स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग में। दोस्तो, मिठास एक ऐसी अनुभूति है जो आपको आनन्दित करती है। मिठास चाहे किसी स्वीट डिश की हो या खाद्य पदार्थों की। ऐसे मीठे खाद्य पदार्थ जो आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ के लिए लाभकारी हों और जो आपको सुकून पहुंचाएं। और यदि किसी की आवाज ही मीठी लगती तो हो फिर कहना ही क्या। फिर तो आप यही कहेंगे कि उसकी आवाज इतनी मीठी है कि मानो कानों में मिश्री घोल दी हो। जी हां, आवाज के लिए मिश्री की उपमा दी जाती है।
मिश्री है ही ऐसी कि भगवान को भोग लगाओ या प्रसाद में बांटो, या प्रसाद के रूप में ग्रहण करो, मन मिश्री की मिठास से प्रसन्न हो उठता है।मिश्री वस्तुतः चीनी का ही एक रूप है जो अपरिष्कृत (Unrefined) है। इसमें किसी भी प्रकार के रसायन की मिलावट नहीं होती। इसका निर्माण गन्ने के रस से होता है और कोई मिलावट ना होने के कारण यह प्राकृतिक मिठास लिए होती है तथा शुद्ध होती है। मिश्री का उपयोग मिष्ठान्न बनाने में करो या दूध में डालकर पीओ या किसी बीमारी के उपचार के लिए, फायदे ही होंगे। आखिर क्या फायदे होते हैं मिश्री के? दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “मिश्री के फायदे”।
देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से मिश्री के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और इसके फायदों के बारे में भी बताएगा। तो, सबसे पहले जानते हैं कि मिश्री क्या है और यह कैसे बनती है। फिर, इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।
मिश्री क्या है? – What is Sugar Candy
मिश्री, गन्ने या खजूर के रस से बनने वाला एक ठोस सात्त्विक खाद्य पदार्थ है। मिश्री कहने को तो चीनी का अपरिष्कृत (Unrefined) रूप है मगर प्राकृतिक रूप से शुद्ध होती है क्यों कि इसे बनाते समय किसी भी प्रकार के रसायन का उपयोग नहीं किया जाता। वस्तुतः यह चीनी के क्रिस्टलों का ही एक रूप है। इसे रॉक शुगर (Rock Sugar) के नाम से भी जाना जाता है। इसमें प्राकृतिक मिठास होती है मगर चीनी से कम।
मिश्री किसी भी आकार में हो सकती है चाहे चौकोर दानों (Crystals) के रूप में जो चीनी के दानों से बहुत बड़े होते हैं लगभग 5 मिलीमीटर लंबाई, चौड़ाई (इनका आकार – dimension कम ज्यादा भी हो सकता है); अथवा ये क्रिस्टल्स आपस में जुड़े हुए बड़े ढेले के रूप में। इन ढेलों के बीच में एक धागा रहता है जैसे कि मोमबत्ती के बीच में होता है। इसे धागे वाली मिश्री कहा जाता है। यह धागे वाली मिश्री बहुत ही कम मिलती है, ज्यादातर देहात क्षेत्र में। शहरों में तो क्रिस्टल के पैकेट/पाउच मिलते हैं।
इसकी विशेषता है कि इसके सेवन से रक्त में ग्लुकोज़ लेवल नहीं बढ़ता। इसीलिए डायबिटीज के मरीजों को गुड़, शहद या मिश्री खाने की सलाह दी जाती है। औषधीय गुणों से सम्पन्न मिश्री मीठे व्यंजनों का स्वाद तो बढ़ाती ही है साथ में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ के लिए भी लाभदायक होती है। मिश्री का मूल स्थान भारत और फ़ारस (पर्शिया – Persia 1935 तक) माना जाता है जो आज ईरान के नाम से जाना जाता है। गन्ने के जूस पर अधिक जानकारी के लिए हमारा पिछला आर्टिकल “गन्ने के जूस के फायदे” पढ़ें
मिश्री कैसे बनाई जाती है? – How is Sugar Candy Made?
