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सरसों का साग खाने के फायदे – Benefits of Eating Mustard Greens in Hindi

सरसों का साग खाने के फायदे

स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग में। दोस्तो, जब सर्दियां आती हैं तो खाने पीने की मौज हो जाती है, विशेषकर उत्तर भारत में। वैसे तो आजकल हर मौसम में हर सब्जी मिल जाती है मगर वह होती है कोल्ड स्टोरेज की। लेकिन सर्दियों में तरोताजा सब्जियों की बात ही कुछ और होती है। जैसे कि शलजम, फूलगोभी, गांठगोभी, गाजर, मूली और सलाद के लिए चुकन्दर आदि। इन सबसे परे दो वस्तुएं और मिलती हैं जिनको खाने का मजा सर्दी में ही आता है। ये हैं सरसों का साग और मकई। सरसों का साग, मकई की रोटी, मक्खन या देशी घी, हरी मिर्च और मूली का सलाद और साथ में ताजा लस्सी, ऊपर से ताजा गुढ़ की सोंधी खुश्बू। इन सबको खाकर आत्मा तृप्त हो जाती है।

यह है उत्तर भारत का सबसे प्रिय, स्वादिष्ट और स्वास्थवर्धक सर्दियों का भोजन जिसके सामने देवताओं का भोजन भी फेल है। सरसों का साग केवल स्वादिष्ट सब्जी ही नहीं बल्कि स्वास्थ का खजाना है। विटामिनों और खनिजों का पावरहाउस है ये। आखिर इस सरसों के साग के क्या फायदे होते हैं?। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “सरसों का साग खाने के फायदे”

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आपको सरसों के साग के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसे खाने के क्या फायदे होते हैं। तो, सबसे पहले जानते हैं कि सरसों क्या है और सरसों का साग क्या है। फिर, इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।

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सरसों क्या है? – What is Mustard?

दोस्तो, सरसों वस्तुतः एक तिलहन फसल है। सरसों की पत्तियों को साग के रूप में खाया जाता है। इसके बीजों का तेल निकाला जाता है। सरसों का तेल भोजन बनाने के लिए भारत सहित कई देशों में इस्तेमाल किया जाता है। यह तेल सिर में लगाने व शरीर की मालिश करने के भी काम आता है। इससे शरीर बलिष्ठ बनता है और त्वचा विकार दूर होते हैं। त्वचा पर निखार भी आता है। पहलवान लोग सरसों के तेल से ही शरीर की मालिश करते हैं। 

सरसों का तेल निकाले जाने के बाद बचे हुए पदार्थ को “खली” कहा जाता है जिसे पशुओं को चारे के साथ खिलाया जाता है। यह पशुओं के लिए बहुत ताकतवर पोषक पदार्थ होता है। सरसों के बीजों का मसाले के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। सरसों को प्राचीन काल से ही आयुर्वेद में एक औषधि के रूप में हर प्रकार के दर्द को रोकने तथा बालों को झड़ने से रोकने, बवासीर, त्वचा रोग, पथरी, उपदंश, आदि के निवारण के लिए उपयोग किया जाता रहा है।

इसकी फसल दिसम्बर में बोई जाती है और मार्च-अप्रैल में काट ली जाती है। इसका पौधा 1 से 3 फुट ऊंचा होता है। तना लचीला और सीधा होता है। इसके तने पर छोटी-छोटी शाखाएं होती हैं जिन पर हरे रंग के चमकीले, भालाकार और पाली के समान पत्ते होते हैं। इसके छोटे-छोटे अत्यंत आकर्षक पीले रंग के सुन्दर फूल होते हैं। इसकी फलियां लंबी और पतली होती हैं जिनमें बहुत छोटे-छोटे बीज होते हैं। ये बीज एक मिलीमीटर व्यास के होते हैं।

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इन्हीं बीजों का तेल निकाला जाता है। आइसोथायो सायनेट (isothio cyanate) के कारण ही सरसों के तेल में हल्की सी चरपराहट होती है। सरसों की अनेक प्रजातियां होती हैं जिनमें ज्यादातर काली और पीली सरसों की खेती की जाती है। क्रूसीफेरी (ब्रैसीकेसी) परिवार से संबंध रखने वाली सरसों का वैज्ञानिक नाम ब्रेसिका कम्प्रेसटिस (Brassica campestris) है और अंग्रेजी में इसे मस्टर्ड (Mustard) कहते हैं। 

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सरसों का साग क्या है? – What is Mustard Greens?

