दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। आज हम बात करेंगे एक ऐसे विटामिन की जिसकी खोज तो सन् 1920 में वैज्ञानिकों ने फैट-फ्री डाइट की तलाश में की थी लेकिन प्रसिद्धि आज तक नहीं मिली जैसे कि अन्य विटामिनों को मिली। करोना काल में तो विटामिन-सी के भी भाव बढ़ गये परन्तु यह वहीं का वहीं है। इसकी चर्चा तो डॉक्टर भी नहीं करते और ना ही सामान्य तौर पर इसे लेने की बात करते हैं। इसका नाम भी बहुत कम लोगों ने सुना है। नाम सुनकर ज्यादातर आश्चर्य से यही कहते हैं कि ये कौन सा विटामिन है। दोस्तो, सबसे बड़ी आश्चर्य की बात यह है कि यह विटामिन होकर भी पारम्परिक विटामिन की श्रेणी में नहीं आता। और यही सबसे बड़ा कारण है इससे अनभिज्ञ होने का। हम बात कर रहे हैं विटामिन-Fकी जोकि हमारे मानसिक और शारीरिक विकास के लिये बेहद जरूरी है। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “विटामिन-F के फायदे”। देसी हैल्थ क्लब इस लेख के माध्यम से आज आपको विटामिन-F के बारे में विस्तार से जानकारी देगा कि विटामिन-F क्या होता है, इसकी कमी हो जाये तो क्या होता है, इसकी कमी को कैसे पूरा किया जाये और विटामिन-F के क्या फायदे होते हैं। तो सबसे पहले जानते हैं कि विटामिन-F क्या होता है।
विटामिन-F क्या होता है? – What is Vitamin-F?
दोस्तो, दो आवश्यक असंतृप्त वसा (Unsaturated fatty acids) के सम्मलित रूप को विटामिन-F कहा जाता है। इन दो आवश्यक असंतृप्त वसा अम्ल के नाम हैं अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (Alpha-Linolenic Acid -ALA) और लिनोलिक एसिड (Linoleic Acid -LA)। इनका विवरण निम्न प्रकार है –
(i) अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (Alpha-Linolenic Acid)- यह ओमेगा-3 समूह की एक प्राथमिक वसा (Fat) है। अल्फा-लिनोलेनिक एसिड, शरीर द्वारा अन्य लाभदायक ओमेगा-3 फैटी जिसमें इकोसापेंटेनोइक एसिड (Eicosapentaenoic Acid (EPA)) और Docosahexaenoic Acid (DHA) होते हैं, में परिवर्तित हो जाता है।
यह ओमेगा-6 समूह की प्राथमिक वसा है। शरीर में लिनोलिक एसिड अन्य वसा में परिवर्तित हो जाता है।
निष्कर्षतः आवश्यक वसा अम्ल (Essential Fatty Acids) को ही विटामिन-F कहा जाता है। तात्पर्य यह है कि यह कोई विटामिन नहीं बल्कि तेलों से मिलने वाला आवश्यक वसा अम्ल है। विटामिन-F में लिनोलेनिक एसिड और लिनोलिक एसिड के अतिरिक्त कोई अन्य यौगिक (Compounds) शामिल नहीं होते। इन एसिड्स के एक ग्राम में 9 कैलोरी होती है। विटामिन-F वस्तुतः एक वसा है, जो जैविक क्रियाओं के लिये बेहद जरूरी है और इसे शरीर के द्वारा संश्लेषित (Synthesized) नहीं किया जा सकता।
विटामिन-F की कमी क्या होती है? -What is Vitamin-F Deficiency?
