Advertisements

इन्फ्लूएंजा क्या है? – What is Influenza in Hindi

इन्फ्लूएंजा क्या है

स्वागत है हमारे ब्लॉग में। दोस्तो, दिसम्बर से फरवरी का समय ऐसा होता है जिसमें कड़ाके की सर्दियां पड़ती हैं। इन्हीं दिनों में सर्दी, जुकाम की समस्या सबसे ज्यादा होती है विशेषकर बच्चों और बुजुर्गों को। क्योंकि इनकी इम्युनिटी कमजोर होती है और इनकी उम्र मौसम की मार झेलने में सक्षम नहीं होती। ठीक इसी प्रकार इन विशेष महीनों में वायरस फैलने का भी खतरा रहता हे जिसमें मुख्य रूप से फ्लू खुलकर सामने आता है और लोगों को संक्रमित कर देता है। मेडिकल भाषा में इन्फ्लूएंजा  (Influenza) कहा जाता है। इन्फ्लूएंजा एक वायरस है जो बच्चों, बुजुर्गों, कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों, गर्भवती महिलाओं, दो सप्ताह की प्रसूता महिलाओं को संक्रमित कर देता है। यद्यपि यह कोई गंभीर और खतरनाक बीमारी नहीं है क्योंकि हफ्ते भर में ठीक हो जाती है परन्तु तकलीफ़ तो होती ही है ना और कुछ मामलों में गंभीरता भी हो जाती है। इन्फ्लूएंजा-ए, बी और सी मनुष्यों को संक्रमित करते हैं मगर इन्फ्लूएंजा पशुओं में पाया जाता है। इन्फ्लूएंजा-सी सूअरों से मनुष्यों में आता है और यह महामारी का कारण बनता है। आखिर यह इन्फ्लूएंजा है क्या? दोस्तो, रही है हमारा आज का टॉपिक “इन्फ्लूएंजा क्या है?”।

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आपको इन्फ्लूएंजा के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसका उपचार क्या है। तो, सबसे पहले जानते हैं कि इन्फ्लूएंजा क्या है और इसके प्रकार। फिर, इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।

इन्फ्लूएंजा क्या है? – What is Influenza

इन्फ्लूएंजा (Influenza) एक सामान्य वायरल संक्रमण रोग है जो गंभीर तो नहीं है मगर सर्दी, जुकाम से उच्च स्तर का है। उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों में (इसका जिक्र हम आगे करेंगे) यह घातक हो सकता है। यह संक्रमण इन्फ्लूएंजा वायरस ए या बी की वजह से होता है। इन्फ्लूएंजा को फ्लू भी कहा जाता है। “ऑर्थोमेक्सोविरिडे” (Orthomyxoviridae) नामक वायरस परिवार से संबंधित इन्फ्लूएंजा, राइबोन्यूक्लिक (Ribonucleic Acid – RNA) प्रकार का वायरस है। 

Advertisements

फ्लू वायरस की बाहरी परत पर दो मुख्य ग्लाइकोप्रोटीन (Glycoprotein) हेमाग्लगुटिनिन (Hemagglutinin – H or HA) तथा न्यूरोमिनिडेज़ (Neuraminidase – N or NA) होते हैं। यही फ्लू वायरस रोग के प्रसार में अपनी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। यह संक्रमण श्वसन अंगों नाक, गला, फेफड़ों पर आक्रमण करता है। दुर्लभ मामलों में यह हृदय, मस्तिष्क और मांसपेशियां को भी प्रभावित करता है। सिरदर्द, बदन दर्द, तेज बुखार, सूखी खांसी, नाक बहना आदि इसके मुख्य लक्षण होते हैं। 

आमतौर पर इस रोग में जल्दी से डॉक्टर के पास जाने की या टेस्ट कराने की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि यह कुछ दिन या हफ्ते भर में अपने आप ठीक हो जाता है। बस कुछ खानपान का ध्यान रखना पड़ता है, आराम करना पड़ता है और साफ़ सफाई का ध्यान रखना होता है। पृथ्वी के उत्तरी गोलार्थ में अमेरिका सहित फ्लू फैलने का समय अक्टूबर से मई के बीच होता है तथा बाकी अधिक मामले दिसंबर से फरवरी के दरम्यान नोटिस किए जाते हैं। दुर्लभ मामलों में ही रोगी की मृत्यु होती है। इस संक्रमण में मृत्यु दर लगभग 0.1 प्रतिशत है। 

ये भी पढ़ें- आई फ्लू क्या है?

