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ब्रुक्सिज्म क्या है? – What is Bruxism in Hindi

ब्रुक्सिज्म क्या है?

स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, आपने कुछ लोगों को विशेषकर छोटे बच्चों को दांत पीसते देखा होगा। ये कभी दिन में दांत पीसते हैं तो कभी रात को सोते समय। यह समस्या धीरे-धीरे उनकी आदत में शुमार हो जाती है। वस्तुतः यह समस्या एक विकार है, रोग है। दांत पीसने की इस बीमारी को मेडिकल भाषा में ब्रुक्सिज्म कहा जाता है। दांत पीसना एक निद्रा विकार है और यह मनोवैज्ञानिक समस्या (Psychological problem) भी है। इसका यदि समय पर इलाज ना किया जाये तो दांतों और जबड़ों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इनकी क्षति एक गंभीर समस्या हो सकती है। साथ ही इसका मानसिकता पर भी बुरा असर पड़ता है। देसी हैल्थ क्लब का यह फ़र्ज बनता है ब्रुक्सिज्म पर आपको जानकारी दी जाए। इसीलिये  हमारा आज का टॉपिक है “ब्रुक्सिज्म क्या है?”। 

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको ब्रुक्सिज्म के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसका उपचार क्या है और इससे कैसे बचाव किया जा सकता है। तो, सबसे पहले जानते हैं कि ब्रुक्सिज्म क्या है? और इसके कितने प्रकार होते हैं। फिर, इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।

ब्रुक्सिज्म क्या है? – What is Bruxism

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ब्रुक्सिज्म (Bruxism) जिसे हिन्दी में दांत पीसना कहा जाता है वस्तुतः निद्रा विकारों में से एक आम विकार है जो कि अचेतन न्यूरोमस्कुलर (neuromuscular) गतिविधि है अर्थात् नसों और मांसपेशियों से संबंधित गतिविधि। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब कोई बच्चा या बड़ा व्यक्ति अनजाने में बिना कुछ चबाए अपने दांत पीसता है। उसे खुद पता नहीं होता कि वह क्या कर रहा है। 

इस स्थिति में जबड़े के साईड-बाई-साईड या आगे-पीछे चलने से दांत एक-दूसरे से रगड़कर पिसते हैं। परिणाम स्वरूप दांतों की सुरक्षा परत जिसे एनेमल (Enamel) कहा जाता है क्षतिग्रस्त होने लगती है। चेहरे की मांसपेशियों में दर्द, सिर दर्द, जबड़े से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। ब्रुक्सिज्म का मनोवैज्ञानिक समस्या (Psychological problem) से भी संबंध होता है। दांत पीसने की घटनाएं दिन और रात दोनों समय हो सकती हैं जिनको नियंत्रित किया जा सकता है क्योंकि व्यक्ति इस समय चेतन अवस्था में होता है। 

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परन्तु जब कोई व्यक्ति नींद में दांत चबाता है तो इसे नियंत्रित करना बेहद मुश्किल काम होता है क्योंकि वह व्यक्ति उस समय सुप्त अवस्था में होता है। दांत पीसने की घटनाएं/आदत बड़े व्यक्तियों की तुलना में छोटे बच्चों में अधिक होती हैं। जब जबड़ा अगल-बगल या आगे-पीछे चलता है तो दांत एक-दूसरे से पीसते या रगड़ते हैं। अक्सर व्यक्ति को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि वह ऐसा कर रहा है।

ब्रुक्सिज्म के प्रकार – Types of Bruxism

ब्रुक्सिज्म की स्थिति को निम्नलिखित दो भागों में बांटा जा सकता है –

1. जागृत अवस्था (Waking State)- इस अवस्था में व्यक्ति जागा हुआ होता है, चाहे दिन हो रात। दांत पीसने वक्त व्यक्ति को पता होता है कि वह क्या कर रहा है मगर वह ऐसा जानबूझ कर नहीं कर रहा होता है। वह ऐसा आदतवश कर रहा होता है। तनाव, गुस्सा, कुछ भावनात्मक समस्याएं अथवा किसी विषय वस्तु पर अधिक ध्यान लगाने के वशीभूत ऐसा कर रहा होता है।

