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होली के रंग कैसे छुड़ाएं – How to Remove of Holi Colors in Hindi

होली के रंग कैसे छुड़ाएं

स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, भारत को यदि त्योहारों का देश कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी क्यों कि यहां हर दिन एक विशेषता लिए हुए होता है। यह भी एक सत्य है कि त्योहारों को मनाने के लिए जितनी छुट्टियां हमारे देश की सरकार देती है उतनी छुट्टियां किसी अन्य देश में नहीं मिलतीं। एक विशेषता और है हमारे देश की, कि पर्व किसी भी धर्म से जुड़ा हो, सभी धर्म के लोग उसे मनाकर आनन्द लेते हैं। ऐसा ही एक पर्व है होली जो रंगों की छटा बिखेरता है जिसे लगभग हर धर्म के लोग मनाते हैं। इस दिन सभी ईस्टमेन कलर में नज़र आते हैं। परन्तु इन कलर्स के पीछे एक समस्या खड़ी है कि शरीर से इन रंगों को कैसे छुटाएं।बस, यही है हमारा आज का टॉपिक “होली के रंग कैसे छुड़ाएं”

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको होली के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि होली के रंग कैसे छुटाएं। परन्तु इसके लिये होली के बारे में बेसिक जानकारी होना अति आवश्यक है। तो, सबसे पहले जानते हैं कि होली क्या है, इसकी ऐतिहासिकता और होली क्यों मनाई जाती है? फिर इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।

होली क्या है? – What is Holi?

होली भारत का राष्ट्रीय पर्व है। यह पर्व नेपाल का भी है। भारत में वसंत ऋतु में, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। अंग्रेजी महीने की बात करें तो यह त्योहार मार्च के महीने में मनाया जाता है। मुख्य रूप से यह दो दिन का पर्व है। पहले दिन इसे “होलिका दहन” के रूप में मनाया जाता है और अगले दिन रंग खेला जाता है। होलिका दहन वाले दिन को “छोटी होली” के नाम से भी जाना जाता है। रंग खेलने को “होली” कहा जाता है। होली को धुलेंडी, धुरड्डी, धुरखेल, धूलिवंदन आदि नामों से भी जाना जाता है।

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 चूंकि इस पर्व को वसंत ऋतु में, फाल्गुन मास में मनाया जाता है इसलिए इसे फाल्गुनी, वसंतोत्सव और कामोत्सव भी कहा जाता है। यह पर्व प्रेम, सौहार्द और भाई चारे का प्रतीक है इसलिए गले मिलकर एक दूसरे को होली की बधाई देते हैं, ठीक उसी प्रकार जैसे ईद पर एक दूसरे के गले मिलकर “ईद मुबारक” कहते हैं। माना जाता है कि होली के दुश्मन भी दुश्मनी भुलाकर गले मिल जाते हैं। होली के दिन उत्तर भारत के सभी केंद्रिय, राज्यों के सरकारी कार्यालयों में तथा प्राइवेट कार्यालयों, स्कूल, कॉलेज, शिक्षण संस्थानों में में छुट्टी रहती है, पर दक्षिण भारत में यह त्योहार लोकप्रिय न होने के कारण छुट्टी नहीं रहती। 

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ऐतिहासिकता – Historicity

कहने को तो यह हिन्दुओं का त्योहार है परन्तु इसके अबीर, गुलाल, रंगों और पकवान, मिष्ठान्नों के स्वाद का ऐसा चमत्कारी आकर्षण है कि यह हर किसी का मन मोह लेता है। इसीलिये हमारे देश भारत में हर धर्म के लोग होली मनाते हैं, विशेषकर मुसलमान भाई भी। मुगलकाल की तस्वीरें इस बात की प्रमाणिकता सिद्ध करती हैं। अनेक मुस्लिम कवियों ने अपनी रचनाओं में इसका वर्णन किया है कि होलिकोत्सव मुसलमान भी मनाते हैं।

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अकबर का जोधाबाई के साथ तथा जहाँगीर का नूरजहाँ के साथ होली खेलने का जिक्र किया गया है। इतिहास बताता है कि शाहजहाँ के समय में होली को ईद-ए-गुलाबी या आब-ए-पाशी (रंगों की बौछार) कहा जाता था। अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र के बारे में कहा जाता है कि होली पर उनके मंत्री बादशाह रंग लगाने दरबार में जाया करते थे। मध्यकालीन हिन्दी साहित्य में कृष्ण की लीलाओं में भी होली का विस्तार से उल्लेख मिलता है। 

होली क्यों मनाई जाती है? – Why is Holi Celebrated?

