दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, हमारे शरीर के लिये जिस प्रकार खनिज जरूरी हैं उसी प्रकार विटामिन भी बहुत जरूरी होते हैं। विटामिन्स की दुनियां में एक विटामिन ऐसा है जो हमारे शरीर में खून की रक्षा करता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं “विटामिन-K“, की जो दो प्रकार से काम करता है यानि शरीर के अंदर रक्त के थक्के जरूर बनाता है मगर रक्त को जमने नहींं देता और दूसरा यह कि ये रक्त को शरीर से बाहर बहने से रोकता है। दोस्तो, जब कोई छोटी-बड़ी चोट लग जाती है तो थोड़ा सा प्रयास करने पर रक्त का बहना बंद हो जाता है। सोचो, यदि रक्त बंद ही ना हो तो, ऐसी अवस्था में शरीर से बहुत ज्यादा खून बह जायेगा और ऐसा होने से मृत्यु भी हो सकती है। आखिर यह विटामिन-K है क्या, कैसे काम करता है और यह हमें कैसे मिलता है?। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “विटामिन-K क्या है?”।
देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको विटामिन-K के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि विटामिन-K, के क्या फायदे होते हैं। तो, सबसे पहले जानते हैं कि विटामिन-K क्या है और रक्त के थक्के बनना क्या होता है। फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।
विटामिन-K क्या है? – What is Vitamin-K
विटामिन-K एक महत्वपूर्ण और अति आवश्यक विटामिन है जो वसा में घुलनशील होता है। यह रक्त का थक्का (Blood clot) बनाने के लिये आवश्यक होता है जोकि शरीर की एक विशिष्ट क्रिया है। रक्त का थक्का बनने के अभाव में अर्थात् शरीर में छोटी और हल्की चोट लगने पर रक्त का बहना नहीं रुकेगा और बहुत ज्यादा रक्त बह जाने के कारण मृत्यु भी हो सकती है।
रक्त का थक्का बनना क्या होता है? – What is Blood Clotting?
दोस्तो, लीवर में विटामिन- K, के द्वारा प्रोथ्रोम्बिन (Prothrombin) तथा फाइब्रिनोजेन (Fibrinogen) जैसे प्रोटीन का पूर्ण संश्लेषण (Fully Synthesized) होता है जो रक्त का थक्का जमाने में मदद करते हैं ये संश्लेषित प्रोटीन (Synthesized proteins) रक्त में मौजूद होते हैं, तथा चोट लगने पर ये प्रोथ्रोम्बिन, थ्रोम्बिन (Thrombin) में परिवर्तित होकर रक्त का थक्का जमाने का कार्य करते हैं।
ब्लड प्लाज़्मा में मौजूद घुलनशील प्रोटीन फाइब्रिनोजन चोट लगने पर, चोटिल स्थान पर थ्रोम्बिन तथा थ्रोम्बोप्लास्टिन (Thromboplastin) के साथ मिलकर फाइब्रिन (fibrin) नामक जाली की भांति संरचना (Structure) का निर्माण करते हैं जिसमें, ब्लड प्लाज़्मा तथा कोशिकाएं फंस जाती हैं। इस प्रक्रिया को ही थक्का बनना कहा जाता है। अतः यह स्पष्ट हो जाता है कि विटमिन- K शरीर में दो प्रकार से काम करता है, पहला तो यह कि ये शरीर के अंदर रक्त को जमने नहींं देता और दूसरा यह कि ये रक्त को शरीर से बाहर बहने से रोकता है।
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विटामिन-K के कार्य – Functions of Vitamin K
विटामिन-K के कार्य निम्नलिखित हैं –
1. रक्त का थक्का बनाना विटामिन-K का प्रमुख कार्य है।
2. यह शरीर में रक्त के प्रवाह को बनाए रखने में मदद करता है।
3. रक्त में कैल्शियम के स्तर को नियंत्रित करना ताकि हड्डियां मजबूत हों। वृद्धावस्था में हड्डियों की रक्षा के लिये यह बहुत जरूरी होता है।
