स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, बच्चों की देखभाल समुचित देखभाल अपने आप में बहुत बड़ा काम है। बच्चे बहुत नाजुक होते हैं और उनका शरीर बहुत कोमल। उनको हर पल देखभाल की जरूरत होती है। जहां तक इनके स्वास्थ की बात है तो समझिए कि बच्चों को दस्त लगना एक सामान्य स्थिति है जो कि एक या दो दिन में अपने आप ठीक हो जाते हैं। बच्चों का मल अधिकतर पीले रंग का और नरम होता है परन्तु इसमें कभी-कभी परिवर्तन भी होता है जैसे लाल, काला या हरा, यह भी एक सामान्य बात है। परन्तु दस्त होने पर बच्चों का मल अक्सर हरे रंग का हो जाता है, इसके कई कारण होते हैं। आखिर ये हरे दस्त क्या होते हैं? और क्या इनके घरेलू उपाय हैं। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “बच्चों को हरे दस्त के घरेलू उपाय”।
देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको बच्चों के दस्त के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा इससे राहत पाने के घरेलू उपाय क्या हैं। तो, सबसे पहले जानते हैं कि बच्चों में दस्त क्या होता है और बच्चों के हरे दस्त क्या होते हैं? फिर इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।
बच्चों में दस्त क्या होता है? – What is Diarrhea in Children?
बच्चे बहुत ही नाजुक होते हैं। वे छः महीने तक पूरी तरह मां के दूध पर या फॉर्मूला मिल्क पर निर्भर करते हैं। इसलिये उनका पाचन तंत्र भी बेहद संवेदनशील होता है। नवजात शिशु तो और भी अधिक नाजुक होते हैं। वे एक दिन, तीन दिन या पांच दिन में 15 से 20 बार तक मल त्याग करते हैं यानि औसतन एक दिन में पांच बार।
शिशु मल त्याग कितनी बार करता है यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि वह मां का दूध पी रहा है या फॉर्मूला मिल्क या दोनों ही। बच्चे दिन में कई बार भी मल कर सकते हैं मगर उनका वजन कम नहीं होना चाहिए। कई बार शिशु हर बार स्तनपान करने के बाद ही मल त्याग कर देते हैं क्योंकि उनका पेट भरने पर दूध, शिशु आंत्र प्रणली को उत्तेजित कर देता है। कई बार बच्चों को एक सप्ताह तक भी मल त्याग की इच्छा नहीं होती, मगर जब करते हैं तो फिर भी उनका मल नरम ही होता है।
जब बच्चा सामान्य से अधिक यानि दिन में पांच बार से अधिक मल त्याग करने लगे, उसकी व्याकुलता बढ़ती जाए और ज्यादातर रोता ही रहे तो इसी को दस्त कहा जाएगा। इसके और लक्षणों का जिक्र हम आगे करेंगे। बच्चों में दस्त अक्सर एक या दो दिन तक बना रहता है। यदि अधिक दिन हो जाएं तो इसे गंभीर स्थिति का संकेत समझना चाहिए।
बच्चों के हरे दस्त क्या होते हैं? – What are Green Stools in Children?
