स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। आज का आर्टिकल महिलाओं के लिए समर्पित है। विशेषकर, उन महिलाओं के लिए जो गर्भवती होना चाहती हैं मगर किसी कारणवश गर्भवती नहीं हो पा रहीं। गर्भवती होना महिला के लिए बहुत बड़ा सम्मान है क्योंकि यह उसे मां का दर्जा देता है जो भारत में भगवान से भी बड़ा दर्जा माना जाता है। मां बनकर वह गर्व का अनुभव करती है क्योंकि मातृत्व ही उसे संपूर्ण महिला बनाता है। मगर जब वह चाह कर भी गर्भधारण नहीं कर पाती तो, वह इसके उपाय ढूंढती है। देसी हैल्थ क्लब इस मामले में उनकी मदद करने के उद्देश्य से इसी विषय पर आर्टिकल लेकर आया है। हमारा आज का टॉपिक है “गर्भधारण करने के उपाय”।
देसी हैल्थ क्लब इस विषय पर विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बताएगा कि गर्भधारण करने के उपाय क्या हैं। तो, सबसे पहले जानते हैं कि गर्भधारण करने की सही आयु और गर्भधारण करने की घटती क्षमता। फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।
गर्भधारण करने की सही आयु – Right Age to Conceive
वैसे तो युवती 20 वर्ष की आयु से लेकर महिला मेनोपॉज की आयु तक गर्भधारण करने में समर्थ होती है परन्तु गर्भधारण करने का एक सही समय होता है जिसे उत्तम समय कहा जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार गर्भधारण करने की उत्तम समय अवधि 25 से 30 वर्ष के बीच मानी गई है क्योंकि इस बीच युवती के शरीर की प्रजनन प्रणाली तथा अन्य प्रणालियां भी अपनी चरम सीमा पर तथा सुव्यवस्थित होती हैं।
यहां हम स्पष्ट कर दें कि लड़की में जन्म के समय, उसमें 20 लाख अंडे होते हैं जोकि उम्र बढ़ने के साथ-साथ कम होते रहते हैं। 13-14 वर्ष की आयु होने पर उसे मासिक धर्म शुरु हो जाता है। पीरियड्स शुरु होने के बाद अंडों की संख्या 3 लाख रह जाती है। 37 वर्ष की आयु में 25,000 और 51 वर्ष की आयु तक यह संख्या 1000 रह जाती है। 1000 की संख्या में सिर्फ 300 से 400 अंडे ही बच्चे देने में सक्षम होते हैं।
गर्भधारण करने की घटती क्षमता – Decreased Ability to Conceive
जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि महिला में उम्र बढने के साथ-साथ अंडों की संख्या कम होती जाती है तो यह स्वाभाविक है कि गर्भधारण की क्षमता भी कम होती जाती है। इसका विवरण निम्न प्रकार है –
(i) 20 वर्ष और इससे अधिक लगभग 30 वर्ष की स्वस्थ युवती के गर्भवती होने की संभावना 25 प्रतिशत तक होती है जिसे सबसे उत्तम माना जाता है।
(ii) 30 से लेकर 35 वर्ष तक की महिला के गर्भवती होने की संभावना 20 प्रतिशत रह जाती है। इस स्थिति को भी ठीक माना जाता है।
(iii) 35 वर्ष की आयु के बाद गर्भवती होने की संभावना घटकर केवल 15 प्रतिशत रह जाती है।
(iv) 40 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिला के गर्भवती होने की क्षमता केवल 5 प्रतिशत बचती है।
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देर से गर्भधारण करने की जटिलताएं – Complications of Late Pregnancy
महिलाओं के देर से गर्भधारण करने पर हो सकती हैं निम्नलिखित जटिलताएं –
1. 30 वर्ष के बाद गर्भधारण करने पर सामान्य डिलीवरी होने की संभावना कम ही होती है।
