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फंगल इंफेक्शन क्या है? – What is Fungal Infection in Hindi

फंगल इंफेक्शन क्या है?

स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग में। दोस्तो, मौसम के बदलने से बीमार हो जाना स्वाभाविक है। ऐसा अधिकतर इंफेक्शन फैलने की वजह से होता है। मगर कई बार बिना मौसम बदले ही हम इंफेक्शन की चपेट में आ जाते हैं और त्वचा विकारों से ग्रस्त हो जाते हैं। ऐसा तब होता है जब हम फफूंदी यानि फंगस की चपेट में आते हैं। यह फंगस अधिकतर नमी वाले स्थान पर मिट्टी, हवा में, पौधे, पानी पर हो सकती है। कई बार यह फंगस नाक, मुंह के जरिए शरीर में चली जाती है। कभी बाहर से शरीर पर चिपक जाती है तो पनपना शुरू कर देती है।

फिर यहीं से यह अपना खेल दिखाती है अर्थात् फंगस का आक्रमण होता है। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली फंगस के विरुद्ध लड़ने में असमर्थ होती है। फंगस के आक्रमण को फंगल इंफेक्शन कहा जाता है। यह इंफेक्शन शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है, हाथ, पैर, नाखून, पेट, ग्रोइंग एरिया, मुंह आदि। यद्यपि यह फंगल इंफेक्शन साधारण ही होता है, परन्तु यदि यह फेफड़ों में फैल जाए तो गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है और मरीज को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ सकता है। आखिर यह फंगल इंफेक्शन है क्या दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “फंगल इंफेक्शन क्या है?”। 

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से फंगल इंफेक्शन के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और इसका उपचार क्या है और इसका बचाव क्या है। तो, सबसे पहले जानते हैं कि फंगल इंफेक्शन क्या है और फंगल इंफेक्शन कैसे फैलता है। फिर, इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।

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फंगल इंफेक्शन क्या है? – What is Fungal Infection?

फंगल इंफेक्शन, कवक यानि फंगस (Fungus) के आक्रमण के फलस्वरूप शरीर में पनपने वाला इंफेक्शन है जिससे त्वचा प्रभावित होती है। इस फंगस इंफेक्शन को ही आम भाषा में फंगल इंफेक्शन कहा जाता है। इस कवक यानि फंगस का शरीर पर आक्रमण होता है तो यह त्वचा, ऊतकों, हड्डियों और अंगों अथवा समस्त शरीर को प्रभावित कर सकने में सक्षम होता है। 

इस फंगल इंफेक्शन की चपेट में, पैर, पैरों की उंगलियां एड़ी, नाखून, जननांग, स्तन, कान आदि आ सकते हैं। यह महिला, पुरुष किसी को भी हो सकता है चाहे वह बच्चा हो, बड़ा हो या वृद्ध। फंगस का आक्रमण उन लोगों को बहुत जल्दी अपना शिकार बना लेता है जिनकी रोग प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है क्योंकि कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली फंगस के विरुद्ध लड़ने में सक्षम नहीं होती। 

फंगल इंफेक्शन कैसे फैलता है? – How do Fungal Infections Spread

दोस्तो, सबसे पहले हम बता दें कि अनेक प्रकार के फंगस हमारे इर्द गिर्द ही रहते हैं मगर हमें पता नहीं होता। कुछ तो हमारे घर की दीवार के कोनों में होते हैं। सभी फंगस हानिकारक नहीं होते। ये हमें हानि नहीं पहुंचाते जैसे कि मशरूम, मोल्ड आदि। कुछ फंगस मिट्टी, हवा में, पौधे, पानी पर रहते हैं तो कुछ हमारे शरीर में भी विराजमान रहते हैं। 

