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अंडकोष में दर्द के उपाय – Treatment of Pain in Testicles in Hindi

अंडकोष में दर्द के उपाय

दोस्तो, आपका स्वागत है हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, हमारे शरीर के कुछ अंग बहुत संवेदनशील (Sensitive) और नाजुक होते हैं जैसे आंख, नाक, कान या घुटने से नीचे टांग की हड्डी। इनमें थोड़ी सी भी चोट लग जाये तो बहुत तेज दर्द होता है, जैसे कि आदमी की जान ही निकल जायेगी। चोट कभी-कभी बहुत गंभीर बीमारी का रूप भी ले लेती है। पुरुष में एक ऐसी ही जगह और है जहां यदि हल्की सी भी चोट लग जाये तो बहुत भयंकर दर्द होता है, कई बार तो आदमी बेहोश भी हो जाता है। यदि जोर से चोट लग जाये तो आदमी की तुरंत मृत्यु भी हो सकती है। यह अंग पुरुष का सबसे कमजोर लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण अंग होता है। दोस्तो, हम बात कर रहे हैं अंडकोष की। यदि अंडकोष में चोट लग जाये या अन्य किसी कारणवश दर्द हो जाये तो क्या करना चाहिये? जी हां, दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “अंडकोष में दर्द के उपाय”। देसी हैल्थ क्लब आज आपको अंडकोष के विषय में विस्तृत जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि अंडकोष में दर्द से राहत पाने के क्या देसी उपाय हैं और क्या सावधानियां  बरतनी चाहिए। तो सबसे पहले जानते हैं कि अंडकोष क्या होता है।

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अंडकोष में दर्द के उपाय
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अंडकोष क्या होता है? – What is Testicle?

दोस्तो, बहुत सरल भाषा में समझिये कि पुरुष के जननांग के नीचे लटकती हुई त्वचा की एक थैली नुमा ग्रन्थि होती है। इस थैली में दो वृषण (Testes) होते हैं। इन्हीं वृषण को अंडकोष (Testicles) कहा जाता है। लोब्यूल्स (Lobules) नामक ऊतक (Tissues) वृषण को अंडे का आकार प्रदान करते हैं। जिस थैली में ये रहते हैं उसे अंडकोष की थैली  (Scrotum) कहा जाता है। इस थैली की त्वचा इस प्रकार ढीली होती है कि गर्मियों में अधिक बढ़कर लटक जाती है और सर्दियों में सिकुड़ कर छोटी हो जाती है। कुल मिलाकर यानी अंडकोष की थैली और वृषण को अंडकोष ही कहा जाता है। प्रत्येक अंडकोष की लंबाई लगभग 5 सेमी और चौड़ाई 2।5 सेमी होती है। ये वृषण एक नलिका के द्वारा जुड़े होते हैं जिसे शुक्रवाहिका (Vas Deferens) कहा जाता है जो शुक्राणुओं को अंडकोष से मूत्रमार्ग तक पहुंचाती है। और दूसरी ओर ये अन्य ग्रंथि से जुड़े होते हैं जिनको सेमिनाल वेसाईकल (Seminal Vesicle) कहा जाता है। ये वृषण अपने तापमान को यह शरीर के तापमान की तुलना में, दो डिग्री सेंटीग्रेड कम पर बनाये रखते हैं क्योंकि कम तापमान पर निर्मित शुक्राणु और इनकी गुणवत्ता दोनों ही उच्चतम श्रेणी के होते हैं। 

अंडकोष के मुख्य कार्य और कार्य प्रणाली – Main Functions and Function of the Testicle

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दोस्तो, अंडकोष का मुख्य काम शुक्राणुओं का निर्माण करना, इसका भंडारण (Storage) करना और पुरुष में ऐसे हार्मोन्स का निर्माण करना जो पुरुष और पुरुषत्व के लक्षणों को उजागर करे यौन क्रियाकलापों को करने के लिये प्रेरित करे। विस्तृत विवरण निम्न प्रकार है – 