दोस्तो, अब बताते हैं आपको कि मिश्री कैसे बनाई जाती है। यहां हम स्पष्ट कर दें कि मिश्री बनाने की प्रक्रिया प्राकृतिक होती है इसमें किसी तरह का कोई केमिकल नहीं मिलाया जाता। इसकी सिलसिलेवार प्रक्रिया निम्नलिखित है –
1. सबसे पहले गन्ने के रस का वास्पीकरण द्वारा क्रिस्टल बना लिए जाते हैं। ये क्रिस्टल चीनी के क्रिस्टल होते हैं जो अशुद्ध होते हैं।
2. इन क्रिस्टल्स को कंटेनरों में डालकर और पानी भरकर, पूरी तरह स्थिर होने तक उबाला जाता है। उबालने से इनकी अशुद्धि भी खत्म हो जाती है।
3. उबालते समय कंटेनरों में थोड़ा सा दूध डाला जाता है ताकि क्रिस्टल्स की बची कुची गंदगी भी खत्म हो जाए और इनका रंग सफेद हो जाए।
4. इस मिश्रण को एक सप्ताह तक सूरज की रोशनी में रखा जाता है।
5. एक सप्ताह बाद इस मिश्रण को फिर से उबाला जाता है। यदि धागे वाली मिश्री बनानी है तो इसमें धागा भी डाल दिया जाता है। कुछ समय पश्चात इस मिश्रण के क्रिस्टल बनने लगते हैं और धागे से चिपक जाते हैं।
6. यदि धागे वाली मिश्री नहीं बनानी तो उबलने के बाद इस मिश्रण को चौकोर बर्तन जिसमें जालियां लगी होती हैं, छोड़ दिया जाता है। जाली में बने खाने (खांचे) के आकार के क्रिस्टल बन जाते हैं। बाद में इन जालियों को हटा दिया जाता है।
मिश्री का धार्मिक महत्व – Religious Importance of Sugar Candy
दोस्तो, हमारे देश भारत में मिश्री का धार्मिक दृष्टि से महत्व सदियों से रहा है। जानते हैं इसका धार्मिक महत्व जो प्रकार है –
- प्राकृतिक मिठास लिए और शुद्ध होने के नाते मिश्री को नारियल के समान पवित्र वस्तु की श्रेणी में रखा गया है। इसीलिए इसे समस्त भारत के सभी हिन्दु मंदिरों में प्रसाद के रूप में रखा जाता है।
- देवी देवताओं को मिश्री का भोग लगाया जाता है। भगवान कृष्ण कै माखन मिश्री पसंद होने के नाते कृष्ण मंदिरों में भगवान कृष्ण को माखन मिश्री का भोग लगाया जाता है।
- मंदिरों में, माता के जागरण में मिश्री को प्रसाद के रूप में भक्तों को वितरित किया जाता है।
- उत्तर भारत में भाई दूज पर्व पर बहनें अपने भाइयों को नारियल के साथ मिश्री भेंट स्वरूप देती हैं।
मिश्री के उपयोग – Uses of Sugar Candy
- भोजन के उपरांत माउथ फ्रेशन के रूप में, इसे सौंफ़ के साथ मिलाकर सेवन कर सकते हैं।
- कोई विशेष स्वीट डिश बनाने के लिए मिश्री का उपयोग कर सकते हैं।
- रात को दूध में डालकर सेवन कर सकते हैं।
- गर्मियों में शरबत बनाने के लिए मिश्री का उपयोग कर सकते हैं। मिश्री वाला शरबत गर्मी से राहत दिलाएगा।
- सादा पानी में भी मिश्री घोलकर पी सकते हैं।
- मिश्री को “प्रसाद” के रूप में वितरित या ग्रहण किया जा सकता है।
मिश्री का सेवन कब करना चाहिए – When Should Sugar Candy be Consumed
सामान्य तौर पर मिश्री का सेवन दोपहर या रात का भोजन करने के बाद किया जाता है। क्यों कि इससे भोजन आसानी से पच जाता है। औषधि के रूप में चिकित्सक की सलाह पर बताए गए समय पर किया जाना चाहिए।
मिश्री कितनी खानी चाहिए – How Much Sugar Candy Should one Eat
1. सामान्य तौर पर पूरे दिन में 5 से 10 ग्राम तक मिश्री का सेवन किया जाना चाहिए।
2. अन्य प्रायोजन के लिये मिश्री का सेवन, प्रायोजन पर निर्भर करता है। उदाहरण के तौर पर यदि किसी रोग के उपचार में इसका सेवन करना है तो इसकी मात्रा चिकित्सक तय करेगा।
मिश्री के फायदे – Benefits of Sugar Candy
दोस्तो, अब बताते हैं आपको मिश्री के फायदे जो निम्न प्रकार हैं –