Advertisements

इन्फ्लूएंजा के प्रकार – Types of Influenza

रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (Centre for Disease Control and Prevention CDC) के अनुसार इन्फ्लूएंजा के चार प्रकार होते हैं – इन्फ्लुएंजा ए, बी, सी और डी. इनका विवरण निम्न प्रकार है –

1. इन्फ्लूएंजा-ए  (Influenza-A)- इन्फ्लूएंजा-ए वायरस मनुष्यों के अतिरिक्त कई जानवरों को प्रभावित कर सकता है जैसे कि मुर्गी, सूअर, बत्तख, घोड़ा, व्हेल, सील आदि। इन्फ्लूएंजा-ए को निम्नलिखित दो प्रोटीन के आधार पर उपप्रकारों में बांटा गया है – 

(i) हेमाग्लगुटिनिन (Hemagglutinin – H or HA) – इसके 18 उप-प्रकार होते हैं – H1 से लेकर H18. इसके उप-प्रकारों की पहचान इनको दिये गए नंबर से होती है।

(ii) न्यूरोमिनिडेज़ (Neuraminidase – N or NA) – इसके 11 उप-प्रकार होते हैं – N1 से लेकर N11. इसके उप-प्रकारों की पहचान भी इनको दिये गए नंबर से होती है।  

(iii) अन्य (Others) – यह आश्चर्यजनक परन्तु सत्य है कि इन्फ्लूएंजा-ए, के 130 उप-प्रकारों की पहचान प्रकृति (Nature) में की गई है। 

2. इन्फ्लूएंजा-बी (Influenza-B)- इन्फ्लूएंजा-बी, केवल मनुष्यों को ही प्रभावित करता है। इसके वायरस की संरचना इन्फ्लूएंजा-ए, के वायरल की ही भांति होती है। पहले माना जाता था कि HA और NA के निश्चित एंटीजेनिक लक्षणों की वजह से, इन्फ्लूएंजा-बी के कोई उप-प्रकार नहीं होते। परन्तु 1970 के बाद इसके दो वंशों की पहचान की गई और इनको बी/यामागाटा तथा बी/विक्टोरिया नाम दिया गया। यहां हम बता दें कि ये इसके उप-प्रकार नहीं हैं बल्कि वंश हैं।

3. इन्फ्लूएंजा-सी (Influenza-C)- यह वायरस भी मानव में फैलता है। इसके हल्के-फुल्के ऊपरी श्वसन लक्षण होते हैं। यह मानव महामारी की वजह नहीं बनता। सिर्फ़ हल्के-फुल्के रोग की वजह बनता है। 

4. इन्फ्लूएंजा-डी (Influenza-D)- यह वायरस जानवरों को प्रभावित करता है और जानवरों से जानवरों फैलता है। यह जानवरों से मनुष्यों में भी फैलता है या नहीं, यह अज्ञात है। 

5. वैरिएंट वायरस (Variant Virus)- यह वायरस वस्तुतः इन्फ्लूएंजा-ए का ही रूप है। यह वायरस सूअरों में फैलता है। जब सूअरों से मनुष्यों में आता हे तो यह “वैरिएंट वायरस” कहलाता है। इसे A-H3N2 के नाम से जाना जाता है। इसकी पहचान अंग्रेजी अक्षर “v” से की जाती है यानि A-(H3N2)v। 

यह वैरिएंट वायरस महामारी की वजह बनता है। इतिहास गवाह है कि सन् 2010 में पहली बार A-H3N2 को अमेरिका के सूअरों में पाया गया। सन् 2011 में यह वायरस 12 लोगों में मिला, सन् 2012 में 309 लोगों में और फरवरी-मार्च 2023 में इसके मामलों में वृद्धि देखी गई। चीन के अतिरिक्त भारत में भी सैकड़ों लोग इससे प्रभावित हुए। 

ये भी पढ़ें- एक्यूट माइलोजेनस ल्यूकेमिया क्या है?

