स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, आपने कई लोगों को देखा होगा कि वे अक्सर अपने प्राइवेट पार्ट के स्थान पर या पीछे कमर से नीचे खुजाते रहते हैं। बस, मेट्रो ट्रेन, रेलगाड़ी में सफर करते समय या अन्य सार्वजनिक स्थानों, कार्य स्थल आदि पर। यह बहुत शर्मिन्दा करने वाली स्थिति होती है। सबसे ज्यादा विकट स्थिति तो तब होती है जब वह व्यक्ति किसी मीटिंग में खुजा रहा होता है। परन्तु वह भी क्या करे वह मजबूर है और मजबूरी का नाम है टिनिया क्रूरिस (Tinea Cruris)। “टिनिया क्रूरिस“ एक ऐसा त्वचा संक्रमण है जिसमें श्रोणि क्षेत्र अर्थात् प्राइवेट पार्ट के आसपास, जांघों के ऊपरी और भीतरी भाग में खुजली लगती है। आखिर यह टिनिया क्रूरिस है क्या और कैसे इससे छुटकारा पाया जाए। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “टिनिया क्रूरिस क्या है?”।
देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको टिनिया क्रूरिस के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और इसके घरेलू उपाय के बारे में उपाय भी बताएगा। तो, सबसे पहले जानते हैं कि टिनिया क्रूरिस क्या है और इसके कारण क्या हैं। फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।
टिनिया क्रूरिस क्या है? – What is Tinea Cruris?
टिनिया क्रूरिस (Tinea Cruris) एक फंगल इंफेक्शन है जो त्वचा को प्रभावित करता है। इसे जॉक इच (Jock Itch) के नाम से भी जाना जाता है। यह फंगल इंफेक्शन त्वचा में होने वाले विशेष प्रकार के इंफेक्शन के एक समूह टिनिया (Tinea) परिवार से संबंध रखता है। टिनिया इंफेक्शन के समान ही जॉक इच मोल्ड जैसे फंगस के कारण होती है, इसे डर्मेटोफाइट्स (Dermatophytes) भी कहते हैं। ये फंगस अत्यंत सूक्षम होते हैं जो त्वचा के साथ-साथ बालों और नाखूनों में भी पनप सकते हैं। यद्यपि ये हानि नहीं पहुंचाते परन्तु बहुत जल्दी इनकी संख्या में करोड़ों गुणा की बढ़ोत्तरी हो जाती है।
शरीर में रोग प्रतिरोधी क्षमता से अधिक इनकी संख्या होने पर और शरीर के गर्म और नमी वाले हिस्सों में पनपने का मौका मिलने पर ये इंफेक्शन का कारण बन जाते हैं। इसी वजह से यह इंफेक्शन कमर के नीचे और जांघों के ऊपर के हिस्से को प्रभावित करता है। इस इंफेक्शन से नितम्बों, जांघों के ऊपरी और भीतरी भाग में तथा प्राइवेट पार्ट पर और इसके आसपास खुजली लगती है। इस इंफेक्शन का यदि तुरन्त उपचार ना कराया जाए और हाइजीन का ध्यान ना रखा जाये तो यह बहुत लंबा चल सकता है। यह इंफेक्शन पुरुष, महिला किसी को भी हो सकता है परन्तु महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक होता है।
टिनिया क्रूरिस के कारण – Causes of Tinea Cruris
टिनिया क्रूरिस होने के निम्नलिखित कारण हैं –
1. टिनिया क्रूरिस रोग मुख्य रूप से एपिडर्मोफाइटन फ्लोकोसम (epidermophyton floccosum), ट्राइकोफाइटन रूब्रम (trichophyton rubrum) तथा ट्राइकोफाइटन मेंटाग्रोफाइट्स (trichophyton mentagrophytes),
नामक बैक्टीरिया के कारण होता है।
2. बहुत अधिक गर्म या नमी वाले स्थानों पर रहने से भी यह संक्रमण हो सकता है।
3. कम गुणवत्ता वाले कपड़े या गीले कपड़े पहनना इसकी वजह बन सकते हैं।
