स्वागत है हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, आज का आर्टिकल बच्चों के स्वास्थ से संबंधित है। बच्चों की त्वचा अधखिले फूल की पंखुड़ियों के समान नाजुक होती है विशेषकर शिशुओं और दस, बारह साल की उम्र तक छोटे बच्चों की। बहुत ही नरम बहुत ही कोमल और बेहद संवेदनशील। इनकी त्वचा को किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचाने की पहली प्राथमिकता होती है। बच्चों की त्वचा में आयु बढ़ने के साथ-साथ बदलाव भी होते रहते हैं, उसी के अनुसार उनकी त्वचा के लिये उत्पाद भी उपयोग में लाए जाते हैं। बच्चों की त्वचा की देखभाल करना कहने और सोचने में बहुत आसान लगता है मगर वास्तव में यह जटिल काम है। बच्चे सबसे ज्यादा उछल-कूद डायपर या निक्कर पहनने में करते हैं। मां के ये छक्के छुड़ा देते हैं। बच्चों की त्वचा की देखभाल बहुत सावधानी से करनी पड़ती है ताकि उनकी त्वचा को कोई नुकसान ना हो जाए या उनको चोट ना लग जाए। मगर देखभाल करें कैसे? दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “बच्चों की त्वचा की देखभाल कैसे करें”।
देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको बच्चों की त्वचा की देखभाल के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि बच्चों की त्वचा से संबंधित और क्या-क्या पहलू होते हैं। तो, सबसे पहले जानते हैं कि नवजात शिशु की त्वचा कैसी होती है। फिर बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।
नवजात शिशु की त्वचा – Newborn Baby Skin
दोस्तो, बच्चा जब जन्म लेता है तो उस समय उसकी त्वचा लाल/गुलाबी होती है और कुछ सप्ताह तक इसमें बदलाव होते रहते हैं। त्वचा से पपड़ी निकलती रहती है। वस्तुतः यह पपड़ी वेरनिक्स (Vernix) होती है जोकि एक मोटी परत होती है। यह मोटी परत बच्चे को गर्भ में एमनियोटिक द्रव (Amniotic fluid) से बचाती है। गर्भ में शिशु कई प्रकार के द्रवों से कवर किया हुआ होता है।
इन द्रवों में एमनियोटिक द्रव, बल्ड तथा वेरनिक्स सम्मलित होते हैं। शिशु की त्वचा से वेरनिक्स पपड़ी उतरने के बाद सामान्य त्वचा दिखाई देती है। परन्तु सामान्य त्वचा में भी वातावरण और तापमान के अनुसार परिवर्तन होना स्वाभाविक होता है। उदाहरण के तौर पर ठंडे प्रदेश में रहने वाले बच्चे का रंग गर्म प्रदेश में आने पर गोरे से सांवला पड़ सकता है।
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बच्चे का डायपर – Baby Diaper
बच्चों को डायपर से यद्यपि कोई तकलीफ़ नहीं होते बशर्ते कि डायपर सही साइज का हो। कभी-कभी डायपर त्वचा पर गढ़कर निशान बना देता है या कभी रैशेज भी पड़ जाते हैं जिनसे कोई विशेष परेशानी नहीं होती। गलत साइज का और खराब गुणवत्ता वाला डायपर जरूर त्वचा को दुख दे सकता है। इसलिए बच्चे का डायपर सही साइज का चुनें और उसकी गुणवत्ता भी अच्छी होनी चाहिए।
बच्चे की त्वचा की देखभाल के लिए बच्चे को हमेशा डायपर में ही ना रखें। कभी उसे खुला भी छोड़ें या ढीला-ढाला निक्कर या कच्छी पहनाएं इससे वह बंधा-बंधा सा महसूस नहीं करेगा। गीला या गंदा डायपर पहनाने की गलती ना करें। इससे त्वचा संक्रमित हो सकती है। समय-समय पर डायपर चेक करते रहना चाहिए और बदलना चाहिए। डायपर बदलने से पहले बच्चे की त्वचा पर बेबी पाउडर लगा देना चाहिए ताकि डायपर वाला स्थान ठीक से सूख जाए।
