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प्रोस्टेट कैंसर क्या है? – What is Prostate Cancer in Hindi

प्रोस्टेट कैंसर क्या है?

स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। आज हम लेकर आये हैं एक ऐसा टॉपिक जो केवल पुरुषों से संबंधित है यानि “प्रोस्टेट कैंसर” (Prostate Cancer)। प्रोस्टेट ग्लैंड में होने वाले कैंसर को प्रोस्टेट कैंसर कहा जाता है। दोस्तो सभी जानते हैं कि कैंसर गंभीर बीमारी है, यदि इसका समय रहते उपचार ना किया जाये तो यह जानलेवा हो सकती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनियां भर में 200 से अधिक प्रकार का कैंसर होता है। इनमें से अधिकतर कॉमन होते हैं यानि महिला, पुरुष दोनों को हो सकते हैं। मगर कुछ कैंसर ऐसे होते हैं जो केवल महिलाओं में ही होते हैं जैसे ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर आदि तथा कुछ कैंसर केवल पुरुषों को होते हैं। इनमें से एक है “प्रोस्टेट कैंसर” क्योंकि प्रोस्टेट ग्लैंड केवल पुरुषों में ही होती है। यही है हमारे आज के आर्टिकल का नाम “प्रोस्टेट कैंसर क्या है?”। 

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आपको प्रोस्टेट कैंसर के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसके प्रभाव को कम करने के लिये क्या घरेलू उपाय हैं। प्रोस्टेट कैंसर को जानने से पहले प्रोस्टेट के बारे में जानना जरूरी है। तो, सबसे पहले जानते हैं कि प्रोस्टेट क्या है, फिर जानेंगे प्रोस्टेट कैंसर के बारे में कि यह क्या है?। फिर इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे। 

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प्रोस्टेट कैंसर क्या है?
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प्रोस्टेट क्या है? – What is Prostate

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दोस्तो, प्रोस्टेट कैंसर को जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि प्रोस्टेट किसे कहते हैं? तो, यह समझिये कि यह एक ग्रंथि (gland) होती है जिसे पीयूष ग्रंथि या पौरुष ग्रंथि या प्रोस्टेट ग्रंथि (Prostate gland) कहा जाता है। यह प्रजनन प्रणाली (Reproductive system) का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह ग्रंथि अखरोट के आकार की होती है, व्यस्क में यह 3 सेंमी. मोटी और 4 सेंमी। चौड़ी होता है तथा इसका वजन 20 ग्राम तक हो सकता है। बुजुर्गों में यह और भी बड़े आकार की हो सकती है। प्रोस्टेट ग्रंथि, मूत्राशय (वह ट्यूब जो मूत्र को शरीर से बाहर निकालती है) के ठीक नीचे यानि मूत्राशय और लिंग की बीच स्थित होती है। यह शुक्राणुओं को ऊर्जा और बल (Energy and Force) देती है। यह एक ऐसा तरल पदार्थ का बनाती है, जो स्खलन के समय शुक्राणुओं को ले जाता है। 

प्रोस्टेट कैंसर क्या है? – What is Prostate Cancer?

प्रोस्टेट के ऊतकों में कैंसर कोशिकाओं का बनना ही प्रोस्टेट कैंसर कहलाता है। यह, अन्य कैंसर की तुलना में धीरे-धीरे बढ़ता है। कैंसर कोशिकाएं, श्रोणि के लिम्फ नोड्स में या पूरे शरीर में फैल सकती हैं यह हड्डियों तक भी फैल सकती हैं। इसे मेटास्टेसिस स्टेज कहा जाता है। प्रोस्टेट कैंसर कई वर्षों तक शांत रह सकता है अर्थात् इसके लक्षण एकदम से प्रकट नहीं होते।

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10, 20 या 30 वर्ष पहले सेल परिवर्तन शुरू हो सकते हैं। जब लक्षण प्रकट होते हैं तब तक प्रोस्टेट कैंसर डवलप हो चुका होता है। 50 वर्ष या इससे अधिक आयु वाले व्यक्तियों में प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। देसी हैल्थ क्लब यहां स्पष्ट करता है कि प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार बढ़ना, प्रोस्टेट कैंसर नहीं होता और ना ही इससे प्रोस्टेट कैंसर का जोखिम बढ़ता है। प्रोस्टेट ग्रंथि के आकार के बढ़ने को सौम्य प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (Benign Prostatic Hyperplasia – BPH) कहा जाता है, जिसमें मूत्र संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। 

