स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग में। दोस्तो, जो लोग मांस, मछली नहीं खाते ऐसे शाकाहारी लोगों की अधिकतर एक समस्या रहती है कि उनको भोजन से पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन नहीं मिल पाता। विशेषकर जिम जाकर एक्सरसाइज करने वाले या बॉडी बनाने की चाह रखने वाले शाकाहारी लोग। इनको अधिक मात्रा में प्रोटीन की आवश्यकता होती है। ऐसे शाकाहारी लोगों के लिए भी प्रकृति ने उपहार दिया है। इस उपहार का नाम है सोयाबीन। जी हां, सोयाबीन जिसे सुपरफूड की श्रेणी में रखा गया है क्योंकि यह प्रोटीन का सुपर भंडार है।
सोयाबीन की विशेषता है कि सिर्फ़ 100 ग्राम खाने से ही इतने पोषक तत्व मिल जाएंगे कि दूध, अंडे, मांस और मछली की आवश्यकता ही नहीं रहेगी। प्रोटीन के अतिरिक्त सोयाबीन में हेल्दी फैट, कार्ब्स, विटामिन-ए, बी, डी और विटामिन-ई तथा आयरन, फास्फोरस, मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में उपस्थित होते हैं। आखिर यह सोयाबीन है क्या?। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “सोयाबीन खाने के फायदे”।
देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आपको सोयाबीन के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसके क्या फायदे होते हैं। तो, सबसे पहले जानते हैं कि सोयाबीन है और इसकी खेती कहां होती है। फिर, इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।
सोयाबीन क्या है? – What is Soybean?
दोस्तो, सोयाबीन (Soybean) एक ऐसी फसल है जिसे तिलहन की अपेक्षा दलहन की फसल माना जाता है। प्रोटीन का अपार स्रोत होने के कारण इसे सुपर फूड माना जाता है। यह पोषक तत्वों का पावरहाउस है जो शरीर को स्वस्थ रखने के साथ-साथ कई रोगों से भी बचाते हैं। हेल्दी फैट युक्त और कोलेस्ट्रॉल मुक्त सोयाबीन हृदय को सुरक्षित रखता है। लैक्टोज इंटॉलरेंस से ग्रस्त लोगों के लिये यह प्रकृति का उपहार है।
ऐसे लोग दूध और डेयरी उत्पाद के विकल्प स्वरूप सोयाबीन का दूध और सोया उत्पाद का उपयोग कर सकते हैं। शाकाहारी लोगों के लिए सोयाबीन, मांस, मछली, अंडे का बेहतरीन विकल्प है। डायबिटीज के मरीजों के लिये यह उत्तम आहार है। आहार विशेषज्ञ मानते हैं कि सोयाबीन में 42 प्रतिशत प्रोटीन, 17 प्रतिशत तेल, 21 प्रतिशत कार्ब्स और 12 प्रतिशत नमी होती है। दूध, सब्जी के अतिरिक्त सोयाबीन का तेल भी निकाला जाता है। इसकी फसल गर्मियों में बोई जाती है।
सोयाबीन की सीधी शाखाओं वाला पौधा लगभग 2 मीटर तक ऊंचा हो जाता है। इसके फूल सफेद या बैंगनी रंग के होते हैं तथा बीजों का रंग पीला, हरा, भूरा, काला या दो रंग का हो सकता है। इसकी एक फली में चार बीज निकलते हैं। सोयाबीन की लगभग 28 प्रजातियां पाई जाती हैं। फैबेसी (Fabaceae) परिवार से संबंध रखने वाले सोयाबीन का वैज्ञानिक नाम ग्लाईसीन मैक्स (Glycine Max) है और इसे अंग्रेजी में सोयाबीन (Soybean) ही कहा जाता है।
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सोयाबीन की खेती कहां होती है? – Where is Soybean Cultivated
1. दोस्तो, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारत के अतिरिक्त सोयाबीन की खेती 99 देशों में होती है। अकेला अमेरिका विश्व का 60 प्रतिशत सोयाबीन का उत्पादन करता है।