बच्चे के मल-मूत्र से सफ़ाई – Cleaning from Child’s Feces and Urine
दोस्तो, कुछ ही दिनों के शिशु दिन में लगभग दस बार मूत्र विसर्जन करते हैं और चार, पांच बार मल त्याग करते हैं। उनको बार-बार पानी से धोना संभव नहीं हो पाता। इसलिए बेहतर होगा कि उनको कॉटन को पानी में डुबोकर साफ़ किया जाए। सख्त कपड़े का इस्तेमाल ना करें क्योंकि इससे शिशु की त्वचा छिल सकती है।
आप इसके लिए शुद्ध वॉटर वाइप्स इस्तेमाल कर सकते हैं। ये वॉटर वाइप्स 100% सुरक्षित माने जाते हैं। सिंथेटिक वाइप्स का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि इनसे एलर्जी होने की संभावना हो सकती है। बड़े शिशुओं और बच्चों की सफाई सादा पानी और साबुन से कर सकते हैं।
बच्चों की मालिश – Baby Massage
बच्चों की मालिश त्वचा की देखभाल, रक्षा और स्वास्थ का महत्वपूर्ण हिस्सा है। मां द्वारा बच्चे की मालिश करने से मां और बच्चे के बीच भावनात्मक रिश्ता और गहरा बनता है। बच्चे की मालिश नहलाने से लगभग आधा घंटा पहले करनी चाहिए ताकि त्वचा, तेल को अच्छी तरह सोख सके। बहुत छोटे शिशुओं की मालिश सप्ताह में तीन बार और बड़े शिशुओं और बच्चों की मालिश रोजाना करनी चाहिए।
मसाज के लिए रसायन युक्त, खुश्बूदार तेलों को अवॉइड करना चाहिए क्योंकि ये बच्चे की त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इनके स्थान पर बादाम तेल, नारियल तेल, जैतून का तेल अथवा बाजार में उपलब्ध आयुर्वेदिक तेलों का उपयोग करना चाहिए। मालिश करने से बच्चे की मांसपेशियां बलिष्ठ बनती हैं और हड्डियों को मजबूती मिलती है और हड्डियों का विकास होता है। सर्दियों में बच्चे की मालिश करके उसे थोड़ी देर धूप में लिटा दें ताकि उसे प्राकृतिक विटामिन-डी प्राप्त हो सके।
बच्चे का स्नान – Baby Bath
कुछ शिशु और छोटे बड़े बच्चे नहाने को बहुत एन्जॉय करते हैं तो कुछ बहुत रोते हैं जरूरत है पानी के तापमान और बच्चे की सहनशीलता को समझने की। बच्चा पानी के कैसे तापमान को पसंद कर एन्जॉय करता है उसी के अनुसार बच्चे को नहलाएं। यह भी समझने की जरूरत है कि बच्चे की तबियत खराब तो नहीं है। खराब तबियत में नहलाने से बच्चा रोएगा ही रोएगा।
एक वर्ष तक के बच्चे को रोजाना नहलाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि बच्चे को रोजाना नहलाने से उसकी त्वचा का प्राकृतिक तेल सूख सकता है जिससे त्वचा शुष्क हो जाती है। त्वचा में नमी बनाए रखने के लिए बच्चे को सप्ताह में केवल तीन बार नहलाना चाहिए। एक बात और ध्यान देने योग्य है कि बच्चे को नहलाने के लिए आयुर्वेदिक सौम्य साबुन (mild soap) या आंसू रहित बॉडी वॉश का इस्तेमाल करना चाहिए। प्राकृतिक जड़ी-बूटियों तथा आवश्यक तेल युक्त बेबी शैम्पू और कंडीशनर का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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बच्चे का तौलिया – Baby Towel
अब बारी आती है बच्चे के तौलिये की जोकि बच्चे के लिये अति आवश्यक कपड़ा है। बच्चे का तौलिया अलग ही होना चाहिए किसी और के तौलिये का उपयोग नहीं करना चाहिए। किसी और के तौलिये का उपयोग करने से बच्चे की त्वचा संक्रमित हो सकती है।
