स्वागत है हमारे ब्लॉग में। दोस्तो, भोजन हमारे जिंदा रहने के लिए बहुत जरूरी है लेकिन भोजन का पचना उससे भी ज्यादा जरूरी है। यदि भोजन नहीं पचेगा तो सबसे बड़ी दिक्कत मल त्याग की आएगी। भोजन के सही से ना पचने की वजह से पेट खराब रहेगा, कब्ज की बीमारी हो जाएगी और कब्ज से बवासीर बनते देर नहीं लगेगी। आखिर भोजन पचता कैसे है, तो दोस्तो, हम आपको बता दें कि भोजन को पचाने का काम फाइबर करता है। फाइबर जो कि एक पोषक तत्व है, यह हमें सब्जियों, अनाज, फलों और ड्राइफ्रूट्स से प्राप्त होता है और पाचन प्रक्रिया में सहायता करता है। दोस्तो, फाइबर सही मायने में “पेट का सच्चा दोस्त है” जो पेट का ध्यान रखता है। यह पेट को पेट से जुड़ी बीमारियों से बचाता है विशेषकर पेप्टिक अल्सर से, पाचन प्रक्रिया में मदद करता है ताकि भोजन आसानी से पच जाए, खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है तथा ब्लड शुगर को भी कंट्रोल करता है। इतने सारे काम तो एक सच्चा दोस्त ही कर सकता है तो क्यों ना इसके बारे में जानें। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “फाइबर क्या है?”।
देसी हैल्थ क्लब इस लेख के माध्यम से आपको फाइबर के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि इसके फायदे क्या हैं। तो, सबसे पहले जानते हैं कि फाइबर क्या है और फाइबर के प्रकार। फिर, इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।
फाइबर क्या है? – What is Fiber?
दोस्तो, फाइबर, वास्तव में “पेट का सच्चा दोस्त है” जो पेट की देखभाल करता है। यह पेट को, पेट से संबंधित अनेक रोगों से बचाता है विशेषकर पेप्टिक अल्सर से। यह आंतों की सफाई करता है, भोजन को पचने लायक बनाता है, मल को ढीला करता है ताकि मल त्याग आसानी से हो सके। जिसका पेट सुबह साफ हो गया तो समझिए कि वह सारे दिन के लिए निश्चिंत हो गया। उसके पास पेट की समस्या फटकेगी ही नहीं।
फाइबर एक पोषक तत्व है जो मनुष्य के शरीर के लिये आवश्यक आवश्यकता है। आवश्यक आवश्यकता इस संदर्भ में कि यह पाचन तंत्र की कार्य प्रणाली के सुचारु रूप से कार्य करने का फाइबर अभिन्न घटक है। फाइबर वस्तुतः कार्बोहाइड्रेट का ही एक प्रकार है जिसे शरीर पचा नहीं सकता, मगर यह भोजन को पचाने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाता है। यह बिना पचे ही शरीर से बाहर आ जाता है।
फाइबर, सेलुलोज और लिग्निन से बनाता है, दोनों को ही पचाया नहीं जा सकता। सेलुलोज कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन परमाणुओं के मिश्रण से बनने वाला अणु है जो पौधों को कठोर और सीधा रखता है। यह पौधों की कोशिकाओं की दीवारों में पाया जाता है। लिग्निन, पौधों की “रीढ़ की हड्डी” के रूप में कार्य करते हुए उनको संरचना और समर्थन देता है।
लिग्निन वास्तव में कार्बोहाइड्रेट होता है जिसके निर्माण में कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के परमाणु सम्मलित होते हैं। फाइबर पौधों से मिलता है तथा मनुष्य को अनाज, सब्जियों, फल तथा ड्राईफ्रूट्स के जरिये प्राप्त होता है। फाइबर, पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के अतिरिक्त आंतों की सफाई का भी काम करता है।
ये भी पढ़े- वजन कम करने के लिए डाइट प्लान
