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स्वास्थ्य बीमा में कोपे क्या है? – What is a Copay in Health Insurance in Hindi

स्वास्थ्य बीमा में कोपे क्या है?

स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, जब आप हैल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते हैं तो आप निश्चिंत हो जाते हैं कि कभी अस्पताल जाना पड़े तो, अस्पताल में बीमारी के लिए लिये गये उपचार का सारा खर्च बीमा कंपनी वहन करेगी। आपका यह विश्वास दृढ़ रहता है। परन्तु इस दृढ़ विश्वास को उस समय जबरदस्त झटका लगता जब दुर्भाग्यवश आपको किसी बीमारी के चलते अथवा इमरजेंसी हालात में अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है और उपचार पर आए खर्च का भुगतान करने के लिये बीमा कंपनी आपको कहती है कि इस खर्चे का इतने प्रतिशत आपको जमा करना है और बाकी रकम बीमा कंपनी देगी। 

पूछने पर पता चलता है कि आपने बीमा कंपनी के नियम और शर्तों को मानते हुए सह भुगतान यानि को-पेमेंट (कोपे) क्लॉज को भी मानकर अनुबंध (Contract) पर हस्ताक्षर किये थे। फिर आपको अपनी गलती का अहसास होता है कि आपने जल्दबाजी में या हैल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने के अति-उत्साह में नियम व शर्तें बारीकी से क्यों नहीं पढ़ीं। दोस्तो, आखिर यह कोपे है क्या? जिसकी वजह से अचानक झटका लगा। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “स्वास्थ्य बीमा में कोपे क्या है?”। 

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको कोपे के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसके क्या फायदे हैं और क्या नुकसान?। तो, सबसे पहले जानते हैं कि स्वास्थ्य बीमा में कोपे क्या है कोपे का प्रतिशत क्या है। फिर, इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।

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स्वास्थ्य बीमा में कोपे क्या है? – What is a Copay in Health Insurance?

दोस्तो, स्वास्थ्य बीमा में कोपे को सहबीमा भी कहा जाता है जिसका सरल अर्थ है कि दावा राशि का निर्धारित प्रतिशत के अनुसार दोनों पक्षों द्वारा भुगतान करने की शर्त को स्वीकार करना। उदाहरण के लिये यदि किसी हैल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीधारक के उपचार का बिल 1,00,000/- रुपये आता है और 10 तथा 90 प्रतिशत के भुगतान का अनुबंध हुआ है तो पॉलिसीधारक को 10,000/- रुपये का भुगतान करना होगा बाकी रकम 90,000/- रुपये का भुगतान बीमा कंपनी करेगी। 

इस कोपे को, को-पमेंट (Co-payment) भी कहा जाता है। इसीलिए हैल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय व्यक्ति को पॉलिसी के नियम और शर्तों को अच्छी तरह पढ़कर, भली-भांति सोच समझ कर, जांच परख कर ही पॉलिसी लेनी चाहिए ताकि भविष्य में असुविधाजनक परिदृश्यों (Uncomfortable Scenarios) से बचा जा सके। 

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कोपे प्रतिशत क्या है? – What is the Copay Percentage?

कोपे प्रतिशत का तात्पर्य उस राशि से है जिसे व्यक्ति पॉलिसी लेने से पहले, लिखित अनुबंध द्वारा, भुगतान करने को सहमत होता है। यह इस तथ्य पर निर्भर करती है कि आप किस बीमा कंपनी से और कौन सी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी चुन रहे हैं। यह 5-20% के बीच हो सकती है अथवा 10-30%। 

अमूमन यह कुल क्लेम राशि की 10-30% के बीच होती है। इसका अर्थ है यदि क्लेम राशि 1,00,000/- रु है तो इसका 10 प्रतिशत या 20 प्रतिशत या 30 प्रतिशत (जो भी प्रतिशत अनुबंध में स्वीकार हुआ है) बीमित व्यक्ति भुगतान करेगा और तदानुसार शेष 90, 80 या 70 प्रतिशत राशि का भुगतान बीमा कंपनी करेगी। 

क्या कोपे जरूरी है? – Is Copay Necessary?

कोपे, पॉलिसीधारक और बीमा कंपनी के दरम्यान क्लेम राशि का साझा रूप से भुगतान करने का माध्यम है जो कि अनिवार्य नहीं है। अलबत्ता, कुछ बीमा कंपनियां स्वास्थ्य बीमा योजनाओं को आवश्यक रूप से सह-भुगतान के साथ लाती हैं तो बीमा के इच्छुक व्यक्ति को स्वैच्छिक कटौती का विकल्प चुनने का अधिकार देती हैं जिससे प्रीमियम की राशि कम हो जाती है। 

