दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, आज हम बात करेंगे एक ऐसे रोग की जिससे बुजुर्ग तो क्या बच्चे और व्यस्क भी परेशान हैं और यह आम समस्या है जिसे आर्थराइटिस यानी “गठिया” के नाम से जाना जाता है। आपने अक्सर कुछ लोगों को जो 50 वर्ष से अधिक आयु के हैं, को देखा कि उनको चलने फिरने में बहुत तकलीफ़ होती है, इनमें अधिकतर महिलाऐं होती हैं। ये चलते-चलते रुक जाते हैं, एक जगह बैठ जाते हैं, हांफते हैं, सांस लेने में दिक्कत होती है। और कुछ व्यस्क लोगों को भी ऐसी अवस्था में देखा होगा। बच्चे भी इस बीमारी से अछूते नहीं बचे हैं, उनके कमर के नीचे का फैलता हुआ हिस्सा गठिया होने के गवाही देता है। डॉक्टर के पास इलाज के लिये जाओ तो दवाईयां, इंजेक्शन चालू हो जाते हैं फिर इसी दौरान या लंबे समय के बाद फिजियोथेरेपी शुरू हो जाती है और अंत में डॉक्टर सर्जरी की सलाह देने लगते हैं विशेषकर बुजुर्गों को कि अपने घुटने बदलवा लो जोकि अधिकतर कमर्शियल दृष्टिकोण से सलाह होती है। यह डॉक्टर्स का अंतिम विकल्प होता है। इस समस्या का डॉक्टरी इलाज के अतिरिक्त कोई और भी उपाय है? दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “गठिया के घरेलू उपाय”।
देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको गठिया के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि इससे राहत पाने के क्या घरेलू उपाय हैं। तो, सबसे पहले जानते हैं कि गठिया क्या है और यह कितने प्रकार का होता है। फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।
गठिया क्या है?- What is Arthritis
गठिया जिसे अंग्रेजी में (Arthritis) कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें हड्डियों और जोड़ों में दर्द रहता है और दर्द के साथ-साथ अधिकतर सूजन भी रहती है। कई बार सूजन गांठ का रूप भी ले लेती है जो अत्यंत पीड़ाकारी होती है। जोड़ों से तात्पर्य है वह स्थान जहां दो हड्डियां आपस में मिलती हैं, जैसे कि कंधे, कोहनियां, घुटने आदि। यह दर्द, कंधों, कूल्हों, हाथ, और घुटनों को प्रभावित करता है जिसके चलते दैनिक जीवन के कामकाज भी प्रभावित होते हैं। गठिया की स्थिति रक्त में अधिक मात्रा में यूरिक एसिड जमा होने, हड्डियों में इसके पहुंचने से बनती है।
कार्टिलेज ऊतकों की क्षति होने के कारण भी गठिया होता है। कार्टिलेज ऊतक हड्डियों के बीच कुशन का कार्य करते हुऐ जोड़ों को आपस में घर्षण से बचाते हैं। गठिया होने के और भी अन्य कारण होते हैं जिनका जिक्र हम आगे करेंगे। यह रोग अक्सर 50 वर्ष से अधिक आयु वालों को भी होता है परन्तु, बदलते खानपान और बदलती जीवन शैली के कारण बच्चों और युवा लोगों में भी यह समस्या बढ़ रही है। आंकड़ों के अनुसार भारत में 18 करोड़ से भी अधिक लोग गठिया की समस्या से जूझ रहे हैं।
गठिया के प्रकार – Types of Arthritis
दोस्तो, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि गठिया के 100 से अधिक प्रकार होते हैं जिनमें मुख्य रूप से 9 होते हैं जिनका विवरण निम्न प्रकार हैं –
1. ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis)- यह गठिया का सबसे आम रूप है जिसमें कार्टिलेज धीरे-धीरे नष्ट होने लगते हैं। कार्टिलेज हड्डियों का बचाव करने वाला ऊतक है जो एक प्रकार से कुशन का काम करते हैं। यह जोड़ों को आपस में रगड़ से बचाते हैं। इनके क्षतिग्रस्त होने पर हड्डियों में दर्द रहने लगता है, सूजन बढ़ जाती है और साथ ही जोड़ों के हिलने-ढुलने और गतिविधि में कमी आती है।
2. रूमेटाइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis)- यह वस्तुतः एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें इम्यून सिस्टम शरीर के स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करके उनको क्षतिग्रस्त करता है। इससे जोड़ों में दर्द बनता है और शरीर के अंगों में बहुत अधिक सूजन हो जाती है।
3. गाउट (Gout)- इसमें शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक हो जाती है जिससे यूरिक एसिड जोड़ों और नसों में जमने लगता है और जोड़ों के कार्टिलेज भी क्षतिग्रस्त होने लगते हैं।
4. सोराइटिक अर्थराइटिस(Psoriatic Arthritis) – यह सोरायसिस जोकि एक त्वचा विकार है, के कारण होता है।
5. रिएक्टिव आर्थराइटिस (Reactive Arthritis)- यह संक्रमण के कारण होता है। इसमें जोड़, आंखें, मूत्र मार्ग और जननांग क्षेत्र प्रभावित होते हैं जिनमें दर्द होता है और सूजन भी।
6. एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis)- इसमें कमर की हड्डी और जोड़ों में दर्द होता है और सूजन भी होती है। सबसे ज्यादा पीठ में दर्द और सूजन रहने लगते हैं।
7. जुवेनाइल आर्थराइटिस (Juvenile Arthritis)- यह 16 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों को होता है, इसी लिये इसे जुवेनाइल आर्थराइटिस कहते हैं। इसका कारण अज्ञात है पर अनुमान के आधार पर ऑटोइम्यून विकार से जोड़कर देखा जाता है। इसमें शरीर की स्वस्थ्य कोशिकाऐं नष्ट होने लगती हैं।
8. सेप्टिक अर्थराइटिस (Septic Arthritis)- जोड़ों में आई सूजन को सेप्टिक अर्थराइटिस कहा जाता है। इसके होने का स्टेफिलोकॉकल बैक्टीरिया (Staphylococcal Bacteria) होता है इसलिये इसे बैक्टीरियल अर्थराइटिस भी कहते हैं। ये बैक्टीरिया घाव से खून के रास्ते या चोट के रास्ते या सर्जरी के समय सीधे जोड़ों तक पहुंच कर जोड़ों को प्रभावित करते हैं। यह कूल्हे और घुटने के जोड़ों को सामान्य रूप से सबसे अधिक प्रभावित करता है।
9. थंब आर्थराइटिस / अंगूठे में गठिया (Thumb Arthritis)- इसे गाउट का एक प्रकार माना जाता है जिसमें हाथ या पैर के अंगूठे में या हाथ और पैर दोनों के ही अंगूठे प्रभावित होते हैं। इसमें दर्द और सूजन के कारण अंगूठे की पकड़ और मूवमेंट की शक्ति कमजोर पड़ जाती है।
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गठिया होने के कारण – Cause of Arthritis
गठिया होने के हो सकते हैं निम्नलिखित कारण –
1. हड्डियों के जोड़ों में यूरिक एसिड जमा हो जाना, मुख्य कारण है।
2. हड्डियों में कैल्शियम की कमी होने के कारण जोड़ों में सूजन और अकड़न बढ़ जाती है।
