स्वागत है हमारे ब्लॉक में। देसी हैल्थ क्लब, गर्भवती महिलाओं को प्रणाम करते हुए, एक विशेष आर्टिकल इनकी सेवा में प्रस्तुत करता है। मां का दर्जा तीनों लोकों में सर्वोपरि है। मां बनना हर महिला के लिये असीम खुशी और सौभाग्य की बात है। जो महिला मां बनने वाली है उसको अपने खाने पीने का विशेष ध्यान रखना होता है क्योंकि जो कुछ वह खाती है वह परोक्ष रूप में उसके बच्चे को भी लगता है और उसके विकास में सहायक होता है। वैसे तो हमने पिछले आर्टिल्स में गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत कुछ बता रखा है विशेष तौर पर कि क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।
परन्तु हम यह भी जानते हैं मिचली, उल्टी, जी घबराना जैसी समस्याओं के चलते खाना खाने का मन नहीं करता लेकिन थोड़ा-बहुत खाना पड़ता है। ऐसी स्थिति में जो विटामिन, खनिज उसे मिलने चाहिएं, वे पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाते। अतः गर्भवती महिलाओं को अपने आहार में फलों को शामिल करना चाहिए ताकि आपको पर्याप्त मात्रा में आवश्यक पोषक तत्व मिलते रहें। यही है हमारा आज का टॉपिक “गर्भावस्था में कौन से फल खाएं?”। तो, सबसे पहले बताते हैं कि प्रेग्नेंसी में फल क्यों खाने चाहिएं? फिर, इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे।
गर्भावस्था पर विस्तार से जानकारी के हमारा पिछला आर्टिकल “Health Tips for Pregnant Ladies in Hindi” पढ़ें।
प्रेगनेंसी में फल क्यों खाने चाहिए? – Why Should Fruits be Eaten During Pregnancy?
अक्सर देखा गया है कि प्रेग्नेंसी में महिलाएं फल खाने के बजाय जूस पीना पसंद करती हैं। मगर, फलों का जूस पीने की अपेक्षा साबुत फल खाने से ज्यादा फायदा होता है। प्रेग्नेंसी में भोजन के अतिरिक्त फल खाना क्यों जरूरी है, इसके निम्नलिखित कारण स्पष्ट हैं –
1. दांतों की एक्सरसाइज होती है (Teeth are Exercised)- हमने ऊपर बताया है कि प्रेग्नेंसी में महिलाएं फल खाने के बजाय जूस पीना पसंद करती हैं। यहां हम स्पष्ट कर दें कि फलों को ऐसे खाने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इससे दांतों बल्कि पूरे जबड़े की एक्सरसाइज होती रहती है। इससे दांतों और मसूड़ों की कोई बीमारी होने की संभावना नहीं रहती और ना ही मुंह से बदबू आती है।
2. साबुत फल अधिक फायदेमंद (Whole Fruits are More Beneficial)- फलों का जूस पीने के बजाय फलों को ऐसे ही खाया जाए तो ज्यादा फायदा करता है क्योंकि यह भोजन के रूप में शरीर में अवशोषित होता है और रक्त निर्माण में सहायक होता है, जबकि जूस एक तरल रूप में रहता है और मूत्र द्वारा निष्कासित कर दिया जाता है। जूस के इतने फायदे शरीर को नहीं मिल पाते जितने फायदे फल को साबुत खाने से मिलते हैं।
3. कब्ज से बचाव (Prevent Constipation)- अक्सर देखा गया है की प्रेग्नेंसी में लगभग 33 प्रतिशत महिलाओं को कब्ज की समस्या बन जाती है। ऐसी स्थिति ना आए, इसके लिए जरूरी है कि पाचन तंत्र को सही रखा जाए और पाचन तंत्र के लिए फाइबर बेहद जरूरी होता है। फलों में उच्च मात्रा में फाइबर होता है। इसलिए प्रेग्नेंसी में फलों का सेवन करना चाहिए। इनसे भरपूर फाइबर मिलेगा और कब्ज से बचाव होगा। कब्ज है, तो भी फल खाने से राहत जरूर मिलेगी।
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4. हाई ब्लड प्रेशर से बचाव (Prevention of High Blood Pressure)- अक्सर देखा गया है कि गर्भावस्था के 20 वें सप्ताह के बाद गर्भवती को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या बन जाती है। मेडिकल भाषा में इसे प्रीक्लेम्पसिया (preeclampsia) कहा जाता है। यदि प्रेग्नेंसी में शुरु से ही फलों का सेवन किया जाए तो हाई ब्लड प्रेशर से बचाव हो सकता है। इसलिये प्रेग्नेंसी में भोजन के अतिरिक्त फल खाने की सलाह दी जाती है।