बच्चे का तौलिया ऐसा होना चाहिए जो बहुत मुलायम (Soft) हो ताकि बच्चे को ना चुभे। साथ ही यह तौलिया ऐसा होना चाहिए जो त्वचा से पानी को जल्दी सोख ले। इसके लिए आपको अच्छी गुणवत्ता वाले सूती अथवा Micro Fiber वाले तौलिया खरीदने चाहिएं।
बच्चे का पाउडर – Baby Powder
आजकल बाजार में बच्चों के लिए तरह-तरह के खुशबुदार पाउडर चल रहे हैं जिनमें रसायन मिले होते हैं। ऐसे पाउडर्स का भरोसा नहीं किया जा सकता। इसलिए बच्चे के लिए हर्बल पाउडर का ही उपयोग करना चाहिए। यह बच्चे को गर्मियों में घमौरियों से बचाएगा और शरीर को ठंडा भी रखेगा।
इसे नैपी के स्थान पर भी लगा सकते हैं वहां की त्वचा रगड़ खाने पर भी लाल नहीं होगी। हर्बल पाउडर बच्चे को त्वचा संक्रमण से भी बचाएंगे। यह पाउडर 12 वर्ष तक के बच्चों के लिए भी विशेष फायदेमंद है क्योंकि बड़े बच्चे खेलने के लिए बाहर भी जाते हैं।
बच्चे के बालों का तेल – Baby Hair Oil
दोस्तो, बच्चे के बालों का तेल भी अलग होना चाहिए। नारियल तेल छोटे, बड़े सभी के लिए उत्तम होता है। नारियल तेल के अलावा आप हल्के अवयवों (light ingredients) वाले आयुर्वेदिक हेयर ऑयल का इस्तेमाल खोपड़ी की मालिश करने के लिए कर सकते हैं। इससे बच्चे के मूड खुशनुमा हो जाता है। नारियल तेल अथवा आयुर्वेदिक तेल से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं तथा ये तेल बालों के विकास में सहायक होते हैं।
बच्चे का कंघा – Baby Comb
बच्चे को नहला भी दिया, सिर में तेल भी लगा दिया, अब बारी आती है बाल काढ़ने की तो ये समझिए कि तौलिया के समान कंघा भी किसी और का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए ताकि सिर की त्वचा के संक्रमण से बचा जा सके। किसी और का कंघा इस्तेमाल करने से डैंड्रफ, जूँएं होने का खतरा रहता है।
इसलिए बच्चे का कंघा भी अलग होना चाहिए। बच्चे के कंघे की दांते मोटे होने चाहिएं। बारीक दांते नहीं, बारीक दांते सिर की त्वचा में चुभते हैं। बच्चे के कंघे को किसी और के साथ शेयर नहीं करना चाहिए।
रैशेज से बचाव – Rash Prevention
छोटे बच्चों, विशेषकर शिशुओं की त्वचा पर डायपर या अन्य कारण से अक्सर रैशेज पड़ जाना सामान्य समस्या है। रैशेज पड़ जाने पर त्वचा पर खुजली लगती है और जलन भी होती है। बच्चे को इस सबसे छुटकारा दिलाने के लिए हर्बल क्रीम का ही इस्तेमाल करना चाहिए। प्राकृतिक डस्टिंग पाउडर का इस्तेमाल जलन और खुजली से राहत पाने के लिए किया जा सकता है।
बच्चे के नाखून काटना – Cutting Baby’s Nails
बच्चे के नाखून काटना बहुत टेढ़ी खीर है। मगर काटने भी जरूरी हैं क्योंकि बच्चा औरों के साथ-साथ अपनी ही त्वचा को नाखून से घायल कर देता है। बच्चे के नाखून काटने के लिये कभी भूल कर भी ब्लेड या साधारण नेल कटर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि इनसे बच्चे की उंगली की त्वचा कटने का खतरा रहता है। इसलिये बच्चे के नाखून काटने के लिये बेबी नेल क्लीपर या छोटी कैंची का ही उपयोग करें और उंगली को मजबूती से पकड़ कर रखें।
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बच्चों की त्वचा की देखभाल कैसे करें? – How to take Care of Children’s Skin?