2. सुप्त अवस्था (Dormant State)- यह वह अवस्था होती है जिसमें व्यक्ति रात के समय सोया हुआ होता है। चूंकि वह नींद में होता है इसलिये उसे दांत पीसने के बारे में कुछ पता नहीं होता। नींद में दांत पीसने की वजह से सिर में दर्द, जबड़े में दर्द और दांतों में दर्द हो सकता है या दांत संबंधी अन्य समस्याएं हो सकती हैं।

ब्रुक्सिज्म के कारण – Causes of Bruxism

ब्रुक्सिज्म के कई कारण हो सकते हैं जैसे भोजन चबाने की गतिविधियां, मनोवैज्ञानिक कारण, एक्युट ट्रामा, क्रोनिक ट्रामा, कुछ चिकित्सकीय स्थितियां या दवाओं का प्रभाव आनुवांशिक कारण आदि। विवरण निम्न प्रकार है –

1. भोजन चबाने की गतिविधियां (Food Chewing Movements)- यह सबसे प्रमुख और बड़ा कारण है भोजन को गलत तरीके से चबाना।  भोजन चबाते और निगलने के समय लगने वाला बल सामान्यतः ऊपर से नीचे की ओर एकदम सीधी दिशा में होता है। यह दांतों के काम करने की सामान्य प्रक्रिया है।

 परन्तु जब इस बल में अंतर आता है तब दांतों को समस्या होती है अर्थात् जब दांतों पर लगने वाला बल ऊपर से नीचे होने के साथ साइड-बाई-साइड होने लगता है (जिसे व्यक्ति खुद करता है) तब इस बल को पीरियडोंटल फाइबर (एक समय के बाद दांतों के ठहरने की स्थिति) सहन नहीं कर पाता। इससे पीरियडोंटल फाइबर समाप्त हो जाता है परिणाम स्वरूप दांत पीसने की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

2. एक्युट ट्रामा (Acute Trauma)- कोई दुर्घटना होने अथवा दांतों की चोट, जबड़े की चोट, इसका कारण बन सकते हैं। 

3. क्रोनिक ट्रामा (Chronic Trauma)- जबड़े पर बार-बार लगने वाले बल, इसका कारण बनते हैं। परिणाम स्वरूप दांतों की आपस में सामान्य स्थिति/गतिविधि की तुलना में यानि दांतों के जल्दी-जल्दी एक-दूसरे के संपर्क में आने से कुछ दांतों की जगह में बदलाव आ जाता है।

4. मनोवैज्ञानिक कारण (Psychological Reasons)- ठीक से नींद ना आना या रोजाना नींद पूरी ना होना, तनाव, चिंता, डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन आदि मनोवैज्ञानिक कारण में शामिल होते हैं। ब्रुक्सिज्म के नींद से संबंधित मामलों में 8 से 10 प्रतिशत वयस्कों की तुलना में 15 से 40 प्रतिशत बच्चों के मामले होते हैं। 

5. आनुवांशिक कारण (Genetic Factors)- आनुवांशिकता का भी प्रभाव ब्रुक्सिज्म पर पड़ता है अर्थात् जिस परिवार में किसी को ब्रुक्सिज्म की समस्या है, उसके बच्चों को यह समस्या होने का जोखिम रहता है। इसके लगभग 20 प्रतिशत मामले होते हैं।

6. चिकित्सकीय स्थितियां या दवाओं का  प्रभाव (Effects of Medical Conditions or Medications)- कुछ चिकित्सकीय स्थितियां या दवाओं का प्रभाव भी ब्रुक्सिज्म को उकसा सकती हैं जैसे चिकित्सकीय स्थितियों में पार्किंसंस रोग, एटिपीकल चेहरे का दर्द, टेम्पोरोमैंडिबुलर संयुक्त रोग, रेट्ट सिंड्रोम, डाउन सिंड्रोम, टोरस मंडिबुलरिस आदि तथा दवाओं में कोकीन, सेलेक्टिव सेरोटोनिन अपटेक इंहैबीटर और ट्राईसाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट, डोपामाइन एगोनिस्ट या एंटागौनिस्ट आदि शामिल होती हैं।

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ब्रुक्सिज्म के जोखिम कारक – Risk Factors for Bruxism

ब्रुक्सिज्म के कारणों के अतिरिक्त कुछ कारक ऐसे होते हैं जो हर व्यक्ति पर अलग-अलग तरीके से प्रभाव डालते हैं।  कुछ निम्नलिखित स्थितियां रात को ब्रुक्सिज्म को उत्तेजित कर सकती हैं –

