स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग में। दोस्तो, हमने पिछले आर्टिकल में इलेक्ट्रोलाइट्स का जिक्र किया था कि कैसे ये हमारे शरीर की कार्य प्रणाली के लिये आवश्यक होते हैं। हमने इलेक्ट्रोलाइट्स के नाम भी बताए थे। उनमें से एक इलेक्ट्रोलाइट है पोटेशियम। यह हमारी मांसपेशियों और मस्तिष्क के बीच मजबूत कड़ी है। यह मांसपेशियों और तंत्रिका के बीच संबंध स्थापित कर, मस्तिष्क की कार्य प्रणाली में मदद करता है। पोटेशियम शारीरिक द्रव को नियंत्रित करे, ब्लड प्रेशर को सामान्य रखने, ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने, मांसपेशियों के संकुचन, इनको आराम देने और इनकी कार्यप्रणाली में सहायता करने, हृदय की रक्षा करने जैसे कई महत्वपूर्ण कार्यों के लिये जिम्मेदार होता है। शरीर में इसकी अधिकता या कमी हो जाने पर, दोनों ही स्थितियों में अनेक समस्याओं को झेलना पड़ता है। आखिर क्या है ये पोटेशियम और शरीर को कैसे मिलता है। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “पोटेशियम क्या है?”।
देसी हैल्थ क्लब आज आपको पोटेशियम के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसके अधिक या कम हो जाने पर शरीर पर क्या प्रभाव पड़ते हैं और इसके स्रोत क्या हैं।
पोटेशियम क्या है? – What is Potassium?
दोस्तो, पोटेशियम (Potassium) एक अत्यधिक प्रतिक्रियाशील (Highly reactive substance), क्षार (Alkali) धातु है जिसका प्रतीक अंग्रेजी अक्षर K है। यह अत्यंत सक्रिय तत्व होने की वजह से अपने आप में अकेला नहीं बल्कि हमेशा कई यौगिक के साथ पाया जाता है और पूरे भूमंडल पर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। इसका उल्लेख, दिखने में चांदी जैसी सफेद ठोस के रूप में किया जाता है। इसके दो स्थिर समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या 39 और 41), एक अस्थिर समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या 40 जो कि प्रकृति में कम मात्रा में उपलब्ध है) तथा तीन अन्य समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या 38, 42 और 43 – कृत्रिम रूप से निर्मित) ज्ञातव्य हैं।
यह वायु के संपर्क में आने पर जल्दी ही अशुद्ध हो जाता है तथा गर्म करने पर पिघलकर जलने लगता है। पानी के संपर्क में आने पर विस्फोट के साथ क्रिया करके बैंगनी ज्वाला के साथ जल उठता है। यदि इसके नामकरण की बात की जाए तो समझिए कि अंग्रेजी शब्द Pot का अर्थ है कोई मिट्टी का बर्तन जैसे घड़ा और Ash का मतलब है भस्म यानि राख। पहले पेड़-पौधों की राख को पानी से भरे घड़े में मिलाकर पोटाशियम बनाया जाता था। इसी से इसका नाम पड़ा पोटेशियम (Potassium)।
पोटेशियम का उपयोग प्राचीन काल से ही औषधि और रासायनिक क्रियाओं में किया जाता रहा है। चरकसंहिता में भस्म से क्षार बनाने की विधि का उल्लेख मिलता है। 1890 में चीनी तुर्किस्तान के एक बौद्धमंदिर में एक चिकित्सा ग्रंथ में यवक्षार (potassium carbonate) का वर्णन मिलता है।पोटेशियम के तीन ऑक्साइड – पोटेशियम ऑक्साइड, पोटेशियम डाइऑक्साइड तथा पोटेशियम परऑक्साइड निश्चित रूप से ज्ञातव्य हैं।
ये भी पढ़ें- सोडियम क्या है?
पोटेशियम के यौगिक – Potassium Compounds
यदि पोटेशियम के यौगिक की बात की जाए तो इसमें कई यौगिक शामिल होते हैं जैसे कि कॉस्टिक पोटाश। इसका निर्माण क्लोराइड विलयन के वैद्युत् विघटन से होता है। हैलौजन यौगिक में फ्लोरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन व आयोडीन शामिल हैं। कॉस्टिक पोटाश पर हाइड्रोफ्लोरिक अम्ल (HF) की क्रिया के द्वारा पोटेशियम फ्लोराइड बनता है। गंधक यौगिक में गंधक के साथ पोटेशियम सल्फाइड और इसका जल के 5 अणुओं के संयोजन से क्रिस्टल बनता है। पोटेशियम सल्फेट स्ट्रैसफुर्ट के खनिजों में उपस्थित होता है।
पोटेशियम नाइट्रेट प्रकृति में कार्बनिक पदार्थो की क्षति द्वारा बनता है। पोटेशियम कार्बोनेट को पोटाश भी कहा जाता है। पहले बहुत समय तक यह काष्ठराख से मिलता था, परन्तु अब यह लेब्लांक विधि के द्वारा तैयार किया जाता है। इनके अतिरिक्त पोटेशियम के कुछ अघुलनशील यौगिक होते हैं – इनमें शामिल हैं पोटेशियम क्लोरोप्लैटिनेट, इसकी घुलनशीलता बहुत ही कम है तथा पोटेशियम कोबाल्टीनाइट्राइट, यह भी अघुलनशील है।
भोजन में पोटेशियम क्या है? – What is Potassium in Food?
