दोस्तो, जिन शिशुओं को किसी कारणवश अपनी मां का दूध नहीं मिल पाता वे गाय का या फार्मूला दूध पीते हैं। मगर उनमें समस्या तब बढ़ जाती है जब उनको यह दूध भी नहीं पचता। जब भी वे दूध पीएंगे तभी वे मल त्याग करेंगे। नतीजा ना उनका पेट भर पाता है और ना ही नीयत, स्वास्थ की हानि होने लगती है सो अलग। इसी प्रकार कुछ बड़े बच्चे और व्यस्क लोगों को भी दूध से परेशानी होती है यहां तक की दूध से बने खाद्य पदार्थ जैसे दही पनीर खाने से भी उनको पाचन की समस्या होती है। इसका
अर्थ स्पष्ट है कि ऐसे शिशु, बच्चे और बड़े लोग लैक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या से ग्रस्त हैं। लैक्टोज इंटॉलरेंस एक पाचन विकार है जिसके चलते दूध और डेयरी उत्पाद पच नहीं पचा पाते। फिर बच्चों को और बड़ों को वैकल्पिक दूध और वैकल्पिक पदार्थों पर निर्भर रहना पड़ता है। यद्यपि यह स्थिति खतरनाक नहीं है परन्तु अच्छी भी नहीं है। आखिर यह लैक्टोज इंटॉलरेंस है क्या?। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “लैक्टोज इंटॉलरेंस क्या है?”।
देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आपको लैक्टोज इंटॉलरेंस के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसका उपचार क्या है और बचाव क्या है। तो, सबसे पहले जानते हैं कि लैक्टोज क्या है और लैक्टोज इंटॉलरेंस क्या है। फिर, इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।
लैक्टोज क्या है? – What is Lactose?
दोस्तो, एक कार्बनिक यौगिक है जिसे डिसैकराइड (Disaccharide) कहा जाता है। यह एक प्रकार की शुगर है जो गैलेक्टोज और ग्लूकोज के संयोजन से बनती है। लैक्टोज को डबल शुगर या बायोस भी कहा जाता है। यह कार्बनिक यौगिक स्वाद में हल्की मिठास लिए, सफेद रंग का, पानी में घुलनशील और गैर-हीड्रोस्कोपिक ठोस होता है। इसका इस्तेमाल फूड इंडस्ट्री द्वारा, खाद्य पदार्थों में किया जाता है।
यह दूध में प्राकृतिक रूप से लगभग 2।8 प्रतिशत विद्यमान होता है। लैक्टोज से ही दूध में मिठास आती है। शब्दावली के अनुसार यह लैटिन शब्द है लैक (जीन। लैक्टिस) जो दूध के लिए है और इसमें ओस शब्द शुगर के लिए प्रयुक्त किया जाता है। इस तरह इसका नाम बना ‘लैक्टोज’। इसका फार्मूला C₁₂H₂₂O₁₁ है।
लैक्टोज इंटॉलरेंस क्या है? – What is Lactose Intolerance?