2. 99 देशों में से सोयाबीन पैदा करने वाले कुछ प्रमुख देश हैं ब्राज़िल, अमेरिका, अर्जेंटीना, चीन, परागुआ, चीन, अर्जेंटीना, कनाडा, रूस, यूक्रेन, दक्षिण अफ्रीका, इटली आदि।
3. भारत में महाराष्ट्र राज्य सोयाबीन के उत्पादन में पहले स्थान पर है। महाराष्ट्र के अतिरिक्त मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उत्तरप्रदेश, बिहार, नागालैंड, कर्नाटक, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ राज्यों में सोयाबीन की खेती होती है।
सोयाबीन के पोषक तत्व (मात्रा प्रति 100 ग्राम) – Nutrients of Soybean (amount per 100 grams)
- पानी : 67.5 ग्राम
- एनर्जी : 147 kcal
- प्रोटीन : 12.95 ग्राम
- फैट : 6.8 ग्राम
- कोलेस्ट्रॉल : 0.00 ग्राम
- कार्बोहाइड्रेट : 11.05 ग्राम
- डाइटरी फाइबर : 4.2 ग्राम
- विटामिन-ए, RAE : 9 माइक्रोग्राम
- विटमिन-ए, IU : 180 .U
- विटामिन-सी,
- टोटल एस्कॉर्बिक एसिड : 29 मिलीग्राम
- थाइमिन : 0.435 मिलीग्राम
- राइबोफ्लेविन : 0.175 मिलीग्राम
- नियासिन : 1.65 मिलीग्राम
- विटामिन-बी6 : 0.065 मिलीग्राम
- फोलेट DFE : 165 माइक्रोग्राम
- कैल्शियम : 197 ग्राम
- फास्फोरस : 194 मिलीग्राम
- पोटेशियम : 620 मिलीग्राम
- आयरन : 3.55 मिलीग्राम
- मैग्नीशियम : 65 मिलीग्राम
- सोडियम : 15 मिलीग्राम
- जिंक : 0.99 मिलीग्राम
- फैटी एसिड, टोटल सैचुरेटेड : 0.786 ग्राम
- फैटी एसिड टोटल मोनोसैचुरेटेड : 1.284 ग्राम
- फैटी एसिड, टोटल पॉलीअनसैचुरेटेड : 3.2 ग्राम
सोयाबीन के उपयोग – Uses of Soybean
सोयाबीन का निम्न प्रकार से उपयोग किया जा सकता है –
- सोयाबीन की सब्जी बनाकर खाई जा सकती है।
- सोयाबीन का दूध और सोया उत्पाद दही, पनीर आदि का उपयोग किया जा सकता है।
- सोयाबीन की बड़ियां बनाई जाती हैं जिनकी सब्जी बनती है और बिरयानी में डाली जाती हैं।
- सोया दूध का टोफू बनाया जाता है।
- सोयाबीन को पीसकर सूप बनाया जा सकता है।
- सोयाबीन को अंकुरित करके भी खा सकते हैं।
- रात के भीगे हुए सोयाबीन के दानों में नमक, मसाला डालकर, तलकर खा सकते हैं।
- रात के भीगे हुए सोयाबीन के दानों को उबालकर खा सकते हैं।
- सोयाबीन के सूखे हुए दानों को गेहूं के साथ पीसवा कर इस आटे की रोटियां बनती हैं।
- सोयाबीन का तेल निकाला जाता है।
- क्रीम बनाने में भी सोयाबीन का इस्तेमाल किया जाता है।
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सोयाबीन खाने का उत्तम तरीका – Best Way to Eat Soybeans
यद्यपि सोयाबीन का उपयोग हमने ऊपर बताया है जिसमें बताया है कि इसकी सब्जी बनाकर भी खा सखते हैं, अंकुरित करके खा सकते हैं, तल के खा सकते हैं आदि। परन्तु इसे खाने का उत्तम तरीका यह है कि सोयाबीन के दानों को रात को पानी में भिगोकर रख दें। अगले दिन सुबह इनको उबालकर खाएं।
सोयाबीन कब खा सकते हैं? – When can we Eat Soybeans?
सोयाबीन खाने का कोई समय निर्धारित नहीं है। इसे कभी भी खाया जा सकता है। परन्तु रात में खाना अवॉइड करें तो बेहतर है क्योंकि रात में यह पाचन में समस्या पैदा कर सकता है।
सोयाबीन कितना खाना चाहिए? – How much Soybean Should one Eat?