1. ऊर्जा बढ़ाए (Increase Energy)- मिश्री का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके सेवन से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और यह एक्टिवनेस को जगाती है। यदि आपको थकावट महसूस हो रही है तो थोड़ी सी मिश्री खा लें, थकावट उतरती चली जाएगी आपको राहत महसूस होगी। दूध में मिश्री घोलकर पीयें तो और भी बेहतर होगा। इससे आपको दूध और मिश्री दोनों के गुण मिल जाएंगे।
2. वजन को नियंत्रित करे (Control Weight)- लोगों को अक्सर डर रहता है कि मीठा खाने से वजन बढ़ता है। मगर गुड़ और मिश्री ऐसे पदार्थ हैं जो वजन को नियंत्रित करते हैं। हां, यदि अधिक मात्रा में खाओगे तो निश्चित रूप से नुकसान होगा। ज्यादा गुड़ खाने से पेट खराब होगा तो ज्यादा मिश्री के सेवन से वजन अनियंत्रित होकर बढ़ भी जाएगा। इसलिये इसका सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए।
वजन को नियंत्रित करने के लिए मिश्री और सौंफ़ को बराबर की मात्रा में पीसकर पाउडर बना लें। सौंफ़ के विकल्प स्वरूप आप सूखे धनिये का भी उपयोग कर सकते हैं। इस पाउडर की एक चम्मच मात्रा लेकर सुबह गर्म पानी के साथ सेवन करें।
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3. मस्तिष्क स्वास्थ के लिए फायदेमंद (Beneficial for Brain Health)- मानसिक विकारों के उपचार में आयुर्वेद में मिश्री और मक्खन का उपयोग प्राचीन काल से होता चला आया है। वस्तुतः मक्खन में ओमेगा 3 फैटी एसिड व अन्य तत्व स्मरण शक्ति में सुधार करने और इसे तेज करने का काम करते हैं।
इसीलिए मक्खन को ब्रेन बूस्टर कहा जाता है। मिश्री में विटामिन-बी12 मस्तिष्क की कार्य प्रणाली और संचार प्रणाली में सुधार करने का काम करता है। मक्खन और मिश्री ये दोनों मिलकर मस्तिष्क के संभावित विकारों को दूर करने का काम करते हैं।
4. हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाए (Increase Hemoglobin Level)- रक्त में हीमोग्लोबिन कम हो जाने पर शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी होने लगती है जिससे रक्त के निर्माण में रुकावट आती है। रक्त की कमी होने से थकावट, कमजोरी, चक्कर आना जैसे लक्षण प्रकट होने लगते हैं। ऐसे में इस समस्या को मिश्री संभालती है। मिश्री में आयरन की पर्याप्त मात्रा होती है।
नियमित रूप से मिश्री का सेवन करने से हीमोग्लोबिन के स्तर में सुधार होने लगता है तथा ब्लड सर्कुलेशन में भी सुधार आता है। इसके लिए केसर वाले गर्म दूध में मिश्री घोलकर पीएं। या मिश्री और मक्खन का सेवन करें। आराम लग जाएगा।
5. पाचन में मदद करे (Help Digestion)- मिश्री में पाचन के गुण होते हैं जो भोजन को पचाने में पाचन तंत्र की मदद करते हैं। वैसे भी मिश्री में फाइबर मौजूद होता है विशेषकर धागे वाली मिश्री में जो कब्ज, एसिडिटी, गैस जैसी पेट के रोगों को दूर करने का काम करता है और पाचन में भी मदद करता है। इसके लिए मिश्री के साथ थोड़े से सौंफ़ के दानों का सेवन करें। मिश्री और सौंफ़ के इन्हीं गुणों के कारण रेस्टोरेंट, होटल्स आदि में भोजन के उपरांत मिश्री और सौंफ़ सर्व की जाती है।
6. यौन विकारों में फायदेमंद (Beneficial in Sexual Disorders)- दोस्तो, मिश्री ना केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ को ठीक रखती है बल्कि यह यौन विकारों के उपचार में रामबाण उपाय है। यौन से जुड़ी समस्याओं के निवारण में आयुर्वेद में मिश्री का उपयोग किया जाता रहा है। कामेच्छा और कामशक्ति में कमी, नपुंसकता, सेक्स के प्रति रुचि ना होना, वीर्य का पतलापन आदि की समस्या के लिए भिंडी की जड़ के साथ मिश्री पीसकर गर्म दूध में मिलाकर प्रतिदिन रात को सोने से पहले पीएं।
वैसे, रात को रोजाना केसर वाले दूध में मिश्री मिलाकर पीने से भी लाभ होगा। शीघ्रपतन की समस्या से राहत पाने के लिए पांच-पांच ग्राम इसबगोल, खसखस और पिसी हुई मिश्री की मात्रा लेकर गर्म दूध के साथ रात को सोने से पहले सेवन करें।
