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तोरई खाने के फायदे – Benefits Of Eating Ridge Gourd in Hindi

तोरई खाने के फायदे

स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, “तोरई” एक ऐसी हरी सब्जी है जो घीया (लौकी) की बहिन मानी जाती है। एक ऐसी सब्जी, जिसे सब्जी के रूप में पका कर खाने के अतिरिक्त इसका जूस निकाल कर भी पीया जा सकता है। इसके पकौड़े बनाकर खाए जा सकते हैं तो इसका उपयोग, सूप, रायता, सांभर, चठनी, अचार आदि बनाने के लिए भी किया जाता है। लोकप्रियता की दृष्टि से यह केवल नाम से प्रसिद्ध है कोई इसे अपनी इच्छा से नहीं खाना चाहता। बच्चे तो बिल्कुल भी नहीं। इतना सब जानते हैं कि तोरई खाना स्वास्थ के लिये बहुत लाभदायक होता है परन्तु इसे खाना फिर भी पसंद नहीं करते। पोषक तत्वों से भरपूर तथा औषधीय गुणों से समृद्ध तोरई खाने की सलाह डॉक्टर भी देते हैं क्यों कि यह आंखों के स्वास्थ के लिये भी अत्यंत लाभदायक होती है। आंखों के अतिरिक्त तोरई खाने के और भी बहुत फायदे होते हैं।  दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “तोरई खाने के फायदे”। 

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको तोरई के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसे खाने के क्या फायदे होते हैं। तो, सबसे पहले जानते हैं कि तोरई क्या है और इसकी खेती कहां होती है। फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।

तोरई क्या है? – What is Ridge Gourd

तोरई, बेल वाली हरी सब्जी है। भारत में इसे तोरई, तोरी, तुराई, झिंग्गी, झींगा आदि नामों से जाना जाता है। भारत के बिहार में इसे नेनुआ कहा जाता है। तोरई, की खेती मैदानी इलाकों में फरवरी-मार्च तथा जून-जुलाई में की जाती है। इसका पौधा बेल के रूप में फैलता है और यह लगभग नौ मीटर तक हो जाता है। तोरई के पौधे पर नर और मादा फूल अलग-अलग समय पर खिलते हैं। इन फूलों का रंग पीला होता है। ये चमकीले और आकर्षक होते हैं।

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मादा फूल के निचले भाग में फल की आकृतियुक्त अण्डाशय होता है जो नर फूल द्वारा निषेचित होने के बाद फल का रूप ले लेता है और विकसित होता रहता है। इसी विकसित फल को तोरई कहते हैं। कुकुरबिटेसी (Cucurbitaceae) परिवार से संबंध रखती है और इसका वैज्ञानिक नाम लूफा एकटेंगुला (Luffa Acutangula) है। इसको अंग्रेजी में Ridge gourd कहा जाता है।

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तोरई की खेती कहां होती है? – Where is Ridge Gourd Cultivated?

1. माना जाता है कि तोरई सबसे पहले अमेरिका में उगाई गई थी।

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2. अमेरिका के अतिरिक्त तोरई की खेती जापान, चीन, इंडोनेशिया, फिलीपींस, पाकिस्तान, बंग्लादेश, रोमानिया, इटली, तुर्की, मिस्र, अर्जेंटीना आदि देशों में होती है।

3. भारत में तोरई की खेती बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडू, असम, सिक्किम, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड राज्यों तथा उत्तर-पश्चिमी हिमालयन क्षेत्र में खेती की जाती है।

तोरई की प्रजातियां – Ridge Gourd Species

तोरई की दो प्रजातियां देखने को मिलती हैं – एक वह, जिसका छिलका चिकना और मुलायम होता है, इसे उत्तर भारत में और कई जगह नेनुआ कहा जाता है तथा दूसरी प्रजाति वह है जिसका छिलका कठोर होता है और लंबाई में कई लाईनें उभरी हुई होती हैं, यह बाजार में कम आती है। 

तोरई के गुण – Ridge Gourd Properties

1. तोरई की तासीर पेट के लिए थोड़ी गरम होती है। कफ और पित्त को शांत करने वाली और वात को बढ़ाने वाली होती है।

2. तोरई में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लामेटरी, एंटी-अल्सर, एनाल्जेसिक, एंटीफंगल, एंटीडायबिटिक, एंटीबैक्टीरियल, हेपेटोप्रोटेक्टिव, एंटीकैंसर आदि गुण उपस्थित होते हैं।

3. तोरई में विटामिन-सी, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फाइबर की उच्च मात्रा होती है। 

तोरई के पोषक तत्व(मात्रा प्रति 100 ग्राम) – Nutrients of Ridge Gourd (Quantity per 100 grams)

