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नीम के फायदे – Benefits of Neem in Hindi

नीम के फायदे

स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, प्रकृति ने मानव रोगों के निवारण के लिये एक उपहार दिया है जिसका नाम है नीम। नीम औषधिय गुणों से सम्पन्न होता है जो अनेक रोगों के निवारण में काम आता है विशेषकर त्वचा रोगों में तो यह रामबाण उपाय है। नीम एक ऐसा वृक्ष है जिसके पत्ते, फूल, फल, छाल, जड़, तेल इन सब का उपयोग औषधी के रूप में किया जाता है। चूंकि नीम कड़वेपन का पर्याय है इसलिये इसके फल, रस और पत्तियों को कोई भी अपनी इच्छा से सेवन नहीं करता परन्तु बीमारी में लोग इनका उपयोग करते हैं, इस वृक्ष से लगाव रखते हैं। यद्यपि इसकी व्यावसायिक दृष्टि से खेती नहीं की जाती है फिर भी भारत के लगभग प्रत्येक राज्य में गांव-गांव में नीम के वृक्ष पाए जाते हैं। यहां तक कि गांवों में बहुत से घरों के आंगन में नीम का वृक्ष मिल जाएगा। भारत ही नहीं बल्कि अफ्रीका में भी इस वृक्ष को अत्यंत  महत्‍व दिया जाता है। अफ्रीका वाले मानते हैं कि नीम से 40 प्रकार के गंभीर और सामान्‍य रोगों का इलाज किया जा सकता है। आखिर नीम में ऐसा है क्या जो इसे इतना महत्व दिया जाता है और क्या होते हैं इसके फायदे।  दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “नीम के फायदे”। 

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको नीम के बारे में जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसके क्या फायदे होते हैं। तो, सबसे पहले जानते हैं कि नीम क्या है और इसका उत्पादन कहां होता है। फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।

नीम क्या है? – What is Neem?

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दोस्तो, नीम एक पर्ण-पाती वृक्ष है। यह वस्तुतः प्रकृति का वरदान है। इसे वेदों में  “सर्व रोग निवारिणी” अर्थात् “सभी रोगों को दूर करने वाली” कहा गया है। इसका उपयोग भारत में लगभग 4 हजार वर्षों से किया जा रहा है। यह वृक्ष बहुत तेजी से बढ़ता है। यह लगभग 15 से 40 मीटर तक ऊंचा हो जाता है और इसका तना सीधा और छोटा होता है जिसका व्यास 1।2 मीटर तक हो सकता है। इसकी पत्तियां गहरे हरे रंग की होती हैं जिनकी लंबाई 1 से 3 इंच तक होती है। ये पत्तियां टहनियों की सींकों पर लगी होती हैं। 

ये सींकें 6 से 8 इंच लंबी और संख्या में 20, 30 के आसपास होती हैं। नीम के फूल गुच्छों में होते हैं, ये गुच्छे लगभग 10 इंच तक लंबा हो सकते हैं। ये फूल सफेद रंग के और सुगन्धित होते हैं। नीम के फल को निंबोली कहा जाता है जो आकार में छोटे और अंगूर के समान गोलाकार से अंडाकार हो सकते हैं। फल का छिलका पतला होता है और पकने पर हल्के पीले रंग का हो जाता है। इसका गूदा भी हल्के पीले रंग का और रेशेदार होता है मगर स्वाद में अंगूर की तरह मीठा नहीं बल्कि कड़वा-मीठा होता है। इसकी गुठली बहुत सख्त होती है। 