शिशु जन्म के बाद सामान्यतः पीले रंग का मल त्याग करते हैं जो कि नरम और पतला होता है। कई बार मल का रंग काला, लाल या हरा भी हो सकता है, यह सामान्य बात है। कभी-कभी बच्चों में डिहाइड्रेशन की समस्या हो जाती है जिसकी वजह से मल का रंग हरा हो सकता है। फॉर्मूला दूध पीने वाले लगभग 50 प्रतिशत बच्चों का मल अधिकतर हरे रंग का, बदबूदार और कुछ ठोस होता है।
बच्चों के मल का कोई भी रंग हो, कोई दिक्कत नहीं है। परन्तु मल त्याग करने की बढ़ती प्रक्रिया और घटता वजन को बच्चे को दस्त होना कहलाता है। बच्चे को दस्त होने पर अक्सर मल झागदार हो जाता है और इसका रंग हरा होता है। यह पानी की तरह पतला होता है। कभी-कभी यह बहुत तेज आवाज के साथ इधर-उधर छींटे मारते हुए बाहर निकलता है। बच्चों के हरे रंग के मल के कई कारण होते हैं जिनका जिक्र हम आगे करेंगे।
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बच्चों के दस्त के प्रकार – Types of Diarrhea in Children
बच्चों के दस्त को निम्नलिखित दो भागों में बांटा जा सकता है –
1. अल्पकालिक (Short Term)- सामान्यतः बच्चों में दस्त एक या दो दिन तक रहते हैं और अधिकतर अपने आप ठीक भी हो जाते हैं। ये बैक्टीरियल इंफैक्शन, वायरस, मां के अनुचित खानपान, दूषित जल या आहार के कारण होते हैं।
2. दीर्घकालिक (Long Term)- ये दस्त कई दिनों या हफ्तों तक रह सकते हैं। यह एक गंभीर स्थिति हो सकती है या होती है। इसमें डॉक्टर के पास जाने की जरूरत होती है कई बार बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराने की भी नौबत आ सकती है। यह समस्या अधिकतर आंतों की समस्या की वजह से होती है।
बच्चों को दस्त लगने के कारण – Causes of Diarrhea in Children
बच्चों को दस्त लगने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं –
- बच्चों को सर्दी, जुकाम होने पर।
- मां के गलत और असंतुलित खानपान।
- बैक्टीरियल इंफैक्शन, दूध की बोतल, खिलौना आदि से।
- आहार पचाने में दिक्कत।
- आंतों से संबंधित समस्या (inflammatory bowel disease)।
- पेट तथा आंत के कार्य प्रणाली में समस्या (functional bowel disorders)।
- पैरासाइट्स (भोजन, पानी के माध्यम से शरीर के अंदर चले जाना)
- दांत निकलने पर कुछ बच्चों को दस्त लग जाते हैं।
बच्चों को दस्त लगने के लक्षण – Symptoms of Diarrhea in Children
बच्चों को दस्त लगने पर निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं –
- बार-बार पतला मल करना यह दस्त लगने का मुख्य कारण है।
- बच्चे को बुखार भी हो सकता है।
- उल्टी भी हो सकती है।
- जीभ सूखना।
- अधिक प्यास लगना।
- मुंह कुंभला जाना।
- लगातार रोना।
- आंखे धंसना।
- शरीर में कमजोरी, यहां तक कि दस्त होने पर इनमें खड़े होने की ताकत नहीं रहती।
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बच्चों के हरे मल के कारण –
यह जरूरी नहीं है कि बच्चों को दस्त लगने पर ही हरे रंग का मल आए, बिना दस्त के भी बच्चे का मल हरे रंग का हो सकता है। इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं –
1. फोरमिल्क और हिंडमिल्क का असंतुलन (Imbalance of Foremilk and Hindmilk)- मां यदि स्तन को बीस मिनट से पहले बदल-बदल कर बच्चे को दूध पिलाती है तो इसका मतलब है कि बच्चा ज्यादा हाई शुगर वाले अग्रदूध (foremilk) और कम उच्च वसा वाले हिंडमिल्क को ग्रहण कर रहा है। परिणाम स्वरूप बच्चे का मल झागदार और हरे रंग का हो सकता है। यहां हम स्पष्ट कर दें कि स्तनपान कराते समय शुरुआत में स्तन से जो दूध आता है उसे फोरमिल्क कहते हैं तथा जो दूध अंत में आता है, उसे हिंडमिल्क कहा जाता है।
फोरमिल्क में पानी की मात्रा अधिक होती है, इसका वॉल्यूम भी ज्यादा होता है, परन्तु वसा कम होती है। जैसे-जैसे स्तनपान बढ़ता जाता है स्तन में वसा धीरे-धीरे बढ़ने लगती है और उसका वॉल्यूम कम होता चला जाता है। स्तनपान के आखरी दौर में वसा बढ़ जाती है जिसे हिंडमिल्क कहते हैं। फोरमिल्क और हिंडमिल्क के असंतुलन का जिक्र हम आगे करेंगे।
2. आयरन सप्लीमेंट्स (Iron Supplements)- यदि बच्चा स्तनपान भी करता है और फॉर्मूला मिल्क भी ले रहा है या केवल फॉर्मूला मिल्क ही ले रहा है तो इन स्थितियों में फॉर्मूला मिल्क में मौजूद आयरन की मात्रा से बच्चे के मल का रंग हरा हो सकता है।
3. आंत की समस्या (Bowel Problems)- यदि बच्चे को आंतों से संबंधित कोई समस्या है तो मल का रंग हरा हो जाएगा।
4. पेट का संक्रमण (Stomach Infection)- दूध की बोतल, खिलौने, कपड़े आदि से बैक्टीरिया पेट में चले जाते हैं। इसी प्रकार पैरासाइट्स भी भोजन, पानी के जरिए शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं। इन सब के कारण बच्चे का पेट खराब हो जाता है, उसे दस्त लग जाते हैं। इस वजह से बच्चे के दस्त का रंग हरा हो जाता है।
फोरमिल्क और हिंडमिल्क का असंतुलन क्या है? – What is an Imbalance of Foremilk and Hindmilk?
