दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, प्रत्येक बीमारी का कोई ना कोई आधार होता है चाहे वह शारीरिक है, या मानसिक, या मनोवैज्ञानिक। परन्तु जब किसी विशेष बीमारी का पता ही ना चले कि वह वास्तव में किससे संबंध रखती है तो उसे क्या कहेंगे। किसी एक परिधि में उसे नहीं बांधा जा सकता। ऐसी ही एक बीमारी के बारे में हम बात करेंगे जो पहली नजर में मिर्गी जैसी लगती है मगर है इससे अलग। जी हां, हम बात कर रहे हैं हिस्टीरिया। इससे राहत पाने के क्या उपाय हो सकते हैं? दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “हिस्टीरिया का घरेलू उपाय”। देसी हैल्थ क्लब इस लेख के माध्यम से आज आपको हिस्टीरिया के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि इससे राहत पाने के घरेलू उपाय क्या हैं?। तो सबसे पहले जानते हैं कि हिस्टीरिया क्या है और मिर्गी और हिस्टीरिया में क्या अंतर है?। फिर इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।
हिस्टीरिया क्या है? – What is Hysteria?
दोस्तो, हिस्टीरिया एक ऐसा रोग है जिसे परिभाषित नहीं किया जा सकता अर्थात् इसे किसी वर्ग विशेष में नहीं रखा जा सकता क्योंकि इसका कोई स्पष्ट और प्रमाणिक कारण नहीं है। इसे ना तो शारीरिक बीमारी कहा जा सकता है और ना ही दिमागी क्योंकि इसमें कोई शारीरिक क्षति नहीं होती ना ही मस्तिष्क की। एक्स-रे, ईसीजी, सीटी स्केन आदि टैस्ट में भी कहीं कोई कमी नहीं आती। चिकित्सा विज्ञान इसे नर्वस सिस्टम की विकृति से होने वाला रोग मानता है तो कुछ विद्वान इसे आध्यात्मिक धरातल से जोड़कर देखते हैं। इनके मतानुसार व्यक्ति के चेतन या अचेतन मन में चल रहे किसी तनाव के परिणामस्वरूप हिस्टीरिया बनता है। जब तनाव से मुक्ति पाने का कोई विकल्प नहीं रहता तो दौरे पड़ने लगते हैं। इसी को हिस्टीरिया कहा जाता है। यह रोग पुरुषों की तुलना में 15 से 25 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं को अधिक होता है। इस रोग से पीड़ित होने पर महिलाओं का मस्तिष्क, स्मरणशक्ति और स्नायुमंडल कमज़ोर पड़ने लगते हैं। मन के विषय में विस्तृत जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “चेतन, अवचेतन और अचेतन मन” पढ़ें। तनाव के बारे में विस्तृत जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “तनाव से छुटकारा पाने के उपाय” पढ़ें। अक्सर लोग हिस्टीरिया को मिर्गी समझ लेते हैं जबकि इनमें अंतर होता है। तो जानते हैं इनके बीच का अंतर।
मिर्गी और हिस्टीरिया में अंतर – Difference Between Epilepsy and Hysteria
दोस्तो, मिर्गी और हिस्टीरिया के लक्षण एक जैसे होते हैं फिर भी इन दोनों बीमारियों के बीच अंतर है जो निम्न प्रकार है –
1. मूलतः मिर्गी तंत्रिका तंत्र (Neuron) से संबंध रखने वाली बीमारी है जिसे मस्तिष्क का रोग भी कहा जाता है जबकि हिस्टीरिया को निश्चित रूप से यह नहीं कहा जा सकता कि इसका संबंध शरीर से है, मस्तिषक से है या यह कोई मनोरोग है।
