स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, आपने इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) का नाम तो जरूर सुना होगा जिसमें महिला में कृत्रिम गर्भाधान कराया जाता है ताकि दम्पती को संतान सुख का अवसर मिल सके। सामान्यतः फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया को दो प्रकार से अंजाम दिया जाता है – एक परम्परागत तरीके से और दूसरा इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) के द्वारा। परम्परागत प्रक्रिया में प्रयोगशाला में पेट्री डिश में महिला के अंडे के साथ पुरुष के सक्रिय शुक्राणु को रखकर प्राकृतिक प्रजनन के लिये छोड़ देते हैं। इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन की प्रक्रिया में महिला के बाहर निकाले हुए अंडे में पुरुष के चयन किये गये स्वस्थ शुक्राणु को इंजेक्ट किया जाता है। आज के इस आर्टिकल में देसी हैल्थ क्लब आपको फर्टिलाइजेशन की इस वैज्ञानिक तकनीक इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शनइंजेक्शन के बारे में विस्तार से जानकारी देगा। इसीलिये हमारे आज के टॉपिक का नाम है “इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शनइंजेक्शन (ICSI) क्या है”?।
तो सबसे पहले जानते हैं कि इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शनइंजेक्शन (ICSI) क्या है और आई.वी.एफ और आई सी एस आई में अंतर। फिर इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे। विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के बारे में देसी हैल्थ क्लब पहले ही बता चुका है। अधिक जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “आई वी एफ क्या होता है? पूरी जानकारी” पढ़ें।
आईसीएसआई क्या है? – What is ICSI?
आईसीएसआई (ICSI) संक्षेप रूप है शब्दावली इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI)। वस्तुतः यह फर्टिलाइजेशन के लिये उपयोग की जाने वाली तकनीक है। फर्टिलाइजेशन इस तकनीक में, पुरुष में बांझपन अर्थात् वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या की कमी या शून्य होना या खराब गुणवत्ता आदि समस्याओं का निवारण करके महिला को गर्भधारण कराया जाता है।
इस तकनीक में माइक्रोमैनिपुलेशन स्टेशन की सहायता से वीर्य में से एक स्वस्थ और सक्रिय शुक्राणु को चुन कर उस शुक्राणु को महिला के एक अंडे (साइटोप्लाज्म) के सेंटर में इंजेक्ट कर दिया जाता है। पुरुष में बांझपन क्या होता है और यह आईसीएसआई की प्रक्रिया कैसे की जाती है, इनका विवरण हम आगे देंगे। पुरुषों के बांझपन के मामले में डॉक्टर भी आईसीएसआई का सुझाव देते हैं। आईसीएसआई की सफलता 80 से 85 प्रतिशत तक होने की संभावना होती है।
पुरुष बांझपन क्या होता है? – What is Male Infertility?
विवाह के छः महीने या एक वर्ष बीत जाने, किसी प्रोटेक्शन के बिना संभोग करने और महिला का चिकित्सा की दृष्टि से शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होने के बावजूद महिला को गर्भधारण ना करा पाने की स्थिति को पुरुष बांझपन कहा जाता है। इसका सीधा सा अर्थ यह है कि पुरुष के वीर्य में शुक्राणु महिला के अंडे को निषेचित करने में सक्षम नहीं हैं।
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पुरुष बांझपन के कारण – Causes of Male Infertility
पुरुष बांझपन के निम्नलिखित मुख्य कारण हैं –
1. वीर्य में शुक्राणुओं का ना होना। इसे निल शुक्राणु (Azoospermia) कहा जाता है।
2. शुक्राणुओं की संख्या सामान्य से कम होना। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति मिलीलीटर वीर्य में, 1.5 से 3.9 करोड़ शुक्राणुओं की संख्या को सामान्य माना जाता है।
3. शुक्राणुओं का स्वस्थ ना होना अर्थात् गुणवत्ता निम्न कोटि की होना। इसे लो क्वालिटी स्पर्म (Low Quality Sperm) कहा जाता है।
4. शुक्राणुओं में गति की कमी, इसे Low Sperm Motility कहा जाता है।
5. शुक्राणुओं के आकार की समस्या भी बांझपन का कारण बनती है, इसे Poor Sperm Morphology के नाम से जाना जाता है।
6. वीर्य का कम बनना, स्खलति होने में परेशानी होना।
7. कामेच्छा में कमी या नपुंसकता की स्थिति।
8. अंडकोष की नसों में वृद्धि होना, आसपस के हिस्से में गांठ बनना, अंडकोष में दर्द और सूजन।
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9. टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की कमी होना।
10. असामान्य रूप से छाती का बढ़ना जिसे (Gynecomastia) कहा जाता है।
11. श्वांस संबंधी संक्रमण का जल्दी-जल्दी होना।
12. धूम्रपान करना, ड्रग्स लेना।
आईसीएसआई और आईवीएफ में अंतर – Difference Between ICSI and IVF
दोस्तो, आईसीएसआई और आईवीएफ दोनों ही फर्टिलाइजेशन के लिये प्रयुक्त होने वाली तकनीक हैं। दोनों का उद्देश्य एक है कि कैसे अंडे को शुक्राणु द्वारा निषेचित कराया जाये। वास्तव में आईसीएसआई, आईवीएफ की ही तकनीक है। दोनों में मूल अंतर यह है कि आईवीएफ में, पेट्री डिश में, महिला के अंडे के साथ, पुरुष के स्वस्थ और सक्रिय कई शुक्राणुओं को रखकर प्राकृतिक प्रजनन के लिये छोड़ दिया जाता है जबकि आईसीएसआई में केवल एक पुरुष के स्वस्थ और सक्रिय को चुनकर सीधे महिला के अंडे में इंजेक्ट कर दिया जाता है।
आईसीएसआई की सलाह क्यों दी जाती है? – Why is ICSI Advised?