1. दिन में तनाव रहना।

2. मौसम में बदलाव।

3. हार्मोन में बदलाव।

4. अधिक शारीरिक परिश्रम।

5. आंखों का दुखना या आंखों पर अधिक जोर पड़ना।

6. नया चश्मा बनना।

7. साइनस में संक्रमण।

8. हैड बैंड्स का लगातार इस्तेमाल करना।

9. अचानक चाय-कॉफी का अधिक सेवन करना या एकदम से बंद कर देना।

10. सिगरेट, शराब और अन्य नशीले पदार्थों का बहुत अधिक मात्रा में सेवन करना।

ब्रुक्सिज्म के लक्षण – Symptoms of Bruxism

ब्रुक्सिज्म के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं –

1. दांत पीसना ही मुख्य लक्षण है।

2. जो व्यक्ति रात को दांत पीसता है, सुबह उठने पर उसके सिर में दर्द होने की संभावना रहेगी।

3. रात को नींद में गाल का अंदर से काट जाना।

4. नाखून चबाना।

5. ऐसी वस्तुओं को चबाना जो खाद्य पदार्थ नहीं हैं जैसे पैन, पेंसिल चबाना, कागज, गत्ता चबाना, लकड़ी चबाना आदि।

6. अधिकतर तनाव में रहना।

7. स्वभाव में चिड़चिड़ापन।

8. वाणी में कठोरता,

9. किसी की बात पर ध्यान ना देना।

10. व्यवहार में बदलाव। कुछ पूछे जाने पर किसी भी बात का सही उत्तर ना देना, झल्ला के पड़ना।

ब्रुक्सिज्म के नुकसान – Side Effects of Bruxism

ब्रुक्सिज्म के हो सकते हैं निम्नलिखित   नुकसान –

1. ब्रुक्सिज्म के कारण दांतों की ऊपरी सुरक्षात्मक परत एनेमल की क्षति होती है इस वजह से दांतों में संवेदनशीलता बढ़ जाती है।

2. दांत निकलने या टूटने जैसी समस्या भी बन सकती है।

3. दांतों में प्रोटीन की कमी से संबंधित विकार हो सकता है जिसे पीरियडोंटाइटिस कहा जाता है।

4.  दांतों में दर्द रह सकता है।

5. दांत में दरारें आ सकती हैं।

6. ऑर्थोडोंटिक अर्थात् दांतों के फैलाव संबंधी समस्या हो सकती है।

7. ब्रुक्सिज्म की वजह से जबड़े का संतुलन बिगड़  सकता है। टेम्पोरोमैंडिबुलर ज्वाइंट (Temporomandibular joint – TMJ) प्रभावित हो सकता है। टेम्पोरोमैंडिबुलर ज्वाइंट वह जोड़ है, जो निचले जबड़े को खोपड़ी से जोड़ता है।

8. जबड़े में दर्द रह सकता है।

9.  श्रवण क्षमता प्रभावित हो सकती है।

10. दांत पीसने की आदत के चलते आंखों में दर्द रस सकता है या इससे दृष्टि प्रभावित हो सकती है।

ब्रुक्सिज्म का निदान – Diagnosing Bruxism

सामान्यतः ब्रुक्सिज्म के निदान डेंटिस्ट द्वारा दंत परीक्षण के समय किया जाता है। इस दौरान निम्नलिखित परीक्षण किए जा सकते हैं –

1. दांतों की स्थिति, टूटे हुए दांतों की स्थिति, गाल के अंदर की स्थिति/क्षति, जबड़े की मांसपेशियों की स्थिति और कोमलता आदि।

2. टेम्पोरोमैंडिबुलर संयुक्त रोग (Temporomandibular joint dysfunction) का परीक्षण। टेम्पोरोमैंडिबुलर ज्वाइंट, निचले जबड़े (Mandible) को खोपड़ी से जोड़ता है। इसी की वजह से जबड़े की गतिविधियां हो पाती हैं जैसे मुंह खोलना और बंद करना, बोलना और खाना में मदद मिलना। इसके लिए डेंटिस्ट एक्स-रे भी कर सकता है।

3. पोलीसोम्नोग्राफी (Polysomnography)- चूंकि ब्रुक्सिज्म का मामला निद्रा विकार से भी जुड़ा हुआ है इसलिए पोलीसोम्नोग्राफी (Polysomnography) टेस्ट भी किया जा सकता है। इसे स्लीप टेस्ट या स्लीप स्टडी भी कहा जाता है। इस टेस्ट के जरिये स्लीप पैटर्न की जांच करते हैं और नींद की समस्या/विकार का पता लगाया जाता है। चूंकि यह टेस्ट तब किया जाता है जब मरीज सो रहा होता है, इसलिये मरीज को एक रात के लिए मेडिकल सेंटर या अस्पताल में रहना पड़ता है।

