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रस्सी कूदने के फायदे – Benefits of Jumping Rope in Hindi

रस्सी कूदने के फायदे

दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉक पर। दोस्तो, हिन्दी साहित्य की महान कवियत्री सुभद्रा कुमारी चौहान की एक कविता याद आती है “बार-बार आती है मुझे मधुर याद बचपन तेरी … गया ले गया तू जीवन की सबसे मस्त खुशी मेरी”। जी हां बचपन जीवन का सबसे मधुर और स्वर्ण काल होता है। बचपन में खेले गये खेलों को ज़िन्दगी में कभी कोई भूलता नहीं है चाहे वह रेस लगाना हो, स्टापू खेलना, कंचे खेलना, लट्टू चलाना, गिल्ली-डंडा, छुपा-छुपी, नकली तलवार चलाना, पटा-भिन्नौट, ऊंची कूद, लंबी कूद हो या कुश्ती या कबड्डी। बचपन के लिये यह सब खेल हुआ करता था, मगर आज पता चलता है कि बचपन के कुछ खेल व्यायाम का हिस्सा हैं। 

इनमें से बहुत से खेल व्यायाम के अलावा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेले जाते हैं जैसे, कुश्ती, तलवारबाजी, कबड्डी, ऊंची कूद, लंबी कूद, दौड़ आदि। आज हम आपको एक ऐसे बचपन के खेल के बारे में बतायेंगे जो अपने आप में संपूर्ण व्यायाम है जिससे पूरे शरीर की एक्सरसाइज हो जाती है। बॉडी स्लिम रखने के लिये यदि इसको सर्वोत्तम व्यायाम कहा जाये तो अतिश्योक्ती नहीं होगी। हम बात कर रहे हैं रस्सी कूदने की जिसे बचपन में बड़े शौक से खेल समझ कर खेला करते थे।  दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “रस्सी कूदने के फायदे” जो आपके बचपन की यादों को लौटा देगा और आप बच्चे की तरह इसे एंजॉय करेंगे। देसी हैल्थ क्लब इस लेख के माध्यम से आज आपको रस्सी कूदने के बारे में जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि रस्सी कूदने के क्या फायदे होते हैं। तो, सबसे पहले जानते हैं कि रस्सी कूदना क्या है। फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।

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रस्सी कूदने के फायदे
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रस्सी कूदना क्या है? – What is Pump Rope?

रस्सी कूदना बच्चों के लिये मधुर और मनोरंजक खेल और बड़ों के लिये “सम्पूर्ण व्यायाम” है जिसमें व्यक्ति दोनों हाथों से एक रस्सी के दोनों छोर पकड़कर अपने पीछे से आगे की ओर सिर के ऊपर से लाते हुऐ तेजी से रस्सी घुमाकर लाता है, जैसे ही रस्सी पैरों के पास आती है व्यक्ति दोनों पैरों से ऊपर की ओर उछलता है और रस्सी पीछे चली जाती है। यह चक्र चलता रहता है। इसी को रस्सी कूदना कहते हैं। यह कई प्रकार से कूदी जाती है जिसका जिक्र हम आगे करेंगे। रस्सी कूदना एकदम सरल और बेहद फायदेमंद व्यायाम है जिसे करने के लिये किसी इंस्ट्रक्टर की जरूरत नहीं होती और ना ही किसी पार्क या मैदान में जाने की। इसे आप अपने घर पर भी कर सकते हैं अपने कमरे में या फिर घर की छत पर। सर्दियों की सुहानी धूप में तो और भी आनन्द आ जायेगा।

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रस्सी कूदना सम्पूर्ण व्यायाम क्यों है? – Why is Jumping Rope a Complete Exercise?

यह सम्पूर्ण व्यायाम इसलिये है क्योंकि इसमें सिर से लेकर पैर के अंगूठे तक शरीर के प्रत्येक हिस्से की गतिविधि होती है। शरीर के अंदर की हर मशीनरी भी चलायमान हो जाती है। मस्तिषक से लेकर पैर तक की शिराओं में रक्त प्रवाह में सुधार होता है। यह एक प्रकार से कार्डियो एक्सरसाइज है जिसमें शरीर की कैलोरी बहुत तेजी से बर्न होती है स्टैमिना भी बढ़ता है। कार्डियो एक्सरसाइज आपका ध्यान लक्ष्य पर केंद्रित करता है। रस्सी कूदना आपको एकाग्रचित कर आपके शरीर को शांत करता है। फार्मेसी डॉट इन की एक रिपोर्ट के मुताबिक रस्सी कूदना सबसे अच्छा कार्डियो व्यायाम है जो हृदय गति को बढ़ाता है। इससे हृदय रोग और स्ट्रोक की संभावना बहुत कम हो जाती है। रस्सी कूदने से पेट की चर्बी भी बहुत तेजी से कम होती है जिससे आपका मोटापा कम हो जाता है। यदि आप अपने पेट की चर्बी को कम करना चाहते हैं तो देसी हैल्थ कल्ब आपको सम्पूर्ण व्यायाम को अपनाने की सलाह देता है यानी रस्सी कूदने की सलाह देता है।