दोस्तो, हमारे शरीर में पानी की मात्रा को संतुलित करने, अम्ल/क्षार (पीएच) स्तर को संतुलित करने, नसों और मांसपेशियों की कार्य प्रणाली में सहायता करने का काम इलेक्ट्रोलाइट करते हैं। इन इलेक्ट्रोलाइट में कैल्शियम, सोडियम, क्लोराइड, फॉस्फेट और मैग्नीशियम शामिल होते हैं इन्हीं इलेक्ट्रोलाइट की श्रेणी में पोटेशियम भी आता है। यह स्पष्ट हो चुका है कि पोटेशियम एक इलेक्ट्रोलाइट जो हमें खाद्य पदार्थों से प्राप्त होता है।
पोटेशियम को स्थूल खनिज (macro minerals) भी कहा जाता है। खाद्य पदार्थों से हमें सात स्थूल खनिज मिलते हैं। इनके नाम हैं – मैग्नीशियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस, सल्फर, सोडियम, पोटेशियम और क्लोराइड। पोटेशियम एक ऐसा सक्रिय तत्व है जो अकेला नहीं होता बल्कि अन्य यौगिक के साथ पाया जाता है। पोटेशियम, मांसपेशियों के संकुचन को कंट्रोल करने और ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाए रखने, पोषक तत्वों को कोशिकाओं तक पहुंचाने, अपशिष्ट पदार्थों को कोशिकाओं से बाहर निकालने, हृदय गति को नियमित रखने के लिए जिम्मेदार होता है।
यहां हम एक बात और स्पष्ट कर दें कि लगभग 98 प्रतिशत पोटेशियम कोशिकाओं में उपस्थित होता है, इसमें से 80 प्रतिशत पोटेशियम मांसपेशियों की कोशिकाओं में मौजूद होता है। शेष 20 प्रतिशत हड्डियों, लिवर तथा रेड ब्लड सेल्स में मौजूद हो सकता है। स्वस्थ शरीर के लिए 4,700 मिलीग्राम पोटेशियम की मात्रा पर्याप्त होती है।
ये भी पढ़ें- वजन बढ़ाने के डाइट चार्ट
पोटेशियम की मात्रा – Potassium Content
दोस्तो, अनुशंसित आहार भत्ता (Recommended Daily Allowances) के अनुसार पोटेशियम की मात्रा निम्न प्रकार है –
(i) शिशु
जन्म से 6 महीने की आयु : 0.4 ग्राम
(ii) बच्चा
7 महीने से 1 वर्ष : 0.7 ग्राम
13 महीने से 3 वर्ष : 3 ग्राम
4 वर्ष से 8 वर्ष : 3.8 ग्राम
9 वर्ष से 13 वर्ष : 4.5 ग्राम
(iii) पुरुष और महिलाएं
14 वर्ष से ऊपर की आयु : 4.7 ग्राम
(iv) गर्भवती महिलाएं : 4.7 ग्राम
(v) स्तनपान कराने वाली माताएं : 5.1 ग्राम
पोटेशियम के कार्य – Functions of Potassium
यह भी कहा जा सकता है कि पोटेशियम के क्या फायदे होते हैं, यह तो इसके कार्यों से स्पष्ट हो जाता है। पोटेशियम के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं।
1. ब्लड में ग्लूकोज को स्थिर करना (Stabilize Blood Glucose)- पोटेशियम कम होने पर ग्लुकोज़ लेवल भी घटने लगता है जिससे कमजोरी, घबराहट, सिरदर्द जैसी समस्या होने लगती है।
2. मांसपेशियों के संकुचन को नियंत्रित करना (Controlling Muscle Contractions)- पोटेशियम का अधिकांश भाग मांसपेशियों में मौजूद होता है जो मांसपेशियों और तंत्रिका के बीच संबंध स्थापित कर इनके कार्यों में मदद करता है। यह मांसपेशियों को आराम भी प्रदान करता है।
3. मांसपेशियों की ऐंठन को दूर करे (Relieve Muscle Spasms)- मांसपेशियों को आराम चाहिए। ब्लड में पोटेशियम की कमी से मांसपेशियों में ऐंठन होने लगती है। इससे राहत पाने के लिये पर्याप्त मात्रा में पोटेशियम होना जरूरी है जिसे हम खाद्य पदार्थों से ग्रहण करते हैं।
4. शारीरिक द्रव्य को नियंत्रित करे (Control Body Fluids)- शरीर में उपस्थित सभी द्रवों व अन्य इलेक्ट्रोलाइट के बीच संतुलन बनाए रखने का काम करता है।
5. मस्तिष्क की कार्य प्रणाली को कंट्रोल करे (Control Brain Function)- पोटेशियम मस्तिष्क की कार्य प्रणाली को कंट्रोल करते हुए मस्तिष्क के कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाता है। यह स्मरण शक्ति को स्वस्थ रखता है रीकॉल करने की क्षमता में सुधार करता है।
ये भी पढ़ें- मेनिनजाइटिस क्या है?