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प्रोस्टेट कैंसर के चरण – Stages of Prostate Cancer

सामान्यतः कैंसर के तीन या चार चरण (Stage) होते हैं। प्रोस्टेट कैंसर के भी चार चरण होते हैं, इनका विवरण निम्न प्रकार है – 

1. प्रथम चरण (Stage 1)- इस प्रारंभिक चरण में कैंसर सेल बहुत छोटे होते हैं जिनका परीक्षण के दौरान पता भी नहीं लग पाता है। ना तो इसका कोई लक्षण प्रकट होता है और ना ही कोई शारीरिक समस्या पैदा होती है।  

2. दूसरा चरण (Stage 2) – इस स्टेज में कैंसर प्रथम चरण से बड़े हो जाते हैं, इसलिये डॉक्टर प्रोस्टेट कैंसर का पता लगा सकते हैं। इस स्टेज की भी दो सब-स्टेज बनती 2ए और 2बी। इनका विवरण इस प्रकार है –

(i) 2ए – ये कैंसर, हाई प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन(Prostate-specific antigen) टी1 ट्यूमर का रुप हो सकते हैं या कम PSA वाले टी2 या टी2बी। PSA का जिक्र हम आगे निदान में करेंगे।

(ii) 2बी – ये कैंसर टी2सी ट्यूमर या हाई PSA वाले टी2ए या टी2बी हो सकते हैं।

3. तीसरा चरण (Stage 3)– जब प्रोस्टेट कैंसर कोशिकाएं बहुत तेजी से बढ़ रही हों और वीर्य पुटिकाओं तक पहुंच गई हों तो इसे तीसरा चरण कहते हैं। इस तीसरे चरण तक उपचार हो जाता है। 

4. चौथा चरण (Stage 4)- यह प्रोस्टेट कैंसर का अंतिम चरण होता है। इसे मेटास्टेसिस (Metastasis) स्टेज भी कहते हैं। यहां तक आते-आते कैंसर हड्डियों को प्रभाविक करने की संभावना होती है या हड्डियों को प्रभाविक कर चुका होता है। नजदीक के अंगों जैसे मलाशय, मूत्राशय या लिम्फ नोड्स में फैल चुका होता है या फैलने की संभावना होती है। इसके अतिरिक्त इसके दूर के अंगों को भी प्रभावित कर सकने की संभावना होती है। इस अंतिम चरण का  इलाज, इलाज की सीमा से बाहर निकल चुका होता है। 

प्रोस्टेट कैंसर के कारण – Causes of Prostate Cancer

प्रोस्टेट कैंसर के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं –

1. मोटापा (Obesity)- मोटापा प्रोस्टेट कैंसर का सबसे मुख्य कारण है। ज्यादातर प्रोस्टेट कैंसर मोटापे के कारण होते हैं और इसका उपचार में भी मुश्किल आती है। सामान्य व्यक्तियों की तुलना में मोटे लोगों में प्रोस्टेट कैंसर के मामले अधिक देखे गये हैं। 

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2. पारिवारिक इतिहास (Family History)- पारिवारिक इतिहास भी प्रोस्टेट कैंसर का मुख्य कारण बनता है। परिवार में यदि किसी सदस्य को जैसे पिता या भाई को प्रोस्टेट कैंसर रहा है तो अन्य सदस्य को भी प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना दो, तीन गुणा अधिक बढ़ जाती है।

परिवार में यदि तीन सदस्यों को प्रोस्टेट कैंसर रहा है तो अन्य सदस्य को इसके होने की संभावना दस गुणा बढ़ जाती है। एक आश्चर्य जनक बात और है कि यदि आप में ब्रेस्ट कैंसर को बढ़ाने वाले जीन्स (BRCA1 या BRCA2) मौजूद हैं अर्थात् परिवार में माता या बहन को ब्रेस्ट कैंसर हुआ है तो आपको प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। 

3. उच्च वसा का सेवन (High Fat Intake)- वे पुरुष जो फलों और सब्जियों के साथ उच्च वसा युक्त भोजन करने के आदी हैं तो उनको प्रोस्टेट कैंसर का जोखिम अधिक रहता है।