2. यदि बच्चे का जन्म सर्जरी से होता है तो यह बहुत गंभीर स्थिति हो सकती है।
3. 30 वर्ष के बाद, यदि महिला को डायबिटिज है तो यह गर्भधारण के लिए यह स्थिति जोखिम भरी होती है।
4. 35 वर्ष के बाद गर्भधारण करने पर भ्रूण का विकास सामान्य रूप से नहीं हो पाता है। वह बहुत छोटा होगा या बहुत बड़ा।
5. 35 वर्ष के बाद गर्भधारण करने में दिक्कत होती है। गर्भधारण हो भी जाए तो गर्भपात का जोखिम बढ़ जाता है।
6. देर से गर्भधारण करने पर हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत हो सकती हो जो कि मां और बच्चे के लिये उचित नहीं है।
7. स्टिल बर्थ की संभावना – भ्रूण में जीवन का संकेत ना मिलना या मृत शिशु का जन्म होना।
8. डिलीवरी के बाद अधिक मात्रा में रक्तस्राव होना।
गर्भधारण करने की प्रक्रिया – Process of Getting Pregnant
किसी भी मासिक चक्र के दौरान महिला के पास गर्भधारण करने के लिए केवल छह दिन होते हैं – ओवुलेशन के पहले 5 दिन और ओवुलेशन के बाद 24 घंटे क्योंकि पुरुष के शुक्राणु महिला के शरीर में केवल 5 दिनों तक रह सकते हैं, और महिला का अंडा 12-24 घंटों तक। हर महीने महिला के अंडाशय से अंडा निकलता है कभी-कभी एक से ज्यादा भी अंडे निकल सकते हैं।
अंडाशय से अंडा निकलने की प्रक्रिया को चिकित्सा भाषा ओवुलेशन (Ovulation) कहा जाता है। ओवुलेशन में अंडाशय से अंडा निकलकर फैलोपियन ट्यूब में चला जाता है। ओवुलेशन प्रक्रिया मासिक धर्म पर निर्भर करती है, सामान्यतः यह प्रक्रिया मासिक धर्म चक्र के 15वें दिन होती है। वैसे तो मासिक धर्म चक्र 28 से 35 का होता है। परन्तु 20 से 25 वर्ष की महिला का मासिक धर्म चक्र 20 से 32 दिन तक चलता है तो उसका ओवुलेशन मासिक धर्म के चक्र 10 से 19 दिन के बीच होगा यानि अगले पीरियड के 12 से 16 दिन पहले यह प्रक्रिया होगी।
यदि 35 दिनों का मासिक धर्म चक्र है तो इस चक्र के 21वें दिन में यह ओवुलेशन होगा तथा 21 दिनों के मासिक धर्म चक्र के दौरान 7वें दिन ओवुलेशन होगा। जैसा कि हमने बताया कि ओवुलेशन में अंडा, अंडाशय से निकलकर फैलोपियन ट्यूब में चला जाता है जहां वह निषेचन के लिए पुरुष के शुक्राणु का इंतजार करता है। इस दौरान अंडे के निषेचन के लिए गर्भाशय की परत मोटी हो जाती है। पुरुष द्वारा महिला के संग असुरक्षित सेक्स किए जाने पर कोई एक स्वस्थ शुक्राणु गर्भाशय ग्रीवा से फैलोपियन ट्यूब में जाकर अंडे को निषेचित कर देता है। इस प्रकार महिला गर्भवती हो जाती है।
शुक्राणु को अंडे तक पहुंचने में लगने वाला समय – Time it Takes for the Sperm to Reach the Egg
शुक्राणुओं को फैलोपियन ट्यूब तक पहुंचने में लगभग 45 मिनट से लेकर 12 घंटे तक का समय लग जाता है। पुरुष के स्खलित होने पर लगभग 10 लाख शुक्राणु निकलते हैं। इन शुक्राणुओं को अंडे तक पहुंचकर अंडे को निषेचित करने में 14 से 18 सेमी की दूरी तय करनी पड़ती है। इसे एक लंबी यात्रा का नाम दिया जाता है। इस यात्रा का विवरण निम्न प्रकार है –
(i) गर्भाशय तथा अन्य शीर्ष अंग (Uterus and other Organs)- 10 लाख शुक्राणुओं में से केवल 10 से 12 हजार शुक्राणु ही महिला जननांग से गर्भाशय में प्रवेश कर अन्य शीर्ष अंगों तक जा पाते हैं।
