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एवैस्कुलर नेक्रोसिस क्या है? – What is Avascular Necrosis in Hindi

एवैस्कुलर नेक्रोसिस क्या है?

दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। हमारे शरीर में हड्डियों की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ये शरीर का आधार स्तम्भ होती हैं ठीक उसी प्रकार जैसे की बिल्डिंग के लिये लोहे के सरिये। इन सरियों में यदि जंग लग जाये तो बिल्डिंग गिर सकती है। इसी तरह हड्डियों में रक्त परिगलन, जिसे अंग्रेजी में “एवैस्कुलर नेक्रोसिस” (Avascular Necrosis) कहते हैं, नामक विशेष और गंभीर बीमारी लग जाये तो इनका क्षरण होने लगता है अर्थात् हड्डियां गलने लगती हैं और इससे प्रभावित अंग को बहुत तकलीफ़ होती है। आखिर यह एवैस्कुलर नेक्रोसिस है क्या, इसका नाम तो पहले कभी नहीं सुना। जी हां, ये कोई सामान्य नहीं बल्कि दुर्लभ बीमारी है। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “एवैस्कुलर नेक्रोसिस क्या है?”

देसी हैल्थ क्लब आज आपको एवैस्कुलर नेक्रोसिस के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और इससे बचाव के उपाय भी बतायेगा। तो, सबसे पहले जानते हैं कि एवैस्कुलर नेक्रोसिस क्या है और इसके होने के कारण। फिर इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे। 

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एवैस्कुलर नेक्रोसिस क्या है?
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एवैस्कुलर नेक्रोसिस क्या है? – What is Avascular Necrosis?

दोस्तो, एवैस्कुलर नेक्रोसिस (Avascular Necrosis – AVN) हड्डियों की एक गंभीर बीमारी है जिसमें हड्डियों को पर्याप्त मात्रा में रक्त ना मिल पाने के कारण या बिल्कुल भी रक्त ना मिल पाने के कारण हड्डियों के ऊतकों की मृत्यु होने लगती है। इसीलिये एवैस्कुलर नेक्रोसिस बीमारी को (death of bone tissues) भी कहा जाता है। सरल भाषा में कहें तो समझिये कि हड्डी एक जीवित ऊतक है जिसे जीवित रहने के लिये रक्त पर निर्भर रहना पड़ता है। हड्डियों तक रक्त ले जाने वाली रक्त वाहिकाओं में किसी भी प्रकार से रुकावट आने के कारण यदि हड्डियों तक रक्त नहीं पहुंच पाता है तो हड्डियों के ऊतक मरने लगते हैं अर्थात् हड्डियां गलने लगती हैं। 

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इस बीमारी में ज्यादातर पहले कूल्हे की हड्डियां प्रभावित होती हैं। वैसे कंधे, हाथ, घुटने, टखने और पैर की हड्डियां भी क्षतिग्रस्त होती हैं। यद्यपि यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है, परन्तु अधिकतर मामले 30 से 60 वर्ष की उम्र के बीच के व्यक्तियों के देखे गये हैं और महिलाओं की तुलना में पुरुषों के मामले अधिक होते हैं। एवैस्कुलर नेक्रोसिस को निम्नलिखित नामों से भी जाना जाता है –

1. ओस्टियो नेक्रोसिस (osteo necrosis)

2. एसेप्टिक नेक्रोसिस (aseptic necrosis)

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3. इस्केमिक बोन नेक्रोसिस (ischemic bone necrosis)

4. बोन इन्फ्राक्शन (bone infarction)।

एवैस्कुलर नेक्रोसिस के कारण – Cause of Avascular Necrosis

एवैस्कुलर नेक्रोसिस होने के हो सकते हैं निम्नलिखित कारण –

1. हड्डियों को रक्त ना मिल पाना (Blood Loss to the Bones)- हड्डियों को पर्याप्त मात्रा में रक्त ना मिलना या बिल्कुल भी रक्त ना मिल पाना एवैस्कुलर नेक्रोसिस का मुख्य कारण है। 

2. चोट (Injury)- चोट लगने से कई बार हड्डी में फ्रैक्चर हो जाता है या हिप डिसलोकेशन की स्थिति हो जाती है। इन दोनों ही स्थितियों में रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। इस वजह से रक्त आपूर्ति में रुकावट आती है और हड्डियों को पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं मिल पाता। 