 मरीज को एक शांत कमरे में ले जाया जाता है और सोने से पहले उसके हृदय की गति और पल्स की निगरानी के लिए ईसीजी उपकरण उसके शरीर से जोड़ दिया जाता है। कुछ मामलों में मस्तिष्क की तरंगों की जांच के लिए जरूरी हुआ तो ईईजी उपकरण भी जोड़ दिया जाता है। इस टेस्ट के दौरान शारीरिक संकेतों के रिकॉर्ड, जैसे कि मस्तिष्क तरंगे, हृदय गति, सांसों की गति, रक्त में ऑक्सिजन का स्तर, आंखों और पैरों की गतिविधियां, का विश्लेषण किया जाता है। इससे दांत पीसने की आदत/समस्या को समझने में मदद मिलती है।

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ब्रुक्सिज्म का उपचार – Treatment of Bruxism

दोस्तो, ब्रुक्सिज्म का सीधा संबंध दांत और जबड़ों से है इसलिये इसके उपचार में दंत चिकित्सक (Dentist) अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका संबंध निद्रा से भी है और मनोवैज्ञानिक समस्या होने के कारण मनोरोग चिकित्सक (Psychiatrist), अन्य चिकित्सक तथा फिजियोथेरेपिस्ट आदि ब्रुक्सिज्म के उपचार में शामिल हो जाते हैं। ब्रुक्सिज्म के लक्षणों को समझकर कई दृष्टिकोण से कई चिकित्सा विधियों का उपयोग करते हुए, मरीज का इलाज किया जाता है। विवरण निम्न प्रकार है –

1. आच्छादन समायोजन (Occlusal  Adjustments) – दांतों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, डॉक्टर समय से पहले जबड़े की स्थिति में दांतों के संपर्क को रोकने का उपाय करते हैं। जबड़े और दांतों की समस्या को समझकर डेंटिस्ट इसका समुचित उपचार करते हैं। 

2. स्प्लिंट डिवाइस (Splint Device)- यह प्लास्टिक का बना एक विशेष उपकरण होता है, जिसे ब्रुक्सिज्म के ग्रसित व्यक्ति रात को सोते समय पहनना होता है। दांतों के दबाव को अवशोषित कर, उन्हें घिसने से रोकता है। यह बढ़ी हुए मांसपेशियों की टोन को प्रबंधित करने तथा मांसपेशियों में तनाव को कम करने का भी काम करता है। इसे दिन में भी पहना जा सकता है।

3. मनोचिकित्सा (Psychotherapy)- मनोचिकित्सा चिकित्सक मरीज के लक्षणों को समझकर, पिछली और वर्तमान मेडिकल हिस्ट्री को जानकर यह आकलन करते हैं कि मरीज पर, ब्रुक्सिज्म का कारण मनोवैज्ञानिकता, का कितना घनत्व है। इसी के अनुसार तनाव, चिंता, अवसाद आदि को कम करने का प्रबंध किया जाता है।

4. मरीज का प्रशिक्षण (Patient Training)- यह ब्रुक्सिज्म के उपचार का अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें मरीज की उन आदतों को समझा जाता है जो ब्रुक्सिज्म की वजह बनती हैं। इन्हीं के अनुसार मरीज को प्रशिक्षित किया जाता है। स्प्लिंट डिवाइस को पहनने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है। इसके अतिरिक्त उन तकनीकों के बारे में बताया जाता है जिनसे मांसपेशियों से संबंधित समूह को आराम मिलता है।

5. फिजियो थेरेपी (Physiotherapy)- इस थेरेपी का उपयोग गंभीर दर्द या मांसपेशियों की जकड़न की स्थिति को कम करने के लिए किया जाता है। इसमें, मसाज तथा रिलैक्सेशन थेरेपी द्वारा जोड़ों को आराम पहुंचाने का प्रयास किया जाता है।

