Advertisements

मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के उपाय – How to Increase Metabolism in Hindi

मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के उपाय

दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर।दोस्तो, हमारे शरीर को ऊर्जा की जरूरत होती है और ये ऊर्जा भोजन से मिलती है। हम जो भोजन करते हैं उससे कार्बोहाइड्रेट्स, वसा और प्रोटीन मिलता है जो शरीर के लिये जरूरी है। इनका अपना अलग-अलग महत्व है।शरीर को अपना दैनिक कार्य करने के लिये सीमित मात्रा में ऊर्जा की जरूरत पड़ती है। शरीर में एक विशेष रसायनिक प्रक्रिया भोजन को पचाकर ऊर्जा में बदलने का कार्य करती है।इसकी कार्य प्रणाली की गति में भोजन ही बाधा बन जाता है अर्थात् जब हम जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं तो शरीर की ऊर्जा पूरी होने के बाद, यह भोजन वसा के रूप में जमा होने लगता है। जिससे मोटापा बढ़ता है, और इस मोटापे के कारण यह रसायनिक प्रक्रिया कमजोर पड़ जाती है। भोजन को ऊर्जा में बदलने की इस रसायनिक प्रक्रिया को चयापचय या मेटाबॉलिज़्म (Metabolism) कहा जाता है। इसको कैसे बढ़ाया जाये। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के उपाय”। देसी हैल्थ क्लब इस लेख के माध्यम से आज आपको मेटाबॉलिज़्म के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि इसे बढ़ाने के क्या उपाय हैं।तो, सबसे पहले जानते हैं कि मेटाबॉलिज़्म क्या होता है।

Advertisements
मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के उपाय
Advertisements

मेटाबॉलिज्म क्या होता है? – What is Metabolism?

मेटाबॉलिज़्म का सामान्यतः अर्थ यह समझा जाता है कि शरीर में हो रही वह रासायनिक प्रतिक्रिया जो भोजन को ऊर्जा में बदलती है वह मेटाबॉलिज़्म कहलाती है। परन्तु इतना ही काफी नहीं है। इन रासायनिक प्रतिक्रियाओं का प्रभाव क्या होता है, यह भी मेटाबॉलिज़्म कहलाता है। अर्थात् इन रसायनिक प्रतिक्रियाओं के प्रभाव से ही शरीर जीवित और सक्रिय रहता है। दूसरे और सरल शब्दों में समझा जाये तो  रासायनिक प्रतिक्रियाएं यानी मेटाबॉलिज़्म शरीर की हर गतिविधि के लिये जिम्मेदार हैं जैसे कि –

(i) सांस का आना जाना

Advertisements

(ii) रक्त संचार

(iii) भोजन और पोषक तत्वों को पचा कर ऊर्जा पैदा करना.

(iv) मस्तिष्क और तंत्रिकाओं का सही प्रकार से काम करना.

Advertisements

ये भी पढ़े- माइग्रेन का घरेलू इलाज

(v) मल-मूत्र के माध्यम से शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना.

(vi) शरीर के तापमान को नियंत्रित करना आदि।

मेटाबॉलिज़्म जितना तेज होगा अर्थात् उसके काम करने की दर ज्यादा होगी, आप उतना ही ऊर्जावान, सक्रिय और स्वस्थ रहेंगे और जितना मेटाबॉलिज़्म धीमा होगा उतना ही आप अस्वस्थ महसूस करेंगे।

