स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग में। दोस्तो, हमारे समाज में एक बहुत बड़ी गलतफहमी फैली हुई है कि हम किसी मोटे व्यक्ति को देखते हैं तो अक्सर हम हंस देते हैं कि इसमें तो फैट ही फैट भरा हुआ है। फैट मोटापे का पर्याय बन चुका है। यह एक अर्धसत्य है। जरूरी नहीं कि जिनमें फैट की मात्रा अधिक हो, वे मोटे ही हों। अधिक वसा से ग्रस्त वे लोग भी होते हैं जिनका वजन सामान्य होता है और बॉडी मास इंडेक्स (BMI) भी सामान्य हो। आंकड़े बताते हैं कि विश्व की 76 प्रतिशत जनसंख्या फैट की अधिकता से पीड़ित है।
हम आपको बता दें कि फैट एक ऐसा पोषक तत्व जो शरीर को क्रियाशील रहने के लिए शक्ति प्रदान करता है। शरीर को विटामिन-ए, डी, ई और विटामिन-के प्रदान करता है। बच्चों के विकास और उनके मस्तिष्क के विकास के लिये यह अति आवश्यक और महत्वपूर्ण पोषक तत्व है। फैट की एक विशेषता है कि शरीर में इसकी मात्रा अधिक हो जाए तो दुखदाई बन जाता है और कमी हो जाए तो भी इसके कारण कई बीमारियां होने की संभावना रहती है। इसीलिए इसे सही मात्रा में लेना आवश्यक होता है। आखिर यह फैट है क्या? दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “फैट क्या है?”।
देसी हैल्थ क्लब आज आपको फैट के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसकी अधिकता और कमी के शरीर पर क्या प्रभाव पड़ते हैं। तो, सबसे पहले जानते हैं कि फैट क्या है और फैट की अधिकता और कमी के बारे में। फिर इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।
फैट क्या है? – What is Fat?
दोस्तो, फैट (Fat) जिसे हिन्दी में वसा कहा जाता है, एक ऐसा स्थूल पोषक तत्व (Macronutrients) है जिसका निर्माण कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन से मिलकर होता है। आम बोलचाल की भाषा में इसे चिकनाई और अंग्रेजी में लिपिड (Lipid) कहा जाता है। फैट वस्तुतः लिपिड पदार्थों के एक ग्रुप में से एक पदार्थ है जो शरीर को क्रियाशील बनाए रखने के लिए अति आवश्यक है क्यों कि कोई भी शारीरिक क्रिया करने के लिये ईंधन की जरूरत होती है जिससे शक्ति मिलती है।
फैट शरीर का ईंधन है जिससे शरीर को शक्ति मिलती है और वह क्रियाएं कर पाने में सक्षम होता है। इसीलिये इसे शरीर का शक्तिशाली पोषक तत्व माना जाता है। फैट की प्राप्ति हमें वनस्पति जगत और मांस के माध्यम से होती है। यह द्रव रूप या ठोस रूप में होता है। शरीर को ईंधन देकर शारीरिक क्रिया को बनाए रखने और शरीर में प्रोटीन की मात्रा को कम करने के लिये यह बहुत जरूरी होता है। इनके अतिरिक्त फैट के और भी कार्य होते हैं जिनका जिक्र हम आगे करेंगे।
ये भी पढ़े- वजन कम करने के लिए डाइट प्लान
फैट की अधिकता और कमी – Excess and Deficiency of Fat
हम यहां बता दें कि फैट आसानी से पचता नहीं है। इसे पचाने के लिये व्यायाम या शारीरिक श्रम करना पड़ता है क्यों कि इसको पचने में काफी समय लगता है। व्यक्ति को यदि रोजाना 2000 कैलोरी की जरूरत है तो उसे 32 से 43 प्रतिशत फैट इन कैलोरी से मिल जाता है क्योंकि एक ग्राम फैट में 9 कैलोरी होती है। इससे साफ़ हो जाता है कि रोजाना 70 से 95 ग्राम फैट युक्त भोजन करना चाहिए, ज्यादा से ज्यादा 100 ग्राम तक फैट ले सकते हैं।
यदि इससे अधिक फैट ग्रहण किया जाता है और कोई व्यायाम या शारीरिक श्रम नहीं किया जाता है तो यह शरीर में “अतिरिक्त चर्बी” के रूप में जमा होने लगता है जो मोटापे का मुख्य कारण बनता है। इसके अतिरिक्त अधिक फैट लेने से कई घातक बीमारियां होने की संभावना रहती है। इसके विपरीत यदि फैट को कम मात्रा में लिया जाए तो भी इसके भयंकर परिणाम निकल कर आते हैं जिनमें कई रोग शामिल हैं। फैट की अधिकता और कमी से होने वाले रोगों के बारे में आगे जिक्र करेंगे।
