दोस्तो, आपका स्वागत है हमारे ब्लॉग पर। हमारा आज का टॉपिक है गर्भावस्था में स्ट्रेच मार्क्स के देसी उपाय । जी हां, गर्भावस्था में शरीर पर पड़ने वाले स्ट्रेच मार्क्स। दोस्तो, हमने पिछले लेख में बताया था कि महिला, गर्भवती होने पर गर्व का अनुभव करती है कि वो सृष्टी में एक जीव को जन्म देने वाली है। उसके लिये ये पल बहुत अनमोल और सुखद होते हैं। परन्तु वह कुछ समय बाद विचलित होने लगती है क्योंकि गर्भ धारण करने के पश्चात, 13वें सप्ताह से लेकर 21वें सप्ताह के दौरान उसके शरीर पर स्ट्रेच मार्क्स बनने शुरू हो जाते हैं। 75 से 90 प्रतिशत महिलायें इन स्ट्रेच मार्क्स का शिकार हो जाती हैं ये वास्तविकता है और आम समस्या भी। ये स्ट्रेच मार्क्स पेट के नीचे वाले हिस्से पर, जांघों, घुटनों के आसपास, बगल के पास, सीने पर या हिप्स् पर कहीं भी पड़ सकते हैं। दोस्तो, ये लेख लिखने से पहले मैंने खुद सर्वेक्षण (Survey) किया है। सर्वेक्षण में बहुत ही आश्चर्यजनक सत्य सामने आया कि ये निशान कुंवारी लड़कियों, व पुरूषों के शरीर पर भी पाये गये हैं। इसका तात्पर्य यह है स्ट्रेच मार्क्स बनने का अनुवांशिकता भी कारण हो सकती है। यद्यपि इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं जैसे मोटापा, बदलते हार्मोंस आदि। एथलीट्स को स्ट्रेच मार्क्स की समस्या ज्यादा होती है। जिम में व्यायाम करने वालों के शरीर पर भी स्ट्रेच मार्क्स देखे गये हैं।
दोस्तो, आज के लेख में हम आपको बतायेंगे कि स्ट्रेच मार्क्स क्या होते हैं, किस वजह से ये बनते हैं और इनको कम करने के क्या उपाय हो सकते हैं। तो सबसे पहले समझते हैं कि स्ट्रेच मार्क्स क्या होते हैं?
स्ट्रेच मार्क्स क्या हैं? – What are Stretch Marks
त्वचा की ऊपरी सतह पर, त्वचा के फटने से खिंचाव के लम्बे और संकीर्ण रेखाओं के रूप में निशान पड़ जाते हैं। शुरआत में ये गुलाबी या लाल रंग के होते हैं लेकिन बाद में सिल्वर या सफेद हो जाते हैं। इसलिये इनको रंगहीन कहते हैं। इन्हें आम भाषा में स्ट्रेच मार्क्स कहा जाता है। ये किसी भी प्रकार की हानि नहीं पहुंचाते परन्तु देखने में भद्दे लगते हैं।
अब प्रश्न उठता है कि त्वचा फटती क्यों है, निशान क्यों पड़ते हैं? तो समझते हैं त्वचा पर स्ट्रेच मार्क्स बनने के कारणों को।
स्ट्रेच मार्क्स बनने के कारण – Cause of Becoming Stretch Marks
1. गर्भावस्था में त्वचा का विस्तार या खिंचाव (Skin Strain)- दोस्तो, भौतिक विज्ञान का सिद्धांत है कि कोई भी वस्तु अपने आकार के बराबर जगह लेती है। यही सिद्धांत भ्रूण के विकास पर भी लागू होता है। शुरू में तो भ्रूण का आकार बहुत छोटा होता है जोकि गर्भाशय में आराम से अपनी जगह ले लेता है। परन्तु जब इसका विकास होना आरम्भ होता है तो इसका आकार फैलता है और तेजी से वजन बढ़ता है। इस प्रकिया में बाहरी त्वचा (एपिडर्मिस – ऊपर की परत) में खिंचाव पड़ता है जोकि त्वचा के लोच (flexibility) को बहुत ज्यादा बढ़ा देता है। परन्तु बीच की त्वचा (डर्मिस – मध्य परत) इस खिंचाव को नहीं सह पाती और इसके अन्दर के तन्तु (tissues) टूट जाते हैं। डर्मिस का फटना, नीचे की त्वचा (हाइपोडर्मिस – त्वचा के नीचे सबसे गहरी परत) को उजागर करता है और इस तरह गर्भावस्था के स्ट्रेच मार्क्स बन जाते हैं।
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गर्भावस्था के अतिरिक्त अन्य परिस्थितियों में स्ट्रेच मार्क्स होने के कारण :-
