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पीसीओडी के घरेलू उपाय – Home Remedies for PCOD in Hindi

पीसीओडी के घरेलू उपाय

दोस्तो, स्वागत है आप सब का हमारे ब्लॉग पर। आज का हमारा आर्टिकल महिलाओं की सेवा में समर्पित है। दोस्तो, महिलाओं का गर्भवती होने और गर्भ की सुरक्षा की प्रक्रिया की संरचना प्रकृति ने बहुत सुन्दर और सिस्टमेटिक तरीके से की है। अर्थात् महिला के शरीर में पहले अंडे का बनना, फिर उसका गर्भाशय में चले जाना और फिर पुरुष शुक्राणु द्वारा अंडे का निषेचित होना और फिर भ्रूण बन जाना यह सब मानव जन्म की सिलसिलेवार प्रक्रिया है। तो, मानव जन्म का मुख्य आधार है अंडे का बनना जिसमें कोई बाधा नहीं आनी चाहिये। दोस्तो, महिला के जिस अंग में इस अंडे का निर्माण होता है, उसी में कोई व्यावधान आ जाये तो सारा सिस्टम गड़बड़ा जाता है। इतना ही नहीं महिला की सेक्सुअल लाइफ, मासिक धर्म चक्र और प्रजनन क्षमता भी बुरी तरह प्रभावित होती है। उसके हार्मोन्स असंतुलित हो जाते हैं, उसमें पुरुष के हार्मोन्स स्रवित होने लगते हैं, परिणामस्वरूप महिला को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उसकी बायोलॉजिकल क्लॉक पूरी तरह डिस्टर्ब हो जाती है। दोस्तो, इस हार्मोनल डिसऑर्डर को मेडिकल भाषा में पीसीओडी यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज कहा जाता है। इसे पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम भी कहा जाता है। आखिर इस समस्या से छुटकारा पाने का उपाय क्या है? दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “पीसीओडी के घरेलू उपाय”

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको पीसीओडी के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि इसके घरेलू उपाय क्या हैं। पीसीओडी को जानने से पहले ओवरी के बारे में जानना जरूरी है। तो, सबसे पहले जानते हैं कि ओवरी क्या है और पीसीओडी क्या है। फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।

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पीसीओडी के घरेलू उपाय
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ओवरी क्या है? – What is Ovary?

ओवरी जिसे हिंदी में अंडाशय कहा जाता है, महिलाओं की प्रजनन प्रणाली का महत्वपूर्ण अंग है। यह दो होती हैं जो गर्भाशय के दोनों ओर निचले पेट में स्थित होती हैं। ओवरी का मुख्य काम डिंब यानी अंडे का उत्पादन करना है। जब यह छोड़ा जाता है, तो फैलोपियन ट्यूब के नीचे गर्भाशय में चला जाता है जहां इसे पुरुष शुक्राणु द्वारा निषेचित किया जाता है। निषेचित होने के बाद यह भ्रूण का रूप धारण कर लेता है। ओवरीज़ वो हार्मोन स्रावित करती हैं जो मासिक धर्म चक्र और प्रजनन क्षमता में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। ओवरीज़ द्वारा अंडे बनाने की प्रक्रिया को ओव्यूलेशन कहा जाता है। तनाव का इस प्रक्रिया पर बुरा असर पड़ता है। यदि महिला बहुत अधिक तनाव में है तो ओवरीज़ अंडे नहीं बना पायेगी। ओवरीज़ का आकार महिला की आयु के अनुसार बदलता रहता है। मासिक धर्म के समय भी इसका आकार बदलता है, अंडे बनाने की प्रक्रिया में इसका आकार पांच सेंटीमीटर तक बढ़ जाता है। ओवरीज़ में सिस्ट्स बनने पर इसका बढ़ जाता है परन्तु रजोनिवृत्ति के बाद ओवरी का आकार बढ़ने की अपेक्षा सिकुड़ने लगता है। 

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पीसीओडी क्या है? – What is PCOD?