प्रीमियम की स्थिति – Premium Status

को-पेमेंट से प्रीमियम की निम्नलिखित दो स्थितियां उत्पन्न होती हैं –

1. अधिक प्रतिशत सह भुगतान (Higher Percentage Copayment)- यदि आप क्लेम राशि का अधिक प्रतिशत के भुगतान का विकल्प चुनते हैं तो इस स्थिति में कुल प्रीमियम की राशि कम हो जाएगी। यानि यदि आप क्लेम का 30 प्रतिशत भुगतान करना चाहेंगे तो आपको कम प्रीमियम देना पड़ेगा। 

2. कम प्रतिशत सह भुगतान (Low Percentage Copayment)- यदि आप क्लेम राशि का कम प्रतिशत के भुगतान का विकल्प चुनना चाहते हैं तो आपके कुल प्रीमियम की राशि स्वाभाविक रूप से अधिक हो जाएगी। यानि यदि आप क्लेम का 10 प्रतिशत भुगतान करना चाहेंगे तो आपको प्रीमियम ज्यादा देना पड़ेगा। 

कोपे किस प्रकार काम करता है? – How Does a Copay Work?

बीमा कंपनियां, हैल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के साथ दो प्रकार के दावों का विकल्प चुनने का अधिकार देती हैं। विवरण निम्न प्रकार है – 

1. नकद मुक्त उपचार (Cashless Treatment) – इस व्यवस्था के अंतर्गत बीमा कंपनी,  बीमित व्यक्ति या उसके परिवार के किसी सदस्य के उपचार पर आये खर्च का निपटारा, संबंधित अस्पताल को, सीधे तौर पर बीमा कंपनी द्वारा किए जाने का प्रस्ताव (offer) रखती है। 

2. किए गए खर्चों की प्रतिपूर्ति (Reimbursement of Expenses Incurred) – इस व्यवस्था के अंतर्गत बीमित व्यक्ति द्वारा उपचार पर किये गये सभी खर्चों की प्रतिपूर्ति (Reimbursement), बीमा कंपनी द्वारा की जाती है।   

कोपे किन स्थितियों में लगाया जाता है? –  Under what Circumstances is Copay Imposed?

बीमा कंपनियां निम्नलिखित स्थितियों के आधार पर कोपे लागू करती हैं –

1. मेडिकल बिल पर (On Medical Bills)- मेडिकल बिल के सभी दावों पर कोपे की शर्त लागू होती है चाहे वह हो स्वैच्छिक या अनिवार्य। 

2. रोग के अनुसार (According to the Disease)- हैल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने का इच्छुक व्यक्ति पहले से ही किसी रोग से ग्रस्त है अथवा कोई गंभीर रोग है तो स्वाभाविक है कि उसके उपचार पर सामान्य से अधिक खर्च आएगा। अतः ऐसी स्थिति में कोपे की शर्त लागू की जाती है। 

3. वरिष्ठ नागरिकों के संदर्भ में (Regarding Senior Citizens)- यदि कोई व्यक्ति अपने साथ अपने परिवार के सदस्यों को हैल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर करना चाहता है जिसमें वरिष्ठ नागरिक भी हों जैसे कि माता-पिता, तो कोपे अनिवार्य रूप से लागू किया जा सकता है। क्योंकि वरिष्ठ नागरिक बहुत जल्दी-जल्दी बीमार पड़ते हैं और गंभीर व आकस्मिक स्थिति में उनके उपचार पर बहुत अधिक खर्च आता है।

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4. अस्पताल के अनुसार (According to Hospital)- हर बीमा कंपनी कुछ अस्पतालों को अपने पेनल में रखती है, इनको नेटवर्क अस्पताल कहा जाता है। यदि, बीमित व्यक्ति नेटवर्क अस्पताल से बाहर के किसी अन्य अस्पताल से इलाज कराता है, इस स्थिति में को-पेमेंट की शर्त लागू करते हैं। ऐसी परिस्थितियों में कैशलेस क्लेम का निपटारा बीमा कंपनी करती है।

5. क्षेत्र के अनुसार (According to Area)- इच्छुक व्यक्ति यदि गांव, कस्बा या छोटे शहर में रहता है तो संभवतः बीमा कंपनी पॉलिसी में कोपे की शर्त लागू ना करे क्योंकि गांवों, कस्बों व छोटे शहर में इलाज कराने पर खर्च कम आता है। हां, इन जगहों पर रहते हुए अपना इलाज मेट्रो शहर के किसी अस्पताल में करवाता है या वह मेट्रो शहर में ही रहता है तो बीमा कंपनी कोपे की शर्त को लागू कर सकती है।

कोपे क्यों लगाया जाता है? – Why is Copay Imposed?