4. यह बल्ड प्रेशर को कंट्रोल करता है।
5. हृदय को हृदय रोगों से सुरक्षित रखता है।
7. गर्भस्थ शिशु के विकास तथा उत्तम स्वास्थ के लिए मददगार होता है।
विटामिन-K के प्रकार – Types of Vitamin K
विटामिन-K के दो प्रकार का होता है – K1 और K2, विवरण निम्न प्रकार है –
1. विटामिन-K1 – इसको फाइलोक्विनोन भी कहा जाता है। इसका मुख्य श्रोत वनस्पति जगत है। शाकाहारी खाद्य पदार्थों से इसे प्राप्त किया जाता है जैसे हरी सब्जियां, दालें, फल, ड्राई फ्रूट्स, नट्स आदि।
2. विटामिन- K2 – पशु आधारित उत्पाद और किण्वित खाद्य पदार्थों (Fermented foods) ही इसका श्रोत हैं जैसे कि मांस, मछली, अंडे।
विटामिन-K कितना होना चाहिए? – How much Vitamin K Should be There
दोस्तो, शरीर मे विटामिन-K कितना होना चाहिये, इसका विवरण निम्न प्रकार है –
1. जन्म से छः महीने तक –
(i) पुरुष : 2.0 माइक्रोग्राम
(ii) महिला : 2.0 माइक्रोग्राम
2. 7 से 12 महीने तक –
(i) पुरुष : 2.5 माइक्रोग्राम
(ii) महिला : 2.5 माइक्रोग्राम
3. 1 वर्ष से 3 वर्ष –
(i) पुरुष : 30 माइक्रोग्राम
(ii) महिला : 30 माइक्रोग्राम
4. 4 वर्ष से 8 वर्ष –
(i) पुरुष : 55 माइक्रोग्राम
(ii) महिला : 55 माइक्रोग्राम
5. 9 वर्ष से 13 वर्ष –
(i) पुरुष : 60 माइक्रोग्राम
(ii) महिला : 60 माइक्रोग्राम
6. 14 वर्ष से 18 वर्ष –
(i) पुरुष : 75 माइक्रोग्राम
(ii) महिला : 75 माइक्रोग्राम
(iii) गर्भवती महिला : 75 माइक्रोग्राम
(iv) स्तनपान कराने
वाली महिला : 75 माइक्रोग्राम
6. 19 वर्ष और उससे अधिक –
(i) पुरुष : 120 माइक्रोग्राम
(ii) महिला : 120 माइक्रोग्राम
(iii) गर्भवती महिला : 90 माइक्रोग्राम
(iv) स्तनपान कराने
वाली महिला : 90 माइक्रोग्राम
विटामिन-के की कमी से होने वाले प्रभाव – Effects of Vitamin K Deficiency
शरीर में विटामिन-के की कमी से होने से शरीरEffects of Vitamin K Deficiency पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ सकते हैं
1. बोन डेंसिटी कमजोर हो सकती है जिससे हड्डियों में बार-बार फ्रैक्चर या हड्डी टूटने की समस्या हो सकती है। इससे जोड़ों में दर्द बना रह सकता है। बाद में ओस्टोपोरोसिस की स्थिति भी बन सकती है।
2. विटामिन-K की कमी से हृदय के कार्य प्रभावित होता है, इसकी कमी से हृदय के काम में रुकावट आने लगती है जिसे कैल्सीफिकेशन की समस्या बनती है।
3. विटामिन-K की कमी से पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है।
4. शरीर में विटामिन-K की कमी होने से रक्त का थक्का जमने का समय बढ़ जाता है। परिणाम स्वरूप यदि हल्की सी भी चोट लग जाये तो खून बहना जल्दी से नहीं रुकता और खून ज्यादा बह जाता है।
5. विटामिन-K की कमी होने से ब्रश करते समय मसूड़ों से खून आना या नकसीर छूटना की समस्या अक्सर देखी जाती है।
6. विटामिन-K की कमी होने के कारण एनीमिया की समस्या हो सकती है।
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विटामिन-K की कमी, होने का कारण – Vitamin K Deficiency Causes
दोस्तो, यहां हम स्पष्ट कर दें कि शरीर में विटामिन-K की अचानक से नहीं होती इसलिये इसका एकदम से पता भी नहीं चलता है क्योंकि विटामिन-K शरीर के फैट सेल्स में उपस्थित रहते हैं। परन्तु कभी-कभी किसी कारणवश शरीर में आमाशय आँत मार्ग में विटामिन का सही ढंग से अवशोषण नहीं कर पाता है तो इसकी कमी हो जाती है। अन्य कारण निम्न प्रकार हैं –