6. पुनर्स्थापना उपचार (Restorative Treatment​) – यह उपचार विधि का उपयोग उस मामले में किया जाता है जिस के दांत टूटे हुए होते हैं अथवा दांतों में दरार आई हुई होती हैं। यह उपचार यह सुनिश्चित करते हुए किया जाता है कि कोई प्रीमैच्योर संपर्क बिंदु है या नहीं ताकि मरीज को अति शीघ्र इस उपचार का फायदा मिल सके।

7. बायोफीडबैक थेरेपी (Biofeedback Therapy)- इस विशेष तकनीक की मदद से ब्रुक्सिज्म के मरीज को अपने होंठ, जीभ, दांत और जबड़े को आराम देने की आदत डाली जाती है। इस थेरेपी के माध्यम से सुनने, देखने, छूने या चखने की उत्तेजना के जरिये मरीज की दांत पीसने की आदत को छुड़ाने में मदद मिलती है।

8. दवाऐं (Medicines)- ब्रुक्सिज्म के उपचार में मरीज को कुछ दर्द निवारक, एंटीडिप्रेशन, मांसपेशियों को आराम पहुंचाने वाली दवाएं दी जा सकती हैं तथा एंटीएंग्जाइटी ड्रग्स दिये जा सकते हैं।

ब्रुक्सिज्म की रोकथाम के उपाय – Bruxism Prevention Tips

निम्नलिखित उपाय ब्रुक्सिज्म की रोकथाम में मदद कर सकते हैं –

1. अखाद्य वस्तुओं अर्थात् ऐसी वस्तुएं जो खाने के लिये नहीं बनी हैं, उनको चबाने की आदत तुरन्त छोड़ें जैसे कि पैन, पेंसिल, पिन, गत्ता, कागज, लोहे/लकड़ी की कोई वस्तु आदि।

2. चुइंगम आदि, गम ना चबाएं। इनसे भी दांत पीसने की आदत पड़ती है।

3. खाना सामान्य रूप से धीरे-धीरे चबाएं, भोजन को मुंह में साइड-बाई-साइड लाकर ना चबाएं।

4. कैफीन युक्त खाद्य पदार्थों का बहुत कम मात्रा में सेवन करें जैसे चाय, कॉफी, चॉकलेट, कोला तथा अन्य ऐसे ही पेय पदार्थ।

5. धूम्रपान तुरन्त छोड़ें।

6. गुटका, खैनी आदि का उपयोग ना करें।

7. पान खाते हैं तो इस आदत को तुरन्त छोड़ें।

8. नशीली वस्तुओं का सेवन ना करें।

9. शराब का बहुत ही कम मात्रा में सेवन करें।

10. दांतों में कोई भी समस्या होने पर, जबड़ों की समस्या में तुरन्त डेंटिस्ट से संपर्क करें।

11. अपनी जीवनशैली में थोड़ा परिवर्तन लाएं। रात को हल्का भोजन करें और जल्दी सोयें ताकि अच्छी और भरपूर नींद आए। सुबह आप कोई तनाव या सिर दर्द जैसी समस्या महसूस नहीं करेंगे। धीरे-धीरे रात को दांत पीसने की समस्या कम होती जाएगी। आप चाहें तो इसके लिए डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं।

12. नियमित रूप से व्यायाम करें। इससे तनाव खत्म होगा, मांसपेशियों का खिंचाव कम होगा, मांसपेशियों को आराम मिलेगा। साथ ही शरीर में स्फूर्ति बनी रहेगी, मन प्रसन्न रहेगा और साथ ही दांत पीसने की आदत छूटेगी और इस समस्या से छुटकारा मिलेगा।

Conclusion –

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको ब्रुक्सिज्म के बारे में विस्तार से जानकारी दी। ब्रुक्सिज्म क्या है?, ब्रुक्सिज्म के प्रकार, ब्रुक्सिज्म के कारण, ब्रुक्सिज्म के जोखिम कारक, ब्रुक्सिज्म के लक्षण, ब्रुक्सिज्म के नुकसान और ब्रुक्सिज्म का निदान, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से ब्रुक्सिज्म के उपचार बताये और ब्रुक्सिज्म की रोकथाम के कुछ उपाय भी बताये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको ब्रुक्सिज्म के बारे में विस्तार से जानकारी दी। ब्रुक्सिज्म क्या है?, ब्रुक्सिज्म के प्रकार, ब्रुक्सिज्म के कारण, ब्रुक्सिज्म के जोखिम कारक, ब्रुक्सिज्म के लक्षण, ब्रुक्सिज्म के नुकसान और ब्रुक्सिज्म का निदान, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया है।
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