रस्सी कितने प्रकार से कूदी जाती है? – How is the Rope Jumped?

दोस्तो, मुख्य रूप से रस्सी चार प्रकार से कूदी जाती है। विवरण निम्न प्रकार है –

1. दोनों पैरों से कूदना (Jump with Both Feet)- यह सबसे सरल और सामान्य प्रकार है। इसमें जैसे ही रस्सी पैरों के पास आती है तभी व्यक्ति अपने दोनों पैरों को एक साथ उठाकर ऊपर उछल जाता है जिसे रस्सी पीछे की ओर चली जाती है। रस्सी कूदने की शुरुआत इसी से ही करनी चाहिये।

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2. एक पैर से कूदना (Jump with One Leg)- इसमें केवल एक ही पैर से रस्सी कूदी जाती है। इसके लिये बहुत अभ्यास की जरूरत होती है क्यों कि इसमें पूरे का शरीर संतुलन बनाये रखना होता है। यह रस्सी कूदने का कठिन प्रकार है।

3. कूदते हुए हाथ क्रॉस करना (Jumping Hand Crossing)- इसमें व्यक्ति रस्सी घुमाते हुऐ अपने हाथों को सामने की तरफ क्रॉस करता है और रस्सी कूदता है। यह भी बहुत कठिन प्रकार है जिसके लिये कड़े अभ्यास की जरूरत होती है। इसे केवल एक्सपर्ट्स ही करते हैं सामान्य तौर पर हर कोई इस प्रकार से रस्सी नहीं कूदता क्योंकि इसमें रस्सी के पैरों में फंस जाती है और व्यक्ति गिर जाता है।

4. समूह में रस्सी कूदना (Group Jump Rope)- यह एक सरल तरीका है रस्सी कूदने का। इसमें दो व्यक्ति एक-एक छोर पकड़कर रस्सी घुमाते हैं और दो या तीन अधिक व्यक्ति अंदाज लगाकर घूमती रस्सी के बीच बहुत तेजी से आते हैं और रस्सी कूदना शुरु कर देते हैं। इसमें कितने व्यक्ति एक साथ कूद सकते हैं, यह रस्सी की लम्बाई पर निर्भर करता है। हां, एक बात तय है कि इसके लिये आपको बाहर किसी पार्क में जाना पड़ सकता है।  घर की छत पर इस प्रकार से रस्सी कूद पाना संभव नहीं लगता। 

रस्सी कूदने के फायदे – Benefits of Jumping Rope

1. हृदय स्वास्थ्य के लिये फायदेमंद (Beneficial for Heart Health)- जैसा की हमने ऊपर बताया कि यह एक कार्डियो व्यायाम है जिसके करने से हृदय की गति बढ़ती है जिससे हृदय तेजी से कार्य करता है। हृदय धमनियों और नसों के जरिये बल्ड सारे शरीर में पंहुचाता है। रस्सी कूदने से कार्डियो सर्कुलेशन अर्थात् ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है, जो ब्लड को पंप करने के लिये जरूरी है। हृदय से जुड़ी कोई समस्या या स्ट्रोक आदि की संभावना बहुत कम हो जाती है। रस्सी कूदने से शरीर की क्षमता बढ़ जाती है।

2. वजन कम करे (Lose Weight)- जिन लोगों का पेट निकला हुआ है, पेट पर चर्बी चढ़ी हुई है, मोटापे से परेशान हैं, उन लोगों के लिये रस्सी कूदना रामबाण उपाय है। इससे कैलोरी बहुत तेजी से बर्न होती है। यदि आप 10 मिनट तक रस्सी कूदते हैं तो यह 8 मिनट की दौड़ के बराबर है। एक मिनट तक रस्सी कूदने से 10 से 16 कैलोरी ऊर्जा खर्च होती है।आधा घंटा लगातार रस्सी कूदने से 300 कैलोरी बर्न हो जाती है। एक हफ्ते तक यदि रोजाना केवल 20 मिनट ही लगातार रस्सी कूदी जाये तो से 500 ग्राम तक वजन कम किया जा सकता है। रस्सी कूदने से पेट और जांघों की अतिरिक्त चर्बी खत्म होती है और फिर आपको मिलती है एक सामान्य, स्लिम और फिट बॉडी।