आहार विशेषज्ञ एक दिन में 100 ग्राम सोयाबीन खाने की सलाह देते हैं और इतनी मात्रा को सुरक्षित मानते हैं।
सोयाबीन खाने के फायदे – Benefits of Eating Soybean
अब बताते हैं आपको सोयाबीन खाने के फायदे जो निम्न प्रकार हैं –
1. डायबिटीज में फायदेमंद (Beneficial in Diabetes)- सोयाबीन खाने का सबसे बड़ा फायदा डायबिटीज के मरीजों को होता है। उनके लिय तो यह रामबाण उपाय है क्योंकि इसमें स्टार्च नहीं होता। सोयाबीन एक लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स आहार है। लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स की श्रेणी वाले आहार में फैट और कार्बोहाइड्रेट्स कम होते हैं और प्रोटीन की मात्रा अधिक जो रक्त में ग्लुकोज की मात्रा को नियंत्रित करते हैं।
डॉक्टर भी डायबिटीज के मरीजों को सोयाबीन खाने की सलाह देते हैं। सोयाबीन को रात भर भिगोकर सुबह खाया जा सकता है और गेहूं के साथ चना और सोयाबीन मिलाकर आटा पिसवाकर इसकी रोटियां खाई जा सकती हैं।
2. वजन कम करे (Lose Weight)- जो लोग वजन कम करना चाहते हैं उनके लिये सोयाबीन एक अच्छा आहार है। सुबह के नाश्ते में रात भर का भीगा हुआ सोयाबीन खाएं। इसमें पाये जाने वाला प्रोटीन जल्दी भूख नहीं लगने देगा। इसमें उपस्थित एंटीऑक्सीडेंट शरीर में फैट बर्निंग प्रक्रिया को तेज करने का काम करता है।
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3. हाई ब्लड प्रेशर में फायदेमंद (Beneficial in High Blood Pressure)- सोयाबीन खाने का एक फायदा यह भी है कि यह ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है। इससे हाई ब्लड प्रेशर वालों को फायदा रहता है, उनका ब्लड प्रेशर सामान्य बनाए रखने में सोयाबीन मदद करता है। दरअसल सोयाबीन में पोटेशियम की उच्च मात्रा होती है और सोडियम कम पाया जाता है। ऐसा होने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है।
4. खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करे (Reduce Bad Cholesterol)- सोयाबीन में सबसे अच्छी बात यह है कि यह कोलेस्ट्रॉल मुक्त होता है और फैट भी बहुत कम होता है। दूसरी अच्छी बात यह है कि सोयाबीन में आइसोफ्लेवोंस मौजूद होते हैं। ये खराब वाले कोलेस्ट्रॉल LDL को कम करने का काम करते हैं। इससे आर्टरीज़ में प्लॉक नहीं जमता और हृदय रोगों का जोखिम भी नहीं रहता।
5. हृदय सुरक्षित रहे (Keep Your Heart Safe)- वजन अधिक होना, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल और अधिक फैट ये सब हृदय स्वास्थ के लिए बहुत बड़े कारण होते हैं। ऊपर से यह स्पष्ट हो जाता है कि सोयाबीन ग्लुकोज लेवल को कम करता है, वजन को कम करता है, ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है, खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और इसमें फैट की मात्रा बहुत कम होती है। ऐसी स्थिति होने पर हृदय अपने आप चारों ओर से सुरक्षित हो जाता है। हृदय रोगों या हार्ट अटैक की संभावना भी नहीं रहती।
6. मांसपेशियों मजबूत बनें (Muscles Become Stronger)- अपनी बॉडी बनाने के लिए लोग प्रोटीन सप्लीमेंट या दवाएं आदि लेते हैं। ऐसे लोग जो दूध या डेरी उत्पाद नहीं ले सकते या जिनको ये सब नहीं पचता उनके लिये सोयाबीन एक वरदान की तरह है।
सोयाबीन प्रोटीन का जबरदस्त स्रोत है। इससे भी अच्छी बात यह है कि सोया प्रोटीन पचने के बाद यूरिक एसिड नहीं बनता। इसके सेवन से मांसपेशियों का विकास होता है और उनको मजबूती मिलती है। इसके लिए रोजाना रात भर के भीगे हुए एक कटोरी सोयाबीन का सेवन करें।