दोस्तो, होली क्यों मनाई जाती है इस संबंध में कई मान्यताएं, परम्पराएं, किस्से, कहानियां आदि प्रसिद्ध हैं। इनमें से कुछ का वर्णन निम्न प्रकार है –

1. होली के विषय में सबसे प्रसिद्ध कहानी एक छोटे बच्चे भक्त प्रहलाद की है जिनके असुर पिता हिरण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानते थे जबकि प्रहलाद भगवान विष्णु की भक्ति करते थे। इस बात से नाराज हिरण्यकश्यप ने कई बार अपने पुत्र को समझाने की कोशिश की, कई बार उसे दंडित किया और कई बार उसे मारने का प्रयास किया परन्तु प्रहलाद का कुछ नहीं बिगड़ा। हिरण्यकश्यप की एक बहिन होलिका के पास ब्रह्मा जी का दिया हुआ एक दुशाला (Shawl) था और यह वरदान था कि यह दुशाला आग से रक्षा करेगा क्यों कि यह आग में नहीं जलेगा।

एक प्रकार से हम कह सकते हैं कि वह दुशाला अग्निरोधक (Fireproof) था। एक दिन होलिका प्रहलाद को लेकर अपने पिता के आदेश पर लकड़ियों के ढेर पर बैठ गई। उसने ब्रह्मा जी का दिया हुआ दुशाला ओढ़ लिया, प्रहलाद को ऐसे ही बैठाया गया, लकड़ियों को आग लगा दी गई। तभी इतने जोर से हवा चली कि दुशाला होलिका से हट गया और प्रहलाद को उसने लपेट लिया। इस तरह प्रहलाद बच गया और होलिका जलकर भस्म हो गई। प्रहलाद की भक्ति की याद में बुराई की प्रतीक होलिका का दहन किया जाता है जिसे “होलिका दहन” कहते हैं और अगले दिन “होली” के रूप में रंग खेलकर खुशियां मनाई जाती हैं। 

2. कुछ लोग होली पर्व को राक्षसी ढुंढी, राधा कृष्ण के रास और कामदेव के पुनर्जन्म से भी जोड़ते हैं।

3. एक अन्य कथा बताती है कि त्रेतायुग के आरंभ में भगवन विष्णु ने धूलि (Dust) का वंदन किया था, इसलिए होली को धुलेंडी का नाम दिया गया और इस दिन कुछ लोग एक दूसरे पर धूल और कीचड़ लगाते हैं। इसे धूल स्नान कहा जाता है। 

4. एक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन पूतना नामक राक्षसी को मारा था। इस कारण गोपियों और ग्वालों ने रासलीला की और रंग खेल कर खुशियां मनाईं।

5. एक मान्यता के अनुसार प्राचीन काल में खेत के अधपके अन्न को यज्ञ में आहुति देकर प्रसाद लेने का चलन था। इसका तात्पर्य नई फसल का स्वागत करना था। अन्न को चूंकि होला भी कहा जाता है, इस कारण इस पर्व का नाम होलिकोत्सव पड़ा। आज भी यह परंपरा कायम है कि नई फसल गेहूँ की बालियों और चने के होले को होलिका दहन की अग्नि में भूनकर प्रसाद के रूप में भुना हुआ अन्न बांटा जाता है। उस समय विवाहित महिलाएं परिवार की सुख समृद्धि के लिए पूर्णिमा की रात, पूर्ण चंद्र की पूजा करती थीं। यह पर्व नवात्रैष्टि यज्ञ के नाम से प्रसिद्ध था। 

6. एक मान्यता के अनुसार इस दिन लोग होली में रंग लगाकर भगवान शिव के गणों का रूप धारण करते हैं और शिव की बारात का दृश्य बनाकर, नाच-गाकर आनन्दित होते हैं। 

होली की तैयारियां – Holi Preparations

1. होलिका दहन के लिए

दोस्तो, होली की तैयारियां वसंत ऋतु के आगमन से ही होने लगती हैं। इसमें मुख्य तैयारी होलिका दहन के लिये करनी पड़ती है। सबसे पहले प्रमुख काम झंडा या डंडा गाढ़ने का होता है जो कि सार्वजनिक स्थल पर, गांवों के चौराहे पर, शहरों में सड़कों के चौराहे पर गाढ़ा जाता है। 