दोस्तो, बच्चों की त्वचा की देखभाल करना जटिल जरूर है मगर असंभव नहीं। बच्चो की त्वचा की देखभाल का मतलब सिर्फ़ त्वचा से ही नहीं है बल्कि त्वचा से जुड़े बहुत सारे पहलू होते हैं जिनका सीधा प्रभाव त्वचा पर पड़ता है। इनमें बच्चे की मसाज करना, नहलाना, सिर में तेल लगाना, डायपर बदलना, कपड़े पहनाना, त्वचा से संबंधित उत्पाद आदि शामिल होते हैं। इनका जिक्र हम ऊपर कर चुके हैं। यहां हम बता रहे हैं कुछ निम्नलिखित टिप्स जिनको आप फोलो करके बच्चों की त्वचा की देखभाल कर सकते हैं –
1. सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि विशेष रूप बच्चे के माता-पिता के हाथों की त्वचा मुलायम हो ताकि बच्चे की त्वचा पर ना चुभे क्योंकि सबसे ज्यादा बच्चा अपने माता-पिता के संपर्क में रहता है। बच्चे के अन्य बड़े संबंधी जैसे कि दादा, दादी, ताऊ आदि भी इस बात का ध्यान रखें।
2. कोई भी सदस्य जब भी बच्चे को गोद में ले, तो सबसे पहले वह अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोए ताकि कीटाणु बच्चे की त्वचा पर ना जाने पाए। इससे बच्चे की त्वचा पर संक्रमण नहीं होगा।
3. बच्चे के समय-समय पर नाखून काटते रहें।
4. सुनिश्चित करें कि बच्चे के माता-पिता व परिवार के अन्य सदस्यों के हाथों के नाखून भी कटे हुए हों।
5. बच्चे को हमेशा साफ़ और ढीले कपड़े पहनाएं। टाइट कपड़ों त्वचा पर कई जगह गढ़ जाते हैं जिससे निशान बन जाते हैं और वहां खुजली होने लगती है।
6. बच्चों को इस प्रकार के कपड़े पहनाएं कि उनका अधिकतर शरीर ढका रहे ताकि मच्छर ना काट सकें। वैसे भी मच्छरों से बचाने के लिये बच्चे के कपड़े पर जगह, जगह मॉस्किटो फेब्रिक रोल ऑन की दो, तीन बूंद लगा दें। इसकी गंध से मच्छर बच्चे के पास नहीं आएंगे।
7. बच्चा हर वस्तु को मुंह में डालते हैं। इसलिये ध्यान रखें कि बच्चा कोई गंदी वस्तु को मुंह में ना डाले। इससे संक्रमण होने का खतरा रहता है जिससे त्वचा विकार भी हो सकता है।
8. बच्चे को खिलौने भी साफ़ करके दें। नीचे गिर जाए तो फिर से धोकर साफ़ कर के दें।
9. बच्चा जब बैठने लगता है और घुटनों के बल चलने लगता है तो वह गोदी में नहीं रहता। उसका अधिकतर समय जमीन पर गुजरता है। इसलिए फर्श पर डिटॉल या लाइजोल जैसे कीटाणुनाशकों से दिन में दो, तीन बार पोछा लगाएं।
10. बच्चे का बिस्तर भी एकदम साफ़-सुथरा होना चाहिए।
11. चाकू, छुरे, नुकीली वस्तुओं, दवाओं आदि को बच्चे की पहुंच से दूर रखें।
12. गर्मियों में बच्चे को सूरज के रोशनी से बचाएं। क्योंकि इससे सनबर्न की समस्या हो सकती है तथा सूरज की घातक अल्ट्रा वायलेट किरणें बच्चे की त्वचा को नुकसान पहुंचा सकती हैं। बच्चे को बाहर लेकर जाना हो तो बच्चे को छतरी की छांव में रखें।
13. सर्दियों में बच्चे की मालिश करके कुछ देर सूरज की धूप में लिटाएं। इससे बच्चे की त्वचा को प्राकृतिक रूप से विटामिन-डी मिल जाएगा।
14. एक बात का विशेष ध्यान रखें कि जब भी आप चाय, कॉफी आदि गर्म पेय पदार्थ पीएं तो बच्चे को बहुत दूर रखें। गर्म पेय पदार्थ पीते समय बच्चे को गोद में लेने की गलती तो भूल कर भी ना करें।
मैंने (इस आर्टिकल का लेखक), खुद देखा है कि कैसे बहुत छोटे बच्चे ने झपट्टा मार कर चाय गिरा दी और वह गिरती हुई चाय बच्चे के सीने पर जाकर पड़ी। बच्चा बुरी तरह घायल हो गया था। उसे तुरन्त अस्पताल ले गए और इलाज चला। बच्चे को ठीक होने में बहुत समय लगा था।
15. बच्चे का सिर का तेल, मालिश करने वाला तेल, पाउडर तथा अन्य वस्तुएं रसायन युक्त नहीं होनी चाहिएं। बच्चे के काम आने वाले सभी उत्पाद हर्बल उत्पाद (Herbal products) होने चाहिएं।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको बच्चों की त्वचा की देखभाल के बारे में विस्तार से जानकारी दी। नवजात शिशु की त्वचा, बच्चे का डायपर, बच्चे के मल-मूत्र से सफ़ाई, बच्चों की मालिश, बच्चे का स्नान, बच्चे का तौलिया, बच्चे का पाउडर, बच्चे के बालों का तेल, बच्चे का कंघा, रैशेज से बचाव और बच्चे के नाखून काटना, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से बच्चों की त्वचा की देखभाल के लिये बहुत सारे टिप्स भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
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