दोस्तो, हमारे शरीर में छोटी आंत लैक्टेज (Lactase) नामक एंजाइम का निर्माण करती है। लैक्टेज का काम होता है कि आंत में दूध की शर्करा (Sugar) लैक्टोज को तोड़ना अर्थात् इसे ग्लूकोज और गैलक्टोज में विभाजित कर देना। तत्पश्चात् यह छोटी आंत के जरिए शरीर में जज्ब यानि अवशोषित (absorb) हो जाता है। यही प्रक्रिया अन्य दुग्ध उत्पादों पर भी लागू होती है।
यह एक सामान्य प्रक्रिया है जिसके चलते दूध और इससे बने खाद्य पदार्थ पच जाते हैं। मगर एक स्थिति इसके बिल्कुल उलट है जिसमें कुछ बच्चों और व्यस्कों में छोटी आंत लैक्टेज एंजाइम का पर्याप्त मात्रा में उत्पादन नहीं कर पाती। इस स्थिति में दूध या डेयरी उत्पाद में से लैक्टोज नहीं टूट पाता तो यह छोटी आंत पर ही रह जाता है जहां यह सामान्य बैक्टीरिया और किण्वन के साथ मिक्स होता है। परिणामस्वरूप पाचन तंत्र इसे पचाने में असमर्थ होता है।
निष्कर्षतः लैक्टेज नामक एंजाइम की पर्याप्त मात्रा के अभाव में पाचन तंत्र द्वारा दूध और दुग्ध उत्पाद को ना पचा पाने को ही मेडिकल भाषा में “लैक्टोज इंटॉलरेंस” कहा जाता है। किसी व्यक्ति में लैक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या होना कोई हानिकारक या खतरनाक स्थिति नहीं है परन्तु इसे असुविधाजनक अवश्य कहा जा सकता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि विश्व में लगभग 68 प्रतिशत लोग लैक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या का शिकार हैं। यद्यपि इस समस्या का कोई समुचित उपचार उपलब्ध नहीं है परन्तु खानपान के जरिये इसके लक्षणों का प्रबंधन किया जा सकता है।
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लैक्टोज इंटॉलरेंस के प्रकार – Types of Lactose Intolerance
लैक्टोज इंटॉलरेंस के चार प्रकार होते हैं। विवरण निम्न प्रकार है –
1. प्राथमिक लैक्टोज इंटॉलरेंस (Primary Lactose Intolerance)- यह सबसे सामान्य है प्रकार की समस्या है। आंशिक रूप से जीन की वजह से यह पैदा हो सकती है। यह उम्र के साथ लैक्टेज निर्माण में कमी, की वजह से भी उत्पन्न होती है।
2. माध्यमिक लैक्टोज इंटॉलरेंस (Secondary Lactose Intolerance)- यह समस्या एक दुर्लभ विकार है। चोट लगने या चिकित्सकीय स्थिति या सर्जरी के बाद लैक्टेज उत्पादन में कमी आ सकती है।
3. विकासशील लैक्टोज इंटॉलरेंस (Developing Lactose Intolerance)- अक्सर समय से पहले पैदा हुए बच्चों में अस्थाई रूप से यह समस्या होती है। कुछ समय बाद यह स्थायी रूप से खत्म हो जाती है।
4. जन्मजात लैक्टोज इंटॉलरेंस (Congenital Lactose Intolerance)- यह अनुवांशिक विकार है जिसमें माता-पिता द्वारा जीन के जरिए बच्चे में स्थानांतरित हो जाता है। इस अवस्था में जन्म से ही बच्चे की छोटी आंत लैक्टेज का उत्पादन नहीं कर पाती।
लैक्टोज इंटॉलरेंस के कारण – Cause of Lactose Intolerance
लैक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या का एक ही कारण है छोटी आंत द्वारा लैक्टेज नामक एंजाइम का पर्याप्त मात्रा में उत्पादन ना कर पाना। इसका विवरण हम ऊपर दे चुके हैं।
लैक्टोज इंटॉलरेंस के जोखिम कारक – Risk Factors for Lactose Intolerance
कुछ निम्नलिखित कारक लैक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या को ट्रिगर कर सकते हैं –