(ii) डिंबवाहिनी (Oviduct) – 10 से 12 हजार शुक्राणुओं में से केवल लगभग 5 हजार शुक्राणु ही सही डिंबवाहिनी का रुख करते हैं यानि डिंबवाहिनी की ओर मुड़ते हैं।
(iii) फैलोपियन ट्यूब (Fallopian Tubes) – 5 हजार शुक्राणुओं में से केवल एक शुक्राणु ही फैलोपियन ट्यूब में प्रवेश कर पाते हैं।
(iv) अंडा (Egg)- फैलोपियन ट्यूब से अंडे तक, एक शुक्राणु कोशिकाओं में से सिर्फ़ 200 शुक्राणु ही अंडे की ओर भागते हैं।
(v) निषेचन (Fertilisation) – इन 200 शुक्राणु कोशिकाओं में से केवल एक ही अंडे में प्रवेश कर इसे निषेचित कर देता है।
गर्भधारण करने में रुकावट – Pregnancy Prevention
महिला के गर्भधारण करने में निम्नलिखित रुकावटें आ सकती हैं –
1. बढ़ती उम्र (Growing Old)- गर्भ धारण करने में बढ़ती उम्र सबसे बड़ी बाधा बनती है। हमने ऊपर बताया है कि गर्भधारण करने की उत्तम आयु 25 से 30 वर्ष के बीच होती है। इसके बाद कुछ जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। परन्तु 25 से 30 वर्ष के बीच की आयु पढ़ाई-लिखाई पूरी करके नौकरी, व्यवसाय, खेलकूद आदि में अपना भविष्य बनाने की होती है।
इसलिये यह सुनहरी उम्र बीत जाती है। देसी हैल्थ क्लब यह नहीं कहता कि इस उम्र को भविष्य बनाने के चक्कर में गंवाया जाये, परन्तु यह सलाह अवश्य देता है कि भविष्य बनाने के साथ-साथ यदि विवाह का अवसर मिलता है तो विवाह भी करें, इस अवसर को हाथ से ना जाने दें।
2. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ (Physical and Mental Health)- यदि शरीर आपका ठीक नहीं रहता, थकावट, कमजोरी रहती है तो ऐसी स्थिति में शरीर के लिए गर्भधारण करना उचित नहीं है, जब अपने आप को ही नहीं संभाल पाओगी तो गर्भ का वजन कैसे सहन कर पाओगी।
दूसरे, यदि कोई शारीरिक बीमारी है जैसे एंडोमेट्रियोसिस, टयूबल डिजीज़ आदि तो वह भी गर्भधारण में बाधा बन सकती है। इसी प्रकार चिंता, अवसाद, तनाव, भय आदि मानसिक स्थितियां भी गर्भधारण में बहुत बड़ी रुकावट बनते हैं।
3. यौन रोग (Venereal Disease)- कुछ यौन रोग भी गर्भ धारण करने में रुकावट डालते हैं जैसे कि पुरुष के शुक्राणुओं की संख्या में कमी, शुक्राणुओं की खराब गुणवत्ता, शीघ्रपतन, नपुंसकता, महिला में अंडों का ना बनना या इनकी खराब गुणवत्ता, गर्भाशय में समस्या, पेल्विक इंफेक्शन, बार-बार गर्भपात हो जाना मासिक धर्म संबंधी, ओवुलेशन संबंधी समस्या आदि।
4. गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल (Use of Contraceptives)- आजकल यह ट्रेंड चल रहा है कि विवाह के बाद जोड़ा जानबूझ कर बच्चा पैदा नहीं करना चाहता। इसलिये महिला जानबूझ प्रेग्नेंसी को अवॉइड करती है। अतः जोड़ा गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल करता है जैसे कि कंडोम, कंट्रासेप्टिव पिल्स, इंट्रायूटरिन डिवाइस, कंट्रासेप्टिव (इम्प्लांट), बर्थ कंट्रोल इंजेक्शन, वेजाइनल रिंग, लंबे समय तक इनका इस्तेमाल करने पर कुछ ना कुछ नुकसान तो होता है। बाद में प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में दिक्कत आ सकती है।