इन्फ्लूएंजा कैसे फैलता है? – How does Influenza Spread?

इन्फ्लूएंजा निम्न प्रकार से फैलता है – 

  1. संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से निकलने वाली सांस की बूंदों के एक मीटर से कम के घेरे में किसी व्यक्ति के संपर्क में आ जाने पर। 
  2. संक्रमित पशुओं के संपर्क में आ जाने पर। 
  3. संक्रमित व्यक्ति की त्वचा से त्वचा के संपर्क में आ जाने पर यानि गले लाने से और हाथ मिलाने से।
  4. संक्रमित व्यक्ति के चुम्बन से लार के आदान-प्रदान से।
  5. संक्रमित व्यक्ति की वस्तुओं का इस्तेमाल करने से।
  6. संक्रमित वस्तुओं को छूने से जैसे कि खिड़की, दरवाजे, हैंडल, रिमोट्स, कंप्यूटर कीबोर्ड, टेलीफोन, मोबाइल, बर्तन, धातुएं, ग्रिल, रॉड आदि
  7. अपने हाथों से अपनी आंखों, मुंह या नाक को स्पर्श करने से।  
  8. दूषित सतह के स्पर्श से।

उच्च जोखिम वाले व्यक्ति – High Risk Individuals

निम्नलिखित उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों में इन्फ्लूएंजा होने की संभावना अधिक होती है – 

  1. एक वर्ष से कम आयु के शिशु
  2. 65 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्ग
  3. गर्भवती महिलाएं।
  4. फ्लू के मौसम में डिलीवरी होना
  5. बॉडी मास इंडेक्स 40 या उससे अधिक होना
  6. ऐसे लोग जिनकी इम्युनिटी कमजोर है
  7. ऐसे लोग जो अस्थमा, डायबिटीज या हृदय रोग से लंबे समय से ग्रस्त हों। 
  8. नर्सिंग होम के कर्मचारी।
  9. सैन्य बैरकों में रहने वाले लोग।
  10. सैन्य अस्पतालों में रहने वाले लोग।

इन्फ्लूएंजा के कारण – Cause of Influenza

1. इन्फ्लूएंजा होने का मुख्य कारण स्वयं इन्फ्लूएंजा वायरस है। इन्फ्लूएंजा-ए और बी विशेष मौसम में प्रभावित करते हैं। ये बड़े पैमाने पर भी फैल सकते हैं। 

2. इन्फ्लूएंजा-सी वायरस, सूअरों से मनुष्यों आता है और श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है। यह बहुत बड़े पैमाने पर फैलता है और महामारी का कारण बनता है। 

इन्फ्लूएंजा के लक्षण – Symptoms of Influenza

इन्फ्लूएंजा होने पर इसके निम्नलिखित लक्षण देखे जा सकते हैं – 

  1. तेज बुखार
  2. सिर में दर्द
  3. मांसपेशियों में दर्द, अकड़न
  4. नाक बहना या नाक बंद होना
  5. छींक आना
  6. गले में खराश, गले में सूजन
  7. खांसी
  8. सीने में दर्द
  9. मितली। उल्टी
  10. दस्त लगना
  11. ठंड लगना या पसीना आना
  12. कभी-कभी निस्तब्थता
  13. लसिका ग्रंथियों में सूजन
  14. थकावट और कमजोरी

ये भी पढ़ें- काली खांसी के घरेलू उपाय

इन्फ्लूएंजा का निदान – Diagnosis of influenza

इन्फ्लूएंजा का निदान निम्न प्रकार से किया जाता है –

1. बातचीत (Conversation)- मरीज को डायग्नोज करने के लिए डॉक्टर मरीज से बातचीत करते हैं और यह जानकारी लेते हैं कि क्या वह संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आया है या नहीं। किसी संक्रमित वस्तु या सतह को छुआ है या नहीं।