3. हड्डियां मजबूत बनें (Stronger Bones)- रस्सी कूदने से हड्डियों के घनत्व (Density) में सुधार होता है जिससे हड्डियां मजबूत बनती हैं। 35 वर्ष की आयु के बाद हड्डियों के घनत्व में कमी आने लगती है जिससे हड्डियों की मजबूती प्रभावित होती है विशेषकर महिलाओं की। इसकी वजह मासिक धर्म भी हो सकता है। हड्डियां कमजोर पड़ने पर ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। यह हड्डियों का एक ऐसा रोग है जिसमें हड्डियां अपने आप टूटने लगती हैं या जरा सी भी चोट लगने पर टूट जाती हैं।

4. जोड़ों के स्वास्थ के लिये (Joint Health)– जैसा कि हमने ऊपर बताया कि रस्सी कूदने से हड्डियों का घनत्व मजबूत होता है, रस्सी कूदने से टखने (Ankle), घुटने, कूल्हे और कंधों के जोड़ों की गतिविधियों में तीव्रता आती है जिससे इनके कार्य करने की क्षमता में सुधार होता है और इनमें समस्या कम आती है। चलती का नाम गाड़ी इसीलिये कहते हैं कि जब तक मूवमेंट रहती है तब तक ठीक है चाहे वह गाड़ी हो या शरीर के जोड़।

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5. रस्सी कूदने से लम्बाई बढ़े (Jump Rope Increase Height)- रस्सी कूदने से रीढ़ की हड्डी (spine), पीठ, पिंडली की मासपेशियां स्ट्रेच होती हैं और कुछ नयी मासपेशियां का भी निर्माण होता है। रस्सी कूदने से हड्डी का हड्डी का द्रव्यमान (Bone mass) में भी बढ़ोत्तरी होती है। इस कारण रस्सी कूदने से 3 से 6 महीने में लम्बाई बढ़ जाने की संभावना रहती है।

6. सभी अंगों की एक्सरसाइज (Exercise of All Limbs)- हमने ऊपर भी बताया है कि रस्सी कूदना एक सम्पूर्ण व्यायाम है। इसमें शरीर के हर  हरकत में आ जाते हैं। हाथ, कलाईयां, बाजू, कंधे, पेट, टांगें, पैर, और अंदर के अंग सभी की एक साथ एक्सरसाइज हो जाती है। इसलिये शरीर के किसी अंग विशेष के लिये सोचना नहीं पड़ता। 

7. घुटनों पर जोर नहीं पड़ता (No Stress on the Knees)- दौड़ने में घुटने बोल जाते हैं यानी घुटनों पर जोर पड़ता है, उनमें दर्द होने लगता है। रस्सी कूदने से लगने वाले झटके पूरे पैरों में बंट जाते हैं इसलिये इनका घुटनों पर सीधा जोर नहीं पड़ता। इसीलिये घुटनों में दर्द भी नहीं होता।

8. त्वचा के लिये फायदेमंद (Skin)- जब आप रस्सी कूदते हैं तो पूरे शरीर में  रक्त संचार तेजी से बढ़ता है जिससे त्वचा को पोषक तत्व मिलते हैं और तेजी से पसीना आता है जिससे रोम छिद्र खुल जाते हैं, शरीर की गंदगी और विषैले तत्व पसीने के जरिये बाहर निकल जाते हैं। इससे चेहरे के दाग, धब्बे, झाईयां, कील-मुंहासे कम होने लगते हैं, तवचा में कसावट आती है, त्वचा में प्राकृतिक रूप से निखार और चेहरे पर ग्लो आ जाता है।

9. शरीर का संतुलन बेहतर होता है (Better Body Balance)- रस्सी कूदने से पैरों की तेज गति, फुर्तीलापन और पैरों का नियन्त्रण बढ़ता है जिससे शरीर की संतुलन क्षमता (Balancing) में सुधार होता है। इसी लिये बॉक्सर्स रस्सी कूदते हैं ताकि उनके पैरों का कंट्रोल और शरीर का संतुलन सही बना रहे।