फैट की मात्रा – Fat Content
आयु के अनुसार वसा की मात्रा
दोस्तो, बच्चे, महिला और पुरुष के शरीर को कितनी मात्रा में प्रतिदिन फैट की जरूरत होती है इसका विवरण निम्न प्रकार है –
- बच्चा, 5 से 10 वर्ष की आयु : 70 ग्राम प्रतिदिन
- महिला : 70 ग्राम प्रतिदिन
- पुरुष : 95 ग्राम प्रतिदिन
फैट के प्रकार – Types of Fat
यदि हम फैट के प्रकार की बात करें तो यह तीन प्रकार का होता है संतृप्त वसा (Saturated fats) असंतृप्त वसा (Unsaturated fats) और ट्रांस वसा (Trans fats)। इनका विवरण निम्न प्रकार है –
1. सैच्युरेटेड फैट (Saturated Fats) – सैच्युरेटेड फैट यानि संतृप्त वसा, खराब वाले कोलेस्ट्रॉल LDL को बढ़ाने का काम करता है। यह LDL के उच्च स्तर की वजह बनता है। इसी लिए इसे बैड फैट कहा जाता है। इसका बहुत ही कम मात्रा में सेवन करना चाहिए। यह समझिए कि जितनी कैलोरी हम पूरे दिन में ले रहे हैं उसका केवल 10 प्रतिशत ही सैच्युरेटेड फैट शरीर में जाना चाहिए। इस फैट को सॉलिड फैट के नाम से भी जाना जाता है।
2. अनसैच्युरेटेड फैट (Unsaturated Fats) – अनसैच्युरेटेड फैट यानि असंतृप्त वसा को गुड फैट के नाम से जाना जाता है। यह रक्त में खराब कोलेस्ट्रॉल LDL के स्तर को घटाने में मदद करता है। परन्तु इसका भी सेवन बहुत ही सीमित मात्रा में करना चाहिए क्यों कि इसमें कैलोरी बहुत ज्यादा होती हैं। यह फैट सामान्य तापमान पर द्रव रूप में रहता है लेकिन यदि इसको जमाया जाए तो यह जम भी जाता है। अनसैच्युरेटेड फैट भी निम्नलिखित दो प्रकार का होता है –
(A) पॉली अनसैच्युरेटेड फैट (Polyunsaturated Fat) – इस फैट में कार्बन के कई बंधन (multiple carbon double bonds) होते हैं जो मांसपेशियों की गति, सूजन, नसों को ढंकने, रक्त के थक्के जमने, कोशिका झिल्ली के निर्माण में अपनी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। ये हृदय रोग, मनोभ्रंश के खतरे को कम करने आदि में भी मदद करते हैं। यह फैट भी निम्नलिखित दो रूप में मिलता है –
(i) ओमेगा 3 फैटी एसिड्स के रूप में जो मछली, अलसी के बीज, वनस्पति तेल और नट्स से प्राप्त होता है।
(ii) ओमेगा 6 फैटी एसिड्स के रूप में जो कि हरे पत्तेदार सब्जियों, बीजों तथा नट्स में विद्यमान होता है।
ये भी पढ़े- वजन बढ़ाने के डाइट चार्ट
(B) मोनोअनसैच्युरेटेड फैट (Monounsaturated Fat) – इस फैट में सिर्फ़ एक कार्बन दोहरा बंधन (One carbon double bond) होता है। यह इंसुलिन के लेवल को कंट्रोल करते हुए ब्लड में ग्लुकोज़ के लेवल सामान्य बनाए रखने और खराब वाले कोलेस्ट्रॉल LDL को कम करने में मदद करता है। जिससे हृदय रोग के खतरे कम हो जाते हैं। मूंगफली, सरसों और जैतून के तेल, एवोकाडो, नट्स तथा बीज आदि में यह फैट मौजूद होता है।
3. ट्रांस फैट (Trans Fat) – ट्रांस फैट को ट्रांस फैटी एसिड (Trans fatty acids) भी कहा जाता है। यह स्वास्थ के लिए सबसे अधिक हानिकारक होता है क्यों कि इसका निर्माण वनस्पति तेल हाइड्रोजनीकरण की प्रक्रिया से होता है। इसी लिए ट्रांस फैट को आंशिक रूप से “हाइड्रोजनीकृत तेल” के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
