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होमोफोबिया क्या होता है? – What is Homophobia in Hindi

होमोफोबिया क्या होता है?

स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग में। दोस्तो, डर एक ऐसी सामान्य और स्वाभाविक भावना है जिसके परिणाम स्वरूप मनुष्य असामान्य प्रतिक्रिया व्यक्त करता है जो उसे नकारात्मता की ओर ले जाती है। हर किसी को, किसी ना किसी से डर लगता है। जब यह डर बिना उचित कारण के लगने लगे और यह हद से ज्यादा लगने लगे तो यह उस व्यक्ति के मस्तिष्क में बैठ जाता है तो इसे फोबिया कहा जाता है। यह एक मनोविकार है। इस फोबिया में एक विशेष वस्तु आती है जिसे रक्त कहा जाता है। कई लोगों को खून को देखकर ही बहुत डर लगता है। खून अपना निकले या किसी और का, उनको डर के मारे घबराहट होने लगती है। इस स्थिति को यानि फोबिया के इस रूप को होमोफोबिया कहा जाता है। आखिर यह होमोफोबिया है क्या? दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “होमोफोबिया क्या है?”। 

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आपको होमोफोबिया के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसका उपचार क्या है। तो, सबसे पहले जानते हैं कि फोबिया क्या है और फोबिया के प्रकार।  फिर इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।

फोबिया क्या है? –  What is Phobia?

फोबिया वस्तुतः सामान्य डर का विकसित रूप है जो मनोविकार में परिवर्तित हो जाता है। सामान्य डर थोड़ी बहुत देर का होता है उदाहरण के तौर पर यह समझिए कि यदि कोई व्यक्ति कहीं पैदल जा रहा है और उसे रास्ते में एक या ज्यादा कुत्ते नजर आते हैं तो स्वाभाविक है कि उसके मन में डर की भावना आएगी कि कहीं कुत्ते उसके पीछे ना पड़ जाएं या काट ना लें। मगर जब वह हिम्मत करके चलता चला जाता है, किसी भी कुत्ते की कोई प्रतिक्रिया नहीं होती और कुत्तों वाली जगह से आगे निकल जाता है तो उसका डर खत्म हो जाता है। 

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इसे सामान्य “डर” कहते हैं। यहां एक और परिस्थिति बन सकती है। यदि कुत्ते उसके पीछे पड़ जाते हैं मगर लोग उसकी मदद को आते हैं, कुत्तों को भगाते हैं, कोई उसे काट लेता है या नहीं भी काटता और वह व्यक्ति वहां से निकल जाता है। ऐसा हादसा उसके मन में घर कर जाता है कि कुत्ते काटते हैं या उस अमुक स्थान पर बहुत सारे कुत्ते होते हैं और वह हमेशा कुत्तों से डरेगा या ऐसे स्थान पर जाने से डरेगा जहां कुत्ते रहते हैं, तो मन में बैठे इस विशेष डर को “फोबिया” कहा जाएगा।

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फोबिया मनोविकार क्या है? – What is Phobia Psychosis?

अब तक यह स्पष्ट हो चुका है कि फोबिया किसी विशेष वस्तु, विशेष स्थान या विशेष परिस्थिति से संबंध रखता है। फोबिया वाले व्यक्ति की यह विशेषता होती है कि वह, यह अच्छी तरह समझता है कि कोई विशेष वस्तु, विशेष स्थान या विशेष परिस्थिति अन्य लोगों के लिये भयंकर या खतरनाक नहीं है फिर भी उसके मन से डर समाप्त नहीं होता। 

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फोबिया वाला व्यक्ति यह भी अच्छी तरह जानता है कि उसके डर का कोई तर्क संगत और ठोस आधार नहीं है और यह भी जानता है कि जिससे वह डरता है अन्य व्यक्ति उससे नहीं डरते, इसके बावजूद भी वह अपने डर को काबू करने में पूरी तरह अक्षम होता है। क्योंकि उसके मन पर वह विशेष डर पूरी तरह कब्जा कर चुका होता है। यही मनोविकार है। 

फोबिया की उत्पत्ति – Origin of Phobia

फोबिया की उत्पत्ति ग्रीक शब्द फ़ोबस (Phobos) से हुई है। फ़ोबस, मंगल ग्रह का एक प्राकृतिक उपग्रह है जिसका नाम यूनानी देवता फ़ोबस के नाम पर रखा गया है और इसका अर्थ है डर। फ़ोबस यानि डर का देवता। मंगल ग्रह का दूसरा प्राकृतिक उपग्रह डिमोज़ है जो फ़ोबस से 7.24 गुणा छोटा है।