7. खांसी, जुकाम में लाभकारी (Beneficial in Cough and Cold)- यद्यपि मिश्री की तासीर ठंडी होती है मगर सर्दियों में खांसी, जुकाम में आराम दिलाती है। गले में खिच-खिच, खराश, रह-रह कर हल्की खांसी उठना जैसे लक्षणों में बस में मिश्री रख कर चूसें। आराम लग जाएगा। खांसी, जुकाम की समस्या में पिसी हुई मिश्री में काली मिर्च पाउडर और घी मिलाकर पेस्ट बनाकर रात को सोने से पहले समय सेवन करें।
यदि घी नहीं मिलाना चाहें तो ना मिलाएं हुई मिश्री में काली मिर्च पाउडर को गुनगुने पानी के साथ मिलाकर सेवन करें। छोटे बच्चों को खांसी, जुकाम होने पर उनके मुंह में मिश्री रख सकते हैं या मिश्री को पानी में घोलकर पिलाएं। आराम लग जाएगा।
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8. नकसीर में लाभकारी (Beneficial in Nose Bleeding)- कई लोगों को गर्मियों में अक्सर नाक से खून आने की समस्या हो जाती है। इसे आम भाषा में नकसीर फूटना कहा जाता है। इस समस्या से मिश्री तुरन्त छुटकारा दिला देती है। मिश्री की तासीर ठंडी होने नाते यह अपना शीतल प्रभाव डालती है और गर्मी के प्रभाव को कम करती है।
नाक से खून आने पर आपको बस यह करना है कि मिश्री को पानी में घोलकर पीना है। या इस मिश्री के पानी को सूंघना है। नकसीर पर विस्तार से जानकारी के लिए हमारा पिछला आर्टिकल “नाक से खून को रोकने के घरेलू उपाय” पढ़ें।
9. डायरिया में फायदेमंद (Beneficial in Diarrhea)- मिश्री डायरिया की समस्या में भी फायदा करती है। डायरिया के मरीज को आधा गिलाश पानी में 10 ग्राम मिश्री घोलकर और इसमें 10 ग्राम धनिया पाउडर मिला कर पिला दें। एक दिन में तीन बार पिलाएं, आराम लग जाएगा।
10. मुंह के छाले दूर करे (Remove Mouth Ulcers)- यदि मुंह में छाले हो जाएं तो व्यक्ति खाने पीने को भी तरस जाता है। उसका पेट नहीं भरता। खाली पानी भी छालों में लगता है। मुंह में छाले हो जाने पर मिश्री और हरी इलायची को बराबर की मात्रा लेकर पानी में पीसकर पेस्ट बना लें।
इस पेस्ट को मुंह में छालों पर लगाएं। इसे रोजाना लगाएं। जल्द ही मुंह के छालों में आराम लग जाएगा। मुंह के छालों के बारे में विस्तार से जानकारी के लिए हमारा पिछला आर्टिकल “मुंह के छालों का देसी इलाज” पढ़ें।
मिश्री के नुकसान -Side Effects of Sugar Candy
एक बात ध्यान रखिए कि मिश्री कोई पेट भरने की वस्तु नहीं है बल्कि हल्का-फुल्का मिठास लेने की वस्तु है या औषधी के रूप में बीमारी के उपचार में काम आने वाली वस्तु। इसलिए इसका सीमित मात्रा में सेवन किया जाना चाहिए। अधिक मात्रा में मिश्री के सेवन से हो सकते हैं निम्वलिखित नुकसान :-
1. पेट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं जैसे कि पेट में दर्द, गैस बनना, दस्त लगना
2. जी मिचलाना, उल्टी।
3. सर्दी जुकाम के उपचार के लिए, चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही इसका सेवन करें अन्यथा, समस्या और बढ़ सकती है।
4. किसी भी प्रकार की कोई दवा ले रहे हैं तो चिकित्सक से पूछकर ही मिश्री का सेवन करें।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको मिश्री के बारे में विस्तार से जानकारी दी। मिश्री क्या है, मिश्री कैसे बनाई जाती है, मिश्री का धार्मिक महत्व, मिश्री के उपयोग, मिश्री का सेवन कब करना चाहिए और मिश्री कितनी खानी चाहिए, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से मिश्री के बहुत सारे फायदे बताए और कुछ नुकसान भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
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Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।