3. रक्त वाहिकाओं का संकुचन (Narrowing of Blood Vessels)- बढ़ते हुए वजन, जमा हुए फैट और खराब कोलेस्ट्रॉल LDL में वृद्धि के कार रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं और उनमें प्लॉक (Plaque) बनने लगता है। इस वजह से रक्त प्रवाह में बाधा आती है। 

4. कुछ दवाएं (Some Medicines)- बोन कैंसर के उपचार में ली जाने वाली  बाईफॉस्फेट दवाओं जैसे कि जॉलड्रोनेट/जॉल्ड्रोनिक एसिड) या फिर पेमिड्रोनेट दवाओं का कुछ दुर्लभ मामलों में जबड़े की हड्डी को प्रभावित कर एवैस्कुलर नेक्रोसिस को जन्म देती हैं। इसी प्रकार बिसफ़ॉस्फ़ोनेट (Bisphosphonate) नामक दवा का उपयोग जबड़े की हड्डी को प्रभावित कर सकती है जिससे जबड़े का एवैस्कुलर नेक्रोसिस होने की संभावना रहती है। 

5. कुछ मेडिकल उपचार (Some Medical Treatments)- कुछ विशेष बीमारियों के लिये किया गया उपचार भी हड्डियों को कमजोर कर एवैस्कुलर नेक्रोसिस को आमंत्रित कर सकता है जैसे कैंसर के लिये  कीमोथेरेपी, अंग प्रत्यारोपण (विशेषकर किडनी ट्रांसप्लांट) आदि। किडनी तथा कीमोथेरेपी पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारे पिछले आर्टिकल “”किडनी ट्रांसप्लांट क्या है?” और “कीमोथेरेपी क्या है?” पढ़ें। 

6. कुछ बीमारियां (Some Diseases)- कुछ विशेष बीमारियां भी हड्डियों में रक्त की आपूर्ति को बाधित करती हैं जिससे एवैस्कुलर नेक्रोसिस रोग होने की संभावना बन जाती है जैसे कि अग्नाशयशोथ (Pancreatitis), गौचर्स (Gaucher’s disease), सिस्टेमिक लुपुस एरयाथेमाटोसुस (Systemic lupus erythematosus), सिकल सेल एनीमिया (Sickle cell anemia), एचआईवी/एड्स।

7. ज्यादा शराब का सेवन (More Alcohol Consumption)- लंबी अवधि यानी कई वर्षों तक और ज्यादा मात्रा में शराब पीते रहने से वाहिकाओं में फैट जमा हो जाता है जो रक्त के प्रवाह को रोकता है। इससे आप अनायास ही AVN का शिकार हो सकते हैं।

8. स्टेरॉयड का उपयोग (Steroid Use)- कोर्टिकोस्टेरॉयड का उच्च मात्रा में सेवन करने से रक्त में फैट की मात्रा बढ़ जाती है जिससे रक्त प्रवाह बाधित होता है और इससे AVN की समस्या बन सकती है। 

9. धूम्रपान (Smoking)- धूम्रपान करने या तंबाकू का किसी भी रूप में उपयोग करने से एवैस्कुलर नेक्रोसिस की समस्या हो सकती है। 

एवैस्कुलर नेक्रोसिस के लक्षण – Symptoms of Avascular Necrosis

दोस्तो, एवैस्कुलर नेक्रोसिस के लक्षण शुरुआत में प्रकट नहीं होते। जैसे-जैसे रक्त के ऊतक नष्ट होते हैं, गंभीर स्थिति होती जाती है और जोड़ों में और इनके आसपास हल्का या तेज दर्द होना शुरु हो जाता है और निम्नलिखित लक्षण प्रकट होने लगते हैं-

1. जांघ और कूल्हे की हड्डियों में असहनीय दर्द उठना।

2. घुटनों, टखनों और दोनों पैर के पंजों में दर्द होना।

3. दोनों हाथों और कलाइयों में दर्द रहना।

4. कंधों में दर्द रहना।

5. चलने फिरने में दिक्कत होना। 

6. जोड़ों में दर्द, दिन-रात, सोते-जागते कभी भी कभी भी होने लगता है। 

एवैस्कुलर नेक्रोसिस का परीक्षण – Test for Avascular Necrosis

एवैस्कुलर नेक्रोसिस की जांच के लिये पहले डॉक्टर फिजिकली चैक करते हैं अर्थात् जोड़ों को अच्छी तरह हिला कर, घुमा कर देखते हैं कि जोड़ों में मूवमेंट कितनी है और त्वचा को छूकर, मरीज के प्रभावित हिस्से में दर्द का पता लगाते हैं। फिर कुछ निम्नलिखित टेस्ट करवाये जाते हैं ताकि दर्द का सटीक कारण का पता चल सके –