3. कार्टिलेज की क्षति होने से जोड़ आपस में रगड़ खाते हैं जिससे दर्द बनता है। कार्टिलेज एक प्रकार से ऊतक है जो हड्डियों के लिये कुशन का काम करता है।
4. मोटापा भी गठिया का कारण बनता है क्योंकि शरीर का वजन घुटनों, कूल्हों व कमर पर ज्यादा दबाव डालता है।
5. पुरानी चोट जो कभी हड्डी में लगी हो, वह भी भविष्य में गठिया की वजह बन सकती है।
6. किसी बैक्टीरियल इंफैक्शन या वायरस के कारण गठिया हो सकता है।
7. ऐज फैक्टर – 50-55 वर्ष की आयु होने पर गठिया होना आम बात है परन्तु यह समस्या युवाओं में भी देखी जा सकती है।
8. आनुवांशिकता भी गठिया का कारण होती है। परिवार में यदि कोई इससे ग्रस्त है तो अन्य सदस्यों के भी इससे पीड़ित होने की संभावना हो सकती है।
गठिया के लक्षण – Symptoms of Arthritis
गठिया के मरीज में निम्नलिखित लक्षण नजर आते हैं –
1. गठिया के मरीज को चलने फिरने में बहुत तकलीफ़ होती है, यह मुख्य कारण है।
2. मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर पड़ जाती है।
3. शरीर में कमजोरी और थकावट महसूस होती है।
4. दर्द प्रभावित जोड़ में भारीपन महसूस होता है।
5. दर्द वाले हिस्से में सूजन हो सकती है।
6. प्रभावित त्वचा पर लालिमा छा सकती है। त्वचा पर रैसेज़ भी पड़ सकते हैं।
7. मरीज को बार-बार बुखार होने की शिकायत रहती है।
8. सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
9. वजन कम होने लगता है।
10. सुबह के समय दर्द अधिक होता है।
गठिया का परीक्षण – Arthritis of Test
डॉक्टर सबसे पहले मरीज का शारीरिक परीक्षण करते हैं। इसमें जोड़ों में सूजन, लालिमा, जोड़ों की गतिविधि को नोट करते हैं। फिर कुछ निम्नलिखित टैस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं –
1. लैब टैस्ट – इसमें ब्लड, यूरिन और जोड़ों का द्रव आदि शामिल होते हैं।
2. इमेजिंग टैस्ट – इसमें एक्स-रे, सीटी स्कैन और एमआरआई शामिल हैं। विवरण निम्न प्रकार है –
(i) एक्स-रे – इससे हड्डी में चोट, हड्डी बढ़ना और कार्टिलेज के पतन का पता चलता है। यह रोग की प्रगति को ट्रैक करने में सहायक होता है।
(ii) सीटी स्कैन – सीटी स्कैन में हड्डी और आसपास के नरम ऊतकों की इमेज बहुत क्लियर आती हैं।
(iii) एमआरआई – एमआरआई के द्वारा नरम ऊतकों (कार्टिलेज, टेंडन, लिगमेंट) के अधिक डिटेल में इमेज प्राप्त होती हैं।
3. अल्ट्रासाउंड – अल्ट्रासाउंड के जरिये जोड़ों में इंजेक्शन के लिए सही जगह का चुनाव आसान हो जाता है।
गठिया का इलाज – Arthritis of Treatment
गठिया के इलाज के लिये मरीज के लक्षणों के आधार पर यह डॉक्टर निर्णय लेते हैं कि उपचार की कौन सी विधि अच्छी रहेगी। डॉक्टर निम्नलिखित विधियों से इलाज कर सकते हैं –
1. दवाईयां – कुछ दर्द निवारक दवाऐं दी जा सकती हैं जो केवल दर्द कम करेंगी, सूजन पर इनका कोई असर नहीं होगा। कैल्शियम की गोलियां और विटामिन-डी के सप्लिमेंट दिये जा सकते हैं।
2. नॉन स्टीरॉयडल एंटी-इन्फ़्लमेट्री दवाएं – ये दवाएं दर्द और सूजन दोनों को कम करने का काम करती हैं।