सरसों का साग वस्तुतः सरसों के पत्तों की बनाई हुई सब्जी ही है। इसके लिए सरसों के उन छोटे पौधों से जिन पर फूल नहीं आए होते, डंडी (डंठल) सहित पत्ते तोड़ लिए जाते हैं। यहां हम बता दें कि पत्ते तोड़े गए पौधों पर कुछ समय बाद फिर से पत्ते आ जाते हैं। इन पत्तों को डंडी सहित बहुत बारीक काटा जाता है। 

बारीक काटने के लिए आज भी कुछ महिलाएं दरांत का इस्तेमाल करती हैं। दरांत से पत्तों को बारीक काटना या गाजर मूली काटना हर किसी के बसकी नहीं है। यह एक कला है जो लुप्त होती जा रही है। बिना समझे, जाने दरांत का इस्तेमाल करने पर हथेली बहुत जल्दी कट जाती है या यह रपट कर टांग या पैर को घायल कर सकता है। आजकल तो सब्जी बेचने वाले ही साग काटने वाली मशीन (पशुओं को चारा काटने वाली मशीन के समान) से ही साग काटकर दे देते हैं मगर इससे दरांत की तुलना में बारीक नहीं कटता। 

चाकू से तो बिल्कुल भी बारीक नहीं कटता। इन पत्तों को काटने के बाद, नमक मिर्च मसाले मिलाकर सब्जी बनाई जाती है। इसी को सरसों का साग कहा जाता है। वैकल्पिक तौर पर सरसों के पत्तों के साथ पालक, मेथी, चना, चौलाई, बथुआ जिसका भी मन करे, के पत्ते भी मिलाए जा सकते हैं। इनके गुण भी सरसों के साग में आ जाते हैं।

सरसों की खेती कहां होती है? – Where is Mustard Cultivated?

1. भारत के अतिरिक्त सर्बिया, इथियोपिया, चीन, रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, कजाकिस्तान, यूक्रेन, म्यांमार, कनाडा, हंगरी, अर्जेंटीना, चिली, डेनमार्क, नीदरलैंड, नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अन्य देशों में सरसों की खेती की जाती है।

2. भारत में सरसों की खेती राजस्थान, उत्तर प्रदेश,  मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, पश्चिम बंगाल, असम, झारखंड़, बिहार आदि देशों में होती है।

सरसों के साग के गुण – Properties of Mustard Greens

1. सरसों के साग की तासीर गर्म होती है इसलिए इसे सर्दी के मौसम में ही खाया जाना चाहिए।

2. खाली सरसों के साग का स्वाद हल्का सा चरपराहट लिए होता है। इसका स्वाद इसमें पड़ने वाले अन्य साग पर निर्भर करता है जैसे कि इसमें चने की पत्तियों को या पालक को काट कर मिलाया जाए तो यह खट्टापन लिये होगा, मेथी के पत्ते मिलाए जाएं तो इसमें कड़वापन होगा।

3. सरसों का साग को विटामिन ए, विटामिन सी और विटामिन ई का पावरहाउस कहा जाता है।

4. विटामिन ए, ई, सी, बी, और के तथा प्रोटीन फास्फोरस, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, आयरन कॉपर, ज़िंक आदि पोषक तत्व भी पर्याप्त मात्रा में होते हैं।

5. सरसों के साग में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लामेटरी, एंटीकैंसर आदि गुण होते हैं।