4. दूसरे व्यक्ति के अंडरगार्मेंट्स या तौलिया इस्तेमाल करना।
5. गंदे पब्लिक टॉयलेट का उपयोग करना।
6. गीली सतह वाले स्थान पर बैठना।
7. संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना।
8. संक्रमित पशुओं के संपर्क में आना।
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टिनिया क्रूरिस के जोखिम कारक – Risk Factors for Tinea Cruris
निम्नलिखित परिस्थितियां भी टिनिया क्रूरिस को ट्रिगर कर सकती हैं –
1. यद्यपि आप सामान्य तापमान वाले स्थान पर रहते हैं परन्तु वहां भी बहुत अधिक गर्मी हो जाना या अधिक ठंड, ऐसा वातावरण टिनिया क्रूरिस का जोखिम हो सकता है।
2. बहुत ज्यादा पसीना आना।
3. तंग कपड़े पहनना।
4. लंगोट पहनना।
5. साफ अंडरवियर ना पहनना।
6. अपने शरीर की ठीक से सफाई ना रखना।
7. रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना।
8. डायबिटीज से ग्रस्त होना।
9. वजन बढ़ना।
10. नाखून बड़े होना। इनको समय-समय पर ना काटना।
टिनिया क्रूरिस के लक्षण – Symptoms of Tinea Cruris
टिनिया क्रूरिस के निम्नलिखित लक्षण प्रकट हो सकते हैं –
1. जांघों के ऊपरी और भीतरी भाग में गोल चकत्ते पड़ जाना।
2. जांघों के ऊपरी और भीतरी भाग में, प्राइवेट पार्ट पर और इसके आसपास के क्षेत्र पर खुजली लगना, जलन होना।
3. नितम्बों पर भी खुजली लगना।
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4. नितम्बों और पेट पर बड़े लाल रंग के चकत्ते हो जाना।
5. प्रभावित त्वचा पर लालिमा आ जाना।
6. त्वचा पर पपड़ी बन जाना, त्वचा का छिलना।
7. खुजली की दवा की प्रतिक्रिया स्वरूप समस्या बढ़ जाना।
8. कोई भी गतिविधि या व्यायाम करने पर समस्या बढ़ जाना।
9. त्वचा के रंग में परिवर्तन होना।
10. त्वचा की स्थिति में कोई सुधार ना होना।
टिनिया क्रूरिस का निदान – Diagnosis of Tinea Cruris
रिंग के आकार के दाने को देखकर टिनिया क्रूरिस की पहचान की जाती है। डॉक्टर मरीज से संवाद कर और लक्षणों को देखकर उसकी परेशानी को समझने का प्रयास करते हैं। गंभीर मामलों में त्वचा का सेंपल लेकर जांच के लिए लैब भेज दिया जाता है। जांच रिपोर्ट के आधार पर मरीज का उपचार किया जाता है।
टिनिया क्रूरिस का उपचार – Treatment of Tinea Cruris
टिनिया क्रूरिस का उपचार निम्न प्रकार किया जा सकता है –
1. शुरुआत में मेडिकल स्टोर से एंटीफंगल क्रीम ली जा सकती है। कुछ एंटीफंगल क्रीम डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन के बिना मिल जाती हैं
2. एंटीफंगल क्रीम का उपयोग करने से पहले त्वचा को पानी और साबुन से अच्छी तरह साफ कर लेना चाहिए।
3. यदि दो सप्ताह में आराम ना लगे तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
4. डॉक्टर, लमिसिल, लॉट्रिम, मिकेटिन, मॉनिस्टेट आदि एंटीफंगल क्रीम लगाने की सलाह दे सकते हैं। जिस तरह लगाने की सलाह दी गई हो उसी तरह लगाएं।
5. डॉक्टर कुछ दवाएं भी दे सकते हैं। ये दवाएं एक महीने तक खानी पड़ सकती हैं। जितने दिन की दवा दी गई है उतने दिन अवश्य खाएं। बीच में दवा ना रोकें और ना ही अपनी मर्जी से दवा बन्द करें।