मेटाबॉलिक दर क्या होती है – What is Metabolic Rate

शरीर को प्रतिदिन के काम करने के लिये, जैसे भोजन पचाने, रक्त परिसंचरण, श्वास और हार्मोनल संतुलन आदि, सीमित मात्रा में ऊर्जा की जरूरत होती है जो भोजन से मिलती है परन्तु जब सीमित मात्रा में ऊर्जा के लिये असीमित मात्रा में भोजन कर लेते हैं तो वह वसा के रूप में शरीर में जमा होने लगता है। इस जमा हुई वसा के कारण मोटापा बढ़ने लगता है। जब मोटापा बढ़ता जाता है तो मेटाबॉलिज़्म धीमा पड़ने लगता है और कैलोरी आसानी से बर्न नहीं हो पाती। शरीर को दैनिक कार्य करने के लिये  कितनी ऊर्जा की जरूरत होती है इसे बताने वाली दर को मेटाबॉलिक दर कहा जाता है।यह शरीर में चयापचय क्रिया (Metabolic activity) को निर्धारित करती है।

मेटाबॉलिक दर के तीन भाग – Three Parts of Metabolic Rate

दोस्तो, मेटाबॉलिक दर को निम्नलिखित तीन भागों में बांटा जा सकता है –

1. बेसल मेटाबॉलिक रेट (Basal Metabolic Rate – BMR) – यह वह ऊर्जा है शरीर जिसका उपयोग तब करता है जब व्यक्ति आराम करता है। उस समय यह ऊर्जा सभी तंत्र-प्रणाली को ठीक से काम करने में मदद करती है। यह कुल ऊर्जा का लगभग 50 से 80 प्रतिशत होता है।

2. शारीरिक गतिविधि (Physical Activity)-  कोई व्यक्ति एक बार में कितनी शारीरिक गतिविधियां करता है और उसमें कितनी ऊर्जा खर्च हो रही है। उदहारण के लिये यदि कोई औसतन एक बार में 30 से 45 मिनट शारीरिक गतिविधि करता है, तो कुल ऊर्जा का लगभग 20 प्रतिशत उपयोग होगा.

3. भोजन का प्रभाव (Effect of Food)- भोजन करने से लेकर पचाने तक की प्रक्रिया में कुल ऊर्जा का लगभग 5 से 10 प्रतिशत उपयोग होगा।

मेटाबॉलिज्म कम होने के कारण – Cause of low metabolism

दोस्तो, लोगों ने अपनी जीवनशैली में कुछ ऐसे बदलाव किये हैं जो सीधे तौर पर उनके स्वास्थ को प्रभावित करते हैं और परिणाम स्वरूप उनके मेटाबॉलिज़्म का काम करने की गति धीमी पड़ जाती है। जानते हैं कुछ ऐसे निम्नलिखित कारणों को जो मेटाबॉलिज़्म को कम करते हैं – 

1. शारीरिक गतिविधियों में कमी (Decreased Physical Activity)- कई-कई घंटे  शारीरिक गतिविधियों का ना होना मेटाबॉलिज़्म को तो धीमा करता ही है साथ ही पूरे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।शारीरिक गतिविधियों में कमी आने का कारण कोरोना से उत्पन्न वे परिस्थितियां हैं जिनके कारण बहुत लोग अपने घरों में कैद होकर रह गये, कामकाजी महिलाओं को भी घर रहकर ही ऑनलाइन काम करना पड़ रहा है, बच्चों के स्कूल कॉलेज बंद हो गये।उनकी पढ़ाई ऑनलाइन चल रही हे। उनका बाहर जाना, खेलना कूदना सब बंद हो गया।कुल मिलाकर सामान्य परिस्थितियों में जो सब की शारीरिक गतिविधियां हुआ करती थीं वह बंद हो गयीं।इन सब का असर मेटाबॉलिज़्म के काम करने की दर पर पड़ना स्वाभाविक है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि शारीरिक व्यायाम किया जाये।कम से कम सुबह और शाम की सैर ही कर लेनी चाहिये।

2. नींद की कमी (Lack of Sleep)-  7-8 घंटे की भरपूर नींद लेना स्वास्थ के लिये बहुत जरूरी है।यह वह समय होता है जब चयापचय क्रिया (Metabolic activity) अपना काम सुचारु रूप से करती है। नींद में बाधा आने पर चयापचय क्रिया खंडित होती है।मेटाबॉलिज़्म की दर पर बुरा प्रभाव पड़ता है परिणाम स्वरूप मोटापा बढ़ने लगता है।