सरसों के साग के पोषक तत्व (प्रति 1 कप, कटा हुआ : 56 ग्राम) – Nutrients in Mustard Greens (per 1 cup, chopped: 56 grams)

ऊर्जा :  15.1 Kcal
प्रोटीन : 1.6 ग्राम
फैट : 0.235 ग्राम
कोलेस्ट्रॉल : 0.0 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट : 2.62 ग्राम
फाइबर : 1.79 ग्राम
कैल्शियम : 64.4 मिलीग्राम
पोटेशियम : 215 मि।ग्रा
सोडियम : 11.2 मिलीग्राम
आयरन : 0.918 मिलीग्राम
फास्फोरस : 26.1 मिलीग्राम
सेलेनियम : 0.50 माइक्रोग्राम
मैग्नीशियम : 57 मिलीग्राम
कॉपर : 0.3 मिलीग्राम
ज़िंक : 0.14 मिलीग्राम
कैरोटीन, अल्फा : 5.60 माइक्रोग्राम
कैरोटीन, बीटा : 1002.40 माइक्रोग्राम
क्रिप्टोक्सैंथिन, बीटा : 22.40 माइक्रोग्राम
ल्यूटिन (+zeaxanthin) : 2088.80 माइक्रोग्राम

कोलीन : 0.3 मिलीग्राम
विटामिन-ए : 84.6 माइक्रोग्राम
विटामिन-सी : 39.2 मिलीग्राम
विटामिन-ई : 1.7 मिलीग्राम
विटामिन-बी1
(थियामिन) : 0.045 मिलीग्राम
विटामिन-बी2
(राइबोफ्लेविन) : 0.2 मिलीग्राम
विटामिन-बी3 (नियासिन) : 0.5 मिलीग्राम
विटामिन-बी5
(पैंथाडिक एसिड) : 0.118 मिलीग्राम
विटामिन-बी6 : 0.101 मिलीग्राम
विटामिन-बी9
(फोलेट-डीएफई) : 6.72 माइक्रोग्राम
विटामिन-के : 144 माइक्रोग्राम

सरसों का साग खाने का सही समय – Right Time to Eat Mustard Greens

चूंकि प्रोटीन से भरपूर होने की वजह से सरसों के साग को पचने में समय लगता है इसलिये इसे सुबह के नाश्ते में या दोपहर को खाना उचित माना जाता है। हालांकि यह पच आसानी से जाता है।

सरसों का साग कितना खाना चाहिए? – How Much Mustard Greens Should One Eat?

सरसों के साग की तासीर गर्म होती है, इसलिए इसका सेवन कम मात्रा में ही करना चाहिए। एक दिन में एक कटोरी साग की मात्रा को उचित माना गया है।

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सरसों का साग किनको नहीं खाना चाहिए? – Who should not Eat Mustard Greens?

निम्नलिखित स्थिति वाले लोगों को साग का सेवन नहीं करना चाहिए –

  • जिन लोगों को सरसों के साग से एलर्जी हो,  उनको यह साग नहीं खाना चाहिए।
  • जिन लोगों को किडनी से जुड़ी कोई समस्या है तो उनको सरसों के साग को अवॉइड करना चाहिए।
  • जिन लोगों को पथरी की समस्या है। उनको भी यह साग नहीं खाना चाहिए क्योंकि यह पथरी के दर्द और इसके आकार दोनों को बढ़ा सकता है।
  • जिन लोगों का पाचन ठीक नहीं रहता या पाचन तंत्र से जुड़ी कोई समस्या है तो उनको भी सरसों के साग का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे पेट की समस्या और सूजन को बढ़ सकती है।
  • हृदय रोग से पीड़ित लोगों को सरसों के साग का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसमें उपस्थित विटामिन-के, रक्त का थक्का जमा सकता है जिससे समस्या बढ़ सकती है।

