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वल्वर कैंसर क्या है? – What is Vulvar Cancer in Hindi

वल्वर कैंसर क्या है?

स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो आज हम लेकर आये हैं एक ऐसा टॉपिक जो केवल महिलाओं से संबंधित है। आपको याद होगा कि हमने पहले के आर्टिकल में बताया है कि 200 से अधिक प्रकार के कैंसर में कुछ केवल पुरुषों के कैंसर होते हैं, कुछ महिलाओं के होते हैं और कुछ महिला और पुरुष दोनों के। महिलाओं के कैंसर की कड़ी को आगे बढ़ाते हुऐ आज हम बताएंगे आपको “वल्वर कैंसर” के बारे में जो महिलाओं के जननांग के बाहर त्वचा पर होता है और मूत्रमार्ग को भी प्रभावित करता है। वास्तव में वल्वर कैंसर क्या है और इसका उपचार क्या है। यही है हमारा आज का टॉपिक “वल्वर कैंसर क्या है?”

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आपको वल्वर कैंसर के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसका उपचार क्या है और इससे बचाव के उपाय क्या हैं?। तो, सबसे पहले जानते हैं कि वल्वर कैंसर क्या है और इसके प्रकार। फिर इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे। 

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वल्वर कैंसर क्या है?
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वल्वर कैंसर क्या है? – What is Vulvar Cancer

वल्वर कैंसर (Vulvar cancer) महिलाओं के जननांग (योनि) के बाहरी भाग में त्वचा पर होने वाला कैंसर है जो मूत्रमार्ग को भी कवर कर लेता है। यह सबसे अधिक लेबिया मेजा अर्थात् योनि के बाहरी बड़े, फूले हुए और दो मोटे होंठ जो बीच में फांक बनाते हैं, को प्रभावित करता है। इसे योनि कैंसर यानि वल्वा कैंसर भी कहा जाता है। इसमें योनि पर गांठ बन जाती है या घाव हो जाता है। इस वजह से खुजली होने लगती है। त्वचा में बदलाव, या योनि से रक्त बहना आदि लक्षण दिखाई देते हैं। 

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यहां हम स्पष्ट कर दें कि यह रक्त योनि के बाहर का होता है ना कि अंदर का मासिक धर्म वाला रक्त। सामान्यतः इस कैंसर की शुरुआत 45 वर्ष की उम्र के बाद होती है परन्तु यह अधिकतर वृद्ध महिलाओं में होता है। इतिहास बताता है कि वल्वर कैंसर ने लगभग 44,200 महिलाओं को प्रभावित किया था और सन् 2018 में वैश्विक स्तर पर 15,200 महिलाओं की मृत्यु हुई थी। इससे पहले सन् 2017 में 6,020 अमेरिकन महिलाओं में यह कैंसर डिटक्ट किया गया था जिनमें से 1,150 महिलाओं की मृत्यु हुई थी। 

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वल्वर कैंसर के प्रकार – Types of Vulvar Cancer

वल्वर कैंसर के प्रकार निम्नलिखित हैं –

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1. स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Squamous Cell Carcinoma) – यह त्वचा की बाहरी परत पर होने वाला  कैंसर है। शुरुआत में इसको समझना बहुत कठिन होता यह योनि, मूत्राशय, प्रोस्टेट, फेफड़ों, गर्भाशय ग्रीवा, होंठ, मुंह आदि को प्रभावित करता है। इसे शल्की इपिथेलियम एक घातक ट्यूमर कहा जाता है। 

2. वेरुकस कार्सिनोमा (Verrucous Carcinoma) – यह वस्तुतः स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा का ही एक असामान्य रूप है जो धीरे-धीरे विकसित होता है। यह उन लोगों को अधिक प्रभावित करता है जो तंबाकू चबाते हैं या सूंघते हैं। यह पुरुष के जननांग को अधिक प्रभावित करता है। इसके अतिरिक्त अंडकोष, योनि, स्वरयंत्र, अन्नप्रणाली, वायुकोशीय श्लेष्मा, मसूड़े, तालू आदि इससे प्रभावित होते हैं। 

3. बेसल-सेल कार्सिनोमा (Basal-cell Carcinoma) – यह त्वचा कैंसर का सबसे आम प्रकार का कैंसर है। यह  त्वचा पर दर्द रहित, उभरा हुआ क्षेत्र नजर आता है। यह त्वचा का प्रभावित क्षेत्र चमकदार हो सकता है तथा इसके ऊपर छोटी रक्त वाहिकाएं चलती हैं। यह धीरे-धीरे विकसित होता है और ऊतकों को नुकसान पहुंचाता है। 