2. मिर्गी के दौरे का पहले से आभास नहीं होता यह कभी भी कहीं भी पड़ जाता है परन्तु हिस्टीरिया के दौरे पड़ने से पहले मरीज को आभास हो जाता है कि उसे दौरा पड़ने वाला है।
3. मिर्गी का दौरा पड़ने पर अक्सर दांत भिंचने से होंठ और जीभ कटते हैं लेकिन हिस्टीरिया के दौरे में ऐसी संभावना नहीं के बराबर होती है क्योंकि मरीज पहले ही सावधान होता है वह सार्वजनिक स्थान पर जाता है ताकि अन्य लोग उसे संभाल सकें, इसलिये उसे चोट नहीं लगती।
4. मिर्गी का दौरा पड़ने पर मरीज के मुंह में झाग आ जाते हैं लेकिन हिस्टीरिया के दौरे में ऐसा नहीं होता।
5. मिर्गी का दौरा पड़ने पर मरीज को सामान्य होने में बहुत समय लगता है जबकि हिस्टीरिया का मरीज जल्दी सामान्य हो जाता है। मिर्गी पर अधिक जानकारी के लिये हमारा आर्टिकल “मिर्गी से राहत पाने के उपाय” पढ़ें।
हिस्टीरिया के कारण – Cause of Hysteria
दोस्तो, हमने ऊपर बताया है कि चिकित्सा विज्ञान हिस्टीरिया को नर्वस सिस्टम की विकृति से होने वाला रोग मानता है तो वहीं दूसरी ओर चेतन या अचेतन मन में चल रहे तनाव का परिणाम माना जाता है इसीलिये कुछ चिकित्सक, मनोचिकित्सक (Psychiatrist) से उपचार की सलाह देते हैं। हिस्टीरिया का कोई प्रमाणिक और सटीक कारण नहीं है, केवल अनुमान के आधार पर निम्नलिखित कारण माने जा सकते हैं –
1. मन में बैठा हुआ भय
2. प्रेम में असफलता।
3. यौन इच्छाओं का दमन या पूरा ना हो पाना।
4. अश्लील साहित्य, पोर्न वीडिओज़ की लत।
5. नाड़ियों की कमजोरी।
6. शारीरिक और मानसिक परिश्रम ना करना।
7. आरामदायक, विलासितापूर्ण जीवनशैली।
8. सही आयु में विवाह नहीं होना।
9. पारिवारिक समस्याऐं।
10. सदमा लगना।
11. तनाव ग्रस्त रहना।
12. धन की हानि होना।
13. तलाक होने पर विषम परिस्थितियां।
14. गर्भाशय में विकार या अन्य कोई बीमारी।
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हिस्टीरिया के लक्षण – Symptoms of Hysteria
हिस्टीरिया के अक्सर निम्नलिखित लक्षण प्रकट होते हैं –
1. अचानक से हंसने या रोने लगना।
2. चीखना, चिल्लाना, हिचकियां आना।
3. कभी-कभी गले की आवाज बंद हो जाती है।
4. आवाज और प्रकाश का अच्छा ना लगना।
5. हाथ पैर में ऐंठन होना।
6. सांस फूलना, दम घुटना।
7. दांत भिंच जाना।
8. गहरी सांस लेना, रह-रह कर छाती व गला पकड़ना।
9. कभी-कभी रोगी हाथ पैर लकवाग्रस्त समान ढीले पड़ जाना।
10. मरीज का बेहोश हो जाना।
हिस्टीरिया का दौरा पड़ने पर क्या करें – What to do When Having a Hysteria Attack
1. दौरा पड़ने पर मरीज को हवादार स्थान पर लिटा दें। यदि घर पर ही दौरा पड़ा है तो कमरे की खिड़कियां और दरवाजा खोल दें जिससे कि शुद्ध हवा आ सके।
2. मरीज को होश में लाने की कोशिश करें। उसके मुंह पर पानी के छींटे मारें। उसके सिर पर हाथ फेरें। कपड़े ढीले कर दें।
3. उससे अधिक बात ना करें। उसे अकेला ना छोड़ें।
4. नमक मिले हुऐ पानी की बूंदें नाक में डालें इससे मरीज को होश आ जायेगा।
5. होश में लाने के लिये उसे अमोनिया या हींग या प्याज सुंघायें।
6. होश में आने पर मरीज को उसे शरबत, फलों का रस या मीठा दूध पिलायें।