1. रेडिएशन और कीमोथेरेपी (Radiation and Chemotherapy)- कैंसर के उपचार के लिये इस्तेमाल की गई रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी लैक्टोज इंटॉलरेंस के जोखिम को बढ़ा सकती हैं।
2. कुछ रोग (Some Diseases)- कुछ रोग भी छोटी आंत को प्रभावित कर लैक्टोज इंटॉलरेंस के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। इनमें पेट से जुड़े रोग, जीवाणु अतिवृद्धि (bacterial overgrowth) और क्रोहन रोग (Crohn’s disease) प्रमुख हैं। क्रोहन रोग, आंतों की एक पुरानी सूजन वाली बीमारी है जो विशेष रूप से बृहदान्त्र और इलियम, अल्सर और फिस्टुला से जुड़ी होती है।
3. बढ़ती उम्र (Growing Old)- लैक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या बढ़ती उम्र के साथ वयस्क लोगों को अधिक ट्रिगर कर सकती है। शिशुओं और छोटे बच्चों में यह स्थिति नहीं होती।
लैक्टोज इंटॉलरेंस के लक्षण – Symptoms of Lactose Intolerance
लैक्टोज इंटॉलरेंस वाले व्यक्ति में दूध पीने या लैक्टोज युक्त खाद्य पदार्थ के सेवन के 20 मिनट से दो घंटे के दरम्यान पेट में हलचल शुरु हो जाती है। फिर निम्नलिखित लक्षण प्रकट हो सकते हैं –
- दस्त लगना
- पेट में गैस बनना
- पेट में दर्द होना, मरोड़ या ऐंठन
- पेट फूलना
- पेट के निचले हिस्से पर सूजन आना
- जी मिचलाना, उल्टी लगना
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लैक्टोज इंटॉलरेंस की जटिलताएं – Complications of Lactose Intolerance
लैक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या कैसे आपके जीवन को प्रभावित कर सकती है इसका विवरण निम्नलिखित है।
1. आप सारी उम्र दूध, दही, छाछ, लस्सी, पनीर, मक्खन और खोया से बनी मिठाइयों के सेवन को तरसते रहेंगे। जबरदस्ती आपने खा/पी भी लिये तो निश्चित रूप से आपका पेट खराब हो जाएगा। यह जीवन की त्रासदी है।
2. उपरोक्त पदार्थों के वैकल्पिक पदार्थों पर निर्भर रहना पड़ेगा।
3. दूध कैल्शियम और विटामिन-डी का मुख्य स्रोत है। इन पोषक तत्वों की कमी आपको जीवन भर रहने की संभावना बनी रह सकती है।
4. उपरोक्त पोषक तत्वों के अभाव में हड्डियों के विकास में बाधा आ सकती है। हड्डियां कमजोर पड़ सकती हैं। हड्डियां कमजोर होने के परिणामस्वरूप ऑस्टियोपोरोसिस या अन्य अस्थि रोग होने की संभावना बन सकती है।
लैक्टोज इंटॉलरेंस का परीक्षण – Lactose Intolerance Test
लैक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या के निदान के लिए निम्नलिखित टेस्ट किए जा सकते हैं –
1. मल अम्लता परीक्षण (Stool Acidity Test) – यह टेस्ट शिशुओं और छोटे बच्चों में लैक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या को जानने के लिए किया जाता है। इसके लिए मल का सेंपल लिया जाता है। मल अम्लता की मात्रा को मल के सेंपल से ज्ञात किया जा सकता है।
2. हाइड्रोजन सांस परीक्षण (Hydrogen Breath Test) – इस परीक्षण के लिए व्यक्ति को एक तरल पदार्थ पिलाया जाता है। फिर हर 15 मिनट के अंतराल पर व्यक्ति की सांस में हाइड्रोजन की मात्रा को मापा जाता है। सांस में हाइड्रोजन की मात्रा ही लैक्टोज के ना पचने का संकेत देती है। यह तब होता है जब शरीर लैक्टोज का पाचन नहीं करता तो तरल पदार्थ छोटी आंत में जाता है और बैक्टीरिया इसे किण्वित (fermented) करता है। नतीजतन हाइड्रोजन व अन्य गैसों का निर्माण होता है। इस परीक्षण में दो घंटे का समय लगता है।