फोबिया के प्रकार –  Types of Phobias

जब किसी व्यक्ति को डर लगता है उसके चेहरे के हावभाव बदल जाते हैं। फोबिया वाले व्यक्ति की कुछ शारीरिक प्रतिक्रियाएं भी होती हैं यानि उसमें कुछ लक्षण प्रकट होते हैं। व्यक्ति के लक्षणों और उसकी समस्या के आधार पर फोबिया के 100 से भी अधिक प्रकार माने गए हैं। सबके बारे में बताना तो संभव नहीं है परन्तु हम कुछ के बारे में संक्षेप में विवरण दे रहे हैं जो निम्न प्रकार है –

1. एगोराफोबिया (Agoraphobia)- इस फोबिया से ग्रस्त व्यक्ति को ऐसे स्थान पर जाने से डर लगता है और घबराहट होती है जहां भीड़भाड़ रहती है जैसे कि बस अड्डा, हवाई अड्डा, रेलवे स्टेशन, स्टेडियम, मॉल, सिनेमाघर, मेला धार्मिक स्थल आदि। 

2.सोशल फोबिया (Social Phobia)- इसमें व्यक्ति सामाजिक गतिविधियों और कार्यकलापों में भाग लेने से बचता है। उसे ग्रुप में रहने से घबराहट होती है। यहां तक कि उसे किसी से फोन पर बात करने या रेस्टोरेंट में खाना ऑर्डर करने में या कॉलसेंटर में बात करने में भी दिक्कत होती है।

3. ग्लोसोफोबिया (Glossophobia)- इसमें व्यक्ति लोगों के सामने बोलने से डरता है वह अपनी बात या समस्या दूसरों के सामने नहीं रख पाता। उसे घबराहट होती है। 

4. अरचनोफोबिया (Arachnophobia)- इस फोबिया में व्यक्ति विशेषकर महिलाओं को मकड़ियों बहुत डर लगता है।

5. साइनोफोबिया (Cynophobia)- इसमें व्यक्ति को कुत्तों से बहुत ज्यादा डर लगता है।

6. निक्टोफोबिया (Nyctophobia)- कुछ लोगों को अंधेरे से डर लगता है चाहे बेशक दिन ही क्यों ना हो। ऐसे लोगों को रात के समय भी डर लगता है। वे रात को कहीं आना-जाना अवॉइड करते हैं।

7. एवियोफोबिया (Aviophobia)- इस फोबिया में व्यक्ति को हवाई जहाज से यात्रा करने में डर लगता है।

8. क्लॉस्ट्रोफोबिया (Claustrophobia)- इस फोबिया में व्यक्ति को संकरे स्थानों में प्रवेश करने से डर लगता है जैसे संकरी गलियां, पहाड़ों में संकरी गुफाएं, कार या लिफ्ट आदि।

9. एक्रोफोबिया (Acrophobia)- कुछ लोगों को पहाड़ों पर जाने से डर लगता है। पुल पर जाने से या बहुमंजिला इमारतों में जाने से घबराहट होती है। इसे एक्रोफोबिया कहा जाता है।

10. थनतोफोबिया (Thanatophobia)- इसे मौत का फोबिया कहा जाता है। सब जानते हैं कि मृत्यु एक शाश्वत सत्य है फिर भी मौत के बारे में सोचकर चिंतित होना थनतोफोबिया कहलाता है। 

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होमोफोबिया क्या है? – What is Homophobia?

यह तो स्पष्ट है कि होमोफोबिया (Homophobia), फोबिया का ही एक प्रकार है। यह तो हम सभी जानते हैं कि रक्त मानव शरीर के लिये एक आवश्यक आवश्यकता है जो कि व्यस्कों में 4।5 लीटर से 6 लीटर तक मात्रा में ही यह रक्त वाहिनियों में बहता है। इसके साथ लगभग सभी सहज होते हैं। मगर कुछ लोग रक्त को लेकर असहज होते हैं। उनको रक्त से डर लगता है जबकि रक्त से डरने का कोई तर्क संगत कारण नहीं है। रक्त की बूंद देखकर ही उनको घबराहट होने लगती है, जी मिचलाने लगता है और चक्कर आने लगते हैं। 