4. एडेनोकार्सिनोमा (Adenocarcinoma) – यह एक ऐसा कैंसर है जो बलगम पैदा करने वाली ग्रंथियों की कोशिकाओं में उत्पन्न होता है। सामान्यतः यह ब्रेस्ट कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, अग्नाशय, कोलोरेक्टल और प्रोस्टेट कैंसर का कारण बनता है। 

5. मेलेनोमा कैंसर (Melanoma) – इस कैंसर को मैलीगनेंट (घातक) मेलेनोमा के नाम से भी जाना जाता है। यह वर्णक युक्त कोशिकाओं (Pigment-rich cells) से पनपता है जिनको मेलेनोसाइट्स कहते हैं। यह अधिकतर महिलाओं के पैरों और पुरुषों की पीठ पर होता है। मगर डार्क पैच, वल्वर मेलेनोमा (Vulvar melanoma) का संकेत दे सकते हैं फिर यह शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। इसे मेटास्टेसिस (Metastasis) कहा जाता है। 

6. सार्कोमा (Sarcoma) – यह एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है जो हड्डियों में और नरम ऊतकों में आरम्भ होता है। जब ऊतक एक दूसरे से आपस में जुड़ने लगते हैं तो वहीं से ट्यूमर बनने लगते हैं। इन्हीं ट्यूमर्स को सार्कोमा कहा जाता है। वस्तुतः यह हड्डियों का कैंसर है जो शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता है। एक महत्वपूर्ण बात यह है कि सार्कोमा 70 से भी अधिक प्रकार का होता है।

वल्वर कैंसर के चरण – Stages of Vulvar Cancer

वल्वर कैंसर को चरणों (stages) में विभाजित किया गया है। विवरण निम्न प्रकार है – 

1. पहला चरण (Stage 1) –  पहले चरण में ट्यूमर का अधिक फैलाव नहीं होता। इससे केवल वल्वा (Vulva) या वल्वा और पेरिनेम (Perineum) प्रभावित होता है। स्टेज 1 के 1(A) में ट्यूमर का आकार 2 सेमी होता है और गहराई 1 मिमी से ज्यादा नहीं होती। स्टेज 1 के 1(B) में ट्यूमर का आकार 2 सेमी से अधिक होता है और गहराई 1 मिमी से ज्यादा होती है। 

2. दूसरा चरण (Stage 2) – इसमें ट्यूमर मूत्रमार्ग, योनि या गुदा के निचले हिस्से तथा आस-पास के क्षेत्र में फैल जाता है परन्तु लिम्फ नोड्स या शरीर के अन्य भागों में नहीं फैला होता। यह किसी भी आकार का हो सकता है।

3. तीसरा चरण (Stage 3) – इसमें कैंसर मूत्रमार्ग, योनि, गुदा और ग्रोइन लिम्फ नोड्स जैसे आस-पास के ऊतकों में फैल चुका होता है। इस चरण के – 

3(A) में, लिम्फ नोड्स में 1 या 2 मेटास्टेस होते हैं जिनका आकार 5 मिमी से छोटा होता है या 1 मेटास्टेसिस होता है जिसका आकार 5 मिमी होता है। 

3 (B) में, लिम्फ नोड्स में 3 या अधिक मेटास्टेस होते हैं, जिनका आकार 5 मिमी से छोटा होता है, या 2 या ज्यादा मेटास्टेस होते हैं जो आकार में 5 मिमी के होते हैं।

3 (C) में, कैंसर पास के ऊतकों के साथ-साथ 1 या अधिक लिम्फ नोड्स और उनके आसपास के लिम्फ नोड कैप्सूल, या कवर तक फैल चुका होता है। 

4. चौथा चरण (Stage 4) – वल्वर कैंसर के चौथे चरण का मतलब है कि यह आंत (Bowel), मूत्राशय (Bladder) और मूत्रमार्ग (Urethra) तक फैल चुका है।  इस स्टेज के – 

4 (A) में,  कैंसर लिम्फ नोड्स में फैल चुका है और अल्सरेशन की वजह बना है अथवा यह लिम्फ नोड को इसके नीचे के ऊतक से जोड़ चुका है।

