दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, आज हम शरीर के अन्दर एक बहुत छोटे अंग की बात करेंगे जिसके बारे में बहुत कम जानते हैं। नाम जरूर सुना है लेकिन यह क्या होता है, इसका काम क्या है, यह नहीं पता क्योंकि पहले वैज्ञानिक और चिकित्सक इसे शरीर का अनुपयोगी हिस्सा मानते थे। आज भी कुछ विशेषज्ञ इसे बेकार का अंग मानते हैं क्योंकि इसे हटा देने के बाद भी मानव शरीर का कोई नुकसान नहीं होता। उसकी दैनिक जीवनचर्या में कोई बदलाव नहीं आता। इसके बावजूद भी यदि यह अंग बाधित होता है या यह संक्रमित हो जाता है तो यह शरीर के अंदर ही बम तरह फट सकता है। इसके संक्रमित होने से भयंकर दर्द उठता है जिसका तुरंत उपचार ना किया जाये तो यह जानलेवा सिद्ध हो सकता है। इस स्थिति को मेडिकल इमरजेंसी माना जाता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं अपेंडिक्स की, इससे होने वाले दर्द की। आखिर ये अपेंडिक्स है क्या, इसका दर्द क्या होता है और इसका उपाय क्या है। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “अपेंडिक्स के घरेलू उपाय”।
देसी हैल्थ क्लब इस लेख के माध्यम से आज आपको अपेंडिक्स के बारे में विस्तृत जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि इसके घरेलू उपाय क्या हैं। तो, सबसे पहले जानते हैं कि अपेंडिक्स क्या है, इसके कार्य क्या हैं और अपेंडिसाइटिस क्या है। इसके बाद फिर बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।
अपेंडिक्स क्या है? – What is Appendix?
दोस्तो, अपेंडिक्स शरीर के अंदर एक बहुत छोटा सा अंग है जो छोटी और बड़ी आंत जहां मिलती है वहां स्थित होता है। यह एक पतली सी ट्यूब होती है जिसकी लंबाई दो से तीन इंच होती है। इसका आकार शहतूत जैसा होता है जो आंतों से बाहर की ओर निकला हुआ होता है। यह एक ओर से खुला और दूसरे तरफ से बंद रहता है। पाचन प्रक्रिया को भली-भांति चलाने के लिये इसमें अच्छे बैक्टीरिया जमा होते रहते हैं।
यदि इसमें संक्रमण हो जाये तो सूजन और दर्द बन जाता है। अपेंडिक्स का दर्द असहनीय होता है। इस स्थिति को अपेंडिक्स की बीमारी कहा जाता है जिसे मेडिकल टर्म में अपेंडिसाइटिस कहा जाता है। कुछ मामलों में यह संक्रमण इतना बढ़ जाता है कि अपेंडिक्स फटने को होता है, यह एक मेडिकल इमरजेंसी होती है। ऐसी हालत में तुरंत उपचार की जरूरत होती है।
अपेंडिक्स के कार्य – Functions of the Appendix
वैसे तो अपेंडिक्स के सटीक कार्य अज्ञात हैं परन्तु कुछ अध्ययन निम्नलिखित कार्यों की ओर संकेत करते हैं –
1. अपेंडिक्स का मुख्य कार्य पाचन प्रक्रिया को भली-भांति चलाने के लिये उपयोगी बैक्टीरिया को स्टोर करना है।
2. दस्त की बीमारी ठीक होने के बाद पाचन-तंत्र को “रिबूट” (reboot) करता है।
3. प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्य में योगदान देना।
4. आंतों को स्वस्थ बनाये रखना।
5. बी लिम्फोसाइट्स (सफेद रक्त कोशिका की एक किस्म) और इम्यूनोग्लोबुलिन ए, एंटीबॉडी के उत्पादन में मदद करना।
अपेंडिसाइटिस क्या है? – What is Appendicitis?