फाइबर के प्रकार – Types of Fiber
फाइबर दो प्रकार का होता है – एक घुलनशील फाइबर दूसरा घुलनशील फाइबर। विवरण निम्न प्रकार है –
1. घुलनशील फाइबर (Soluble Fiber) – यह फाइबर पानी में घुल जाता है। भोजन के द्वारा यह पेट में जाकर जेल जैसे गाढ़े द्रव में परिवर्तित हो जाता है। यह अच्छे बैक्टीरिया का निर्माण करता है। ये अच्छे बैक्टीरिया भोजन को ऊर्जा में बदलने तथा अपशिष्ट उत्पादों में बदलने के लिए रासायनिक प्रक्रिया में मदद करते हैं। यह घुलनशील फाइबर आंतों पर जमा होने वाले कोलेस्ट्रॉल को कम करने का काम करता है।
यह घुलनशील फाइबर मल को ढीला करता है ताकि मल त्याग आसानी से हो सके। इससे कब्ज नहीं बनती। यह ब्लड शुगर के लेवल को भी कंट्रोल करता है। जई (oats), सेम, जौ, ब्रसल स्प्राउट, फलियां, मटर, राजमा, लोबिया, सेब, संतरा, नट्स आदि घुलनशील फाइबर के मुख्य स्रोत हैं।
2. अघुलनशील फाइबर (Insoluble Fiber) – अघुलनशील फाइबर पानी में नहीं घुलता क्योंकि इसकी संरचना कठोर और खुरदरी होती है। अतः यह शरीर में जाकर रक्त में नहीं घुलता और ना ही यह टूटता है। यह आंतों से चिपक जाता है। इसको बाहर निकालने के लिए खूब पानी पीना पड़ता है।
अघुलनशील फाइबर पाचन तंत्र के जरिये अन्य खाद्य पदार्थों, खाद्य घटकों और पानी को स्थानांतरित करने के काम में मदद करता है। ताकि आंतों का पारगमन सुचारू रूप से हो सके। इससे कब्ज को रोकने में मदद मिलती है तथा पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है। अघुलनशील फाइबर के स्रोत हैं – गेहूं के चोकर, हरी बीन्स, पत्तेदार साग, गाजर, चुकंदर, फलों को छिलके, नट्स आदि।
फाइबर की कमी से होने वाले प्रभाव – Effects of Fiber Deficiency
यदि शरीर में फाइबर की कमी हो जाए तो निम्नलिखित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं –
- पेट में गैस बनना।
- कब्ज हो जाना।
- पेप्टिक अल्सर।
- पेट से जुड़े अन्य रोग।
- वजन बढ़ना।
- मुंह में छाले।
- भोजन करने के बाद भी भूख लगना।
- रक्त शर्करा (Blood sugar) में परिवर्तन।
- खराब कोलेस्ट्रॉल LDL में बढ़ोतरी।
- बवासीर।
- एनर्जी, जलन।
- हृदय से जुड़ी समस्याएं।
ये भी पढ़े- मुंह के छालों का देसी इलाज
भोजन में फाइबर की मात्रा – Amount of Fiber in Food
आयु के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति के लिये फाइबर की दैनिक मात्रा निम्न प्रकार है –
(i) 1 से 3 वर्ष के बच्चे : 19 ग्राम प्रतिदिन
(ii) 4 से 8 वर्ष के बच्चे : 25 ग्राम प्रतिदिन
(iii) 9 से 13 वर्ष के बच्चे
(लड़कियां) : 26 ग्राम प्रतिदिन
(लड़के) : 31 ग्राम प्रतिदिन
(iv) 14 से 18 वर्ष
के पुरुष : 38 ग्राम प्रतिदिन
महिलाएं : 26 ग्राम प्रतिदिन
(v) 19 वर्ष से लेकर 50 वर्ष से कम
पुरुष : 38 ग्राम प्रतिदिन
महिलाएं : 30 ग्राम प्रतिदिन
(vi) 50 वर्ष से अधिक के
पुरुष : 25 ग्राम प्रतिदिन
महिलाएं : 21 ग्राम प्रतिदिन
फाइबर के स्रोत – Sources of Fiber
दोस्तो, अब बताते हैं आपको कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ जिनको आप अपने आहार में शामिल करते हैं तो आपको इनसे फाइबर मिल जाएगा। किसमें कितना फाइबर है इसका विवरण निम्न प्रकार है –
- लौकी – 100 ग्राम लौकी में 4.45 ग्राम फाइबर