दोस्तो, पीसीओडी यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज (Polycystic Ovary Disease) महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ से संबंधित रोग है महिला के अंडाशय (Ovary) में बहुत अधिक संख्या में परिपक्व (Mature) और आंशिक रूप से (Partially Matured) अंडे बनने लगते हैं जो समय के साथ-साथ सिस्ट (Cysts) बन जाती हैं। इन सिस्ट को गांठ भी कहा जाता है। देसी हैल्थ क्लब यहां स्पष्ट करता है कि पीसीओडी को पीसीओएस यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome) के नाम से भी जाना जाता है। 

जैसा कि नाम से पता चलता है कि इसमें सिस्ट शब्द आता है मगर इसका मतलब ये नहीं कि ओवरी में सिस्ट ही हों। सिस्ट के स्थान पर ओवरी में बहुत सारे कूप (Follicles) का भी उत्पादन होने लगता है जो कभी भी अंडे बनने के लिये परिपक्व नहीं हो पाते। इस कारण पीड़ित महिला कभी भी अंडोत्सर्ग (Ovulate) नहीं कर पाती। इसे डिंबक्षरण (Anovulation) की स्थिति कहा जाता है। पीसीओडी/पीसीओएस से ग्रस्त महिला में बड़े स्तर पर हॉर्मोन्स में बदलाव होने लगता है। ये सिस्ट/कूप मासिक धर्म और गर्भावस्था को प्रभावित करने लगती हैं।

महिलाओं में बांझपन, अनियमित मासिक धर्म, बालों का झड़ना और असामान्य वजन बढ़ना जैसी समस्याऐं होने लगती हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि महिला में पुरुष के हार्मोन का स्राव होने लगता है। एक्सपर्ट्स, पीसीओडी को हॉर्मोनल डिसऑर्डर मानते हैं, जो सामान्यतः युवा महिलाओं में देखा जाता है। पहले तो 30 से 35 साल के बीच की महिलाओं में यह समस्या देखी जाती थी मगर अब 18 से 20 वर्ष की लड़कियों में भी ऐसे मामले देखे जाते हैं। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ एंड रिसर्च के अनुसार हमारे देश में लगभग 10 प्रतिशत महिलाऐं इस समस्या से ग्रस्त हैं। 

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पीसीओडी के कारण – Cause of PCOD

यद्यपि पीसीओडी के सटीक कारण अज्ञात हैं परन्तु विशेषज्ञों के अनुसार लाइफस्टाइल में बदलाव इसका मुख्य कारण हैं। बदलते लाइफस्टाइल के निम्नलिखित परिणाम देखने को मिलते हैं जो पीसीओडी के कारण बनते हैं –

1. जीवन में तेजी से बढ़ता हुआ तनाव।

2. रात देर तक जागना।

3. दिन में ऑफिस के लिये जल्दी जागना जिससे नींद पूरी नहीं हो पाती।

4. दिन में देर से जागना जिसकी वजह से व्यायाम आदि शारीरिक क्रियाऐं करने का समय नहीं मिल पाता। फिर ऑफिस के लिये जल्दी-जल्दी भागमभाग। इस वजह से नाश्ता कभी किया कभी नहीं किया।

5. जंक फूड पर निर्भरता।

6. स्मोकिंग और ड्रिकिंग में का बढ़ता शौक।

7. हॉर्मोनल डिसऑर्डर। 

इसके अतिरिक्त यह समस्या वंशानुगत भी हो सकती है। 

पीसीओडी के लक्षण – Symptoms of PCOD

पीसीओडी से ग्रस्त महिला में निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं –

1. मासिक धर्म का अनियमित हो जाना।

2. वजन बढ़ना।

3.  चेहरे पर रोए हो जाना और शरीर के दूसरे अंगों पर भी बहुत ज्यादा बालों का उगना।

4.  सिर बालों का झड़ना।

5. चेहरे पर मुंहासे हो जाना।

6. बांझपन की समस्या 

7. कामेच्छा में कमी हो जाना।

8. सेक्स ड्राइव में हार्मोन का असंतुलित हो जाना।

9. सेक्स के दौरान तनाव महसूस करना।

10. सेक्स में असहजता महसूस कर परेशान होना। 

पीसीओडी का परीक्षण – Test of PCOD

1. सबसे पहले डॉक्टर मरीज से उसके मासिक धर्म व अन्य स्वास्थ संबंधित जानकारी लेते हैं जैसे प्राइवेट पार्ट से अधिक रक्तस्राव, पेट में ऐंठन, मुंहासे, बालों का झड़ना आदि। इस आधार पर आकलन किया जाता है उसे पीसीओडी की समस्या है या नहीं। यदि ऐसी समस्या का शक होता है तो फिर शारीरिक परीक्षण किया जाता है। 

2. शारीरिक परीक्षण (Physical Test)- शारीरिक परीक्षण में डॉक्टर ब्लड प्रेशर, कमर का साइज और बॉडी मास इंडेक्स जांचते हैं। बॉडी मास इंडेक्स से शरीर पर फैट का पता चलता है। यह भी चेक किया जाता है कि शरीर पर कहीं अचानक से बाल बढ़ने तो शुरू नहीं हुऐ। 