2. वजन/मोटापा (Obesity)- जब अचानक तेजी से मोटापा बढ़ने लगे या वजन बढ़ने लगे (जरूरी नहीं कि मोटापे से वजन बढ़े वैसे भी बढ़ सकता है) तब भी त्वचा में खिंचाव आता है त्वचा के तन्तु टूटने के कारण स्ट्रेच मार्क्स बन जाते हैं।
3. जिम में वर्काउट या भागने से – अक्सर यह देखा गया है कि जिम में वर्काउट करने वालों के शरीर पर स्ट्रेच मार्क्स पड़ जाते हैं क्योंकि उनकी त्वचा में बदलाव होने लगता है। नरम व मुलायम त्वचा सख्त होने लगती है। इनके पीठ, जांघों और कंधों पर स्ट्रेच मार्क्स हो जाते हैं। कुछ ऐसी ही स्थिति धावकों (एथलीट्स) के साथ भी होती है। एथलीट्स को स्ट्रेच मार्क्स की समस्या ज्यादा होती है। परन्तु ऐसा सबके साथ हो ये जरूरी नहीं है।
4. आनुवांशिकता – गर्भावस्था में माता के शरीर पर पड़ने वाले स्ट्रेच मार्क्स बच्चे के शरीर पर भी आ जाते हैं और फिर एक प्रकार से यहीं से आनुवांशिकता की शुरूआत हो जाती है। भविष्य में आने वाली पीड़ी (next generation) में ये निशान होते चले जाते हैं।
5. हार्मन्स् में परिवर्तन या अचानक शरीरिक अवस्था में परिवर्तन।
6. उम्र के बढ़ने के कारण शरीर में बदलाव जैसे किशोरावस्था से युवास्था में प्रवेश करना।
7. बुखार या लिवर से जुड़ी समस्या।
8. कीमोथेरेपी।
9. गर्भनिरोधक पिल्स।
10. न्यूरोलेप्टिक दवा।
11. एहलर्स-डानलोस सिंड्रोम (Ehlers-Danlos syndrome)। यह एक ऐसा विकार जिसके कारण त्वचा में ज्यादा खिंचाव आता है।
12. एनोरेक्सिया नर्वोसा (Anorexia Nervosa) – खाना कम खाने वाला मनोवैज्ञानिक और खाने का विकार।
13. कुछ ऐसी दवाएं हैं जो कोलेजन को बनने से रोकती हैं। कोलेजन प्रोटीन का समूह है। मांसपेशी ऊतक का 1% से 2% कोलेजन से बना है और मज़बूत, कंडरीय मांसपेशियों के वज़न का 6% इससे गठित है।
14. खुजली व सूजन के लिए कोर्टीसोन स्किन क्रीम (Cortisone Skin Creams) का अधिक उपयोग।
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स्ट्रेच मार्क्स के देसी उपाय – Home Remedies of Stretch Marks
और अब स्ट्रेच मार्क्स के कुछ देसी उपचार। दोस्तो, यहां हम स्पष्ट करना चाहेंगे कि अंग्रेजी व देसी दवा बनाने वाली कम्पनियां या अंग्रेजी व देसी उपचार बताने वाले लोग स्ट्रेच मार्क्स खत्म के बड़े-बड़े दावे करते हैं। जबकि वास्तविकता ये है कि स्ट्रेच मार्क्स कभी खत्म नहीं होते, कम अवश्य हो जाते हैं।
“Desi Health Club” स्ट्रेच मार्क्स खत्म के विषय में कोई दावा या वादा नहीं करता। हां, निम्नलिखित उपायों से स्ट्रेच मार्क्स बहुत हद तक कम यानि हल्के अवश्य हो जायेंगे।
1.एलोवेरा जेल (Aloe Vera Gel)- दोस्तो, ऐलोवेरा त्वचा के लिये बहुत ही गुणकारी होता है। यह त्वचा को नरम तथा मुलायम तो बनाता ही है। इसके अतिरिक्त यह त्वचा की अंदर से मरम्मत भी करता है। ऐलोवेरा के ताजे जैल को स्ट्रेच मार्क्स पर लगायें फिर थोड़ी देर बाद गुनगुने पानी से धोकर मॉइस्चराइजर लगायें। एक महीने तक लगातार लगाने से स्ट्रेच मार्क्स बहुत ही कम हो जायेंगे।
2. अल्फाल्फा और कैमोमाइल तेल (Medicago Sativa)- अल्फाल्फा जिसे रिज़का भी कहा जाता है, के पत्तों में विटामिन ‘ई’ प्रोटीन और अमीनो एसिड पाया जाता है। इसके पत्तों में एंटी–फंगल गुण भी मौजूद होते हैं। ये त्वचा को डिटॉक्स करने में सहायता करता है। अल्फाल्फा के पत्तों को सुखाकर, पीस कर पाउडर बना लें। इस पाउडर को कैमोमाइल तेल (Chamomile) (औषधीय गुणों वाला पौधा जिसमें कई शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं) में मिलाकर चिकना पेस्ट तैयार कर लें। फिर इस पेस्ट को त्वचा पर दिन में दो-तीन बार लगायें।