  • पानी : 93.85 ग्राम
  • एनर्जी : 20 kcal
  • प्रोटीन : 1.2 ग्रा
  • कुल फैट : 0.2 ग्रा
  • शुगर : 2.02 ग्रा
  • कार्बोहाइड्रेट : 4.35 ग्रा
  • फाइबर : 1.1 ग्रा
  • फास्फोरस : 32 मिली.ग्रा
  • कैल्शियम : 20 मिली.ग्रा
  • आयरन : 0.36 मिली.ग्रा
  • मैग्नीशियम : 14 मिली.ग्रा
  • पोटेशियम : 139 मिली।ग्रा
  • सोडियम : 3 मिली.ग्रा
  • जिंक : 0.07 मिली.ग्रा
  • कॉपर : 0.035 मिली.ग्रा
  • मैंगनीज : 0.092 मिली.ग्रा
  • सेलेनियम : 0.2 माइक्रो. ग्रा
  • विटामिन-सी : 12 मिली.ग्रा
  • थियामिन : 0.05 मिली.ग्रा
  • राइबोफ्लेविन : 0.06 मिली.ग्रा
  • नियासिन : 0.4 मिली.ग्रा
  • पैंटोथेनिक एसिड : 0.218 मिली.ग्रा
  • विटामिन-बी6 : 0.043 मिली.ग्रा
  • फोलेट, टोटल : 7 माइक्रो.ग्रा
  • विटामिन-ए, IU : 410 .U
  • विटामिन-ई 
  • (अल्फा-टोकोफेरॉल) : 0.1 मिली.ग्रा
  • विटामिन-के 
  • (फाइलोक्विनोन) : 0.7 ग्रा

तोरई के उपयोग – Uses of Ridge Gourd

1. तोरई की सब्जी बनाकर रात या दिन, कभी भी खाई जा सकती है।

2. तोरई की बेल पर लगने वाले फूलों के पकौड़े बनाकर खाए जा सकते हैं।

3. तोरई का आचार भी बनाया जाता है।

4. इसके सूखे पत्तों के पाउडर बनाकर औषधी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

5. तोरई का उपयोग सूप और कढ़ी में भी किया जाता है। 

6. तोरई का जूस निकाल कर भी पीया जाता है।

7. तोरई के बीजों का भी औषधी के रूप में उपयोग किया जाता है। 

8. तोरई के बीजों का तेल भी निकाला जाता है। 

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तोरई खाने के फायदे – Benefits Of Eating Ridge Gourd

दोस्तो, तोरई खाने के बहुत फायदे होते हैं। विवरण निम्न प्रकार है :-

1. वजन को कम (Lose Weight)- दोस्तो, तोरई खाने का यह चमत्कारी फायदा है कि आपको अपना वजन कम करने में मदद मिलती है। तोरई में कैलोरी बहुत कम होती है, इसके सेवन से जल्दी भूख नहीं लगती बल्कि भूख शांत होती है। इसमें पानी की प्रचुर मात्रा होती है, फाइबर भी पर्याप्त मात्रा में होता है। ये लंबे समय तक भूख नहीं लगने देते, पेट भरा-भरा रहता है। कैलोरी में वृद्धि किये बिना, भूख को संतुष्ट करने का यह एक उत्तम विकल्प है। 

2. डायबिटीज में फायदेमंद (Beneficial in Diabetes)- डायबिटीज के मामलों में तोरई के फायदे देखे जा सकते हैं। स्टार्च रहित खाद्य पदार्थ डायबिटीज के मरीजों के लिये उपयुक्त होते हैं। इनसे ग्लुकोज लेवल में वृद्धि नहीं होती। तोरई भी एक ऐसा ही स्टार्च रहित खाद्य पदार्थ है जो डायबिटीज के मरीजों के लिये पूर्ण रूप से सुरक्षित है। इसमें पाए जाने वाला अघुलनशील फाइबर टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों की मदद करता है। यह डायबिटीज के खतरे को कम करने के लिये अत्यंत प्रभावशाली होता है।

3. हाई ब्लड प्रेशर को कम करे (Reduce High Blood Pressure)- पोटेशियम, हाई ब्लड प्रेशर के विरुद्ध अपना प्रभाव दिखाता है। यह रक्त वाहिकाओं को आराम देता है, उनको चौड़ा करता है ताकि ब्लड सर्कुलेशन सुचारु रूप से होता रहे। 

पोटेशियम ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करते हुए इसके प्रवाह को निर्बाध बनाता है जिससे इसका हाई प्रेशर कम होने लगता है। पोटेशियम मांसपेशियों और मस्तिष्क की तंत्रिका गतिविधियों के लिए भी महत्वपूर्ण घटक है। तोरई में केले से भी अधिक पोटेशियम पाया जाता है। 

4. खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करे (Reduce Bad Cholesterol)- तोरई का यह भी महत्वपूर्ण फायदा है कि यह कोलेस्ट्रॉल लेवल को सामान्य बनाए रखने में मदद करती है। तोरई में पाये जाने वाला घुलनशील फाइबर कोलेस्ट्रॉल अवशोषण के साथ हस्तक्षेप करता है। तोरई खाने से खराब वाला कोलेस्ट्रॉल LDL कम होता है। तोरई स्वयं कोलेस्ट्रॉल रहित होती है, इसलिये इसके सेवन से कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता बल्कि इसका स्तर सामान्य बना रहता है। 

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5. कैंसर से बचाव करे (Prevent Cancer)- देसी उपायों, जिनमें हरी सब्जियां भी शामिल हैं, के माध्यम से कैंसर से बचाव किया जा सकता है। लंग्स कैंसर पीड़ितों पर हुऐ एक शोध में तोरई में एंटीकैंसर गुणों का पता चला है। ये एंटीकैंसर गुण, कैंसर होने की संभावना को दूर करते हैं। चूहों पर हुए एक अन्य शोध से यह तथ्य सामने आया है कि तोरई के मेथानॉलिक और पानी, के अर्क से ट्यूमर के बनने की गति में कमी पाई गयी है। अतः यह स्पष्ट हो जाता है कि तोरई खाने से कैंसर होने के जोखिम को टाला जा सकता है। 

6. आंखों के स्वास्थ के लिए फायदेमंद (Beneficial for Eye Health)- तोरई खाने से आंखों का स्वास्थ भी ठीक रहता है। विटामिन-ए वस्तुतः आंखों का भोजन कहलाता है जो दृष्टि को बनाए रखने में मदद करता है तथा दृष्टि को बढ़ाता है। तोरई में विटामिन-ए की पर्याप्त मात्रा होती है।

तोरई ल्यूटिन और ज़ेक्सैथिन से सम्पन्न होती है, ये दोनों उम्र से संबंधित धब्बेदार अध: पतन (age-related macular degeneration) के जोखिम, जैसे धीरे-धीरे दृष्टि का कमजोर होना, मोतियाबिंद आदि, से बचाव करते हैं। तोरई में फैट भी बहुत कम होता है, यह नेत्र स्वास्थ की दृष्टि से अच्छी बात है। कम वसा वाले खाद्य पदार्थ आंखों के लिए फायदेमंद होते हैं और तोरई में फैट नहीं के बराबर होता है।  

7. हड्डियों और दांतों की मजबूती के लिये (Strength of Bones and Teeth)- तोरई में कैल्शियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है जो हड्डियों के विकास और मजबूती के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण तत्व है। इसके अतिरिक्त तोरई में फास्फोरस, मैग्नीशियम, मैंगनीज, ज़िंक, कॉप जैसे खनिज हड्डी खनिज घनत्व (bone mineral density) को बढ़ाने का काम करते हैं जिससे हड्डियां और दांतों मजबूत बनते हैं। इतना ही नहीं तोरई में विटामिन-के भी पर्याप्त मात्रा में होता है जो हड्डियों और दांतों को मजबूती देने में मदद करता है। 

8. सिरदर्द के लिए (Headache)- तोरई के पत्ते और तोरई के बीज के एथनॉलिक अर्क दर्द कम करने में मददगार होते हैं। वस्तुतः इनमें एनाल्जेसिक और एंटीइंफ्लामेटरी गुण होते हैं जो कि दर्द को कम करने के लिये जाने जाते हैं। एक रिसर्च भी यही बताती है कि दोनों गुण दर्द को खत्म करके राहत दिलाने का काम करते हैं। 

कच्ची कड़वी तोरई को पीसकर कनपटी पर लगायें।  इससे सिर दर्द में  आराम लग जाएगा। तोरई के पत्तों के रस से गेहूँ के आटे को गूँथ कर उसकी बाटियाँ बनाकर, चूरकर, इसमें घी और शक्कर मिलाकर लड्डू की तरह बनाकर खाने से सिर दर्द में आराम आ जाएगा। 

9. पेट के अल्सर में फायदा (Beneficial in Stomach Ulcer)- सूखी हुई तोरई के गूदे के अर्क के मेथोनॉलिक और पानी के अर्क में गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं। ये गुण पेट के अल्सर अर्थात् ग्रेस्ट्रिक अल्सर के प्रभाव को कम करने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। ये गुण गैस्ट्रिक म्यूकोसा (पेट की झिल्ली) के म्यूकोसल ग्लाइकोप्रोटीन के स्तर को ठीक करके अल्सर के लक्षण को बहुत हद तक कम कर देते हैं।