3. श्रोणि परीक्षण (Pelvic Exam)- इसके द्वारा ओवरी में सूजन और छोटी-छोटी गांठों का पता लगाया जाता है।  

4. ब्लड टैस्ट (Blood Test)– इस टैस्ट के जरिए मेल हार्मोन एंड्रोजन और ब्लड शुगर के स्तर का पता चलता है। 

5. अल्ट्रासाउंड  / सोनोग्राम (Ultrasound)-  इस टैस्ट में ध्वनि तरंगों की मदद से श्रोणि क्षेत्र की इमेज ली जाती हैं। इन चित्रों से यह पता चल जाता है कि गर्भाशय की परत का पता चल जाता है कि यह मोटी है या नहीं। मासिक धर्म अनियमित होने के मामले में यह परत मोटी हो जाती है। और इससे यह भी पता चल जाता है कि ओवरी में गांठें हैं या नहीं।  

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पीसीओडी का उपचार – Treatment of PCOD

1. दोस्तो, पीसीओडी इलाज के लिये दवाओं के अतिरिक्त लाइफस्टाइल में बदलाव पर भी जोर दिया जाता है जोकि पूरी तरह संभव नहीं है। इसके इलाज में बहुत लंबा समय लगता है लगभग 12 से 18 महीने और वो भी बीच-बीच में कई अंतराल के बाद इलाज फिर से लेना होता है। 

2. इसके इलाज के कई दृष्टिकोण से किया जाता है जैसे कि –

(i)  हार्मोनल ट्रीटमेंट – इसमें मुख्य रूप से इंसुलिन रेजिस्टेंस लेवल को कम करना, एंड्रोजेन लेवल को कम करना शामिल है। इस ट्रीटमेंट में मरीज को वजन बढ़ना, गैस, एसिडिटी आदि की समस्या होती है, फिर इनका उपचार करना होता है।

(ii)  प्रजनन क्षमता को बढ़ाना।

(iii) अनचाहे बालों के विकास को रोकना।

(iv) त्वचा संबंधी विकारों जैसे मुंहासे आदि का उपचार करना।

(v) मासिक धर्म को दुबारा से नियमित करना और एंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया और एंडोमेट्रियल कैंसर से बचाव करना।

(vi) तनाव कम करने के लिये उपचार।

पीसीओडी के घरेलू उपाय – Home Remedies for PCOD

दोस्तो, अब बताते हैं आपको पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज से राहत पाने के कुछ निम्नलिखित घरेलू उपाय जिनको अपना कर इससे राहत पा सकते हैं –

1. लाइफ़स्टाइल बदलें (Change Lifestyle)- सबसे बड़ा और उत्तम उपाय तो यही है कि आप अपनी लाइफ़स्टाइल में बदलाव लायें। इसके लिये सबसे पहले आप अपनी लाइफ़स्टाइल का आकलन करें कि कहां किस पहलू पर बदलाव किया जा सकता है जैसे कि यदि आप रात को देर से सोते हैं, सुबह देर से उठते हैं, कोई मॉर्निंग वॉक नहीं, कोई एक्सरसाइज नहीं, अधिकतर जंकफूड या बाहर के खाने पर निर्भर रहना, पानी कम पीते हैं; तो, इन सब में आसानी से बदलाव किया जा सकता है। बस जरूरत है अपने आप को मानसिक तौर पर तैयार करने की। आपको बस यह समझना है कि “हां, मैं यह कर सकती हूं – Yes, I can do this” फिर देखिये सारी कायनात आपके इस संकल्प को पूरा करने में आपका साथ देगी। 

2. अलसी के बीज (Flax Seeds)- अलसी पोषक तत्वों का भंडार होता है, इसलिये इसे सुपरफूड कहा जाता है। इसमें फाइबर और ओमेगा-3 फैटी एसिड प्रचुर मात्रा में होता है जो एंड्रोजेन हार्मोन के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। अलसी में पाये जाने वाला लिग्नैन जो पॉलीफेनॉल्स होते हैं, हार्मोन में संतुलन बनाये रखने का काम करते हैं इसके अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को स्तर को नियंत्रित कर हृदय स्वास्थ को सही बनाये रखते हैं। पीसीओडी की समस्या में दो चम्मच अलसी के बीज दलिया, समूदी या अन्य खाद्य पदार्थ में मिलाकर खायें। इन बीजों को ऐसे ही अच्छी तरह धोकर भी खाया जा सकता है। 