नीम का वृक्ष उष्णकटिबंधीय और उपउष्णकटिबंधीय जलवायु में फलने वाला होता है जो कि 22-32° सेंटीग्रेड के बीच का औसत वार्षिक तापमान सहन करने में सक्षम होता सकता है। यह बहुत उच्च तापमान को सहन कर सकता है, लेकिन 4 डिग्री सेल्सियस से नीचे के तापमान को सहन नहीं सकता यह मुरझा जाता है। नीम का जीवनकाल बहुत लंबा होता है लगभग 150-200 वर्ष तक। औषधिय गुणों से समृद्ध नीम को वृक्षराज कहा जाता है। यह एजाडिरैक्टा (Azadirachta) वंश और मीलिएसी (Meliaceae) परिवार से संबंध रखता है। इसका वैज्ञानिक नाम एजाडिरैक्टा इण्डिका (Azadirachta indica) है और इसे अंग्रेजी में मार्गोसा ट्री (Margosa tree) कहते हैं। 

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नीम कहां पाया जाता है? – Where is Neem Found?

1. नीम का मूल स्थान भारत है और विश्व में सबसे ज्यादा नीम के वृक्ष पाए जाते हैं, एक लाख से भी अधिक। नीम मुख्यतः मैदानी क्षेत्रों, खेतों की मेड़ों पर, सड़कों के किनारे, गांवों के आसपास के क्षेत्रों तथा खाली जमीन पर प्राकृतिक रूप से अपने आप पैदा हो जाता है। वैसे अब नीम को उगाने भी लगे हैं।

2. नीम के वृक्ष अफ्रीका, दक्षिण एवं मध्य अमरीका, दक्षिणी प्रशान्त द्वीपसमूह, आस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, म्यानमार (बर्मा), थाईलैंड, इंडोनेशिया, श्रीलंका, मालदीव आदि देशों में पाए जाते हैं। 

3. तीर्थयात्रियों को आश्रय प्रदान करने के लिए, मक्का के पास लगभग 50000 नीम के वृक्ष लगाए गए हैं।

4. भारत में सबसे अधिक नीम के वृक्ष उत्तर प्रदेश में हैं। उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त नीम के वृक्ष तमिलनाडू, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, पश्चिम बंगाल, राजस्थान आदि राज्यों में पाए जाते हैं।

नीम के गुण – Property of Neem

1. नीम की तासीर ठंडी होती है।

2. नीम का स्वाद कड़वा होता है। 

3. नीम 40 प्रकार की गंभीर और सामान्‍य बीमारियों के उपचार में काम आता है।

4. नीम में एंटीऑक्सिडेंट, एंटीपैरासिटिक, एंटीफंगल, एंटीडायबिटिक, एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीमाइमरियल, एंटीवायरल, एंटीबैक्टीरियल, एंटीमाइक्रोबियल आदि गुण मौजूद होते हैं। 

5. नीम की पत्तियों में प्रोटीन, कैल्शियम, फाइबर, फैट, कार्बोहाइड्रेट, अमीनो एसिड, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, आयरन, पोटेशियम, टैनिक एसिड आदि पोषक तत्व उपस्थित होते हैं।

नीम के पोषक तत्व – Nutrients of Neem

1. एक कप नीम की पत्तियों(लगभग 35 ग्राम)- 1 Cup Neem Leaves

  • फाइबर : 6.77 ग्राम
  • फैट : 3.3 ग्राम
  • कैल्शियम : 178.5 मिलीग्राम
  • फास्फोरस : 28 मिलीग्राम
  • आयरन : 5.98 मिलीग्राम
  • मैगनीशियम : 44.45 मिलीग्राम
  • सोडियम : 25.27 मिलीग्राम
  • पोटेशियम : 88.9 मिलीग्राम

2. नीम का जूस (मूल्य सेवारत) – Neem Juice 

  • ऊर्जा : 15 कैलोरी
  • प्रोटीन : 0.8 ग्राम
  • कार्बोहाइड्रेट : 2.7 ग्राम
  • फाइबर : 0.7 ग्राम
  • फैट : 0.1 ग्राम
  • कैल्शियम : 59.5 मिलीग्राम 
  • मैगनीशियम : 14.8 मिलीग्राम
  • आयरन : 2 मिलीग्राम
  • फास्फोरस : 9.3 मिलीग्राम
  • सोडियम : 8.4 मिलीग्राम
  • पोटेशियम : 29.6 मिलीग्राम