7. हड्डियों मजबूत बनें (Bones Become Stronger)- हड्डियों के स्वास्थ के लिये केवल कैल्शियम ही काफी नहीं है। इसके लिये फास्फोरस, मैग्नीशियम, पोटेशियम, ज़िंक, आयरन जैसे खनिज की भी आवश्यकता होती है जो अस्थि खनिज घनत्व (Bone Mineral Density – BMD) के स्तर में बढ़ोतरी करने का काम करते हैं। अस्थि खनिज घनत्व स्वस्थ रहने पर हड्डियां मजबूत बनी रहती हैं और अस्थि रोग होने का खतरा भी नहीं रहता। सोयाबीन में ये सब खनिज मौजूद होते हैं। अतः हड्डियों की मजबूती के लिए रोजाना सोयाबीन का सेवन करना चाहिए।
8. गर्भवती महिलाओं को फायदा (Benefit to Pregnant Women)- गर्भावस्था में महिलाओं को अतिरिक्त विटामिन और खनिज की जरूरत पड़ती है ताकि उसे भोजन के जरिए पोषक तत्व मिलते रहें। इनमें सबसे जरूरी होता है आयरन जो शरीर में खून की कमी होने से बचाता है।
इसके अतिरिक्त अन्य खनिज भी गर्भवती महिला के स्वास्थ और गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ तथा उसके विकास के लिए भी बहुत जरूरी होते हैं। ये सब सोयाबीन के सेवन से मिलते रहते हैं। इसके अतिरिक्त महिला की शारीरिक कमजोरी खत्म होती है और उसमें ऊर्जा बनी रहती है।
9. पीरियड में फायदेमंद (Beneficial During Periods)- महिलाओं को पीरियड में कई बार अनियमितता का सामना करना पड़ता है। अपने सही टाइम से पीरियड नहीं आते। कई बार पीरियड से पहले की भी समस्या होती है। पीरियड के दौरान पेट में बहुत दर्द होता है और ऐंठन भी होती है। कई महिलाओं को पीरियड के दौरान गर्भाशय में असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है।
इस स्थिति को डिसमेनोरिया (Dysmenorrhea) कहा जाता है। सोयाबीन मासिक धर्म को नियमित करता है और इन सब समस्याओं से छुटकारा दिलाता है। सोयाबीन के सेवन से बांझपन और रजोनिवृत्ति से पहले की समस्याओं का निवारण होता है।
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10. लैक्टोज इंटॉलरेंस में फायदेमंद (Beneficial in Lactose Intolerance)- लैक्टोज एक एंजाइम है। इसका निर्माण छोटी आंत में होता है। इसका शरीर में पर्याप्त मात्रा में निर्माण ना होने पर लैक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या होती है। वास्तव में यह एक पाचन विकार है। दूध और दुग्ध उत्पादों से एलर्जी का मुख्य कारण यही लैक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या है।
लैक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या वाले लोग दूध और दुग्ध उत्पादों को पचा नहीं पाते इसलिए वे इनसे वंचित रहते हैं। यदि जबरदस्ती दूध, दही, पनीर का सेवन कर भी लें तो फौरन उनका पेट खराब हो जाता है। इसलिये सोयाबीन उनके लिए वरदान है। उनके लिए सोयाबीन, सोयाबीन का दूध और सोया उत्पाद, दही, पनीर के रूप में विकल्प बन कर आता है और उनकी जरूरत को पूरा करता है।
सोयाबीन खाने के नुकसान – Disadvantages of Eating Soybean
सोयाबीन के अधिक खाने से हो सकते हैं कुछ निम्नलिखित नुकसान –
1. एलर्जी हो सकती है।
2. कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ सकता है जो स्वास्थ के लिए हानिकारक होता है।
3. वीर्य में शुक्राणुओं की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
4. यौन क्षमता में कमी आ सकती है।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको सोयाबीन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सोयाबीन क्या है?, सोयाबीन की खेती कहां होती है, सोयाबीन के पोषक तत्व, सोयाबीन के उपयोग, सोयाबीन खाने का उत्तम तरीका, सोयाबीन कब खा सकते हैं और सोयाबीन कितना खाना चाहिए, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से सोयाबीन के बहुत सारे फायदे बताए और सोयाबीन के कुछ नुकसान भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
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