इसके पास ही होलिका दहन करने के लिये लकड़ियां, उपले इकट्ठे किए जाते हैं। गांवों में, शहरों से सटे गांवों में महिलाएं गोबर से बरकुले (भरभोलिए) बनाए जाते हैं। इनको बनाते समय इनके बीच में एक छेद किया जाता है। इन बरकुलों की मालाएं बनाई जाती हैं जो लकड़ी के ढेर पर डाली जाती हैं। 

2. होली के लिए –

होलिका दहन के अगले दिन होली खेलने के लिये बहुत दिन पहले तैयारी करने की जरूरत नहीं होती। बस, एक या दो दिन पहले ही बाजार से सामान खरीदना होता है। इसमें दो प्रकार का सामान होता है – पहला भोजन बनाने का सामान और दूसरा होली खेलने से संबंधित सामान। 

भोजन बनाने के लिए भोजन बनाने के लिए तेल, घी, मैदा, बेसन, ड्राई फ्रूट्स, नमक, मिर्च-मसाले, कुछ सब्जियां आदि पहले से लेकर रख लेते हैं। कुछ सामान उसी दिन यानि होली वाले दिन खरीदा जाता है जैसे ब्रेड, पनीर, खोया आदि। होली खेलने से संबंधित सामान एक दिन पहले यानि होलिका दहन के दिन या होली वाले दिन खरीदे जा सकते हैं जैसे गुलाल, पानी में घोलने वाले रंग, पिचकारी, गुब्बारे, होली की टोपी आदि।

होली कैसे मनाई जाती है? – How is Holi Celebrated?

दोस्तो, अब बताते हैं आपको कि होली कैसे मनाई जाती है। तो यह समझिये की होली दो दिन मनाई जाती है। पहले दिन को होलिका दहन या छोटी होली कहते हैं और दूसरे दिन को मुख्य होली या रंग वाली होली या धुलेंडी या बड़ी होली कहा जाता है। ये निम्न प्रकार से मनाई जाती हैं – 

1. एक रात पहले, होलिका दहन – 

दोस्तो, हमने होली की तैयारी में ऊपर बताया है कि होलिका दहन के लिए लगभग एक महीना पहले होली जलाने के लिए लकड़ियां और उपले एक स्थान पर इकट्ठा करते रहते हैं। होलिका दहन के दिन तक ये लकड़ियों और उपलों का ढेर बहुत ऊंचा और फैलाव में बहुत बड़ा आकार ले लेता है। होलिका दहन वाले दिन लगभग दोपहर से ही लकड़ियों और उपलों से बनी इस होली का पूजन शुरु हो जाता है। घर पर बने पकवानों का इस स्थान पर भोग लगाया जाता है।

रात होने से पहले होली दहन से पहले पुरुष, महिलाएं, बच्चे नाचते गाते आते हैं उनके हाथों में अधपकी गेहूँ की बालियों और चने के होले होते हैं। ज्योतिषियों के द्वारा बताए गए मुहूर्त के समय पर होली का दहन किया जाता है। होलिका दहन की इस पवित्र अग्नि में नई फसल का नया अन्न गेहूँ की बालियों और चने के होलों के रूप में आहुति देकर यानि भूनकर प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। देर रात तक लोग नाचते गाते रहते हैं। होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है।

2. होली वाला दिन – होली वाले दिन केवल गुलाल और रंग ही शामिल नहीं होते बल्कि और भी बहुत कुछ शामिल होते हैं जैसे कि मिष्ठान्न और पकवानों में माता, बहिन, बेटी और पत्नी इन सब के प्रेम की खुश्बू, बुजुर्गों का आशीर्वाद, मित्र गणों का अटूट प्रेम, सगे-संबंधियों और पड़ोसियों का प्रेम भरा वार्तालाप, आचार और व्यवहार तथा समाज में सद्भावना। जहां तक कार्य स्थल की बात है तो होली पर छुट्टी रहने के कारण एक दिन पहले ही यानि होलिका दहन को ही कार्य समय समाप्त होने के बाद होली खेल ली जाती है। अब बताते हैं आपको होली के दिन क्या-क्या होता है और होली कैसे मनाई जाती है। विवरण निम्न प्रकार है – 