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हानिकारक फंगस हमारे शरीर पर चिपक जाते हैं और अपना फैलाव करते हैं। ये दिखाई नहीं देते। कुछ फंगस हवा में उड़कर सांस के जरिए हमारे शरीर में चले जाते हैं और प्रजनन करते रहते हैं फिर हमें संक्रमित करके बीमार कर देते हैं। फंगस पर याद आता है कोविड-19 का एक समय जिसमें “ब्लैक फंगस” नामक फंगस ने विश्व में बहुत बवाल काटा था और डॉक्टर्स की रोजाना प्रतिक्रियाएं आती रहती थीं। 

डॉक्टर्स सलाह देते रहते थे कि किसी भी फंगस से बचाव के लिए अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करें। ब्लैक फंगस पर विस्तार से जानकारी के लिए हमारा पिछला आर्टिकल “ब्लैक फंगस क्या होता है?” पढ़ें।

फंगल इंफेक्शन के प्रकार – Types of Fungal Infections

फंगल इंफेक्शन के प्रकार निम्नलिखित हैं – 

1. एथलीट्स फुट (Athlete’s Foot)- यह सामान्य प्रकार का फंगल इन्फेक्शन है जो अक्सर पैरों की उंगलियों के बीच में होता है। यह इंफेक्शन होने पर प्रभावित स्थान पर बहुत तेज खुजली होती है। यह इंफेक्शन चूंकि धावकों में सबसे ज्यादा होता है इसीलिए इसे एथलीट्स फुट कहा गया है। जूते, जुराब, स्विमिंग पूल, और सार्वजनिक नमीं वाले पर्यावरण आदि इस इंफेक्शन के पनपने के स्रोत होते हैं। 

2. दाद (Shingles)- यह भी एक आम फंगल इन्फेक्शन है जो कहीं की भी त्वचा को प्रभावित कर सकता है जैसे कि हाथ, पैर, जांघ, जननांग सिर की त्वचा आदि। इसे इंफेक्शन को टिनिया कॉर्पोरिस भी कहा जाता है। प्रभावित स्थान पर खुजली लगती है।

3.  जोक इच (Jock Itch)- यह भी फंगल इंफेक्शन का एक प्रकार है। इसे टिनिया क्रुरिस कहा जाता है। यह दाद की श्रेणी में ही आता है। चूंकि ग्रोइन एरिया के आस-पास नमी रहती है इसलिये यह इंफेक्शन ग्रोइन एरिया की त्वचा को प्रभावित करता है। प्रभावित क्षेत्र पर बहुत तेज खुजली लगती है। यह पुरुषों में बहुत कम मगर महिलाओं में बहुत अधिक होता है। टिनिया क्रुरिस पर अधिक जानकारी के लिए हमारा पिछला आर्टिकल “टिनिया क्रुरिस क्या है?” पढ़ें। 

4. स्कैल्प का दाद (Ringworm of the Scalp)- यह बहुत तेज गति से फैलने वाला फंगल इंफेक्शन है। इसे टीनिया कैपिटिस कहा जाता है। यह केवल खोपड़ी को ही प्रभावित नहीं करता बल्कि बालों के रोम को भी प्रभावित करता है। इसमें खोपड़ी की त्वचा पर दाद छोटे-छोटे दानों के रूप में फैलता है। यह इंफेक्शन बालों के गिरने से गंजेपन की वजह बनता है। 

5. यीस्ट इंफेक्शन (Yeast Infection)- इसे कैंडिडा इंफेक्शन भी कहा जाता है। इसे हानि रहित फंगस माना जाता है। यह इंफेक्शन मुंह, गला, आंत और योनि को टारगेट बनाता है। जब योनि में इंफेक्शन अधिक बढ़ जाता है तो योनि में खुजली, दर्द, मूत्र विसर्जन के समय कष्ट होना, सेक्स के समय दर्द होना जैसे लक्षण प्रकट होते हैं। 