1. एक्स रे (X-ray)- एक्स रे के जरिये एवैस्कुलर नेक्रोसिस से हड्डियों में होने वाले बदलाव का पता लगाया जाता है।

2. एमआरआई या सीटी स्कैन (MRI or CT Scan)- एक्स रे की अपेक्षाकृत, एमआरआई और सीटी स्कैन से हड्डियों में होने वाले शुरुआती बदलावों के अधिक स्पष्ट चित्र मिल जाते हैं और विस्तृत जानकारी भी मिल जाती है। 

3. बोन स्कैन (Bone Scan)- इस टेस्ट के जरिये एवैस्कुलर नेक्रोसिस के बारे में सटीक जानकारी मिल जाती है। इस टेस्ट को करते समय इंजेक्शन के द्वारा नसों में थोड़ी सी मात्रा में रेडियोएक्टिव पदार्थ डाला जाता है जो हड्डियों के क्षतिग्रस्त हिस्सों में पहुंच जाता है। फिर यह इमेजिन प्लेट पर कुछ ब्राइट धब्बे प्रदर्शित करता है जिससे प्रभावित जगह की एवैस्कुलर नेक्रोसिस के बारे में सही जानकारी मिल जाती है।

एवैस्कुलर नेक्रोसिस का डॉक्टरी उपचार – Medical Treatment of Avascular Necrosis 

एवैस्कुलर नेक्रोसिस के उपचार के लिये शुरुआत में कुछ दवाएं दी जाती हैं। इनके सही परिणाम ना मिल पाने या ऐसी स्थिति जिसमें दवाओं से काम नहीं चल सकता, तो उपचार के अन्य विकल्प अपनाये जाते हैं। विवरण निम्न प्रकार है –

1. दवाएं – Medical

(i) दर्द निवारक दवाएं – दवाओं में नॉन-स्टेरॉयडल एंटी इंफ्लेमेटरी दवाएं जो दर्द को कम कर सकें, दी जा सकती हैं जैसे इबुप्रोफेन (एडविल, मोर्टिन आईबी) या नेप्रोक्सेन (एलेवी)।

(ii) ओस्टियोपोरोसिस की दवाएं – ये दवाएं हड्डी के क्षरण की गति को कम करने में मदद कर सकती हैं जैसे एल्ड्रोनेट (फॉसमैक्स, बिनोस्टो)। यद्यपि इस बारे में कोई सटीक प्रमाण नहीं है। 

(iii) कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाली दवाएं – इन दवाओं की मदद से रक्त में मौजूद कोलेस्ट्रॉल तथा फैट के स्तर को कम करने की कोशिश की जाती है ताकि रक्त वाहिकाओं को बाधित होने से बचाव किया जा सके। 

(iv) रक्त को पतला करने वाली दवाएं – रक्त में थक्का जमने की समस्या के लिये ब्लड थिनर दवाएं जैसे कि कोमेडिन और जेंन्टोवेन दी जा सकती हैं ताकि हड्डियों में रक्त ले जाने वाली रक्त वाहिकाओं में थक्का ना बन पाये। 

2. फिजियोथेरेपी (Physiotherapy)- अधिकतर अस्पतालों में ही अपना फिजियोथेरेपी विभाग होता है जिसमें फीजिकल थेरेपिस्ट कुछ विशेष प्रकार की एक्सरसाइज करवाते हैं। कुछ एक्सरसाइज ऐसी बताते हैं जिनको घर भी किया जा सके। इससे जोड़ों की मूवमेंट में काफी सुधार होता है।

3. शरीर को आराम देने की सलाह (Body Rest Advice)- कई मामलों में डॉक्टर शरीर को लंबे समय तक आराम देने की सलाह देते हैं ताकि प्रभावित हड्डी पर ज्यादा वज़न ना पड़े। इसके लिये कई बार बैसाखी या विशेष छड़ी आदि का भी उपयोग करना पड़ जाता है। इस दौरान शरीरिक गतिविधियां बहुत ही कम होनी चाहियें। 

4. कोर डिकंप्रेशन (Core Decompression)- यह एक सर्जरी प्रकिया है जिसमें हड्डी की आंतरिक परत को हटा दिया जाता है। जोड़ों की हड्डियों के बीच में पर्याप्त जगह बन जाने से दर्द कम हो जाता है तथा हड्डियों के स्वस्थ ऊतकों और नई रक्त वाहिकाओं के बनने में मदद मिलती है।