डॉक्टर, निम्नलिखित स्थितियों में आईसीएसआई की सलाह देते हैं –
1. जिन पुरुषों को शुक्राणु संबंधी समस्याएं हैं जैसे शुक्राणुओं की संख्या में कमी, गुणवत्ता में कमी, गति में कमी या निल शुक्राणु का मामला।
2. पहले, आईवीएफ उपचार का सफल ना होना।
3. एंटीस्पर्म एंटीबॉडीज के मामले में।
4. पुरुष नसबंदी, जो शुक्राणु को छोड़ने में रुकावट बनती है।
5. दंपति को शुक्राणु दाता का विकल्प स्वीकार ना होना।
आईसीएसआई के फायदे – Benefits of ICSI
1. पुरुषों में शुक्राणु की गति या संख्या में कमी होने के बावजूद, आईसीएसआई के माध्यम से महिला के गर्भवती होने में मदद मिलती है।
2. नि:संतान दम्पती को संतान सुख का अवसर मिलता है।
3. नसबंदी हुए पुरुष की संतान होने की इच्छा पूरी हो जाती है।
4. आईवीएफ की असफलता के बाद आईसीएसआई के जरिये एक और अवसर मिलता है संतान प्राप्ति का।
5. संतान प्राप्ति के बाद, परिवार में और समाज में दम्पती का मान, सम्मान बढ़ जाता है। ताने मिलने बंद हो जाते हैं।
भारत में आईसीएसआई उपचार की लागत – ICSI Treatment Cost in India
भारत में आईसीएसआई की लागत निर्भर करती है शहर और अस्पताल पर। सब जगह यह अलग-अलग हो सकती है। वैसे अनुमानतः उपचार के एक चक्र की लागत 2 से 2.5 लाख रुपये के बीच हो सकती है।
आईसीएसआई की प्रक्रिया – ICSI Procedure
दोस्तो, आईसीएसआई की सिलसिलेवार प्रक्रिया निम्न प्रकार है –
1. आईसीएसआई की प्रक्रिया के लिये मूल तत्व महिला के अंडे और पुरुष के स्वस्थ शुक्राणु की आवश्यकता होती है। सामान्यतः मासिक चक्र में, ओवरी (ovary) में केवल एक अंडे का निर्माण होता है। आईसीएसआई प्रक्रिया के लिये डॉक्टर, अंडाशय को उत्तेजित करने के लिए महिला को उच्च खुराक हार्मोन इंजेक्शन देते हैं, ओव्यूलेशन दवाएं दी जाती हैं, ताकि ज्यादा अंडों का निर्माण हो सके।
2. डॉक्टर हार्मोन परीक्षण और अल्ट्रासाउंड के जरिये अंडों को निकालने का सही समय निश्चित करते हैं। सही समय पर एक सुई की मदद से अंडों को निकाल लेते हैं। तकनीशियन इन अंडों को अधिक परिपक्व (Mature) होने तक सेते (incubate) हैं।
3. पुरुष के शुक्राणु प्राप्त करने के लिये, सामान्य स्खलन ( normal ejaculation) द्वारा वीर्य लिया जाता है। पुरुष नसबंदी (vasectomy) के मामले में माइक्रोसर्जिकल नसबंदी रिवर्स (reverse microsurgical sterilization) सहारा लेना होता है। इस प्रक्रिया के दौरान पुरुष को बेहोश करके, सुई का उपयोग करके, वृषण (testis) से सीधे शुक्राणु निकालते हैं।
4. फिर, वीर्य को 196 डिग्री लिक्विड नाइट्रोजन में फ्रीज़ किया जाता है। ऐसा इसलिए करना पड़ता है क्योंकि जिन पुरुषों में शुक्राणु की संख्या अधिक कमी होती है, तो उनसे वीर्य दुबारा लेने में परेशानियों का सामना ना करना पड़ें।
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5. वीर्य को आगे जांच के लिए भेज दिया जाता है। जांच की प्रक्रिया में वीर्य को मशीन द्वारा अच्छी तरह से धोया जाता है। फिर स्वस्थ और सक्रिय तथा असक्रिय (बेकार) शुक्राणुओं को अलग-अलग कर दिया जाता है।
6. इसके बाद फिर सक्रिय शुक्राणुओं में से केवल एक सबसे अच्छे शुक्राणु को चुना जाता है ताकि आगे की प्रक्रिया शुरू की जा सके।
7. पेट्री डिश में महिला के बाहर निकाले हुए अंडे में बहुत महीन सुई वाले इंजेक्शन के जरिये चुने हुए शुक्राणु को इंजेक्ट कर दिया जाता है।
8. इसके बाद अंडे को निगरानी में रखा जाता है और भ्रूण के तैयार होने का इंतजार किया जाता है। इसमें तीन दिन का समय लग जाता है।
9. भ्रूण के तैयार होने पर इसे महिला के गर्भाशय के भीतर कैथिटर (Catheter) की सहायता से रख दिया जाता है। आईसीएसआई – आई वी एफ (ICSI-IVF) की पूरी प्रक्रिया को संपन्न होने में 2.5 से 3 सप्ताह लग जाते हैं।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको आईसीएसआई के बारे में विस्तार से जानकारी दी। आईसीएसआई क्या है?, पुरुष बांझपन क्या होता है, पुरुष बांझपन के कारण, आईसीएसआई और आईवीएफ में अंतर, आईसीएसआई की सलाह क्यों दी जाती है, आईसीएसआई के फायदे और भारत में आईसीएसआई उपचार की लागत, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से आईसीएसआई की प्रक्रिया के बारे में भी विस्तार से बताया। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
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