ये भी पढ़े- आँखों की रोशनी बढ़ने के उपाय

3. पर्याप्त पानी ना पीना (Not Drinking Enough Water)- वैसे तो प्रतिदिन औसतन दो लीटर पानी पीने को कहा जाता है, पर चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार स्वस्थ व्यक्ति को, यदि दोनों किडनी ठीक से काम कर रही हैं तो, प्रतिदिन अपने वज़न के अनुपात में प्रति एक किलोग्राम पर, 30 मिली लीटर पानी पीना चाहिये क्योंकि पानी शरीर के लिये बेहद जरूरी है। पर्याप्त मात्रा में पानी ना पीने से मेटाबॉलिज़्म का कम होना निश्चित रूप से तय है।पानी की कमी पूरी करने लिये ऐसे फलों का सेवन करना चाहिये जो प्राकृतिक रूप से पानी से भरपूर हों जैसे तरबूज, खरबूज, खीरा, स्ट्रॉबेरी, सेब, आड़ू, संतरा, अनानास आदि।

4. मीठे पेय पदार्थ का अधिक सेवन करना (Drinking Sweetened Beverages)- मीठे पेय पदार्थ में तो बहुत अच्छे लगते हैं, बहुत स्वादिष्ट होते हैं परन्तु ये मेटाबॉलिज़्म को कम कर देते हैं।  शुगर वाले पेय पदार्थों में फ्रुक्टोज होता है जो मेटाबॉलिज्म की दर को कम करने का काम करता है और वजन भी बढ़ाता है। दोस्तो, आपकी जानकारी के लिये बता दें कि मिठास तीन प्रकार की होती है – सुक्रोज, ग्लूकोज और फ्रुक्टोज।

(i)  सुक्रोज (Sucrose) – सुक्रोज गन्ने से बनी हुई चीनी है जिसका उपयोग घरों में किया जाता है।अधिकतर सभी खाद्य/पेय पदार्थों में इसका उपयोग किया जाता है जैसे कैंडी, आइसक्रीम, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, सोडा व दूसरे ड्रिंक्स आदि। इसकी मिठास फ्रुक्टोज से कम मीठी होती है।

(ii) ग्लूकोज़(Glucose)- ग्लूकोज़ एक साधारण चीनी या मोनोसैकराइड है, इनमें पोलीहाइड्रोक्सी एल्डिहाइड या कीटोन इकाई होती है। प्रकृति में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला मोनोसैकेराइड 6 कार्बन युक्त शुगर है। ग्लूकोज़ शरीर का सबसे अहम कार्ब आधारित ऊर्जा स्रोत है।ग्लूकोज़ रक्त प्रवाह में अवशोषित होकर  कोशिकाओं तक पहुंचता है। ग्लूकोज़ का उपयोग शरीर में तुरंत ऊर्जा बनाने के लिये होता है।ग्लूकोज़, फ्रुक्टोज और सुक्रोज की तुलना में कम मीठा होता है।

(iii) फ्रुक्टोज (Fructose)- फ्रुक्टोज वह मिठास है जो प्राकृतिक रूप से फल, शहद और गन्ने में होती है।इसे फ्रूट शुगर भी कहा जाता है।इसे आमतौर पर उच्च फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप के रूप में प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में मिलाया जाता है। इसकी मिठास सुक्रोज की तुलना में लगभग डेढ़ गुना ज्यादा होती है।यह शरीर में आसानी से घुल जाता है। अन्य शुगर की तुलना में इससे ब्लड शुगर का स्तर एकदम तेजी से नहीं बढ़ता लेकिन इसका बहुत अधिक सेवन करने से लिवर इसे तेजी से संसाधित (Processed) नहीं कर पाता। फिर वसा (Fat) बनने लगती है और ट्राइग्लिसराइड्स के रूप में शरीर में इकट्ठा हो जाती है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी के अनुसार फ्रुक्टोज स्वास्थ्य के लिए सबसे ज्यादा हानिकारक है।इसके कारण मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज, इंसुलिन प्रतिरोध और फैटी लिवर जैसी समस्याएं हो सकती हैं। एक शोध से यह भी पता चला है कि फ्रुक्टोज युक्त पेय पदार्थों का ज्यादा सेवन मेटाबॉलिज्म की दर को कम तो करता ही है, पेट और लिवर में वसा के जमाव को भी बढ़ावा देता है.

