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चिकन पॉक्स क्या है? – What is Chicken Pox in Hindi

चिकन पॉक्स क्या है?

दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, आज हम आपको एक ऐसी बीमारी के बारे में बतायेंगे जो कभी महामारी हुआ करती थी और जिसने दुनियां भर में करोड़ों लोगों को मौत के घाट उतार दिया था, ठीक आज के समय में कोविड-19 की तरह। ये दुनियां की ऐसी पहली बीमारी थी जिसके उपचार के लिये टीके का आविष्कार हुआ। मानव का संहार करने वाली इस बीमारी का नाम है चिकन पॉक्स यानि चेचक। इस महामारी से मानव को बचाने का श्रेय ब्रिटिश फिजिशयन और वैज्ञानिक डॉ। एडवर्ड जेनर को जाता है जिन्होंने सन् 1796 में चेचक के टीके का आविष्कार किया था। भारत में इसे अंधविश्वास से जोड़ कर इसे “माता” का दर्जा दिया गया और इसकी पूजा की जाने लगी। यह रूढ़िवादी परम्परा आज भी जारी है। चिकन पॉक्स की आज की स्थिति यह है कि बचपन से ही टीकाकरण के कारण चिकन पॉक्स का नामोनिशान पूरी दुनियां से समाप्त हो चुका है। उस समय की ये महामारी आखिर है क्या?। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “चिकन पॉक्स क्या है”। 

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको चिकन पॉक्स के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि इसके प्रभाव को कम करने के क्या घरेलू उपाय हैं। तो सबसे पहले जानते हैं कि चिकन पॉक्स क्‍या है और यह कितने प्रकार की होती है। फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।

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चिकन पॉक्स क्या है?
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चिकन पॉक्स क्या है? – What is Chicken Pox

दोस्तो, चिकन पॉक्स यानि चेचक एक संक्रामक बीमारी है जोकि वेरिसेला जोस्टर वायरस (Varicella Zoster Virus – VZV) के कारण होती है। इसे वेरिसेला रोग भी कहा जाता है। भारत में, विशेषकर उत्तर भारत में यह रोग “छोटी माता” (देवी माता) के रूप में लोकप्रिय है। यद्यपि यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है परन्तु इसका शिकार आमतौर पर शिशु, छोटे बच्चे तथा कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्ति होते हैं। इस रोग में शरीर पर द्रव से भरे छोटे-छोटे लाल रंग के दाने हो जाते हैं जिनमें खुजली लगती है। यह एक सामान्य बीमारी है जिसका वायरस एक या दो हफ्ते में अपने आप खत्म हो जाता है परन्तु कई बार यह भयंकर रूप भी ले लेता है और समस्या गंभीर हो जाती है जिसमें रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। 

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चिकन पॉक्स कितने प्रकार की होती है? – How Many Types of Chicken Pox are There?

चिकन पॉक्स दो प्रकार की होती है – छोटी चिकन पॉक्स यानि छोटी माता और बड़ी चिकन पॉक्स यानि बड़ी माता। शरीर पर दाने दोनों ही प्रकार की चिकन पॉक्स में निकलते हैं और दोनों में ही खुजली लगती है। दोनों में अंतर निम्न प्रकार है – 

1. छोटी चिकन पॉक्स (छोटी माता) – इस इस चिकन पॉक्स में दानों का साइज छोटा होता है। ये दाने बीच में से फटते नहीं है और ना ही इनकी पपड़ी उतरती है, बल्कि ये दाने अपने आप सूख जाते हैं। यह रोग अधिकतर छोटे बच्चों को होती है।

2. बड़ी चिकन पॉक्स (बड़ी माता) – इस चिकन पॉक्स में दानों का आकार बड़ा होता है। इनमें मवाद पड़ जाती है। ये दाने बीच में से फट जाते हैं और सूख जाते हैं। इनकी पपड़ी उतर जाती है। 

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खसरा और चिकन पॉक्स में अंतर – Difference Between Measles and Chicken Pox