स्तनों में दूध की मात्रा इतनी ज्यादा है कि बच्चा आराम से पी नहीं पाता है तो दूध की आपूर्ति धीरे-धीरे कम होती चली जाती है ताकि बच्चे की आवश्यकता के साथ का समन्वय (coordination) बैठ सके। कुछ बच्चों को फोरमिल्क कुछ ज्यादा ही मिल जाता है जिसमें लैक्टोज अधिक होता है।
इसी को फोरमिल्क और हिंडमिल्क का असंतुलन कहते हैं। यदि किसी महिला के स्तनों में दूध की आपूर्ति एकदम ठीक है मगर वह बच्चे का पेट भरने से पहले ही दूध से हटा देती है या एक स्तन से हटाकर दूसरे स्तन को पिलाती है तो यह भी फोरमिल्क और हिंडमिल्क का असंतुलन कहलाएगा।
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बच्चों को हरे दस्त के घरेलू उपाय – Home Remedies for Green Diarrhea in Babies
बच्चों के दस्त के घरेलू उपायों को हम दो भागों में विभाजित करेंगे – पहले छः महीने की आयु तक के बच्चों के लिये और दूसरे छः महीने से अधिक आयु वर्ग के बच्चों के लिये। विवरण निम्न प्रकार है –
1. छः महीने तक आयु वाले बच्चे –
(i) मां का दूध या फॉर्मूला मिल्क (Breast Milk or Formula Milk)- छः महीने से कम आयु वाले शिशुओं को दस्त लग जाने पर केवल मां का दूध या डिब्बा बंद (Formula Milk) ही दिया जाना चाहिए। यदि बच्चे की हालत में सुधार नहीं होता तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
(ii) केला (Banana)- छः महीने की आयु वाले बच्चे को केले को अच्छी तरह मसल कर खिला सकते हैं। केले में मौजूद फाइबर, मल को बांधने अर्थात् सख्त करने का काम करता है। जब भी बच्चे को मल आए, मां अपना दूध पिलाए या फॉर्मूला दूध पिलाए। डॉक्टर से सलाह लेकर ओआरएस भी पिला सकते हैं।
(iii) चावल का पानी (Rice Water)- छः महीने की आयु तक के बच्चे को दस्त लगने पर, डॉक्टर की सलाह पर चावल का पानी पिलाया जा सकता है। दस्त लगने पर शरीर में पानी की कमी होना स्वाभाविक है। चावल का पानी शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है जिससे मल कम बनता है।
2. छः महीने से अधिक आयु के बच्चे के लिए –
(i) दही (Curd)- यदि बच्चा सात महीने का है और उसे दस्त लग गए हैं तो बच्चे को सादा दही खिलाई जा सकती है। दही में मौजूद प्रोबायोटिक पेट में अच्छे वाले बैक्टीरिया को बनाने का काम करते हैं जो कि पेट की समस्याओं से राहत दिलाते हैं। बच्चे को दही की सादा लस्सी या छाछ भी पिलाई जा सकती है। प्रोबायोटिक्स, संक्रमण से उत्पन्न दस्त को ज्यादा से ज्यादा दो दिन में खत्म कर देंगे।
(ii) नारियल पानी (Coconut Water)- आठ महीने के शिशु को नारियल का पानी पिलाया जा सकता है। यह शरीर में पानी की कमी नहीं होने देगा, प्राकतिक नमक की पूर्ति और शरीर में एनर्जी बनाए रखेगा। शिशु को दिन में तीन बार एक-एक चम्मच नारियल पानी पिला सकते हैं। इसके विटामिन और खनिज शिशु को स्वास्थ लाभ पहुंचाएंगे।
(iii) दाल का पानी (Lentil Water)- डॉक्टर भी दस्त होने पर दाल का पानी पिलाने की सलाह देते हैं। इसके लिए प्रोटीन से भरपूर मूंग की दाल अच्छी मानी जाती है। इससे पाचन प्रणाली स्वस्थ रहती है। इसे पिलाने से बच्चे के दस्त ठीक हो जाएंगे। इसके लिए बिना छिलके वाली मूंग की दाल को पकाएं, इसमें हल्का सा नमक डालें।जब अच्छी तरह पक जाए तो इसका पानी ठंडा करके पिलाएं। एक-एक चम्मच दिन में तीन-चार बार पिला सकते हैं।