- ग्वाल की फली – 100 ग्राम में 77.3 ग्राम
- कद्दू – 100 ग्राम में 0.5 ग्राम
- तोरई – 100 ग्राम में 1.1 ग्राम
- ब्रोकली – 100 ग्राम में 2.6 ग्राम
- कटहल – 100 ग्राम में 1.5 ग्राम
- छोले – 100 ग्राम में 8 ग्राम
- राजमा – 100 ग्राम में 6 ग्राम
- मटर – 100 ग्राम में 5.5 ग्राम
- पत्ता गोभी – 100 ग्राम में 2.5 ग्राम
- पालक – 100 ग्राम में 2.2 ग्राम
- सेम – 100 ग्राम में 16 ग्राम
- शिमला मिर्च – 100 ग्राम में 1.7 ग्राम
- सहजन – 100 ग्राम में 3.2 ग्राम
- आलू – 100 ग्राम में 2.2 ग्राम
- भुट्टा – 100 ग्राम में 2.7 ग्राम
- पकी हुई दालें – 1 कप दाल में 15.6 ग्राम
- केला – 100 ग्राम में 2.6 ग्राम
- सेब – 100 ग्राम में 2.4 ग्राम
- नाशपाती – 100 ग्राम में 3.1 ग्राम
- अनार – 100 ग्राम में 4 ग्राम
- एवोकाडो – 100 ग्राम में 6.7 ग्राम
- कीवी – 100 ग्राम में 3 ग्राम
- संतरा – 100 ग्राम में 2.4 ग्राम
- लीची – 100 ग्राम में 1.3 ग्राम
- चीकू – 100 ग्राम में 5.3 ग्राम
- रेस्पबेरी – 100 ग्राम में 6.5 ग्राम
- शरीफा – 100 ग्राम में 4.4 ग्राम
- एक बड़ी चम्मच चिया बीज – 5.5 ग्राम
- बादाम – 100 ग्राम में 12.5 ग्राम
ये भी पढ़े- बादाम खाने के फायदे
फाइबर के फायदे – Benefits of Fiber
दोस्तो, अब जानते हैं फाइबर के फायदों के बारे में जो निम्न प्रकार हैं –
1. पाचन के लिये (Digestion)- हमने ऊपर भी बताया है कि भोजन का पचना बेहद जरूरी है क्योंकि भोजन के ना पचने से पेट की अनेक समस्याएं पैदा हो जाती हैं। सबसे बड़ी समस्या कब्ज की है जिससे बवासीर होने की संभावना रहती है। पेट में दर्द हो जाना, गैस बनना, पेट में जलन, पेट में मरोड़ आदि समस्याएं मल त्याग ना होने के कारण होती हैं।
फाइबर भोजन को पचने लायक बनाता है जिससे पाचन तंत्र को अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती। यह प्रत्यक्ष रूप से पाचन तंत्र के काम में मदद करता है। फाइबर, मल को ढीला करता है ताकि सरलता से मल त्याग हो सके और पेट साफ रहे। फाइबर आंतों और पेट की सफाई करता है।
2. वजन कम करे (Lose Weight)- जो लोग अपना वजन कम करना चाहते हैं उनको ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जिनमें घुलनशील फाइबर की मात्रा अधिक हो। घुलनशील फाइबर पेट में जेल के रूप में परिवर्तित हो जाता है।
यह आंतों से पानी को सोख लेता है जिससे पेट भरे होने का आभास होता है और लंबे समय तक भूख नहीं लगती। फाइबर में कैलोरी भी कम होती है तथा फैट और कोलेस्ट्रॉल भी कम होता है। कम कैलोरी, कम फैट और कम कोलेस्ट्रॉल से आपका वजन कंट्रोल में रहेगा।
3. डाइबिटीज में फायदा (Benefit in Diabetes)- फाइबर युक्त भोजन से डाइबिटीज का स्तर कंट्रोल में रहता है। घुलनशील फाइबर शुगर के अवशोषण (absorption) की गति को कम करता है, इससे ब्लड शुगर लेवल में सुधार होता है। अघुलनशील फाइबर युक्त भोजन करने से डाइबिटीज टाइप 2 की संभावना कम हो जाती है। अतः डाइबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों को फाइबर युक्त भोजन करने की सलाह दी जाती है।
ये भी पढ़े- शुगर कंट्रोल करने के घरेलू उपाय
4. कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करे (Control Cholesterol)- जिन लोगों का कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ है उनको सेम, जौ, ब्रसल स्प्राउट, फलियां, मटर, राजमा, लोबिया, दालें आदि का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इनमें घुलनशील फाइबर उपस्थित होता है जो कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (lipoprotein) या खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करता है। इसके अतिरिक्त फाइबर हाई ब्लड प्रेशर को भी कम करने में मदद करता है।
5. हृदय स्वास्थ को सही रखे (Maintain Good Heart Health)- कोरोनरी आर्टरी पर प्लाक जमना हृदय स्वास्थ के लिये सबसे बड़ा खतरा होता है। इससे हार्ट अटैक आने की संभावना रहती है। कोरोनरी आर्टरी पर प्लाक जमने की सबसे बड़ी वजह फैट का अधिक जमा होना और खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) में बढ़ोतरी है। इसके अतिरिक्त डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर को भी हृदय के लिए घातक माना जाता है।
फाइबर युक्त भोजन डायबिटीज के स्तर को कम करता है, हाई ब्लड प्रेशर को कम करता है, फैट को जमने नहीं देता और खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को बढ़ने नहीं देता। इन हालात में हृदय सुरक्षित रहता है। कहने का तात्पर्य यह है कि फाइबर के सेवन से हृदय स्वास्थ ठीक रहता है, वैसे भी डॉक्टर, हृदय रोगियों को फाइबर युक्त आहार लेने की सलाह देते हैं।
6. कैंसर से बचाव करे (Prevent Cancer)- विशेषज्ञों का मानना है कि उच्च फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों में एंटीऑक्सिडेंट गुण उपस्थित होते हैं जो कई प्रकार के कैंसर से बचाव करने में सक्षम होते हैं। इनमें कोलन कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, ओवेरियन कैंसर (Ovarian Cancer), पाचन तंत्र का कैंसर आदि शामिल हैं। उच्च फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ इन कैंसर के होने की संभावना को कम करते हैं। सूत्रों के अनुसार इस विषय में शोध कार्य चल रहा है।
7. त्वचा स्वास्थ के लिये फायदेमंद (Beneficial for Skin Health)- फाइबर के फायदे केवल पेट और पाचन तंत्र के लिए ही नहीं बल्कि त्वचा के लिए भी होते हैं। त्वचा के लिये फाइबर कैसे फायदेमंद है इसका विवरण निम्न प्रकार है –
(i) एंटी-एजिंग प्रभाव (Anti-Aging Effect)- संतुलित और फाइबर युक्त भोजन में कई विटामिन तथा अनेक खनिज होते हैं। विटामिन-सी, एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है। एंटीऑक्सीडेंट्स कोलेजन के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाते हैं जिनसे त्वचा में लोच आ जाती है। फाइबर युक्त भोजन करने से चेहरे की फाइन-लाइंस और झुर्रियां कम हो जाती हैं जिससे आप अपनी वास्तविक आयु से कम और युवा दिखते हैं।
(ii) त्वचा में चमक लाए (Bring Glow to the Skin)- कई समस्याओं के कारण त्वचा पर बुरा असर पड़ता है जिससे त्वचा बेजान हो जाती है और उसकी प्राकृतिक चमक खो जाती है जैसे कि असंतुलित भोजन करने से हार्मोन में असंतुलन होने की संभावना रहती है।
