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प्रोबायोटिक्स क्या है? – What are Probiotics in Hindi

प्रोबायोटिक्स क्या है

स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग में। दोस्तो, बैक्टीरिया का नाम सुनकर ही हमें बहुत बुरा लगता है क्यों कि हम बैक्टीरिया को रोग का पर्याय मानते हैं। हमें किसी संभावित रोग का डर लगने लगता है परन्तु ऐसा नहीं है। सभी बैक्टीरिया खराब नहीं होते, कुछ अच्छे बैक्टीरिया हमारे स्वास्थ के लिए जरूरी और लाभदायक होते हैं। बैक्टीरिया का हिसाब-किताब कोलेस्ट्रॉल की तरह ही चलता है। 

LDL यानि खराब कोलेस्ट्रॉल और HDL का मतलब अच्छे वाला कोलेस्ट्रॉल, स्वास्थ के लिए जरूरी। इसी तरह खराब बैक्टीरिया को ‘बैड बैक्टीरिया’ और अच्छे बैक्टीरिया को ‘गुड बैक्टीरिया’ कहते हैं। ये ‘गुड बैक्टीरिया’ प्रोबायोटिक्स में पाए जाते हैं और प्रोबायोटिक्स के अपने स्रोत होते हैं, इनका जिक्र हम आगे करेंगे। प्रोबायोटिक्स हमारी आंतों की समस्याओं/विकारों को दूर करने के लिए आवश्यक आवश्यकता हैं। ये प्रोबायोटिक्स पाचन तंत्र की समस्याओं से भी छुटकारा दिलाते हैं और इम्युनिटी को मजबूत करते हैं। इनके अलावा प्रोबायोटिक्स के और भी फायदे होते हैं। आखिर, ऐसा क्या है ये प्रोबायोटिक्स में जो ये शरीर को फायदा पहुंचाते हैं। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “प्रोबायोटिक्स क्या है?”। 

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आपको प्रोबायोटिक्स के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसके फायदे क्या होते हैं? तो, सबसे पहले जानते हैं कि प्रोबायोटिक्स क्या है और इसके प्रकार। फिर, इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।

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प्रोबायोटिक्स क्या है? – What are Probiotics?

दोस्तो, हमारे शरीर में कई तरह के जीवाणु (Bacteria) पाये जाते हैं। इनमें से कुछ अच्छे होते हैं तो कुछ खराब। प्रोबायोटिक्स वस्तुतः जीवित सूक्ष्मजीव होते हैं  (microorganisms) जो शरीर के लिए अच्छे होते हैं। इन्हीं को अच्छे वाले बैक्टीरिया यानि गुड बैक्टीरिया कहा जाता है। ये बैक्टीरिया बुरे बैक्टीरिया के साथ ही रहते हैं। परन्तु जब खराब बैक्टीरिया की संख्या में बढ़ोतरी होती है तो बैक्टीरिया में असंतुलन हो जाता है।

अच्छे और बुरे बैक्टीरिया को संतुलित करने के लिए ये प्रोबायोटिक्स, अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं बुरे बैक्टीरिया को समाप्त कर देते हैं। प्रोबायोटिक्स का यही मुख्य काम होता है। इसके अतिरिक्त पाचन तंत्र को स्वस्थ रखना, इम्युनिटी मानसिक स्वास्थ लाभ देना, हृदय को स्वस्थ रखना जैसे महत्वपूर्ण काम भी प्रोबायोटिक्स करते हैं। ये प्रोबायोटिक्स मुख्य रूप से आंत में, विशेषकर बड़ी आंत में उपस्थित रहते हैं। इसके अतिरिक्त ये मुंह, फेफड़े, त्वचा, मूत्र पथ और योनि में भी मौजूद होते हैं। 

जहां तक प्रोबायोटिक्स को परिभाषा में बांधने का प्रश्न है तो विश्व स्वास्थ्य संगठन की अक्टूबर 2001 की एक रिपोर्ट प्रोबायोटिक्स को “जीवित सूक्ष्मजीवों के रूप में परिभाषित करती है जो पर्याप्त मात्रा में दिए जाने पर मेजबान को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं।”  20वीं शताब्दी में रूसी वैज्ञानिक एली मैस्निकोफ ने प्रोबायोटिक विधि प्रस्तुत की थी। बाद में इस कार्य के लिए उनको नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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प्रोबायोटिक्स के प्रकार – Types of Probiotics