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1. अंडकोष एंड्रोजन (Androgens) नामक पुरुष हार्मोन का निर्माण करते हैं जो प्रजनन प्रणाली को नियंत्रित करते हैं और शरीर में पुरुष के लक्षणों के विकास में मदद करते हैं जैसे कि दाढ़ी-मूंछ बनना, सपाट सीना और गहरी पुरुष वाली आवाज।

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2. अंडकोष द्वारा टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) नामक सेक्स हार्मोन का उत्पादन करना। यह एंड्रोजन समूह का ही एक स्टेरॉयड (Steroid) हार्मोन है। यह टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन, पुरुष जननांग के विकास में मदद करता है, यौन क्रियाकलापों को बढ़ा कर सेक्स करने के लिये प्रेरित करता है। यह ब्लड सर्कुलेशन और मांसपेशियों के निर्माण, एकाग्रता (Concentration) मूड और स्मृति में भी अपनी सकारात्मक भूमिका निभाता है। स्वस्थ पुरुष के अंडकोष से प्रतिदिन लगभग 6 मि।ग्रा। तक टेस्टोस्टेरॉन का उत्पादन हो सकता है।

3. शुक्राणुओं का उत्पादन करना अंडकोष का प्रमुख कार्य होता है। इनका उत्पादन जिन नलिकाओं में होता है उनको अंडकोष की वीर्योत्पादक (Seminiferous) नलिका कहा जाता है जो 700 से 900 के लगभग नलिकाऐं होती हैं। उत्पादन के समय शुक्राणु परिपक्व (Mature) होने के लिये अधिवृषण (Epididymis) में से गुजरते हैं जोकि लंबी कुंडलित नलिका (Long Coiled Tube) होती है।  परिपक्व होने के बाद ये शुक्राणु , सेक्स के समय पुरुष के स्खलन (Discharge) होने के समय, शुक्रवाहिका (Vas Deferens) नलिका द्वारा बाहर निकलने को तैयार रहते हैं। 

4. वीर्य पुटिकाओं (Seminal Vesicles) और प्रोस्टेट ग्रंथि (Prostate Gland) द्वारा छोड़ा गया तरल पदार्थ, शुक्राणु कोशिकाओं के साथ मिलकर शुक्रवाहिका (Vas Deferens) नलिका में वीर्य (Semen) का निर्माण करते हैं।

अंडकोष में दर्द क्या होता है? – What Causes Testicular Pain

दोस्तो, हम ऊपर बता चुके हैं कि अंडकोष यानी वृषण जिनका आकार अंडे के समान होता है, अंडकोष की थैली Scrotum में रहते हैं। यह थैली इनकी रक्षा करती है। यदि इस थैली पर थोड़ा सा भी दबाव पड़ता है या कोई जरा सी चोट भी लगती है, या कोई असहजता महसूस होती है तो इसका सीधा प्रभाव अंडकोष पर पड़ता है जो दर्द के रूप में आपको महसूस होता है। इसी को अंडकोष का दर्द कहा जाता है। अंडकोष में दर्द होने के अनेक कारण हो सकते हैं जिनका जिक्र हम बाद में करेंगे। यह दर्द बहुत कम समय के लिये या कुछ ज्यादा समय के लिये या बहुत लंबे समय तक चलने वाला हो सकता है, निर्भर करता है कारणों और परिस्थितियों पर। दर्द कितना है? कम है, ज्यादा है या बहुत ज्यादा है और असहनीय है। यह भी कारणों पर निर्भर करता है। परन्तु एक बात का ध्यान अवश्य रखें कि दर्द को कभी नजरअंदाज (Ignore) नहीं करना चाहिये, तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिये क्योंकि यह दर्द भविष्य में गंभीर  बीमारी का रूप ले सकता है।

अंडकोष से जुड़ी कुछ बीमारियां – Some Diseases Related to Testicles

1. गुप्त वृषणता (Undescended Testicle – Cryptorchidism) – सामान्यतः बच्चा (पुरुष) जन्म से दो अंडकोष के साथ ही पैदा होता है। भ्रूण निर्माण के समय सातवें महीने में यह बच्चे की अंडकोष की थैली (Scrotum) में गिर जाते हैं।  परन्तु किसी-किसी मामले में यह जन्म से पहले एक या दोनों अंडकोष, स्क्रोटम (Scrotum) में नहीं गिरते हैं। ऐसी स्थिति के साथ जन्म लेने वाले बच्चे में यह रोग गुप्त वृषणता की समस्या माना जाता है।