5. कैलोरी कम करना (Cut Calories)- अक्सर देखा गया है कि लोग वजन कम करने के लिये खाना कम कर देते हैं ताकि  कैलोरी में कमी की जाये।कैलोरी में कमी के चक्कर में वे पौष्टिक आहार नहीं ले पाते।परिणाम स्वरूप मेटाबॉलिज़्म की दर कम हो जाती है जिससे अनेक समस्याऐं पैदा हो सकती हैं। 

6. कम प्रोटीन वाला भोजन करना (Low Protein Diet)- मेटाबॉलिज़्म को बढ़ाने के लिये प्रोटीन युक्त भोजन बेहद जरूरी है। प्रोटीन मांसपेशियों, त्वचा, एंजाइम और हार्मोन्स् और शरीर के ऊतकों के लिये अति आवश्यक होते हैं। प्रोटीन युक्त भोजन से पेट भरा हुआ रहता है।इससे पाचन क्रिया  स्वस्थ रहती है और वजन भी नियंत्रण में रहता है।कार्बोहाइड्रेट्स और वसा की अपेक्षा भोजन में प्रोटीन को शामिल कीजिये। इसकी कमी से मेटाबॉलिज़्म दर में गिरावट आती है।

मेटाबॉलिज्म कम हो जाने से शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव – Effects on the Body Cause to Reduced Metabolism

1. कैलोरी बर्न ना होने पर फैट बढ़ता चला जाता है, नतीजा मोटापा.

2. कमजोरी और थकान महसूस करना।

4. कोलेस्ट्रॉल में बढ़ोत्तरी।

5. रक्तचाप का बढ़ना।

6. डायबिटीज की समस्या भी हो सकती है।

7. जोड़ों में दर्द, सूजन।

8. मांसपेशियों में कमजोरी।

9. त्वचा का शुष्क (Dry) हो जाना।

10. मासिक धर्म से जुड़ी समस्याऐं।

11.अवसाद (Depression)।

ये भी पढ़े- तनाव से छुटकारा पाने के उपाय

12. हृदय गति की दर धीमी हो जाना।

13. पेट से जुड़ी समस्याऐं।

14. मस्तिष्क संबंधी समस्याऐं।

मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के उपाय – How to Increase Metabolism

1. भरपूर नींद (Plenty of Sleep)- नींद पूरी ना होने कारण मेटाबॉलिज़्म पर बहुत बुरा असर पड़ता है।नींद पूरी ना होने से घ्रेलिन नामक हार्मोन्स बढ़ता है, जिससे भूख ज्यादा लगती है और लेपटिन हार्मोंस कम होता है, जिसके पेट भरा हुआ महसूस होता है।नींद की कमी से शुगर लैवल भी बढ़ता है और इंसुलिन का स्तर कम होता है जिससे ये दोनों कारण टाइप 2 मधुमेह को बढ़ावा सकते हैं।नींद का समय चयापचय यानी मेटाबॉलिज़्म को काम करने का सबसे अच्छा समय होता है.यह अपनी पूरी गति से काम करता है।इसलिये कम से कम आठ घंटे की भरपूर नींद लेना बहुत जरूरी है और इसके लिये जरूरी है आप रात को जल्दी सोयें।जो लोग कम सोते हैं उन्हें भूख भी ज्यादा लगती है और उनका वजन भी बढ़ता है जिसे कम करने में उनको दिक्कत आती है।