1. व्यस्कों में – Adults
(i) लंबे समय तक एंटीबायोटिक्स का सेवन करने से विटामिन-K की कमी हो जाती है।
(ii) खानपान में अनियमितता अर्थात् सही समय पर खाना ना खाना, खाने में जल्दबाजी करना, कुछ खाया कुछ छोड़ा। ऐसी हालत में जिस खाद्य पदार्थ से विटामिन-K मिलने वाला था वह छूट गया। वैसे भी यह विटामिन कुछ विशेष खाद्य पदार्थों से ही प्राप्त होता है।
(iii) शरीर द्वारा विटामिन-K, का अवशोषण न हो पाना।
(iv) कुछ विशेष बीमारियां भी विटामिन-K की कमी का कारण बनती हैं जैसे लिवर से जुड़े रोग या समस्या, आंतों में सूजन और सिस्टिक फाइब्रोसिस (फेफड़ों और पाचन तंत्र से संबंधित एक अनुवांशिक रोग)।
(v) एंटीकॉग्युलेंट (Anticoagulant) दवाओं का सेवन। ये दवाएं रक्त में थक्का बनने की प्रक्रिया में बाधा डालती हैं और विटामिन-K, को सक्रिय नहीं होने देतीं।
(vi) विटामिन-A या विटामिन-E का बहुत ज्यादा सेवन करना।
2. नवजात शिशुओं में – Newborns
(i) गर्भनाल (Placenta) में विटामिन-K, की आपूर्ति ना हो पाना।
(ii) चूंकि शिशु का लिवर पूर्ण रूप से विकसित नहीं हुआ होता इसलिये उसे जो विटामिन-K मिलता है उसको पूरी तरह से उपयोग नहीं कर पाता।
(iii) माता के स्तनों के दूध में विटामिन-K कम होता है, इससे शिशु को पर्याप्त मात्रा में विटामिन-K नहीं मिल पाता। गाय के दूध में विटामिन-K अधिक होता है, इसीलिये डॉक्टर शिशु के लिये गाय के दूध की सलाह देते हैं।
विटामिन-K की कमी के लक्षण – Symptoms of Vitamin K Deficiency
विटामिन-K की कमी के हो सकते हैं निम्नलिखित लक्षण –
1. हल्की सी चोट लगने पर भी खून लगातार बहते रहना।
2. घाव भरने में अधिक समय लगना।
3. नाक से अचानक खून बहना।
4. मसूड़ों से खून आना, विशेषकर ब्रश करते समय।
5. मल और मूत्र में खून आना।
6. जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में अचानक ऐंठन होना।
7. मासिक धर्म के समय बहुत ज्यादा दर्द होना तथा बहुत अधिक खून जाना।
8. त्वचा पर नील पड़ जाना।
9. त्वचा में छिद्र, इंजेक्शन वाली जगह, घाव या सर्जरी वाले स्थान से असामान्य रूप से रक्त बहना।
10. गैस्ट्रोइंटेस्टिनल ट्रैक्ट (Gastrointestinal tract) से रक्त बहना।
विटामिन-K की कमी के परीक्षण – Vitamin K Deficiency Tests
यहां हम स्पष्ट कर दें कि विटामिन-K की कमी की जांच नियमित रूप से नहीं की जाती है और ना ही यह सुविधा हर लैब में उपलब्ध होती है। इसलिये इस टेस्ट का परिणाम आने में समय लगता है। इसकी निम्न प्रकार से जांच की जाती है –
1. सबसे पहले डॉक्टर मरीज की पिछली मेडिकल हिस्ट्री की जानकारी लेते हैं। फिर उसका शारीरिक परिक्षण किया जाता है।
2. खून बहने के लक्षणों तथा अन्य संकेतों के मद्देनजर प्रोथ्रोम्बिन टाइम टेस्ट किया जाता है। इससे यह पता चलता है कि खून एक बार बहना शुरू होकर, रुकने में कितना समय लेता है। यदि खून रुकने में बहुत अधिक समय यानि 13.5 सेकंड्स से ज्यादा है तो शरीर में इस विटामिन की कमी हो सकती है और यदि 13.5 सेकंड्स से बहुत ही ज्यादा है तो इसका मतलब है कि विटामिन-K की कमी बहुत ही निम्न स्तर पर है।
3. अत्याधिक खून बहने, त्वचा नीली पड़ना तथा अन्य स्थितियों की जांच के लिये कॉग्युलेशन टेस्ट भी कराये जा सकते हैं। इसमें निम्नलिखित टेस्ट शामिल हैं –