3. ऑइंटमेंट – कुछ क्रीम या जैल (gel) दी जा सकती हैं जिनको जोड़ों के दर्द के स्थान पर लगाया जाता है।
4. कॉर्टिकॉस्टेरॉइड्स – कॉर्टिकोस्टेरॉइड डेफ्लाज्कॉर्ट दवाइयों के एक समूह के अंतर्गत आता है जिसे सूजन की स्थिति में दिया जाता है और प्रतिरक्षा प्रणाली पर दबाव डालता है। इनको गोली इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है या इंजेक्शन दर्द वाले जोड़ों में लगाया जाता है
5. काउंटर इर्रिटेन्ट्स – इसे दर्द वाले जोड़ों की त्वचा पर लगाया जाता है ताकि दर्द को रोका जा सके।
6. डिजीज-मॉडिफाइंग एंटी-रूमैटिक दवाएं – इन दवाओं का उपयोग रूमेटाइड गठिया के उपचार में किया जाता है।
7. फिजियोथेरेपी – कई मामलों में डॉक्टर दवाओं के साथ-साथ फिजियोथेरेपी कराने की भी सलाह देते हैं। फिजियोथेरेपी में हड्डियों और जोड़ों की मालिश, सिकाई मेनुअल और मशीनों द्वारा की जाती है। जोड़ों के संचालन और गति में सुधार लाने का प्रयास किया जाता है।
8. सर्जरी – जब दवाओं से कोई फ़र्क ना पड़े तो अंतिम विकल्प के तौर पर सर्जरी को उपयोग में लाया जाता है। सर्जरी प्रक्रिया में; जोड़ों की सतह को चिकना और फिर से संगठित करना, खराब कूल्हे और घुटनों के जोड़ों को कृत्रिम कूल्हे और जोड़ों से बदलना, जॉइंट फ्यूज़न (छोटे जोड़ों के लिये) जैसे कलाई, उंगलिया, टखना आदि, शामिल हो सकते हैं।
गठिया के घरेलू उपाय – Home Remedies for Arthritis
दोस्तो, अब बताते हैं आपको निम्नलिखित घरेलू उपाय जिनको अपनाकर गठिया के दर्द को कम कर सकते हैं –
1. गर्म और ठंडी सिकाई (Hot and cold Compress)- गर्म और ठंडी सिकाई एक बेहतरीन उपाय है दर्द से राहत पाने का, चाहे वह दर्द गठिया का हो या शरीर पर चोट लगने का। गर्म सिकाई ब्लड सर्कुलेशन को सही करती है, जोड़ों की कठोरता और मांसपेशियों के दर्द से राहत दिलाती है तो ठंडी सिकाई शरीर की सूजन को कम करती है और दर्द को भी कम करती है। गठिया की समस्या में पहले गर्म पानी से सिकाई करें, इसके लिये गर्म पानी (सहन करने लायक) में तौलिया डुबोकर, निचोड़कर प्रभावित जगह पर रखें कुछ देर बाद हटाकर यह प्रक्रिया दोहरायें।
बेहतर होगा यदि गर्म पानी में सेंधा नमक मिला दिया जाये तो। ठंडी सिकाई के लिये किसी कपड़े में कुटी हुई बर्फ़ बांधकर प्रभावित जगह पर रखकर 15-20 मिनट के लिये छोड़ दें। सिकाई करने वाली बोतल में बर्फ़ या चिल्ड वाटर भरकर भी सिकाई की जा सकती है। गर्म और ठंडी सिकाई के बीच एक घंटे का अंतराल अवश्य रखें।
2. हल्दी (Turmeric)- हल्दी प्राकृतिक एंटीसेप्टिक के रूप में काम करती है। इसमें करक्यूमिनोइड तत्व मौजूद होते हैं, इनकी वजह से हल्दी में एंटीआर्थराइटिक और एंटीइन्फ्लामेट्री गुण अपना प्रभाव दिखाते हैं। चोट, सूजन की समस्या में हल्दी लगाने पर जल्दी आराम आ जाता है। गठिया की समस्या में दो, तीन ग्राम हल्दी पानी में डालकर, उबालकर, ठंडा करके इसका नियमित रूप से सेवन करें। धीरे-धीरे गठिया के दर्द और सूजन में आराम आने लगेगा।