(i) भोजन – होली वाले दिन लगभग सभी घरों में अपनी चाहत और आमदनी के अनुसार खीर, गुंझिया, मीठे ब्रेड रोल, पूड़ी, कचौड़ी, अनेक प्रकार की पकौड़ियां, दही-बड़े, ब्रेड पकौड़े, समोसे, पापड़, कचरियां, छोले, रायता, सॉस, पुदीना की चटनी आदि व्यंजन बनाए जाते हैं। ये खुद खाने के साथ-साथ घर पर आने जाने वालों को भी दिए जाते हैं। यह सिलसिला सुबह से ही शुरु हो जाता है और लगभग इसमें दो से तीन घंटे का समय लग जाता है। कई परिवार कांजी, भांग और ठंडाई भी बनाते हैं।

(ii) रंग, गुलाल – भोजन करने के बाद, कुछ लोग और बच्चे पूरा भोजन किए बिना ही होली खेलने के लिए अपने-अपने औजार लेकर चल देते हैं यानि गुलाल, रंग भरी पिचकारी, गुब्बारे आदि। बच्चे एक दूसरे पर गुब्बारे फेंकते हैं, पिचकारी से रंग डालते हैं बड़े बच्चे अपनी टोलियों में रंग और गुलाल से होली खेलते हैं। परिवार में माता-पिता तथा अन्य बड़े बुजुर्गों के पैरों पर गुलाल लगाकर, उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं। 

बड़े लोग अपनी टोली में शामिल होकर रंग और गुलाल से होली खेलते हैं, महिलाएं, महिलाओं के साथ होली खेलती हैं तथा पुरुष और महिलाएं भी मर्यादा में रहकर एक दूसरे पर रंग और गुलाल से होली खेलते हैं। क्यों कि सबको पता है कि बद्तमीजी से महिला के साथ होली खेलने पर, पुलिस में शिकायत होने के बाद आसानी से जमानत भी नहीं होती। गलियों और सड़कों पर रंग और गुलाल बिखरा पड़ा रहता है। कुछ शराबी लोग सड़कों पर गिरे पड़े रहते हैं। गलियों और सड़कों पर रंग और गुलाल बिखरा पड़ा रहता है। 

(iii) नाच गाना – होली खेलते हुए टोलियां ढोल, नगाड़े, मंजीरा, छम्म बजाते हुए नाचते गाते हुए एक मोहल्ले से दूसरे मोहल्ले में पहुंचते हैं। वहां जाकर खूब जम कर नाचते गाते हैं। यह सिलसिला लगभग दो-ढाई घंटे तक चलता है। कुछ युवा लोग अपने घर की छतों पर बहुत तेज आवाज में डीजे बजाते हैं और नाचते हैं। यह डीजे रात को भी बजता है। 

(iv) नहाना – होली खेलते, नाचते, गाते, धूम मचाते, खाते पीते हर कोई थक जाता है और चाहता है कि नहा धोकर थोड़ी देर सोकर आराम किया जाए। इसलिये ढाई, तीन बजे के बाद लोग शरीर से रंग छुटाने की कोशिश करते हैं जो पूरी तरह नहीं छुट पाता। आखिर वे नहा ही लेते हैं और इस तरह होली का पर्व सम्पन्न हो जाता है। जहां तक होली के रंग छुटाने की बात है तो इसे छुटाने के उपायों का जिक्र हम आगे करेंगे। 

होली के नुकसान – Side Effects of Holi

होली के होने वाले नुकसान निम्न प्रकार हैं –

1. बाजार में मिलने वाले होली के रंगों में खतरनाक रसायन तथा ऑक्सीडाइड होते हैं जो स्वास्थ पर बुरा असर डालते हैं। 

2. ये रसायन युक्त रंग ना केवल त्वचा को खराब करते हैं बल्कि खुजली, जलन, ड्राईनेस, सूजन जैसी समस्याएं भी पैदा करते हैं।

3. इन रसायन युक्त रंगों से कार्नियल अल्सर, एलर्जी और कंजेक्टि‍वाइटि‍स जैसी समस्या हो सकती है जो दृष्टि के लिए घातक हो सकती हैं।

4. सिर की त्वचा बुरी तरह प्रभावित होती है। ये रंग बालों की जड़ों को कमजोर कर सकते हैं जिससे बाल झड़ने लग सकते हैं, ड्राईनेस आ सकती है, डैंड्रफ हो सकता है आदि। 