3. मुलेठी (Mulethi)- मुलेठी  के पाउडर में टेस्टोस्टेरोन (पुरुष सेक्स हार्मोन) को कम करने का गुण होता है। रोजाना एक चम्मच मुलेठी के पाउडर को एक कप पानी में डालकर उबालकर इसे चाय की तरह पीयें। एक शोध यह भी बताती है कि मुलेठी की जड़ का पाउडर ओव्युलेशन की प्रक्रिया को बढ़ाने में मदद करता है। इसलिये या तो मुलेठी के पाउडर को या मुलेठी की जड़ के पाउडर को गर्म पानी में डालकर दिन में एक बार पीयें। लंबे समय के फायदे के लिये इसे दो महीने या अधिक समय तक पी सकते हैं।

4. दालचीनी और ग्रीन टी (Cinnamon and Green Tea)- दालचीनी इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करती है जिससे वजन नहीं बढ़ता और मोटापा कम हो जाता है। दालचीनी के पाउडर का सेवन, भोजन में सब्जी, दाल, दलिया, पनीर, मूंगफली, मक्खन, सैंडविच आदि पर छिड़क कर किया जा सकता है। या रोजाना एक चम्मच दालचीनी पाउडर को एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर दो, तीन महीने तक पीयें। दालचीनी पाउडर को ग्रीन टी में मिलाकर भी पीया जा सकता है। ग्रीन टी वजन कम करने और हार्मोन में संतुलन बनाये रखने का काम करती है। दालचीनी के सामंजस्य से ग्रीन टी पीसीओडी के लक्षण कम होने में मदद मिलती है। दालचीनी पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “दालचीनी के फायदे” पढ़ें।  

5. मेथी (Fenugreek)- मेथी ग्लूकोज के मेटाबोलिज्म को उत्तेजित करती है और इंसुलिन को नियंत्रित करती है। इसके अतिरिक्त यह हार्मोन और कोलेस्ट्रॉल में संतुलन बनाये रखने, वजन कम करने में सहायता और हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करती है। पीसीओडी की समस्या में लगभग तीन चम्मच मेथी के दाने रात को पानी में भिगो दें। सुबह खाली पेट इनको एक चम्मच की मात्रा में शहद के साथ खायें। एक-एक चम्मच दोपहर और रात को भोजन से दस मिनट पहले खायें। यह सिलसिला रोजाना कुछ हफ्तों तक जारी रखें।

6. तुलसी (Basil)- तुलसी के एंटी-एंड्रोजेनिक गुण पीसीओडी के लक्षणों को कम करने में अपना प्रभाव दिखाते हैं। तुलसी इंसुलिन के स्तर में संतुलन बनाये रखने और वजन कम करने में मदद करती है। तुलसी के एंटीऑक्सीडेंट गुण तनाव कम करने और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण सूजन को कम करते हैं। तुलसी को एक उत्कृष्ट तनाव रिलीवर माना जाता है। पीसीओडी से राहत पाने के लिये प्रतिदिन सुबह खाली पेट तुलसी के 8-10 पत्तियां खायें और दो, तीन बार तुलसी की चाय पीयें। तुलसी की चाय से तात्पर्य है एक गिलास पानी में कुछ तुलसी की पत्तियों को उबालकर, छानकर, पानी को चाय की तरह पीना। तुलसी पर अधिक जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “तुलसी के फायदे” पढ़ें। 

7. पुदीना (Mint)- पीसीओडी के उपचार में पहाड़ी पुदीना एक उत्तम उपाय है। यदि पहाड़ी पुदीना ना मिले तो सामान्य पुदीना का भी उपयोग किया जा सकता है। पहाड़ी पुदीने की चाय के फॉलिकल को उत्तेजित करने वाले हार्मोन को कम करने में मदद करती है और ये एंड्रोजेन हार्मोन और हिर्सुटिज्म (अत्यधित अनचाहे बालों की समस्या) को भी कम करती है। पहाड़ी पुदीने की कुछ पत्तियों को एक गिलास पानी में डालकर अच्छी तरह उबालें। इसे छानकर चाय की तरह पीयें। चाहें तो इसमें बहुत ही कम मात्रा में चीनी मिला सकती हैं। इसे प्रतिदिन एक महीने तक पीयें। इसके पीने से टेस्टोस्टेरोन हार्मोन में कमी आयेगी और शरीर के अतिरिक्त बालों का बढ़ना भी कम हो जायेगा।