(i) थ्रोम्बिन टाइम।
(ii) पार्शल थ्रोम्बोप्लास्टीन टाइम।
(iii) प्लेटलेट काउंट।
(iv) प्लेटलेट फंक्शन टेस्ट।
(v) कॉग्युलेशन फैक्टर टेस्ट।
(vi) फाइब्रिनोजेन।
(vii) वॉन विलब्रेंड फैक्टर।
(viii) डी-डिमर
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विटामिन-K की कमी के उपचार – Vitamin-K Deficiency Treatment
विटामिन-K की कमी के उपचार के लिये निम्नलिखित उपाय अपनाये जा सकते हैं –
1. सबसे पहले डॉक्टर, मरीज को प्राकृतिक तरीके से विटामिन-K की कमी को पूरा करने के लिये सलाह देते हैं अर्थात् विटामिन-K युक्त खाद्य पदार्थों के जरिये।
2. सप्लीमेंट के रूप में विटामिन-K की गोलियां खाने की सलाह दी जा सकती है। इन्हें कैल्शियम, मैग्नीशियम और विटामिन-डी के साथ मिलाकर दिया जा सकता है। कई मल्टीविटामिन दवाओं से भी विटामिन-K मिल जाता है।
3. प्रोथ्रोम्बिन टाइम टेस्ट के परिणाम के अनुसार यदि रक्त बहने से लेकर रुकने में बहुत अधिक समय लेता है तो ऐसी अवस्था में इंजेक्शन के तौर पर विटामिन-K दिया जाता है। इसका असर दो से पांच दिन के दर्मियान दिखाई देता है।
विटामिन-K के स्रोत – Sources of Vitamin-K
दोस्तो, अब बताते हैं आपको कुछ निम्नलिखित खाद्य पदार्थ जिनके द्वारा आपको विटामिन-K मिलता है। किस खाद्य पदार्थ में कितना माइक्रोग्राम (एमसीजी) विटामिन-K होता है और उसकी दैनिक वैल्यू (Daliy Value – DV) कितने प्रतिशत है, विवरण निम्न प्रकार है –
1. फल – Fruit
(i) केला – पके हुए केले में – मात्रा100 ग्राम: 817 एमसीजी (डीवी का 681%)।
(ii) ब्लैकबेरी – 100 ग्राम: 20 एमसीजी (डीवी का 17%)।
(iii) ब्लूबेरी – 100 ग्राम: 19 एमसीजी (डीवी का 16%)।
(iv) अनार – 100 ग्राम: 16 एमसीजी (डीवी का 14%)।
(v) अंगूर – 100 ग्राम: 15 एमसीजी (डीवी का 12%)।
(vi) टमाटर (धूप में सुखाया हुआ) – 100 ग्राम: 43 एमसीजी (डीवी का 36%)।
(vii) कीवी – 100 ग्राम: 40 एमसीजी (डीवी का 34%)।
(viii) एवोकैडो – 100 ग्राम: 21 एमसीजी (डीवी का 18%)।
2. साग-सब्जी/दाल – Vegetables / Lentils
(i) सरसों का साग (पका हुआ) – 100 ग्राम: 593 एमसीजी (डीवी का 494%)
(ii) स्विस चर्ड (कच्चा) – 100 ग्राम: 830 एमसीजी (डीवी का 692%)।
(iii) कोलार्ड साग (पका हुआ) – 100 ग्राम: 407 एमसीजी (डीवी का 339%)
(iv) पालक (कच्चा) – 100 ग्राम: 483 एमसीजी (डीवी का 402%)।
(v) पालक (पका हुआ) – 100 ग्राम पालक में 402% डीवी
(vi) चुकंदर का साग (पका हुआ) – 100 ग्राम: 484 एमसीजी (डीवी का 403%)।
(vii) अजमोद (ताजा) – 100 ग्राम: 1,640 एमसीजी (डीवी का 1,367%)।
(viii) गोभी (पकी हुई) – 100 ग्राम: 109 एमसीजी (डीवी का 91%)।
(ix) ब्रोकोली (पका हुआ) – 100 ग्राम: 141 एमसीजी (डीवी का 118%)।
(x) हरी बीन्स (पकी हुई) – 100 ग्राम: 48 एमसीजी (डीवी का 40%)।
(xi) हरी मटर (पकी हुई) – 100 ग्राम: 26 एमसीजी (डीवी का 22%)।
(x) अंकुरित मूंग (पकी हुई) – 100 ग्राम: 23 एमसीजी (डीवी का 19%)।
(xi) लाल राजमा (पका हुआ) – 100 ग्राम: 8.4 एमसीजी (डीवी का 7%)।
(xii) सोयाबीन (पका हुआ) – 100 ग्राम: 33 एमसीजी (डीवी का 28%)।
3. दूध व डेयरी उत्पाद – Milk and Dairy Products
(i) फुल क्रीम दूध – 100 ग्राम: 1.3 एमसीजी (डीवी का 1%)।
(ii) मक्खन – 100 ग्राम: 21 एमसीजी (डीवी का 18%)।