शरीर में जब आवश्यक वसा अम्ल (Essential Fatty Acids – EFA) की मात्रा कम हो जाये तो इस अवस्था को विटामिन-Fकी कमी माना जाता है जिसका कुप्रभाव हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ पर पड़ता है।
विटामिन-F की कमी से होने वाली समस्याएं – Vitamin-F Deficiency Problems
विटामिन-F की कमी से निम्नलिखित समस्याऐं हो सकती हैं –
1. मस्तिष्क के विकास में बाधा आ सकती है। या मानसिक मंदता (Mental retardation) की स्थिति।
2. डर्मेटाइटिस (Dermatitis) अर्थात् त्वचा में रूखापन (Dryness) आ जाना और त्वचा का पपड़ीदार हो जाना।
3. इम्पेटाइगो (Impetigo) – यह एक संक्रामक जीवाणु संक्रमण है एक जिसमें त्वचा पर लाल घाव बन जाते हैं।
4. एक्जिमा – त्वचा रोग (लाल और खुजलीदार त्वचा)।
5. इचिथोसिस (Ichthyosis) यानी आनुवंशिक त्वचा विकार।
6. बालों का झड़ना और रूखापन यानी बालों की विकास दर कम हो जाना।
7. प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर हो जाना।
8. मूत्र पथ (Urinary tract) में सेल्युलर हाइपरप्रोलिफरेशन (Cellular hyperproliferation) यानी नई कोशिकाओं का बन जाना।
9. घाव भरने की सामान्य प्रक्रिया की गति का धीमा हो जाना।
10. वस्तुओं का साफ़ दिखने के बजाय धुंधला दिखाई देना।
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11. प्रारंभिक चीजें सीखने में दिक्कत होना।
12. बच्चों का सही से विकास ना हो पाना।
विटामिन-F की कमी को दूर करने के उपाय – Remedies to Overcome Vitamin-F Deficiency
विटामिन-F की कमी को निम्नलिखित श्रोतों से पूरा किया जा सकता है –
1. सोयाबीन का तेल – सोयाबीन तेल विटामिन-Fका उत्तम श्रोत माना जाता है। इसकी एक चम्मच तेल में 7 ग्राम लिनोलिक एसिड होता है।
2. बादाम में 3.5 ग्राम लिनोलिक एसिड प्रति आउंस पाया जाता है।
3. चिया के बीजों में 5 ग्राम प्रति आउंस लिनोलेनिक एसिड होता है। विटामिन-F की कमी को पूरा करने के लिये यह अच्छा विकल्प है।
4. बेबी कॉर्न ऑयल से भी विटामिन-F की पूर्ति की जा सकती है। यह मक्का का भुट्टा होता है जिसे सिल्क यानी ऊपरी भाग में रेशमी कोंपल आने से पहले ही मक्का के पौधे से तोड़ लिया जाता है। इस स्थिति में दाने अनफर्टिलाइज्ड होते हैं।
5. फैसीड ऑयल की एक चम्मच में 7 ग्राम लिनोलेनिक एसिड होता है जो विटामिन-F की कमी को पूरा करने में मदद कर सकता है।
6. जैतून का तेल (Olive oil) में 10 ग्राम प्रति चम्मच लिनोलिक एसिड पाया जाता है।
इनके अतिरिक्त निम्नलिखित भी विटामिन-F की कमी पूरा करने के लिये अच्छे श्रोत माने जाते हैं –
1. सरसों का तेल
2. तिल का तेल
3. कनौला का तेल
4. सूरजमुखी का तेल
5. कद्दू के बीज
6. अलसी (flax) के बीज
7. अखरोट
8. पत्तेदार सब्जियां
9. एवोकाडो फल
10. दूध
11. मछली का तेल
12. सेलफिश सैल्मन और अल्बकोर टूना मछली।
13. अंडा
14. मांस
विटामिन-F के फायदे – Benefits of Vitamin-F
विटामिन-F के मुख्य रूप से निम्नलिखित फायदे हैं –
1. सूजन कम करे (Reduce Swelling)- ओमेगा 3 पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड और गामा लिनोलेनिक एसिड में इंफ्लेमेटरी प्रभाव होते हैं। ओमेगा-3, फैटी पाचन तंत्र, मस्तिष्क की सूजन और जोड़ों की सूजन, फेफड़ों की सूजन को कम करने में सक्रिय भूमिका निभाता है। एक रिसर्च के अनुसार ये फैटी एसिड्स सूजन से संबंधी विकार के उपचार में मददगार होते हैं। इनके उपयोग से रूमेटाइड गठिया जैसे इंफ्लेमेटरी डिसऑर्डर से छुटकारा पाया जा सकता है।
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2. मानसिक स्वास्थ्य के लिये फायदेमंद (Beneficial to Mental Health)- विटामिन-F मानसिक स्वास्थ्य के लिये फायदेमंद भी है और अतिआवश्यक भी। ओमेगा 3 एसिड जो मस्तिषक के विकास और तंत्रिका प्रणाली (Nervous system) नवर्स सिस्टम को मजबूत करने में मदद करता है। एक रिसर्च के अनुसार ओमेगा-3 फैटी एसिड में महत्वपूर्ण एंटीडिप्रेसेंट अर्थात् अवसादरोधी प्रभाव होते हैं जो अवसाद (Depression) को खत्म करने में मदद करते हैं। इतना ही नहीं ओमेगा-3 फैटी एसिड के नियमित सेवन से चिंता (Anxiety) के लक्षणों को भी कमी आती है। एक अन्य शोध यह भी बताती है कि डीएचए (Docosahexaenoic acid) और 6 फैटी एसिड मस्तिष्क के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। डीएचए कुछ और नहीं, ओमेगा 3 फैटी एसिड ही है जो मस्तिष्क के मुख्य बिल्डिंग ब्लॉक होते हैं। ये मस्तिष्क की क्षमता को बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। शिशुओं को मां के दूध से डीएचए की कमी पूरी हो जाती है। बाद में ओमेगा 3 को आहार में शामिल करना चाहिये।