2. हाइड्रोसील (Hydrocele) –  चोट लगने या सूजन के कारण अंडकोष के आसपास गुहाओं में अतिरिक्त तरल पदार्थ इक्ट्ठे हो जाने से अंडकोष के बढ़ने की समस्या हो जाती है। इसे हाइड्रोसील कहा जाता है।

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3. रीट्रेकटाइल टेस्टिकल (Retractile Testicle) – यदि एक अंडकोष ग्रोइन एरिया (Groin Area – पेट और जांघ मिलने वाली वाला Curved एरिया) और अंडकोष की थैली के बीच चला जाये तो इसे वापस लाया जा सकता है। परन्तु, यदि यह अटक जाये तो इसे वापस लाने के लिये सर्जरी करनी पड़ती है। इस स्थिति को असेंडिंग अंडकोष (Ascending Testicle) या अनडिसाइडेड वृषण (Undescended Testicle) की समस्या कहा जाता है।

4. वृषण मरोड़ (Testicular Torsion Or Twisted Testicle) – जब अंडकोष या किसी अन्य ज़ोरदार गतिविधि, कारण से चोट लगने पर स्पर्मेटिक कोर्ड (Spermatic Cord) मुड़ जाती है तो ब्लड सर्कुलेशन, तंत्रिका कार्य और शुक्राणु परिवहन आदि की कार्य प्रणाली में बाधा आ जाती है। यह अत्यंत दुर्लभ समस्या मानी जाती है। 

5. अंडकोष में सूजन (Orchitis) – यह बीमारी बैक्टीरिया और वायरल दोनों प्रकार के संक्रमणों के कारण होती है जिसमें अंडकोष सूजन आ जाती है। इसमें  बुखार, मिचली, उल्टी, अंडकोष में दर्द आदि लक्षण रहते हैं। यह स्थिति एपिडिडीमाइटिस (Epididymitis) के समान  एक यौन संचारित रोग के कारण बनती है। 

6. क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम (Klinefelter’s Syndrome) –  यह एक स्थिति होती है जिसमें जन्म से ही पुरुष एक अतिरिक्त X गुणसूत्र मौजूद होता है। इस स्थिति में  टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन का उत्पादन कम होता है। इसे आनुवांशिक स्थिति कहा जाता है जो अंडकोष को सामान्य रूप से विकसित नहीं होने देती। 

7. हाइपोगोनैडिज्म (Hypogonadism) – इस बीमारी में मस्तिष्क टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन उत्पादन को ठीक तरह से उत्तेजित नहीं कर पाता। इसीलिये यह शरीर में पर्याप्त टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन की कमी का कारण बनती है। यह स्थिति जन्मजात होने के अतिरिक्त चोट लगने, संक्रमण या कोई अन्य कारण से बन सकती है।  

8. अंडकोष में कैंसर (Testicular Cancer) – यह सबसे अधिक खतरनाक स्थिति होती है। अंडकोष का ट्यूमर आसपास के ऊतकों में पहुंच कर, इसके शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकने की संभावना होती है। आमतौर पर यह कैंसर शुक्राणु उत्पन्न करने में मदद करने वाली ट्यूबलर टेस्टिकल (Tubular Testicle) संरचनाओं से आरम्भ होता है। इस बीमारी की चपेट में अधिकतम 15 से 34 साल के पुरुष आते हैं। 

अंडकोष में दर्द के कारण – Causes of Testicular Pain

अंडकोष में दर्द के हो सकते हैं निम्नलिखित कारण – 

1. अंडकोष में चोट लग जाना।

2. डायबिटीज के कारण अंडकोष की थैली की नसों को क्षति पहुंचना।

3. स्पर्माटोसील या अंडकोष में फ्लूड के कारण दर्द हो जाना।

4. हाइड्रोसील, इसमें अंडकोष की थैली में द्रव बनने लगता है और सूजन बढ़ने लगती है। 

5. एपिडिडीमाइटिस जैसे यौन संचारित रोग या यौन सम्बंधी बैक्टीरिया, वायरस के कारण अंडकोष में सूजन।