2. व्यायाम (Exercise)- व्यायाम बहुत अच्छा तरीका है मेटाबॉलिज़्म को बढ़ाने का।ज्यादा तेज और मेहनत वाले व्यायाम करने से शरीर का फैट कम होगा और मेटाबॉलिज़्म बढ़ेगा।सुबह और शाम की सैर (सामान्य चाल से थोड़ा तेज चाल) से भी मेटाबॉलिज़्म के बढ़ने में मदद मिलेगी।कुछ अध्ययन बताते हैं कि वर्कआउट करने से मेटाबॉलिज़्म के स्तर बढ़ाने में फायदा होता है.

3. प्रोटीन युक्त आहार (Protein Rich Diet)- आपके आहार में कार्बोहाइड्रेट्स और वसा (Fat) की मात्रा कम और प्रोटीन की मात्रा अधिक होनी चाहिये। प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने से वजन नहीं बढ़ेगा और मेटाबॉलिज़्म के स्तर में भी सुधार होगा। प्रोटीन ऊर्जा का अच्छा श्रोत माना जाता है।इसमें आप अंडे, मछली, सोया, मशरूम, टोफू, फलियां, बीन्स, दूध, दही, पनीर आदि ले सकते हैं। एक वैज्ञानिक शोध भी यही बताती है कि आहार में फैट की मात्रा कम करके और प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने से वजन नियंत्रित करने में मिल सकती है।

ये भी पढ़े- प्रोटीन के फायदे

4. सब्जियां (Vegetables)- फलों के ही समान सब्जियों में फैट और कैलोरी की मात्रा कम होती है और पेट भी आराम से भर जाता है, ये वजन को नियंत्रित करती हैं। वजन ठीक रहने से मेटाबॉलिज़्म बढ़ता है।सब्जियों में पाये जाने वाले फाइटोकेमिकल्स और एंटी-ओबेसिटी मोटापा बढ़ाने वाले एडिपोस टिश्यू (Adipose tissue) को बढ़ने से रोकते हैं और मेटाबॉलिज्म बढ़ाने में मदद करते हैं। एडिपोस टिश्यू की वजह से होने वाले ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस और इंफ्लेमेशन से भी सब्जियां बचाती हैं।सब्जियों में ब्रोकली, गोभी, शकरकंद, शिमला मिर्च, प्याज, पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, सरसों, मेथी, आदि को अपने भोजन में शामिल करें।

5. ताजे फल (Fresh Fruit)- फलों में फाइबर और पानी की प्रचुर मात्रा होती है जिससे ये आसानी से पच जाते हैं। ज्यादातर फलों में फैट और कैलोरी की मात्रा कम होती है पर इनसे पेट आराम से भर जाता है।ताजा फलों के सेवन से मेटाबॉलिज़्म बढ़ता है। आप फलों का जूस भी पी सकते हैं।कुछ फलों में एंटी-ओबेसिटी गुण होते हैं जो मोटापा कम करके मेटाबॉलिज़्म को बढ़ाने में मदद करते हैं। लेकिन कुछ फलों में शुगर की मात्रा अधिक होती है जो डायबिटीज के मरीजों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, वे डॉक्टर की सलाह पर फल ले सकते हैं।मेटाबॉलिज़्म बढ़ाने के लिये सेब, अंगूर, ब्लूबेरी, केला आदि ले सकते हैं।