5. बोन ट्रांसप्लांट (ग्राफ्ट) (Bone transplant (graft))- इसे बोन ग्राफ्टिंग भी कहा जाता है। इस प्रक्रिया में मरीज के अन्य भाग से स्वस्थ हड्डी का एक भाग लेकर प्रभावित हड्डी को मजबूत किया जाता है।  

6. हड्डी का आकार बदलना (Change Bone Size)- AVN की वजह से क्षतिग्रस्त हड्डी का वज़न हटाने के लिये हड्डी का एक टुकड़ा निकाल दिया जाता है। इससे शरीर के प्रभावित जोड़ पर अधिक वजन नहीं पड़ता। इस प्रक्रिया को ऑस्टियोटॉमी कहा जाता है। इससे मरीज जॉइंट रिप्लेसमेंट की प्रक्रिया से काफी हद तक बच जाता है। 

7. जॉइंट रिप्लेसमेंट (Joint Replacement)- एवैस्कुलर नेक्रोसिस के कारण यदि हड्डी गल जाती है और किसी भी उपचार से मरीज को फायदा नहीं होता, तो सर्जरी प्रक्रिया द्वारा क्षतिग्रस्त हड्डी को प्लास्टिक या धातु से बनी कृत्रिम हड्डी से रिप्लेस कर दिया जाता है। 

8. रिजेनेरेटिव मेडिसिन ट्रीटमेंट (Regenerative Medicine Treatment)- यह एवैस्कुलर नेक्रोसिस के उपचार की आधुनिक तकनीक है। इस तकनीक में बोन मैरो एस्पिरेशन (Bone marrow aspiration) और एकाग्रता (concentration) नई प्रक्रियाएं हैं। इन प्रक्रियाओं के अंतर्गत सर्जरी के समय मरीज की बोन मैरो से स्टेम सेल लिया जाता है और क्षतिग्रस्त हिपबोन का एक कोर हटा दिया जाता है। फिर इसके स्थान पर स्टीम सेल्स को लगा दिया जाता है। उपचार की इस प्रक्रिया के परिणाम स्वरूप नई हड्डी बनने संभावना रहती है।  

आयुर्वेद में एवैस्कुलर नेक्रोसिस का उपचार – Treatment of Avascular Necrosis in Ayurveda

एलोपैथी चिकित्सा प्रणाली में दर्द निवारक दवाऐं, फिजियोथैरेपी, सर्जरी द्वारा इस रोग का इलाज किया जाता है और अंत में ज्वाइंट रिप्लेसमेंट, हिप रिप्लेसमेंट ही विकल्प रह जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में एवैस्कुलर नेक्रोसिस के कारणों का गहन अध्ययन करके समझकर, इसका जड़ से इलाज किया जाता है जिसका कोई साइड इफैक्ट भी नहीं होता। आयुर्वेदिक उपचार में प्रभावित हड्डी में रक्त की आपूर्ति को सुनिश्चित किया जाता है। इससे ना केवल हड्डी का गलना रुकता है अपितु हड्डी के ऊतकों का निर्माण दुबारा होने लगता है। आयुर्वेद में निम्नलिखित औषधियां अस्थियों का पोषण कर उनको स्वस्थ बनाये रखती हैं – 

1. प्रवाल, गोदंती, शौक्तिक, यशद, कुक्कुटाँण्ड त्वक आदि भस्म हड्डियों का पोषण करती हैं। 

2. मधुमालिनी वसंत, पुनर्नवा मण्डूर, स्वर्णमाक्षिक आदि औषधियां, रक्त प्रवाह को बढ़ाने का काम करती हैं।  

3. लक्षादि गुग्गुल, आभा गुग्गुल, कैशोर गुग्गुल, आँवला, अश्वगंधा, शिलाजीत, विदारीकंद, पुष्पधन्वारस और बला जैसी औषधियां भी अस्थि रोग में प्रभावकारी होती हैं।

आयुर्वेदिक उपचार के परिणाम – Ayurvedic Treatment Results

सुखायु आयुर्वेद के वैद्य प्रदीप शर्मा के अनुसार AVN की समस्या के लिए आयुर्वेदिक उपचार के अद्भुत, सुखद और सफल परिणाम देखने को मिले हैं। सुखायु आयुर्वेद पिछले 10 वर्षों से बहुत अच्छा और सफलतापूर्वक एवैस्कुलर नेक्रोसिस का उपचार कर रहा है। आंकड़ों के अनुसार 3 वर्षों में लगभग 95 प्रतिशत मामले, हिप रिपलेसमेंट के लिए जाते हैं क्योंकि इस बीमारी में हड्डी क्षरण बहुत जल्दी होता है। सुखायु आयुर्वेद द्वारा किये गये उपचार के कारण 10 वर्ष से एवैस्कुलर नेक्रोसिस से ग्रस्त मरीज हिप रिपलेसमेंट की प्रक्रिया से बचे हैं और सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं। 