खसरा और चिकन पॉक्स में निम्नलिखित अंतर स्पष्ट है – 

1. खसरा (Measles)- कई बार खसरा को भी छोटी माता यानि चिकन पॉक्स समझ लिया जाता है जबकि ऐसा नहीं है। खसरा एक वायुजनित संक्रामक रोग है इसमें वायरस का आक्रमण पहले श्वसन पथ में (respiratory tract) होता है, फिर पूरे शरीर में फैल जाता है। खसरा होने का मुख्य कारण रूबिओला (Rubeola) नामक वायरस होता है। शिशुओं, बच्चों, गर्भवती महिलाओं या कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तिओं को होता है। इसमें बहुत छोटे-छोटे लाल, भूरे रंग के धब्बे (दाने) पड़ जाते हैं। खांसी, नाक बहना, आंखों से पानी आना, आंखों का लाल हो जाना, सूजी हुई पलकें, कमजोरी, भूख न लगना आदि इसके प्रारंभिक लक्षण होते हैं। टीकाकरण इस रोग की रोकथाम का उपाय है। 

2. चिकन पॉक्स (Chicken Pox)- चिकन पॉक्स के बारे में हम ऊपर बता ही चुके हैं कि यह वेरिसेला जोस्टर वायरस के कारण होता है। इसमें शरीर पर द्रव भरे दाने हो जाते हैं जिनमें खुजली लगती है। इस रोग को भी टीकाकरण के जरिये रोका जा सकता है। 

चिकन पॉक्स से होने वाली जटिलताएं – Complications from Chicken Pox

यद्यपि यह बीमारी सामान्य ही होती है परन्तु लापरवाही के कारण यह गंभीर समस्या खड़ी कर सकती है यहां तक कि मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। इस रोग से निम्नलिखित जटिलताएं हो सकती हैं – 

1. निमोनिया

2. निर्जलीकरण (Dehydration)

3.  बैक्टीरियल इंफेक्शन

4. एन्सेफलाइटिस (encephalitis) यानि मस्तिष्क की सूजन। 

चिकन पॉक्स का वायरस कैसे फैलता है? – How does the Chickenpox Virus Spread?

चिकन पॉक्स निम्नलिखित माध्यम से फैलता   है –

1. हवा के माध्यम से।

2. फ्लू और खांसी के द्वारा।

3. लार और बलगम बलगम के द्वारा।

4. दानों के द्रव के संपर्क में आने के कारण।

5. चिकन पॉक्स के मरीज को छूने के कारण।

6. चिकन पॉक्स के मरीज की वस्तुओं को छूने या इस्तेमाल करने से। 

चिकन पॉक्स के कारण – Cause of Chickenpox 

दोस्तो, चिकन पॉक्स होने के हो सकते हैं निम्नलिखित कारण –

1. चिकन पॉक्स होने का प्रमुख कारण तो केवल एक ही है वेरिसेला जोस्टर वायरस।

2. चिकन पॉक्स संक्रमण के फैलने से इस बीमारी का विस्तार होता है। चिकन पॉक्स कैसे फैलता है, इस बारे में हम ऊपर बता चुके हैं। 

3. जिनको पहले कभी चिकन पॉक्स नहीं हुआ हो, उनको चिकन पॉक्स होने की संभावना अधिक रहती है।

4. जिनका बचपन में चिकन पॉक्स का टीकाकरण न हुआ हो। बचपन में चिकन पॉक्स का टीकाकरण हो जाने पर आगे भविष्य में इसके होने की संभावना 99 प्रतिशत कम हो जाती है।  क्योंकि एक बार चिकन पॉक्स हो जाने पर शरीर में इस रोग के लिये प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न हो जाती है। 

चिकन पॉक्स के लक्षण – Symptoms of Chicken Pox

सामान्यतः चिकन पॉक्स का वायरस शरीर में एक्टिव हो जाने के बाद इसके लक्षण लगभग 10-21 दिन में विकसित हो जाते हैं जो निम्न प्रकार हैं – 