6. ब्रोकली (Broccoli)- हमने ऊपर सब्जियों का जिक्र किया है कि सब्जियां मेटाबॉलिज़्म को बढ़ाने में मदद करती हैं।इन्हीं सब्जियों में एक ब्रोकली भी है जिसे चमत्कारी सब्जी माना जाता है। यह मेटाबॉलिज़्म गतिविधि में सुधार कर इसे बढ़ाने में मदद करती है। ब्रोकोली, फोलेट, फाइबर, कैल्शियम, ओमेगा -3 फैटी एसिड, मैग्नीशियम और विटामिन-सी, के, बी-6 और बी-12 से समृद्ध होती है। कैल्शियम मेटाबॉलिज़्म बढ़ाने हेतू एक प्रतिक्रिया के रूप में करता है जबकि विटामिन-सी कैल्शियम के अवशोषण में मददगार होता है। ब्रोकोली के फाइटोकेमिकल्स कोशिकाओं में फैट को तेजी से कम कर शरीर को अतिरिक्त फैट से मुक्त करते हैं।अपने भोजन में कच्ची या पकी हुई ब्रोकली को शामिल करें।

7. सेब (Apple)- मेटाबॉलिज़्म बढ़ाने के लिये सेब का विशेष महत्व है।सेब में विटामिन-के, पोटेशियम, मैग्नीशियम और मैंगनीज एक साथ होते हैं। इनके कारण फैट और कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन में बदल जाते हैं, जो आपको सारे दिन ऊर्जा से परिपूर्ण रखने के लिए आवश्यक होते हैं।सेब में कैलोरी कम होती है और घुलनशील फाइबर ज्यादा होता है जो वजन कम कर मेटाबॉलिज़्म की क्रिया को बढ़ाते हैं।इसे रोजाना खाना चाहिये। हरा सेब मेटाबॉलिज़्म के लिये विशेष तौर पर लाभदायक होता है।

8. सेब का सिरका (Apple Vinegar)- सेब का सिरका मेटाबॉलिज़्म की गति को बढ़ाने में मदद करता है।इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस से राहत दिलाते हैं और वजन कम कर मोटापे की वजह से होने वाले हृदय रोग से बचाने में मदद करते हैं।सेब का सिरका ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में भी मदद करता है।प्रतिदिन खाना खाने से पहले एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका मिलाकर पीयें। यदि गैस की समस्या है तो सेब का सिरका पीने के बारे में डॉक्टर से सलाह ले लें।

9. नीम का जूस (Neem Juice)- नीम आयुर्वेदिक गुणों का खजाना है, इसे स्वास्थ और सुन्दरता के लिये जाना जाता है।इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, फॉस्फोरस और विटामिन-सी मौजूद होते हैं। नीम के एंटीऑक्सीडेंट कैलोरी बर्न करने में मदद करते हैं जिससे वजन कम होने में मदद मिलती है। रोजाना सुबह खाली पेट नीम का जूस पीयें इससे मेटाबॉलिज़्म तो बढ़ेगा ही, वजन भी कम होगा और रक्त भी साफ़ होगा। शरीर के सारे विषैले पदार्थ बाहर निकल जायेंगे। त्वचा रोग भी नहीं होंगे।नीम के जूस में नींबू का रस और आधा चम्मच शहद मिला सकते हैं।

10. ग्रीन टी(Green Tea)- ग्रीन टी, एंटीऑक्सीडेंट और पॉलीफिनोल (Polyphenols) फाइटोकेमिकल से समृद्ध होती है जो शरीर की मेटाबॉलिज़्म क्रिया में सुधार करते हैं।इसमें मौजूद एपिगैलोकैटेचिन-3-गैलेट (Epigallocatechin-3-gallate) नामक तत्व मेटाबॉलिज़्म को बढ़ाने का काम करता है। ग्रीन टी के एंटीओबेसिटी गुण मौजूद मोटापे को कम करने में मदद करते हैं।ग्रीन टी के सेवन पीने से 4 से 5 प्रतिशत तक मेटाबॉलिज़्म की गति बढ़ाई जा सकती है। ग्रीन टी शरीर में जमा फैट को फैटी एसिड में बदल देता है, जिससे फैट तेजी से बर्न होता है।प्रतिदिन दो या तीन कप ग्रीन टी पी सकते हैं।