10. हार्मोन में संतुलन (Balance in Hormones)- रस्सी कूदना, शरीर के संतुलन के साथ-साथ रस्सी कूदने से हार्मोन्स संतुलन बनाये रखने में भी मदद करता है। इससे आप तनाव (Tension) और अवसाद (Depression) से मुक्त रहते हैं।

11. फेफड़ों मजबूत बनें (Get Stronger Lungs)-  रस्सी कूदने से जब रक्त संचार बढ़ता है तो इसका प्रभाव फेफड़ों पर भी पड़ता है। इससे फेफड़ों की कार्य क्षमता बढ़ती है, फेफड़े मजबूत होते हैं और श्वसन तंत्र की कार्य प्रणाली में भी सुधार होता है।

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खानपान –  (Food and Drink)

दोस्तो, रस्सी कूदना एक सरल व्यायाम तो है जिसे करने में कोई विशेष तकनीक नहीं है लेकिन इसमें शारीरिक ऊर्जा बहुत खर्च होती है। इसलिये इसकी रिकवरी के लिये पौष्टिक भोजन बहुत जरूरी है जिसमें कैल्शियम और प्रोटीन का होना बहुत जरूरी है। अतः अपने भोजन में निम्नलिखित खाद्य/पेय पदार्थों को शामिल करें –

1. दूध और दूध से बने पदार्थ जैसे दही, पनीर।

2. ड्राई फ्रूट्स विशेषकर बादाम और अखरोट, काजू, पिस्ता आदि।

3. मूंगफली।

4. चना।

5. व्हे प्रोटीन (Whey protein)।

6. तिल के बीज।

7. चिया के बीज।

8. अंजीर।

9. शकरकंद।

10. हरे साग वाली सब्जियां जैसे पालक, मेथी आदि।

11. संतरा, मौसमी, अनानास, अनार आदि का जूस।

रस्सी कूदने के कुछ टिप्स – Some Tips for Jumping Rope

रस्सी कूदते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें –

1. सबसे जरूरी यह है की आप कपड़े आरामदायक होने  चाहियें। एकदम टाईट या ढीले-ढाले कपड़े ना हों। स्पोर्ट्स ड्रैस हो तो बेहतर है।

2. स्पोर्ट्स शूज़ पहनें, इनसे रस्सी कूदने में आप अपने को कम्फ़र्टेबल फील करेंगे।

3. लड़कियां/महिलाऐं विशेष तौर पर ध्यान रखें, रस्सी कूदने या अन्य किसी भी प्रकार के दौड़ने, कूदने के लिये स्पोर्ट्स ब्रा पहनें ताकि आप सीने की तीव्र मूवमेंट से परेशान ना हों।

4. कूदने वाली रस्सी का ध्यान रखें, यह ना बहुत ज्यादा लम्बी हो और ना छोटी क्योंकि दोनों ही स्थिति में आप रस्सी से उलझ कर गिर सकते हैं। रस्सी को डबल करके बीच में एक पैर रखकर जमीन पर टिकाइये, इसकी लम्बाई आपके सीने तक आनी चाहिये।

5. रस्सी के दोनों हैंडल कटे, फटे और चिकने ना हो। खुरदुरे भी नहीं होने चाहियें। हैंडल इस प्रकार के होने चाहियें जिनकी ग्रिप (पकड़) अच्छी और आरामदायक हो।

6. रस्सी वज़न में ठीक-ठाक होनी चाहिये बेहद हल्की भी ना हो कि जिसका पता ही ना चले कि पैरों से निकल कर दुबारा आ गई। इससे आपका अंदाज गलत हो जायेगा और सही से कूद नहीं पाओगे।

7. लड़कियां/महिलाऐं पीरियड्स के दिनों में यदि कम्फ़र्ट फील करें तभी रस्सी कूदें।

8. गर्भावस्था के बाद सी सेक्शन डिलीवरी (C Section Delivery) हो या नॉर्मल, 6 हफ्तों के बाद से ही रस्सी कूदना शुरू करें, इससे पहले नहीं। और एक हफ्ते तक केवल 50 बार ही रस्सी कूदें। इसके बाद यदि आप सामान्य रहती हैं यानी कोई दर्द की समस्या न हो तो कूदने की संख्या बढ़ा सकती हैं।