अपेंडिसाइटिस एक ऐसी दर्दनाक चिकित्सा स्थिति है जिसमें अपेंडिक्स में रुकावट आने से मवाद भर जाती है और सूजन आ जाती है। इस कारण दर्द पैदा हो जाता है। अपेंडिक्स में दर्द और सूजन की स्थिति को “अपेंडिसाइटिस” या “अपेंडिक्स का दर्द” कहा जाता है।
शुरुआत में दर्द पेट के बीच के हिस्से में बार-बार उठता है। फिर कुछ ही घंटों में यह दर्द पेट के दायीं तरफ जहां अपेंडिक्स होता है, होने लगता है। यह दर्द इतना गंभीर होता है चलने फिरने, खांसने और दबाने पर भी बहुत तकलीफ देता है।
अपेंडिक्स के प्रकार – Type of Appendix
अपेंडिसाइटिस मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं। विवरण निम्न प्रकार है –
1. एक्यूट अपेंडिसाइटिस (Acute Appendicitis)- नाम के अनुरूप यह बहुत तीव्र गति से विकसित होने वाला अपेंडिसाइटिस है। यह कुछ घंटों या दिनों में विकसित हो जाता है। यह अचानक से शुरू होने वाली और गंभीर स्थिति होती है। जब अपेंडिक्स में कठोर मल या जीवाणु संक्रमण का प्रभाव या किसी अन्य प्रकार की रुकावट आ जाये तो यह एक्यूट अपेंडिसाइटिस की स्थिति बनती है।
इसके लक्षण तत्काल या एक दो दिन में प्रकट हो जाते हैं। इसलिये इसे पहचानना आसान होता है। यह स्थिति इतनी गंभीर होती है कि अपेंडिक्स कभी भी फट सकता है। इसलिये इसकी तुरन्त सर्जरी करनी पड़ती है।
2. क्रोनिक अपेंडिसाइटिस (Chronic Appendicitis)- इस स्थिति में समस्या एक्यूट अपेंडिसाइटिस की अपेक्षा कम होती है। क्रोनिक अपेंडिसाइटिस के मामले केवल 1।5 प्रतिशत ही देखे गये हैं। इसके एक बार ठीक होने के बाद दुबारा होने की संभावना कम होती है। इस प्रकार के अपेंडिक्स में रुकावट थोड़ा-थोड़ा करके होती है और जिससे आसपास के ऊतकों में सूजन होती है।
इसमें अपेंडिक्स फटता नहीं है बल्कि रुकावट समय के साथ दवाब की वजह से खुल जाती है। इसमें सबसे बड़ी समस्या डायग्नोस की आती है, इसे पहचानना मुश्किल होता है क्योंकि इसके लक्षण बहुत कम प्रकट होते हैं या खत्म होते रहते हैं।
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अपेंडिक्स के कारण – Cause of appendix
1. अपेंडिक्स होने का मुख्य कारण आंतों के बैक्टीरिया का अपेंडिक्स में प्रवेश करने से संक्रमण होना है।
2. अपेंडिक्स का हिस्सा बाधित हो जाना यानी कठोर मल बढ़े हुए लिंफोसाइड फॉलिकल्स, गहरे जख्म अपेंडिक्स को ब्लॉक कर देते हैं। अपेंडिक्स ब्लॉक हो जाने से बैक्टीरिया फैल जाता है जिससे मवाद और सूजन होने से पेट में दर्द होने लगता है।
3. भोजन का ठीक प्रकार से ना पचना।
4. आंतो में भोजन के कण चले जाने से भी अपेंडिक्स में रुकावट आ जाती है।
5. फलों के बीजों का अपेंडिक्स में फंस जाना।
6. पुरानी कब्ज और पेट में कीड़े भी अपेंडिक्स का कारण बन सकते हैं।
अपेंडिक्स के लक्षण – Symptoms of Appendix
अपेंडिसाइटिस के निम्नलिखित लक्षण प्रकट हो सकते हैं –
1. पेट में दर्द। यह अपेंडिक्स का प्रमुख लक्षण है। पेट के निचले दाहिने हिस्से में दर्द होता है।
2. नाभि के चारों ओर तेज दर्द होना।
3. पेट पर सूजन।
4. भूख में कमी होना।
5. खट्टी डकार आना, जी मचलाना, उल्टी होना।
6. पेट में गैस बनना, कब्ज की समस्या, या दस्त होना।
7. हल्का-हलका बुखार रहना।
8. जीभ की ऊपरी सतह सफेद हो जाना।
अपेंडिक्स का निदान – Diagnosis of Appendix
अपेंडिक्स के निदान के लिये डॉक्टर निम्नलिखित टेस्ट करवा सकते हैं –
