कैंसर दुनियाभर की सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक माना जाता है। कैंसर कई तरह के होते हैं, जो हमारे शरीर के किसी निश्चित अंग को प्रभावित करते हैं और फिर धीरे-धीरे बड़े हिस्से में फैल जाता है। कुछ कैंसर मुख्य रूप से केवल पुरुषो को ही होते है। तो कुछ सिर्फ महिलाओ को ही होता है। सबसे ज्यादा महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित होती है। और ब्रेस्ट कैंसर के बाद महिलाओ को सबसे ज्याद खतरा सर्वाइकल कैंसर का होता है। सर्वाइकल कैंसर को आसान भाषा में ‘बच्चेदानी के मुंह का कैंसर’ कहा जाता है। सभी कैंसर की तरह इसका भी इलाज किया जाता है। इस बीमारों को ठीक करने के लिए सबसे पहले आपको इसकी पहचान करना बहुत जरूरी है। देसी हेल्थ क्लब आपको अपने इस लेख के जरिए सर्वाइकल कैंसर से बचाव के उपाय के बारे में विस्तार से जानकरी देगा और इसके कारण तथा लक्षण भी बताएगा।
महिलाओं की सबसे बड़ी कमी है, कि वह अपनी दिक्कत परेशानियों को बताती नहीं है। और न ही किसी के साथ साझा करती हैं। सबसे पहले सर्वाइकल कैंसर के बारे में लोगों को जागरूक होना पड़ेगा क्योंकि बहुत सारी महिलाएं जानती ही नहीं है कि गर्भाशय ग्रीवा कैंसर यानी कि सर्वाइकल कैंसर भी होता है।
क्या आपको बता है? महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौत का सबसे बड़ा कारण सर्वाइकल कैंसर ही है। आकड़ो के अनुसार समय पर इलाज न मिलने पर 15 से 44 उम्र की महिलाओ में ये सर्वाइकल कैंसर ही दूसरा सबसे बड़ा कारण देखने को मिला है। भारत में ग्रीवा कैंसर के लगभग 1,22,000 नए मामले सामने आते हैं। कैंसर से संबंधित कुल मौतों का 11.1 प्रतिशत कारण सर्वाइकल कैंसर ही है। यह स्थिति और भी खराब इसलिए हो जाती है, कि देश में मात्र 3.1 प्रतिशत महिलाओं की इस हालत के लिए जांच हो पाती है, जिससे बाकी महिलाएं खतरे के साये में ही जाती है।
सर्वाइकल कैंसर क्या है? – What is Cervical Cancer?
गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर यानी सर्वाइकल कैंसर तब होता है। जब कोशिकाए गर्भाशय ग्रीवा में प्रवेश द्वार के अंदर जा कर असामान्य रूप से विकसित होती हैं।सर्विक्स की लाइनिंग में दो तरह की कोशिकाएं होती हैं- 1 . स्क्वैमस या फ्लैट कोशिकाएं और 2. स्तंभ कोशिकाएं. गर्भाशय ग्रीवा के क्षेत्र में जहां एक सेल दूसरे प्रकार की सेल में परिवर्तित होती है, उसे स्क्वेमो-कॉलमर जंक्शन कहा जाता है। यह ऐसा क्षेत्र है, जहां कैंसर के विकास की सबसे अधिक संभावना रहती है। गर्भाशय-ग्रीवा का कैंसर धीरे-धीरे विकसित होता है और समय के साथ पूर्ण विकसित हो जाता है। सर्वाइकल कैंसर होने का सबसे बड़ा कारण ह्यूमन पेपीलोमा वायरस (HPV) को माना जाता है। इसके अलावा यह स्मोकिंग, प्रेग्नेंसी के कारण भी हो सकता है।
सर्वाइकल कैंसर के प्रकार – Types of Cervical Cancer
एक माइक्रोस्कोप के नीचे कोशिकाओं के विश्लेषण करने से सर्वाइकल कैंसर के प्रकारों का अंतर किया जा सकता है। महिलाओं में मुख्य रूप से तीन प्रकार के सर्वाइकल कैंसर हैं। जैसे कि –
1 . स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Squamous Cell Carcinoma)– 80% से 90% सर्वाइकल कैंसर के मामले स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा से उत्पन्न होते हैं, जो गर्भाशय ग्रीवा के निचले भाग में परतदार, सपाट कोशिकाओं के लिए ग्रीवा कैंसर की परिभाषा है।