1. शरीर पर छोटे-छोटे लाल रंग के दाने, फफोले पड़ जाना।

2. इन दानों में द्रव भर जाना।

3. इन दानों में खुजली लगना।

4. बुखार, निमोनिया होना।

5. थकान, कमजोरी महसूस करना।

6. सिर में दर्द होना।

7. सांस लेने में दिक्कत होना।

8. खांसी बढ़ना, उल्टी होना।

9. हृदय की असामान्य धड़कन।

10. गर्दन में कठोरता अनुभव करना।

11. मस्तिष्क में, नसों में सूजन होना।

12. हड्डी या जोड़ों में संक्रमण होना। 

चिकन पॉक्स का विकराल रूप – Severe form of Chicken Pox

1. दोस्तो, आज के समय में पूरी दुनियां ने जिस तरह कोविड-19 महामारी का विकराल रूप झेला है उसी प्रकार किसी समय में चिकन पॉक्स यानि चेचक का भयंकर रूप देखा है। आंकड़े बताते हैं कि व्यस्कों में इस महामारी से 20 से 60 प्रतिशत मृत्यु दर थी।

2. संक्रमित बच्चों की मृत्यु दर 80 प्रतिशत थी।

3. चेचक के टीके के आविष्कारक एडवर्ड जेनर के समय में अर्थात् सन् 1796 से पहले, चेचक से लगभग 10 प्रतिशत आबादी मारी जा चुकी थी। यह संख्या उन टाउन और शहरों में 20 प्रतिशत थी जहां चेचक संक्रमण अधिक आसानी से फैलता था। 

4. चेचक के पूरी तरह समाप्त होने तक अर्थात् बीसवीं सदी में 30 से 50 करोड़ लोगों की मृत्यु हुई थी। 

चेचक के टीके का आविष्कार – Smallpox Vaccine Invented

सन् 1796 में एडवर्ड जेनर (Edward Jenner) ने चेचक यानि चिकन पॉक्स के टीके का आविष्कार किया था। बाद में फ्रांस के सूक्ष्मजीव विज्ञानी लुई पाश्चर ने इनकी संकल्पना (Concept) को आगे बढ़ाया और इसे एक नया आयाम दिया। एडवर्ड जेनर ब्रिटिश फिजिशयन और वैज्ञानिक थे जिन्होंने चेचक के टीका बनाने की संकल्पना का बीड़ा उठाया था। विकिपीडिया के अनुसार “वैक्सीन और टीकाकरण शब्द वैरियोला वैक्सीनाई (‘गाय का चेचक’) से लिया गया है, यह शब्द जेनर द्वारा चेचक को निरूपित करने के लिए तैयार किया गया है।

सन्‌ 1775 में इन्होंने सिद्ध किया कि गोमसूरी (cowpox) में दो विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ सम्मिलित है, जिनमें से केवल एक चेचक से रक्षा करती है।  सन्‌ 1798 में इन्होंने ‘चेचक के टीके के कारणों और प्रभावों’ पर एक निबंध प्रकाशित किया। Cowpox को इन्होंने वेरिआली वेक्सोन का नाम दिया और इस तकनिक को वेक्सीनेशन एन्ड या वेक्सीन का नाम दिया”। एडवर्ड जेनर को “प्रतिरक्षा विज्ञान का जनक” माना जाता है और उनके काम के बारे में प्रसिद्ध है कि उन्होंने “किसी भी अन्य मानव के काम की तुलना में अधिक लोगों की जान बचाई”। सन्‌ 1803 में चेचक के टीके के प्रसार के लिये रॉयल जेनेरियन संस्था स्थापित की गई।  सन् 1821 में इनको किंग जॉर्ज IV का चिकित्सक नियुक्त किया गया।

चिकन पॉक्स वैक्सीन की खोज – Discovery of Chicken Pox Vaccine

वेरिसेला जोस्टर वायरस से शिशुओं, बच्चों और वयस्कों को बचाने के लिए ही चिकन पॉक्स वैक्सीन को बनाया गया है। इसीलिये इसको वेरिसेला वैक्सीन भी कहा जाता है। यह वैक्सीन लगने के बाद चिकन पॉक्स की संभावना 99 प्रतिशत कम हो जाती है। जापानी विषाणु विज्ञानी (virologist) डॉ मिशियाकी ताकाहाशी (Dr. Michiaki Takahashi) ने चिकन पॉक्स वैक्सीन की खोज की। इन्होंने वायरस को पहचान कर टीके का निर्माण किया। सन् 1972 में इस दवा के सभी प्रयोग सफलता पूर्वक पूरे कर लिये गए थे और कुछ वर्ष बाद ही यह वैक्सीन जापान तथा अन्य देशों में भी इस्तेमाल की जाने लगी।  