6. अंडकोष में चोट लगने से स्पर्मेटिक कोर्ड (Spermatic Cord) का मुड़ जाना। 

7. अंडकोष में ज्यादा बढ़ी हुई नसों के समूह या वेरीकोसील (अंडकोष की सूजी हुई नसों) की समस्या के कारण दर्द होना।

8. अंडकोष का अंडकोष की थैली के बीच चले जाना या ग्रोइन एरिया (Groin Area) में अटक जाना।  

9. प्रोस्टेट ग्रंथि में संक्रमण या सूजन। प्रोस्टेट ग्रंथि पुरुषों में मूत्राशय के नीचे होती है जो वीर्य का उत्पादन करती है, शुक्राणु का पोषण और उनका परिवहन करती है। 

10. किडनी में पथरी होने के कारण।  

11. अंडकोष में कैंसर (Testicular Cancer) की वजह से दर्द होना। 

12. इंग्विनल हर्निया (Inguinal hernia)।

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13. मूत्र पथ में संक्रमण (UTI)।

14. पुरुष नसबंदी (Vasectomy) भी अंडकोष में दर्द की वजह हो सकती है।

15. एंटीबायोटिक्स और कीमोथेरेपी की दवाओं के साइड इफेक्ट्स।

अंडकोष में दर्द के लक्षण – Symptoms of Testicle Pain

1. अंडकोष में या/और अंडकोष की थैली में सूजन,  संवेदनशीलता (Sensitivity) और इन जगहों का लाल जैसे हो जाना। 

2. किसी एक अंडकोष में गांठ या सूजन। इसमें दर्द हो भी सकता है और नहीं भी।

3. किसी अंडकोष का कठोरता हो जाना या कुछ बदलाव लगना। 

4. किसी एक अंडकोष में दर्द होना, कभी धीरे-धीरे या कभी तेज। 

5. ग्रोइन एरिया (Groin Area) में दर्द।

6. मूत्र विसर्जन में दर्द होना या जलन होना। 

7.  यौन क्रिया के समय दर्द होना।

8. स्खलित (Discharge) होते समय दर्द होना।

9. वीर्य में रक्त आना।

10. बुखार होना।

11. मिचली आना, उल्टी होना।

12. अंडकोष में हल्की सी भी चोट लगने पर दर्द के कारण आंखों से आंसु आना, हल्की सी मूर्ति भी हो सकती है। हाथ अपने आप अंडकोष पर आ जाते हैं। 

अंडकोष में दर्द के उपाय – Treatment of Pain in Testicles

दोस्तो, देसी हैल्थ क्लब यहां स्पष्ट करता है कि अंडकोष के दर्द को हल्के में ना लें, यह किसी गंभीर समस्या की ओर संकेत हो सकता है। इसलिए तुरंत डॉक्टर से संम्पर्क करें। देसी उपाय, बहुत हल्की-फुल्की चोट में या हल्के दर्द में कुछ समय के लिये राहत दिला सकते हैं। स्थाई उपचार के लिए डॉक्टरी चिकित्सा आवश्यक है। तो, अब जानते हैं देसी उपायों के बारे में। 

मूल (Basic) उपाय –

1. कारण समझने की कोशिश करें (Try to Understand the Reason)- कई बार जब बच्चे खेल रहे होते हैं तो कोई बच्चा गिर पड़ता है उसे चोट लगी है या गेंद आकर लगी है या गेंद किसी और को लगी है या कोई भी व्यक्ति कोई गतिविधि करते हुऐ गिर जाता है या किसी भी प्रकार उसे चोट लगी है या बिना चोट लगे ही अचानक किसी को दर्द हुआ है; इन सभी स्थितियों में पहले मरीज को लिटायें, उसे पानी पिलायें और उससे बात करके समझने की कोशिश कीजिए कि उसको नीचे चोट लगी है या अचानक ही दर्द हुआ है ताकि आप डॉक्टर को सही से बता सकें। इससे डॉक्टर को उचित उपचार करने में आसानी हो जायेगी।