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टिनिया क्रूरिस से बचाव के उपाय – How to Prevent Tinea Cruris
जीवनशैली में निम्न बदलाव लाकर टिनिया क्रूरिस से बचाव किया जा सकता है –
1. प्रतिदिन स्नान करना चाहिये। इससे इंफेक्शन की संभावना कम रहेगी।
2. एक्सरसाइज करने के बाद स्नान अवश्य करें क्योंकि एक्सरसाइज करने पर बहुत अधिक पसीना आता है।
3. स्नान करते समय प्राइवेट पार्ट्स को अच्छी तरह से साफ़ करें।
4. रोजाना स्नान करने के बाद, अंडरगारमेंट्स को साबुन से अच्छी तरह से धोएं।
5. अंडरगारमेंट्स को धोकर धूप में सुखाना चाहिए।
6. अंडरगारमेंट्स सूती इस्तेमाल करें।
7. ध्यान रखें कि अंडरगारमेंट्स ढीले होने चाहिएं टाइट नहीं।
8. किसी का तौलिया शेयर ना करें।
9. वर्कआउट वाले कपड़ों को रोजाना धोएं।
10. अपने प्राइवेट पार्ट और आसपास की जगह को नमी से बचाने के लिए अब्सॉर्बेंट पाउडर का इस्तेमाल करें।
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टिनिया क्रूरिस के घरेलू उपाय – Home Remedies for Tinea Cruris
और अब, कुछ निम्नलिखित घरेलू उपाय जिनको अपनाकर टिनिया क्रूरिस से छुटकारा पाया जा सकता है –
1. नीम (Neem Tree)- नीम औषधिय गुणों से सम्पन्न वृक्ष है। इसे वृक्षराज कहा जाता है। नीम में एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरलएं और एंटीऑक्सीडेंट गुण उपस्थित होते हैं। त्वचा रोगों के निवारण के लिए यह रामबाण औषधि है।
टिनिया क्रूरिस की समस्या से राहत पाने के लिये प्रतिदिन नीम की 15-20 पत्तियों को उबाल लें। इस उबले पानी को गुनगुना रहने तक ठंडा करें और नहाएं। प्रतिदिन सुबह खाली पेट नीम की 3-4 कोमल पत्तियों को चबाएं।
2. हल्दी (Turmeric)- औषधिय गुणों से समृद्ध हल्दी प्राकृतिक एंटीसेप्टिक है। इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, एंटीइंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। हल्दी में पाए जाने वाला करक्यूमिन (curcumin) तत्व स्वास्थ के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है।
टिनिया क्रूरिस की समस्या में हल्दी को पानी के साथ पीसकर या हल्दी पाउडर में पानी अथवा नारियल तेल मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को प्रभावित त्वचा पर लगाकर छोड़ दें। इसके सूखने पर ठंडे पानी से धो लें।
3. लहसुन (Garlic)- लहसुन भी औषधिय गुणों से भरपूर होता है। इसमें एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, कैंडिडा, टोरुलोप्सिस, ट्राइकोपीटन, क्रिप्टोकोकस आदि अनेक फंगल संक्रमणों को खत्म करने के लिए प्रभावशाली होता है।
लहसुन को ऑलिव ऑयल या नारियल तेल के साथ पीसकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को प्रभावित त्वचा पर लगाकर दो घंटे तक छोड़ दें। फिर बाद में ठंडे पानी से धो लें।
4. एलोवेरा (Aloe Vera)- अनेक प्रकार के संक्रमणों के उपचार में एलोवेरा सक्रिय भूमिका निभाता है। इसमें एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल, एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुए पाए जाते हैं। टिनिया क्रूरिस की समस्या में एलोवेरा का ताजा जेल निकाल कर प्रभावित त्वचा पर लगाएं और थोड़ी देर बाद गुनगुने पानी से धो लें। यह त्वचा को ठंडा रखेगा और जलन को भी शांत करेगा। इसे दिन में तीन, चार बार लगाएं।