(iv) छाछ (Chhachh)- यदि बच्चा आठ महीने से ज्यादा का है तो उसे दस्त होने पर छाछ पिला सकते हैं मगर आठ महीने से कम आयु वाले बच्चे को नहीं। छाछ प्रोबायोटिक होती है जो पेट में अच्छे बैक्टीरिया पैदा करती है। ये बैक्टीरिया संक्रमण के विरुद्ध लड़कर पेट की बीमारियों से छुटकारा दिलाते हैं। यह पाचन-तंत्र को भी सही रखती है। बच्चे की छाछ में हल्का सा नमक और काली मिर्च पाउडर डाल सकते हैं। ध्यान रहे कि छाछ ताजा होनी चाहिए।
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(v) नींबू पानी (Lemonade)- यदि बच्चा एक वर्ष से कम है तो दस्त होने पर उसे एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर पिलाएं, इसमें नमक या चीनी कुछ भी ना मिलाएं। नींबू पानी से, पैथोजीन जो दस्त पैदा करते हैं, खत्म हो जाते हैं और बच्चे को आराम लग जाता है। इससे आंतों में भी आराम लगता है। यदि बच्चा एक वर्ष से अधिक है तो उसके नींबू पानी में नमक या चीनी मिला सकते हैं।
(vi) नींबू और अदरक का रस (Lemon and Ginger Juice)- अदरक के एक छोटे से टुकड़े को पीस कर साफ कपड़े में रख कर इसे अच्छी तरह दबा कर रस निकाल लें। गुनगुने पानी में अदरक का रस, नींबू का रस मिलाकर, हल्का सा नमक मिलाकर बच्चे को पिलाएं। इससे दस्त में आराम लग जाएगा। अदरक में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण संक्रमण को खत्म कर देंगे। इससे आंतों की मांसपेशियों को भी ताकत मिलेगी।
(vii) जीरा पानी (Cumin Water)- जीरा पानी पाचन तंत्र को सुधारने, भूख बढ़ाने का काम करता है और साथ ही दस्त को रोकने का भी काम करता है। यह एक प्रकार से ओआरएस के समान कार्य करता है। इसके लिए पानी में जीरा डालकर अच्छी तरह उबालें और इसे ठंडा कर लें। इस ठंडे जीरा पानी को बच्चे को पिलाएं, दस्त रुक जाएंगे।
(viii) दही चावल (Curd Rice)- दही चावल एक सुपाच्य भोजन है जो जल्दी से पच जाता है। यह भूख भी बढ़ाता है और पाचन तंत्र को भी सही रखता है। बच्चे को दस्त लग जाने पर चावल पका कर इसमें दही को अच्छी तरह मिलाकर, खिलाएं। इसमें हल्का सा नमक भी मिला लें। इससे बच्चे का पेट भर जाएगा, शरीर में ताकत भी बनी रहेगी और दस्त भी बंद हो जाएंगे।
(ix) सेब (Apple)- सेब आसानी से पचने वाला फल है। इसमें मौजूद पेक्टिन पेट की समस्याओं को खत्म करने में मदद करता है। यह दस्त को भी खत्म करने में मदद करता है। बच्चे को दस्त हैं या नहीं, उसके भोजन में सेब को शामिल करें। उसे एक सेब रोजाना खिलाएं। इससे बच्चे का पेट भी ठीक रहेगा और उसमें ताकत भी आएगी।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको बच्चों को हरे दस्त के घरेलू उपाय के बारे में विस्तार से जानकारी दी। बच्चों में दस्त क्या होता है?, बच्चों के हरे दस्त क्या होते हैं, बच्चों के दस्त के प्रकार, बच्चों को दस्त लगने के कारण, बच्चों को दस्त लगने के लक्षण, बच्चों के हरे मल के कारण और फोरमिल्क और हिंडमिल्क का असंतुलन क्या है, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से बच्चों के हरे दस्त के बहुत सारे घरेलू उपाय भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
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