9. यदि पहली बार आप रस्सी कूदने की शुरुआत कर रहे हैं तो 50 बार से अधिक रस्सी ना कूदें क्योंकि ऐसा करने से आगे आने वाले दिनों में आप सामान्य रहेंगे, शारीरिक थकावट ज्यादा नहीं होगी। आप अपनी शारीरिक क्षमता को आगे सही से मैनेज कर पायेंगे।

10. चार या पांच दिनों तक रस्सी कूदने की संख्या 50 ही रखें फिर इसे आप 10 तक बढ़ा सकते हैं। धीरे-धीरे चार या पांच दिनों के अंतराल पर 10, 10 करके बढ़ायें 80, 100 और फिर 300 तक ले जा सकते हैं।

11. रस्सी कूदते समय अपने बॉडी पॉश्चर पर विशेष ध्यान दें।

12. खाली पेट ही रस्सी कूदें। हां, रस्सी कूदने से कुछ देर पहले थोड़ा सा पानी जरूर पी लें क्योंकि बीच में प्यास लग जायेगी। रस्सी कूदने के बीच में और कूदने के फौरन बाद पानी ना पीयें। इससे आपके पेट में दर्द हो सकता है।

13.  रस्सी कूदते समय जब भी आपकी सांस फूलने लगे तो तुरंत रस्सी कूदना बंद कर दें।

14. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक रस्सी ना कूदें।

15. यदि आप रस्सी कूदने की शुरूआत कर रहे हैं तो स्पीड कम रखें अन्यथा मांसपेशियों खिंच सकती हैं। बाद में धीरे-धीरे स्पीड और टाइम बढ़ायें।

16. रस्सी कूदने की स्पीड में एक लय, बनाकर रखें यानी एक जैसी ही स्पीड रखें। इससे आपकी हार्ट बीट एक जैसी रहेगी।  ये नहीं कि एकदम से स्पीड तेज कर दी और फिर एकदम से कम। कम ज्यादा स्पीड में तालमेल बनाकर रखें। स्पीड में एक लय (Rhythm) होनी चाहिये।

17. रस्सी कूदने से पहले स्ट्रैचिंग कर लें इससे मांसपेशियों में खिंचाव नहीं आयेगा। बल्कि हर एक्सरसाइज करने से पहले स्ट्रैचिंग कर लेनी चाहिये। अमेरिकन कॉलेज ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन के मुताबिक कम से कम सभी बड़ी मसल्स को स्ट्रेच कर लेना  चाहिये। हफ्ते में दो बार और प्रत्येक एक्सरसाइज के लिए 60 सेकंड का समय निकालें। स्ट्रेचिंग करने से कूल्हे और घुटने के नीचे की मांसपेशियां वृद्धावस्था में भी लचीली बनी रहेंगी।

18. रस्सी कूदने के बाद कूलिंग एक्सरसाइज भी करें।

19. यदि आप एक्सपर्ट नहीं हैं तो कृपया सामान्य रूप से ही रस्सी कूदें, स्टन्ट ना करें।

20. रस्सी कूदने का आदर्श समय सुबह या शाम 4 से 7 बजे का होता है।

रस्सी किनको नहीं कूदनी चाहिये – Who Should not Jump Rope

1. हृदय से सम्बंधित रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को।

2. अस्थमा के मरीज या सांस से सम्बंधित कोई समस्या यदि किसी को है।

3. उच्च रक्तचाप वाले लोग।

4. नजदीक में ही यदि कोई सर्जरी हुई है या कोई ऑपरेशन।

5. हड्डियों से सम्बंधित किसी रोग से पीड़ित व्यक्ति।

6. शारीरिक रूप से कमजोर होने पर।

7. गर्भवती महिला को।

Conclusion –

दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको रस्सी कूदने के फायदे के बारे में जानकारी दी। रस्सी कूदना किसे कहते हैं, रस्सी कूदना सम्पूर्ण व्यायाम क्यों है, रस्सी कितने प्रकार से कूदी जाती है, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस लेख के माध्यम से रस्सी कूदने के बहुत सारे फायदे बताये, खानपान के बारे में बताया और रस्सी कूदने के बहुत सारे टिप्स भी दिये साथ ही यह भी बताया कि रस्सी किनको नहीं कूदनी चाहिये। आशा है आपको ये लेख अवश्य पसन्द आयेगा।

दोस्तो, इस लेख से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो लेख के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह लेख आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और  सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह लेख केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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One thought on “रस्सी कूदने के फायदे – Benefits of Jumping Rope in Hindi

  1. Outstanding. Best part of this Article is explanation towards why jumping rope is Complete exercise and tips for jumping rope.

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