चिकन पॉक्स का टीकाकरण – Chicken pox Vaccination

1. 12 महीने से 12 वर्ष की आयु के बीच, बच्चों को चिकन पॉक्स वैक्सीन की दो खुराक में दी जा सकती हैं। विवरण निम्न प्रकार है –

(i) पहली खुराक: 12 से 15 महीनों के बीच, 0.5 मिली लीटर।

(ii) दूसरी खुराक: बच्चे के 4 साल से 6 साल की उम्र के बीच, 0.5 मिली लीटर।

2. 13 वर्ष या उससे अधिक की आयु के बच्चे जिनको पहले कभी चिकन पॉक्स नहीं हुआ हो और ना ही उन्होंने कभी इसकी वैक्सीन ली हो, तो ऐसी स्थिति में उनको कम से कम 28 दिनों के भीतर दो खुराक लेनी चाहियें। 0.5 मिली लीटर प्रति खुराक। 

3. जिन्होंने चिकन पॉक्स वैक्सीन की केवल एक ही खुराक ली है, उनको दूसरी खुराक अवश्य लेनी चाहिए।  13 वर्ष से कम आयु के बच्चों को कम से कम तीन महीनों के बाद दूसरी खुराक लेनी चाहिए। 13 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों और वयस्कों को दूसरी खुराक को कम से कम 28 दिनों के भीतर लेनी चाहिए।  बच्चों को 0.5 मिली लीटर तथा वयस्कों को 0.65 मिली लीटर मात्रा।

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चिकन पॉक्स वैक्सीन किसे नहीं दी जानी चाहिए? – Who Should not be Given the Chickenpox Vaccine?

निम्नलिखित परिस्थितियों में चिकन पॉक्स वैक्सीन नहीं दी जानी चाहिए –

1. तबियत खराब होने पर – यदि किसी की तबियत खराब है अर्थात् किसी गंभीर रोग के लक्षण प्रकट हो रहे हैं तो चिकन पॉक्स का वैक्सीन नहीं दी जानी चाहिये। सर्दी-जुकाम जैसे हल्के लक्षण में वैक्सीन दी जा सकती है।

2. टीबी – टीबी से ग्रस्त मरीज को चिकन पॉक्स वैक्सीन नहीं दी जानी चाहिये। 

3. कोई और वैक्सीन लेने पर – यदि किसी ने अन्य पिछले चार महिनों में कोई अन्य टीका या वैक्सीन लगवाई हो। 

4. निकट समय में खून चढ़ाया हो – यदि किसी को निकट समय में खून चढ़ाया गया हो या खून के किसी तत्व को प्राप्त किया हो।

5. एलर्जी होने पर – किसी शिशु या व्यक्ति को वैक्सीन लेने के बाद गंभीर और घातक एलर्जी हो गई हो या इंजेक्शन लगने की जगह पर एलर्जी हुई हो तो, चिकन पॉक्स वैक्सीन नहीं दी जानी चाहिए।

6. कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली में – यदि किसी की प्रतिरक्षा प्रणाली एचआईवी या अन्य उपचार जैसे रेडिएशन, इम्युनोथैरेपी, स्टेरॉयड तथा कीमोथेरेपी के कारण, कमजोर हो गई हो तो चिकन पॉक्स वैक्सीन नहीं दी जानी चाहिए।

7. गर्भावस्था या गर्भधारण का प्रयास की स्थिति – गर्भवती महिला को चिकन पॉक्स वैक्सीन नहीं दी जानी चाहिए। इसके लिये थोड़ा इंतजार करना होगा।  इसके अतिरिक्त चिकन पॉक्स वैक्सीन लेने के बाद महिला को गर्भधारण का प्रयास करने के लिए कम से कम एक महीने तक प्रतीक्षा करनी चाहिए। 