3. अरंडी का तेल (Castor oil)- स्ट्रेच मार्क्स को कम करने में अरंडी का तेल बहुत अच्छी भूमिका निभाता है। इस तेल को स्ट्रेच मार्क्स पर लगा कर काफी देर मालिश करते रहें ताकि त्वचा तेल को सोख ले। मालिश के बाद प्रभावित क्षेत्र को प्लास्टिक शीट/पोलीथीन से कवर करके गर्म पानी की बोतल से सिंकाई कर लें। इससे त्वचा के रोमछिद्र खुल जायेंगे और तेल पूरी तरह त्वचा के अंदर प्रवेश कर जायेगा।
4. जैतून का तेल (Olive oil)- जैतून का तेल की मालिश के भी अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे। गर्म पानी से नहाने से लगभग आधा घंटा पहले जैतून के तेल की मालिश स्ट्रेच मार्क्स पर अच्छे से करलें। एक्सफ़ोलीएटिंग और मॉइस्चराइजिंग गुणों से सम्पन्न जैतून का तेल बल्ड सर्कुलेशन में सुधार के साथ-साथ स्ट्रेच मार्क्स को भी हल्का कर देगा।
5. नारियल तेल (Coconut Oil)- नारियल के तेल में अनेकों गुण होते हैं। त्वचा से सम्बंधित समस्याओं में यह रामबाण माना जाता है। स्ट्रेच मार्क्स को कम करने के लिये भी नारियल तेल की मालिश काफी प्रभावकारी होती है। इसके लगातार प्रयोग करने से स्ट्रेच मार्क्स काफी हद तक हल्के हो जायेंगे।
6. शहद (Honey)- एक कपड़े में थोड़ा शहद लगाकर स्ट्रेच मार्क्स पर लगा दें और सूखने दें। सूखने पर गर्म पानी की सहायता से इसे हटा दें। शहद में थोड़ा नमक और ग्लिसरीन डालकर स्क्रब भी कर सकते हैं। शहद की ऐंटीसेप्टिक प्रॉपर्टीज् स्ट्रेच मार्क्स को हल्का करने में मदद करेंगी।
7. नींबू (Lemon)- नींबू का रस स्ट्रेच मार्क्स पर लगायें या नींबू काट कर स्ट्रेच मार्क्स पर रगडें। सूख जाने पर गुनगुने पानी से धो दें।
8. कॉफी और एलोवेरा (Coffee and Aloe Vera)- कॉफी और एलोवेरा का पेस्ट बनाकर ट्रेच मार्क्स पर मालिश करें। थोड़ी देर बाद साफ पानी से धो दें।
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9. कोको बटर या शिया बटर (Cocoa Butter)- इनमें से कोई भी एक बटर स्ट्रेच मार्क्स पर लगाने से ये फायदा होता है कि इनमें मौजूद एन्जाइम्स त्वचा के टूटे हुए तन्तुओं (tissues) की रिपेयर करने में मदद करते हैं। त्वचा में नमी बनी रहती है। ये उपाय बहुत असरदार माना जाता है।
10. खुबानी (Apricot)- खुबानी स्ट्रेच मार्क्स को कम करने में मदद कर सकता है। इसके बीजों को काट कर, पीस कर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को स्ट्रेच मार्क्स पर लगाकर छोड़ दें। बाद में सूखने पर गुनगुने पानी से इसे धो दें।
11. हल्दी और चंदन (Turmeric and Sandalwood)- हल्दी और चंदन पाउडर का पेस्ट बना लें। इस पेस्ट का प्रयोग स्ट्रेच मार्क्स पर करें और सूखने दें। बाद में धो लें।
12. अंडे की सफेदी(Egg white) – अंडे के सफेद भाग में प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है जो त्वचा के लिये बहुत फायदेमंद होता है। अंडा तोड़कर पीला वाला हिस्सा अलग कर दें और सफेद हिस्सा स्ट्रेच मार्क्स पर लगायें। थोड़ी देर बाद गुनगुने पानी से धो दें।
13. आलू (Potato)- आलू सबसे सरल और घरेलू उपाय है। इसे काट कर स्ट्रेच मार्क्स वाली जगह पर अच्छी तरह से रगडें और थोड़ी देर ऐसे ही रहने दें। बाद गुनगुने पानी से साफ कर लें। आलू का रस निकालकर भी स्ट्रेच मार्क्स पर लगाया जा सकता है। इसका अच्छा प्रभाव देखने को मिलेगा। आलू में पॉलिफेनॉल और फाइटोकेमिकल्स होते हैं जो त्वचा के टेक्सचर को अच्छा बनाने में मदद करते हैं।