सरसों का साग खाने के फायदे – Benefits of Eating Mustard Greens

दोस्तो, अब बताते हैं आपको सरसों का साग खाने के फायदे जो निम्नलिखित हैं –

1. ऊर्जा प्रदान करे (Provide Energy)- सर्दी के मौसम में हाथ पैर ठंडे रहते हैं। आलस इतना आता है कि कोई काम करने का मन ही नहीं करता। ऊपर से सर्दी जुकाम भी घेर लेता है। शरीर में कमजोरी महसूस होने लगती है। ऐसे में सरसों का साग औषधी के रूप में काम करता है। 

सरसों का साग और मक्की की रोटी मूड ही बदलकर रख देते हैं। सरसों का साग चार्जर के रूप में काम करते हुए तुरन्त शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। सर्दी, जुकाम से भी राहत मिलती है, शरीर में गर्मी बनी रहती है और आप तरोताजा महसूस करते हैं।

2. इम्‍यूनिटी मजबूत करे (Strengthen Immunity)- माना जाता है कि सर्दियों में जो खाया वह सारे साल चलता है, इसका अर्थ है कि सर्दियों में विटामिन-सी वाले फल, सब्जियां बहुत उपलब्ध होती हैं। इनमें सरसों का साग भी एक उत्तम आहार है। इसमें विटामिन-सी की उच्च मात्रा होती है जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है। 

यह इम्‍यूनिटी को बूस्ट करता है। सरसों के साग में विटामिन-सी  सहित तीन शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होते हैं तथा आयरन, मैंगनीज, फोलेट भी इम्‍यूनिटी को मजबूती देने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाते हैं।

3. पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद (Beneficial for Digestive System)- सरसों का साग खाने से पाचन तंत्र को भी फायदा होता है क्योंकि इसको पचाने के लिए पाचन तंत्र को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती। यह सरलता से पच जाता है मगर प्रोटीन से भरपूर होने के कारण इसे पचने में समय लगता है। 

सरसों के साग में फाइबर की प्रचुर मात्रा होती है जो भोजन को रसादार बनाता है। इससे भोजन जल्दी और आसानी से पच जाता है।

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4. कब्ज दूर करे (Relieve Constipation)- कब्ज की समस्या वाले लोगों को डॉक्टर फाइबर युक्त आहार का सेवन करने की सलाह देते हैं। इसकी वजह यह है कि फाइबर मल को ढीला करता है और नरम बनाता है। इससे अगले दिन सुबह प्राकृतिक रूप से मल त्याग आसानी से हो जाता है। 

फाइबर युक्त भोजन हर रोज खाना चाहिए, कब्ज हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी। सरसों के साग में फाइबर की भरपूर मात्रा होती है। यद्यपि सरसों का साग रोजाना नहीं खाया जा सकता परन्तु हफ्ते में तीन दिन जरूर खाया जा सकता है।

5. शरीर को डिटॉक्सीफाई करे (Detoxify the Body)- हम रोजाना नहाकर तो शरीर की सफाई कर लेते हैं परन्तु अंदर की सफाई नहीं कर पाते। शरीर के अंदर विषाक्त पदार्थ (toxins) जमा होते रहते हैं जो हमें बीमार करते रहते हैं। इसलिये इन विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालना जरूरी होता है। 

यह काम भोजन में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट करते हैं। सरसों के साग में तीन शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो शरीर को डिटॉक्सीफाई कर इन विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालते हैं।

6. कैंसर से बचाव करे (Prevent Cancer)-  सरसों का साग खाने का यह बहुत बड़ा फायदा है कि इसके गुण कैंसर के विरुद्ध लड़कर कैंसर के जोखिम से बचाते हैं। सरसों के साग में तीन एंटीऑक्सिडेंट के अलावा एंटीकैंसर गुण तथा कैरोटीनॉयड, फाइटोन्यूट्रिएंट्स और ग्लूकोसाइनोलेट्स उपस्थित होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं को पनपने नहीं देते। सरसों के साग में मौजूद ये गुण ब्लैडर, पेट, ब्रेस्ट, फेफड़े, प्रोस्टेट और ओवरी इन छः प्रकार के कैंसर से बचाव करते हैं।