4. (B) में, यह कैंसर योनि के ऊपर तथा शरीर के अन्य हिस्सों को प्रभावित कर चुका होता है। ये हमने चौथे चरण के आरम्भ में ही बता दिया है। 

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वल्वर कैंसर के कारण – Causes of Vulvar Cancer 

वल्वर कैंसर का सटीक कारण अभी अज्ञात है परन्तु माना जाता है कि जब शरीर में कोशिकाएं अनियंत्रित होकर तीव्र गति से बढ़ने लगती हैं तो ये स्वस्थ और नई कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगती हैं। इनके अनियंत्रित बढ़ने की वजह से गांठें या ट्यूमर बनने लगते हैं और इनका आकार बड़ा होता जाता है। कुछ ट्यूमर अपने ही स्थान पर रहते हैं और फैलते नहीं, परन्तु कुछ घातक ट्यूमर फैलने लगते हैं और शरीर के अंगों को क्षति  पहुंचाते हैं। इसके अतिरिक्त ये भी कारण हो सकते हैं –

1. मानव पेपिलोमा वायरस संक्रमण (Human Papillomavirus – HPV)- इस वायरस से संक्रमित होने पर महिलाओं में वल्वर कैंसर होने की संभावना बहुत ज्यादा  होती है। एक्सपर्ट्स के अनुसार HPV DNA 87 प्रतिशत वुल्वर इंट्राएपिथेलियल नियोप्लाजिया (Vulvar Intraepithelial Neoplasia – VIN) और 29 प्रतिशत इनवेसिव वुल्वर कैंसर में पाया जा सकता है। VIN उन विशेष बदलावों को संदर्भित करता है जो त्वचा में मौजूद हो सकते हैं और योनि को कवर करते हैं। 

2. योनि की पुरानी सूजन अथवा वुल्वर क्षेत्र को प्रभावित करने वाली ऑटोइम्यूनिटी। 

3. एचआईवी (HIV) या एड्स (AIDS) की समस्या।

4. मेलेनोमा (Melanoma) या असामान्य मोल (Moles)।

5. परिवार में किसी सदस्य को मेलेनोमा होना।

6. 70 वर्ष से अधिक आयु होना। 

7. सर्वाइकल कैंसर (Cervical cancer) या वजायनल (Vaginal) कैंसर होना।

8. लाइकेन स्क्लेरोसस (Lichen sclerosus) अर्थात् त्वचा संबंधी समस्या होना। 

9. स्मोकिंग करना।

10. एक से अधिक पुरुषों का सेक्स पार्टनर होना और असुरक्षित तथा अप्राकृतिक सेक्स करना। 

वल्वर कैंसर के लक्षण – Symptoms of Vulvar Cancer

वल्वर कैंसर के निम्नलिखित लक्षण प्रकट होते हैं –

1. योनि पर गांठ बनना या घाव होना।

2. योनि की त्वचा पर असामान्य रूप से कहीं-कहीं पानी वाले उभार होना। 

3. खुजली लगना।

4. दर्द होना।

5. योनि पर हाथ फेरने से भी दर्द होना।

6. योनि की त्वचा का मोटा होना। 

7. योनि की त्वचा के रंग में बदलाव। 

8. योनि से रक्त बहना, जोकि मासिक धर्म वाला नहीं होता।

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वल्वर कैंसर का निदान – Vulvar Cancer Diagnosis

1. सबसे पहले डॉक्टर मरीज से मेडिकल हिस्ट्री और जीवन शैली की जानकारी लेते हैं। ये सब जानने के बाद शारीरिक जांच की जाती है। गांठ, घाव, ट्यूमर की स्थिति में बायोप्सी कराने की सलाह दी जाती है जोकि वल्वर कैंसर की जांच के लिये सबसे सामान्य टेस्ट है। 

2. बायोप्सी (Biopsy)- डॉक्टर वल्वर सेल्स या टिशू के छोटे से भाग का सेंपल लेकर जांच के लिये लैब भेज देते हैं। वल्वर कैंसर की पुष्टि हो जाने पर कुछ और निम्नलिखित टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। 

3. पेल्विक एग्जाम (Pelvic Exam)- इसमें गर्भाशय (Uterus), योनि (Vagina), अंडाशय (Ovaries), मूत्राशय (Bladder) और मलाशय (Rectum) की जांच की जाती है। 