7. उसे बार-बार मूत्र विसर्जन को कहें।
8. उसके असमान्य व्यवहार पर गुस्सा ना करें।
हिस्टीरिया का उपचार – Treatment of Hysteria
यद्यपि चिकित्सा विज्ञान इसे न्यूरो से जोड़कर देखता है और इसे गंभीर बीमारी मानता है। इसी दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुऐ मरीज के मस्तिष्क के एक्स-रे, ईसीजी, सीटी स्केन आदि कराये जाते हैं। इन परीक्षणों में जब कुछ नहीं निकलता तो मामला मनोचिकित्सक को भेज दिया जाता है क्योंकि जब बीमारी पकड़ में ही नहीं आई तो इलाज कैसा।
हिस्टीरिया में मनोचिकित्सक की भूमिका – The Role of the Psychiatrist in Hysteria
जब चेतन और अचेतन मन में द्वन्द चलता है तो इससे तनाव उत्पन्न होता है। यही तनाव हिस्टीरिया को जन्म देता है, अतः मनोचिकित्सा के द्वारा इसका उपचार किया जाता है। इस उपचार में मनोचिकित्सक सक्रिय भूमिका निभाता है, साथ ही इस मामले में मरीज के परिजनों का सहयोग अनिवार्य रूप से वांछनीय होता है। मनोचिकित्सक मरीज के मन को टटोलता है और यह जानने की कोशिश करता है कि तनाव की असली वजह क्या है। वह मरीज के जिद्दीपन, चिड़चिड़ेपन, गुस्सा, मन की अस्थिरता, भावनात्मक आवेग और आवेश की पहचान करता है। सब जान लेने के बाद मनोचिकित्सक अपने हिसाब से मरीज का उपचार करता है। डिप्रेशन और बेचैनी आदि दूर करने के लिये मरीज को अवसादरोधी दवाऐं दी जा सकती हैं।
हिस्टीरिया का घरेलू उपाय – Home Remedies for Hysteria
1. केले का तना (Banana Stem)- केले के तने का ताजा रस निकाल कर एक-एक गिलास प्रतिदिन दिन में तीन बार पीयें, तीन से चार महीने पीयें। इसका अच्छा प्रभाव देखने को मिलेगा। यह हिस्टीरिया पीड़ित महिला के लिये अचूक उपाय माना जाता है।
2. जटामांसी (Jatamansi)- मिट्टी के बर्तन में आधा किलो पानी भरकर, इसमें जटामांसी, रास्ना, पीपल के पेड़ की जटा, एरंड की जड़ की छाल, सोंठ, अजवाइन एलुआ, तीन-तीन ग्राम की मात्रा लेकर, आग पर तब तक पकायें जब तक कि पानी 50 ग्राम रह जाये। इसे छानकर मरीज को पिलायें।
3. शहद (Honey)- हिस्टीरिया पीड़ित महिला प्रतिदिन एक चम्मच शहद दिन में तीन बार सेवन करे। कुछ ही दिनों में हिस्टीरिया में आराम लग जायेगा।
4. लौह भस्म (Iron Ashes)- एक ग्राम के चौथाई भाग के बराबर लौह भस्म को एक चम्मच शहद में मिलाकर प्रतिदिन सुबह शाम हिस्टीरिया पीड़ित महिला को खाने के लिये दें। उसके बाद दस ग्राम मक्खन, मलाई के साथ खिलायें।
5. धनिया (Coriander)- 25 ग्राम धनिया और 10 ग्राम सर्पगंधा मिलाकर चूर्ण बना लें। रोजाना रात को 1 से 2 ग्राम चूर्ण सोते समय पानी के साथ लें। कुछ दिनों में ही आराम लगने लगेगा।
6. चुकंदर (Sugar Beets)- एक कप चुकंदर के ताजे रस में एक चम्मच आंवले का रस मिलाकर प्रतिदिन सुबह पीयें। नियमित रूप से एक महीने तक पीने से हिस्टीरिया से राहत मिलेगी।
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7. हींग (Asafoetida)- जब भी हिस्टीरिया का दौरा पड़े, हींग सुंघायें, इससे रोगी को तुरंत राहत मिलेगी। आधा ग्राम से एक ग्राम तक हींग प्रतिदिन नियमित रूप से खाने से लाभ मिलेगा। हींग का सेवन दाल, सब्जी में मिलाकर किया जा सकता है।
