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TLC और DLC क्या होता है?- What is TLC and DLC?

TLC और DLC क्या होता है?

दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर।आपने नोटिस किया होगा कि कोई व्यक्ति बीमार पड़ता है, उसे बुखार आ रहा है, बदन में भी दर्द है और रेगुलर डॉक्टर से दवाई भी ले रहा है लेकिन वह ठीक नहीं हो रहा।उसकी हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है।डॉक्टर ने उसके कुछ बल्ड टेस्ट भी करवाये हैं जैसे, डेंगू, मलेरिया, प्लेट्लेट्स, आरबीसी, हिमोग्लोबिन, लिवर फंक्शन टेस्ट आदि परन्तु कोई नतीजा नहीं।फिर वह अस्पताल जाता है और डॉक्टर उसके लक्षणों को समझ कर दो टेस्ट कराने को कहते हैं। इन दो टेस्ट के द्वारा उसकी बीमारी पकड़ में आती है और फिर उसका सही उपचार होता है।दोस्तो, ये दो टेस्ट श्वेत रक्त कोशिकाओं से संबंधित होते हैं, जिनको TLC  और DLC कहा जाता है।आखिर ये TLC  और DLC क्या है? दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “TLC और DLC क्या होता है?”। देसी हैल्थ क्लब इस लेख के माध्यम से आज आपको TLC  और DLC के बारे में अलग-अलग विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि ये क्या होते हैं, क्यों कराये जाते हैं और इनकी सामान्य वैल्यू कितनी होती है।तो, सबसे पहले जानते हैं कि TLC  क्या है और TLC  के और कितने नाम होते हैं।इसके बाद फिर अन्य बिन्दुओं (Points) की जानकारी देंगे।

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TLC और DLC क्या होता है?
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TLC  क्या है? – What is TLC?

सबसे पहले तो आपको यह बता दें कि मेडिकल भाषा में टोटल ल्यूकोसाइट काउंट (Total Leucocytes Count) कहा जाता है। यह रक्त परीक्षण है जिसे TLC  या डब्ल्यूबीसी टैली कहा जाता है। जिसमें श्वेत रक्त कोशिकाओं (White Blood Cells) की मात्रा का आकलन किया जाता है अर्थात् प्रति एक सौ मिलीलीटर रक्त में श्वेत रक्त कोशिकाएं कितनी मात्रा में उपलब्ध हैं।इसे ल्यूकोसाइट्स कहते हैं। ल्यूकोसाइट्स हमारे शरीर की रक्षा प्रणाली के मूलभूत हिस्सा होते हैं। ये ल्यूकोसाइट्स संदूषण (contamination) के विरुद्ध लड़ते हैं। श्वेत रक्त कोशिकाएं क्या होती हैं, इसका जिक्र हम बाद में करेंगे।पहले ये जान लेते हैं कि TLC  टेस्ट को और कितने नामों से जाना जाता है.

TLC  के और कितने नाम? – How many more names of TLC?

टोटल ल्यूकोसाइट काउंट को निम्नलिखित नामों से भी जाना जाता है –

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(i)   टोटल डब्लूबीसी काउंट ऑटोमेटेड ब्लड.

(ii)  TLC  ऑटोमेटेड ब्लड.

(iii) टीसी ऑटोमेटेड ब्लड.

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(iv) टोटल व्हाइट ब्लड सेल काउंट ऑटोमेटेड ब्लड.

(v)  टीसी.

(vi) टोटल डब्लूबीसी काउंट.

(vii) टोटल व्हाइट सेल काउंट.

(viii) टोटल ल्यूकोसाइट्स काउंट

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ल्यूकोसाइट्स क्या होता है? – What are Leukocytes?

सरल भाषा में कहा जाये तो श्वेत रक्त कोशिकाओं  (WBC) को ही ल्यूकोसाइट्स कहा जाता है।यूनानी शब्द ल्यूकोस का अर्थ है सफेद और काइटोस यानी कोशिका।ये श्वेत रक्त कोशिकायें शरीर की आंतरिक संक्रमण से होने वाले रोगों और बाहरी पदार्थों से, प्रतिरक्षा प्रणाली के रूप में रक्षा करती हैं। हमने ऊपर भी बताया है कि ल्यूकोसाइट्स हमारे शरीर की रक्षा प्रणाली के मूलभूत हिस्सा होते हैं।ये ल्यूकोसाइट्स अनेक प्रकार की होती हैं जिनका निर्माण अस्थि मज्जा (Bone Marrow) की एक मल्टीपोटेंट,  हीमेटोपोईएटिक स्टेम  सेल के द्वारा किया जाता है। ये पूरे शरीर में पाई जाती हैं जिनमें जिसमें रक्त और लसीका प्रणाली (Lymphatic system) भी सम्मलित हैं। इसका निर्माण भी अस्थि मज्जा में होता है और इनके द्वारा एंटीजन और एंटीबॉडी का निर्माण होता है। एक बार बनी हुई एंटीबॉडी जीवन भर रहती है, नष्ट नहीं होती।

TLC  ज्यादा और कम होने को क्या कहते हैं? – What is TLC high and Low Called?