7. हृदय की रक्षा करे (Protect the Heart)- बढ़ता हुआ वजन, बढ़ता हुआ खराब कोलेस्‍ट्रॉल, मोटापा, हाईब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर ये सब हृदय स्वास्थ के शत्रु होते है। सरसों के साग इन सब शत्रुओं को हराने में सक्षम होता है। इसमें मौजूद फाइबर मोटापा कम करने में मदद करता है तो इसके एंटीऑक्सिडेंट गुण खराब कोलेस्ट्रॉल LDL के स्तर को कम करता है जिससे आर्टरीज में प्लाक नहीं जमता और रक्त प्रवाह सही से होता रहता है। 

सरसों का साग खुद कोलेस्ट्रॉल मुक्त होता है। सरसों के साग में पोटेशियम ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है तो इसके फाइटोन्यूट्रिएंट्स ब्लड शुगर को नियंत्रित करने का काम करते हैं। इस प्रकार सरसों का साग खाने से हृदय हर तरफ से सुरक्षित रहता है।

8. अस्थमा में फायदेमंद (Beneficial in Asthma)- सरसों का साग अस्थमा के मरीजों को बहुत राहत पहुंचाता है। सरसों के साग में मौजूद विटामिन-सी और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण हिस्टामाइन को तोड़ने में मदद करते हैं। हिस्टामाइन एक ऐसा रसायन है जो अस्थमा के मरीजों में उच्च मात्रा में उत्पन्न होता है और परेशान करता है। 

सरसों के साग में मौजूद मैग्नीशियम श्वास नलिकाओं (bronchial tubes) और फेफड़ों को आराम पहुंचाने का काम करता है  इस तरह अस्थमा के मरीजों को सरसों का साग खाने से बहुत राहत मिलती है। इसके अलावा इसमें मौजूद विटामिन-सी साइनस एलर्जी से भी आराम दिलाता है।

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9. एनीमिया से बचाए (Prevent Anemia)- शरीर में रक्त की कमी होने पर डॉक्टर पालक और हरे पत्तेदार सब्जियां खाने की सलाह देते हैं क्योंकि इनमें आयरन होता है। आयरन हीमोग्लोबिन के स्तर को सुधारने और लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ताकि शरीर में रक्त का निर्माण हो सके। 

सरसों के साग में पर्याप्त मात्रा में आयरन मौजूद होता है जो शरीर में आयरन की आपूर्ति करके रक्त निर्माण में मदद करता है ताकि शरीर में रक्त की कमी ना होने पाए।    

10. आंखों के लिए फायदेमंद (Beneficial for Eyes)- बढ़ती उम्र के साथ आंखों की दृष्टि कमजोर पड़ना या मोतियाबिंद होना एक सामान्य समस्या है जो अधिकतर लोगों को होती है। परन्तु उम्र से संबंधित धब्बेदार अध: पतन (Age Related Macular Degeneration – AMD) की समस्या सामान्य नहीं है। यह एक गंभीर समस्या है। 

सरसों के साग में ल्यूटिन और ज़ेक्सैन्थिन जैसे कैरोटीनॉयड मौजूद होते हैं जो मोतियाबिंद और रेटिना डिटेचमेंट को रोकने में मदद करते हैं। सरसों के साग में विटामिन-ए मौजूद होता है जो आंखों का विटामिन माना जाता है। यह दृष्टि को बढ़ाने का काम करता है। इस प्रकार सरसों का साग आंखों के स्वास्थ के लिए भी लाभदायक है।