2 . मेटास्टेटिक सर्वाइकल कैंसर (Metastatic Cervical Cancer)– जब सर्वाइकल कैंसर शरीर के विभिन्न क्षेत्रों में फैलता है, तो इसे मेटास्टेटिक सर्वाइकल कैंसर के रूप में जाना जाता है।
3 . एडेनोकार्सिनोमा (Adenocarcinoma)– जब कैंसर के ट्यूमर ग्रीवा के ऊपरी हिस्से में ग्लैंड्स की कोशिकाओं में विकसित होते हैं, तब इसे एडेनोकार्सिनोमा कहा जाता है।
सर्वाइकल कैंसर के कारण – Cause of Cervical Cancer
सर्वाइकल कैंसर तब होता है। जब कोई कोशिकाएं शरीर में असमान्य रूप से बढ़ने लगता है। और अनियंत्रित रूप से सभी जगह फैल जाती है। मनुष्य के शरीर में कोशिकाओं का एक जीवन चक्र होता है। जब यह कोशिकाएं मर जाती है तो दूसरी कोशिकाओं का जन्म होता है। सर्वाइकल कैंसर तब होता है। जब कोशिकाएं मरती नहीं हैं या विभाजित होती रहती हैं। महिलाओं में मुख्य ग्रीवा कैंसर के कारण निम्लिखित हैं।
1 . जब कोई महिला एक से अधिक लोगो के साथ यौन सम्बन्ध बनती है। या कम उम्र से यौन सक्रिय होने से एसटीडी का संभावित संचरण होता है , जो गर्भाशय ग्रीवा / सर्वाइकल कैंसर के का कारण बनता है।
2 . कमजोर इम्यून सिस्टम, इम्यूनो प्रेसिव दवाओं का प्रयोग करने वाली महिलाये और वो महिलाएं जो एचआईवी या एड्स से प्रभावित होते है।
3 . अधिक समय तक तनाव में रहना भी एक कारण बन सकता है। और जो लोग शराब पीने और सिगरेट पीने जैसी विनाशकारी आदतों का शिकार हो जाते है। उन महिलाओ को भी होते का ज्यादा खतरा रहता है।
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4 . जो महिलाएं 17 साल या उससे कम उम्र में बच्चे को जन्म देती हैं। उन महिलाओ में सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। एकाधिक गर्भधारण से भी सर्वाइकल कैंसर के लक्षण विकसित होने की संभावना अधिक हो जाती है।
5 . जो महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग करती है। उन्हें भी इस बीमारी का जोखिम बढ़ जाता है।
6 . एचपीवी (मानव पेपिलोमावायरस) जैसे यौन संचारित वायरस गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का कारण होते हैं। एचपीवी के 100 में से 13 प्रकार महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का कारण बनते हैं।
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण – Symptoms of Cervical Cancer
सर्वाइकल कैंसर के शुरुआत में कुछ निम्न प्रकार के लक्षण सपने देखने को आए है। जैसे कि –
1 . बार-बार यूरिनरी ट्रैक्ट में इन्फेक्शन होना।
2 . गुदा में दर्द होना या खून का बहना।
3. अचानक से वजन का घटना।
4 . पैरो में सूजन होना।
5 . बार बार पेशाब आना ,पेशाब करने के दौरान खून आना, और पेशाब को नियंत्रित न कर पाना।
6 . अत्यधिक सफेद स्राव का होना। जो दुर्गंधयुक्त हो सकता है।
7 . मल त्यागते समय खून का आना।
8 . संभोग के दौरान खून आना।
9 . अनियमित पीरियड्स का आना।
10 . बिना कुछ काम किए भी थकावट हमेशा बनी रहना।
सर्वाइकल कैंसर का निदान – Cervical Cancer Diagnosis
इस बीमारी के कारणों को पता लगाने के लिए सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग परीक्षणों का प्रयोग किया जाता है। डॉक्टर्स इसकी रोकथाम और इलाज के लिए गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल कैंसर) के कैंसर निदान परीक्षणों की सलाह देते है जो इस प्रकार हैं-