(iii) क्रीम – 100 ग्राम: 9 एमसीजी (डीवी का 8%)।
(iv) जार्ल्सबर्ग पनीर – 1 टुकड़ा: 22 एमसीजी (डीवी का 19%)। 100 ग्राम: 80 एमसीजी (डीवी का 66%)।
(v) शीतल चीज़ – 100 ग्राम: 59 एमसीजी (डीवी का 49%)।
(vi) ब्लू चीज़ – 100 ग्राम: 36 एमसीजी (डीवी का 30%)।
(vii) एडम पनीर – 100 ग्राम: 49 एमसीजी (डीवी का 41%)।
(viii) चेडर – 100 ग्राम: 13 एमसीजी (डीवी का 11%)।
4. ड्राई फ्रूट्स – Dry Fruits
(i) काजू – 100 ग्राम: 34 एमसीजी (डीवी का 28%)।
(ii) अखरोट – 100 ग्राम: 2.7 एमसीजी (डीवी का 2%)।
(iii) सूखे अंजीर – 100 ग्राम: 16 एमसीजी (डीवी का 13%)।
(iv) सूखा आलूबुखारा – 100 ग्राम सूखा आलूबुखारा में 50% डीवी होता है।
(v) पाइन नट्स – 100 ग्राम: 54 एमसीजी (डीवी का 45%)
(vi) पेकान – 100 ग्राम: 3.5 एमसीजी (डीवी का 3%)।
5. अंडे/मांसाहार – Eggs/Meat
(i) अंडे की जर्दी – 1 बड़ा: 5.8 एमसीजी (डीवी का 5%)। 100 ग्राम: 34 एमसीजी (डीवी का 29%)।
(ii) चिकन – 100 ग्राम: 60 एमसीजी (डीवी का 50%)।
(iii) पोर्क चॉप – 100 ग्राम: 69 एमसीजी (डीवी का 57%)।
(iv) बीफ लीवर – 100 ग्राम: 106 एमसीजी (डीवी का 88%)।
(v) हंस जिगर का पेस्ट – 100 ग्राम: 369 एमसीजी (डीवी का 308%)।
विटामिन-K, के फायदे – Benefits of Vitamin-K
दोस्तो, अब जानते हैं विटामिन-K, के फायदों के बारे में जो निम्न प्रकार हैं –
1. रक्त के जमने को नियंत्रित करे (Control Blood Clotting)- विटामिन-K का सबसे बड़ा फायदा यही है कि चोट लग जाने पर रक्त को बहने से रोकने में मदद करता है जिससे घाव जल्दी भरने की संभावना रहती है। यह रक्त के जमने को नियंत्रित करता है। यह शरीर में कैल्शियम को फैलाने में मदद करता है जो रक्त के जमने को नियमित करने के लिए जरूरी होता है। विटामिन-K, मैलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम नामक रक्त विकार को बेहतर करने में भी मदद करता है।
2. मासिक धर्म के समय फायदेमंद (Beneficial During Menstruation)- विटामिन-K का महिलाओं को विशेष फायदा होता है। पीरियड के समय अत्यधिक रक्तस्राव को रोकने में मदद करता है। दर्द के कारण कमर कटना, पेट में दर्द, ऐंठन आदि से राहत दिलाने में मदद करता है।
3. हृदय के लिए फायदेमंद (Beneficial for Heart)- हाई ब्लड प्रेशर हृदय स्वास्थ के लिए हानिकारक होता है। विटामिन-K ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करते हुए उसके स्तर में संतुलन बनाये रखता है। यह हृदय की धमनियों में कैल्शियम को जमने से रोकता है ताकि रक्त का संचार और रक्त प्रवाह सुचारु रूप से हृदय की धमनियों में और पूरे शरीर में बना रहे। इससे हृदय रोग की संभावना नहीं रहती।
4. डायबिटीज के जोखिम को दूर करे (Reduce the Risk of Diabetes)- भोजन से जो विटामिन-K प्राप्त होता है, वह शरीर में इंन्सुलिन की प्रक्रिया में मदद करते हुए रक्त में ग्लूकोज के स्तर को संतुलित करता है ताकि डायबिटीज होने के जोखिम को कम किया जा सके।