ल्यूकोसाइट्स की सामान्य मात्रा हमारे रक्त में लगभग 4000 से 11000 हजार के बीच होती है। ल्यूकोसाइट्स की संख्या में अपने स्तर से वृद्धि अधिक होना श्वेताणुवृद्धि या ल्यूकोसाइटोसिस (leukocytosis) कहलाती है।घातक ल्यूकोसाइट्स की उपस्थिति, श्वेतरक्तता (Leukemia), एक प्रकार का ब्लड कैंसर, का कारण बन सकती है। इसके अनेक कारण हो सकते हैं जैसे शरीर में कोई एलर्जी  या बैक्टीरियल या वायरल इंफेक्शन, धूम्रपान, बोन मैरो में ट्यूमर आदि। यदि ल्यूकोसाइट्स की मात्रा निम्न सीमा के नीचे चली जाये तो इसे की श्वेताणुह्रास या ल्यूकोपेनिया (Leucopenia) कहते हैं।

रक्त में कितने प्रकार की कोशिकाएं होती हैं? – How Many Types of Cells are there in Blood?

दोस्तो, रक्त में तीन प्रकार की रक्त कोशिकाएं होती हैं,  लाल, सफेद और प्लेटलेट्स।विवरण निम्न प्रकार है –

1. लाल रक्त कोशिकाएं (Red Blood Cell)- ये लाल रक्त कोशिकाएं रक्त की सबसे प्रमुख कोशिकाएं होती हैं और संख्या में सबसे अधिक होती हैं। ये पूरे रक्त का 40% हिस्सा होती हैं। सामान्यतः लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या क्यूबिक मिली लीटर रक्त में लगभग 50 लाख होती हैं लेकिन आयु के अनुसार कम या ज्यादा हो सकती हैं। परन्तु इनका सामान्य से कम होना या अधिक होना किसी भी समस्या का कारण बन सकता है। रक्त कोशिकाओं का निर्माण वयस्क व्यक्ति में अस्थि मज्जा (Bone Marrow) और भ्रूणीय अवस्था में प्लीहा (Spleen) या लिवर में होता है। इनका आकार डिस्क की तरह गोल होता है जो किनारे से मोटी और बीच में पतली होती हैं।इन्हीं लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन होता है। 30 से 35 प्रतिशत हीमोग्लोबिन प्रत्येक कोशिका में होता है। इस विषय पर अधिक जानकारी हमारे पिछले आर्टिकल “हीमोग्लोबिन की कमी दूर करने के उपाय में मिल जायेगी।ये कोशिकाएं लगभग 120 दिन तक सक्रिय रहती हैं, फिर नष्ट हो जाती हैं और फिर से नई-नई कोशिकाएं बनती रहती हैं। नष्ट होने और नई कोशिकाओं के बनने का चक्र चलता रहता है।इन रक्त कोशिकाओं का प्रमुख काम ऑक्सीजन को शरीर में ले जाने और कार्बन-डाई-ऑक्साइड को शरीर से बाहर निकालने का होता है.

2. श्वेत रक्त कोशिकाएं (White Blood Cell)- इस बारे में हम ऊपर ‘ल्यूकोसाइट्स क्या होता है’ शीर्षक के अंतर्गत विस्तार से बता ही चुके हैं। ये श्वेत रक्त कोशिकाएं हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़ी हुई होती हैं जो हमें आंतरिक संक्रमण से होने वाले रोगों और बाहरी रोगों से बचाती हैं।

3. प्लेटलेट्स (Platelets)-  प्लेटलेट्स का रसायनिक नाम थ्रंबोसाइट  (Thrombocyte) है। ये ऐसी कोशिकाएं होती हैं जो रक्त के थक्के बनाती हैं और चोट लगने पर रक्त को बहने से बचाने में मदद करती हैं।ये क्षतिग्रस्त ऊतकों की मरम्मत भी करती हैं।प्लेटलेट्स अस्थि मज्जा में मौजूद कोशिकाओं के अत्यंत छोटे कण होते हैं जिनको तकनीकी भाषा में मेगा कार्योसाइट्स कहा जाता है। थ्रोम्बोपीटिन हार्मोन के कारण ये विभाजित होकर रक्त में समाहित होते हैं।आकार में ये नुकीले अंडाकार की तरह दिखते हैं और इनका आकार एक इंच का चार सौ हजारवां हिस्सा होता है। सामान्य रूप से व्यक्ति के रक्त में प्लेटलेट्स डेड़ लाख से चार लाख प्रति घन मिलीमीटर होते हैं। प्लेटलेट्स की संख्या में कमी या अधिकता अनेक रोगों का कारण बनती है, इसलिये इनकी शरीर में इनकी उचित मात्रा होना बहुत महत्वपूर्ण होता है। डेंगू जैसी बीमारी में मुख्य रूप से प्लेटलेट्स पर फोकस करना पड़ता है क्योंकि इस बीमारी में प्लेटलेट्स बहुत तेजी से गिरती हैं। विस्तृत जानकारी के लिये हमारा पिछले आर्टिकल “डेंगू से छुटकारा पाने के देसी उपाय पढ़ें। एक प्लेटलेट्स का जीवनकार 8-12 दिन का होता है और सिर्फ दस दिन तक संचारित होने के बाद अपने आप ही नष्ट हो जाते हैं। इनकी बढ़ोत्तरी प्राकृतिक श्रोत पर निर्भर होती है.

श्वेत रक्त कोशिकाओं के प्रकार – Types of White Blood Cells

श्वेत रक्त कोशिकाएं छह प्रकार की होती हैं।विवरण इस प्रकार है –

1. न्यूट्रोफिल (Neutrophils)-  न्यूट्रोफिल्स कोशिकाएं सूक्ष्मजीवों के  संक्रमण से होने वाली बीमारियों से बचाती हैं और उन्हें एंजाइमों के द्वारा नष्ट करती हैं.

2. बैंड (यंग न्यूट्रोफिल्स) (Band (Young Neutrophils))- ये युवा कोशिकाएं होती हैं अखंडित “C” या “S” आकार में।ये खंडित न्यूट्रोफिल की तुलना में कम परिपक्व होते हैं।ये आमतौर पर परिधिय श्वेत रक्त कोशिकाओं का लगभग 5-10% भाग होता है लेकिन संक्रामक और सूजन संबंधी स्थितियों (Inflammatory condition) में  इनका अनुपात बढ़ जाता है।

3. लिंफोसाईट्स (Lymphocytes)- ये बैक्टीरिया या वायरस या फंगी या अन्य बीमारी को पहचान कर खत्म करती हैं।ये मुख्यतः निम्नलिखित तीन प्रकार की होती   हैं –

(i)  बी कोशिकाएं – इनका काम शरीर में एंटीबॉडी संकेतन (Signaling) प्रोटीन बनाना है और बैक्टीरिया, वायरस और विषाक्त पदार्थों पर आक्रमण करना है। 

(ii) टी कोशिकाएं – ये कोशिकाएं संक्रमित हो चुकीं या कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को ढूंड कर नष्ट कर देती हैं.

(iii) एनके –  एनके यानी नेचुरल किलर।इन कोशिकाओं में मौजूद यौगिक कैंसर के ट्यूमर कोशिकाओं और वायरस से संक्रमित कोशिकाओं को खत्म कर देते हैं।

4. मोनोसाइट्स (Monocytes)- ये सबसे बड़े ल्यूकोसाइट होते हैं और इनका रंग सफेद होता है इनके अंदर नाभिक (Nucleus) रहता है।इनका आकार बींस और लिवर की तरह होता है।ये बाहरी संक्रमण और सूक्षम जीवाणुओं को खत्म कर शरीर की रक्षा करते हैं।

5. इओसिनोफिल्स (Eosinophils)- ये कोशिकाएं पूरी तरह से विकसित होने के लिये 8 दिन का समय लेती हैं। इनकी प्रतिरक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण और सक्रिय भूमिका होती है। इन कोशिकाओं का स्तर सामान्य रहना प्रतिरक्षा प्रणाली को ठीक से काम करने के लिये बहुत आवश्यक होता है। ये संक्रमण, जीवाणुओं से लड़ती हैं।सूजन को नियंत्रित करने के अतिरिक्त एलर्जी प्रतिक्रिया के स्वरूप शरीर को हानि पहुंचाने वाले पदार्थों से रक्षा करती हैं।

6. बेसोफिल (Basophils)- श्वेत रक्त कोशिकाओं की ये अत्यंत दुर्लभ कोशिकाएं होती हैं। शरीर में हर समय इनकी मात्रा श्वेत रक्त कोशिकाओं के एक प्रतिशत से भी कम होती है। बेसोफिल की कोशिका के अंदर ग्रैन्यूल होते हैं ये दाने नाभिक से बहुत बड़े होते हैं।बेसोफिल को ग्रैन्यूलोसाइट्स के नाम से भी जाना जाता है। शरीर में संक्रमण से लड़ने के लिये बेसोफिल दो पदार्थों को छोड़ती हैं, एक हेपरिन जो थक्कारोधी होता है और दूसरा हिस्टामाइन, ये एलर्जी में वाहिकाविस्फारक (Vasodilator) यानी छोटी रक्‍तवाहिकाओं को बड़ा करने वाली औषधि के रूप में कार्य करता है।

श्वेत रक्त कोशिकाओं के प्रकार की सामान्य  रेंज – Normal Range of White Blood Cell Types

श्वेत रक्त कोशिकाओं के प्रकार की सामान्य वैल्यू निम्न प्रकार है।यहां देसी हैल्थ क्लब स्पष्ट करता है यही वैल्यू DLC टेस्ट की भी होती है।

1. न्यूट्रोफिल्स : 40 से 60 प्रतिशत

2. बैंड या यंग न्यूट्रोफिल :  शून्य से 3 प्रतिशत

3. लिंफोसाईट्स : 20 से 40 प्रतिशत

4. मोनोसाइट्स :  2 से 8 प्रतिशत

5. इओसिनोफिल्स : 1 से 4 प्रतिशत

6. बेसोफिल: 0.5 से 1 प्रतिशत

TLC टेस्ट क्यों किया जाता है? – Why is the TLC Test Done?

TLC  टेस्ट निम्नलिखित परिस्थितियों में कराया जाता है –

1. नियमित स्वास्थ्य जांच (Regular medical checkup) के लिये पूर्ण रक्त गणना (Complete Blood Count – CBC) के टेस्ट के भाग के रूप में।

2. छुपे हुऐ संक्रमण की जांच और मॉनिटर करने में मदद के लिये।

4. सूजन की जांच और मॉनिटर करने में मदद के लिये।

4. कीमोथेरेपी के इलाज में निगरानी के लिये.

5.अस्थि मज्जा के कार्य प्रणाली की जांच और निगरानी के लिये.

6. उन स्थितियों का निदान करने  के लिये जो श्वेत रक्त कोशिकाओं की मात्रा को कम करती हैं या कोई अन्य अस्थि मज्जा विकार।

7. ल्यूकेमिया और लिम्फोमा जैसे कुछ बल्ड कैंसर के निदान एवं उपचार की प्रभावकारिता का पता लगाने में मदद के लिये।

8. रक्त संबंधी किसी अन्य विकार का पता लगाने के लिये।

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9. कुछ एलर्जिक प्रतिक्रियाओं की जांच के लिये।

10. प्रतिरक्षा प्रणाली विकार।इस स्थिति में प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के स्वस्थ ऊतकों को नष्ट करने लगती है।

11. प्रतिरक्षा प्रणाली में कमी को जानने के लिये।

12. श्वेत रक्त कोशिकाओं की कमी के लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर TLC  टेस्ट के लिये कह सकते हैं।इन लक्षणों में बुखार, सिर में दर्द, कंपकपी, शरीर की मांसपेशियों में दर्द आदि हो सकते हैं।

TLC  टेस्ट से पहले की तैयारी – Preparing for the TLC Test

दोस्तो, बल्ड सेंपल के जरिये होने वाले कुछ टेस्ट ऐसे होते हैं जो खाली पेट होते हैं यानी जिनके लिये भूखा रहना पड़ता है, 8 से 12 घंटे की फास्टिंग जैसे कि बल्ड शुगर टेस्ट, कोलेस्ट्रॉल, लिवर फंक्शन टेस्ट, किडनी फंक्शन टेस्ट आदि। लेकिन TLC  टेस्ट के लिये ना तो भूखा रहने की जरूरत होती है और ना ही किसी विशेष तैयारी की। हां, यदि आप किसी भी प्रकार की दवाई ले रहे हैं तो इस बारे में टेक्नीशियन (जो बल्ड सेंपल ले रहे हैं) को जरूर बता दें क्योंकि कुछ दवाईयां TLC  टेस्ट के परिणाम को प्रभावित करती हैं।वैसे तो ब्लड सेंपल लेने से पहले डॉक्टर/टेक्नीशियन भी पूछते हैं।

किन स्थितियों में श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या प्रभावित होती है? – What Conditions affect the Number of white Blood Cells?

दोस्तो, जैसा कि हमने ऊपर बताया कि कुछ दवाईयां TLC  टेस्ट के परिणाम को प्रभावित कर सकती हैं,  तो हम बता रहे हैं कुछ दवाओं के नाम जो श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या को कम और ज्यादा कर सकती हैं।इनके अलावा कुछ और स्थितियों में इनकी संख्या प्रभावित होती है। विवरण निम्न प्रकार  है – 

1. श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या कम करने वाली दवाऐं –

कीमोथेरेपी की दवाएं, पानी की दवाएं (ड्यूरेटिक), हिस्टामिन-2 ब्लॉकर, एंटीथायराइड ड्रग्स, एंटीबायोटिक्स, एंटीकंवलसेन्ट्स, आर्सेनिकल, कैप्टोप्रिल, च्लोरोप्रोमेज़िन, क्लोज़पिन, टर्बिनाफाइन, टिक्लोपीडिन आदि।

2. श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या बढ़ाने वाली दवाऐं –

कोटिकोस्टेरॉइड, हेपरिन, लिथियम, एपिनेफ्रिन, एल्ब्युटेरोल आदि।

3. तनाव और शारीरिक क्रियाऐं.

4. गर्भावस्था का अंतिम महीना.

5. प्रसव के समय इनकी संख्या बढ़ना स्वाभाविक हो सकता है.

6. जिन लोगों की हाल ही में स्प्लेनेक्टॉमी हुई है। प्लीहा निकालने की सर्जरी को स्पलेनेक्टॉमी कहते हैं। प्लीहा  पेट में स्थित एक ऐसा अंग है जो रक्त को साफ करता है और संक्रमण से लड़ता है।

TLC  की सामान्य वैल्यू और असामान्य परिणाम – Normal Values and Abnormal Results of TLC

दोस्तो, TLC  यह संकेत देता है कि एक क्यूबिक मिलीमीटर (एमएम3) में कुल ल्यूकोसाइट कितना है।यह टेस्ट, DLC के साथ भी किया जा सकता है जिसमें सौ सफेद रक्त कोशिकाओं के सैंपल में से प्रत्येक श्वेत रक्त कोशिका के प्रतिशत को दर्शाया जाता है।आयु के अनुसार श्वेत रक्त कोशिकाएं बदलती हैं।आयु के अनुसार  

श्वेत रक्त कोशिकाओं की सामान्य संख्या निम्न प्रकार है।

सामान्य परिणाम – Normal Result

वयस्क – 4500-10500/mm3

बच्चे (12-18 वर्ष) – 4500-13000/mm3

बच्चे (6-12 वर्ष) – 4500-14500/mm3

बच्चे (1-6 वर्ष) – 5000-17000/mm3

बच्चे (1 वर्ष से कम) – 6000-17500/mm3

4 हफ्तों तक – 6000-18000/mm3

2 हफ्तों तक – 6000-21000/mm3

नवजात शिशु – 10000-26000/mm3

हर लैब के अलग-अलग टेस्ट परिणाम आ सकते हैं। लेकिन इनकी वैल्यू आपके लिये क्या है, ये डॉक्टर ही बताते हैं।

असामान्य परिणाम – Abnormal Result

1. यदि TLC  टेस्ट परिणाम, श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या वयस्क में 3700/mm3 से कम आता है तो इसे ल्यूकोपेनिया कहते हैं जिसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं :- 

(i)  किसी धातु से अत्यधिक विषाक्तता या रेडिएशन.

(ii)  बोन मेरो डिप्रेशन.

(iii) कुछ दवाओं का परिणाम.

(iv) ऐसे रोग जो बोन मेरो को प्रभावित कर सकते हैं जैसे फंगल इंफेक्शन या मेटास्टेटिक ट्यूमर.

(v)  वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन.

(vi)  प्लीहा और लिवर से जुड़े रोग।

(vii) ऑटोइम्यून विकार, इस स्थिति में प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के स्वस्थ ऊतकों को नष्ट करने लगती है।

(viii) भोजन की कमी, कुपोषण या भोजन में पौष्टिक तत्वों की कमी।

(ix) बोन मेरो से जुड़े रोग जैसे – 

(a) अल्यूकेमिक ल्युकेमिया (एक दुर्लभ प्रकार का एक रक्त कैंसर, जिसमें श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या या तो सामान्य होती है या सामान्य से कम).

(b) अप्लास्टिक एनीमिया (बोन मेरो पर्याप्त संख्या में रक्त कोशिकाएं नहीं बना पाता).

(c) परनीशियस एनीमिया (यह रोग विटामिन बी12 की कमी से होता है).

(d) मयेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम (इस स्थिति में बोन मेरो क्षतिग्रस्त रक्त कोशिकाएं बनाता है).

2. यदि टेस्ट परिणाम, श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या वयस्क में 11000/mm3 से अधिक आता है तो यह  ल्यूकोसाइटोसिस की ओर इशारा करता है।इस स्थिति के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं :-

(i)   संक्रमण

(ii)  ल्यूकेमिया

(iii) ट्रॉमा या ऊतकों में चोट

(iv) बोन मेरो ट्यूमर

(v)  अस्थमा

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(vi) एलर्जी

(vii) तनाव

(viii) सूजन या इससे जुड़ी स्थितियां जैसे आर्थराइटिस या बोवेल रोग.

(ix) सामान्य व्यक्ति में भी भारी एक्सरसाइज, एड्रेनलिन इंजेक्शन या गर्भावस्था ल्यूकोसाइटोसिस के कारण हो सकते हैं। 

DLC क्या है? – What is DLC?

दोस्तो, DLC से पूरा बनता है डिफ्रेन्शियल ल्यूकोसाईट काउंट (Differential Leukocyte Count)।यह भी TLC  की तरह ही बल्ड टेस्ट है जो कभी तो TLC  के साथ ही करवा लिया जाता है या कभी अलग से। सामान्यतः इस DLC टेस्ट से पहले पूर्ण रक्त गणना टेस्ट (Complete Blood Count – CBC test) करवाया जाता है। यदि सीबीसी टेस्ट के परिणाम सामान्य नहीं आते हैं तो इस स्थिति में डॉक्टर DLC टेस्ट कराने के लिये कहते हैं जोकि आवश्यक भी है। वैसे भी DLC टेस्ट सीबीसी का ही एक भाग है। DLC हमारे शरीर में रक्त में मौजूद छः प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाओं की जांच कर प्रतिशत बताता है। श्वेत रक्त कोशिकाओं का प्रकार और उनकी सामान्य वैल्यु यानी सामान्य प्रतिशत हम ऊपर बता चुके हैं। इस टेस्ट के जरिये असामान्य या अपरिपक्व कोशिकाओं के बारे में भी पता चल है।यह टेस्ट संक्रमण, सूजन, एलर्जी, प्रतिरक्षा प्रणाली विकार, ल्यूकेमिया आदि को भी डायग्नोज करने में भी मदद करता है। दोस्तो, DLC टेस्ट क्यों करवाया जाता है, यह जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि पूर्ण रक्त गणना (CBC) क्या है और क्यों किया जाता है?:-

पूर्ण रक्त गणना (CBC) क्या है? – What is Complete Blood Count (CBC)? 

यह एक रक्त परीक्षण है। अधिकतर डॉक्टर इसे कराने की सलाह देते हैं  क्योंकि उनको एक नजर में (at a glance) रक्त के बारे में बहुत कुछ जानकारी मिल जाती है। इस टेस्ट के जरिये संक्रमण, अनीमिया, रक्त कोशिकाओं में कमी या बढ़ोत्तरी, कैंसर आदि से जुड़ी समस्याओं को समझने में मदद मिलती है.

पूर्ण रक्त गणना (CBC) टेस्ट क्यों किया जाता है? – Why is a Complete Blood Count (CBC) test done?

यह टेस्ट, रक्त कोशिकाओं की सामान्य वैल्यू में बदलाव को जानने के लिये किया जाता है जिससे डॉक्टर को आपके संपूर्ण स्वास्थ्य, संक्रमणों और विकारों का पता लगाने में आसानी हो जाती है और आपका समुचित उपचार हो जाता है।नियमित स्वास्थ्य जांच (Regular medical checkup) के लिये भी, डॉक्टर इस टेस्ट को करवाने की सलाह देते हैं।यह सीबीसी टेस्ट रक्त के निम्नलिखित घटकों को मापने के लिये किया जाता है – 

1. लाल रक्त कोशिकाएं (Red Blood Cell)- ये शरीर के हिस्सों में  ऑक्सीजन पहुंचाने और और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालने का काम करती हैं।सीबीसी आपकी लाल रक्त कोशिकाओं की गिनती के अलावा निम्नलिखित दो घटकों को मापता है –

(i)  हीमोग्लोबिन – ऑक्सीजन ले जाने वाले प्रोटीन.

(ii) हेमटोक्रिट – रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं का प्रतिशत.

हीमोग्लोबिन और हेमटोक्रिट का कम होना एनीमिया का लक्षण है। 

2. श्वेत रक्त कोशिकाएं (White Blood Cell)- ये रक्त कोशिकायें शरीर की आंतरिक संक्रमण से होने वाले रोगों और बाहरी पदार्थों से, प्रतिरक्षा प्रणाली के रूप में हमारी रक्षा करती हैं।यह टेस्ट श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या और प्रकार को मापता है।इनमें कोई भी परिवर्तन संक्रमण, इंफ्लमेशन या कैंसर का कारक हो सकता है।

3. प्लेटलेट्स (Platelets)- ये कोशिकाएं रक्त के थक्के बनाने में मदद करती हैं जिससे रक्त श्राव पर नियंत्रण रहता है।इसके सामान्य स्तर में आया बदलाव गंभीर चिकित्सा स्थिति का कारक बन सकता है और अत्यधिक रक्त श्राव  का खतरा हो सकता है। 

DLC टेस्ट क्यों कराया जाता है? – Why is the DLC Test Done?

1. दोस्तो, यदि सीबीसी टेस्ट का परिणाम संतोषजनक नहीं हैं अर्थात् सामान्य सीमा से बाहर हैं तो इस स्थिति में DLC टेस्ट करवाना जरूरी हो जाता है।

2. एनीमिया, संक्रमण, प्रतिरक्षा प्रणाली विकार, ल्यूकेमिया, सूजन, एलर्जी, आदि के निदान और उपचार में मदद के लिये यह टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है।

3. यदि डॉक्टर को किसी मरीज में श्वेत रक्त कोशिकाओं के स्तर में असमानता के लक्षण दिखाई देते हैं वह तो मरीज को DLC टेस्ट करवाने की सलाह दे सकता है।श्वेत रक्त कोशिकाओं के स्तर में असमानता के लक्षणों में लंबे समय तक बुखार रहना, कंपकंपी, सिर में दर्द, कमजोरी, वजन कम होना आदि हो सकते हैं।

DLC टेस्ट की तैयारी – DLC Test Preparation

इस टेस्ट के लिये कोई विशेष तैयारी करने की आवश्यकता नहीं है।यदि आप कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाऐं, जैसे कि प्रेडनिसोन, कोर्टिसोन, हाइड्रोकार्टिसोन आदि ले रहे हैं, तो इस बारे में टेस्ट से पहले डॉक्टर/टेक्नीशियन को अवश्य बता दें क्योंकि ये दवाऐं टेस्ट को प्रभावित कर सकती हैं।

DLC टेस्ट के परिणाम – DLC Test Results

दोस्तो, DLC टेस्ट के परिणाम प्रत्येक श्वेत रक्त कोशिका के प्रकार के प्रतिशत के अनुसार आते हैं।इनकी सामान्य वैल्यू कितनी होनी चाहिये, ये हम ऊपर बता चुके हैं।फिर भी इनको दोहरा देते हैं।प्रत्येक श्वेत रक्त कोशिका के प्रकार की सामान्य वैल्यू निम्न प्रकार है – 

सामान्य परिणाम – Normal Result

1. न्यूट्रोफिल्स : 40 से 60 प्रतिशत

2. बैंड या यंग न्यूट्रोफिल :  शून्य से 3 प्रतिशत

3. लिंफोसाईट्स : 20 से 40 प्रतिशत

4. मोनोसाइट्स :  2 से 8 प्रतिशत

5. इओसिनोफिल्स : 1 से 4 प्रतिशत

6. बेसोफिल : 0.5 से 1 प्रतिशत

असामान्य परिणाम – 

प्रत्येक श्वेत रक्त कोशिका के प्रकार में बढ़ोत्तरी और कमी से जुड़े घटक निम्न प्रकार हैं :-

1. न्यूट्रोफिल्स – Neutrophils

(i) प्रतिशत बढ़ा हुआ : यदि रक्त में इसका प्रतिशत बढ़ा हुआ आता है तो इसका मतलब होता है न्युट्रोफिलिया।यह श्वेत रक्त कोशिका विकार है जो संक्रमण, स्टेरॉयड, धूम्रपान या कठोर व्यायाम की वजह से हो सकता है।जीवाणु संक्रमण, तीव्र तनाव, गले में दर्द, बुखार और गर्भावस्था में सूजन, क्रोनिक ल्यूकेमिया आदि घटक हैं।

(ii) प्रतिशत घटा हुआ : प्रतिशत में कमी का अर्थ है न्यूट्रोपेनिया।यह भी श्वेत रक्त कोशिका विकार है जिसकी वजह अस्थि मज्जा में न्यूट्रोफिल उत्पादन की कमी हो सकती है।कीमोथेरेपी, रेडियेशन, जीवाणु या वायरल संक्रमण, इंफ्लूएंजा आदि घटक हैं.

2. लिम्फोसाइट – Lymphocyte

(i) प्रतिशत बढ़ा हुआ : दीर्घकालिक बैक्टीरियल संक्रमण, वायरल संक्रमण, लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया, मल्टीपल मायलोमा, संक्रामक हेपेटाइटिस, मोनोन्यूक्लिओसिस (एक प्रकार का वायरल संक्रमण जिसमें गले में दर्द और बुखार होता है).

(ii) प्रतिशत घटा हुआ : टीबी, हेपेटाइटिस संक्रमण, एचआईवी, बोन मेरो में क्षति (कीमोथेरेपी या रेडिऐशन के इलाज के कारण), ल्यूकेमिया, सेप्सिस आदि।

3. मोनोसाइट्स – Monocytes

(i) प्रतिशत बढ़ा हुआ : सूजन, आंत्र रोग, परजीवी संक्रमण या वायरल संक्रमण, हृदय में जीवाणु संक्रमण, ल्यूकेमिया, टी.बी., कोलेजन संवहनी (Vascular) रोग, जैसे कि ल्यूपस, वास्कुलिटिस, या संधिशोथ।

(ii) प्रतिशत घटा हुआ : नाक से पानी आना, ठंड लगना, घाव का जल्दी ठीक ना होना और उसमें मवाद होते रहना, शरीर में दर्द, बुखार सिर में दर्द, खांसी और अधिक थूक आना, त्वचा में लालिमा और सूजन जैसी समस्यायें हो सकती हैं।ये लक्षण नहीं हैं। घटक की सटीक जानकारी उप्लब्ध नहीं है।

4. इओसिनोफिल्स – Eosinophils

(i) प्रतिशत बढ़ा हुआ : त्वचा की सूजन, जैसे एक्जिमा या डर्मेटाइटिस, एलर्जिक प्रतिक्रिया, एडिसन रोग, क्रोनिक मायलोजीनस ल्यूकेमिया, परजीवी संक्रमण, कैंसर, ईोसिनोफिलिया जो एलर्जी विकारों, परजीवी, ट्यूमर या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (आंत्र सबंधित ) विकारों की वजह से हो सकता है।

(ii) प्रतिशत घटा हुआ : इस बारे में जानकारी उप्लब्ध नहीं है।

5. बेसोफिल -Basophils 

(i) प्रतिशत बढ़ा हुआ : सूजन, गंभीर खाद्य एलर्जी, कोलेजन संवहनी (Vascular) रोग, चेचक, क्रोनिक मायलोजीनस ल्यूकेमिया, स्प्लेनेक्टोमी के बाद मायलोप्रोलाइफरेटिव डिजीज (बोन मेरो से संबंधित विकारों का समूह)।

(ii) प्रतिशत घटा हुआ : कोई गंभीर चोट, कैंसर, तीव्र संक्रमण। 

Conclusion – 

दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको TLC और DLC के बारे में विस्तार से जानकारी दी। TLC  क्या है, TLC  के और कितने नाम होते हैं, ल्यूकोसाइट्स क्या होता है, TLC  ज्यादा और कम होने को क्या कहते हैं, रक्त में कितने प्रकार की कोशिकाएं होती हैं, श्वेत रक्त कोशिकाओं के प्रकार, श्वेत रक्त कोशिकाओं के प्रकार की सामान्य रेंज, TLC  टेस्ट क्यों किया जाता है, TLC  टेस्ट से पहले की तैयारी, किन स्थितियों में श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या प्रभावित होती है, TLC  की सामान्य वैल्यू और असमान्य परिणाम, DLC क्या है, पूर्ण रक्त गणना (CBC) क्या है, पूर्ण रक्त गणना (CBC) टेस्ट क्यों किया जाता है, DLC टेस्ट क्यों कराया जाता है, DLC टेस्ट की तैयारी, इन सबके बारे में भी विस्तारपूर्वक बताया।देसी हैल्थ क्लब ने इस लेख के माध्यम से आपको DLC टेस्ट के सामान्य और असामान्य परिणाम भी बताये। आशा है आपको ये लेख अवश्य पसन्द आयेगा।

दोस्तो, इस लेख से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो लेख के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह लेख आपको कैसा लगा।आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और  सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें।दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके।और हम आपके लिए ऐसे ही Health- Related Topic लाते रहें।धन्यवाद.

Disclaimer – यह लेख केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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TLC और DLC क्या होता है?
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TLC और DLC क्या होता है?
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दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको TLC और DLC के बारे में विस्तार से जानकारी दी। TLC  क्या है, TLC  के और कितने नाम होते हैं, ल्यूकोसाइट्स क्या होता है, TLC  ज्यादा और कम होने को क्या कहते हैं, रक्त में कितने प्रकार की कोशिकाएं होती हैं।
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