प्रोबायोटिक्स के दो सामान्य प्रकार हैं जिनका विवरण निम्नलिखित है – 

1. लैक्टोबैसिलस (Lactobacillus)- लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया (एलएबी) को सुरक्षित माना जाता है। इसकी मुख्य प्रजातियों में ल्यूकोनोस्टोक, एंटरोकोकस, लैक्टोबैसिलस, लैक्टोकोकस, पेडियोकोकस और स्ट्रेप्टोकोकस आदि सम्मलित होती हैं। यह शरीर में खनिजों के अवशोषण के स्तर को बढ़ाने का काम करता है।  लैक्टोबेसिलस लैक्टिक एसिड का निर्माण करता है जो आंत में खराब बैक्टीरिया की संख्या को कंट्रोल करता है। दूध और दूध से बने उत्पाद इसका मुख्य स्रोत हैं। 

2. बिफीडोबैक्टीरिया (Bifidobacteria)- यह प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन करता है। इसका सबसे अधिक उपयोग भोजन और उसके सप्लीमेंट्स में किया जाता है। कब्ज, दस्त, इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम, सर्दी और फ्लू आदि अन्य कई रोगों के उपचार के लिए इसका उपयोग किया जाता है।

प्रोबायोटिक्स की उपलब्धता – Availability of Probiotics

  • प्रोबायोटिक्स प्राकृतिक रूप से दूध और दूध से बने उत्पादों में मिलता है। 
  • डेयरी उत्पाद के अतिरिक्त अन्य खाद्य पदार्थों में भी मिलता है जैसे कि सेब, अचार, इडली, डोसा आदि।
  • प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स गोली, कैप्सूल, पाउडर और लिक्विड फॉर्म में मिलते हैं। 

प्रोबायोटिक्स के मुख्य कार्य – Main Functions of Probiotics

प्रोबायोटिक्स के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं।

  1. अच्छे और खराब बैक्टीरिया में संतुलन बनाए रखना।
  2. आंतों के विकार को दूर कर आंतों के स्वास्थ को ठीक रखना।
  3. पाचन तंत्र के विकारों को दूर कर पाचन तंत्र को स्वस्थ रखना।
  4. आंतरिक सूजन को कंट्रोल करना। 
  5. प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन करना।
  6. हृदय को स्वस्थ रखना।

प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स में अंतर – Difference Between Probiotics and Prebiotics

दोस्तो, हम आपको बता दें कि प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स एक दूसरे के पूरक हैं। इनके बीच का अंतर निम्न प्रकार है –

  • प्रोबायोटिक्स आंतों के स्वास्थ को बनाए रखते हैं तो प्रीबायोटिक्स आंत में प्रोबायोटिक्स का पोषण करने का काम करते हैं।
  • प्रीबायोटिक्स आहार फाइबर है जो गुड बैक्टीरिया की श्रेणी में आता है।
  • प्रीबायोटिक्स वस्तुतः प्रोबायोटिक्स का भोजन है अलबत्ता ये एक दूसरे का भोजन हैं।
  • दोनों मिलकर पाचन को ठीक रखने का काम करते हैं।
  • प्रोबायोटिक्स के मुख्य स्रोत डेयरी उत्पाद हैं तो प्रीबायोटिक्स लहसुन, प्याज, दलिया और जौ से मिलते हैं।

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प्रोबायोटिक्स के स्रोत – Sources of Probiotics

प्रोबायोटिक्स के स्रोत निम्नलिखित हैं –

  1. कच्चा दूध, (गाय, बकरी, भेड़ का) घर की बनी दही, छाछ, योगार्ट, पनीर।
  2. केफिर।
  3. डार्क चॉकलेट।  
  4. सेब, सेब का सिरका
  5. केला
  6. मसालेदार खीरा
  7. हरी मटर
  8. खट्टी रोटी
  9. अचार
  10. सोया मिल्क
  11. जैतून
  12. इडली, दोसा
  13. ढोकला
  14. ऐस्परैगस
  15. मिसो सूप
  16. क्वास
  17. किम्ची
  18. सोया सॉस
  19. टेम्पेह
  20. कोम्बुचा
  21. साउरक्रोट
  22. नट्टो
  23. तुर्शी