6. मुंह में थ्रश होना (Thrush in Mouth)- मुंह, गले या अन्नप्रणाली में इंफेक्शन के लिए कैंडिडा फंगस को जिम्मेदार माना जाता है। इसे ऑरोफरीन्जियल कैंडिडिआसिस भी कहा जाता है। मुंह में सूजन, खटासपन, जीभ का रंग सफेद होना, गाल की अंदर की त्वचा पर हल्के पीले रंग की परत बनना, खाना खाते और निगलते समय तकलीफ होना आदि इसके लक्षण होते हैं। 

7. नाखून में इंफेक्शन (Nail Infection)- यह एक सामान्य प्रकार तरह का इंफेक्शन है। इसे ऑनिकोमाईकोसिस कहा जाता है। इसकी वजह होती है पैर की अंगुली के नाखून में फंगस होना। यह फंगल इंफेक्शन अधिकतर नाखूनों की ऊपरी सतह को प्रभावित करता है। नाखूनों को पीला या चॉक की समान सफेद होना, कमजोर, दरारें युक्त और मोटा होना इसके लक्षण होते हैं। 

8. टीनिया वर्सीकोलर (Tinea Versicolor)- इस फंगल इंफेक्शन की वजह मालासेज़िया परिवार से संबंधित खमीर होता है। इस इंफेक्शन को पिएट्रिासिस वर्सिकोलर के नाम से भी जाना जाता है। जिन लोगों की ऑयली स्किन होती है और जो युवा हैं, उनमें यह समस्या वृद्धों की तुलना में अधिक होती है। इसमें कोई दर्द या खुजली का आभास नहीं होता। इस फंगल इंफेक्शन में शरीर पर सफेद, गुलाबी या भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं जो कभी-कभी आपस में जुड़ भी सकते हैं। 

फंगल इंफेक्शन के कारण – Cause of Fungal Infection

फंगल इंफेक्शन के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं –

  1. प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना यह फंगल इंफेक्शन का मुख्य कारण है। वैसे भी जिसकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है उस पर कोई भी बीमारी सरलता से हावी हो जाती हे।
  2. व्यवसाय भी फंगल इंफेक्शन का कारण बन सकता है। ऐसा व्यक्ति जो शारीरिक श्रम अधिक करता है जिससे उसे पसीना बहुत अधिक आता है, फंगल इंफेक्शन का शिकार जल्दी बन सकता है जैसे कि खिलाड़ी लोग विशेषकर एथलीट या मजदूर, किसान आदि। 
  3. वातावरण भी फंगल इंफेक्शन का जोखिम कारक बन सकता है जैसे कि मिट्टी, पानी में काम करने वाले लोग मजदूर, किसान। नमी वाले स्थान पर काम करने या रहने वाले लोग।
  4. पसीना, पानी या अधसूखे वस्त्र पहने रखना।
  5. पर्सनल/सेक्सुअल हाइजीन मेंटेन ना करना। इस विषय पर विस्तार से जानकारी के लिए हमारा पिछला आर्टिकल “सेक्सुअल हाइजीन कैसे मेंटेन करें” पढ़ें। 
  6. चोट लगने से त्वचा का कटना, फटना।
  7. ज्यादा टाइट वस्त्र और जूते पहनना।

फंगल इंफेक्शन के लक्षण – Symptoms of Fungal Infection

दोस्तो, वैसे तो फंगल इंफेक्शन के अधिकतर लक्षण हम ऊपर फंगल इंफेक्शन के प्रकार के अंतर्गत बता ही चुके हैं फिर भी हम सामान्य लक्षण बता देते हैं। ये निम्न प्रकार हैं –

  1. त्वचा के रंग में बदलाव होना।
  2. लाल या बैंगनी रंग के रैशेज पड़ जाना।
  3. त्वचा पर पपड़ी जमना, त्वचा की खाल उतरना।
  4. त्वचा में पस पड़ जाना, दाने निकल आना।
  5. अंग की प्रभावित त्वचा पर खुजली लगना।
  6. योनि में खुजली लगना, दर्द होना।
  7. योनि से असामान्य रक्तस्राव 
  8. मुंह में सूजन, खाना खाते और निगलते समय तकलीफ होना। 