3. ब्लड टेस्ट (Blood Test)- ब्लड टेस्ट करने से पहले व्यक्ति को उच्च लैक्टोज युक्त पेय पदार्थ पीने को दिया जाता है। फिर दो घंटे बाद ब्लड सेंपल लेकर परीक्षण के लिए लैब भेज दिया जाता है। यदि ब्लड में ग्लुकोज की मात्रा सामान्य पाई जाती है तो इसका तात्पर्य यह है कि शरीर लैक्टोज को ठीक से पचाने और अवशोषित करने में असमर्थ है।
लैक्टोज इंटॉलरेंस का उपचार – Treatment of lactose Intolerance
दोस्तो, छोटी आंत द्वारा लैक्टेज एंजाइम के निर्माण में वृद्धि करने के लिये कोई सटीक व प्रमाणिक उपचार उपलब्ध नहीं है। लैक्टोज इंटॉलरेंस की असुविधा को खानपान के जरिए कम किया जा सकता है। हालांकि डॉक्टर एंजाइम सप्लीमेंट और प्रोबायोटिक और प्रीबायोटिक दवाएं लेने की सलाह दे सकते हैं। विवरण निम्न प्रकार है –
1. एंजाइम सप्लीमेंट्स (Enzyme Supplements)- ये एंजाइम सप्लीमेंट्स सीरप या टेबलेट के रूप में हो सकते हैं। इनका प्रभाव व्यक्ति की शारीरिक और स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार अलग-अलग हो सकता है।
2. प्रोबायोटिक और प्रीबायोटिक दवाएं (Probiotic and Prebiotic Medicines)- प्रोबायोटिक अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं और भोजन को जल्दी पचाते हैं। ये आंतों में उपस्थित होते हैं। इसी प्रकार प्रीबायोटिक्स फाइबर का ही रूप होते हैं और शरीर में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं। प्रोबायोटिक और प्रीबायोटिक दवाएं लैक्टोज इंटॉलरेंस के लक्षणों का प्रभाव कम करने में मदद करते हैं।
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3. वैकल्पिक आहार (Alternative Diet)- डॉक्टर लैक्टोज के विरुद्ध वैकल्पिक आहार जो लैक्टोज मुक्त हों, का सेवन करने की सलाह दे सकते हैं।
लैक्टोज इंटॉलरेंस से बचाव – Prevention of Lactose Intolerance
कुछ निम्नलिखित सावधानियां बरत कर लैक्टोज इंटॉलरेंस के लक्षणों के प्रभाव से बचाव किया जा सकता है –
- लैक्टोज युक्त पदार्थों जिनमें दूध और दुग्ध उत्पाद प्रमुख हैं, के सेवन को अवॉइड करना चाहिए। दूध और दुग्ध उत्पाद का सबको पता होता है।
- लैक्टोज मुक्त खाद्य/पेय पदार्थों का सेवन करें।
- डॉक्टर की सलाह पर ही एंजाइम सप्लीमेंट्स का उपयोग करें।
- स्नैक्स, बेकरी उत्पाद, कैंडी, सूखा मिश्रण, सूखी सब्जियां आदि में भी लैक्टोज होनी की संभावना हो सकती है, इसलिए इनको खरीदने से पहले पैकेट, पाउच आदि पर लेबल पढ़ें।
- कुछ दवाएं भी लैक्टोज युक्त हो सकती हैं इसलिये दवा खरीदते समय लैक्टोज के बारे में कैमिस्ट से पूछें।
- बीमारी में डॉक्टर/अस्पताल के डॉक्टर को भी अपने लैक्टोज इंटॉलरेंस होने के बारे में बता दें।
- अपने परिवार के सदस्यों को भी अपने लैक्टोज इंटॉलरेंस होने के बारे में बताकर रखें। कभी इमरजेंसी हालात में वे अस्पताल के डॉक्टर को इस बारे में बता सकें।
- फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें। फाइबर पाचन में मदद करता है।
लैक्टोज इंटॉलरेंस में क्या नहीं खाना चाहिए? – What should not be Eaten in lactose Intolerance?