3. अदरक (Ginger)- हल्दी की ही भांति, अदरक भी प्राकृतिक रूप से सूजन को कम करने और दर्द निवारण का काम करती है। इसमें भी एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइन्फ्लामेट्री वाले गुण मौजूद होते हैं। गठिया की समस्या से राहत पाने के लिये अदरक के तेल का इस्तेमाल करें, इसके तेल से मालिश करें और सुबह अदरक की चाय पीयें। अदरक की चाय के लिये आपको एक गिलास पानी में थोड़ी सी अदरक कूट कर अच्छी तरह उबालनी है। इसे छान कर थोड़ा ठंडा करे चाय की तरह पीयें, चाहें तो स्वाद के लिये इसमें आधा चम्मच शहद भी मिला सकते ही हैं।
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4. लहसुन (Garlic)- लहसुन में पाये जाने वाला एंटीइंफ्लेमेटरी गुण गठिया के दर्द और सूजन को खत्म करने में मदद करता है। यह गठिया के कारण हड्डियों में होने वाले बदलाव को भी रोकने में सक्षम होता है। इसके अतिरिक्त, लहसुन में डायलाइल डाइसल्फाइड, एलेसिन, एजोएन और सेलेनियम जैसे तत्व भी मौजूद होते हैं जिनके कारण लहसुन एंटीआर्थराइटिक प्रभाव दिखाता है। जिनको गठिया है वे और जिनको गठिया नहीं है वे भी रोजाना सुबह खाली पेट तीन, चार लहसुन की कच्ची कलियां खायें।
5. मेथी (Fenugreek)- मेथी में एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीआर्थराइटिक गुण मौजूद होते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें सैचुरेटेड और अनसैचुरेटेड फैटी एसिड मौजूद होता है। ये सब हड्डियों के सूजन तथा दर्द को कम करने में मदद करते हैं। इसके लिये मेथी के दानों को पानी में अच्छी तरह उबाल लें। इसे छानकर इसमें नींबू और शहद मिलाकर पीयें। इसे दिन में चार, पांच बार पी सकते हैं। इसके अतिरिक्त मेथी दानों को अंकुरित कर स्प्राउट की तरह सेवन कर सकते हैं।
6. बथुआ (Bathua)- बथुआ वस्तुतः पत्तेदार पौधा होता है जिसका साग, परांठे, रायता आदि बनाये जाते हैं। यह गठिया की समस्या से स्थाई रूप से हमेशा के लिये छुटकारा दिला सकता है। गठिया के दर्द और सूजन से राहत पाने के लिये रोजाना सुबह खाली पेट पाने के लिये 15 ग्राम बथुआ के पत्तों का रस निकाल कर पीयें।
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7. मुलेठी (Muleti)- मुलेठी में ग्लाइसिराइजिन नामक तत्व पाया जाता है, जो एंटीइंफ्लेमेटरी एजेंट के रूप में काम करता है। इसके अतिरिक्त इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबायोटिक गुण मौजूद होते हैं जो दर्द और सूजन को कम करने का काम करते हैं। गठिया के दर्द और सूजन से राहत पाने के लिये किसी भी रूप में मुलेठी का सेवन करें। मुलेठी की सूखी छड़, पाउडर, टैबलेट, कैप्सूल, जैल बाजार में उपलब्ध हैं।
8. सेब का सिरका (Apple Vinegar)- गठिया के उपचार के लिये सेब का सिरका एक अच्छा विकल्प है। यह संयोजी ऊतकों और जोड़ों से विषाक्त पदार्थों को हटाने का काम करता है। इसमें में कैल्शियम, पोटेशियम, फास्फोरस जैसे कई खनिज मौजूद होते हैं। गठिया के उपचार के लिये प्रतिदिन सुबह एक कप गर्म पानी में एक चम्मच सेब का सिरका और शहद मिलाकर पीयें।