एवैस्कुलर नेक्रोसिस से बचाव के उपाय – Remedy to Prevent Avascular Necrosis

दोस्तो, अब बताते हैं आपको कुछ निम्धलिखित उपाय जिनको अपनाकर एवैस्कुलर नेक्रोसिस होने की संभावना से बचाव कर सकते हैं –

1. दर्द देने वाली शारीरिक गतिविधियां ना करें (Do not do Painful Physical Activities)- यदि आपके जोड़ों में दर्द रहता है तो ऐसी शारीरिक गतिविधि ना करें जो इस दर्द को बढ़ा दे। अपनी शारीरिक गतिविधियां हल्की-फुल्की रखें। व्यायाम भी ऐसा करें जो बहुत ज्यादा थकाने वाला ना हो या कठिन व्यायाम हो। यदि आपको जोड़ों में दर्द की कोई समस्या नहीं है तो अपनी सामान्य गतिविधियां रखें। एक ही जगह बैठे ना रहें कुछ ना कुछ ऐसा काम करें जिससे हाथ पैरों की गति बनी रहे अन्यथा ये जाम हो जायेंगे और इनमें दर्द रहने लगेगा। नियमित रूप से भी व्यायाम करें। 

2. रक्त संचार में सुधार करें (Improve Blood Circulation)- एवैस्कुलर नेक्रोसिस का मुख्य कारण रक्त संचार में रुकावट आना है। रक्त संचार में रुकावट मोटापा, फैट और खराब कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने के कारण आती है। इसलिये रक्त का शुद्धिकरण जरूरी है ताकि रक्त का प्रभाव निर्बाध गति से बना रहे और हड्डियों में इसकी आपूर्ति होती रहे। रक्त संचार में सुधार के लिये सूर्य नमस्कार, शीर्षासन जैसे योगासन उत्तम हैं। 

अन्य योगासनों और नियमित व्यायाम से भी रक्त की संचार व्यवस्था में सुधार होता है।  लाल मिर्च, हल्दी, लहसुन, प्याज, टमाटर, दालचीनी, चुकंदर, आंवला का उपयोग अपने भोजन में करें। फल, हरी सब्जियां, प्रोटीन और स्वस्थ वसा युक्त भोजन करें। सेचुरेटेड फैट वाले खाद्य पदार्थों को अवॉइड करें जैसे कि लाल मीट, चिकन, चीज़। सूर्य नमस्कार और शीर्षासन पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारे पिछले आर्टिकल “सूर्य नमस्कार के फायदे” और “शीर्षासन के फायदे” पढ़ें। 

3. कोलेस्ट्रॉल स्तर कंट्रोल करें (Control Cholesterol Level)- रक्त प्रवाह को निर्बाध गति से बनाये रखने के लिये कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल कर मेंटेन रखना बहुत जरूरी है। शरीर में अच्छे वाले कोलेस्ट्रॉल HDL का स्तर 40-60 मिली ग्राम/डीएल होना चाहिये और खराब वाले कोलेस्ट्रॉल LDL का स्तर 30 मिली ग्राम/डीएल से कम रहना चाहिये। LDL कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने से रक्त वाहिकाओं में प्लॉक (Plaque) बनने लगता है जिससे रक्त प्रवाह सुचारु रूप से नहीं हो पाता और Heart Attack का जोखिम बन जाता है। 

इससे हड्डियों में भी रक्त की आपूर्ति सही से नहीं हो पाती। कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कंट्रोल करने के लिये वजन कम करना और नियमित रूप से व्यायाम करना अच्छे उपाय हैं। आंवला, लहसुन, प्याज, नींबू , संतरा, अंगूर, अनार का जूस, ग्रीन टी, दही, काले चने, अंकुरित दालें, अखरोट, किशमिश, बादाम, पिस्ता, काजू आदि भी का सेवन करें। कोलेस्ट्रॉल पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “कोलेस्ट्रॉल कम करने के उपाय” पढ़ें। 