1 . सीटी स्कैन (CT Scan)- सर्वाइकल कैंसर के इलाज में एक बेरियम तरल का उपयोग करके असामान्यताओं का पता लगाया जाता है।
2 . एमआरआई (MRI)- महिलाओ में सर्वाइकल कैंसर के लक्षण तथा कारणों का पता लगाने के लिए निम्न प्रकार का एमआरआई कराया जाता है।
3. बायोप्सी (Biopsy)- आपके ग्रीवा टिश्यू का एक छोटा सा हिस्सा सामान्य एनेस्थीसिया का प्रयोग करके ग्रीवा के कैंसर परीक्षण में निकाला जाता है।
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4 . एचपीवी डीएनए टेस्ट (HPV DNA Test)– एचपीवी डीएनए परीक्षण (पीएपी परीक्षण) से पता चलता है कि क्या मरीज के सेल डीएनए में कोई उच्च जोखिम वाले एचपीवी स्ट्रेन हैं जो बाद में गर्भाशय ग्रीवा की सेल असमानताओं का कारण बनेगा।
5 . रक्त परीक्षण (Blood Test)- रक्त परीक्षण से किडनी और लीवर की गड़बड़ी का पता लगाया जाता है। जो गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के कारण हो सकता है।
6 . पेल्विक अल्ट्रासाउंड (Pelvic Ultrasound)– पेल्विस का इमेजिंग पेल्विक अल्ट्रासाउंड का प्रयोग करके किया जाता है जो असामान्यताओं का पता लगाने के लिए उच्च-फ्रीक्वेंसी ध्वनि तरंगों का प्रयोग करता है।
7 . कोलोनोस्कोपी (Colonoscopy)– योनि में एक स्पेकुलम और एक आवर्धक उपकरण का प्रयोग करके असामान्य सेल्स का निर्धारण करने के लिए जांच की जाती है।
सर्वाइकल कैंसर से बचाव के उपाय -How to Recover Cervical Cancer
सर्वाइकल कैंसर से बचने ले लिए बहुत ही चीजों का ध्यान रखना बहुत जरुरी है।
एचपीवी टीकाकरण- सर्वाइकल कैंसर से बचाव एक एचपीवी टीका उपलब्ध है। जो सभी प्रकार के एचपीवी बीमारियों से बचता है। यह बताया जाती है की ,जो 9 से 15 उम्र की लड़किया है। उन्हें एचपीवी का टीकाकरण जरूर करवाना चाहिए। इसके पूरी 3 टिका का खुराक होता है। एचपीवी टीका सर्वाइकल कैंसर होने की संभावना को 96 प्रतिशत तक कम कर देता है। एचपीवी का टीका 15 वर्ष से ज्यादा उम्र की महिलाएं भी ले सकती हैं।
नियमित स्त्री रोग संबंधी जांच- संभोग के दौरान कंडोम का प्रयोग करें।
1. जननांग स्वच्छता बनाए रखें।
2. यौन साझेदारों की सीमित संख्या।
3. 18 साल की उम्र तक संभोग में देरी।
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4. धूम्रपान छोड़ें।
5. बच्चों की सीमित संख्या।
6. रोजाना योगा करें और टहलें जरूर ।
7. हेल्थी और अच्छी डाइट लें खाने पीने में हरी साग सब्जियों को शामिल करें।
सर्वाइकल कैंसर के उपचार – Cervical Cancer Treatment
सर्वाइकल कैंसर का उपचार अब आसान हो जाता है। जब हमें इस बीमारी का जल्दी ही पता चल जाता है। और इसका जल्द ही उपचार किया जाए। इसका उपचार कुछ इस तरह है।
1 . कीमोथेरेपी (Chemotherapy)- इसमें दवाइयों द्वारा इलाज किया है। जो तेजी से बढ़ने वाली सर्वाइकल कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए रसायनों का उपयोग करता है।
2 . विकिरण चिकित्सा (Radiation Therapy)- यह सर्वाइकल कैंसर पहली स्टेज पर उपयोग किया जाता है। इस पप्रक्रिया में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए उच्च खुराक वाले एक्स-रे या प्रोटॉन का प्रयोग किया जाता है। यदि कैंसर का खतरा बढ़ जाता है तो इसका प्रयोग सर्जरी के बाद किया जाता है।