2. सपोर्टर पहनें (Wear Supporter)- दर्द की स्थिति में सपोर्टर पहनें, इससे अंडकोष आरामदायक स्थिति में रहेंगे और चलने फिरने में भी तकलीफ नहीं होगी। अंडकोष का बढ़ना रुक जाएगा और अपनी जगह से इधर-उधर खिसक कर ऊपर अंडकोष ग्रंथि में चढ़ने या अटकने की संभावना नहीं होगी। रात को सोते समय सपोर्टर को थोड़ा ढीला कर लें जिससे की हवा लगे।

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3. बर्फ़ से सेकें (Bake Ice)- सिंकाई पद्यति की भी आयुर्वेदिक उपचार में सकारात्मक भूमिका होती है। किसी बीमारी में गर्म पानी या तवे पर कपड़े को गर्म करके सिंकाई करने को कहा जाता है तो कभी किसी बीमारी में बर्फ़ की सिंकाई बताई जाती है। आयुर्वेद में अंडकोष में दर्द के उपचार में बर्फ से सिकाई करना लाभप्रद माना गया है। 

4. गुनगुने पानी से नहाएं (Take a Warm Bath)- अंडकोष में चोट या हार्निया के कारण होने वाले दर्द में गुनगुने पानी से नहाने से आराम मिलता है। ध्यान रहे पानी अधिक गर्म ना होकर हल्का गुनगुना हो तो बेहतर है। इसकी हल्की गरमाहट से अंडकोष के दर्द में धीरे-धीरे कमी आने लगती है। हल्के गुनगुने पानी से अंडकोष का तापमान भी शरीर के तापमान से अधिक नहीं होगा।

5. अंडकोष अच्छे से साफ करें (Clean the Testicles)- नहाते समय अंडकोष क्षेत्र की और जननांग की अच्छी तरह साफ़ करें। नहाने के बाद या बर्फ़ की सिंकाई के बाद इस क्षेत्र को अच्छे से पूंछ कर सुखा लें। यह गीला नहीं रहना चाहिये। 

अन्य उपाय – Other Treatment 

1. अदरक (Ginger)- अदरक में एंटी इन्फ्लामेट्री यानी सूजन को कम करने वाले और एनाल्जेसिक अर्थात दर्द निवारक दोनों ही गुण मौजूद होते हैं। इस कारण इसका सेवन अंडकोष की सूजन और दर्द में लाभकारी है। 10 से 20 मि।ली। अदरक के रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर पिएं, अंडकोष की सूजन और दर्द में आराम लग जाएगा।

2. कद्दू (Pumpkin) – कद्दू में भी एंटी इन्फ्लामेट्री यानी सूजन को कम करने वाले गुण पाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें एंटीबायोटिक गुण भी मौजूद होते है, जो अंडकोष में होने वाली सूजन या दर्द जैसी समस्याओं को दूर करने में मददगार होते हैं। कद्दू के बीजों को खाने से इन समस्याओं से राहत मिल सकती है। 

3. दूध (Milk)- दूध पीने से भी अंडकोष में दर्द और सूजन जैसी  समस्याओं से राहत मिल सकती है। एक गिलास दूध में एक चम्मच अरंडी का तेल मिलाकर पियें। आराम आ जायेगा।  

4. हल्दी-दूध (Turmeric Milk)- चोट, सूजन और दर्द के उपचार के लिये आयुर्वेद में हल्दी-दूध का सेवन सर्वोत्तम माना गया है। हल्दी ऐसे ही नहीं पीयी जा सकती इसलिए इसको दूध में  मिलाना पड़ता है। दूध में कैल्शियम होता है जो हड्डियों के स्वास्थ्य के लिये आवश्यक है। हल्दी में एंटी इन्फ्लामेट्री, एंटीबायोटिक और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। यह प्राकृतिक रूप से एंटीसेप्टिक के रूप में काम करती है। एक गिलास दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर पियें, निश्चित रूप से अंडकोष के दर्द और सूजन में राहत मिलेगी। 