4. लक्षणों पर नजरअंदाज़ ना करें (Don’t Ignore the Symptoms)- चूंकि एवैस्कुलर नेक्रोसिस एक गंभीर अस्थि रोग है इसलिये यदि आपको इसके लक्षण महसूस होते हैं, विशेषकर कूल्हों में या जोड़ों में या इनके आसपास दर्द होता है तो इसे गंभीरता से लें, कतई भी नजरअंदाज़ ना करें। तुरन्त डॉक्टर से संपर्क करें और डॉक्टर की सलाह के अनुसार टेस्ट करायें ताकि एवैस्कुलर नेक्रोसिस को समय रहते रोका जा सके।

5. चोट लगने से बचाएं (Prevent Injury)- जहां तक संभव हो अपने आपको चोट लगने से बचाने की कोशिश करनी चाहिये। चोट लगने से हड्डी में फ्रैक्चर या हिप डिसलोकेशन की स्थिति होने पर हड्डियों तक रक्त ले जानी वाली रक्त वाहिकाएं भी क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और हड्डियों में रक्त की आपूर्ति रुक जाती है। इसलिये सावधानी पूर्वक संभल कर चलना चाहिये। इसके लिये उपयुक्त जूते, चप्पल ही  पहनने चाहियें जो आपको गिरने से बचा सकें, विशेषकर बरसात के दिनों में फिसलकर गिरने से। इसके अतिरिक्त निर्देशानुसार आर्थोटिक्स और सहायक उपकरणों का भी उपयोग किया जा सकता है।

6. शराब कम पीयें (Drink Less Alcohol)- ज्यादा शराब पीने के दो बड़े नुकसान होते हैं। एक तो शराब का अधिक सेवन करने की वजह से रक्त वाहिकाओं में फैट जमा होता है जिससे रक्त प्रवाह प्रभावित होता है और दूसरा नशे की हालत में गिरने से हड्डी में फ्रेक्चर की संभावना रहती है। अतः एवैस्कुलर नेक्रोसिस से बचाव के लिये शराब का बहुत कम मात्रा में सेवन करें। शराब पर अधिक जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “शराब पीने के फायदे और नुकसान” पढ़ें।

7. स्टेरॉयड का कम सेवन करें (Consume Less Steroids)-  माना जाता है कि कोर्टिकोस्टेरॉयड रक्त में फैट को बढ़ाने का काम करता है जिससे रक्त प्रवाह में रुकावट आती है। यह स्थिति एवैस्कुलर नेक्रोसिस को आमंत्रित कर सकती है। इसलिये स्टेरॉयड का कम मात्रा में सेवन करें और कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर को इस बात की जानकारी दें कि आप पहले और अब कितना स्टेरॉयड ले चुके हैं।

8. धूम्रपान ना करें (D not Smoke)- धूम्रपान तो बिल्कुल भी ना करें। धूम्रपान करना या तंबाकू का किसी अन्य रूप में सेवन करने से एवैस्कुलर नेक्रोसिस होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। इसलिये इन सबसे दूरी बनाना ही उचित है। यही दूरी एवैस्कुलर नेक्रोसिस से बचायेगी। धूम्रपान पर अधिक जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “धूम्रपान छोड़ने के घरेलू उपाय” पढ़ें। 

Conclusion – 

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको एवैस्कुलर नेक्रोसिस के बारे में विस्तार से जानकारी दी। एवैस्कुलर नेक्रोसिस क्या है?, एवैस्कुलर नेक्रोसिस के कारण, एवैस्कुलर नेक्रोसिस के लक्षण, एवैस्कुलर नेक्रोसिस का परीक्षण, एवैस्कुलर नेक्रोसिस का ?डॉक्टरी उपचार, आयुर्वेद में एवैस्कुलर नेक्रोसिस का उपचार और आयुर्वेदिक उपचार के परिणाम, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से एवैस्कुलर नेक्रोसिस से बचाव के बहुत सारे उपाय बताये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा। 

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको एवैस्कुलर नेक्रोसिस के बारे में विस्तार से जानकारी दी। एवैस्कुलर नेक्रोसिस क्या है?, एवैस्कुलर नेक्रोसिस के कारण, एवैस्कुलर नेक्रोसिस के लक्षण, एवैस्कुलर नेक्रोसिस का परीक्षण, एवैस्कुलर नेक्रोसिस का ?डॉक्टरी उपचार, आयुर्वेद में एवैस्कुलर नेक्रोसिस का उपचार और आयुर्वेदिक उपचार के परिणाम, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया है।
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