3 . क्रायोथेरेपी (Cryotherapy) – 90 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर कार्बन डाइऑक्साइड या नाइट्रोजन लगाया जाता है। यह असामान्य कोशिकाओं को खत्म करता है और छोटे ट्यूमर को नष्ट कर देता है। ट्यूमर के आकार और स्थान के आधार पर इसमें कुछ मिनट से लेकर कुछ घंटों तक का समय लग सकता है।
4 . लेजर थेरेपी (Laser Therapy)- लेजर एब्लेशन के रूप में भी जाना जाता है, असामान्य ग्रीवा कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए एक उच्च शक्ति वाले लेजर का उपयोग होता है और स्थानीय संज्ञाहरण के तहत किया जाता है। यह एक आउट पेशेंट प्रक्रिया है और आमतौर पर केवल एक सत्र की आवश्यकता होती है।
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5. हिस्टेरेक्टॉमी (Hysterectomy)- इसमें पूरे गर्भाशय को हटा दिया जाता है, और उन महिलाओं में किया जाता है जिन्होंने अपना परिवार पूरा कर लिया है या उन महिलाओं में जिनकी आगे बच्चे पैदा करने की कोई योजना नहीं है। अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब को तब तक छोड़ दिया जाता है जब तक कि उन्हें भी हटाने के संकेत न हों। यह लोअर स्पाइनल या जनरल एनेस्थीसिया के तहत किया जाता है।
6 . छंटना (Cut Off)- लूप इलेक्ट्रोसर्जिकल एक्सिशन प्रोसीजर (एलईईपी) नामक एक विधि द्वारा पूरे गर्भाशय ग्रीवा को हटा दिया जाता है। एक कम वोल्ट का करंट एक पतले स्टेनलेस स्टील वायर लूप के माध्यम से पारित किया जाता है जिसका उपयोग ऊतक को काटने और निकालने के लिए किया जाता है। यह स्थानीय संज्ञाहरण के तहत किया जाता है।
भारत में सर्वाइकल कैंसर की कीमत क्या है? – What is the Cost of Cervical Cancer in India?
भारत में सर्वाइकल कैंसर कुल कीमत INR 1,80,000 से INR 2,30,000 तक होती है। लेकिन भारत में सर्वाइकल कैंसर कीमत हर अस्पतालों में अलग-अलग होती है। और यह स्टेंट की संख्या और इस्तेमाल किए जाने वाले स्टेंट के प्रकार पर भी निर्भर करता है।
सर्वाइकल कैंसर का ट्रीटमेंट – Cervical Cancer Treatment
अन्य कैंसर की तरह ही अगर सर्वाइकल कैंसर के बारे में शुरुआती स्टेज पर ही पता चल जाए तो इसका इलाज भी संभव है।
1- महिलाओं को नियमित रूप से अपनी जांच करवानी चाहिए।
2- हर तीन साल पर पैप स्मीयर टेस्ट करवाना चाहिए।
3- एचपीवी वायरस से बचाव के लिए लगाए जाने वाले टीके भी लगवाने चाहिए।
4- साथ ही धू्म्रपान न करें, अपनी रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए हेल्दी खाना खाएं और एक्सर्साइज़ करें।
Conclusion
हेलो दोस्तों आज के आर्टिकल में हमने आपको सर्वाइकल कैंसर से बचाव के उपाय के बारे में बताया है। तथा इसके साथ सर्वाइकल कैंसर क्या है? सर्वाइकल कैंसर के प्रकार और सर्वाइकल कैंसर के कारण भी बताए है। इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस लेख के माध्यम से सर्वाइकल कैंसर से बचाव के उपाय भी बताये। आशा है आपको ये लेख अवश्य पसन्द आयेगा।
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Disclaimer – यह लेख केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।
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