4. अनियमित लाइफस्टाइल (Irregular lifestyle)- आज की भागदौड़ वाली जिन्दगी ऐसी है कि व्यक्ति अपने लिये समय नहीं निकाल पाता और ना ही अपने परिवार के लिये। ना तो व्यायाम करता है ना ठीक से नाश्ता, बस काम पर भागने की पड़ी रहती है। दोपहर का भोजन भी काम करते-करते ही खा रहे हैं। रात को भी देर से घर आना, खाना खाकर देर तक जागते रहना, जिससे नींद पूरी नहीं हो पाती। यह सब परिस्थितियां तनाव पैदा करती हैं जिससे दैनिक जीवन  संतुलित नहीं हो पाता। परिणाम स्वरूप स्वास्थ पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है और प्रोस्टेट समस्या/कैंसर होने की संभावना बन जाती है।

प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण – Symptoms of Prostate Cancer

हमने ऊपर बताया है कि प्रोस्टेट कैंसर कई वर्षों तक शांत रह सकता है। आरंभिक चरण में इसके लक्षण पता नहीं चलते इसलिये इसे डायग्नोज़ भी नहीं किया जा सकता। बाद में इसके डवलप होने पर निम्नलिखित लक्षण देखे जा सकते हैं –

1. कमर में दर्द होना, कमर के निचले हिस्से में कूल्हों, या श्रोणि में तेज दर्द उठना, जो कि लगातार भी बना रह सकता है। 

2. मूत्र विसर्जन की बार-बार इच्छा होना।

3. मूत्र विसर्जन के समय दर्द, तेज चुभन और जलन महसूस होना। 

4. यह महसूस होना कि मूत्र की धार कम या पतली हो रही है।

5. मूत्र या वीर्य में रक्त आना।

6. स्खलन के समय दर्द होना। 

प्रोस्टेट कैंसर का निदान – Prostate Cancer Ciagnosis

1. डॉक्टर पहले पारिवारिक हिस्ट्री की जानकारी ले सकते हैं।

2. पीएसए टेस्ट (PSA Test )- प्रोस्टेट कैंसर का संदेह होने पर डॉक्टर प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन (Prostate-specific antigen – PSA) टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। यह टेस्ट के लिये ब्लड सेंपल के जरिये प्रोस्टेट कैंसर की स्क्रीनिंग करने के लिए किया जाता है।

हम आपको बता दें कि पीएसए, प्रोस्टेट ग्रंथि द्वारा उत्पादित एक ग्लाइकोप्रोटीन है जो क्लोटेड वीर्य (clotted semen) को द्रवीभूत (liquefies) करने का काम करता है। पीएसए स्तर का अधिक होना इस बात का संकेत है कि प्रोस्टेट कैंसर हो सकता है और इसका कम स्तर, प्रोस्टेट से जुड़ी कोई अन्य समस्या का लक्षण हो सकता है। पीएसए का सामान्य स्तर, 4.0 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर माना जाता है। आयु वर्ग के अनुसार पीएसए के सामान्य स्तर का विवरण इस प्रकार है –

40 से 49 वर्ष : 0 – 2.5 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर

50 से 59 वर्ष : 0 – 3.5 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर

60 से 69 वर्ष : 0 – 4.5 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर

70 से 79 वर्ष : 0 – 6.5 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर

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2. बायोप्सी (Biopsy)- डॉक्टर, प्रोस्टेट ग्रंथि के कई क्षेत्रों से छोटे ऊतक के सेंपल लेते हैं। केवल माइक्रोस्कोप के जरिये ही ऊतक को देखकर ही प्रोस्टेट कैंसर का निदान किया जाता है। यदि बायोप्सी सकारात्मक (Positive) है तो, रोग विशेषज्ञ कैंसर कोशिकाओं के लिए बायोप्सी सेंपल की जांच करता है और एक ग्लीसन स्कोर देता है। 2 से 10 के बीच, ग्लीसन स्कोर से ट्यूमर फैलने की संभावना का पता लगाया जाता है कि कितनी संभावना है। जितनी कम संख्या, उतनी ही कम ट्यूमर फैलने की संभावना और आक्रामकता कम। 

प्रोस्टेट कैंसर का इलाज – Prostate Cancer Treatment

दोस्तो, प्रोस्टेट कैंसर का इलाज, मरीज की आयु, उसका सामान्य स्वास्थ, पीएसए स्तर, ग्लीसन स्कोर और प्रोस्टेट कैंसर की स्टेज पर निर्भर करता है। इसका उपचार सर्जरी द्वारा किया जाता है जिसे प्रोस्टेटक्टोमी कहा जाता है। प्रोस्टेटक्टोमी दो प्रकार से की जाती है – रेडिकल प्रोस्टेटक्टोमी और दूसरी सामान्य प्रॉस्टेटेक्टोमी। विवरण निम्न प्रकार है –