डोनट और कुकीज़, प्रोसेस्ड फूड्स, तले हुए स्नैक्स आदि में पाया जाता है। बेशक ट्रांस फैट खाने के स्वाद को बढ़ा देता है और लंबे समय तक सुरक्षित रखता है मगर यह खराब वाले कोलेस्ट्रॉल LDL को बढ़ाने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल HDL को कम करने का काम करता है। इसलिए ट्रांस फैट वाली वस्तुओं के सेवन को अवॉइड करना चाहिए।
फैट के स्रोत – Source of Fat
फैट के स्रोत निम्नलिखित हैं –
1. सैच्युरेटेड फैट – मक्खन, शुद्ध घी, वनस्पति घी, पनीर, दूध, दही, मीट, आइसक्रीम, क्रीम, वसायुक्त मांस, पोल्टी चिकन, अंडा, नारियल, ताड़ का तेल व कुछ अन्य तेलों में पाया जाता है।
2. अनसैच्युरेटेड फैट –
(i) पॉली अनसैच्युरेटेड (फैट ओमेगा 3 फैटी एसिड्स) – पॉली अनसैच्युरेटेड फैट हमें फैटी फिश, अलसी का तेल, अखरोट, मक्का, चिया के बीज, सूरजमुखी के बीज, भांग के बीज, सोयाबीन, सूरजमुखी, करडी, वनस्पति तेल और नट्स आदि से मिल जाते हैं।
(ii) पॉली अनसैच्युरेटेड (फैट ओमेगा 6 फैटी एसिड्स) – यह फैट हमें हरे पत्तेदार सब्जियों, बीजों, नट्स कुसुम तेल, अखरोट का तेल, सूरजमुखी का तेल, कैनोला का तेल, सोयाबीन का तेल आदि से प्राप्त होता है।
(iii) मोनोअनसैच्युरेटेड फैट – यह फैट हमें मूंगफली, सरसों का तेल, जैतून का तेल, कैनोला का तेल, बादाम तेल, हेज़लनट तेल, एवोकाडो, नट्स तथा बीजों से मिल जाता है।
3. ट्रांस फैट – कुकीज़, प्रोसेस्ड फूड्स, तले हुए स्नैक्स, सॉस, केक, पेस्ट्री, पिज्जा, चॉकलेट, समोसा, चिप्स, फ्रेंच फ्राइज़, डीप-फ्राइड चिकन और मछली, मिठाइयां आदि से ट्रांस फैट प्राप्त होता है।
फैट के कार्य – Function of Fat
दोस्तो, फैट हमारे शरीर के लिए क्यों जरूरी है, इसका काम क्या है, जानते हैं इसके कार्यों के बारे में जो निम्न प्रकार हैं –
1. तापमान को सामान्य रखे (Keep the Temperature Normal)- फैट, शरीर में त्वचा के नीचे एक परत के रूप में विद्यमान रहता है जो शरीर के तापमान को सामान्य बनाए रखने का काम करता है। इससे शरीर सर्दी, गर्मी को सहने लायक बनता है।
2. शरीर को ऊर्जा प्रदान करे (Provide Energy to the Body)- शरीर को क्रियाशील बनाए रखने के लिए फैट ईंधन के रूप में कार्य करते हुए ऊर्जा प्रदान करता है।
3. प्रोटीन के कार्य में मदद करे (Help Protein Function)- जब प्रोटीन द्वारा ऊर्जा का निर्माण नहीं किया जाता है तो यह कमी यानि शरीर को ऊर्जा देने का काम फैट और कार्बोहाइड्रेट्स करते हैं।
ये भी पढ़े- प्रोटीन के फायदे
4. अतिरिक्त प्रोटीन को हटाए (Remove Excess Protein)- यदि शरीर में प्रोटीन की मात्रा अधिक हो जाए तो कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे कि कब्ज, डिहाइड्रेशन, डायरिया, मुंह से बदबू आना, किडनी और लिवर से जुड़ी समस्याएं आदि। इसलिये अतिरिक्त प्रोटीन को हटाना जरूरी हो जाता है और यह काम फैट करता है।
5. भोजन के भार को कम करे (Reduce Food Weight)- फैट भोजन के भार कम को कम करने में मदद करता है ताकि यह पचने में आसान हो जाता हैं।
6. कोमल अंगों की रक्षा करे (Protect Soft Organs)- हमारे शरीर में मौजूद कोमल अंगों जैसे कि हृदय, किडनी, लिवर, तंत्रिका तंत्र आदि को बाहरी धक्कों से बचाते हुए इनकी रक्षा करता है।
फैट के फायदे – Benefits of Fat
अब तक यह तो स्पष्ट हो ही चुका है कि फैट हमारे शरीर के लिए क्यों जरूरी है, वास्तव में यही इसके फायदे हैं। फिर भी हम इसके कुछ और फायदे बताते हैं जो निम्न प्रकार हैं –