9. कच्चे पपीते की चाय (Raw Papaya Tea)- पपीता शरीर में यूरिक एसिड को कम करने और सूजन को खत्म करने का काम करता है। गठिया की समस्या से छुटकारा पाने के लिये कच्चे पपीते की चाय बनाकर पीयें। इसके लिये एक गिलास पानी में कुछ कच्चे पपीते के टुकड़े डालकर अच्छी तरह उबालें, इसे छानकर इसमें एक ग्रीन टी बैग दो मिनट के लिये डाल दें। हल्का ठंडा, यानी गुनगुना होने पर इस चाय को पीयें।
10. आलू का रस (Potato Juice)- आलू गठिया के उपचार में एक बेहतरीन उपाय है। इसमें मौजूद खनिज शरीर यूरिक एसिड की मात्रा को कम करने और सूजन को कम करने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं और गठिया में आराम दिलाते हैं। इसके लिये रात को आलू छीलकर, बारीक टुकड़े काट कर, पानी में भिगो दें। सुबह इसे छानकर, खाली पेट पीयें, चाहें तो आलू भी खा सकते हैं।
11. सरसों का तेल (Mustard Oil)- सरसों का तेल एक प्राकृतिक मरहम के तौर पर काम करते हुऐ और रक्त प्रवाह को उत्तेजित करता है। सामान्य तौर पर, बिना किसी बीमारी के शरीर पर इस तेल से मालिश करने से रक्त संचार सही बना रहता है, शरीर में स्फूर्ति रहती है। भारत में सरसों के तेल से मालिश करने की प्राचीन काल से ही परम्परा रही है चाहे वह नहाने के पहले हो या नहाने के बाद। पहलवान लोगों के लिये तो यह आवश्यक आवश्यकता है। जहां तक गठिया के दर्द का मामला है तो रात को सोने से पहले सरसों के तेल को गर्म करके ठंडा गुनगुना होने दें। फिर इसमें प्याज का भी रस मिला लें। इसे प्रभावित स्थान पर हल्के हाथ से मालिश करके प्लास्टिक शीट या तौलिया से कवर कर दें। दिन में भी इस तेल से मालिश कर सकते हैं, आराम लग जायेगा।
12. अरंडी का तेल (Castor oil)- अरंडी के तेल को गठिया के उपचार के लिये एक उत्तम उपाय माना जाता है। इसमें रिसिनोलिक एसिड मौजूद होता है जो एंटीइंफ्लामेटरी गुण के रूप में कार्य करते हुऐ सूजन और दर्द को खत्म करने में मदद करता है। यह तेल शरीर में लिम्फोसाइट को बढ़ाने का भी काम करता है, ये एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाएं होती हैं। ये श्वेत रक्त कोशिकाएं प्रत्येक बीमारी से लड़ती हैं और चोटों से भी उबरने में मदद करती हैं।
गठिया के लिये एक साफ़ कपड़े को अरंडी के तेल में भिगोकर हल्का निचोड़ दें ताकि इसका अतिरिक्त तेल निकाल जाये। अब इस कपड़े को प्रभावित स्थान पर लगाकर प्लास्टिक शीट से कवर कर दें ताकि हवा ना लगे। फिर गर्म पानी की बोतल या हीटिंग पैड से इसकी सिकाई करें, लगभग एक घंटे तक। इससे दर्द और सूजन में आराम आ जायेगा। या अरंडी के तेल में अजवाइन व कपूर मिलाकर गर्म करके गुनगुना रहने तक ठंडा कर लें। इस तेल को प्रभावित जगह पर लगाकर हल्के हाथों से 15-20 मिनट तक मालिश करें। इससे जोड़ों में दर्द और अकड़न में आराम लग जायेगा।
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13. अश्वगंधा (Ashwagandha)- अश्वगंधा को आयुर्वेद में सूजन कम करने वाली एक जड़ी बूटी के रूप में जाना जाता है। इसमें उपस्थित एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण जोड़ों में दर्द और सूजन को कम करने का काम करते हैं और जोड़ों को क्षति से बचाते हैं। जोड़ों के दर्द और सूजन से राहत पाने के लिये अश्वगंधा की चाय बनाकर पीयें। अश्वगंधा की चाय बनाने के लिये डेड़ कप पानी में एक चम्मच अश्वगंधा पाउडर डालकर हल्की आग पर तब तक उबालें जब तक पानी जलकर एक कप ना रह जाये।