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5. वजन (Weight) – महिला की लंबाई के अनुसार ही वजन होना चाहिए। जिसे स्टेन्डर्ड वजन कहा जाता है। यदि महिला की लंबाई के अनुसार वजन बहुत कम या बहुत ज्यादा है तो यह अंडे बनाने वाले हार्मोन बनने की क्रिया को प्रभावित करता है। हार्मोन के कम या अधिक बनने से अंडे का ओवुलेशन ठीक से नहीं हो पाता, इससे महिला गर्भधारण करने में सफल नहीं हो पाती।
6. अन्य कारण (Other Reason)- विटामिन-डी की कमी, भोजन में विटामिन्स, प्रोटीन, आयरन आदि की कमी, कैफीन का अत्याधिक सेवन, स्मोकिंग, ड्रग्स, रेडिएशन, कीमोथेरेपी आदि भी गर्भधारण करने में बाधक बन सकते हैं।
गर्भधारण करने के उपाय – Ways to Get Pregnant
और अब बताते हैं आपको गर्भधारण करने के कुछ उपाय जो निम्न प्रकार हैं –
1. सही उम्र में विवाह (Marriage at Right Age)- जीवन में शिक्षा, लक्ष्य निर्धारित कर इसे पूरा करना और अपना भविष्य संवारना अत्यंत महत्वपूर्ण है मगर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ की दृष्टि से सही उम्र में विवाह करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। अतः अन्य लक्ष्यों के साथ-साथ विवाह के लक्ष्य को भी पूरा करने का प्रयास करें ताकि आप सही उम्र में मां बन सकें भविष्य की संभावित शारीरिक और मानसिक समस्याओं से बच सकें।
2. वजन को संतुलित रखें (Balance Weight)- असंतुलित वजन गर्भधारण में बाधा बन सकता है क्योंकि बहुत ज्यादा वजन अंडे और शुक्राणु की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। शरीर में फैट अधिक जमा होने से अधिक मात्रा में एस्ट्रोजन हार्मोन प्रक्रिया में रुकावट बनता है। वहीं दूसरी तरफ बहुत कम वजन प्रजनन क्षमता को कम कर सकता है। अतः गर्भधारण के लिये जरूरी हो जाता है कि वजन को नियंत्रित किया जाए। वजन संतुलित है या नहीं इसका पता बॉडी मास इंडेक्स से चलता है, इसका विवरण निम्न प्रकार है –
(i) 18.5 और 24.9 के बीच बीएमआई का अर्थ है ‘स्वस्थ वजन’।
(ii) 18.5 से नीचे को ‘कम वजन’ माना जाता है।
(iii) 25 और 29.9 के बीच बीएमआई को ‘अधिक वजन’ कहा जाता है।
(iv) 30 से ज्यादा बीएमआई को ‘मोटापा’ कहा जाता है।
3. पौष्टिक आहार (Nutritious Food)- पौष्टिक आहार का गर्भधारण करने में विशेष योगदान देता है। भोजन ऐसा होना चाहिए जो विटामिनों और खनिजों से भरपूर हो। भोजन में ऐसे खाद्य पदार्थों को सम्मलित करें जो फोलिक एसिड, जिंक, आयरन और सेलेनियम से भरपूर हों। सेलेनियम शुक्राणुओं की गुणवत्ता और जिंक शुक्राणुओं की संख्या को बढ़ाने का काम करते हैं। विटामिन-बी6 और विटामिन-सी महिलाओं की प्रजनन क्षमता में वृद्धि करते हैं।
4. भरपूर नींद लें (Get Plenty of Sleep)- जब नींद पूरी नहीं होती तो शरीर में आलस भरा रहता है, स्फूर्ति खत्म हो जाती है, शरीर में थकान और कमजोरी जगह बना लेती है। ऐसे में सहवास भी बेमन से होता है तो गर्भधारण कैसे होगा। नींद पूरी ना होने पर और बहुत ज्यादा सोने पर, दोनों ही स्थितियों में वे हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं जो अंडे बनाने में मदद करते हैं। इसलिए आठ घंटे अवश्य सोएं इससे शरीर में स्फूर्ति बनी रहेगी।