फंगल इंफेक्शन का निदान –  Diagnosis of Fungal Infection

फंगल इंफेक्शन की जाँच मुख्य रूप से त्वचा पर निर्भर करती है। इसके लिए व अन्य जाँच के लिए निम्नलिखित विधि अपनाई जा सकती हैं –

  1. प्रभावित त्वचा का सेंपल लिया जा सकता है। 
  2. नाखून के सेंपल।
  3. बालों के सेंपल
  4. फंगल इंफेक्शन के कारण जानने के लिए ब्लड टेस्ट भी करवाया जा सकता है।
  5. फेफड़ो में फंगल इंफेक्शन का आशंका होने पर एक्स-रे, सीटी स्कैन और एमआरआई स्कैन भी किया जा सकता है।

फंगल इंफेक्शन का इलाज –  Fungal Infection Treatment

दोस्तो, कुछ विशिष्ट मामलों में जैसे कि इम्युनिटी बहुत  कमजोर हो जाने पर या कैंडिडा इंफेक्शन के रक्त में फैल जाने की स्थिति में अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है अन्यथा फंगल इंफेक्शन का इलाज घर पर ही हो जाता है। फंगल इंफेक्शन के इलाज के लिए, फंगल इंफेक्शन के प्रकार के अनुसार निम्नलिखित दवाओं, ऑइंटमेंट, क्रीम आदि का उपयोग करने की सलाह डॉक्टर द्वारा दी जा सकती है – 

  1. खाने वाली एंटी-फंगल दवाएं। इनमें गोलियां, कैप्सूल, सीरिप शामिल हो सकते हैं।
  2. इंट्रावीनस द्वारा दी जाने वाली दवाएं (गंभीर मामलों में)।
  3. एंटी-फंगल इंजेक्शन्स
  4. एंटी-फंगल क्रीम
  5. एंटी-फंगल ऑइंटमेंट, लोशन 
  6. यीस्ट इंफेक्शन में योनि में डालने वाली छोटी-छोटी गोलियां। 
  7. योनि के लिए जैल या क्रीम
  8. माउथवॉश
  9. स्प्रे
  10. पाउडर

फंगल इंफेक्शन के घरेलू उपाय – Home Remedies for Fungal Infection

दोस्तो, अब बताते हैं आपको कुछ घरेलू उपाय जिनकी मदद से फंगल इंफेक्शन के प्रभाव को समाप्त कर सकते हैं। ये घरेलू उपाय निम्नलिखित हैं –

1. लहसुन (Garlic)- लहसुन में उपस्थित एलिसिन नामक पदार्थ फंगस और बैक्टीरिया के विस्तार को रोकने का काम करता है। इसके अलावा लहसुन में उपस्थित एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण किसी भी प्रकार के संक्रमण के विरुद्ध लड़ने में सक्षम होते हैं। 

सुबह खाली पेट लहसुन की एक या दो कली गुनगुने पानी के साथ खाएं या निगल लें। इसके अतिरिक्त दो, तीन कली छेतकर तीन, चार चम्मच नारियल के तेल में डालकर थोड़ी देर के लिए गर्म कर लें और ठंडा करके छान लें। दिन में दो, तीन बार इस तेल को प्रभावित त्वचा पर लगाएं। आराम आ जाएगा।

2. अदरक (Ginger)- अदरक में भी एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं जो फंगस को फैलने से रोकते हैं। फंगल इंफेक्शन की समस्या में खाली पेट अदरक की चाय बनाकर पीएं। अदरक की चाय से तात्पर्य है पानी में सिर्फ़ अदरक कूटकर अच्छी तरह उबालना। यदि आप इस चाय को नहीं पीना चाहते तो ना पीएं, इसे ठंडा करके, इसमें रुई डुबोकर प्रभावित त्वचा पर लगाएं। दिन में तीन, चार बार ऐसा कर सकते हैं। कुछ दिनों में आराम लग जाएगा। 