5. हवा में उड़ता हुआ गुलाल सांस लेने में दिक्कत कर सकता है विशेष तौर अस्थमा के मरीज इससे बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं।

6. कान में यदि रंग चला जाए तो कान में खुजली या कोई अन्य समस्या हो सकती है। 

7. कोई पानी या रंग भरा गुब्बारा कान पर लग जाए तो कान पर गहरी चोट लग सकती है जिससे कान का पर्दा फटने की संभावना रहती है। कान में पानी या रंग चले जाने पर सुनने की समस्या हो सकती है। 

8. शराब या भांग का नशा करने पर कुछ भी गलत होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

होली के रंग कैसे छुड़ाएं – How to Get Rid of Holi Colors

दोस्तो, अब बताते हैं आपको कुछ निम्नलिखित ऐसे उपाय जिनकी सहायता से होली के रंग छुटाए जा सकते हैं। यहां हम स्पष्ट कर दें कि हम केवल तन से होली के रंग छुटाने की बात कर रहे हैं ना कि कपड़ों से –  

1. गुलाल छुटाने के लिए सूखा कपड़ा (Dry Cloth to Remove Gulal)- गुलाल छुटाने के लिए शुरुआत में पानी का इस्तेमाल बिल्कुल भी ना करें। ऐसा करने से गुलाल पानी के साथ बहकर दूसरे अंगों पर भी लगेगा और गहरा भी हो जाएगा। इसलिये गुलाल को छुटाने के लिये सूखे कपड़े का इस्तेमाल करें। सूखे कपड़े से पहले हाथों को अच्छी तरह पूंछें, फिर सिर से गुलाल झाड़ें और फिर चेहरे तथा अन्य अंगों से गुलाल छुटाएं। ऐसा करने से शरीर से 90% तक गुलाल छुट जाऐगा। फिर बाद में ठंडे पानी से बाकी का गुलाल भी छुटा दें, आसानी से छुट जाएगा।

2. ठंडा पानी (Cold Water)- होली के रंग छुटाने के लिए कभी भी गर्म पानी का इस्तेमाल ना करें क्यों कि गर्म पानी के संपर्क में आने से रंग और पक्का हो जाता है और छुटने में बहुत दिक्कत करता है। इसलिए ठंडे पानी का इस्तेमाल करते हुऐ रंग छुटाएं।

3. नींबू (Lemon)- होली के रंग और गुलाल का हाथ और पैर के नाखूनों पर लगना और इनके अंदर रंग जमा हो जाना स्वाभाविक है। इनको साफ़ करने के लिये नींबू से अच्छी तरह रगड़ें। नाखूनों का रंग निकल जाएगा।

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4. दही या एलोवेरा जेल (yogurt or Aloe Vera Gel)- होली के दिन बालों की हालत बहुत बुरी हो जाती है। बालों का रंग निकालने के लिए सिर में दही या एलोवेरा जेल लगाकर लगभग 45 मिनट के लिए छोड़ दें। बाद में किसी माइल्ड शैंपू से सिर धो लें। बालों का रंग निकल जाएगा और सिर भी साफ़ हो जाएगा। अगले दिन लिए दो चम्मच मेथी दाना और शिकाकाई पाउडर को तीन कप पानी में मिलाकर उबालकर, इससे बालों को धो लें। इससे बालों को पोषण मिलेगा।

5. दूध या दही और बेसन (Milk or Curd and Gram Flour)- बेसन में दूध या दही और गुलाब जल मिलाकर पतला पेस्ट बनाकर चेहरे और अन्य स्थान पर लगाकर 5-10 मिनट के लिए छोड़ दें। बाद में ठंडे पानी से धो लें। 

6. दही (yogurt)- होली के रंग छुटाने के लिए आप केवल दही का भी उपयोग कर सकते हैं। दही को त्वचा पर लगाकर धीरे-धीरे मसाज करें, रगड़ें नहीं। बाद में पानी से साफ़ कर लें। 

7. खीरा (Cucumber)- होली के रंग छुटाने के लिए खीरा का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए खीरा के जूस में थोड़ा सा गुलाब जल और एक चम्मच सिरका अच्छी तरह मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को चेहरे और अन्य स्थान पर लगाकर छोड़ दें। बाद में पानी से धो लें।