नीम का उपयोग – Uses of Neem

नीम का उपयोग निम्न प्रकार किया जाता है –

1. नीम की पत्तियों और निंबोली से तेल निकाला जाता है। इस तेल का उपयोग साबुन, लोशन और शैंपू बनाने के लिए किया जाता है।

2. नीम की पत्तियों को जलाकर इसके धूंए से कीट-पतंग और मक्खी, मच्छरों को भगाया जा सकता है। गांवों में जहां पशु बांधे जाते हैं, उनके पास मच्छर बहुत हो जाते हैं, इनको भगाने के लिये नीम की पत्तियों को जलाकर इसका धूंआ किया जाता है। यह उपाय बहुत ही लोकप्रिय है और प्राचीन काल से चला आ रहा है।

3. नीम के पत्ते, फल, फूल, जड़, छाल सभी का उपयोग औषधी बनने के लिये किया जाता है।

4. नीम की टहनी का उपयोग दातुन के रूप में दांत साफ़ करने के लिये प्राचीन काल से किया जाता रहा है।

5. नीम का उपयोग टूथपेस्ट बनाने के लिए भी किया जाता है। 

6. नीम का उपयोग पेस्ट के रूप में बालों के स्वास्थ के लिए भी किया जाता है। 

7. नीम की छाल का उपयोग पेस्ट के रूप में त्वचा रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है।

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8. नीम के जूस का उपयोग खून साफ़ करने और पेट की बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। 

9. नीम की पत्तियों को उबालकर उसके पानी से स्नान करने की परम्परा रही है। इससे चेचक के विषाणु तथा अन्य रोगाणु नहीं फैलते।

10. नीम की निंबोलियों की गुठलियों को सुखाकर इसे बारीक पीस कर पाउडर बनाया जा सकता है जिसका उपयोग बवासीर के उपचार के लिए किया जा सकता है।

नीम के फायदे – Benefits of Neem

दोस्तो, वैसे तो नीम के 100 से भी अधिक फायदे बताए जाते हैं परन्तु हम इसके कुछ विशेष फायदे बता रहे हैं जो निम्न प्रकार हैं – 

1. इम्युनिटी बढ़ाए (Boost Immunity)- विटामिन-सी एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट के रूप में काम करते हुए रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि इम्युनिटी को बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभाता है। नीम की पत्तियों में पर्याप्त मात्रा में विटामिन-सी पाया जाता है। इसके अतिरिक्त नीम की पत्तियों में मैगनीशियम, फाइबर, फास्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन जैसे खनिज भी इम्युनिटी बढ़ाने का काम करते हैं। इसके लिये नीम की 4-5 कोमल पत्तियां प्रतिदिन खाएं।

2. रक्त का शुद्धिकरण (Blood Purification)- नीम में शक्तिशाली एंटीस्कोरब्युटिक (Antiscorbutic) अर्थात् रक्त शोधक गुण मौजूद होत हैं जो डिटॉक्सिफिकेशन (detoxification) के रूप में कार्य करते हुए हानिकारक पदार्थों को खत्म करते हैं और शरीर के सभी अंगों में आवश्यक पोषक तत्व तथा ऑक्सीजन पहुंचाने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। इसके लिए प्रतिदिध नीम की 4-5 कोमल पत्तियां खाई जा सकती हैं।

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3. पेट के कीड़े खत्म करे (Eliminate Intestinal Worms)- कभी-कभी पेट में कीड़े हो जाया करते हैं विशेषकर बच्चों के। इससे खाया पीया शरीर को नहीं लगता जिससे शरीर कमजोर पड़ने लगता है। नीम में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण कीटाणुओं के विरुद्ध लड़ते हैं और नीम का कड़वापन कीटाणुओं को खत्म कर देता है। 

इसके लिये नीम की 2, 3 पत्तियां खाई जा सकती हैं। विकल्प स्वरूप डॉक्टर की सलाह पर नीम के कैप्सूल भी खाए जा सकते हैं। 

4. मौखिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद (Beneficial for Oral Health)- प्राचीन काल से नीम की दातुन करने की परम्परा रही है। आज टूथपेस्ट के युग में भी बहुत लोग नीम की दातुन करना पसंद करते हैं या नीम वाला टूथपेस्ट का उपयोग करते हैं। कारण स्पष्ट है कि नीम मुंह के हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म कर मुंह के स्वास्थ को बनाए रखता है। इससे सांस की बदबू भी खत्म होती है। 

इसके लिये नीम की पत्तियों का रस निकालकर इसे दांतों और मसूड़ों पर रगड़ें और थोड़ी देर के लिए ऐसे ही छोड़ दें। बाद में गुनगुने पानी से कुल्ला कर लें। इससे मसूड़ों की सूजन भी खत्म हो जाएगी। पायरिया की समस्या में नीम के पाउडर में दुगनी मात्रा में सेंधा नमक मिलाकर प्रतिदिन दांतों और मसूड़ों पर रगड़ें। आराम लग जाएगा। इससे मुंह की बदबू भी खत्म हो जाएगी। 

5. डायबिटीज में फायदा (Benefit in Diabetes)- कई अध्ययनों से पता चलता है की नीम मधुमेह के आरम्भिक चरण को रोकने में सक्षम होता है। इसके लिये प्रतिदिन नीम की पत्तियों के उबले हुए पानी को पीएं। जिन लोगों को डाइबिटीज होने का अधिक जोखिम है वे सुबह खाली पेट 4-5 नीम की कोमल पत्तियों को चबाकर खाएं। विकल्प स्वरूप डॉक्टर की सलाह पर नीम की गोलियां या नीम के पाउडर का उपयोग कर सकते हैं। 

6. ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करे (Control Blood Pressure)- नीम ब्लड प्रेशर को भी  कंट्रोल करने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाता है। हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों के लिये यह लाभकारी है। नीम के मेथनॉल-अर्क में पाए जाने वाले पॉलीफेनोल में एंटीहाइपरटेंसिव गुण ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में सक्षम होते हैं। 

इसके लिए नीम की पत्तियां खाई जा सकती हैं। इससे रक्त भी साफ़ होता है। यदि कोई व्यक्ति पहले से ही हाई ब्लड प्रेशर की दवाई ले रहा है तो वह डॉक्टर की सलाह पर ही नीम का सेवन करना चाहिए।

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7. कैंसर से बचाव करे (Prevent Cancer)- कई अध्ययनों से पता चलता है की नीम के बीज, पत्ते, फूल और फल का अर्क विभिन्न प्रकार के कैंसर के विरुद्ध कीमोप्रिवेंटिव, एंटीकैंसर और एंटीट्यूमर गुणों को प्रदर्शित कर सकते हैं। नीम का अर्क कैंसर कोशिकाओं के विस्तार को रोकने में भी मदद करता है। 

नीम, प्रोस्टेट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, पेट के कैंसर आदि से बचाव करने में मददगार साबित हो सकता है।  कैंसर की संभावना को रोकने के लिए डॉक्टर से परामर्श कर नीम का सेवन कर सकते हैं।

8. मलेरिया में फायदा (Benefit in Malaria)- नीम के पत्तों में एंटीमाइमरियल (antimalarial ) गुण मौजूद होते हैं जो मलेरिया के विरुद्ध लड़ते हैं। मलेरिया की रोकथाम के लिये तथा मलेरिया के उपचार में नीम की पत्तियां मददगार होती हैं। इसके लिये नीम की पत्तियों की चाय बनाकर पी जा सकती है। 

9. संक्रमण दूर करे(Clear the Infection) – नीम में एंटीफंगल गुण मौजूद होते हैं जो फंगल संक्रमण को खत्म करने का काम करते हैं। नीम का पाउडर, नीम का तेल अथवा नीम के पेस्ट को त्वचा लगाने से किसी भी प्रकार के संक्रमण से राहत पाई जा सकती है। 