5. रक्त की कमी नहीं होती (There is no Shortage of Blood)- विशेषकर प्रेग्नेंसी में महिला का स्वस्थ रहना अति आवश्यक है। इसके लिए जरूरी हो जाता है कि उनमें रक्त की कमी ना होने पाए। इसके लिए मौसम के अनुसार जो फल उपलब्ध होते हैं वे बहुत साथ देते हैं। डॉक्टर भी मौसम के फल और हरी सब्जियां खाने की सलाह देते हैं। फलों से आयरन और फोलिक एसिड मिल जाते हैं।
आयरन, रक्त निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाता है। डिलीवरी के बाद भी महिला में रक्त की कमी ना होने पाए इसके लिये फलों का सेवन बहुत जरूरी है। स्वयं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी अपनी गाइडलाइन में फलों को फोलेट, आयरन और अन्य कई खनिज का बेहतरीन स्रोत बताया है।
6. इम्युनिटी बढ़ाए (Increase Immunity)- प्रेग्नेंसी में गर्भवती महिला की इम्युनिटी कमजोर नहीं पड़नी चाहिए अन्यथा वह संक्रमित बीमारियों का शिकार हो सकती है। फल विशेषकर विटामिन-सी वाले फल इम्युनिटी बूस्ट करने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। विटामिन-सी, महिला और गर्भस्थ शिशु की रक्षा करता है। फल खाने से गर्भवती महिला में विटामिन-सी के अतिरिक्त अन्य विटामिन तथा खनिजों की आपूर्ति होती रहती है।
गर्भावस्था में कौन से फल खाएं – Which Fruits Should Pregnant Women Eat
गर्भावस्था में कुछ भी खाने पीने का मन नहीं करता, विशेष तौर पर रोटी, सब्जी। गर्भवती महिलाएं खाती भी हैं तो बहुत कम। इसलिए पर्याप्त मात्रा में आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते। अतः गर्भवती महिलाओं को कुछ ऐसे फल खाने चाहिएं जिनसे पोषक तत्वों की आपूर्ति होती रहे। इससे महिला के साथ-साथ गर्भस्थ शिशु को भी फायदा होगा। गर्भवती महिलाओं को निम्नलिखित फल खाने चाहिएं –
1. जामुन (Jamun)- जामुन देखकर गर्भवती महिलाओं का मन बहुत ललचाता है क्योंकि यह खट्टी-मीठी होती है जो उनको जी मिचलाने से राहत दिलाती है। जामुन में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट इम्यूनिटी को बढ़ाने तथा लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करने में मदद करते हैं।
इससे एनीमिया की समस्या नहीं होती। जामुन में मौजूद मैग्नीशियम प्रीमैच्योर डिलीवरी की संभावना को खत्म करता है तथा भ्रूण के विकास में सहायक होता है। इसमें मौजूद पोटेशियम गर्भावस्था के दौरान ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है। गर्भवती महिला रोजाना 8 से 10 जामुन खा सकती है परन्तु ध्यान रहे कि खाली पेट जामुन ना खाए और जामुन खाकर दूध ना पीए।
2. संतरा (Orange)- विटामिन-सी से भरपूर संतरा भी खट्टा मीठा फल है जिसे गर्भवती महिलाएं काफी पसंद करती हैं। विटामिन-सी अपने आप में शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है जो मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से रक्षा करता है।
विटामिन-सी गर्भस्थ शिशु की हड्डियों और दांतों के निर्माण और विकास में मदद करता है। संतरा गर्भवती महिलाएं और गर्भस्थ शिशु दोनों की इम्युनिटी में सुधार करता है। अतः गर्भवती महिलाओं को एक या दो संतरा जरूर खाना चाहिए।
3. आम (Mango)- विटामिन ए, सी, आयरन, फाइटोऐस्ट्रोजेन, पॉलीफेनॉल, कैल्शियम, और पोटेशियम जैसे गुणों से भरपूर मीठे आम में हल्की खटास भी होती है जो गर्भवती महिलाओं को बहुत भाती है। इससे मॉर्निंग सिकनेस से राहत मिलती है। आम तुरंत एनर्जी देता है और कमजोरी को दूर करता है।
आम के सेवन से पाचन तंत्र ठीक रहता है। गर्भावस्था में महिला को अपज, कब्ज और ब्लोटिंग जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है। आम का सेवन गर्भस्थ शिशु की हड्डियों और ऊतकों के विकास में सहायक होता है। आम खाने के बाद दूध भी पीया जा सकता है।