4. क्लोपोस्कोपी (Colposcopy)- इसमें योनि क्षेत्र की जांच की जाती है। यह जांच योनि को प्रभावित करने वाली सूजन, संक्रमण या अपक्षयी (Degenerative) प्रक्रियाओं को उजागर करने के उद्देश्य से की जाती है। इसे वल्वोस्कोपी (Vulvoscopy) भी कहा जाता है।

5. इमेजिंग टेस्ट(Imaging Tests) – इस टेस्ट में  एक्स-रे (X-rays), सीटी स्कैन (CT Scan) पीईटी टेस्ट (PET) और एमआरआई (MRI) शामिल हैं। इनसे यह पता चल जाता है कि कैंसर कितना फैल चुका है। ट्यूमर का आकार कितना है, कितनी गहराई है आदि।  

वल्वर कैंसर के उपचार – Vulvar Cancer Treatment

1. वल्वर कैंसर के लिए चार प्रकार के मानक उपचार विधि, सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी और बायोलॉजिक थेरेपी, शामिल हैं। वल्वर कैंसर का इलाज निर्भर करता है इसकी स्टेज, आकार, गहराई, फैलाव और सघनता पर, जोकि मेडिकल टेस्ट के द्वारा पता चलती है। इन सब का आकलन करके डॉक्टर यह निर्धारित करते हैं कि कौन सी उपचार विधि अपनाई जाये। 

2. पहली और दूसरी स्टेज के वल्वर कैंसर के उपचार के लिए केवल सर्जरी की आवश्यकता होती है। इनमें सामान्यतः बड़ी सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती। हां, यदि कैंसर फैल चुका है, तो बड़ी सर्जरी करने की जरूरत होती है। 

3. तीसरी और चौथी स्टेज पर कैंसर फैल चुका होता है जिसके लिये रेडिकल सर्जरी, साथ ही कीमोथेरेपी और रेडिएशन का उपयोग किया जाता है। ट्यूमर या घाव बड़े होने की स्थिति में सर्जरी से पहले, लिए रेडिएशन थेरेपी का उपयोग करके इनको छोटा किया जाता है। फिर सर्जरी की जाती है। 

4. यहां हम स्पष्ट कर दें कि सर्जरी करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि योनि को किसी भी प्रकार का नुकसान ना हो। 

वल्वर कैंसर के इलाज की लागत – Vulvar Cancer Treatment Cost

वल्वर कैंसर के इलाज का खर्च निर्भर करता है वल्वर कैंसर की स्टेज, शहर, अस्पताल और डॉक्टर पर। वैसे भारत में वल्वर कैंसर के इलाज का खर्च 3,00,000 रुपये से लेकर 9,00,000 रुपये तक आ सकता है। 

वल्वर कैंसर से बचाव के उपाय – Ways to Prevent Vulvar Cancer

अब हम बता रहे हैं आपको कुछ उपाय जिनको अपनाकर वल्वर कैंसर स बचाव किया जा सकता है। ये निम्न प्रकार हैं –

1. सबसे पहले यह बहुत ही जरूरी है कि हाइजीन (Hygiene) मेंटेन करें, विशेषकर सेक्सुअल हाइजीन। सेक्सुअल हाइजीन पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “सेक्सुअल हाइजीन कैसे मेंटेन करें” पढ़ें। 

2. स्मोकिंग ना करें। करते हैं तो तुरन्त बन्द करें।

3. यौन संबंध सुरक्षित बनाएं, और केवल एक ही अपने पार्टनर के साथ यौन संबंध रखें। 

4. Human Papillomavirus का टीका लगवायें।

5. सर्वाइकल स्मीयर टेस्ट (Cervical Smear Test) कराएं। 

6. महिलाओं को प्रतिवर्ष एक बार, पूरे शरीर की जांच करावानी चाहिए। 

Conclusion – 

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको वल्वर कैंसर के बारे में जानकारी दी। वल्वर कैंसर क्या है?, वल्वर कैंसर के प्रकार, वल्वर कैंसर के चरण, वल्वर कैंसर के कारण, वल्वर कैंसर के लक्षण, वल्वर कैंसर का निदान, वल्वर कैंसर का उपचार और वल्वर कैंसर के इलाज की लागत, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से वल्वर कैंसर से बचाव के उपाय भी बताये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा। 

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।


Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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