11. हड्डियों के लिए फायदेमंद (Beneficial for Bones)- हड्डियों के विकास और स्वास्थ के लिए कैल्शियम सबसे जरूरी तत्व होता है। इसके अतिरिक्त विटामिन-के, आयरन, मैग्नीशिम, फास्फोरस, कॉपर आदि खनिज भी अस्थि खनिज घनत्व के स्तर को बढ़ाने का काम करते हैं। 

अस्थि खनिज घनत्व का स्तर ठीक रहने से ही हड्डियों को मजबूती मिलती है। विटामिन-के, ऑस्टियोपोरोसिस जैसे अस्थि रोग और फ्रैक्चर होने की संभावना को कम करता है विशेषकर रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में फ्रैक्चर की संभावना को कम करता है।

12. सूजन कम करे (Reduce Swelling)- यदि शरीर में किसी भी प्रकार की सूजन रहती है तो यह स्वास्थ की दृष्टि से ठीक नहीं है और यदि सूजन लंबे समय से चली आ रही है तो यह और भी ज्यादा खराब है। इससे अनेक जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं जैसे कि कैंसर, हृदय रोग आदि। 

इसकी रोकथाम सरसों के साग द्वारा की जा सकती है। वस्तुतः सरसों के साग में एंटीइंफ्लामेटरी गुण मौजूद होते हैं। इसके अलावा विटामिन-के और ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे सूजन रोधी तत्व भी मौजूद होते हैं। ये सब गुण शरीर की सूजन को खत्म करके राहत पहुंचाते हैं।

13. मॉर्निंग सिकनेस से राहत दिलाए (Provide Relief from Morning Sickness)- विटामिन-के गर्भवती महिलाओं के लिये महत्वपूर्ण और आवश्यक विटामिन माना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार सरसों का साग 72 घंटे के दरम्यान मॉर्निंग सिकनेस के लक्षण मितली, उल्टी से राहत दिलाता है और आगे भी इस समस्या को रोकने में मदद करता है।

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14. गर्भवती महिलाओं के लिए उत्तम भोजन (Best Food for Pregnant Women)- गर्भवती महिलाओं को अपने स्वास्थ और भ्रूण के विकास के लिए अतिरिक्त विटामिन और खनिजों की आवश्यकता होती है विशेषकर आयरन और फोलिक एसिड (विटामिन-बी9) की। इस दृष्टि से सरसों का साग गर्भवती महिलाओं के लिए एक उत्तम आहार है। इससे विटामिन-ए, सी, ई, के और बी9 तथा अनेक खनिज मिल जाते हैं। विटामिन-बी9 भ्रूण के विकास में सहायक होता है।

सरसों का साग खाने के नुकसान – Disadvantages of Eating Mustard Greens

दोस्तो, सरसों का साग अधिक मात्रा में खाने से हो सकते हैं निम्नलिखित नुकसान –

  1. पेट में गैस बन सकती है।
  2. दस्त लग सकते हैं।
  3. उल्टी लग सकती हैं।
  4. पेट में दर्द हो सकता है।
  5. सीने में जलन हो सकती है।

Conclusion –

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको सरसों का साग खाने के फायदे के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सरसों क्या है?, सरसों का साग क्या है?, सरसों की खेती कहां होती है, सरसों के साग के गुण, सरसों के साग के पोषक तत्व, सरसों का साग खाने का सही समय, सरसों का साग कितना खाना चाहिए और सरसों का साग किनको नहीं खाना चाहिए, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से सरसों का साग खाने के बहुत सारे फायदे बताए और सरसों का साग खाने के कुछ नुकसान भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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सरसों का साग खाने के फायदे
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सरसों का साग खाने के फायदे
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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको सरसों का साग खाने के फायदे के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सरसों क्या है?, सरसों का साग क्या है?, सरसों की खेती कहां होती है, सरसों के साग के गुण, सरसों के साग के पोषक तत्व, सरसों का साग खाने का सही समय, सरसों का साग कितना खाना चाहिए और सरसों का साग किनको नहीं खाना चाहिए, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया।
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