बीमा कंपनियां अपनी हैल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कोपे निम्नलिखित कारणों से लगाती हैं –

1. बीमा कंपनियां कोपे लगा कर 100% के खर्चे से बच जाती हैं क्योंकि कोपे में प्रतिशत के अनुसार, बीमित व्यक्ति भी कुल व्यय का एक भाग (प्रतिशत के अनुसार) वहन करता है। इस प्रकार की इन छोटी-छोटी बचत से बीमा कंपनी के financial pool में वृद्धि होती है। यह बीमा कंपनी के लिये सबसे बड़ा फायदा है। 

2. कोपे हैल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के दुरुपयोग को रोकता है। पॉलिसीधारक छोटे-छोटे और गैर जरूरी क्लेम को बीमा कंपनी को नहीं देता। पॉलिसीधारक उन बीमारियों के इलाज का क्लेम भी नहीं कर पाता जिनके उपचार के खर्च की गारंटी पॉलिसी नहीं देती। 

3. पॉलिसीधारक को यह पता होता है कि उसे उपचार की लागत का एक भाग खुद खर्च करना है वह अपने विवेक का उपयोग करते हुए ईमानदारी का परिचय देता है। वह इस मामले में किसी भी प्रकार का अनुचित कार्यकलाप करने के बारे में सोच भी नहीं सकता। अतः कोपे की शर्त ईमानदारी को बढ़ावा देती है।

4. पॉलिसीधारक अपने उपचार के लिये महंगी स्वास्थ्य सेवा लेने से पहले अन्य विकल्प ढूंडता है। जिस बीमारी के उपचार के लिए 5 स्टार अस्पताल में जितना खर्च आएगा वहीं 3 स्टार अस्पताल में उसे बहुत ही कम खर्च आएगा। इसलिये वह अनावश्यक रूप से महंगा उपचार लेने को अवॉइड करता है क्योंकि वह भली-भांति जानता है उपचार का एक हिस्सा उसको भी देना है। 

इस प्रकार अनावश्यक खर्चे से बीमित व्यक्ति के साथ-साथ बीमा कंपनी भी बच जाती है। उदाहरण के तौर पर जिस उपचार का खर्च 20,000/- रुपये आता है तो पॉलिसीधारक को 10% के हिसाब से 2,000/- देने होंगे वहीं महंगे अस्पताल से इलाज का खर्च 50,000/- आता है तो उसे 5,000/- देने पड़ेंगे।

कोपे के फायदे – Benefits of Copay

हैल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कोपे की शर्त के निम्नलिखित फायदे होते हैं –

1. सबसे बड़ा फायदा यही है कि पॉलिसीधारक को अपने उपचार का केवल एक हिस्से (निर्धारित प्रतिशत के अनुसार) का ही भुगतान करना पड़ता है। वह 100% भुगतान करने से बच जाता है। यह पॉलिसीधारक के लिए सबसे बड़ा फायदा है।

2. कोपे लगाने से बीमा कंपनी को भी फायदा होता है। उसे 100% भुगतान नहीं करना पड़ता। बीमा कंपनी को कुल भुगतान के एक हिस्से का फायदा होता है। 

3. वरिष्ठ नागरिकों जो किसी रोग से ग्रस्त हैं, को भी कम प्रीमियम में अधिक कवरेज मिल जाता है।

4. सामान्य बीमारियों के उपचार के लिये, पॉलिसीधारक छोटे-छोटे और अनावश्यक क्लेम देने को अवॉइड करता है। इसके परिणाम स्वरूप पूरे वर्ष में क्लेम ना देने के एवज में वह नो क्लेम बोनस का हकदार हो जाता है।

5. कोपे का अधिक प्रतिशत भुगतान की शर्त स्वीकार करने से उसकी प्रीमियम राशि कम हो जाती है।

6. पॉलिसीधारक लग्जरी सुविधाएं लेने को अवॉइड करता है। वह केवल आवश्यक सुविधाओं को ही अपनाता है। इस प्रकार वह अनावश्यक सुविधाओं के लिये अधिक पैसा खर्च करने से बच जाता है।

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कोपे के नुकसान – Disadvantages of Copay

कोपे के नुकसान निम्नलिखित हैं – 

1. कोपे की शर्त का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि एक हिस्से का भुगतान करे बिना वह स्वास्थ सेवाएं नहीं ले सकता। यदि पॉलिसीधारक की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है तो कोपे की शर्त उसे स्वास्थ सेवाएं लेने से रोकती है। ऐसी हालत में हैल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी बेकार हो जाती है, इसका कोई औचित्य नहीं रह जाता।

2. कोपे की शर्त पॉलिसी प्रीमियम को प्रभावित करती है। यदि व्यक्ति कम प्रीमियम देना चाहता तो उसकी देनदारी का प्रतिशत बढ़ जाएगा। यदि वह देनदारी का प्रतिशत कम रखना चाहता है तो उसे प्रीमियम बहुत ज्यादा देना पड़ेगा। 

Conclusion –

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको स्वास्थ्य बीमा में कोपे के बारे में विस्तार से जानकारी दी। स्वास्थ्य बीमा में कोपे क्या है, कोपे प्रतिशत क्या है, क्या कोपे जरूरी है, प्रीमियम की स्थिति, कोपे किस प्रकार काम करता है, कोपे किन स्थितियों में लगाया जाता है और कोपे क्यों लगाया जाता है, इन सब के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से कोपे के फायदे बताए और कुछ नुकसान भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।

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Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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