5. तनाव मुक्त रहें (Be Stress Free)- हमने ऊपर बताया है कि चिंता, भय, अवसाद, तनाव आदि मानसिक स्थितियां भी गर्भधारण में बहुत बड़ी रुकावट बनते हैं। इसलिए तनाव मुक्त रहें। तनाव से हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है। इससे महिला और पुरुष दोनों की ही प्रजनन क्षमता पर प्रभाव पड़ता है।
6. जीवन शैली में बदलाव करें (Make lifestyle Changes)- यदि कुछ खराब आदतें हैं तो उनको तुरन्त छोड़ें जैसे कि नशीले पदार्थ, ड्रग्स, शराब, धूम्रपान आदि। कैफीन का सेवन कम करें शुगर युक्त पदार्थ जैसे कि सोडा और एनर्जी ड्रिंक का भी सेवन ना करें। ये सभी महिला और पुरुष दोनों की ही प्रजनन क्षमता पर बुरा प्रभाव डालते हैं। अच्छी आदतों को अपनाएं जैसे की दिन में पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं और नियमित रूप से रोजाना व्यायाम करें।
7. दवाओं का सेवन कम करें (Cut Down on Medicine)- जहां तक हो सके दवाओं का सेवन कम करें। किसी भी बीमारी की दवा लेते समय डॉक्टर को बता दें कि आप गर्भवती होने का प्लान कर रही हैं ताकि डॉक्टर उसी के अनुसार और कम दवा दे। क्योंकि कुछ दवाएं विशेषकर दर्द निवारक दवाएं जैसे कि एस्पिरिन, आई ब्रुफेन आदि गर्भधारण की संभावना को कम करते हैं।
8. गर्भनिरोधकों का उपयोग ना करें (Do not Use Contraceptives)- यदि आपने गर्भवती होने का प्लान किया है तो आप खुद और आपके पति गर्भनिरोधकों का उपयोग ना करें जैसे कि कंडोम, कंट्रासेप्टिव पिल्स आदि। बर्थ कंट्रोल पिल्स और गर्भनिरोधक दवाएं हार्मोन को कंट्रोल करके अपना काम करती हैं जिससे प्रजनन क्षमता पर बुरा असर पड़ता है।
9. जननांगों की सफाई रखें (Keep Genitals Clean)- पुरुष और महिला दोनों को ही अपने जननांगों के तापमान को सामान्य रखना चाहिए। इसके लिए जननांगों की सफाई बेहद बहुत जरूरी है। पुरुष के वृषणों तापमान बढ़ जाने से शुक्राणुओं के उत्पादन तथा इनकी गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ता है। गोद में लेकर लैपटॉप पर काम करने से भी जननांगों का तापमान बढ़ता है तथा शुक्राणुओं की गुणवत्ता खराब होती है।
जननांगों की सफाई इसलिए भी जरूरी है ताकि जननांगों और गर्भाशय में किसी भी प्रकार का संक्रमण ना हो। इसके लिये महिला और पुरुष दोनों को ही अपने अंडर गार्मेंट्स रोजाना धोने चाहिएं तथा महिला को अपने अंडर गार्मेंट्स समय-समय पर नये खरीदने चाहिएं। इस पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “सेक्सुअल हाइजीन कैसे मेंटेन करें” पढ़ें।
10. शारीरिक बीमारियों का इलाज कराएं (Treat Physical Ailments)- शारीरिक बीमारियों का इलाज कराएं – स्वस्थ और आनन्दमय समागम के लिए तन और मन दोनों ही स्वस्थ होने चाहिएं। हमने ऊपर बता ही दिया है कि तनाव, अवसाद आदि से मुक्त रहें, इसी प्रकार यदि कोई शारीरिक रोग है उसका इलाज करवाएं। शारीरिक समस्याएं गर्भधारण करने में बाधा बन सकती हैं।
11. यौन रोगों का इलाज कराएं (Treat Sexually Transmitted Diseases)- यदि कोई महिला अपने या अपने पति के यौन विकार/रोग के चलते गर्भधारण नहीं कर पा रही है तो सबसे पहले यौन रोगों का इलाज कराएं। पुरुष में नपुंसकता, शुक्राणुओं की संख्या व गुणवत्ता में कमी, शीघ्रपतन, महिला में वैजाइनल इंफेक्शन, अंडों की खराब गुणवत्ता, गर्भाशय की समस्या आदि इन सब का इलाज हो जाता है।