4. अनार (Pomegranate)- एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर अनार की जितनी तारीफ़ करो, उतना कम है। गर्भवती महिलाओं के लिए तो यह किसी वरदान से कम नहीं। अनार गर्भावस्था में गर्भस्थ शिशु को पोषण देने तथा प्लेसेंटा को सुरक्षित रखने का काम करता है। अनार में मौजूद फोलेट भ्रूण गर्भस्थ शिशु को रखता है तथा जन्म दोष से भी बचाव करता है। अनार के सेवन करने से इम्यूनिटी भी मजबूत बनती है। गर्भवती महिलाएं दिन में एक अनार या एक गिलास अनार का जूस ले सकती हैं।
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5. चेरी (Cherry)- विटामिन, मिनरल, फाइबर, पॉलीफेनोल्स, कैरोटेनॉयड्स, पोटेशियम और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर चेरी का स्वाद मीठा लुभावना होता है। यह गर्भवती महिलाओं के लिए अत्यंत लाभदायक है। गर्भावस्था के दौरान अक्सर महिला का ब्लड प्रेशर बढ़ जाया करता है।
चेरी में मौजूद पोटेशियम ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है साथ ही चेरी के सेवन से ब्लड शुगर का स्तर भी कंट्रोल में रहता है। इससे इम्युनिटी भी स्ट्रोंग बनती है। गर्भवती महिलाएं एक दिन में आधा कप चेरी खा सकती हैं।
6. सेब (Apple)- सेब को गर्भावस्था में सबसे महत्वपूर्ण और सुरक्षित फल माना जाता है। विटामिन-सी, ए, ई, और डी, फाइबर, आयरन, कैल्शियम, फोलेट, ज़िंक, पोटेशियम और पेक्टिन जैसे पोषक तत्वों से समृद्ध, स्वाद में मीठा सेब, गर्भस्थ शिशु की इम्युनिटी को बढ़ाने के साथ-साथ शक्ति भी प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त बच्चे के बड़े होने पर एलर्जी, एक्जिमा और अस्थमा होने के खतरे को कम करता है। गर्भवती महिलाएं रोजाना एक सेब का सेवन अवश्य करें।
7. नाशपाती (Pear)- अनेक विटामिन तथा कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन , फाइबर, मैग्नीशियम, फास्फोरस , सोडियम, जिंक, फोलेट आदि से भरपूर मीठी नाशपाती गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद होती है। नाशपाती गर्भवती महिला को मॉर्निंग सिकनेक, हाई ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन तथा हृदय रोगों से बचाती है। एनीमिया की समस्या से भी राहत दिलाती है। रोजाना एक नाशपाती गर्भवती महिलाओं को खानी चाहिए।
8. केला (Banana)- केला गर्भवती महिलाओं के लिए सुपरफूड माना जाता है। परन्तु यदि ब्लड शुगर की समस्या है तो डॉक्टर से पूछ कर ही केले का सेवन करना चाहिए। केले में पोटेशियम, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सेलेनियम, आयरन, फोलेट आदि पोषक तत्व उपस्थित होते हैं।
ये तत्व गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ को सही रखते हैं। केला मॉर्निंग सिकनेस की समस्या से राहत दिलाता है तथा रात को महिला के पैरों में ऐंठन को रोकने में मदद करता है। दिन में एक या दो केले खाए जा सकते हैं।
9. चीकू (Chikoo)- एंटीऑक्सीडेंट गुणों से समृद्ध और मिठास से भरपूर चीकू विटामिन-बी, सी और ई भरपूर होता है। इसमें कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, मैंगनीज और फाइबर मौजूद होते हैं। गर्भावस्था के दौरान चीकू गर्भवती महिला के पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है,
उसमें एनर्जी बनाए रखता है, मॉर्निंग सिकनेस को कम करता है, हड्डियों को मजबूती देता है, तनाव को कम करता है तथा ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है। ध्यान रहे कि चीकू पूरी तरह पका हुआ होना चाहिए। इसका छिलका उतारकर, काटकर और बीज निकाल कर खाएं। एक दिन में 100 ग्राम चीकू खाए जा सकते हैं।
10. कीवी (Kiwi)- कीवी को एक शक्तिशाली फल माना जाता है परन्तु इसका स्वाद अधिकतर लोगों को पसंद नहीं आता। फिर भी, जब स्वास्थ की बात आती है तो कीवी को प्राथमिकता (Priority) दी जाती है। गर्भावस्था में तो कीवी को बेहद लाभदायक माना गया है, इसीलिए डॉक्टर गर्भावस्था के दौरान महिला को कीवी खाने की सलाह देते हैं।