6. अस्थि खनिज घनत्व को बढ़ाए (Increase Bone Mineral Density)- हड्डियों के स्वास्थ और उनकी मजबूती इस बात पर निर्भर करती है कि उनका खनिज घनत्व कैसा है। अस्थि खनिज घनत्व (Bone Mineral Density – BMD) को मजबूत करने के लिए कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, कॉपर, ज़िंक जैसे खनिजों की जरूरत होती है। ये सब अधूरे हैं यदि पोटेशियम ना मिले तो। इसलिए पोटेशियम अस्थि खनिज घनत्व और अस्थि स्वास्थ में बहुत बड़ा योगदान देता है।
7. हृदय स्वास्थ के लिए (Heart Health)- हृदय से संबंधित रोगों को दूर रखने के लिए पोटेशियम की आवश्यकता होती है। यह हृदय धड़कन को सामान्य बनाए रखने में मदद करता है।
8. ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करे (Control Blood Pressure)- ब्लड प्रेशर का सामान्य स्तर बनाए रखने के लिए पोटेशियम महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है। जिन लोगों का ब्लड प्रेशर हाई रहता है उनको ऐसे खाद्य पदार्थ खाने की सलाह दी जाती है जिनसे पर्याप्त मात्रा में पोटेशियम मिल सके।
9. चयापचय प्रक्रिया में भी पोटेशियम का योगदान होता है। यह भोजन को पचाने में मदद करता है।
10. तनाव, डिप्रेशन और चिंता के प्रबंधन में भी पोटेशियम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
पोटेशियम की अधिकता के प्रभाव – Effects of Excess Potassium
यह एक वास्तविकता है कि जब तक पोटेशियम हमारे शरीर में सही मात्रा में रहेगा, यह फायदा ही करेगा परन्तु जब यह अधिक हो जायेगा या इसकी मात्रा शरीर में कम हो जाएगी तो दोनों ही हालात में यह मुसीबत खड़ी कर देगा। यहां हम दोनों ही हालात का विश्लेषण करेंगे। पहले जानते हैं इसकी अधिकता होने पर शरीर पर क्या प्रभाव पड़ते हैं। यहां हम बता दें कि शरीर में पोटेशियम का स्तर अधिक होने को मेडिकल भाषा में हाइपरकेलेमिया (Hyperkalemia) कहा जाता है। इसके पड़ने वाले प्रभाव निम्नलिखित हैं –
- किडनी कमजोर या क्षतिग्रसत हो सकती है। यह समस्या अक्सर वृद्ध लोगों को होती है क्यों कि उनकी किडनी पोटेशियम की अधिक मात्रा को हटाने में उतनी सक्षम नहीं होती जितनी युवा वर्ग की होती है।
- लिंग से जुड़ी समस्या हो सकती है क्यों कि मूत्र विसर्जन द्वारा इसकी अधिकता को कम नहीं किया जा सकता।
- हृदय गति सामान्य से कम हो जाना। इसे ब्रेडीकार्डिया (Bradycardia) कहा जाता है।
- हृदय की अनियमित गति। इसे वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन (Ventricular fibrillation) कहा जाता है।
- असिस्टोल (Asystole) की संभावना। इस स्थिति में हृदय की धड़कन लगभग बंद हो जाती है।
- मितली, लगातार उल्टी होना।
- दस्त लगना।
- पेट में गैस, पेट में दर्द।
ये भी पढ़ें- पेट में गैस बनाने का देसी इलाज
पोटेशियम की कमी के प्रभाव – Effects of Potassium Deficiency
दोस्तो, यदि शरीर में पोटेशियम का स्तर 3।6 millimoles per Litre (mmol/litre) से कम हो जाए तो यह पोटेशियम की कमी कहलाती है। इसे मेडिकल भाषा में हाइपोकैलिमिया (Hypokalemia) कहा जाता है। यहां हम एक तथ्य उजागर करना चाहेंगे कि जब शरीर में पोटाशियम की कमी होती है तो व्यक्ति का मन मिट्टी खाने का करता है और खाता भी है। इसका सशक्त उदाहरण हैं छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाएं। मिट्टी खाने से पूरे शरीर का रसायन डिस्टर्ब हो जाता है। शरीर में पोटेशियम की कमी के पड़ने वाले प्रभाव निम्नलिखित हैं –