चिकन पॉक्स वैक्सीन के परिणाम – Chicken Pox Vaccine Results

दोस्तो, चिकन पॉक्स से बचाव के लिये ही चिकन पॉक्स वैक्सीन यानि वेरिसिला वैक्सीन दी जाती है। इसकी शुरुआत बचपन में ही 12 महीने की आयु से हो जाती है। इस वैक्सीन के सकारात्मक और प्रभावशाली परिणाम पूरे विश्व में देखने को मिले हैं। इस वैक्सीन लगने से चिकन पॉक्स की संभावना 99 प्रतिशत कम हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार सभी आयु वर्ग में प्रत्येक वर्ष 20 से 30 लाख मौतें केवल टीकाकरण के माध्यम से टाली जाती हैं। प्रति वर्ष पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की संभावित मौतों में 29 प्रतिशत वैक्सीन के जरिये रोकी जा सकने वाली होती हैं।

चिकन पॉक्स का परीक्षण व उपचार – Chicken Pox Test and Treatment

दोस्तो, यहां हम स्पष्ट कर दें कि चिकन पॉक्स का कोई सटीक और यथोचित (Proper) परीक्षण उपलब्ध नहीं है और ना ही इसका कोई डाक्टरी इलाज। परन्तु इसका उपचार अंधविश्वास से जुड़ी गतिविधियां जैसे “माता की पूजा” भी नहीं है। इसका उपचार केवल साफ़ सफाई रखना, खानपान का विशेष ध्यान रखना और धैर्य रखकर इस वायरस के अपने आप समाप्त होने की प्रतीक्षा करना है। इसे किसी भी उपचार द्वारा समाप्त नहीं  किया जा सकता क्योंकि हर वायरस की अपनी कार्यप्रणाली होती है जो अपने समय से पहले समाप्त नहीं होती। आमतौर पर चिकन पॉक्स के लक्षण दो हफ़्तों में कम या समाप्त हो जाते हैं। हालांकि डॉक्टर निम्नलिखित दवाएं प्रिसक्राइब कर सकते हैं – 

1. वायरस के विरुद्ध लड़ने के लिए एसाइक्लोविर या वैलेसीक्लोविर जैसी दवाएं दी जा सकती हैं। 

2. किसी अन्य प्रकार के इन्फेक्शन को खत्म करने के लिए एंटीबायोटिक्स प्रिसक्राइब की जा सकती हैं।

3. बुखार और दर्द के लिए पेरासिटामोल।

4. खुजली से राहत पाने के लिए कैलामाइन लोशन।

5. दानों/फफोलों के लिये एंटीबायोटिक क्रीम।

चिकन पॉक्स का प्रभाव कम करने के घरेलू उपाय – Home Remedies to Reduce the Effect of Chickenpox

दोस्तो, हम बता रहे हैं कुछ निम्नलिखित घरेलू उपाय जिनको अपनाकर चिकन पॉक्स के प्रभाव को कम कर सकते हैं जैसे त्वचा में होने वाली जलन, खुजली, दानों का जल्दी सूखना आदि – 

1.  बेकिंग सोडा (Baking Soda) – त्वचा में खुजली, जलन और दर्द को कम करने और घावों को भरने का यह अच्छा उपाय है। आधा चम्मच बेकिंग सोडा पानी में मिलाकर रुई या किसी साफ़ कपड़े की मदद से प्रभावित त्वचा पर लगायें और सूखने दें। बाद में आप नहा सकते हैं।  बेकिंग सोडा में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो संक्रमण को खत्म करने में मदद करते हैं। 

2. गाजर और हरा धनिया (Carrot and Coriander)- गाजर और हरा धनिया दोनों की ठंडी प्रकृति होने के कारण इनके पत्ते शरीर को शीतलता प्रदान करते हैं। दोनों के पत्तों को पानी में उबालकर, छानकर नियमित रूप से कुछ दिनों तक पीयें। यदि कोई दवा ले रहे हैं तो पत्तों का पानी पीने से पहले डॉक्टर की सलाह ले लें। यह मिश्रण एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करते हुए चिकन पॉक्स में आराम पहुंचायेगा। 