5. पपीता (Papaya)- पपीता एक स्वादिष्ट फल होने के साथ-साथ औषधिय गुणों का खजाना भी है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटफंगल, एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। त्वचा रोगों के उपचार में पपीता बेहद फायदेमंद होता है। प्रतिदिन प्रभावित त्वचा पर पपीता रगड़ें, फंगल इंफेक्शन खत्म हो जाएगा।
6. सेब का सिरका (Apple Vinegar)- सेब के सिरके में एंटीबैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं जो फंगल इंफेक्शन को खत्म कर खुजली से राहत दिलाने में मदद करते हैं। सेब का सिरका इंफेक्शन के विस्तार को भी रोकने में मदद करता है। सेब के सिरके में बरबर की मात्रा में पानी मिलाकर अच्छी तरह मिक्स कर लें। इस मिश्रण को प्रभावित स्थान पर लगाएं। आराम लग जाएगा।
7. नारियल तेल (Coconut Oil)- नारियल तेल प्राकृतिक एंटीसेप्टिक के रूप में कार्य करते हुए दाद, खुजली, जलने से हुए घाव आदि से छुटकारा दिलाता है।
नारियल तेल में एंटीफंगल, एंटीवायरल, एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। ये गुण फंगल इंफेक्शन से त्वचा की रक्षा करते हैं। टिनिया क्रूरिस से राहत पाने के लिए प्रतिदिन दिन में 3-4 बार प्रभावित त्वचा पर नारियल तेल लगाएं।
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8. ट्री टी ऑयल (Tree Tea Oil)- ट्री टी ऑयल में एंटीबैक्टीरियल, एंटीमाइक्रोबियल, एंटीफंगल और एंटीमायकोटिक गुण पाए जाते हैं जो फंगल को खत्म कर संक्रमण और दाद खुजली आदि से राहत दिलाते हैं। एक चम्मच नारियल तेल में 10-12 बूंदे टी ट्री ऑयल को अच्छी तरह मिलाकर प्रतिदिन दिन में तीन बार प्रभावित त्वचा पर लगाएं।
9. लेमनग्रास ऑयल (Lemongrass Oil)- लेमनग्रास ऑयल में एंटीफंगल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं जो त्वचा पर पड़ने वाले रैशेज और लालिमा को कम करते हैं। ये गुण फंगल इंफेक्शन को खत्म कर दाद, खुजली, जलन आदि से राहत दिलाते हैं। प्रतिदिन, दिन में दो, तीन बार लेमनग्रास ऑयल को प्रभावित त्वचा पर लगाएं।
10. अजवाइन का तेल (Celery Oil)- अजवाइन के तेल में एंटीफंगल के दो शक्तिशाली के घटक थाइमोल और कार्वाकोल उपस्थित होते हैं जो फंगल को फैलने से रोकने में मदद करते हैं। यह तेल दाद, खुजली और जलन से राहत दिलाता है। अजवाइन के तेल में नारियल तेल या कोई अन्य तेल मिलाकर इसे पतला कर लें। फिर इसे प्रतिदिन दिन में तीन बार प्रभावित त्वचा पर लगाएं।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको टिनिया क्रूरिस के बारे में विस्तार से जानकारी दी। टिनिया क्रूरिस क्या है?, टिनिया क्रूरिस के कारण, टिनिया क्रूरिस के जोखिम कारक, टिनिया क्रूरिस के लक्षण, टिनिया क्रूरिस का निदान, टिनिया क्रूरिस का उपचार और टिनिया क्रूरिस से बचाव के उपाय, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से टिनिया क्रूरिस से राहत पाने के लिए बहुत सारे घरेलू उपाय भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
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