8. मूली (Raddish)- खीरा के समान ही मूली का जूस निकालकर पेस्ट बनाया जा सकता है। इसके लिए मूली के जूस में बेसन या मैदा मिलाकर पेस्ट बनालें। इस पेस्ट को त्वचा पर लगाकर छोड़ दें। 10 मिनट बाद पानी से धो लें। इससे चेहरे पर निखार आ जाएगा।

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9. कच्चा पपीता (Raw Papaya)- थोड़ा सा कच्चा पपीता पीसकर दूध में मिला लें। फिर इसमें थोड़ा सा मुलतानी मिट्टी पाउडर और थोड़ा सा बादाम तेल भी मिला लें। इस मिश्रण से त्वचा पर लगाएं और लगभग आधा घंटा बाद धो लें। 

10. संतरे के छिलके और मसूर की दाल (Orange Peel and Lentils)- संतरे के छिलके, थोड़ी सी मसूर की दाल और कुछ बादाम दूध में पीसकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को त्वचा पर लगाकर मसाज करें और बाद में धो लें। इससे रंग भी छुट जाएगा और त्वचा में निखार आ जाएगा। 

11. केले का फेस पैक (Banana Face Pack)- केले को मथ कर इसमें आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर पेस्ट बना लें। पहले चेहरे को साफ़ पानी से धो लें, फिर ये केले का पेस्ट चेहरे पर लगाकर छोड़ दें। 15 मिनट बाद जब ये सूख जाए तो चेहरे पर थोड़ा सा गीला कर के मसाज करें। बाद में पानी से धो लें।

12. मुल्तानी मिट्टी (Multani Mitti)- मुल्तानी मिट्टी का उपयोग के लिए उपयोग से एक घंटे पहले इसे पानी में भिगो दें। जब यह अच्छी तरह मुलायम हो जाए तो इसे चेहरे पर लगाकर छोड़ दें। इसके सूख जाने पर चेहरा पानी से धोकर साफ़ कर लें। 

13. ग्लिसरीन (Glycerin)- होली के रंगों के कारण त्वचा में खुजली होना एक आम समस्या है। इससे राहत पाने के लिए ग्लिसरीन मदद कर सकती है। ग्लिसरीन को गुलाब जल में मिलाकर चेहरे और अन्य प्रभावित त्वचा पर लगाएं, फिर बाद में हल्के गुनगुने पानी से धो लें। इससे रंग भी निकल जाएगा और खुजली भी नहीं होगी। 

14. जौ और बादाम (Barley and Almonds)- जौ के आटे में बादाम का तेल अच्छी तरह मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को चेहरे और अन्य प्रभावित त्वचा पर लगाकर हल्के हाथ से मसाज करें। यह स्क्रब के रूप में काम करते हुए रंग छुटाने में मदद करेगा।

15. जिंक ऑक्साइड और अरंडी का तेल (Zinc Oxide and Castor Oil)- त्वचा पर गहरा और जिद्दी रंग लग जाने की सूरत में, इसे छुटाने के लिये जिंक ऑक्साइड और अरंडी का तेल काम आता है। जिंक ऑक्साइड और अरंडी का तेल की दो-दो चम्मच लेकर इनको अच्छी तरह मिला लें। इस मिश्रण को चेहरे तथा अन्य प्रभावित त्वचा पर लगाकर स्पंज की मदद से हल्के-हल्के मसाज करें। लगभग बीस मिनट बाद साबुन लगाकर ठंडे पानी से धो लें। 

कुछ सावधानियां/बचाव – Some Precautions

दोस्तो, अब बताते हैं आपको कुछ निम्नलिखित सावधानियां जिनको अपनाकर आप होली के कुप्रभाव से बचाव कर सकते हैं ताकि आप स्वस्थ भी रहें और प्रसन्नता पूर्वक इस पर्व का आनन्द ले सकें – 

1. दोस्तो, होली प्रेम, सौहार्द, हर्ष और उल्लास का पर्व है इसलिये किसी से कोई कड़वी बात ना कहें। खुद भी आनन्दित हों और दूसरों को भी आनन्दित होने दें।