3. हल्दी (Turmeric)- हल्दी एक प्राकृतिक औषधी के रूप में काम करती है। यह प्राकृतिक एंटीसैप्टिक है। इसमें एंटीफंगल, एंटीमाइक्रोबियल और एंटीइंफ्लामेटरी गुण मौजूद होते हैं। हल्दी के गुण त्वचा में जलन, सूजन से राहत देते हैं और रोगाणुओं का अंत कर, इंफेक्शन को खत्म करने में मदद करते हैं। फंगल इंफेक्शन से राहत पाने के लिए हल्दी पाउडर को पानी में डालकर पेस्ट बनाकर प्रभावित त्वचा पर, दिन में दो, तीन बार लगाएं। 

4. एलोवेरा जेल (Aloe Vera Gel)- एलोवेरा में एंटीफंगल, एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीसेप्टिक और क्लींजिंग गुण पाए जाते हैं जो फंगल इंफेक्शन के लक्षणों को खत्म कर इस समस्या से राहत दिलाते हैं। आपको बस यह करना है कि एलोवेरा का टुकड़ा काट कर, इसमें से जेल को निकाल लेना है। इस ताजा जेल को प्रभावित त्वचा पर लगाकर छोड़ देना है। जब यह सूख जाए तो त्वचा को पानी से धो लें। इसे दिन में दो, तीन बार लगा सकते हैं। 

ये ये भी पढ़े- एलोवेरा के फायदे

5. सेब का सिरका (Apple Vinegar)- फंगल इंफेक्शन से छुटकारा पाने के लिए सेब का सिरका एक बेहतरीन उपाय है, विशेषकर यीस्ट इंफेक्शन में। क्योंकि इसमें एंटीफंगल गुण उपस्थित होने के नाते इसका उपयोग फंगल इंफेक्शन के उपचार में एक दवा के रूप में किया जाता है। इसका उपयोग करने के लिए पहले आधा कप पानी में एक चम्मच सेब का सिरका मिक्स कर लें। अब, रूई की मदद से इस मिश्रण को प्रभावित त्वचा पर दिन में दो, तीन बार लगाएं, आराम लग जाएगा।

6. दही (Curd)- दही में मौजूद एंटीफंगल गुण, फंगल इंफेक्शन के विरुद्ध लड़ कर खुजली, दर्द, जलन को कम करने का काम करते हैं। दही में मौजूद लैक्टोबैसिलस में भी एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं जो इस समस्या से मुक्ति दिलाते हैं। फंगल इंफेक्शन से छुटकारा पाने के लिए दही में शहद मिलाकर दिन में दो, तीन बार प्रभावित त्वचा पर लगाएं।

7. नीम (Neem)- औषधीय गुणों से सम्पन्न नीम को आयुर्वेद में वृक्षराज की संज्ञा दी है। चर्म रोगों के उपचार में और रक्त के शुद्धीकरण के लिये नीम रामबाण उपाय है। इसमें मौजूद एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल,एंटीसेप्टिक गुणों के अतिरिक्त जितने भी गुण बताए जाएं, कम हैं। फंगल इंफेक्शन से छुटकारा पाने के लिए इसकी पत्तियों को उबालकर, पानी गुनगुना रहने तक ठंडा करके, रोजाना नहाएं।

नीम के पानी को दिन में दो, तीन बार प्रभावित त्वचा पर लगाएं। इसके अतिरिक्त नीम की छाल को घिसकर प्रभावित त्वचा पर दिन में कम से कम दो बार जरूर लगाएं। रोजाना, सुबह के समय नीम की चार-पांच कोंपल भी खाएं, इससे रक्त भी शुद्ध हो जाएगा।