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5. हड्डी स्वास्थ के लिये फायदेमंद (Bone Beneficial to Health )- निश्चित रूप से विटामिन-K हड्डियों के लिये बेहद फायदेमंद है। अस्थि खनिज घनत्व (Bone Mineral Density) कम हो जाने पर हड्डियां कमजोर हो जाती हैं जिससे ऑस्टियोपोरोसिस नामक अस्थि रोग होने की संभावना रहती है। इस रोग में हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि हल्की चोट लगने पर हड्डियों में फ्रैक्चर हो जाता है या टूटने लगती हैं। विटामिन-K हड्डियों को कैल्शियम पहुंचाकर, बोन मिनरल डेंसिटी में सुधार करता है जिससे हड्डियां मजबूत हो जाती हैं। इस प्रकार विटामिन-K ऑस्टियोपोरोसिस की स्थिति की संभावना को दूर करता है।
6. स्मरण शक्ति को बढ़ाये (Increase Memory Power)- विटामिन-K1 स्मरण शक्ति को बढ़ाने का काम करता है और अधिक आयु में भी किसी घटना या वस्तु को पुनःस्मरण (Recall) करने की क्षमता को बढ़ाता है। इस बात की पुष्टि 70 वर्ष से अधिक आयु वाले कुछ व्यक्तियों पर किए गए एक अध्ययन से होती है।
7. मस्तिष्क स्वास्थ के लिये (Brain Health)- फ्री रेडिकल्स मस्तिष्क की कोशिकाओं को क्षति पहुंचाते हैं जिससे मस्तिष्क में ऑक्सीडेटिव स्ट्रैस उत्पन्न होता है। यह ऑक्सीडेटिव स्ट्रैस अल्जाइमर, पार्किंसंस जैसे रोगों की वजह बनता है। विटामिन-K ऑक्सीडेटिव स्ट्रैस से बचाकर मस्तिष्क स्वास्थ की रक्षा करता है।
8. कैंसर के जोखिम को कम करे (Reduce Cancer Risk)- विटामिन-K पेट, कोलोन (colon), लिवर, मुंह, प्रोस्टेट और नाक के कैंसर के विरुद्ध लड़कर कैंसर की संभावना को कम करता है। इस बात की पुष्टि एक अध्ययन से होती है।
विटामिन-K, के नुकसान – Side Effects of Vitamin K
माना जाता है कि खाद्य पदार्थों के द्वारा जो विटामिन-K प्राप्त होता है उससे कोई नुकसान होने की संभावना नहीं होती। क्योंकि उनसे उचित मात्रा में ही विटामिन-K मिलता है अधिक मात्रा में नहीं। समस्या, सप्लीमेंट के अधिक सेवन से हो सकती है। कुछ निम्नलिखित नुकसान होने की संभावना रहती है –
1. सप्लीमेंट के अधिक सेवन से कुछ स्थितियों में विषाक्तता हो सकती है।
2. जो लोग गुर्दे की बीमारी (Kidney disease) के कारण डायलिसिस (dialysis) उपचार प्राप्त करते हैं उनके लिये विटामिन-K की हाई डोज़ हानिकारक हो सकती है। अतः डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही विटामिन-K का सेवन करें।
3. जो लोग लिवर की समस्या झेल रहे हैं उनके लिये विटामिन-K का सेवन और समस्या खड़ी कर सकता है। यह थक्के की समस्या को और खराब कर सकता है।
4. विटामिन-K सामान्य दवाओं के साथ रीएक्शन कर समस्या खड़ी कर सकता है जैसेकि डायबिटीज दवाओं का सेवन करने वाले लोगों में ब्लड शुगर को कम कर हाइपोग्लाइसीमिया (hypoglycemia) की वजह बन सकता है।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको विटामिन-K, के बारे में विस्तार से जानकारी दी। विटामिन-K क्या है, रक्त का थक्का बनना क्या होता है, विटामिन-K के कार्य, विटामिन-K के प्रकार, विटामिन-K कितना होना चाहिये, विटामिन-के की कमी से होने वाले प्रभाव, विटामिन-K की कमी होने का कारण, विटामिन-K की कमी के लक्षण, विटामिन-K की कमी के परीक्षण, विटामिन-K की कमी के उपचार और विटामिन-K के श्रोत, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से विटामिन-K, के बहुत सारे फायदे बताये और कुछ नुकसान भी बताये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
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Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।
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