2. होली वाले दिन Public Transport दोपहर दो बजे तक बंद रहता है, केवल अपने वाहन से आ जा सकते हैं। परन्तु इस दिन शराब पीकर गाड़ी चलाने से सड़क दुर्घटनाएं बहुत होती हैं। इसलिये अपने वाहन से कहीं अपने मित्रगणों, रिश्तेदारों के घर जाने को अवॉइड करें और ना ही उनको अपने घर आमन्त्रित करें।

यदि जाना भी है और दुपहिया वाहन का इस्तेमाल करना है तो सिर पर हैलमेट अवश्य पहनें तथा शराब पीकर गाड़ी ना चलाएं। यह, पुलिस और प्रशासन के लिये आपका बहुत बड़ा योगदान होगा। इस प्रकार आप संभावित सड़क दुर्घटना को निरस्त कर पाएंगे। आप सुरक्षित रहें तथा औरों को भी सुरक्षित रखें। 

3. इस दिन लड़ाई होने की 80 प्रतिशत संभावना होती है इसलिए किसी को उसकी मर्जी के बिना रंग ना लगाएं विशेषकर महिलाओं को। 

4. किसी से बेवजह ना उलझें, विशेषकर शराबी से। जहां तक हो सके शांति बनाए रखने का प्रयास करें। 

5. होली वाले दिन शराब ना पीयें या कोई और नशा ना करें बल्कि जिन लोगों ने पी रखी है उनकी हरकतों का आनन्द लें।

6. कैमिकल वाले रंगों से बचें, इनके स्थान पर प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करें।

7. बच्चों को पानी/रंग भरे गुब्बारे चलाने से मना करें।

8. इस दिन कचौड़ी, पकौड़ी, अन्य पकवान तथा मिष्ठान्न बनाने में बहुत समय लगता है इसलिये रसोई के इस काम में अपनी माता/पत्नी की मदद करें, फिर बाद में होली खेलें।

9. होली खेलने से लगभग एक घंटे पहले अपने चेहरे/त्वचा पर कोल्ड क्रीम या कोई तेल लगाएं। ऐसा करने से होली के रंग त्वचा पर नहीं जम पाएंगे।

10. बालों में सरसों, नारियल या ऑलिव ऑयल लगाएं। इससे खोपड़ी पर एक सुरक्षा परत बन जाएगी और रंग बालों की जड़ों में नहीं पहुंच पाएंगे। धोने पर रंग आसानी से निकल जाएंगे। 

11. नाखूनों की सुरक्षा भी जरूरी है। हाथ पैर की उंगलियों के नाखूनों में रंग ना फंसे इसके लिए नाखूनों पर कोई क्रीम/तेल लगा लें। वैसे इनको नींबू के जरिये साफ़ किया जा सकता है। इसका जिक्र हमने ऊपर किया है।

12. गुलाल और होली के रंग अक्सर आंखों में चले जाते हैं जिससे जलन और खुजली जैसी समस्या होती है। इससे बचने के लिए सनग्लास पहनें। गुलाल और होली के रंग आंखों में जाने की स्थिति में आंखों को ठंडे पानी से धोएं, ध्यान रहे कि आंखों को मसलने की गलती ना करें।

13. दोस्तो, त्वचा अपना रसायनिक संतुलन स्वयं बनाती है, इसलिये होली के कम से कम एक सप्ताह तक ब्लीच या फेशियल ना करें। 

14. बच्चों की त्वचा अति संवेदनशील होती है, इसलिये बच्चों को गुलाल, रंग आदि ना लगाएं विशेषकर छोटे बच्चों और शिशुओं को। बड़े बच्चों को भी गहरे रंगों से होली खेलने से मना करें क्यों कि इससे खुजली, जलन, दाने, फुंसी आदि होने की आशंका रहती है। 

Conclusion – 

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको होली के रंग कैसे छुड़ाएं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। होली क्या है, इसकी ऐतिहासिकता, होली क्यों मनाई जाती है, होली की तैयारियां, होली कैसे मनाई जाती है और होली के नुकसान, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से होली के रंग छुटाने के बहुत सारे उपाय बताए और कुछ सावधानियां/बचाव के बारे में भी बताया। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा। 

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।
Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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होली के रंग कैसे छुड़ाएं
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होली के रंग कैसे छुड़ाएं
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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको होली के रंग कैसे छुड़ाएं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। होली क्या है, इसकी ऐतिहासिकता, होली क्यों मनाई जाती है, होली की तैयारियां, होली कैसे मनाई जाती है और होली के नुकसान, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया।
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