1. आवश्यक फैटी एसिड प्रदान करे (Provide Essential Fatty Acids)- शारीरिक क्रिया कलापों के लिए कुछ ऐसे फैटी एसिड्स की जरूरत होती है जिसका निर्माण शरीर नहीं करता बल्कि फैट शरीर को प्रदान करता है। ये फैटी एसिड हैं लिनोलेनिक फैटी एसिड और लिनोलिक फैटी एसिड। लिनोलेनिक फैटी एसिड को ओमेगा 3 फैटी एसिड का ही रूप है। यह मछली के तेल, सोयाबीन, चिया के बीज, अखरोट, सूरजमुखी के बीज, वनस्पति तेलों आदि से मिलता है।
लिनोलिक फैटी एसिड को ओमेगा 6 फैटी एसिड के तौर पर जाना जाता है। यह हरे पत्तेदार सब्जियों, बीजों, नट्स, कुसुम तेल, अखरोट का तेल, सूरजमुखी का तेल, कैनोला का तेल, सोयाबीन का तेल आदि के माध्यम से मिलता है। ये दोनों फैटी एसिड सूजन को कम करने, रक्त के थक्के जमने और मस्तिष्क के विकास के लिए तथा तंत्रिका तंत्र की कार्य प्रणाली के लिये महत्वपूर्ण और आवश्यक होते हैं। यह फैट का सबसे बड़ा फायदा है।
2. अतिरिक्त कैलोरी का भण्डारण करे (Store Extra Calories)- यह सच है कि फैट शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और यह भी सच है कि जब ऊर्जा खर्च होती है तो हमें कैलोरी की जरूरत पड़ती है। वह कैलोरी निश्चित रूप से कार्बोहाइड्रेट से आएगी परन्तु जब कार्बोहाइड्रेट से भी कैलोरी ना मिले तो फिर कहां से आएगी।
ऐसी स्थिति से निपटने के लिए फैट, कैलोरी का भण्डारण करता है। उदहारण के तौर पर व्यायाम करते समय शरीर कार्बोहाइड्रेट वाली कैलोरी का उपयोग करता है परन्तु लगभग आधा घंटे बाद शरीर को फैट की कैलोरी का उपयोग करना पड़ता है। इसके लिए फैट द्वारा भण्डारण की गई कैलोरी काम आती हैं।
3. पाचन में मदद करे (Help Digestion)- फैट की मदद से विटामिन-ए, डी और के सरलता से घुल जाते हैं। इस कारण भोजन को पचाने में पाचन तंत्र को अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती। गुड फैट के सेवन से एडिपॉज टिशूज की कमी नहीं होती है तथा शरीर में इंसुलिन का उत्पादन होता रहता है।
ये भी पढ़े- पाचन तंत्र को मजबूत करने के उपाय
4. अच्छी नींद आए (Sleep Well)- मेलाटोनिन हार्मोन नींद के लिए जिम्मेदार होता है। अच्छे फैटी एसिड के सेवन से डीएचए (DHA) का स्तर कम हो जाता है तथा मेलाटोनिन हार्मोन रिलीज होने लगता है। इस कारण आपको अच्छी और भरपूर नींद आती है।
5. यौन समस्याओं में फायदा (Benefit in Sexual Problems)- नपुंसकता, कामेच्छा में कमी, काम क्षमता में कमी आदि का मुख्य कारण टेस्टोस्टेरोन हार्मोन में कमी होता है। टेस्टोस्टेरोन हार्मोन पुरुषों की सेक्स लाइफ के लिए जिम्मेदार होता है। गुड फैट वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से टेस्टोस्टेरोन हार्मोन में सुधार आता है जिससे उनकी यौन समस्याओं में फायदा होता है और सेक्स लाइफ सुधरती है।
6. त्वचा के लिए फायदेमंद (Beneficial for Skin)- फैट त्वचा स्वास्थ के लिए भी लाभकारी होता है। यह त्वचा को शुष्क होने से बचाता है और इसमें नमी बनाए रखने में मदद करता है। यह त्वचा में तेल के स्तर को नियंत्रित करता है। इसके अतिरिक्त फैट त्वचा विकारों को भी दूर रखने में मदद करता है।
7. तनाव दूर करे (Relieve Stress)- गुड फैट लेने का यह भी फायदा है कि यह तनाव को दूर करता है। कभी आपको तनाव महसूस हो रहा हो या मूड खराब हो तो गुड फैट वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें। विशेष तौर पर डार्क चॉकलेट का सेवन करें।
आपको तुरन्त राहत मिलेगी। तनाव दूर हो जाएगा और आपका मूड भी ठीक हो जाएगा। आप खुशनुमा नज़र आएंगे। डार्क चॉकलेट पर विस्तार से जानकारी के लिए हमारा पिछला आर्टिकल “डार्क चॉकलेट के फायदे” पढें।