नीम, टिनिया क्रूरिस जैसी समस्या से भी राहत दिलाता है। इसके लिए प्रतिदिन नीम की 15-20 पत्तियों को उबालकर, इस उबले पानी को गुनगुना होने तक ठंडा करके और नहाएं तथा रोजाना सुबह खाली पेट नीम की 3-4 कोमल पत्तियों को चबाएं। 

10. गठिया में फायदा (Benefits in Arthritis)- नीम में एंटीइंफ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक (analgesic) यानि दर्द निवारक गुण पाए जाते हैं जो गठिया की वजह से होने वाली जोड़ों में सूजन और दर्द से राहत दिलाने का काम करते हैं। नीम ऑस्टियोआर्थराइटिस और रुमेटी गठिया के उपचार के लिए एक लोकप्रिय हर्बल उपाय है।

 इसके लिये एक कप पानी में नीम की कुछ पत्तियों और फूलों को उबाल कर इस पानी को ठंडा करके दिन में दो बार, लगातार एक महीने तक पीएं। इसके अतिरिक्त नीम के तेल की रोजाना मालिश करें। इससे जोड़ों और कमर के नीचे का दर्द खत्म हो जाएगा और सूजन भी। इससे मांसपेशियों को आराम भी मिलेगा।

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11. त्वचा के लिए फायदेमंद (Beneficial for Skin)- नीम फैटी एसिड से समृद्ध होता है। इसमें ओलिक, स्टीयरिक, पामिटिक और लिनोलिक एसिड सम्मलित होते हैं जिनमें एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सिडेंट और एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए गए हैं जो त्वचा की रक्षा करते हैं और स्वास्थ को बनाए रखते हैं। ये गुण कील-मुंहासों, दाग-धब्बे, सोरायसिस और एक्जिमा जैसे त्वचा विकारों को खत्म करने में मदद करते हैं। त्वचा की किसी भी प्रकार की समस्या से निपटने के लिये नीम का उपयोग निम्न प्रकार कर सकते हैं –

(i) नीम की पत्तियों को पानी के साथ पीसकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को प्रभावित त्वचा पर लगाकर छोड़ दें। इसके सूख जाने पर त्वचा को ठंडे पानी से धो लें।  

(ii) नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर, पानी को गुनगुना होने तक ठंडा करके नहाएं। इससे रोगाणु खत्म हो जाएंगे।

(iii) एक चम्मच नीम के तेल के साथ 1/3 कप ऑलिव ऑयल तेल या नारियल तेल मिलाकर त्वचा की मालिश करें। इससे त्वचा की कोशिकाएं फिर से जीवंत हो उठेंगी, त्वचा में लचीलापन आएगा और त्वचा में चमक आएगी। 

(iv) रोजाना सुबह खाली पेट नीम की दो, चार कोमल पत्तियां ऐसे ही या शहद के साथ खाई जा सकती हैं। नीम की चाय भी पी सकते हैं। इससे रक्त भी साफ़ होगा और त्वचा दमक उठेगी। 

(v) विकल्प स्वरूप, डॉक्टर की सलाह पर नीम के कैप्सूल भी खाए जा सकते हैं।

12. बालों के स्वास्थ के लिए  (Hair Health)- त्वचा के साथ-साथ नीम बालों के स्वास्थ की भी रक्षा करता है। बालों कास्वास्थ बनाए रखने के लिए नीम का निम्न प्रकार उपयोग किया जा सकता है –

(i) नीम में एजाडिरेक्टिन (azadirachtin) नामक यौगिक मौजूद होता है जो जूं और लीख जैसे परजीवी के विरुद्ध लड़कर इनके विकास और प्रजनन को बाधित कर इसे खत्म कर देता है। इसके लिए सप्ताह में दो या तीन बार हर्बल युक्त शैम्पू से सिर धोएं। 

(ii) जूं की समस्या से राहत पाने के लिए नीम के तेल को शैम्पू में डालकर उपयोग करें। 