ये भी पढ़े- ग्रीन टी के फायदे

11. नींबू (Lemon)- नींबू में पाये जाने वाले एंजाइम और विटामिन-सी शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालते हैं। ये लिवर से विषैले पदार्थों को बाहर निकाल कर पाचन-तंत्र की सफाई करते हैं और मेटाबॉलिज़्म की कार्य प्रणाली में सुधार कर बढ़ाने में मदद करते हैं।प्रतिदिन सुबह खाली पेट एक गिलास गर्म पानी में एक नींबू निचोड़कर पीयें।भोजन करते समय भी नींबू का सेवन कर सकते हैं।नींबू मेटाबॉलिज़्म की गति तेज कर इसे बढ़ाने का काम करेगा।  

12. मसूर की दाल (Masur lentils)- मसूर की दाल को प्रोटीन का अच्छा श्रोत माना जाता है।इसमें फाइबर, खनिज और विटामिन प्रचुर मात्रा में होते हैं। मसूर की दाल के एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीडायबिटीक, एंटीकैंसर, एंटी-ओबेसिटी गुण मेटाबॉलिज़्म को बढ़ाने के उपाय के रूप में काम करते हैं। यह अपने बायोएक्टिव कंपाउंड्स के कारण मोटापा, डायबिटीज, हृदय रोग और कैंसर जैसे अनेक रोगों से बचाव करती है। मसूर की दाल में मौजूद पॉलीफिनोल (Polyphenols) फाइटोकेमिकल  शरीर की मेटाबॉलिज़्म क्रिया में सुधार करते हैं।मेटाबॉलिज़्म बढ़ाने के मसूर की दाल को भोजन में सम्मलित करें।

13. डार्क चॉकलेट (Dark Chocolate)- डार्क चॉकलेट को मेटाबॉलिज़्म के लिये एक उत्तम विकल्प माना जाता है। डार्क चॉकलेट में कोको होता है जिसमें एंटी-ओबेसिटी और एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं। इस गुणों के कारण डार्क चॉकलेट मोटापे को कम करने में मदद करती है। यह स्ट्रेस हार्मोन को कंट्रोल कर तनाव से राहत दिलाती है।यह तनाव से छुटकारा पाने का बेहतर विकल्प है। एक शोध के अनुसार 14 दिन तक रोजाना 40 ग्राम डार्क चॉकलेट खाने से मेटाबॉलिज़्म की दर बेहतर हो सकती है। निष्कर्षतः मोटापा कम करने और मेटाबॉलिज़्म बढ़ाने के लिये डार्क चॉकलेट का सेवन किया जा सकता है।

ये भी पढ़े- डार्क चॉकलेट के फायदे

14. ब्लैक कॉफी  (Black Coffee)- कॉफी, मेटाबॉलिज़्म और फैट बर्न करने के लिये अपना प्रभाव छोड़ती है और वजन कम करने में मदद करती है।कॉफी मेटाबॉलिज़्म दर को बढ़ाकर फैट ऑक्सीकरण को बढ़ाती है अर्थात् यह ऑक्सीजन के साथ मिलकर भोजन को ऊर्जा में रूप बदलती है और उसे फैट के रूप में जमा नहीं होने देती।ब्लैक कॉफी में कैफीन की मात्रा अधिक होती, इसलिये यह कैफीन शरीर की चयापचय गतिविधि (Metabolic activity) को 50 प्रतिशत तक बढ़ा देता है जिससे फैट कम होने में भी मदद मिलती है। इसमें मौजूद कैफीन का सीमित मात्रा में सेवन से मोटापा कम होने की संभावना रहती है। कॉफी के बारे में कुछ अध्ययनों का विवरण निम्न प्रकार है –

(i) एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार कैफीन ऊर्जा को संतुलित कर और गर्म प्रभाव (Thermogenesis Effect) उत्पन्न कर मोटापे को नियंत्रित करने में सहायक होती है।