प्रोबायोटिक्स के फायदे – Benefits of Probiotics

दोस्तो, अब बताते हैं आपको प्रोबायोटिक्स के फायदे जो निम्नलिखित हैं – 

1. आंतों के लिए अमृत (Elixir for Intestines)- जब कभी हम बीमार पड़ते हैं या एंटीबायोटिक्स दवाएं ले रहे हैं या दूषित भोजन कर लिया तो ऐसी अवस्था में आंतों में विकार उत्पन्न होना निश्चित है। इससे अच्छे बैक्टीरिया की संख्या घटने लगती है और खराब बैक्टीरिया बढ़ने लगते हैं। इसे बैक्टीरिया में  असंतुलन कहा जाता है। यह असंतुलन पाचन तंत्र विकार, मानसिक विकार, एलर्जी, वजन का बढ़ना तथा अन्य समस्याओं का कारण बनता है। इसी असंतुलन वाली अवस्था को संभालने के लिए प्रोबिओटिक्स अमृत के रूप में काम करते हुए बैक्टीरिया में प्राकृतिक तालमेल बिठाता है। प्रोबिओटिक्स का यह प्रमुख फायदा है। 

2. पाचन तंत्र को स्वस्थ रखे (Keep the Digestive System Healthy)- प्रोबायोटिक्स पाचन तंत्र संबंधी समस्याओं से छुटकारा दिलाकर पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। पाचन तंत्र में अनेक प्रकार के विकार उत्पन्न हो सकते हैं जैसे कि इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज, अल्सरेटिव कोलाइटिस या क्रोन की समस्या। प्रोबायोटिक “ई कोलाई निस्ल” (E। coli Nissle) जो कि एक प्रकार का बैक्टीरिया है, अलसरेटिव कोलाइटिस को खत्म करने के लिए इसकी दवाओं के समान प्रभावी हैं। प्रोबायोटिक्स पाचन तंत्र की अन्य समस्याओं के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।

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3. इम्युनिटी को बढ़ाए (Increase Immunity)- प्रोबिओटिक्स के जो स्रोत हैं उनमें विटामिन-सी तो होता ही है चाहे वह दही हो या फल। विटामिन-सी, एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करते हुए इम्युनिटी को बढ़ाने का काम करता है। इसके अतिरिक्त प्रोबिओटिक्स के स्रोत में फास्फोरस, मैग्निशियम, कॉपर, ज़िंक जैसे खनिज तथा अन्य विटामिन भी होते हैं। 

ये भी इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करते हैं। प्रोबायोटिक्स, आईजीए तथा टी-लिम्फोसाइट्स इम्युनिटी बढ़ाने वाली कोशिकाओं को बढ़ाने का काम करते हैं।

4. वजन कम करे (Lose Weight)- प्रोबायोटिक्स का एक फायदा यह भी है कि यह वजन कम करने में मदद करता है क्यों कि प्रोबायोटिक्स लेने से आपका शरीर भरा-भरा रहता है। प्रोबायोटिक्स कैलोरी को बर्न करते हैं और शरीर में फैट को जमा नहीं होने देते। ये आंतों को फैट के अवशोषित होने से बचाते हैं और उसे मल के जरिये बाहर निकाल देते हैं। फैट बढ़ते वजन का मुख्य कारण होता है। 

5. मानसिक स्वास्थ के लिए लाभकारी (Beneficial for Mental Health)- कई अध्ययन यह बताते हैं कि प्रोबायोटिक सप्लिमेंट मस्तिष्क विकारों को दूर करने में मदद करते हैं। इनमें चिंता, डिप्रेशन, ओसीडी (Obsessive Compulsive Disorder), ऑटिज्म जैसे गंभीर विकार शामिल हैं। कई अध्ययन यह भी बताते हैं कि अवसाद का स्तर, सी-रिएक्टिव प्रोटीन, इंसुलिन के स्तर में, प्रोबायोटिक्स ना लेने वालों की तुलना में कमी नोटिस की गई है। सी-रिएक्टिव प्रोटीन, शरीर में सूजन के स्तर को बताने वाला प्रोटीन होता है। इस प्रकार प्रोबायोटिक्स मानसिक स्वास्थ को भी ठीक रखने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाते हैं।