12. सहवास करने का सही समय (Right Time to Have Sex)- गर्भधारण के लिये सहवास सही समय पर किया जाना चाहिए ताकि गर्भधारण की संभावना अधिक से अधिक रहे। इसके लिए जरूरी है कि महिला को ओवुलेशन समय का पता होना चाहिए और ओवुलेशन समय का पता होने के लिए मासिक धर्म चक्र का पता होना चाहिए। इसका तात्पर्य यह है कि यदि महिला का पीरियड 1 अक्टूबर को बंद और 2 नवम्बर को शुरु होता है तो पीरियड साइकिल 31 दिनों का है, फिर उसका अगला पीरियड 2 दिसम्बर को आएगा।
उसका 2 दिसम्बर से 14 दिन पहले का समय ओवुलेशन टाइम है। इस ओवुलेशन टाइम के पहले 5 दिन से और ओवुलेशन के बाद 24वें घंटे तक रोजाना सहवास करें। इससे गर्भधारण की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाएगी।
13. लुब्रिकेंट्स का उपयोग ना करें (Do not Use Lubricants)- यदि सहवास केवल आनन्द के लिये किया जा रहा है तो बेशक लुब्रिकेंट्स का इस्तेमाल करें क्योंकि लुब्रिकेंट्स के जरिए घर्षण से जननांग को क्षति से बचाया जा सकता है।
परन्तु यदि गर्भधारण के लिये किया जाए तो लुब्रिकेंट्स का उपयोग कदापि ना करें क्योंकि लुब्रिकेंट्स से शुक्राणुओं की गुणवत्ता खराब होती है जिससे गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है। अतः महिला को गर्भधारण कराने के लिये पुरुष सहवास के समय लुब्रिकेंट्स का उपयोग ना करे।
14. सहवास की स्थिति ठीक रखें (Maintain Proper Posture)- गर्भधारण के प्रायोजन से किये जाने वाले सहवास के लिये यह अति आवश्यक और महत्वपूर्ण है कि सहवास की मुद्रा (Position) इस प्रकार की होनी चाहिए कि स्खलित होने पर सभी शुक्राणु गर्भाशय की ओर जाएं वे रिस कर बाहर ना आएं। इसके लिए पीठ के बल लेटी हुई महिला की मुद्रा एकदम perfect मानी जाती है। इस मुद्रा में भी महिला का सीना और सिर थोड़ा नीचे की ओर झुके हुऐ और कमर का हिस्सा थोड़ा ऊपर की ओर उठा हुआ होना चाहिए।
इसके लिए नितम्ब के नीचे तकिया रखा जा सकता है। महिला एक बात का अवश्य ध्यान रखे कि पुरुष के स्खलित होने पर कम से कम 15 मिनट तक इसी लेटी हुई मुद्रा में रहे ताकि शुक्राणु आसानी से अंदर की ओर आसानी से चले जाएं। वैसे भी शुक्राणुओं को फैलोपियन ट्यूब तक पहुंचने में 45 मिनट से लेकर 12 घंटे तक का समय लग ही जाता है। सहवास के तुरन्त बाद महिला मूत्र विसर्जन की गलती ना करे।
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Conclusion –
आज के आर्टिकल में हमने आपको गर्भधारण करने के उपाय बारे में विस्तार से जानकारी दी। गर्भधारण करने की सही आयु, गर्भधारण करने की घटती क्षमता, देर से गर्भधारण करने की जटिलताएं, गर्भधारण करने की प्रक्रिया, शुक्राणुओं को अंडे तक पहुंचने में लगने वाला समय और गर्भधारण करने में रुकावट, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से गर्भधारण करने के बहुत सारे उपाय भी बताये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
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Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।
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