8. अन्य लाभ (Others Benefits)- फैट, रक्त से विटामिनों को अवशोषित कर रक्त में उनको (विटामिनों को) सर्कुलेट करने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाता है। इन विटामिनों में विटामिन-ए, डी, ई और के होते हैं। विटामिन-ए आंखों के लिये, विटामिन-डी हड्डियों के विकास और मजबूती के लिए, विटामिन-ई हृदय रोगों के खतरे को दूर करने, त्वचा विकारों को दूर करने, मांसपेशियों को मजबूती देने, फेफड़ों को स्वस्थ बनाए रखने आदि के लिए तथा विटामिन-के हड्डियों के विकास के लिए, हृदय स्वास्थ के लिए, हाई ब्लड प्रेशर को कम करने और कैल्शियम को पूरे शरीर में संचारित करने आदि के लिए जरूरी होते हैं। फैट हमारे बालों के स्वास्थ को सही बनाए रखने में भी मदद करता है।
फैट की अधिकता के प्रभाव – Effects of Excess Fat
दोस्तो, भोजन में फैट को उचित मात्रा में ही लेना चाहिए तथा व्यायाम भी करना चाहिए ताकि यह पच जाए। जब फैट अधिक मात्रा में लिया जाता है और पचता नहीं है तो यह शरीर में अतिरिक्त फैट के रूप में जमा होता रहता है और इसके बहुत बुरे प्रभाव पड़ते हैं। इससे निम्नलिखित बीमारियां होने का खतरा बना रहता है –
1. मोटापा (Fat)- यह अतिरिक्त फैट जमा होने का सबसे बड़ा कुप्रभाव है। मोटापा स्वयं एक बीमारी का ही रूप है।
2. अस्वस्थ किडनी (Unhealthy Kidneys)- मोटापे से अप्रत्यक्ष रूप से किडनी की कार्य प्रणाली प्रभावित हो सकती है। इसके सुचारु रूप से कार्य करने में बाधा आ सकती है।
3. रक्त धमनियों में कोलेस्ट्रॉल का जमना (Accumulation of Cholesterol in Arteries)- यदि सैच्युरेटेड फैट शरीर में इकट्ठा होने लगे तो रक्त धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमने लगता है। फिर रक्त धमनियां संकुचित हो जाती हैं और रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है।
4. हृदय रोग का खतरा (Risk of Heart Disease)- फैट के कारण मोटापा और रक्त धमनियों में कोलेस्ट्रॉल का जमना, हृदय से जुड़ी बीमारियों को दावत देते हैं। हार्ट अटैक का खतरा बना रहता है।
5. कैंसर की संभावना (Possibility of Cancer)- पॉलीअनसैच्युरेटेड फैट के अधिक सेवन करने से कुछ प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
फैट की कमी के प्रभाव – Effects of Fat Deficiency
शरीर में फैट की अधिकता के तो नुकसान होते ही हैं लेकिन यदि शरीर में इसकी कमी हो जाए तो भी शरीर पर इसके बुरे प्रभाव पड़ते हैं। फैट की कमी ने होने वाले रोग/प्रभाव निम्न प्रकार हैं –
1. शरीर में फैट की कमी का सबसे बड़ा और प्रमुख प्रभाव यह है कि व्यक्ति सूखता चला जाता है, उसका मांस कम होता जाता है और अंततः अस्थि पिंजर बनकर रह जाता है।
2. फैट में कमी आते रहने पर व्यक्ति का वजन भी कम होता चला जाता है।
3. थकावट रहने लगती है और कमजोरी महसूस होती है।
4. बालों की जड़ें कमजोर हो जाती हैं जिससे बाल रोजाना झड़ते हैं।
5. त्वचा में ड्राईनेस आ जाती है जिससे पपड़ी जमने या अन्य विकार उत्पन्न होने लगते हैं जैसे कि लाल-लाल दाने बनना।
6. त्वचा पर सूजन आने लगती है।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको फैट के बारे में विस्तार से जानकारी दी। फैट क्या है, फैट की अधिकता और कमी, फैट की मात्रा, फैट के प्रकार, फैट के स्रोत, फैट के कार्य और फैट के फायदे, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से फैट की अधिकता के प्रभाव बताए और फैट की कमी के प्रभाव भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।
Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।