लैक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या में निम्नलिखित पदार्थों को नहीं खाना चाहिए –
A. दूध तथा डेयरी उत्पाद (Milk and Dairy Products)- दूध और दूध से बने पदार्थों में लैक्टोज की मात्रा का विवरण निम्न प्रकार है। इनको खाना अवॉइड करें –
- गाय का दूध, मात्रा 225 ग्राम – लैक्टोज 12 ग्राम
- लो फैट प्लेन दही, 200 ग्राम – लैक्टोज 12 ग्राम
- लो फैट प्लेन दही, 225 ग्राम – लैक्टोज 16 ग्राम
- चीज़, 40 से 50 ग्राम – लैक्टोज 1 ग्राम
- कॉटेज चीज़, आधा कप – लैक्टोज 5 ग्राम
- आइसक्रीम, आधा कप – लैक्टोज 14 ग्राम
B. कम लैक्टोज वाले खाद्य पदार्थ (Low Lactose Foods)- इनको भी नहीं खाना चाहिए –
- ब्रेड और बेक्ड पदार्थ
- सलाद ड्रेसिंग और सॉस
- चावल, नूडल्स, इंस्टेंट पटेटो, इंस्टेंट सूप
- मिल्क चॉकलेट, कुछ कैंडी।
- सलाद क्रीम, कस्टर्ड
- बिस्किट्स, पैनकेक, कुकीज
- पनीर से बने खाद्य पदार्थ
- स्नैक्स
- बॉयल्ड स्वीट्स
- मक्खन
- कॉफी क्रीमर
- शुगर, चुकंदर, मटर, लीमा बीन्स
लैक्टोज इंटॉलरेंस में क्या खाना चाहिए? – What to eat in Lactose Intolerance?
लैक्टोज इंटॉलरेंस से ग्रस्त लोगों को निम्नलिखित पदार्थों का सेवन करना चाहिए। इससे लैक्टोज इंटॉलरेंस के लक्षणों के प्रभाव से राहत मिलेगी –
- लैक्टोज मुक्त दूध ले सकते हैं। इससे प्रोटीन, कैल्शियम व विटामिन-ए, बी, और के, जिंक, पोटेशियम और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व मिल जाएंगे।
- दूध के बदले आप लैक्टोज मुक्त गाय का दूध, ओट्स मिल्क, सोया मिल्क, कोकोनट मिल्क, बादाम का दूध इस्तेमाल कर सकते हैं।
- दही के विकल्प स्वरूप कोकोनट योगर्ट का सेवन कर सकते हैं।
- दूध वाले पनीर के बदले काजू से तैयार पनीर का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- बटर के स्थान पर एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल या पीनट बटर का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- इनके अतिरिक्त बादाम, टोफू, सूखे सेम, कोलार्ड्स, पालक, ब्रोकली, फूलगोभी, हरी सब्जियां, संतरे का रस, सैल्मन, ट्यूना और मैकेरल मछली, अंडे का सेवन करें।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको लैक्टोज इंटॉलरेंस के बारे में विस्तार से जानकारी दी। लैक्टोज क्या है?, लैक्टोज इंटॉलरेंस क्या है, लैक्टोज इंटॉलरेंस के प्रकार, लैक्टोज इंटॉलरेंस के कारण, लैक्टोज इंटॉलरेंस के जोखिम कारक, लैक्टोज इंटॉलरेंस के लक्षण, लैक्टोज इंटॉलरेंस की जटिलताएं, लैक्टोज इंटॉलरेंस का परीक्षण, लैक्टोज इंटॉलरेंस का उपचार, लैक्टोज इंटॉलरेंस से बचाव और लैक्टोज इंटॉलरेंस में क्या नहीं खाना चाहिए, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से यह भी बताया कि लैक्टोज इंटॉलरेंस में क्या खाना चाहिए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
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