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5. दालचीनी (Cinnamon)- दालचीनी एंटीइंफ्लामेटरी और एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव पाये जाते हैं। इसके सेवन से अंडकोष में होने वाली सूजन, दर्द जैसी समस्याओं से राहत पाने में मदद मिल सकती है। वैसे भी दालचीनी स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है। दिन में दो बार सुबह-शाम एक गिलास पानी में आधा चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर पीने से अंडकोष की सूजन और दर्द में आराम लग जायेगा। 

6. जीरा और अजवाइन (Cumin and Celery)- जीरा और अजवाइन के इस्तेमाल से अंडकोष में होने वाले दर्द और सूजन से आराम मिल सकता है। जीरा और अजवाइन की बराबर मात्रा लेकर अच्छी तरह पीसकर गुनगुने पानी में मिलाकर लेप बनायें और इस लेप को अंडकोष क्षेत्र पर लगायें। इससे आराम लग जायेगा।

7. फिटकरी (Alum)- चोट, घाव, जलने, कटने, पसीने की बदबू, दांतों की सफाई, दर्द आदि में फिटकरी का इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह एंटीबायोटिक की तरह काम करती है। इसमें सूजन कम करने के एंटी इंफ्लामेटरी गुण मौजूद होते हैं। अंडकोष में दर्द और सूजन में भी यह लाभकारी है। फिटकरी और माजूफल की समान मात्रा एक या दो ग्राम लेकर अच्छी तरह पीसकर लेप बना लें। इस लेप को अंडकोष क्षेत्र पर लगायें। इससे आ जायेगा।

कुछ सावधानियां – Some Precautions

अंडकोष को स्वस्थ रखने के लिये निम्नलिखित सावधानियां अपना सकते हैं :-

1. आप स्वयं महीने में एक या दो बार अंडकोष का  परीक्षण कर सकते हैं, यदि कुछ असामान्य लगे तो डॉक्टर से सम्पर्क करें।

2. जननांग क्षेत्र के बालों को साफ रखें, इसमें कोई कोताही नहीं होनी चाहिये।

3. नहाते समय नियमित रूप से जननांग और अंडकोष क्षेत्र की अच्छे से सफाई करें।

4. नहाते के बाद इन अंगों को अच्छे से सुखा लें। 

5. नहाने के लिए पानी अधिक गर्म नहीं होना चाहिए। 

6. कपड़े ढीले और आरामदायक पहनने चाहियें।

7. धूम्रपान और शराब के अधिक सेवन से बचें।

8. संतुलित और पौष्टिक भोजन करें।

9. यौन संबंध सुरक्षित रखें। कंडोम का उपयोग करें। यौन संक्रमण से बचें। 

10. यौन क्रिया के बाद, संभव हो तो नहायें अन्यथा अच्छी तरह पानी से साफ करें।

Conclusion  

दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको अंडकोष में दर्द के उपाय के बारे में विस्तृत जानकारी दी। अंडकोष क्या होता है?, अंडकोष के मुख्य कार्य क्या हैं और कार्य प्रणाली क्या है, अंडकोष में दर्द क्या होता है, इसके बारे में विस्तार पूर्वक बताया। अंडकोष से जुड़ी बीमारियां बताईं, अंडकोष में दर्द के कारण और लक्षण भी विस्तार से बताये। इस लेख के माध्यम से अंडकोष में दर्द से राहत पाने के उपाय बताये और कुछ सावधानियां भी बताईं। आशा है आपको ये लेख अवश्य पसन्द आयेगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और  सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर करें। ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, हमारा आज का यह लेख आपको कैसा लगा, इस बारे में कृपया अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health- Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह लेख केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर या लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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अंडकोष में दर्द के उपाय
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आज के लेख में हमने आपको अंडकोष में दर्द के उपाय के बारे में विस्तृत जानकारी दी। अंडकोष होता है, अंडकोष के मुख्य कार्य क्या हैं और कार्य प्रणाली क्या है, अंडकोष में दर्द क्या होता है, इसके बारे में विस्तार पूर्वक बताया।
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