8. सेब का सिरका (Apple Vinegar)– सेब का सिरका पीसीओडी के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। यह शरीर में इंसुलिन के उत्पादन को नियंत्रित कर ब्लड शुगर के स्तर को सामान्य बनाये रखता है और वजन कम करने में भी मदद करता है। इसके लिये प्रतिदिन सुबह खाली पेट एक गिलास पानी में दो चम्मच सेब के सिरका मिलाकर पीयें। चाहें तो स्वाद के लिये इसमें थोड़ा सा संतरे का जूस मिला सकते हैं। इसे कुछ हफ्तों तक जारी रखें।  

9. कैमोमाइल टी (Chamomile Tea)-  कैमोमाइल टी के एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पीसीओडी के लक्षणों को कम करने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाती है। यह पीरीयड्स के दौरान ऐंठन, दर्द, सूजन को भी कम करने में मदद करती है। रात को भोजन करने के बाद एक कप कैमोमाइल टी पीने से शरीर रिलैक्स हो जाता है और नींद भी अच्छी आती है। पीसीओडी में एक कप पानी में एक चम्मच कैमोमाइल टी डालकर अच्छी तरह उबाल कर पीयें। यदि कैमोमाइल बैग हैं तो एक कप गर्म पानी में एक टी बैग डाल कर कप को पांच मिनट के लिये ढक दें। इससे यह गर्म पानी में अच्छी तरह मिक्स हो जायेगी। बाद में इसे पी लें।  

कुछ टिप्स – Some Tips

दोस्तो, पीसीओडी की समस्या के लिये काफी हद तक लाइफ़स्टाइल में आया बदलाव जिम्मेदार है, तो यह भी समझ लीजिये कि लाइफ़स्टाइल में फिर से बदलाव लाकर पीसीओडी/पीसीओएस की समस्या से बचाव किया जा सकता है। इसके लिये हम बता रहे हैं कुछ निम्नलिखित टिप्स –

1. सबसे पहले यह जरूरी है कि आप प्रकृति को अपना दोस्त बनायें, इससे जुड़ें, इसे एन्जॉय करें। इसके लिये सुबह जल्दी उठकर मॉर्निंग वॉक पर जायें, पार्क में टहलें, स्वच्छ हवा का आनन्द लें। 

2. रात को हल्का भोजन करें और जल्दी सोयें, खूब भरपूर नींद लें और सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्म से निवृत होकर मॉर्निंग वॉक के लिये निकल जायें। 

3. प्रतिदिन एक्सरसाइज करें। योग, ध्यान, प्राणायाम आदि को अपनायें। इससे शरीर में स्फूर्ति बनी रहेगी।

4. अपने को हाइड्रेट रखें, इसके लिये खूब पानी या अन्य तरल पदार्थ, फलों का जूस, नारियल पानी आदि पीयें। 

5. अपने आप को समय दें। परिवार को समय दें। अच्छी पुस्तकें पढ़ें। इससे तन, मन और मस्तिष्क शांत रहेंगे। 

6. याद रखिये मन शांत तो सब कुछ शांत है, सब कुछ ठीक है, तनाव कभी आपके पास नहीं फटकेगा। 

7. वजन को नियंत्रित करें। इसके लिये वेट ट्रेनिंग भी एक अच्छा उपाय है।

8. फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों जैसे सब्जियां, दालें, दलिया आदिको भोजन में शामिल करें। 

9. हरी साक सब्जियों का अधिक इस्तेमाल करें। 

10. कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों का बहुत ही सीमित मात्रा में सेवन करें।

11. भोजन में बहुत कम तेल का इस्तेमाल करें, अधिक ऑयली भोजन वजन और हृदय के लिये हानिकारक होता है। 

12. ड्राई फ्रूट्स, नट्स, दूध, दही, छाछ, फ्रूट्स और फिश जैसे खाद्य पदार्थों को अपने भोजन में शामिल करें।

13. जंक फूड खाने से बचें। 

14. नमक और चीनी का कम सेवन करें।

15. अल्कोहल का सेवन करना ही है तो बहुत कम मात्रा में करें।

16. चाय-कॉफी के माध्यम से कैफीन लेना बंद करें। यदि लेना ही है दिन में बस दो बार, इससे ज्यादा नहीं। 

Conclusion – 

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको पीसीओडी के घरेलू उपाय के बारे में विस्तार से जानकारी दी। ओवरी क्या है, पीसीओडी क्या है, पीसीओडी के कारण, पीसीओडी के लक्षण, पीसीओडी का परीक्षण और पीसीओडी का उपचार, इन सब के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से पीसीओडी से राहत पाने के घरेलू उपाय बताये और कुछ टिप्स भी दिये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा। 

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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