1. रेडिकल प्रोस्टेटेक्टॉमी (Radical Prostatectomy)- इस सर्जरी का उपयोग प्रोस्टेट ग्रन्थि तथा इसके आसपास के क्षेत्र से कैंसर कोशिकाओं तथा कीटाणुओं को निकालने के लिये किया जाता है। इस सर्जरी के लिये निम्नलिखित विधियां अपनाई जा सकती हैं –

(i) लेपोरस्कोपी – इसमें लेपोरस्कोप नामक यंत्र का उपयोग करते हुऐ, बिना कोई चीरा या कट लगाए पेट के आंतरिक हिस्सों की सर्जरी की जाती है।  इस यंत्र को पेट के अंदर डाल दिया जाता है तथा कैमरे की मदद से पेट के अंदर के चित्र लिये जाते हैं।  

(ii) रोबोटिक सर्जरी – इसमें रोबोटिक मशीन, धातुओं और उपकरणों की मदद से पौरूष ग्रंथि को हटाना, मूत्राशय की खराबी को सुधारने आदि का काम किया जाता है। 

(iii) ओपन एप्रोच सर्जरी – इस सर्जरी में मेडिकल चाकू की मदद से मरीज के उस भाग पर कट लगया जाता है, जहां समस्या होती है। 

2. सामान्य प्रोस्टेटक्टोमी (General Prostatectomy)- यह प्रक्रिया में पेट के निचले भाग पर सर्जिकल कट लगाया जाता है। सर्जन, प्रोस्टेट ग्रंथि के केवल समस्या वाले हिस्से को ही बाहर निकाल देते हैं।

प्रोस्टेट कैंसर का प्रभाव कम करने के घरेलू उपाय –  Home Remedies to Reduce the Effect of Prostate Cancer

दोस्तो, देसी हैल्थ क्लब स्पष्ट करता है कि कैंसर चाहे कोई भी है उसका उपाय केवल डॉक्टरी इलाज ही है। घरेलू उपाय केवल कैंसर के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकते हैं। निम्नलिखित घरेलू उपाय प्रोस्टेट कैंसर के प्रभाव को कम करने में मदद करेंगे – 

1. एलोवेरा (Aloe vera)- एलोवेरा औषधीय गुणों से समृद्ध होता है। एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर एलोवेरा में एंटीकैंसर गुण मौजूद होते हैं। इसीलिये इसे प्रोस्टेट कैंसर के उपचार के लिए उत्तम माना जाता है। इसका, प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित मरीजों को नियमित रूप से सेवन करना चाहिए। इसके एंटीकैंसर गुण कैंसर कोशिकाओं को पनपने और इनके विकास को रोकने में मदद करते हैं।

2. अंगूर (Grapes)- अंगूर के एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण कैंसर से रक्षा प्रदान करने में मदद करते हैं। अंगूर कैंसर के विकास को रोकते हैं और कैंसर कोशिकाओं के फैलाव पर लगाम लगाते हैं। अंगूर में मौजूद कैंसर फाइटिंग तत्व कैंसर सेल्स को खत्म करने में मदद करते हैं। प्रोस्टेट कैंसर में लाल अंगूर को बहुत अच्छा माना जाता है। लाल अंगूरों का जूस प्रोस्टेट कैंसर में बहुत फायदा करेगा। 

3. टमाटर (Tomato)- टमाटर में पाये जाने वाला लाइकोपीन एक कैरोटीनॉयड है जो कैंसर के विरुद्ध कीमो प्रिवेंटिव गुण प्रदर्शित करता है। लाइकोपीन में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-कार्सिनोजेनिक गुण होते हैं, जो कैंसर के विकास को रोकने में मदद करते हैं। प्रोस्टेट कैंसर में टमाटर का उपयोग नियमित रूप से किसी ना किसी रूप में अवश्य करें।

4. ब्रोकोली (Broccoli)- ब्रोकोली में मौजूद फायटोकेमिकल कैंसर कोशाणुओं के विरुद्ध लड़ते हैं। यह एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करके रक्त को शुद्ध करते हैं। ब्रोकली में हल्की मात्रा में सेलेनियम (Selenium) पाया जाता है जिसमें एंटीकैंसर गुण होते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें ग्लूकोराफैनिन (Glucoraphanin) नामक पदार्थ होता है जो एंटीकैंसर पदार्थ को सल्फोराफेन (Sulforaphane) में बदल देता है जो कि एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है। 