14. पानी ( Water)– शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा से त्वचा नम रहती है, लोच बना रहता है, शरीर से अवांछित विषाक्त पदार्थ निकलते रहते हैं। जिससे स्ट्रेच मार्क्स के हल्का होने में मदद मिलती है। इसलिये दिन में कम से कम 10-12 गिलास पानी पीना चाहिये। त्वचा हाइड्रेटेड और मुलायम रहेगी।
15. विटामिन युक्त भोजन (Vitamin Rich food)- आपका भोजन ऐसा होना चाहिये जो विटामिन युक्त हो। विटामिन युक्त हरी सब्जियों, जैसे खीरे, बंदगोभी, पालक और प्याज आदि के सेवन से गर्भावस्था के स्ट्रेच मार्क्स काफी कम होने की संभावना रहती है।
स्ट्रेच मार्क्स से बचने के लिये कुछ सावधानियां :-
दोस्तो, यदि गर्भावस्था के समय कुछ निम्नलिखित सावधानियां बरती जायें तो स्ट्रेच मार्क्स बनने की संभावना से बचा जा सकता है –
1. हाइड्रेटेड रहना चाहिये (Must stay hydrated)- शरीर में पानी की कमी ना होने पाये। 10 से 12 गिलास पानी पूरे दिन पीना चाहिये। जिससे आपकी त्वचा में नमी बनी रहे और लोच भी। पानी डिटॉक्सिफिकेशन का काम करेगा और आपकी त्वचा को भी स्वस्थ रखेगा।
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2. वजन का ध्यान रखें (Take care of weight)- गर्भावस्था के समय वजन का 9 से 10 किलो तक बढ़ना सामान्य बात है। आप अपने वजन को मोनिटर करें कि वह बहुत तेजी से ना बढ़कर धीरे धीरे बढ़े। इसके लिये वसा, मीठा व क्रीम खाने की जरूरत नहीं है। माना कि ऐसे समय में अधिक कैलोरी की जरूरत होती है परन्तु ये कैलोरी पौष्टिक खाने से ही आनी चाहिये ऐसे खाद्य पदार्थों से नहीं जिनसे वजन बढ़े।
3. त्वचा को मॉइस्चराइज रखें (Keep Skin Moisturized)- पानी आपकी त्वचा को अंदर से नम रखता है, कोमल और मुलायम रखता है। परन्तु त्वचा की बाहर से भी देखभाल करनी चाहिये। जहां-जहां स्ट्रेच मार्क्स बनने की संभवना रहती है विशेषकर वहां की त्वचा को अच्छे से मॉइस्चराइज करना चाहिये। बादाम तेल, नारियल तेल, कोको बटर, शिया बटर आदि काफी अच्छे मॉइस्चराइजर हैं। इन तेलों के एंटीऑक्सीडेंट्स गुण तवचा को स्वस्थ रखते हैं। सुबह नहाने के बाद और रात को सोने से पहले इनका उपयोग करें। स्ट्रेच मार्क्स की संभावना कम रहेगी।
4. व्यायाम (Exercise)- डॉक्टर की सलाह पर गर्भावस्था के दौरान नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिये। इससे आपके शरीर से टॉक्सिन पदार्थ बाहर निकलते रहेंगे और आपका वजन भी एकदम से नहीं बढ़ पायेगा। ब्लड सर्कुलेशन भी सही रहेगा, त्वचा में लचीलापन बना रहेगा। डिलीवरी के बाद भी व्यायाम जारी रखिये इससे आपके शरीर की कसावट बनी रहेगी और फिगर भी मेन्टेन रहेगी। निसकर्ष के तौर पर कहा जाये तो व्यायाम से स्ट्रेच मार्क्स की संभावना हो जाती है।
Conclusion
दोस्तो, आज के लेख में हमने गर्भावस्था के समय त्वचा पर बनने वाले स्ट्रेच मार्क्स के देसी उपाय के बारे में बताया। इसके कारण और इनको कम करने के देसी उपाय भी बताये। और यह भी बताया कि यदि गर्भवती महिला कुछ सावधानियां बरते तो स्ट्रेच मार्क्स से बचा जा सकता है। दोस्तो, आशा है आपको ये लेख पसन्द आयेगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों या सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर करें। ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो हमारा आज का यह लेख आपको कैसा लगा। कृपया अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health- Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।
Disclaimer- यह लेख केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।
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