थायराइड की समस्या से त्वचा की चमक जाती रहती है। विषाक्त पदार्थों के बाहर ना निकलने से त्वचा के रूप में परिवर्तन आता है। इसलिए यह जरूरी है कि विटामिन और खनिज के अतिरिक्त फाइबर को भी अपने भोजन में शामिल करें। इससे विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते रहेंगे और त्वचा में प्राकृतिक चमक बनी रहेगी।
(iii) दाग, कील, मुंहासों में फायदा (Benefit in Spots, Pimples, Acne)- दाग, कील, मुंहासों की समस्या, विषाक्त पदार्थों के बाहर ना निकलने, फैट के जमा होने तथा पेट की समस्याओं के कारण होती है। इसके लिए जरूरी है कि फाइबर को अपने भोजन में सम्मलित किया जाए। फाइबर पेट से जुड़ी समस्याओं का निवारण करता है, फैट को कम करता है और विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। परिणाम स्वरूप दाग, कील, मुंहासे कम होते चले जाते हैं।
8. बालों के लिए फायदेमंद (Beneficial for Hair)- बालों के लिए फाइबर के फायदे निम्न प्रकार से देखे जा सकते हैं –
(i) बालों को असमय सफेद होने से रोके (Prevent Premature Graying of Hair)- प्रदूषित वातावरण, तनाव, हार्मोन्स में परिवर्तन और असंतुलित भोजन के कारण समय से पहले ही बाल सफेद हो रहे हैं। बालों के रंग के लिए मेलेनिन को उत्तरदायी माना जाता है। मेलेनिन एक प्राकृतिक रंगद्रव्य (pigment) है जिसका निर्माण मेलेनोसाइट्स (melanocytes) नामक कोशिकाएं करती हैं।
मेलेनिन का स्तर कम होने पर बाल समय से पहले ही सफेद होने लगते हैं। मेलेनिन का मुख्य स्रोत मछली और समुद्री भोजन से प्राप्त प्रोटीन है। फाइबर, प्रोटीन के अवशोषण को सही रखने में मदद करता है और मेलेनिन के उत्पादन को बढ़ाता है। परिणाम स्वरूप बाल लंबे समय तक काले रहते हैं और समय से पहले सफेद नहीं होते।
ये भी पढ़े- बालों को झड़ने से रोकने के उपाय
(ii) बालों को मजबूती दे (Strengthen Hair)- बालों की मजबूती बालों की जड़ों पर निर्भर करती है और बालों की जड़ें मजबूत बनती हैं विटामिन, खनिज और प्रोटीन के अवशोषण पर। भोजन से प्राप्त विटामिन, खनिज और प्रोटीन का अवशोषण करने का काम फाइबर करता है। फाइबर पाचन क्रिया के साथ-साथ प्रोटीन के अवशोषण की क्रिया को भी सुधारता है। प्रोटीन का अवशोषण सुचारू रूप से होने पर बालों की जड़ों को पोषण मिलता है जिससे वे मजबूत होती हैं, बाल मजबूत हो जाते हैं और बालों का झड़ना बंद हो जाता है।
फाइबर के नुकसान – Side Effects of Fiber
फाइबर, प्रतिदिन हमारे लिए कितनी मात्रा में जरूरी है यह तो हम ऊपर बता ही चुके हैं परन्तु यदि इसका अधिक सेवन किया जाए तो, स्वास्थ का नुकसान होना स्वाभाविक है। फाइबर के अधिक मात्रा में लेने से हो सकते हैं निम्नलिखित नुकसान –
- पेट में गैस बनना।
- पेट में दर्द, ऐंठन।
- अफारा यानि पेट फूलना।
- पेट में जलन।
- दस्त लगना।
- मल का सख्त होना, मल त्याग में कठिनाई।
- गुदा से रक्त आ सकता है।
- कब्ज बन सकती है।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको फाइबर के बारे में विस्तार से जानकारी दी। फाइबर क्या है?, फाइबर के प्रकार, फाइबर की कमी से होने वाले प्रभाव, भोजन में फाइबर की मात्रा और फाइबर के स्रोत, इन सब के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से फाइबर के बहुत सारे फायदे बताए और कुछ नुकसान भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।
Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।