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3. नीम के पत्ते (Neem Leaves)- नीम को औषधीय गुणों के कारण वृक्षराज का दर्जा दिया गया है। त्वचा रोगों को दूर करने के लिये नीम रामबाण उपाय है। चिकन पॉक्स के लिये मुट्ठी भर नीम के पत्तों को पानी के साथ पीसकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को दिन में दो बार प्रभावित त्वचा पर लगायें और सूखने दें। सूखने पर नहा लें। इससे वायरस का प्रभाव कम हो जायेगा, खुजली और जलन में भी आराम लगेगा। दिन में एक बार नीम के उबले हुए पत्तों के पानी से अवश्य नहायें। नीम की पत्तियां एंटीवायरल गुणों से भरपूर होती हैं जो वायरस के प्रभाव को कम करने में मदद करती हैं।

4. सिरका या सेब का सिरका (Vinegar or Apple Cider Vinegar)- सिरका एंटी माइक्रोबियल गुणों से भरपूर होता है जो बैक्टीरिया, परजीवी, वायरस और फंगस से लड़ता है। आधा कप सिरका या सेब का सिरका लेकर नहाने के पानी में मिलाकर नहायें। कोशिश करें कि शरीर लगभग 15 मिनट तक इस पानी में भीगा रहे। इससे खुजली, जलन और दर्द में आराम मिलेगा और वायरस भी जल्द खत्म हो जायेगा।  

5. हरी मटर (Green Peas)- हरी मटर को पानी में उबालें। इस पानी को प्रभावित त्वचा पर लगायें। इससे त्वचा पर पड़े लाल चकत्ते या दाने खत्म हो जायेंगे।

6. काली मिर्च (Black Pepper)– एक चम्मच प्याज के रस में दो या तीन काली मिर्च पीसकर मिलायें और इसे पीयें। इसे दिन में दो, तीन बार पी सकते हैं। काली मिर्च और प्याज दोनों ही औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं। इससे छोटी और बड़ी दोनों ही चिकन पॉक्स ठीक हो जायेंगी।

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7. एलोवेरा (Aloe vera)- एलोवेरा की ठंडी प्रकृति चिकन पॉक्स से प्रभावित त्वचा को ठंडक प्रदान करती है। एलोवेरा के एंटीइंफ्लेमेट्री गुण त्वचा को नमी प्रदान करते हैं। और खुजली को खत्म कर जलन में आराम देते हैं। चिकन पॉक्स की स्थिति एलोवेरा का ताजा जैल निकाल कर त्वचा पर लगायें और सूखने दें। बाद में नहा लें।

8. सेंधा या समुद्री नमक (Rock or Sea Salt)- सेंधा नमक या समुद्री नमक जो भी मिले उसे एक बाथटब पानी में अच्छी तरह घोल लें। इस पानी में कम से कम 20 मिनट तक अपने शरीर को भिगोकर रखें। बाद में शरीर को मुलायम कपड़े से हल्के हाथ से पोंछ लें। इससे खुजली और सूजन कम होगी। नमक में एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं जो वायरस के विरुद्ध लड़ते हैं। 

9. शहद (Honey)- चिकन पॉक्स के उपचार में शहद उत्तम विकल्प माना जाता है क्योंकि शहद में एंटीवेरिसेला जोस्टर वायरस गुण पाए जाते हैं जो वेरिसेला जोस्टर वायरस से लड़कर चिकन पॉक्स को ठीक करने में मदद करते हैं। शहद में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण त्वचा को बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाने में मदद करते हैं। इसके लिये प्रभावित त्वचा पर शहद लगाकर 20 मिनट के लिये छोड़ दें। बाद में पानी से त्वचा पर लगा शहद धीरे-धीरे हल्के हाथ से साफ़ कर दें। इसे दिन में दो बार कर सकते हैं। 

10. लैवेंडर का तेल (Lavender Oil)- लैवेंडर के तेल को बादाम या नारियल के तेल में मिलाकर प्रभावित त्वचा पर लगायें। इसे दिन में दो बार लगा सकते हैं। इसके अतिरिक्त बाथटब में गर्म पानी में लैवेंडर तेल और कैमोमाइल के तेल की कुछ बूंदें मिलाकर कम से कम दस मिनट तक नहायें। इससे खुजली और जलन में आराम मिलेगा और चिकन पॉक्स के दाग भी नहीं पड़ेंगे। 