सल्फोराफेन, एपोप्टोसिस को सक्रिय करता है ताकि कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोका जा सके। एपोप्टोसिस के सक्रिय होने पर कैंसर कोशिकाओं में ऐसी प्रतिक्रियाएं होती हैं जिससे उनकी मृत्यु हो जाती है। ब्रोकोली, प्रोस्टेट कैंसर सहित कई तरह के कैंसर में प्रभावशाली मानी जाती है जैसे कि ब्रेस्ट कैंसर, स्किन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर आदि।

5. पत्ता गोभी (Cabbage)- पत्ता गोभी जिसे बंद गोभी भी कहा जाता है, प्रोस्टेट कैंसर के प्रभाव को कम करने का एक अच्छा विकल्प है। पत्ता गोभी में एंटीकैंसर गुण मौजूद होते हैं। इसके अतिरिक्त बंद गोभी में ब्रैसिनिन (Brassinin) नामक तत्व पाया जाता है, जो कैंसर के विरुद्ध कीमोप्रिवेंटिव गतिविधियां प्रदर्शित कर कैंसर के प्रभाव को कम करने में मदद करता है। 

6. ग्रीन टी (Green Tea)- प्रोस्टेट कैंसर के प्रभाव को कम करने के लिये दिन में दो बार ग्रीन-टी का सेवन किया जा सकता है। पॉलीफेनोल (कैटेचिन) को ग्रीन-टी के एंटीकैंसर गुणों के लिए जिम्मेदार माना जाता है जो कैंसर कोशिकाओं के प्रसार को रोकने में सक्षम होते हैं। सबसे अधिक भरोसा एपिगलोकेटेशिन गलेट (Epigallocatechin gallate – EGCG ) पर किया जा सकता है जो कि चाय में प्रचुर मात्रा में पाये जाने वाला कैटेचिन है। यह फ्री रेडिकल्स से लड़ कर कोशिकाओं को डीएनए क्षति से बचाता है। 

7. लहसुन (Garlic)- लहसुन औषधीय गुणों से भरपूर होता है।  लहसुन में एलीसिन, सेलेनियम, विटामिन-सी, विटामिन-बी जैसे शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें एंटीकैंसर गुण मौजूद होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं को पनपने नहीं देते। प्रोस्टेट कैंसर से ग्रस्त मरीजों को नियमित रूप से किसी ना किसी रूप में लहसुन का सेवन करना चाहिये।  

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8. सोयाबीन (Soybean)- सोयाबीन पौधों से मिलने वाले प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत है। सोयाबीन में आइसोफ्लेवोंस (एक प्रकार का रासायनिक कंपाउंड) पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें फाइटोकेमिकल्स का समूह का मौजूद होता है। ये दोनों मिलकर एंटीकैंसर के रूप में कार्य करते हुए प्रोस्टेट कैंसर के रोकथाम में मदद करते हैं। सोयाबीन के सेवन से ब्रेस्ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर से भी बचाव होता है। प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों को प्रतिदिन अंकुरित सोयाबीन या पकाए हुए सोयाबीन का इस्तेमाल करना चाहिये। 

9. अमरूद (Guava)- स्वादिष्ट मीठा अमरूद प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना को खत्म कर सकता है। अमरूद में मौजूद लाइकोपीन नामक तत्व प्रोस्टेट कैंसर सेल्स के विरूद्ध कीमोप्रीवेंटिव प्रभाव छोड़कर प्रोस्टेट कैंसर के खतरे से बचाता है। 

10. तरबूज (Watermelon)- अमरूद के समान ही, तरबूज में भी लाइकोपीन नामक तत्व मौजूद होता है। इसे एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है। लाइकोपीन मौजूद कीमोप्रिवेंटिव गुण विशेषतौर पर प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कम करते हैं। एक अध्ययन से भी यही पता चलता है कि लाइकोपीन, अपने एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों के जरिये कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों को कम कर सकता या रोक सकता है। यह शरीर में कैंसर कोशिकाओं को पनपने से रोकता है। 

11. अनार (Pomegranate)- अनार एक ऐसा फल है जिसे आयुर्वेद में चमत्कारी फल की संज्ञा दी गई है क्योंकि यह अनेक बीमारियों के इलाज में काम आता है। इसका केवल फल ही नहीं बल्कि पूरा वृक्ष ही बीमारियों के उपचार में काम आता है। अनार में पाये जाने वाले एलेगिटैनिंस और गैलोटैनिंस नामक पॉलीफिनोल एंटीकैंसर के रूप में काम करते हुए कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने का काम करते हैं। अनार के एंटीकैंसर गुण प्रोस्टेट कैंसर से बचाने में सीधे तौर पर मदद करते हैं। रोजाना एक गिलास अनार का जूस पीने से प्रोस्टेट कैंसर की कोशिकाओं का बढ़ना थम जायेगा। 