- हृदय की लय का असामान्य हो जाना।
- असामान्य हृदय गति।
- ब्लड प्रेशर बढ़ जाना।
- ब्लड प्रेशर इतना कम हो जाना कि जिससे चक्कर आने लगें या बेहोशी छाने लगे।
- मांसपेशियों का कमजोर हो जाना।
- मांसपेशियों और पैरों में ऐंठन।
- कमजोरी और थकावट।
- पेट संबंधी समस्याएं होना जैसे पेट में सूजन, पेट में ऐंठन, कब्ज़ आदि।
- मतली, उल्टी।
- बार-बार मूत्र विसर्जन को जाना।
- जल्दी-जल्दी प्यास लगना।
- झनझनाहट या सुन्नता।
- डिप्रेशन।
- भ्रमित रहना।
पोटेशियम के स्रोत – Sources of Potassium
दोस्तो, अब बताते हैं आपको कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ जिनसे पोटेशियम प्राप्त किया जा सकता है यानि पोटेशियम के स्रोत। हम बता रहे हैं आपको किसमें कितना पोटेशियम होता है। विवरण निम्न प्रकार है –
1. आलू – एक आलू लगभग 136 ग्राम वाला, में 515 मिलीग्राम पोटेशियम होता है।
2. टमाटर का पेस्ट– 50 ग्राम टमाटर के पेस्ट से 486 मिलीग्राम पोटेशियम मिल सकता है।
3. पालक – 25 ग्राम पालक में 140 मिलीग्राम पोटेशियम होता है।
4. सोयाबीन की फलियां – 155 ग्राम लगभग एक कप सोयाबीन की फलियों में 676 मिलीग्राम पोटेशियम होता है।
5. सफेद बींस – 180 ग्राम सफेद बींस में 829 मिलीग्राम पोटेशियम होता है।
6. मटर – एक कप लगभग 112 ग्राम हरी मटर में 91.5 मिलीग्राम पोटेशियम मौजूद होता है।
7. शकरकंद – मध्यम आकार के शकरकंद से लगभग 541 मिलीग्राम पोटेशियम मिल जाएगा।
8. चुकंदर – लगभग 82 ग्राम के चुकंदर में 266 मिलीग्राम पोटेशियम होता है।
9. अनार – एक सामान्य आकार के अनार में 666 मिलीग्राम पोटेशियम होता है।
10. एवोकाडो – 100 ग्राम वाले एवोकाडो में 487 मिलीग्राम पोटेशियम मौजूद होता है।
11. केला – सामान्य आकार के एक केले में 422 मिलीग्राम पोटेशियम होता है।
12. तरबूज – 152 ग्राम तरबूज में 170 ग्राम पोटेशियम होता है।
13. मसूर की दाल – 45 ग्राम मसूर की दाल में 300 मिलीग्राम पोटेशियम होता है।
14. किशमिश – 14 ग्राम किशमिश से 105 मिलीग्राम पोटेशियम मिल जाता है।
15. खुबानी – 150 ग्राम से 259 मिलीग्राम पोटेशियम मिल जाएगा।
16. दही – 100 ग्राम दही में 234 मिलीग्राम पोटेशियम होता है।
17. दूध – एक गिलास दूध पीने से 322 मिलीग्राम पोटेशियम मिल जाता है।
18. नारियल पानी – एक गिलास नारियल पानी पीने से 600 मिलीग्राम पोटेशियम मिल जाता है।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको पोटेशियम के बारे में विस्तार से जानकारी दी। पोटेशियम क्या है, पोटेशियम के यौगिक, भोजन में पोटेशियम क्या है, पोटेशियम की मात्रा, पोटेशियम के कार्य, पोटेशियम की अधिकता के प्रभाव और पोटेशियम की कमी के प्रभाव, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से पोटेशियम के बहुत सारे स्रोत भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।
Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।