11. चंदन का तेल (Sandalwood Oil)- चंदन की प्रकृति शीतल होती है। चिकन पॉक्स का प्रभाव खत्म करने के लिये चंदन के तेल को प्रभावित त्वचा पर लगायें, इससे त्वचा को ठंडक मिलेगी, जलन खत्म होगी और खुजली का प्रभाव भी खत्म हो जायेगा। चंदन के तेल में मौजूद एंटीवायरल और एंटीबैक्टेरियल गुण चिकन पॉक्स को खत्म करने में मदद करते हैं। 

12. विटामिन-ई (Vitamin E)- विटामिन-ई के दो कैप्सूल लेकर उनके अंदर के द्रव को निकाल कर प्रभावित त्वचा पर लगायें। इसे दिन में दो या तीन बार लगायें। या विटामिन-ई युक्त कोई भी तेल प्रभावित त्वचा पर लगायें। इससे त्वचा हाइड्रेट रहेगी, खुजली में आराम मिलेगा और चिकन पॉक्स से पड़ने वाले निशान नहीं पड़ेंगे। 

चिकन पॉक्स में क्या खाना चाहिए? – What to Eat in Chicken Pox? 

चिकन पॉक्स होने की स्थिति में निम्न प्रकार का भोजन करना चाहिये –

1. सबसे पहले यह ध्यान रखें कि शरीर में पानी की कमी ना होने पाये। इसके लिये अधिक मात्रा में पानी पीयें ताकि शरीर हाइड्रेट रहे।

2. इम्युनिटी बढ़ाने के लिए ताजा फलों का जूस पीयें।

3. विटामिन और खनिज पदार्थों से भरपूर फल और हरी सब्जियों का इस्तेमाल करें विशेषकर विटामिन-सी से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे गाजर, ब्रोकली, खीरा आदि।

4.  जिंक,मैग्नीशियम और कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें जैसे साबुत अनाज, पालक, मशरूम, ओट्स, नट्स, कद्दू के बीज आदि।

चिकन पॉक्स में क्या नहीं खाना चाहिए? – What not to Eat in Chicken Pox?

चिकन पॉक्स में निम्नलिखित खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिये – 

1. तीखा, तेज मसालेदार, चटपटा, तले भुने, ऑयली खाद्य पदार्थ।

2. मांस और डेयरी उत्पाद, जैसे मक्खन, पनीर और दही आदि से बचें क्योंकि ये सूजन और लालिमा की समस्या हो सकती है।  

3. मिर्च, काली मिर्च, अदरक, सरसों, लहसुन, प्याज और खटाई।

4. सी-फूड इसमें हिस्टामाइन की मौजूदगी खुजली और एलर्जी का कारण बन सकती है।

5.  चॉकलेट तथा कैफीन युक्त पेय पेय पदार्थ।

Conclusion – 

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको चिकन पॉक्स के बारे में विस्तार से जानकारी दी। चिकन पॉक्स क्या है?, चिकन पॉक्स कितने प्रकार की होती है, खसरा और चिकन पॉक्स में अंतर, चिकन पॉक्स से होने वाली जटिलताएं, चिकन पॉक्स का वायरस कैसे फैलता है, चिकन पॉक्स के कारण, चिकन पॉक्स के लक्षण, चिकन पॉक्स का विकराल रूप, चेचक के टीके का आविष्कार, चिकन पॉक्स वैक्सीन की खोज, चिकन पॉक्स का टीकाकरण, चिकन पॉक्स वैक्सीन किसे नहीं दी जानी चाहिए,

चिकन पॉक्स वैक्सीन के परिणाम और चिकन पॉक्स का परीक्षण व उपचार, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से चिकन पॉक्स का प्रभाव कम करने के घरेलू उपाय बताये तथा यह भी बताया कि चिकन पॉक्स में क्या खाना चाहिये और चिकन पॉक्स में क्या नहीं खाना चाहिये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा। 

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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