3. डायबिटीज के खतरे को कम करे (Reduce the Risk of Diabetes)- ओमेगा फैटी एसिड को आहार में शामिल करने और नियमित से सेवन करने से टाइप 2 डायबिटीज के खतरे की संभावना पर रोक लगाई जा सकती है। 200,000 से अधिक लोगों पर किये गये एक अध्ययन से पता चला कि जब किसी व्यक्ति द्वारा संतृप्त वसा (Saturated fat) के बजाय लिनोलिक एसिड के रूप में असंतृप्त वसा (Unsaturated fat) का अधिक सेवन किया जाये तो लिनोलिक एसिड टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को 14% तक कम कर सकता है। एक रिसर्च में यह भी कहा गया है कि ओमेगा 3 को शुरुआत से ही भोजन में शामिल कर लिया जाये तो डायबिटीज की रोकथाम की जा सकती है।
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4. हृदय स्वास्थ्य के लिये(Heart Health) – एनसीबीआई पर प्रकाशित एक रिसर्च पेपर से पता चलता है कि डीएचए शरीर में अच्छे वाले कोलेस्ट्रॉल HDL को बढ़ाने में मदद कर सकता है। कुछ रिसर्च यह भी बताती हैं कि ओमेगा -3 फैटी एसिड धमनी में रक्त प्रवाह में सुधार करने और हृदय प्रक्रिया में सुधार करने में मदद करते हैं। जैतून, सोयाबीन, कैनोला, अखरोट और अलसी अल्फा-लिनोलिक एसिड के अच्छे श्रोत हैं और समुद्र से मिलने वाली वसा युक्त मछलियों में ईपीए और डीएचए अच्छी मात्रा में मिलते हैं। एक अध्ययन में यह पाया गया कि अल्फा-लिनोलेनिक एसिड की दैनिक खुराक में 1 ग्राम की वृद्धि, हृदय रोग की संभावना को 10% तक कम कर देती है। एक और रिसर्च, जो 300,000 से भी अधिक वयस्कों पर की गयी, में कहा गया कि संतृप्त वसा के स्थान पर लिनोलिक एसिड का सेवन करने से हृदय रोग के कारण मृत्यु के खतरे को 21% तक कम किया जा सकता है।
5. शिशु के विकास के लिये (Baby Development)- गर्भवती महिला को गर्भ के दौरान और प्रसूति के पश्चात विटामिन-Fलेने की सलाह दी जाती है। ओमेगा 3 और 6 फैटी एसिड की, गर्भस्थ शिशु और नवजात के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु दोनों के लिये बहुत जरूरी और लाभदायक होता है। गर्भावस्था के समय, भ्रूण की वृद्धि के लिये रोजाना 1.4 ग्राम अल्फा-लिनोलेनिक एसिड का सेवन जरूरी माना गया है। 6 महीने तक शिशु को मां के दूध से डीएचए मिल जाता है। उसके बाद भोजन में अलग से विटामिन-F की आवश्यकता होती है। शारीरिक और मानसिक विकास के लिये आयु के साथ-साथ इसकी खुराक भी बढ़ जाती है।
अन्य फायदे – Others Benefits
1. विटामिन-F शरीर की कोशिकाओं के विकास में मदद करता है और उन्हें लचीला (Flexible) बनाता है।
2. लिनोलेनिक एसिड शरीर के महत्वपूर्ण अंगो को बढ़ाने में मदद करता है।
3. आंखों की रोशनी को बढ़ाने में मदद करता है।
4. मस्तिष्क को विकसित करता है।
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5. तनाव कम करने में मदद करता है।
6. ब्लड क्लोटिंग में मदद करता है।
7. ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करे।
विटामिन-F की मात्रा – Vitamin F Content
1. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हैल्थ (यूएस) के अनुसार, हर किसी के आहार में लिनोलेनिक एसिड और लिनोलिक एसिड की मात्रा 4:1 में होनी चाहिये, इसकी मात्रा बढ़ा भी जा सकती है इससे कोई नुकसान नहीं है।
2. कुछ विशेषज्ञों के अनुसार यदि कोई वयस्क व्यक्ति विटामिन-Fसे सबसे अधिक लाभ पाना चाहता है, तो वह प्रतिदिन लिनोलिक एसिड से अल्फा-लिनोलेनिक एसिड का 4:1 के अनुपात में यानी 11 से 16 ग्राम लिनोलिक एसिड और 1.1 से 1.6 ग्राम अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (ALA) का सेवन कर सकता है। यह अनुपात जरूरी होता है क्योंकि यह वसा शरीर में कुछ विरोधी संकेतों को भेजते हैं।
Conclusion –
दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको विटामिन-F के बारे में विस्तार से जानकारी दी। देसी हैल्थ क्लब ने इस लेख के माध्यम से आपको विस्तारपूर्वक बताया कि विटामिन-F क्या होता है, इसकी कमी क्या होती है, इसकी की कमी से होने वाली क्या-क्या समस्याऐं होती हैं, विटामिन-F की कमी दूर करने के उपाय क्या हैं, विटामिन-F के फायदे क्या होते हैं और विटामिन-F कितनी मात्रा में लेना चाहिये। आशा है आपको ये लेख अवश्य पसन्द आयेगा।
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