2. नासोफेरेंगेअल स्वाब सैंपल (Nasopharyngeal) – इस टेस्ट के जरिए यह पता चल जाता है कि व्यक्ति को वायरस ए या बी इंफेक्शन है या नहीं। टेस्ट रिपोर्ट यदि पॉज़िटिव है तो इसका अर्थ है कि व्यक्ति के शरीर में वायरस है। निगेटिव रिपोर्ट का मतलब है कि व्यक्ति में वायरस नहीं है।

3. रैपिड इन्फ्लूएंजा डायग्नोस्टिक टेस्ट (Rapid Influenza Diagnostic Test)- इस टेस्टमके जरिए केवल 10 से 30 मिनट में ही इन्फ्लूएंजा वायरस का पता चल जाता है।

कुछ सावधानियां – Some Precautions

इन्फ्लूएंजा होने पर निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिएं – 

  1. जितना हो सके अपने घर पर ही रह कर आराम करें। 
  2. अपने कमरे में मास्क लगाकर रहें। 
  3. लोगों से संपर्क ना करें। ना किसी के घर जाएं और ना ही किसी को घर बुलाएं।
  4. खूब पानी पीएं, अपने को हाइड्रेट रखें।
  5. भोजन अवश्य करें।
  6. ताजे फल खाएं या जूस पीये।
  7. शराब ना पीएं।
  8. धूम्रपान ना करें। 
  9. गुटका, खैनी, नशीली वस्तुएं, ड्रग्स आदि का सेवन ना करें। 
  10. अपने शरीर को गर्म रखने की कोशिश करें।

ये भी पढ़ें- धूम्रपान छोड़ने के घरेलू उपाय

इन्फ्लूएंजा में क्या खाना चाहिए? – What to Eat During Influenza?

दोस्तो, किसी भी बीमारी में कमजोरी आना स्वाभाविक है। थकावट भी अधिक महसूस होती है। इन्फ्लूएंजा में तो बहुत दिनों तक शरीर बीमार रहता है, तो थकावट और कमजोरी ज्यादा महसूस होती है। शरीर में ताकत लाने के लिए और इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर भोजन का सेवन करना चाहिए। ऐसे ही कुछ खाद्य पदार्थों का विवरण हम दे रहे हैं, इनको अपने भोजन में शामिल करना चाहिए – 

1. विटामिन B6 और B12 वाले खाद्य पदार्थ (Foods with Vitamin B6 and B12)- विटामिन B6 और B12 युक्त खाद्य पदार्थ इम्युनिटी को बूस्ट करते हैं। इनमें सेम, आलू, पालक, अनाज, ड्राईफ्रूट्स, मांस, मछली और चिकन को शामिल करें।  

2. हरी सब्ज़ियां (Green Vegetables)- हरी सब्ज़ियां विटामिन-ए, सी, के, फोलेट और फाइबर और खनिजों से समृद्ध होती हैं। ये शरीर में इम्युनिटी बढ़ाने का काम करती हैं। इनसे आयरन भी मिलता है जो रक्त की कमी को पूरा करने के लिए लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है।

3. चिकन सूप (Chicken Soup)- सर्दी, जुकाम हो जाने पर चिकन सूप का उपयोग प्राचीन काल से होता चला आया है। यह विटामिन, प्रोटीन और खनिज से भरपूर होता है और शरीर को तुरन्त गर्मी और एनर्जी देता है। इससे कमजोरी और थकावट खत्म होती हैं। 

4. चाय (Tea)- चाय भी शरीर को गर्म रखने का काम करती है। यह नाक और साइनस से म्यूकस को साफ़ करने का काम करती है। सर्दी, जुकाम और फ्लू की स्थिति में इसका स्वाद और भी अच्छा लगता है और यह फायदा करती है।

5. नारियल पानी (Coconut Water)- ​नारियल में प्राकृतिक मिठास होती है और इसमें इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं जो शरीर को एनर्जी प्रदान करते हैं तथा शरीर को हाइड्रेट रखते हैं। इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होती। 

6. शहद (Honey)- शहद का उपयोग श्वसन प्रणाली की समस्या के निवारण में प्राचीन काल से होता आया है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफेक्शन, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल आदि गुण होते हैं जो संक्रमण को खत्म करने में मदद करते हैं। यह इम्युनिटी को भी बूस्ट करने का काम करता है। इसलिए इन्फ्लूएंजा की स्थिति में शहद का सेवन करें।