10. पेचिश में फायदा (Benefit in Dysentery)- दोस्तो, दस्त का बिगड़ा हुआ रूप पेचिस होता है या यूं कहें कि पेचिस, दस्त का गंभीर रूप है। पेचिस, पैरासाइट और बैक्टीरियल इन्फेक्शन, विशेषकर होती शिगेला (Shigella) नामक ग्राम नेगेटिव बैक्टीरिया के कारण होती है। तोरई में एंटीबैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं। ये गुण ग्राम नेगेटिव बैक्टिरिया को कुछ हद तक पनपने से रोकने का काम करते हैं और पेचिश से छुटकारा दिलाते हैं। 

11. पीलिया में फायदा (Benefit in Jaundice)- लिवर में मौजूद बाइल फ्लूइड में पाए जाने वाला बिलीरुबिन एक पीले रंग का द्रव होता है। इसका स्तर बढ़ने पर  पीलिया रोग पैदा होता है जिसमें त्वचा और आंखों का रंग पीला हो जाता है। पीलिया होने के कारण लिवर खराब होने की संभावना बन जाती है।

तोरई में हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण मौजूद होते हैं  जो बिलीरुबिन के उत्पादन पर लगाम लगाकर इसके स्तर को कम करते हैं और लिवर को क्षतिग्रस्त होने से बचाते हैं। इसके लिए तोरई की पत्तियां, तना और बीज को कुचलकर मरीज को सुंघाते हैं। 

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12. कुष्ठ रोग में फायदा (Benefit in Leprosy)- तोरई को कुष्ठ रोग के उपचार के लिए रामबाण उपाय माना जाता है। प्राचीन समय से ही तोरई का इस रोग के निवारण के लिये उपयोग किया जाता रहा है। कुष्ठ रोग, बैक्टीरिया ‘माइकोबैक्टीरियम लेप्री’ के कारण होता है। इसके उपचार के लिए तोरई के पत्तों को पीसकर इनका पेस्ट बनाकर प्रभावित स्थान पर लगाएं, परन्तु इसके साथ-साथ डॉक्टरी इलाज भी आवश्यक है। 

13. दाद में फायदा (Benefit in Ringworm)- दाद एक चर्म रोग है जो ‘रिंगवॉर्म फंगस’ के कारण होता है। इसके निवारण के लिए भी तोरई के पत्तों का उपयोग किया जाता है। तोरई के पत्तों को पीसकर इनका पेस्ट बनाकर प्रभावित स्थान पर लगाएं। कुछ दिनों पश्चात् दाद खत्म हो जाएगा। तोरई के पत्तों के पानी से बने अर्क में एंटीफंगल गुण मौजूद होते हैं जो फंगस पर अपना प्रभाव छोड़कर दाद से राहत दिलाते हैं।

14. अस्थमा में फायदा (Benefits in Asthma)- अस्थमा के उपचार में तोरई बहुत लाभदायक मानी जाती है। इसमें विटामिन-सी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है जो पीड़ित व्यक्ति को अस्थमा से राहत दिलाने का काम करता है। अस्थमा निवारण के काम में तोरई में मौजूद कॉपर भी अपना प्रभाव छोड़कर अस्थमा को दूर करने में मदद करता है।

तोरई के एंटीइंफ्लामेटरी गुण सूजन को कम करते हैं। अस्थमा के उपचार के लिए मरीज को आधा कप तोरई का जूस, दिन में दो बार दिया जाना चाहिये और साथ ही साथ डॉक्टरी इलाज भी कराना चाहिए।

तोरई के नुकसान – Side Effects of Ridge Gourd

1. तोरई से होने वाले नुकसान के बारे में कोई सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है। हां, इतना अवश्य है कि बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को  और हृदय रोग से पीड़ित लोगों को तोरई का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।

2. हर गर्भवती की स्थिति अलग-अलग होती है। कईयों को तोरई का सेवन सूट कर जाता है, कईयों को नहीं। कुछ मामलों में तोरई का सेवन सभी गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित माना जाता है कुछ में नहीं। तोरई की चाय गर्भपात का कारण बन सकती है क्योंकि इस चाय में गर्भपात (Abortifacient) प्रभाव मौजूद होता है। इसलिये तोरई का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूरी है। 

3. कई लोगों को एलर्जी भी हो सकती है, तो इस स्थिति में तुरन्त डॉक्टर से संपर्क करें। 

Conclusion – 

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको तोरई खाने के फायदे के बारे में विस्तार से जानकारी दी। तोरई क्या है?, तोरई की खेती कहां होती है, तोरई की प्रजातियां, तोरई के गुण, तोरई के पोषक तत्व और तोरई के उपयोग, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से तोरई खाने के बहुत सारे फायदे बताये और कुछ नुकसान भी बताये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा। 

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे- सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।


Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको तोरई खाने के फायदे के बारे में विस्तार से जानकारी दी। तोरई क्या है?, तोरई की खेती कहां होती है, तोरई की प्रजातियां, तोरई के गुण, तोरई के पोषक तत्व और तोरई के उपयोग, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया।
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