एक्सीडेंट में घायल या मृत व्यक्ति के रक्त को देखकर तो वे लगभग बेहोश ही हो जाते हैं। ऐसी डर की स्थिति किसी पशु, पक्षी के रक्त को देखकर भी होती है। अतः रक्त से बेवजह डरना, मेडिकल भाषा में होमोफोबिया कहलाता है। आधिकारिक रूप से, होमोफोबिया एक मान्यता प्राप्त फोबिया है, जिसे डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैनुअल ऑफ मेंटल डिसऑर्डर, पांचवां संस्करण (DSM-5) में Blood-Injection-Injury की श्रेणी में रखा गया है। यह इसलिये क्योंकि होमोफोबिया से ग्रस्त व्यक्ति के लिए रक्त से संबंधित नियमित जांच हेतू ब्लड सेंपल देना (जोकि इंजेक्शन के जरिए दिया जाता है) किसी युद्ध से कम नहीं होता।

होमोफोबिया के प्रकार – Types of Homophobia

होमोफोबिया एक ऐसा शब्द है जो अपने आप में विशालता लिए हुए है। इसमें फोबिया की वे आशंकाएं जुड़ी होती हैं जिसमें रक्त की भागीदारी (involvement) होती है। यही होमोफोबिया के प्रकार कहे जाते हैं। इनका विवरण निम्न प्रकार है –

1. ट्रिपैनोफोबिया (Trypanophobia)- यह ऐसा फोबिया है जिसमें व्यक्ति को मेडिकल सुई से डर लगता है। कई लोग इंजेक्शन लगवाने से बहुत डरते हैं, कई बार तो उनको पकड़ना पड़ता है। 

2. नोसोकोमेफोबिया (Nosocomephobia)- इसे अस्पताल का फोबिया कहा जाता है। नोसोकोमेफोबिया वाले लोगों के लिए अस्पताल खून खराबे वाली जगह है। अस्पताल में प्रवेश करते ही उनके दिल की धड़कन बढ़ जाती है और घबराहट होने लगती है।

3. लैट्रोफोबिया (Latrophobia)- इसे डॉक्टरों का फोबिया कहा जाता है। इससे ग्रस्त व्यक्ति डॉक्टर या डॉक्टरों की टीम देखकर विचलित हो जाता है। उसका ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है।

4. डेंटोफोबिया (Dentophobia)- इसे डेंटिस्ट फोबिया कहा जाता है। व्यक्ति डेंटिस्ट को और औजारों को देखकर ही घबरा जाता है। दांतों के हल्के-फुल्के उपचार में, हल्के दर्द से भी घबराहट होने लगती है।

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होमोफोबिया के कारण – Cause of Homophobia

होमोफोबिया पर हुए शोध के अनुसार इस विशेष फोबिया की नींव छोटी उम्र से ही पड़ जाती है। ऐसे लोग विश्व में 3 से 4% हैं। होमोफोबिया के प्रमाणिक कारण अज्ञात हैं। अनुमान के हिसाब से होमोफोबिया के निम्नलिखित संभावित कारण हो सकते हैं –

1. आनुवंशिक (Genetic)- यह आनुवंशिक हो सकता है यानि परिवार में कोई सदस्य होमोफोबिया से ग्रस्त है तो संभवतः उसकी औलाद भी होमोफोबिया से पीड़ित हो सकती है।

2. भावुकता (Emotionality)- यदि कोई स्वभाव से ही भावुक है या नाजुक है तो उसमें होमोफोबिया घर कर सकता है। 

3. घटनाएं (Events)- यदि किसी के साथ भूतकाल में कोई दर्दनाक हादसा हुआ है या कोई गंभीर दुर्घटना हुई है या अस्पताल में खूनी प्रक्रियाओं को झेला है तो इस बात की बहुत संभावना बढ़ जाती है कि वह  होमोफोबिया से ग्रस्त हो जाए। 

होमोफोबिया के लक्षण – Symptoms of Homophobia

होमोफोबिया से ग्रस्त होने पर निम्नलिखित लक्षण प्रकट हो सकते हैं –

1. बच्चों में – Children

  • रोना, चीखना, चिल्लाना,
  • छिपाना
  • अपने माता-पिता या किसी अन्य से डर के मारे बुरी तरह चिपक जाना।
  • नाज़-नखरे दिखाना
  • ऐसी स्थितियों में जहां रक्त हो, अपने माता-पिता या देखभाल करने वाला जो भी उपस्थित हो, को ना छोड़ना।

2. व्यस्क में – Adult

  • चिंता या घबराहट महसूस करना
  • हृदय गति बढ़ जाना।
  • मितली आना
  • कंपकपी
  • सांस लेने में दिक्कत महसूस करना
  • पसीने से तर-बतर हो जाना
  • शरीर गर्म या ठंडा हो जाना
  • कमजोरी और थकावट महसूस करना
  • रक्त संबंधी स्थितियों से बचने की जरूरत महसूस करना। 
  • बेहोशी महसूस करना

होमोफोबिया का निदान –  Diagnosing Homophobia

होमोफोबिया के निदान के लिये कोई विशेष टेस्ट नहीं होता और ना ही कोई सुई या टेस्ट उपकरण का उपयोग किया जाता है। इसलिए प्रभावित व्यक्ति को किसी चीज से डरने की जरूरत नहीं। केवल बातचीत के जरिये और उसके बताए लक्षणों के आधार पर ही व्यक्ति को डायग्नोज कर लिया जाता है। यह बातचीत का दौर काफी लंबा चल सकता है और कई सिटिंग के लिये चल सकता है। इस बातचीत में मनोचिकित्सक और मनोवैज्ञानिक भी शामिल हो सकते हैं। 

होमोफोबिया का उपचार – Treatment of Homophobia

होमोफोबिया के उन मामलों में इलाज की जरूरत नहीं होती जिनमें प्रतिदिन रक्त और इससे जुड़ी गतिविधियों का involvement नहीं होता। फिर भी होमोफोबिया के उपचार के लिए निम्नलिखित विधियां अपनाई जा सकती हैं – 

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1. दवाएं (Medicines)- यदि होमोफोबिया की कोई विशेष दवा नहीं  है परन्तु इसके लक्षण बढ़ जाने पर लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए कुछ दवाएं दी जा सकती हैं ताकि व्यक्ति राहत महसूस कर सके।

2. कॉग्निटिव-बिहेवियरल थेरेपी (Cognitive-Behavioral Therapy)- इस थेरेपी के जरिये व्यक्ति से वार्तालाप द्वारा होमोफोबिया के कारणों को जानकर, नकारात्मक विचारों को बाहर निकाल कर, व्यक्ति में तर्कसंगत और सकारात्मक विचारों को भरने का प्रयास किया जाता है। ताकि फोबिया पर उसके दृष्टिकोण में परिवर्तन आ सके और शारीरिक प्रतिक्रियाओं से निपटने में वह व्यक्ति सक्षम हो सके।

3. एक्सपोज़र थेरेपी (Exposure Therapy)- जो कारक फोबिया को अट्रेक्ट कर ट्रिगर करते हैं उनको उजागर किया जाता है। व्यक्ति एक सुरक्षित और नियंत्रित वातावरण में अपने को व्यक्त करता है। इससे स्थिति का सटीक मूल्यांकन करने में मदद मिल जाती है। तत्पश्चात् व्यक्ति के मस्तिष्क में वास्तविकता को लाने का प्रयास किया जाता है।

4. रिलैक्सेशन थेरेपी (Relaxation Therapy)- इस थेरेपी में, प्रभावित व्यक्ति को उसी की इच्छानुसार विश्राम करने के लिये योग, ध्यान, प्राणायाम आदि की तकनीक से परिचित कराया जाता है। ताकि व्यक्ति को तनाव और लक्षणों से राहत मिल सके।

5. एप्लाइड टेंशन थेरेपी (Applied Tension Therapy)- इस थेरेपी में व्यक्ति के डर के संपर्क में आने पर मांसपेशियों पर दबाव डाला जाता है। पेट, बाहें और पैरों की मांसपेशियों पर तब तक दबाव डाला जाता है जब तक कि व्यक्ति के चेहरे पर दमक ना आ जाए। इससे बेहोशी को रोकने में मदद मिलती है।

Conclusion – 

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको होमोफोबिया के बारे में जानकारी दी। फोबिया क्या है, फोबिया मनोविकार कैसे है, फोबिया की उत्पत्ति, फोबिया के प्रकार, होमोफोबिया क्या है, होमोफोबिया के प्रकार, होमोफोबिया के कारण, होमोफोबिया के लक्षण और होमोफोबिया का निदान, इन सब के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से होमोफोबिया के उपचार के बारे में भी बताया। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।

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Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको होमोफोबिया के बारे में जानकारी दी। फोबिया क्या है, फोबिया मनोविकार कैसे है, फोबिया की उत्पत्ति, फोबिया के प्रकार, होमोफोबिया क्या है, होमोफोबिया के प्रकार, होमोफोबिया के कारण, होमोफोबिया के लक्षण और होमोफोबिया का निदान, इन सब के बारे में विस्तार पूर्वक बताया।
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