7. अदरक (Ginger)- अदरक में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीएमेटिक, एनाल्जेसिक, एंटीमाइक्रोबियल आदि गुण मौजूद होते हैं जो इन्फ्लूएंजा से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं।  एंटीमाइक्रोबियल गुण बैक्टीरिया को खत्म करते हैं और एंटीएमेटिक गुण मतली, उल्टी को रोकने का काम करते हैं। अपने भोजन में अदरक को शामिल करें। अदरक की चाय बनाकर भी पीएं।

ये भी पढ़ें- अदरक के फायदे और नुकसान

8. लहसुन (Garlic)- लहसुन का उपयोग सदियों से आयुर्वेदिक औषधि के रूप में किया जाता रहा है। लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल, एंटिफंगल आदि गुण मौजूद होते हैं जो संक्रमण के विरुद्ध लड़कर संक्रमण को खत्म करते हैं और श्वसन प्रणाली की सूजन को कम करते हैं। लहसुन इम्युनिटी को भी बूस्ट करता है। 

इन्फ्लूएंजा का उपचार – Treatment of Influenza

इन्फ्लूएंजा के उपचार में निम्नलिखित एंटीवायरल दवाओं का उपयोग किया जा सकता है – 

1. फ्लू का टीका (Flu Vaccine)- यह टीका इन्फ्लूएंजा-ए और बी से बचाता है मगर इन्फ्लूएंजा-सी का कोई टीका नहीं है।

2. ओसेल्टामिविर फॉस्फेट / टैमीफ्लू ®  (Oseltamivir Phosphate/Tamiflu®)- यह टेबलेट या तरल पदार्थ के रूप में मिलती है और इसे कई दिनों तक मुंह के जरिए लेना होता है। 

3. बालोक्सविर मार्बॉक्सिल / ज़ोफ्लुज़ा® (Baloxavir marboxil (Xofluza®))- यह भी टेबलेट या तरल पदार्थ के रूप में मिलती है। इसकी केवल एक खुराक मुंह के जरिए ली जाती है। कुछ चिकित्सीय स्थितियों में, अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के मामलों में यह दवा रिकमंड नहीं की जाती। 

4. ज़नामिविर / रिलेंज़ा® (Zanamivir (Relenza®))-  इनहेलर के साथ मुंह के जरिए ज़नामिविर को सांस लेना होता है और इसे कई दिनों तक लेना होता है। सांस से जुड़ी समस्याओं, अस्थमा और सीओपीडी की स्थिति में इसे रिकमंड नहीं किया जाता।

5. पेरामिविर /रैपिवैप® (Peramivir (RapiVap®)- इस दवा को IV के जरिए सीधा नसों में भेजा जाता है। इसकी केवल एक खुराक दी जाती है। 

6. एस्पिरिन जैसी दवाएं दर्द को कम करने के लिए दी जा सकती हैं मगर 12 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों को नहीं दी जाती। 

Conclusion –

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको इन्फ्लूएंजा के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इन्फ्लूएंजा क्या है, इन्फ्लूएंजा के प्रकार, इन्फ्लूएंजा कैसे फैलता है, उच्च जोखिम वाले व्यक्ति, इन्फ्लूएंजा के कारण, इन्फ्लूएंजा के लक्षण, इन्फ्लूएंजा का निदान, कुछ सावधानियां और इन्फ्लूएंजा में क्या खाना चाहिए, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से इन्फ्लूएंजा के उपचार भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

Summary
Advertisements
इन्फ्लूएंजा क्या है?
Advertisements
Article Name
इन्फ्लूएंजा क्या है?
Description
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको इन्फ्लूएंजा के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इन्फ्लूएंजा क्या है, इन्फ्लूएंजा के प्रकार, इन्फ्लूएंजा कैसे फैलता है, उच्च जोखिम वाले व्यक्ति, इन्फ्लूएंजा के कारण, इन्फ्लूएंजा के लक्षण, इन्फ्लूएंजा का निदान, कुछ सावधानियां और इन्फ्लूएंजा में क्या खाना चाहिए, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया।
Author
Publisher Name
Desi Health Club
Publisher Logo

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *