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हीमोग्लोबिन की कमी दूर करने के उपाय – Remedies to Overcome Hemoglobin Deficiency in Hindi

हीमोग्लोबिन की कमी दूर करने के उपाय

दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। मानव शरीर में दो मुख्य तरल पदार्थ होते हैं, एक है पानी और दूसरा रक्त। इनमें से किसी एक के बिना जीवन संभव नहीं है। जहां तक रक्त की बात है तो यह, रक्त वाहिनियों में बहने वाला लाल रंग का कुछ चिपचिपा सा तरल पदार्थ जीवित ऊतक है जो प्लाज़मा और रक्त कणों (कोशिकाएं) के मेल से बनता है। ये रक्त कोशिकाएं तीन प्रकार की होती हैं – लाल रक्त कोशिकाएं (Red Blood Cells)  श्वेत रक्त कोशिकाएं (White Blood Cells) और प्लेटलैट्स (Platelets)। इन तीनों में से किसी एक में कमी या अधिकता हो जाये तो स्वास्थ संबंधी समस्याएं होना स्वाभाविक है। इन्हीं में से एक लाल रक्त कोशिकाओं से संबंधित हीमोग्लोबिन होता है जिसकी कमी से शरीर में रक्त की कमी है जाती है और अनेक प्रकार के रोग होने की संभावना रहती है। आखिर इस हीमोग्लोबिन की कमी को कैसे दूर किया जाये। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “हीमोग्लोबिन की कमी दूर करने के उपाय”। देसी हैल्थ क्लब इस लेख के माध्यम से आज आपको हीमोग्लोबिन के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि हीमोग्लोबिन की कमी को दूर करने के क्या उपाय हैं। दोस्तो, हीमोग्लोबिन को समझने के लिये पहले लाल रक्त कोशिकाओं को समझना होगा कि ये क्या होती हैं, फिर जानेंगे कि हीमोग्लोबिन क्या होता है। इसके बाद फिर बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।   

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हीमोग्लोबिन की कमी दूर करने के उपाय
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लाल रक्त कोशिकाएं क्या होती हैं? – What are Red Blood Cells?

दोस्तो, हमारे शरीर के रक्त में तीन प्रकार की रक्त कोशिकाऐं होती हैं, सफेद रक्त कोशिकाऐं (White Blood Cells – WBC),  लाल कोशिकाऐं (Red Blood Cells – RBC) और प्लेटलैट्स (Platelets)। ये रक्त कोशिकाऐं हड्डियों के अंदर अस्थि मज्जा (Bone Marrow) बनती हैं। सूक्षमदर्शी (Microscope) से देखने पर पता चलता है कि लाल रक्त कोशिकाएं गोलाकार (प्लेट की तरह) होती हैं। किनारे से मोटी और बीच में से दबी हुई यानी पतली होती हैं। सामान्यतः इनकी संख्या क्यूबिक मिली लीटर रक्त में लगभग 50 लाख होती है परन्तु व्यक्ति की आयु के अनुसार ये कम/ज्यादा हो सकती हैं। परन्तु सामान्य से कम होना या ज्यादा होना किसी भी समस्या को जन्म दे सकती हैं। ये लगभग 120 दिन तक सक्रिय रहती हैं, फिर नष्ट हो जाती हैं और नई-नई कोशिकाऐं बनती रहती हैं। इन लाल रक्त कोशिकाओं का मुख्य काम ऑक्सीजन को शरीर में ले जाने और कार्बन-डाई-ऑक्साइड को शरीर से बाहर निकालना होता है। इसके अतिरिक्त और भी काम लाल रक्त कोशिकाऐं करती हैं। इन्हीं लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन व्याप्त होता है। प्रत्येक कोशिका में 30 से 35 प्रतिशत हीमोग्लोबिन होता है। दोस्तो, अब जानते हैं कि हीमोग्लोबिन क्या होता है। 

हीमोग्लोबिन क्या होता है? – What is Hemoglobin?

दोस्तो, अस्थि मज्जा में ही आयरन, विटामिन बी-6 यानी पाइरिडॉक्सिन की मौजूदगी में ग्लाइलिन नामक एमिनो एसिड से संयोग कर ‘हीम’ नामक यौगिक का निर्माण करता है, जो ‘ग्लोबिन’ नामक प्रोटीन से मिलकर “हीमोग्लोबिन” बनता है। हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं का विशेष और मुख्य प्रोटीन तत्व है जिसका आधार आयरन है। आयरन ही रक्त के लाल रंग का मुख्य कारक है। हीमोग्लोबिन​ ही लाल रक्त कोशिकाओं का वह हिस्सा है जिसमें ऑक्सीजन विद्यमान होता है। दोस्तो, अब जानते हैं आयरन के बारे में कि यह शरीर के किस भाग में कितना होता है और इसका कितना भाग हीमोग्लोबिन में होता है।

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शरीर में आयरन की मात्रा – Iron Content in the Body 

दोस्तो, सबसे पहले आपको यह बता दें कि हमारे शरीर के कुल वजन का 0.004 प्रतिशत हिस्सा आयरन होता है और इसकी कुल मात्रा शरीर के वजन के मुताबिक 3 से 5 ग्राम होती है। आयरन का 70 प्रतिशत हिस्सा  हीमोग्लोबिन में होता है, 4 प्रतिशत मांसपेशियों के प्रोटीन मायोग्लोबिन में, 25 प्रतिशत हिस्सा लिवर, अस्थि मज्जा, प्लीहा व गुर्दे में भंडारण के रूप में और बाकी 1 प्रतिशत भाग प्लाज्मा के द्रव्य अंश में तथा कोशिकाओं के एंजाइम्स में विद्यमान रहता है। 

हीमोग्लोबिन का कार्य – Function of Hemoglobin

हीमोग्लोबिन फेफड़ों से ऑक्सीजन को शरीर के अंगों और ऊतकों में पहुंचाता है और कार्बन डाइऑक्साइड को ऊतकों और अंगों से फेफड़ों में पहुंचाता है। यही इसका मुख्य काम होता है। 

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हीमोग्लोबिन की कमी क्या होती है? – What is the Deficiency of Hemoglobin?

दोस्तो, जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि लाल रक्त कोशिकाऐं गोलाकार (प्लेट की तरह) होती हैं। किनारे से मोटी और बीच में से दबी हुई यानी पतली होती हैं। इन्हीं लाल रक्त कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन होता है। जब इन लाल रक्त कोशिकाओं का आकार बिगड़ने लगे तो शारीरिक कार्य व्यवस्था और रक्त संचार में बाधा उत्पन्न हो जाती है। इसी को हीमोग्लोबिन की कमी कहा जाता है। यह एक प्रकार से सामान्य समस्या होती है जिसमें कुछ निश्चित प्रकार के विटामिन और खनिजों विशेष रूप से आयरन की कमी हो जाती है। इस स्थिति में कम लाल रक्त कोशिकाओं का नव निर्माण रुक जाता है इनका नष्ट होना जारी रहता है। यदि टैस्ट में हीमोग्लोबिन का स्तर कम होने की पुष्टि होती है तो इसका  अर्थ साफ़ है कि शरीर में कम लाल रक्त कोशिकाऐं कम हो रही हैं। संतुलित और पोषक तत्व युक्त भोजन ना लेने से विटामिन और खनिजों की कमी होना स्वाभाविक है जिसके परिणाम स्वरूप बच्चे और गर्भवती महिलाएं कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। शरीर के लिये यह स्थिति बेहद गंभीर मानी जाती है। 

हीमोग्लोबिन कितना होना चाहिए? – How much Hemoglobin Should be there?

हीमोग्लोबिन का सामान्य स्तर लिंग और उम्र पर निर्भर करता है। वैसे हीमोग्लोबिन की सामान्य स्तर, आयु वर्ग के अनुसार निम्न प्रकार है – 

बच्चा

जन्म के समय  – 13.5 से 24.0 ग्राम प्रति डेसीलीटर

जन्म से एक महीने तक – 10.0 से 20.0 ग्रा./डे.ली.

1 से 2 महीने – 10.0 से 18.0 ग्रा./डे.ली. 

2 से 6 महीने – 9.5 to 14.0 ग्रा./डे.ली. 

6 महीने से 2 वर्ष – 10.5 से 13.5 ग्रा./डे.ली. 

2 वर्ष से 6 वर्ष – 11.5 से 13.5 ग्रा./डे.ली. 

6 वर्ष से 12 वर्ष – 11.5 से 15.5 ग्रा./डे.ली.

पुरुष – 

12 वर्ष से 18 वर्ष – 13.0 से 16.0 ग्रा./डे.ली.

18 वर्ष से अधिक – 13.5 से 17.5 ग्रा./डे.ली.

महिला – 

12 वर्ष से 18 वर्ष  – 12.0 से 16.0 ग्रा./डे.ली.

18 वर्ष से अधिक  – 12.0 से 15.5 ग्रा./डे.ली.

हीमोग्लोबिन की कमी के कारण? – Cause of Hemoglobin Deficiency?

वैसे तो सामान्य तौर पर विटामिन, खनिज, प्रोटीन की कमी से हीमोग्लोबिन के स्तर में कमी आती है और महिलाओं के गर्भवती होने पर उनमें हीमोग्लोबिन की कमी स्वाभाविक रूप से हो जाती है। पर कुछ स्वास्थ संबंधी निम्नलिखित समस्याओं के कारण भी हीमोग्लोबिन के स्तर में कमी आ जाती है – 

1. आयरन की कमी

2. श्वेताणु रक्तता (leukemia) (रक्त का कैंसर, यह रक्त बनाने वाले ऊतकों का कैंसर है

3. सिरोसिस। (लिवर का सिकुड़ जाना, धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होकर काम ना कर पाना)

4. एड्स एच आई वी।

5. कैंसर- शरीर के किसी विशेष अंग की कोशिकाओं पर जब शरीर का पूरी तरह से नियंत्रण नहीं रहता और कोशिकाएं बेहिसाब तरीके से बढ़ने लगती हैं तो शरीर की उस स्थिति को कैंसर कहा जाता है। 

6. लिंफोमा (Lymphoma)(लसीका प्रणाली का कैंसर)

7. मल्टीपल मायलोमा (प्‍लाज्‍मा कोशिकाओं का कैंसर)

8. अनुवांशिक असामान्यता

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9. किसी महामारी में अधिक रक्तस्राव हो जाना

10. घाव से खून बहना

11. पेट में अल्सर

12. बवासीर

13. सिकल सेल एनीमिया (Sickle Cell Anaemia)- इसे ड्रीपेनोसाइटोसिस (Drepanocytosis) भी कहा जाता है। यह विकारों का समूह है, इसके कारण लाल रक्‍त कोशिकाएं विकृत होकर और टूटने लगती हैं।

14. हाइपोथायरिडज्म (Hypothyroidism) – यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें थायरॉइड ग्रंथि, पर्याप्त मात्रा में थाइरॉइड हार्मोन नहीं बनाती, परिणाम स्वरूप थायरॉइड हार्मोन की कमी से हृदयगति, शरीर के तापमान और चयापचय के सभी पहलू प्रभावित होते हैं।  

15. हेमोलाइसिस (Hemolysis) – हीमोग्लोबिन की मुक्ति के साथ लाल रक्त कोशिकाओं का टूटना

16. मूत्राशय से खून रिसना

17. विटामिन की कमी

18. रक्तदान करते रहना। 

हीमोग्लोबिन की कमी के लक्षण – Symptoms of Hemoglobin Deficiency

हीमोग्लोबिन की कमी के निम्नलिखित लक्षण प्रकट हो सकते हैं –

1. चक्कर आना

2.  घबराहट होना

3.  सांस फूलना

4. सिरदर्द होना

5. थकान रहना

6. कमजोरी महसूस करना

7. व्यायाम न कर पाना

8. व्यवहार में चिड़चिड़ापन

9. किसी काम में ना मन लगना ना ध्यान 

10. मानसिक कार्य न कर पाना

11. जल्दी-जल्दी संक्रमण होना

12. हाथ पैर ठंड होना

हीमोग्लोबिन की कमी से होने वाले रोग – Hemoglobin Deficiency Diseases

1. शरीर के रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी होने का मतलब है लाल रक्त कोशिकाओं का कम हो जाना। इससे  एनीमिया रोग की समस्या बनती है, जो ज्यादातर महिलाओं को होता है। विशेषकर गर्भवती महिलाओं को एनीमिया का प्रभाव ज्यादा होता है क्योंकि गर्भावस्था में   विटामिन, मिनरल विशेषकर आयरन और फाइबर की ज्यादा होती है। इनकी कमी से एनीमिया बनता है और  शारीरिक दुर्बलता बढ़ती है। मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के डॉ. जुगल किशोर के अनुसार, “एनीमिया का मतलब है शरीर में रेड ब्लड सेल्स कम होना। इसके कई कारण हो सकते हैं, महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान या पीरियड्स में अत्यधिक रक्त स्राव होने के कारण एनीमिया हो सकता है”। वजन कम करने के चक्कर में डाइटिंग कर रही महिलाओं को भी एनीमिया होने की संभावना रहती है। बच्चे को स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी एनीमिया होने की संभावना रहती है। डॉ. जुगल किशोर के अनुसार “पाइल्स या अल्सर के कारण भी एनीमिया हो सकता है”।

2. हीमोग्लोबिन कम होने के कारण रक्त प्रवाह  में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है जिससे ऊर्जा में कमी, बेहोशी, सांस फूलना आदि जैसी समस्याएं होने लगती हैं।

3. हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं जैसे अनियमित हृदय की धड़कन, हृदय का आकार बढ़ना या हृदयाघात की संभावना। क्योंकि हीमोग्लोबिन कम होने से ऑक्सीजन युक्त रक्त की सप्लाई में बाधा आ जाती है।  

4. हीमोग्लोबिन की कमी से संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। 

5. बच्चों की मांसपेशियों का ना पनपना या संज्ञानात्मक विकास में देरी होना।

6. शरीर में हीमोग्लोबिन कम होने के कारण त्वचा में पीलापन आ सकता है। 

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हीमोग्लोबिन की जांच – Test of Hemoglobin

1. सामान्य परीक्षण जिसमें बीमारी का पिछला, लक्षण और नशे की लत के बारे में पूछा जाता है।

2. ब्लड टैस्ट – Blood Test

(i)  कम्पलीट ब्लड काउंट।

(ii) विटामिन बी 12 और विटामिन बी 9 की जांच

(iii) रक्त में आयरन की कमी की जांच।

डॉक्टर यदि उचित समझें तो ये टैस्ट भी करवा सकते हैं जो ब्लड सेम्पल के जरिये ही होते हैं –

(iv) किडनी फंक्शन टैस्ट

(v) लिवर फंक्शन टैस्ट

(vi) थाइरॉयड फंक्शन टैस्ट

3. यूरिन टैस्ट – Urine Test

हीमोग्लोबिन की कमी दूर करने के उपाय – Remedies to Overcome Hemoglobin Deficiency

दोस्तो, अब बताते हैं आपको कुछ ऐसे श्रोत जिनका सेवन करके हीमोग्लोबिन की कमी को दूर कर सकते हैं। यह तो तय है कि हीमोग्लोबिन की कमी होने का सबसे कारण आयरन को माना जाता है। यही हीमोग्लोबिन का आधार स्तम्भ है और हीमोग्लोबिन के निर्माण के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण तत्व है। हम बता रहे हैं कुछ ऐसे निम्नलिखित आयरन युक्त खाद्य पदार्थ जिनके सेवन से खून की कमी नहीं होगी और हीमोग्लोबिन को बढ़ाने में मदद मिलेगी –

1. सोयाबीन, मटर और राजमा (Soybeans, Peas and Beans)- दोस्तो, फलियों का, दालों का अपना ही अलग महत्व होता है। फलियां शरीर में आयरन की कमी नहीं होने देतीं और रक्त में हीमोग्लोबिन स्तर को बढ़ाने में मदद करती हैं। सोयाबीन, राजमा और मटर में आयरन की उच्च मात्रा होती है। प्रति 100 ग्राम सोयाबीन में लगभग 15.7 मि.ग्रा. आयरन होता है, इसी प्रकार राजमा में 6.69 मि।ग्रा और मटर में 1.54 मि।ग्रा आयरन होता है। इनमें फोलेट और विटामिन-सी की भी उच्च मात्रा पाई जाती है। इनको आप अलग-अलग बनाकर या सभी को इकट्ठा बनाकर अन्य सब्जियों के साथ मिलाकर खा सकते हैं। 

2. मसूर की दाल (Masur ki Dal)- मसूर की दाल को खाने और पसंद करने वाले बहुत हो सकते हैं लेकिन इसे पसंद करने वाले बहुत चाव से खाते हैं। प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, पोटेशियम से भरपूर प्रति 100 ग्राम मसूर की दाल में 6 मि.ग्रा. आयरन और 5.3 मि.ग्रा. विटामिन-सी की मात्रा होती है। इसका सेवन करने से निश्चित रूप से हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ेगा। जिन लोगों को मटर, राजमा और सोयाबीन पसंद नहीं है, उनके लिये यह मसूर की दाल सबसे अच्छा विकल्प है।

3. पालक (Spinach)- हरे पत्तेदार सब्जियां आयरन और विटामिन-सी से भरपूर होती हैं जैसे पत्ता गोभी, मेथी आदि। पत्तेदार सब्जियां खाने से आयरन की कमी नहीं होती और खून की कमी भी पूरी होती रहती है। डॉक्टर भी इन्हीं को खाने की सलाह देते हैं विशेषकर पालक को। 100 ग्राम पालक खाने से लगभग 4 मि.ग्रा. आयरन मिल जाता है। आयरन के अतिरिक्त पालक में कैल्शियम, सोडियम, क्लोरीन, फास्फोरस, खनिज लवण और प्रोटीन आदि तत्व होते हैं। हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिये पालक एक बेहतरीन विकल्प है। इसे अपनी रोजाना के भोजन में शामिल करें। 

4. टमाटर (Tomato)- आयरन का एक और श्रोत है टमाटर। अपने भोजन में टमाटर को शामिल कीजिये। इसे आप सलाद के रूप में भी खा सकते हैं। टमाटर में विटामिन-सी और आयरन दोनों मौजूद होते हैं। प्रति 100 ग्रा. टमाटर से 0.27 मि.ग्रा. आयरन और 13.7 मि.ग्रा. विटामिन-सी मिल जाता है। हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिये टमाटर का सेवन करें। 

5. चुकंदर (Beetroot)- चुकंदर खून की कमी पूरा करने के लिये रामबाण उपाय है, एनीमिया से पीड़ित लोगों के लिये यह प्रकृति का उपहार है इसका सेवन करने से खून की कमी नहीं होती।  चुकंदर फल के अतिरिक्त इसकी पत्तियों में भी आयरन की मात्रा होती है। चुकंदर आयरन, फोलिक एसिड, फाइबर और पोटेशियम से समृद्ध होता है।  यह  शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या को बढ़ाने में मदद करता है और इससे मिलने वाले आयरन से हीमोग्‍लोबिन के स्तर में सुधार आता है। 100 ग्राम कच्चे चुकंदर में 0.8 मि.ग्रा. और पके चुकंदर में 0.79 मि.ग्रा. आयरन होता है। इसे आप सलाद, जूस के रूप में सेवन कर सकते हैं। 

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6. अनार (Pomegranate)- आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट से समृद्ध होता है। 100 ग्राम अनार के दानों से लगभग 0.3 मि.ग्रा. आयरन मिल जाता है। खून की कमी होने पर डॉक्टर भी आनार खाने, जूस पीने की सलाह देते हैं।  इसके सेवन से एनीमिया से जल्द ही राहत मिलती है और हीमोग्लोबिन के स्तर में सुधार होता है। 

7. अमरूद (Guava)- अमरूद में पाये जाने वाला विटामिन-सी, रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने के साथ-साथ शरीर में खून की अधिक मात्रा बनाने में मदद करता है। इससे एनीमिया से जल्द ही राहत मिल जाती है। अमरूद जितना पका होगा उतना ही अधिक पौष्टिक और  आयरन से समृद्ध होगा। प्रति 100 ग्राम अमरूद से 0.26 मि.ग्रा. आयरन मिल जाता है। अमरूद के सेवन से हीमोग्लोबिन के स्तर में बढ़ोतरी होती है। फाइबर की पर्याप्त मात्रा होने के कारण यह कब्ज से भी छुटकारा दिलाता है। 

8. शहतूत (Mulberry)- शहतूत बहुत ही मधुर फल है। इसमें एंटी-हीमोलिटिक अर्थात् हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने वाला गुण पाया जाता है। यह खून की कमी को पूरा करके एनीमिया से छुटकारा दिलाता है। विटामिन-सी, डी, बी6, बी12, ई, के, मैग्नेशियम, कैल्सियम और आयरन से भरपूर यह फल हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा करने के लिये प्रकृति के वरदान के समान है। प्रति 100 ग्राम शहतूत में 1.9 मि.ग्रा. आयरन होता है। 

9. आँवला और जामुन (Amla and Jamun)-  आँवला और जामुन ये दोनों ही विटामिन-सी और आयरन से भरपूर फल हैं जो रक्त निर्माण में मदद करते हैं। प्रति 100 ग्राम आँवला के जूस से 1.2 मि.ग्रा. आयरन और 100 ग्राम जामुन से 1 से 2 मि.ग्रा. आयरन मिल जाता है। बराबर मात्रा में इन दोनों के जूस को मिक्स करके पीने से हीमोग्लोबिन की कमी निश्चित रूप से जल्दी ही दूर हो जायेगी। लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में आँवला अपनी सक्रिय भूमिका निभाता है। 

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10. सेब (Apple)- बीमारी को दूर रखने का मूल मंत्र है प्रतिदिन एक सेब का सेवन।  हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा करने के लिये एक सेब रोजाना खायें या इसका जूस पीयें। अन्य पोषक तत्वों के साथ इसमें आयरन की भी पर्याप्त मात्रा होती है।  प्रति 100 ग्राम सेब में 0.12 मि.ग्रा. आयरन होता है। यदि हरा सेब मिल जाये तो और भी बेहतर है। सेब के जूस का स्वाद बढ़ाने के लिये अदरक या नींबू का जूस भी मिक्स कर सकते हैं। 

11. गुड़ (Jaggery)- अच्छे स्वास्थ के लिये और हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिये हेल्थ एक्सपर्ट्स चीनी की अपेक्षा गुण खाने की सलाह देते हैं। कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, पोटैशियम, सोडियम से समृद्ध गुड़ में आयरन की पर्याप्त मात्रा होती है। 100 ग्राम गुड़ से 10 मि.ग्रा. आयरन मिल जाता है। एनसीबीआई की वैज्ञानिक शोध के अनुसार एनीमिया से बचाव करने के लिए भोजन में आयरन युक्त गुड़ के साथ अन्य खाद्य पदार्थों को शामिल किया जा सकता है। इसका तात्पर्य है कि गुड़ खाने से खून की कमी दूर हो सकती है और हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाया जा सकता है।

12. पीनट बटर (Peanut Butter)- आयरन का एक और अच्छा और स्वादिष्ट श्रोत है मूंगफली से बनाया हुइ पीनट बटर। रोजाना सुबह के भोजन में ब्रेड पर पीनट बटर लगाकर खा सकते हैं। या इसका उपयोग भोजन में किसी और रूप में कर सकते हैं। सौ ग्राम पीनट बटर से 1.9 मि.ग्रा. आयरन मिल जाता है। 

13. डार्क चॉकलेट (Dark Chocolate)- चॉकलेट बनाने के लिये कोको का इस्तेमाल किया जाता है और कोको में आयरन की प्रचुर मात्रा होती है। 100 ग्राम डार्क चॉकलेट में 11.9 मि.ग्रा. आयरन होता है। इसके अतिरिक्त डार्क चॉकलेट में विटामिन-बी6, 0.038 मि.ग्रा. और विटामिन-बी12 0.28 माइक्रोग्राम होता है। इसके सेवन से ना केवल हीमोग्लोबिन का स्तर में वृद्धि होगी बल्कि थकान, अपच,  तनाव जैसे समस्याएं भी खत्म हो जायेंगी। 

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14. ड्राई फ्रूट्स (Dry Fruits)- दोस्तो, खाद्य पदार्थों में ड्राई फ्रूट्स की अलग ही दुनियां होती है। ये सामान्य खाद्य पदार्थों की तुलना में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ को बहुत तेजी से फायदा पहुंचाते हैं। किशमिश, काजू, पिस्ता, बादाम, खुबानी, अखरोट आदि पोषक तत्वों से समृद्ध होते हैं। इनमें पाये जाने वाले आयरन खून के निर्माण में मदद करके, खून की कमी को पूरा करते हैं और हीमोग्लोबिन का स्तर में वृद्धि करते हैं। किसमें कितना आयरन है, इसका विवरण निम्न प्रकार है –

(i)  किशमिश (Raisin)- किशमिश एनीमिया से बचाव का उत्तम उपाय है। और महिलाओं के लिये वरदान के समान। 100 ग्राम किशमिश में 1.88 मि.ग्रा. आयरन पाया जाता है। इसके अतिरिक्त इसमें विटामिन बी6 और कॉपर भी पाया जाता है। ये सब लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद करते हैं। शरीर में खून बनाने में विटामिन-बी कॉम्प्लेक्स की सक्रिय भूमिका होती है। किशमिश विटामिन-बी के पूरक के रूप में काम करती है।  विशेष तौर पर काली किशमिश खाने से हीमोग्लोबिन बढ़ता है। 

(ii) पिस्ता (Pistachio)- विटामिन बी-6 ब्लड वैसल्स को ऑक्सीजन ले जाने में मदद करने के साथ रक्त संचार में सुधार करता है। पिस्ता में विटामिन बी-6 और आयरन दोनों की पर्याप्त मात्रा होती है। 100 ग्राम पिस्ता में विटामिन बी6,  1.7 मि.ग्रा. और आयरन 3.93 मि.ग्रा. शरीर को पिस्ता के जरिये अधिक मात्रा में आयरन मिलता है जिससे  हीमोग्लोबिन में वृद्धि होती है। 

(iii) काजू (Cashew)- विटामिन-बी, सी, फोलेट, पोटेशियम, मेग्निशियम और फास्फोरस से भरपूर काजू में आयरन की भरपूर मात्रा होती है। 100 ग्राम काजू में 6.68 मि.ग्रा.आयरन।  

(iv) अखरोट (Walnut)- काजू की ही भांति अखरोट भी डाइटरी फाइबर, प्रोटीन, कार्बोहाड्रेट, कैल्शियम, फास्फोरस और आयरन से भरपूर होता है जो शरीर में रक्त उत्पादन में मदद करता है। 100 ग्राम अखरोट से 6.68 मि.ग्रा. आयरन की प्राप्ति होती है।

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(v) बादाम (Almond)- कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, विटामिन से भरपूर बादाम का सेवन करने से हीमोग्लोबिन की कमी को दूर किया जा सकता है। 10 ग्राम ड्राई रोस्टेड बादाम से 0.5 मि.ग्रा. आयरन मिल जाता है। 

(vi) खुबानी (Apricot)- खुबानी में आयरन के साथ-साथ अतिरिक्त फोलेट और कॉपर की भी पर्याप्त मात्रा होती है जो लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करने में सहायता करते हैं और हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाते हैं। लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करने में मदद करते हैं। 100 ग्राम खुबानी में  0.39 मि.ग्रा. आयरन होता है। 

15. अंडा और लाल मांस (Egg and Red Meat)– मांसाहारियों के लिये हीमोग्लोबिन बढ़ाने का उत्तम विकल्प अंडा और लाल मांस। अंडा, विटामिन, मिनरल्स, आयरन और कैल्शियम जैसे पोष्क तत्वों से भरपूर होता है। इसे प्रतिदिन सुबह के नाश्ते में सम्मलित करें।लाल मांस विटामिन-ए और डी, जिंक, आयरन तथा पोटैशियम से भरपूर होता है। जो हीमोग्लोबिन को बढ़ाने के साथ-साथ इम्युनिटी को भी बढ़ाता है। 

हीमोग्लोबिन ज्यादा होने के नुकसान – Side Effects of Hemoglobin

दोस्तो, हीमोग्लोबिन के कम हो जाने पर शरीर पर कुप्रभाव पड़ता है परन्तु इसकी मात्रा ज्यादा हो जाने पर भी कोई अच्छा प्रभाव नहीं होता बल्कि और समस्यायें पैदा हो जाती हैं। जानते हैं इनके बारे में, हीमोग्लोबिन के ज्यादा हो जाने पर हो सकती हैं ये निम्नलिखित समस्याऐं :-

1. जब भी आप कोई काम करते हैं, आपको बहुत जल्दी थकावट महसूस होती है। 

2. पेट से जुड़ी समस्याऐं हो सकती हैं जैसे पेट भरा-भरा सा रहने की वजह से भूख ना लगना, पेट के बायीं ओर दबाव महसूस होना, पेट दर्द, पेट पर सूजन आदि।

3. स्मरण शक्ति कमजोर हो जाना, कई बार भ्रम की स्थिति हो जाना। सोचने, समझने, विचार करने की क्षमता कमजोर हो जाती है। 

4. नाक से खून आ जाना।

5. दांतों और मसूड़ों से खून आना।

6. सिर में दर्द रहना

7. दृष्टी का धुंधला हो जाना

8. रक्त का गाढ़ा हो जाना, इससे सामान्य रक्त प्रवाह में बाधा आती है। फिर डॉक्टर रक्त पतला करने की दवाई देते हैं। 

Conclusion – 

दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको हीमोग्लोबिन की कमी दूर करने के उपाय के बारे में विस्तार से जानकारी दी। लाल रक्त कोशिकाऐं क्या होती हैं, हीमोग्लोबिन क्या होता है, शरीर में आयरन की मात्रा, हीमोग्लोबिन का कार्य, हीमोग्लोबिन की कमी क्या होती है, हीमोग्लोबिन कितना होना चाहिये, हीमोग्लोबिन की कमी के कारण, हीमोग्लोबिन की कमी के लक्षण, हीमोग्लोबिन की कमी से होने वाले रोग और हीमोग्लोबिन की जांच, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस लेख के माध्यम से आपको हीमोग्लोबिन की कमी दूर करने के उपाय बताये और हीमोग्लोबिन की मात्रा ज्यादा होने के नुकसान भी विस्तार से बताये। आशा है आपको ये लेख अवश्य पसन्द आयेगा। 

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Disclaimer – यह लेख केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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हीमोग्लोबिन की कमी दूर करने के उपाय - Remedies to Overcome Hemoglobin Deficiency in Hindi
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हीमोग्लोबिन की कमी दूर करने के उपाय - Remedies to Overcome Hemoglobin Deficiency in Hindi
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दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको हीमोग्लोबिन की कमी दूर करने के उपाय के बारे में विस्तार से जानकारी दी। लाल रक्त कोशिकाऐं क्या होती हैं, हीमोग्लोबिन क्या होता है, शरीर में आयरन की मात्रा, हीमोग्लोबिन का कार्य..
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