “अनानास खाने के फायदे” पढ़ें।

8. केला (Banana)- नियमित रूप से केले का सेवन करने से ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को कम किया जा सकता है केले में कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटेशियम की पर्याप्त मात्रा होती है। ये तीनों घटक हड्डियों के विकास और मजबूती प्रदान करने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। अक्सर देखा गया है कि वृद्ध लोग और महिलाओं की कमर तथा रीढ़ की हड्डी में शिकायत रहती है। केले को अपने भोजन में शामिल करने पर इनसे छुटकारा पाया जा सकता है।

9. सेब(Apple) – सेब एक असाधारण फल है जिसके रोजाना सेवन करने से सभी बीमारियां दूर-दूर भागती हैं। इसमें बोरॉन जैसे आवश्‍यक पोषक तत्‍व पर्याप्त मात्रा में मौजूद होते हैं। ये शरीर द्वारा कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करते हैं। वैसे भी सेब कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फास्फोरस जैसे खनिज तत्वों से समृद्ध होता है। ये सभी खनिज हड्डियों में मजबूती बनाये रखते हैं जिससे ऑस्टियोपोरोसिस की संभावना नहीं रहती और यदि है भी सेब के नियमित सेवन से ठीक किया जा सकता है।

10. पालक (Spinach)- कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फास्फोरस और आयरन जैसे खनिज तत्वों से भरपूर पालक सब्जी की दुनियां में एक अद्भुत सब्जी है। इसके सेवन से शरीर में आयरन की कमी पूरी होने से रक्त की कमी दूर होती है और हड्डियों को मजबूती मिलती है। 

कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम और फास्फोरस जैसे खनिज हड्डियों को मजबूत बनाते हैं। सप्ताह में दो बार पालक का  इस्तेमाल करने से ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को कम किया जा सकता है। पालक को सलाद के रूप में भी खाया जा सकता है। पालक पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “पालक खाने के फायदे” पढ़ें।

11. ब्रोकली (Broccoli)- शरीर 99 प्रतिशत से अधिक कैल्शियम हड्डियों और दांतों में स्टोर कर उन्हें मजबूत बनाने का कार्य करता है। पालक के समान ही ब्रोकोली में भी कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फास्फोरस और आयरन जैसे खनिज तत्वों की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है जो हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाते हैं।

 सब्जी के अतिरिक्त ब्रोकली का उपयोग सलाद, रायता के रूप में किया जा सकता है। इसे नूडल्स या पास्ता में डालकर, उबालकर या अंकुरित करके खाया जा सकता है। सप्ताह में यदि एक बार ब्रोकली खा ली तो समझिये कि यह भी बहुत है आपकी हड्डियों की मजबूती के लिये। इसमें मौजूद विटामिन-के और प्रोटीन ऑस्टियोपोरोसिस को शुरुआत में ही रोक पाने में सक्षम होते हैं।

12. सालमन मछली (Salmon Fish)- सालमन मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फास्फोरस और कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है। इनके अतिरिक्त सालमन मछली में विटामिन-डी3 भी मौजूद होता है जो विटामिन-डी का ही एक रूप है जो हड्डियों, इम्यूनिटी, मांसपेशियों और मस्तिष्क के लिए फायदेमंद होता है। मांसाहारियों के लिये यह एक अच्छा विकल्प है जिसके सहारे अपनी हड्डियों को मजबूत बना सकते हैं और ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव कर सकते हैं।

13. धूम्रपान बंद करें (Stop Smoking)- धूम्रपान हड्डियों के स्वास्थ के लिये बेहद खराब है यह फ्रैक्चर, ऑस्टियोपोरोसिस व अन्य हड्डियों से संबंधित समस्या को बढ़ाता है। इसलिये धूम्रपान तुरन्त बंद कर देना चाहिये। धूम्रपान कैंसर का कारण तो है ही, हड्डी से जुड़ी समस्याओं को भी आमंत्रित करता है विशेषकर महिलाओं में। 

धूम्रपान करने वाली महिलाओं में, धूम्रपान रजोनिवृत्ति के समय की रफ्तार को बढ़ाता है जिससे रजोनिवृत्ति बहुत पहले ही हो जाती है जो ऑस्टियोपोरोसिस का कारण बनती है। धूम्रपान छोड़कर रजोनिवृत्ति के आगमन समय को और बढ़ाया जा सकता है यानि रजोनिवृत्ति के आगमन में देर की जा सकती है और ऑस्टियोपोरोसिस को टाला जा सकता है। धूम्रपान पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “धूम्रपान छोड़ने के घरेलू उपाय” पढ़ें।

14. शराब कम करें (Cut Down on Alcohol)- यदि आप शराब पीने के आदी हैं और अधिक मात्रा में इसका सेवन करते हैं तो ऑस्टियोपोरोसिस की संभावना को बढ़ा रहे हैं। शराब के अधिक मात्रा में और लंबे समय तक सेवन से हड्डियों में पतलापन आ सकता है जिससे फ्रैक्चर होने की संभावना बढ़ जाती है। इसीलिये ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के लिये शराब का सेवन कम कर दें।

15. व्यायाम करें (Exercise)- मांसपेशियां हड्डियों की कवच होती हैं। प्रतिदिन नियमित रूप से व्‍यायाम करने से मांसपेशियां मजबूत बनती हैं और इनमें ताकत आती है। ये हड्डियों को  मजबूत सुरक्षा प्रदान करती हैं। छोटी-छोटी चोट और गिरने-पड़ने से लगी चोट को ये मांसपेशियां खुद झेलती हैं हड्डियों को फ्रैक्चर आदि क्षति से बचाती हैं। व्यायाम करने से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है और आप एकदम फिट रहते हैं।

Conclusion –

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने ऑस्टियोपोरोसिस के बारे में विस्तार से जानकारी दी। ऑस्टियोपोरोसिस क्या है?, ऑस्टियोपोरोसिस के प्रकार, ऑस्टियोपोरोसिस के चरण, ऑस्टियोपोरोसिस के कारण, ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण, ऑस्टियोपोरोसिस का परीक्षण और  ऑस्टियोपोरोसिस का उपचार, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के बहुत सारे घरेलू भी बताये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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ऑस्टियोपोरोसिस क्या है?
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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने ऑस्टियोपोरोसिस के बारे में विस्तार से जानकारी दी। ऑस्टियोपोरोसिस क्या है?, ऑस्टियोपोरोसिस के प्रकार, ऑस्टियोपोरोसिस के चरण, ऑस्टियोपोरोसिस के कारण, ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण, ऑस्टियोपोरोसिस का परीक्षण और  ऑस्टियोपोरोसिस का उपचार, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया।
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