12. तुलसी (Basil)- भारतीय समाज में विशेष महत्व रखने वाली तुलसी औषधीय गुणों की खान है। तुलसी के रस में पाये जाने वाले रेडियोप्रोटेक्टिव गुण शरीर में पनपने वाली कैंसर की कोशिकाओं को खत्म करने में सक्षम होते हैं। इसके तुलसी में यूजेनॉल भी मौजूद होता है जिसमें एंटीकैंसर गुण विद्यमान होते हैं। तुलसी में रोसमारिनिक एसिड, एपिगेनिन, ल्यूटोलिन, माय्रटेनल जैसे आवश्यक फाइटोकेमिकल्स भी होते हैं जो प्रोस्टेट कैंसर सहित अनेक प्रकार के कैंसर के विरुद्ध लड़ते हैं और कैंसर के प्रभाव को कम करते हैं। प्रोस्टेट कैंसर के मरीज तुलसी की पत्तियों का रस निकाल कर दो चम्मच सुबह और दो चम्मच शाम को पीयें या कुछ तुलसी की पत्तियां चबाएं। 

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प्रोस्टेट कैंसर से बचाव के उपाय – Ways to Prevent Prostate Cancer

दोस्तो, अब बताते हैं आपको कुछ ऐसे उपाय जिनको अपनाकर प्रोस्टेट कैंसर से बचा जा सकता है। ये निम्न प्रकार हैं – 

1. मैदा और चीनी युक्त पदार्थों से परहेज करें या बहुत ही कम खायें। वैसे भी डॉक्टर बढ़ती उम्र में ज्यादा नमक, चीनी और मैदा का सेवन ना करने की सलाह देते हैं। 

2. सप्लीमेंट्स लेने के बजाय, विटामिन और मिनरल से भरपूर स्वस्थ खाद्य पदार्थों का सेवन करें।

3. फास्ट फूड का बहुत ही कम सेवन करें कभी-कभी, ना कि रोजाना।

4. ताजा फल और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन अधिक करें। 

5. रात का भोजन सोने से कम से कम 2 घंटे पहले करें और थोड़ी देर चहलकदमी करें। खाना का कर एकदम से सोने के लिये ना जाएं।  

6. अपना वज़न मेंटेन करें यानि ना तो वज़न बहुत कम हो और ना ही ज्यादा बढ़े। इसे आदर्श वज़न कहा जाता है। इसके लिये रोजाना मॉर्निंग वॉक, भागना-दौड़ना, एक्सरसाइज करें। 

7. प्रतिदिन अनुलोम-विलोम, योगा, मेडिटेशन करें। इससे शरीर स्वस्थ, चुस्त और स्फूर्तिदायक रहेगा।

8. प्रोस्टेट कैंसर में निम्नलिखित वस्तुओं का परहेज करें –

(i) अल्कोहल।

(ii) एनिमल फैट और ट्रांस फैट

(iii) उच्च कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ।

(iv) अधिक नमक, अचार और अन्य खट्टे खाद्य पदार्थ।

(v) अलसी का तेल। 

Conclusion – 

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको प्रोस्टेट कैंसर के बारे में विस्तार से जानकारी दी। प्रोस्टेट क्या है, प्रोस्टेट कैंसर क्या है, प्रोस्टेट कैंसर के चरण, प्रोस्टेट कैंसर के कारण, प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण, प्रोस्टेट कैंसर का निदान और प्रोस्टेट कैंसर का इलाज, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से प्रोस्टेट कैंसर का प्रभाव कम करने के बहुत सारे घरेलू उपाय बताये और प्रोस्टेट कैंसर से बचाव के उपाय भी बताये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा। 

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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प्रोस्टेट कैंसर क्या है?
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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको प्रोस्टेट कैंसर के बारे में विस्तार से जानकारी दी। प्रोस्टेट क्या है?, प्रोस्टेट कैंसर क्या है?, प्रोस्टेट कैंसर के चरण, प्रोस्टेट कैंसर के कारण, प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण, प्रोस्टेट कैंसर का निदान और प्रोस्टेट कैंसर का इलाज, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया है।
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