8. नारियल तेल (Coconut Oil)- नारियल तेल भी प्राकृतिक एंटीसैप्टिक के रूप में काम करता है। यह जलन को ठीक करने और घाव को जल्दी भरने का काम भी बखूबी करता है। इसमें उच्च मात्रा में लॉरिक एसिड और कैप्रीलिक एसिड पाए जाते हैं जो फंगल इंफेक्शन के विरुद्ध लड़ते हैं। नारियल तेल में एंटीफंगल, एंटीमाइक्रोबियल और एंटीइंफ्लामेटरी गुण मौजूद होते हैं जो फंगल इंफेक्शन को खत्म करने में मदद करते हैं। प्रभावित त्वचा पर दिन में तीन, चार बार रुई की मदद से नारियल तेल लगाएं।

9. ऑलिव ऑयल (Olive Oil)- ऑलिव ऑयल, एंटीफंगल और एंटीमाइक्रोबियल गुणों से सम्पन्न होता है। ये गुण फंगल इंफेक्शन के प्रकोप से मुक्ति दिला सकते हैं। रोजाना दिन में दो, तीन बार प्रभावित त्वचा पर रुई की मदद से ऑलिव ऑयल लगाएं।

10. टी-ट्री ऑयल (Tea Tree Oil)- टी-ट्री ऑयल एंटीसेप्टिक होता है। इसमें एंटीफंगल तथा एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। ये गुण फंगल इंफेक्शन से राहत दिलाने में मदद करते हैं। इस ऑयल की दो, तीन बूंदें एक बड़ी चम्मच नारियल तेल में अच्छी तरह मिला लें। इस मिश्रित तेल को रुई की मदद से प्रभावित त्वचा पर, दिन में दो, तीन बार लगाएं। आराम लग जाएगा।

फंगल इंफेक्शन से बचाव – Protection From Fungal Infection 

दोस्तो, निम्नलिखित उपायों को अपनाकर आप फंगल इंफेक्शन से बचाव कर सकते हैं –

  1. सबसे बड़ी बात है साफ़ सफाई की, विशेषकर पर्सनल साफ़ सफाई। अपने अंडर आर्मस्, प्राइवेट पार्ट्स, जांघें आदि की नियमित रूप से सफाई सुनिश्चित करें।
  2. अपने अंडर गार्मेंटस् को रोजाना साबुन से धोएं। 
  3. नहाने के बाद अपने पैरों को, विशेषकर उंगलियों को अच्छी तरह तौलिए से साफ़ कर सूखा कर लें।
  4. पूरी तरह सूखे कपड़े ही पहनें। 
  5. बहुत अधिक टाइट कपड़े ना पहनें विशेषकर अंडर गार्मेंटस्।
  6. सही आकार के जूते, चप्पल पहनें। सुनिश्चित करें ये टाइट ना हों। 
  7. रोजाना अपने जुराब धोएं।
  8. वॉशरूम, जिम या सार्वजनिक स्नानागार में नंगे पैर ना जाएं।
  9. नाखूनों को समय-समय पर काटते रहें।
  10. किसी अन्य व्यक्ति का पर्सनल सामान जैसे कि तौलिया, रुमाल, कंघा आदि का उपयोग ना करें और ना ही अपना पर्सनल सामान किसी के साथ शेयर करें।

Conclusion –

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको फंगल इंफेक्शन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। फंगल इंफेक्शन क्या है, फंगल इंफेक्शन कैसे फैलता है, फंगल इंफेक्शन के प्रकार, फंगल इंफेक्शन के कारण, फंगल इंफेक्शन के लक्षण, फंगल इंफेक्शन का निदान और फंगल इंफेक्शन का इलाज, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से फंगल इंफेक्शन के बहुत सारे घरेलू उपाय बताए और इससे बचाव के कुछ उपाय भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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फंगल इंफेक्शन क्या है?
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फंगल इंफेक्शन क्या है?
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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको फंगल इंफेक्शन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। फंगल इंफेक्शन क्या है, फंगल इंफेक्शन कैसे फैलता है, फंगल इंफेक्शन के प्रकार, फंगल इंफेक्शन के कारण, फंगल इंफेक्शन के लक्षण, फंगल इंफेक्शन का निदान और फंगल इंफेक्शन का इलाज, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया।
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