1. ब्लड टेस्ट (Blood Test)- ब्लड टेस्ट से श्वेत रक्त कोशिकाओं की मात्रा जानने पर संक्रमण की संभावना जांचने में मदद मिलती है।
2. यूरिन टेस्ट (Urine Test)- यह टेस्ट इसलिये कराया जाता है ताकि यह पता चल सके कि दर्द की वजह, मूत्र मार्ग में संक्रमण या गुर्दे की पथरी तो नहीं है।
3. इमेजिंग टेस्ट (Imaging Test)- डॉक्टर के लिये यह जानना बेहद जरूरी होता है कि दर्द का वास्तविक कारण क्या है। इसके लिये इमेजिंग टेस्ट में एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड और सीटी स्केन कराये जा सकते हैं। इन इमेजिंग टेस्ट से दर्द की असली वजह के अतिरिक्त अपेंडिक्स का फैलाव, फटा होना, अपेंडिक्स में किसी प्रकार की बाधा, सूजन, फोड़े होना आदि का भी पता चल जाता है।
अपेन्डिसाइटिस का उपचार – Appendicitis Treatment
1. अपेंडिसाइटिस का उपचार निर्भर करता है अपेंडिसाइटिस की स्थिति पर। सामान्यतः अपेंडिसाइटिस का उपचार सर्जरी द्वारा किया जाता रहा है। परन्तु अब एंटीबायोटिक दवाओं के जरिये भी इसका इलाज किया जाता है। डॉक्टर दर्द निवारक दवाऐं दे सकते हैं और तरल खुराक पर रहने को भी कह सकते हैं।
2. यदि फोड़ा है और अभी फटा नहीं है तो इसकी मवाद निकाली जा सकती है या बहुत ही दुर्लभ मामले में सर्जरी का विकल्प चुनकर अपेंडिक्स को ही बाहर निकाल दिया जाता है। सर्जरी प्रक्रिया को अपेंडेक्टोमी कहा जाता है।
3. यदि यह पता चले कि अपेंडिक्स किसी भी क्षण फट सकता है तो तुरंत सर्जरी करके इसे निकाल दिया जाता है।
4. सर्जरी दो तरीके से की जाती है पहला तरीका ओपन सर्जरी और दूसरा तरीका लेप्रोस्कोपिक सर्जरी। विवरण निम्न प्रकार है –
(i) ओपन सर्जरी – इस सर्जरी में पेट में एक लंबा चीरा लगाया जाता है जिसकी लंबा दो से चार इंच हो सकती है। यदि अपेंडिक्स में फोड़ा है, या अपेंडिक्स के फट जाने से संक्रमण फैल गया है तो डॉक्टर ओपन सर्जरी का विकल्प अपनाते हैं और अपेंडिक्स को शरीर से बाहर निकालकर, पेट की गुहा को अच्छी तरह साफ कर देते हैं।
(ii) लेप्रोस्कोपिक सर्जरी – सर्जरी की यह प्रक्रिया मोटे और वृद्ध लोगों के लिये उपयुक्त है। इस प्रक्रिया में पेट में छोटे चीरे लगाये जाते हैं। सर्जरी के समय वीडियो कैमरा तथा अन्य विशेष उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है। इस सर्जरी में निशान भी कम बनते हैं।
5. सर्जरी के बाद मरीज को एक, दो दिन या ज्यादा दिनों तक अस्पताल में रुकना पड़ सकता है। यह मरीज के स्वास्थ पर निर्भर करता है।
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सर्जरी के बाद का भोजन – After Surgery Diet
1. सर्जरी के बाद मरीज को ठीक होने में समय लगता है और संक्रमण होने की भी संभावना रहती है। इसलिये जरूरी हो जाता है कि आहार इस प्रकार का हो जो ठीक होने की प्रक्रिया में मदद करे और संक्रमण से भी बचाव करे। ऐसे में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को अपने भोजन में शामिल करें। प्रोटीन, विटामिन-सी और फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
2. अंड़ों से प्रोटीन और जिंक, लाल मिर्च से विटामिन-सी, फलों, सब्ज़िओं, फलियों से पर्याप्त फाइबर मिल जाता है। इनको अपने भोजन में शामिल करें।
अपेंडिक्स में क्या खाना चाहिए – What to Eat in Appendix
अपेंडिसाइटिस की स्थिति में निम्नलिखित खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिये –
1. प्रतिदिन सुबह खाली पेट, एक गिलास हल्के गुनगुने पानी में नींबू निचोड़कर, आधा चम्मच शहद मिलाकर पीयें।
2. नाश्ते में फल और दूध लें।
3. लंच में उबली हुई सब्जियां और छाछ लें। इनके अलावा, मक्के की रोटी भी खा सकते हैं। ताजे फल और सब्जियों का जूस भी ले सकते हैं।
4. रात के खाने में सब्जियों का सलाद, अंकुरित बीज और ताजा पनीर ले सकते हैं।
5. गाजर का जूस, खीरा और चुकंदर का सेवन करें।
6. मेथी के बीजों की चाय भी फायदा करेगी।
अपेंडिक्स में क्या नहीं खाना चाहिए – What not to eat in Appendix
अपेंडिसाइटिस की स्थिति में निम्नलिखित खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिये –
1. लाल मीट
2. डेयरी उत्पाद
3. जंक फूड
4. फ्रोजन डिनर
5. चीनी से बने खाद्य पदार्थ जैसे केक , पेस्ट्री, पाई, डोनट्स आदि।
6. कैफीन युक्त पदार्थ जैसे चॉकलेट, कॉफी आदि।
अपेंडिक्स के घरेलू उपाय – Home Remedies for Appendix
दोस्तो, अब बताते हैं आपको कुछ निम्नलिखित घरेलू उपाय जो अपेंडिसाइटिस की स्थिति में राहत देंगे –
1. तुलसी (Basil)- तुलसी को अपेंडिक्स के उपचार में रामबाण उपाय माना जाता है। यह प्रोटीन, विटामिन, फाइबर, आदि पोषक तत्वों से भरपूर होती है। यह एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होती है।
प्रतिदिन तुलसी के चार, पांच पत्ते चबा-चबा कर खायें। दिन में दो बार तुलसी की चाय बनाकर पीयें। चाय बनाने के लिये बहुत सारी तुलसी की पत्तियां, एक छोटी चम्मच पिसी हुई अदरक को एक कप पानी में तब तक उबालें जब तक कि पानी आधा कप ना रह जाये। इसे छानकर, थोड़ा ठंडा करके पीयें।
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2. लहसुन (Garlic)- लहसुन केवल मसाला ही नहीं बल्कि आयुर्वेदिक औषधी है। यह एंटीवायरल, एंटीऑक्सीडेंट और एंटीफंगल गुणों से भरपूर होता है। इनके अतिरिक्त इसमें विटामिन, मैंगनीज, कैल्शियम एवं आयरन जैसे खनिज होते हैं।
अपेंडिसाइटिस की स्थिति से उबने के लिये दो या तीन लहसुन की कच्ची कलियां खायें। विकल्प के तौर पर मेडिकल स्टोर से गार्लिक कैप्सूल लेकर सेवन कर सकते हैं।
3. अदरक (Ginger)- अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सूजन और दर्द को कम करने में मदद करते हैं। इसके अतिरिक्त अदरक में कैल्शियम, कॉपर, विटामिन-सी, विटामिन-बी6 तथा आयरन जैसे खनिज मौजूद होते हैं।
अपेंडिक्स की समस्या में अदरक की चाय बनाकर दिन में दो तीन बार पीयें। अदरक की चाय बनाने के लिये आधा कप पिसी हुई अदरक को एक कप पानी में अच्छी तरह उबालकर, छानकर, थोड़ा ठंडा करके पीयें। अदरक के तेल की मसाज भी पेड़ू पर करें।
4. पुदीना (Mint)- आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में अपेंडिक्स का उपचार पुदीना के द्वारा किया जाता रहा है। इसमें फास्फोरस, विटामिन-सी, विटामिन-ए, आयरन, कैल्शियम एवं मैग्नीशियम जैसे खनिज मौजूद होते हैं। पुदीना के सेवन से मतली, गैस, पेट दर्द और चक्कर आदि में राहत मिलती है।
अपेंडिक्स की समस्या में पुदीना की चाय बनाकर रोजाना दिन में दो या तीन बार पीयें। पुदीना की चाय बनाने के लिये एक चम्मच पुदीना की पिसी हुई पत्तियों को एक कप पानी में तब तक उबालें जब तक कि पानी आधा कप ना रह जाये। इसे छानकर, इसमें आधी चम्मच शहद मिलाकर, थोड़ा ठंडा करके पीयें।