7. हृदय स्वस्थ के लिए लाभकारी (Beneficial for Heart Health)- डिप्रेशन, चिंता, बढ़ता वजन, हाई ब्लड प्रेशर और बढ़ता हुआ खराब वाला LDL कोलेस्ट्रॉल, ये सब हृदय स्वास्थ पर नकारात्मक प्रभाव डालकर एक जोखिम की स्थिति बना देते हैं। प्रोबायोटिक्स इन सभी कारकों से अच्छी तरह निपटते हैं, ये हम ऊपर देख ही चुके हैं। अब बात रह जाती है कोलेस्ट्रॉल की, तो समझिए कि प्रोबायोटिक्स, टोटल कोलेस्ट्रॉल का 4%तथा खराब वाले LDL कोलेस्ट्रॉल का स्तर 5% तक कम कर देते हैं। इस प्रकार आपका हृदय सुरक्षित रहता है।

8. दस्त से राहत दिलाए (Provide Relief from Diarrhea)- 35 अध्ययनों से यह पता चलता है कि प्रोबायोटिक्स कई प्रकार के संक्रामक, दस्त को ठीक करने में सक्षम होते हैं। इतना ही नहीं प्रोबायोटिक्स, बच्चों में 57% तक तथा बड़ों में 26% तक दस्त लगने की संभावना को खत्म करते हैं। इसीलिए दस्त लगने पर डॉक्टर भी दही या प्रोबायोटिक वाले फल खाने की सलाह देते हैं। वस्तुतः प्रोबायोटिक्स, आंतों में आये बैक्टीरिया के असंतुलन को ठीक करते हैं इससे दस्त रुक जाते हैं। 

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9. एलर्जी और एक्जिमा की गंभीरता को कम करे (Reduce the Severity of Allergies and Eczema)– प्रोबायोटिक्स, बच्चों और शिशुओं में त्वचा विकार जैसे एलर्जी और एक्जिमा की गंभीरता को कम करने में सक्षम होते हैं। गर्भवती महिलाओं द्वारा प्रोबायोटिक्स युक्त दूध पीने से, बच्चे के जन्म के दो वर्षों के अंदर एक्जिमा के लक्षणों में 83% तक की कमी हो जाती है। 

प्रोबायोटिक्स के नुकसान – Side Effect of  Probiotics

1. प्रोबायोटिक्स के साइड इफैक्ट के बारे में अभी तक कोई मुक्कमल रिसर्च सामने नहीं आई है। अनुमानतः प्रोबायोटिक्स के कोई नुकसान नहीं होते परन्तु कई लोगों के रक्त में फफूंद और एलर्जी के मामले नोटिस किए गए।

2. इज़राइल में ईरान एलिना की देखरेख में वीजमैन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस में एक एक्सपेरिमेंट किया गया जिसमें उन्होंने 21 लोगों को अलग-अलग तरह की एंटीबायोटिक क़रीब हफ़्ते भर तक खिलाई गई फिर उनके पेट और आंत की जांच की गई। उन्होंने बताया गया कि स्वस्थ व्यक्तियों द्वारा एंटीबायोटिक खाने के बाद प्रोबायोटिक उत्पाद लिया जाता है तो उनको नुकसान हुआ और उनका पेट ठीक करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी। 

Conclusion – 

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको प्रोबायोटिक्स के बारे में विस्तार से जानकारी दी। प्रोबायोटिक्स क्या है, प्रोबायोटिक्स के प्रकार, प्रोबायोटिक्स की उपलब्धता, प्रोबायोटिक्स के मुख्य कार्य, प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स में अंतर और प्रोबायोटिक्स के स्रोत, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से प्रोबायोटिक्स के बहुत सारे फायदे बताए और कुछ उपाय भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।

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Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको प्रोबायोटिक्स के बारे में विस्तार से जानकारी दी। प्रोबायोटिक्स क्या है, प्रोबायोटिक्स के प्रकार, प्रोबायोटिक्स की उपलब्धता, प्रोबायोटिक्स के मुख्य कार्य, प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स में अंतर और प्रोबायोटिक्स के स्रोत, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया।
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