कीवी, विटामिन-सी, ई, ए, पोटेशियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, फोलिक एसिड और फाइबर से भरपूर होता है। यह गर्भवती महिला के श्वसन तंत्र को सही रखने में मदद करता है। यह गर्भवती महिला को सर्दी, जुकाम और खांसी से बचाता है। फास्फोरस की उच्च मात्रा आयरन के अवशोषण में मदद करते है जिससे रक्त के थक्के जमने का खतरा कम रहता है।
सबसे विशेष बात यह है कि कीवी में फोलिक एसिड की उच्च मात्रा होती है जो गर्भस्थ शिशु में न्यूरल ट्यूब विकार और रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याओं की संभावना को समाप्त करता है।
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गर्भावस्था में कौन से फल नहीं खाने चाहिए – Which Fruits Should not be Eaten During Pregnancy
अब बताते हैं आपको उन फलों के बारे में जिनका सेवन गर्भावस्था में नहीं करना चाहिए। ये निम्न प्रकार हैं –
1. अनानास (Pineapple)- अनानास के गुणों को देखते हुए कुछ डॉक्टर गर्भ के दूसरी तिमाही से इसे कम मात्रा में खाने की सलाह दे सकते हैं। परन्तु खाते समय यह कोई नहीं देखता कि कम खाया जा रहा है या ज्यादा। इसलिये एक रिस्क बना रहता है। अनानास में ब्रोमेलीन नामक एंजाइम होता है।
शरीर में इसकी अधिक मात्रा जमा होने से मिसकैरेज या प्रीमेच्योर डिलीवरी का खतरा हो सकता है। वैसे भी गर्भ की पहली तिमाही से अनानास खाने से त्वचा पर रैशेज पड़ सकते हैं और गर्भाशय संकुचित हो सकता है।
इसके अतिरिक्त ब्लड शुगर वाली महिला में यह शुगर की मात्रा बढ़ा सकता है, अधिक वजन वाली महिला के वजन में और अधिक इजाफा कर सकता है, जीभ कट सकती है या जीभ सूज सकती है और होठों के आसपास के क्षेत्र पर भी कटने की समस्या हो सकती है।
पेट में अल्सर, गैस की समस्या में भी यह नुकसानदायक हो सकता है। इन सबको मद्देनजर रखते हुए तथा गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ हेतू देसी हैल्थ क्लब गर्भवती महिलाओं को अनानास का सेवन करने की सलाह नहीं देता।
2. अंगूर (Grape)- गर्भावस्था के दौरान गर्भावती महिला को गर्भ के तीसरी तिमाही से अंगूर का सेवन अवॉइड करना चाहिए। ऐसा इसलिए कि अंगूर में उपस्थित रेसवेरेट्रॉल नामक यौगिक, भ्रूण में होने वाले रक्त प्रवाह में बाधक बन सकता है।
इस बारे में एक शोध स्पष्ट बताती है कि रेस्वेराट्रोल में उपस्थित एंटीइंफ्लेमेटरी प्रभाव मां से भ्रूण में होने वाले रक्त के प्रवाह में बाधा उत्पन्न कर सकता है। इसे हैफेटल डक्टस अर्टीरियस फ्लो (fetal ductus arteriosus flow) कहा जाता है।
3. कच्चा पपीता (Raw Papaya)– गर्भवती महिलाओं को कच्चा पपीता खाने की सलाह नहीं दी जाती है। इसका कारण यह है कि इसमें लैटेक्स की अधिक मात्रा से मिसकैरेज होने का खतरा रहता है। यह भ्रूण में संकुचन पैदा कर सकता है जिससे गर्भपात हो जाता है।
यद्यपि, कुछ आहार विशेषज्ञ पके पपीते को सुरक्षित मानकर इसका सेवन करने की सलाह दे सकते हैं परन्तु, यदि इसका छिलका और बीज गलती से भी अंदर चला जाए तो ये हानिकारक हो सकता है। वैसे भी पपीते की तासीर गर्म होती है। इसीलिए कुछ स्वास्थ विशेषज्ञ, इसके जोखिमों के मद्देनज़र गर्भवती महिलाओं को पका पपीता भी ना खाने की सलाह देते हैं। देसी हैल्थ क्लब भी गर्भवती महिलाओं को कच्चा या पका कैसा भी पपीता खाने की सलाह नहीं देता।
Conclusion –
आज के आर्टिकल में हमने आपको गर्भावस्था में कौन से फल खाएं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। प्रेग्नेंसी में फल क्यों खाने चाहिएं, गर्भवती महिलाओं को कौन से फल खाने चाहिएं और गर्भावस्था में कौन से फल नहीं खाने चाहिऐं, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
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Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।