8. वच चूर्ण (Vacha Churna)- प्रतिदिन नियमित रूप से वच के चूर्ण को शहद में मिलाकर 40 दिन तक खायें और भोजन में केवल दूध चावल ही खायें। इससे पुराना और भयानक हिस्टीरिया रोग भी शांत हो जायेगा।
9. लहसुन(Garlic)- एक पतली लहसुन की कली छीलकर चार गुना दूध और चार गुना पानी मिलाकर धीमी आग पर पकायें। जब आधा दूध रह जाए तो उसे छानकर मरीज को थोड़ा-थोड़ा करके पिलाते रहें।
10. त्रिफला चूर्ण (Triphala Churna)- त्रिफला चूर्ण का तीन दिन तक, सुबह, दोपहर और शाम को गुनगुने पानी के साथ सेवन करें। फिर इसके बाद 100-100 ग्राम पांचों नमक पीसकर एक साथ मिलाकर किसी साफ़ बर्तन में रख लें। एलोवेरा का एक लंबा टुकड़ा छीलकर, छोटे-छोटे टुकड़े करके उस पर यह नमक डालकर एक महीने तक सेवन करें। इससे हिस्टीरिया से राहत मिल जायेगी।
11. काली हरड़ (Black Yrtle)- काली हरड़ को अरंडी के तेल मे भूनकर चूर्ण बना लें। प्रतिदिन पांच ग्राम इस काली हरड़ के चूर्ण का सेवन करें।
12. जामुन (Blackberry)- जामुन भी हिस्टीरिया से राहत दिलाती है। जिस मौसम में जामुन आती हैं, इनका सेवन हिस्टीरिया के मरीज को अवश्य करना चाहिये।
हिस्टीरिया के मरीज को क्या खाना चाहिये? – What Should a Hysteria Patient Eat?
1. हिस्टीरिया के मरीज को हरी सब्जियां जैसे पालक, मेथी, खीया, तोरई, गाजर, मूली आदि खानी चाहिये।
2. गाय का दूध, नारियल का पानी या छाछ पीना चाहिये।
3. दूध में 10-12 किशमिश और एक चम्मच शहद मिलाकर पीना चाहिये।
4. प्रतिदिन सुबह-शाम आंवले का मुरब्बा भोजन के साथ खाना चाहिये।
5. संतरा, मौसमी, अनार, पपीता, कीवी आदि खाने चाहियें।
6. गेहूं के आटे की रोटी, पुराने चावल, दलिया, मूंग की दाल, मसूर की दाल का सेवन करना चाहिये।
क्या नहीं खाना चाहिये? – What Should Not Be Eaten?
हिस्टीरिया के मरीज को निम्नलिखित खाद्य/पेय पदार्थों से परहेज करना चाहिये –
1. तले, भुने खाद्य पदार्थ।
2. तेज मिर्च-मसालेदार भोजन और चटपटे खाद्य पदार्थ।
3. गुड़, तेल, हरी-लाल मिर्च, खटाई, अचार आदि।
4. मांस, मछली, अंडा आदि।
5. चाय, कॉफी, चॉकलेट, शराब, तंबाकू, खैनी, गुटखा व अन्य नशीले पदार्थ।
Conclusion –
दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको हिस्टीरिया का घरेलू उपाय के बारे में विस्तार से जानकारी दी। हिस्टीरिया क्या है, मिर्गी और हिस्टीरिया में अंतर, हिस्टीरिया के कारण, हिस्टीरिया के लक्षण, हिस्टीरिया का दौरा आने पर क्या करें, हिस्टीरिया का उपचार और हिस्टीरिया में मनोचिकित्सक की भूमिका, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस लेख के माध्यम से हिस्टीरिया से राहत पाने के घरेलू उपाय बताये और यह भी बताया कि हिस्टीरिया के मरीज को क्या खाना चाहिये और क्या नहीं खाना चाहिये। आशा है आपको ये लेख अवश्य पसन्द आयेगा।
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