5. मेथी दाना (Fenugreek seeds)- मेथी शरीर से म्यूकस और आंतों से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम करती है। एक गिलास पानी में दो चम्मच मेथी दाना डालकर अच्छी तरह उबालें और इसे छानकर थोड़ा ठंडा करके पीयें रोजाना दिन में एक बार पीयें। इससे अपेंडिक्स का दर्द खत्म हो जायेगा और सूजन भी। इसके अतिरिक्त मेथी की सब्जी को अपने भोजन में शामिल करें।
6. नींबू (Lemon)- नींबू विटामिन-सी का भरपूर श्रोत है। विटामिन-सी अपने आप में एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होता है जो इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करता है। एक गिलास पानी में एक नींबू निचोड़कर इसमें आधा चम्मच शहद मिलाकर रोजाना दिन में दो बार पीयें। गर्मियों में चार बार तक पी सकते हैं। नींबू पानी दर्द, गैस और कब्ज से राहत दिलाता है।
7. चुकंदर और गाजर का जूस (Beet and Carrot Juice)- चुकंदर में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो अपेंडिक्स के कारण होने वाले दर्द और सूजन से राहत दिलाते हैं। यह बहुत लाभदायक होता है। चुकंदर और गाजर का जूस रोजाना दिन में दो बार पीयें।
8. दूध (Milk) – गाय या भैंस के दूध को अच्छी तरह उबालकर, ठंडा करके पीयें। अपेंडिक्स में राहत देगा।
9. छाछ(Buttermilk) – छाछ को अपेंडिक्स के उपचार में एक अच्छा और महत्वपूर्ण उपाय माना जाता है। एक गिलास छाछ में थोड़ा सा काला नमक मिलाकर पीये। दर्द में आराम मिलेगा।
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10. इमली (Tamarind)- इमली विटामिन-सी और जिंक से भरपूर होती है। इसमें एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं। इसके एंटी-बैक्टीरियल गुण आंतों में गड़बड़ी और भोजन से सम्बंधित रोगों का कारण बनने वाले बैक्टीरिया से लड़ते हैं। इमली के बीजों को पीस कर एक लेप बनालें। इस लेप को पेट पर मलें। इससे सूजन कम हो जायेगी और यदि पेट फूलता है तो उसमें भी आराम लग जायेगा।
11. राई (Rye)- राई को पीसकर लेप बना लें। इस लेप अंओ पेड़ू पर लगायें। दर्द में आराम मिलेगा। इस बात का ध्यान रखें कि इसे एक घंटे से ज्यादा ना लगा रहने दे अन्यथा इस से छाले होने की संभावना हो सकती है।
12. सेंधा नमक (Rock Salt)- भोजन करने के कुछ समय पहले सेंधा नमक टमाटर, मूली, गाजर के सलाद पर छिड़क कर खायें।
13. पालक (Spinach)- हरी सब्जियों में पालक का इस्तेमाल ज्यादा करें। यह आंत की बीमारियों में राहत पहुंचाने वाला होता है।
14. पानी (Water)- पर्याप्त मात्रा में पानी पीयें और अपने को हाइड्रेट रखें। पानी के अतिरिक्त नारियल पानी, ताजे फलों का जूस, ठंडा दूध, छाछ आदि पीयें।
Conclusion –
दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको अपेंडिक्स के बारे में विस्तार से जानकारी दी। अपेंडिक्स क्या है, अपेंडिक्स के कार्य, अपेंडिसाइटिस क्या है, अपेंडिक्स के प्रकार, अपेंडिक्स के कारण, अपेंडिक्स के लक्षण, अपेंडिक्स का निदान, अपेंडिसाइटिस का उपचार, सर्जरी के बाद का भोजन, अपेंडिक्स में क्या खाना चाहिये और अपेंडिक्स में क्या नहीं खाना चाहिये, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस लेख के माध्यम से बहुत सारे अपेंडिक्स के घरेलू उपाय भी बताये। आशा है आपको ये लेख अवश्य पसन्द आयेगा।
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