(iii) नीम के तेल में पानी मिलाए बिना ही, इस तेल से सिर की मालिश करें। 

(iv) नीम की पत्तियों का पेस्ट बनाकर इसे खोपड़ी पर लगाकर मालिश करें और इसे लगा रहने दें। इसके सूखने पर गुनगुने पानी से सिर धो लें। उपरोक्त सभी उपायों से जूं और लीख की समस्या खत्म हो जाएगी। 

(v) नीम के पत्तियों और बेर के पत्तों को पानी में उबालें और इस पानी को ठंडा कर लें। इस पानी से सिर को अच्छी तरह धोएं। इससे बालों की जड़ें मजबूत हो जाएंगी और बालों का झड़ना बंद हो जाएगा। इससे बाल काले और मजबूत भी हो जाएंगे। 

(vi) नीम में एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल गुण उपलब्ध होते हैं, जो डैंड्रफ का मुख्य कारण फंगस को खत्म करके डैंड्रफ से राहत दिलाते हैं। इसके लिए सिर में नीम के तेल की मालिश करें।

(vii) दो बड़े चम्मच नीम पाउडर को पानी के साथ मिला कर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट सिर पर लाकर मालिश करें और छोड़ दें। आधा घंटे बाद शैम्पू के साथ सिर धो लें। सप्ताह में दो या तीन बार यह प्रक्रिया दोहराएं। इससे डैंड्रफ पूरी तरह खत्म हो जाएगा। 

(viii) कुछ नीम की पत्तियों को 4 कप पानी में अच्छी तरह उबालें। इस पानी का रंग हरा हो जाएगा, इसे ठंडा कर लें। बालों को शैम्पू के बाद इस नीम के पानी से सिर धो कर साफ कर लें। इससे बाल वातानुकूलित रहेंगे और इनमें प्राकृतिक चमक भी आ जाएगी। 

नीम के नुकसान – Side Effects of Neem

दोस्तो, सामान्य तौर पर, सामान्य मात्रा में सेवन से नीम के कोई विशेष नुकसान नहीं होते परन्तु फिर भी थोड़ी सावधानी रखने की जरूरत होती है। विवरण निम्न प्रकार है –

1. डाइबिटीज के मरीजों को डॉक्टर की सलाह पर ही नीम का उपयोग करना चाहिए क्योंकि यह ब्लड शुगर लेवल को बहुत कम कर सकता है जिससे अच्छी-खासी परेशानी खड़ी हो सकती है।

2. उपवास, व्रत आदि में नीम के सेवन से बचना चाहिए क्योंकि यह ब्लड शुगर लेवल को बहुत कम कर सकता है जिससे एनर्जी लेवल भी कम हो जाएगा। परिणाम स्वरूप शरीर में कमजोरी आ जाएगी। सिर में चक्कर भी आ सकते हैं।

3. नीम का तेल आंतरिक रूप से कभी नहीं लेना चाहिए अर्थात् यह पीने के लिए नहीं होता। 

4. शिशुओं या छोटे बच्चों को नीम का सेवन नहीं कराया जाना चाहिए। 

5. गर्भवती महिलाओं को या जो गर्भ धारण करने की प्लानिंग कर रही हैं तथा शिशु स्तनपान कराने वाली माताओं को नीम का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके लिए वे डॉक्टर से सलाह ले सकती हैं। 

6. डैंड्रफ दूर करने के लिये नीम के तेल के उपयोग से आंखों में जलन हो सकती है। 

Conclusion –

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको नीम के बारे में जानकारी दी। नीम क्या है?, नीम कहां पाया जाता है?, नीम के गुण, नीम के पोषण तत्व और नीम का उपयोग, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से नीम के बहुत सारे फायदे बताये और कुछ नुकसान भी बताये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा। 

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।


Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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नीम के फायदे
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दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको नीम के बारे में जानकारी दी। नीम क्या है?, नीम कहां पाया जाता है?, नीम के गुण, नीम के पोषण तत्व और नीम का उपयोग, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया।
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