इसे छानकर थोड़ा ठंडा होने पर इसे ऐसे ही पीलें या इसमें अपनी चाहत और स्वादानुसार आधा चम्मच शहद और आधा नींबू का रस मिला लें। मगर याद रखिये इसमें कभी चीनी या गुड़ ना मिलायें क्योंकि चीनी केमिल्स द्वारा तैयार की जाती है प्रोसेस और गुड़ की तासीर भी अश्वगंधा के समान गर्म होती है। इसलिये फायदे की बजाय नुकसान होने की संभावना रहती है। यहां हम स्पष्ट करना चाहेंगे कि रूमेटाइड आर्थराइटिस के मरीज यह उपाय ना अपनायें क्योंकि इससे उनमें प्रतिरक्षा प्रणाली अधिक सक्रिय हो जायेगी।
14. तुलसी (Basil)- भारत में तुलसी के पौधे को पवित्र माना जाता है और मानव जीवन के लिये “अमृत” कहा गया है। इसे औषधीय और आध्यात्मिक गुणों के कारण अन्य जड़ी बूटियों की अपेक्षा श्रेष्ठ माना गया है। इसीलिये तुलसी को “जड़ी बूटियों की रानी” कहा जाता है। तुलसी में अर्सोलिक एसिड है पाया जाता है, इस एसिड में एंटीइन्फ्लामेट्री गुण होते हैं, जो सूजन को खत्म करने का काम करते हैं। तुलसी में एंटीआर्थराइटिक गुण भी मौजूद होते हैं जो दर्द कम करने में मदद करते हैं। गठिया के दर्द से छुटकारा पाने के लिये प्रतिदिन तुलसी की चार, पांच पत्तियां चबायें और तुलसी की चाय भी दिन में दो बार पीयें। इसके प्रभाव से 24 घंटे में सूजन में कमी आ जायेगी।
15. वजन कम करें (Lose Weight)- यदि वजन ज्यादा है तो पूरे शरीर का भार घुटनों पर पड़ता है और साथ ही कूल्हे के जोड़ों पर भी अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे गठिया की संभावना अधिक बढ़ जाती है। बेहतर होगा कि अपने शरीर का वजन कम करें, इससे घुटनों और जोड़ों पर दबाव कम पड़ेगा, दर्द और अकड़न में भी आराम मिलेगा। आर्थराइटिस फाउंडेशन भी वजन कम करने की सलाह देता है।
16. व्यायाम करें (Exercise)- नियमित रूप से प्रतिदिन व्यायाम करने से भविष्य में आर्थराइटिस होने की संभावना कम होती है और जिनको आर्थराइटिस की समस्या है, उनके लिये तो व्यायाम और भी जरूरी हो जाता है। आर्थराइटिस की समस्या में योग गुरू/विशेषज्ञ की देखरेख में रोजाना कम से कम 45 मिनट तक व्यायाम करें, इससे दर्द और अकड़न में आराम आ जायेगा। इस बारे में फिजियोथेरपिस्ट की भी सलाह ले सकते हैं।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने गठिया के घरेलू उपाय के बारे में विस्तार से जानकारी दी। गठिया क्या है, गठिया के प्रकार, गठिया होने के कारण, गठिया के लक्षण, गठिया का परीक्षण और गठिया का इलाज, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से गठिया से राहत पाने के बहुत सारे घरेलू उपाय भी बताये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
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Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।
Outstanding Article.