(ii)  क्लीनिकल न्यूट्रीशन के अमेरिकन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार भोजन के बाद कॉफी पीने से आपके मेटाबॉलिज़्म पर तुरंत प्रभाव पड़ता है, विशेष रूप से फैट ऑक्सीडेशन पर।

(iii)  सन् 2004 में इसी पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार कैफीन की 4.5 मि.ग्रा।मात्रा लेने के बाद मेटाबॉलिज़्म दर 13 प्रतिशत से ऊपर चली जाती है।

(iv) खाद्य विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी (Food Science and Biotechnology) द्वारा सन् 2010 में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार कैफीन नर्वस सिस्टम को स्टिमुलेट (Stimulate) करके फैट को कम करने का काम करती है।

(v)  सन् 2011 में प्रकाशित एक समीक्षा (Review) में शोधकर्ताओं ने छह अध्ययनों की जांच की और पाया कि कैफीन पूरकता (Caffeine Supplementation) से 24 घंटे के अंदर शरीर की ऊर्जा का खर्च बढ़ जाता है।

(vi) बहुत अधिक मात्रा में कैफीन लेना जानलेवा हो सकता है।एक दिन में केवल दो या तीन कॉफी पीना उचित है और यही सलाह डॉक्टर भी देते हैं।

15. बादाम/नट्स (Almonds/Nuts) – मेटाबोलिक सिंड्रोम के कारण हृदय रोग और टाइप 2 डायबिटीज की संभावना बढ़ जाती है, जिससे मेटाबॉलिज़्म दर कम हो सकती है।बादाम और और अन्य नट्स मेटाबॉलिज़्म को प्रभावित करने वाले कारणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। सुबह नाश्ते में रात के भीगे हुऐ चार-छह बादाम, बिना नमक वाले पिस्ता या अखरोट दही के साथ मिलाकर खायें। यद्यपि बादाम एक अपूर्ण प्रोटीन है लेकिन जब यह दही के साथ मिलता है तो शरीर के लिये जरूरी सभी नौ अमीनो एसिड मिल जाते हैं, क्योंकि बादाम में आवश्यक फैटी एसिड होते हैं, यह मेटाबॉलिज़्म को बढ़ाता है। बादाम प्रोटीन के रूप में अपनी खपत के बाद अधिक कैलोरी बर्न करने में मदद करते हैं।लेकिन रोजाना इनको अधिक मात्रा में नहीं खाना चाहिये।

Conclusion – 

दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के उपाय के बारे में विस्तार से जानकारी दी।देसी हैल्थ क्लब ने इस लेख के माध्यम से आपको यह भी विस्तारपूर्वक बताया कि मेटाबॉलिज़्म क्या होता है, मेटाबॉलिक दर क्या होती है, मेटाबॉलिक दर के कितने भाग होते हैं, मेटाबॉलिज़्म कम होने के कारण क्या होते हैं और मेटाबॉलिज़्म कम हो जाने से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ते हैं।इसके बाद देसी हैल्थ क्लब ने आपको मेटाबॉलिज़्म बढ़ाने के बहुत सारे देसी उपाय भी बताये।आशा है आपको ये लेख अवश्य पसन्द आयेगा।

दोस्तो, इस लेख से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो लेख के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें।और यह भी बताइये कि यह लेख आपको कैसा लगा।आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और  सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें।दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके।और हम आपके लिए ऐसे ही Health- Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह लेख केवल जानकारी मात्र है।किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

Summary
मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के उपाय - How to Increase Metabolism in Hindi
Article Name
मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के उपाय - How to Increase Metabolism in Hindi
Description
दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के उपाय के बारे में विस्तार से जानकारी दी।देसी हैल्थ क्लब ने इस लेख के माध्यम से आपको यह भी विस्तारपूर्वक बताया कि मेटाबॉलिज़्म क्या होता है।
Author
Publisher Name
Desi Health Club
Publisher Logo

One thought on “मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के उपाय – How to Increase Metabolism in Hindi

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *