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हार्मोनल डिसऑर्डर के घरेलू उपाय – Home remedies for Hormonal Disorder in Hindi

हार्मोनल डिसऑर्डर के घरेलू उपाय

स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। हमने आपको पिछले आर्टिकल में दोस्तो, हार्मोनल डिसऑर्डर के बारे में विस्तार से बताया था और भी बताया था कि हार्मोन के क्या-क्या कार्य होते हैं तथा महिलाओं और पुरुषों में हार्मोनल डिसऑर्डर की स्थिति किन कारणों से बनती है। हमने हार्मोनल डिसऑर्डर के निदान और इसके इलाज के बारे में भी बताया था परन्तु इससे छुटकारा पाने के लिये घरेलू उपायों के बारे में नहीं बताया था। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “हार्मोनल डिसऑर्डर के घरेलू उपाय”। 

देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको हार्मोन और हार्मोनल डिसऑर्डर के बारे में विस्तार से जानकारी देगा यह भी बताएगा कि इससे छुटकारा पाने के लिये घरेलू उपाय क्या हैं? तो, सबसे पहले जानते हैं कि हार्मोन और हार्मोनल डिसऑर्डर क्या हैं? फिर इसके बाद बाकी बिंदुओं पर जानकारी देंगे। हार्मोनल डिसऑर्डर के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए हमारा पिछला आर्टिकल “हार्मोनल डिसऑर्डर क्या है?” पढ़ें।

हार्मोन और हार्मोनल डिसऑर्डर क्या हैं? – What are Hormones and Hormonal Disorders?

दोस्तो, हार्मोन हमारे शरीर की और मस्तिष्क की गतिविधिओं का आधार होते हैं, यहां तक कि ये  सेक्स लाईफ़ और प्रजनन के लिये भी आवश्यक आवश्यकता हैं। ये हार्मोन हमारे शरीर की कई ग्रन्थियों के द्वारा स्रावित किये जाते हैं। इनको अंतःस्रावी ग्रन्थियां कहा जाता है। ये अंतःस्रावी ग्रन्थियां, एक निश्चित मात्रा में हार्मोन को सीधे रक्त द्वारा भेज देती हैं।

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ये हार्मोन अपनी-अपनी निश्चित जगह पर पहुंचकर यानि कोशिकाओं और उतकों में पहुंच कर कार्य करते हैं। हार्मोन अंतःस्रावी ग्रन्थियों द्वारा स्रावित होने वाले रासायनिक यौगिक होते हैं तथा ये प्रोटीन पॉलीपेप्टाइड और स्टेरॉयड प्रकृति के होते हैं। इनका कार्यकाल क्षणिक होता है, कार्य समाप्त होते ही ये स्वयं नष्ट हो जाते हैं क्यों कि शरीर में इनको संचित करके नहीं रखा जा सकता। इनका काम शरीरिक और मानसिक विकास, चयापचय प्रणाली, यौन गतिविधियां, प्रजनन विकास और मनोदशा (mood), व्यवहार आदि क्रियाओं में मदद करना होता है।

हमारे शरीर में कुल 230 हॉर्मोन होते हैं, टेस्टोस्टेरोन, एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन, कार्टिसोल, डोपामाइन, ऑक्सीटोसिन, सेरोटोनिन, एंडोर्फिन, इन्सुलिन आदि। जब अंतःस्रावी ग्रन्थियां निश्चित मात्रा से कम या अधिक हार्मोन स्रावित करने लगती हैं तो शरीर में हार्मोन स्तर में असंतुलन पैदा होता है। इसी असंतुलन को हार्मोन असंतुलन या हार्मोनल डिसऑर्डर कहा जाता है। इस हार्मोनल डिसऑर्डर की वजह से शरीर और मस्तिष्क प्रभावित होता है और कई प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं। 

हार्मोन के प्रकार – Types of Hormones 

हार्मोन के प्रकार को निम्नलिखित तीन वर्गों में बांटा जा सकता है – 

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1. प्रोटीन या पॉलीपेप्टाइड हार्मोन (Protein or Polypeptide Hormone)- ये हार्मोन अमीनो एसिड श्रृंखला से बने होते हैं तथा पानी में घुलनशील होते हैं। ये हार्मोन कोशिका झिल्ली से नहीं गुजर सकते क्योंकि इसमें फॉस्फोलिपिड बाइलेयर होता है जो वसा-अघुलनशील अणुओं को कोशिका में फैलने से रोक देता है। इंसुलिन और एंटीडाययूरेटिक हार्मोन (ADH) है इसके उदाहरण हैं।  

2. स्टेरॉयड हार्मोन (Steroid Hormones)- ये लिपिड से प्राप्त होने वाले हार्मोन होते हैं तथा वसा में घुलनशील होते हैं। ये कोशिका झिल्ली से गुजरने में समर्थ होते हैं। टेस्टोस्टेरोन, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे प्रजनन हार्मोन इसके उदाहरण हैं। 

3. अमीन हार्मोन (Amine Hormone)- ये हार्मोन अमीनो एसिड से मिलते हैं। जैसे कि एपिनेफ्रीन। यह एक अमाइन हार्मोन है, जो युद्ध अथवा उड़ान प्रतिक्रियाओं को विनियमित करने में सक्रिय भूमिका निभाता है। 

अंतःस्रावी ग्रंथियां – Endocrine Glands

दोस्तो, अब बताते हैं उन अंतःस्रावी ग्रंथियों के नाम जिनसे हार्मोन स्रावित होते हैं। ये निम्नलिखित हैं –

1.पिट्यूटरी (Pituitary) – पिट्यूटरी को “मास्टर कंट्रोल ग्लैंड” कहा जाता है क्यों कि यह अन्य ग्रंथियों को कंट्रोल करती है तथा हार्मोन के विकास को ट्रिगर करती है।

2. पीनियल (Pineal) –  इसे थैलेमस (thalamus) भी कहते हैं, यह मेलाटोनिन के सेरोटोनिन डेरिवेटिव का निर्माण करती है और यह नींद पर अपना प्रभाव डालती है। 

3. थाइमस (Thymus) – थाइमस ग्रंथि अनुकूल प्रतिरक्षा प्रणाली और थाइमस की परिपक्वता के काम में सक्रिय भूमिका निभाती है तथा टी-कोशिकाओं का उत्पादन करती है।

4. थायराइड (Thyroid) – यह कैलोरी बर्न करने और हृदय गति से संबंधित हार्मोन का निर्माण करती है।

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5. पैराथायराइड (Parathyroid)- यह शरीर में कैल्शियम की मात्रा को नियंत्रित करने का कार्य करती है।

6. हाइपोथैलेमस (Hypothalamus) – यह ग्रन्थि शरीर के तापमान, भूख, प्यास, नींद, यौन क्रियाओं को कंट्रोल करने और मूड, व्यवहार को सही बनाये रखने तथा अन्य ग्रंथियों से हार्मोन के उत्पादन के लिए उत्तरदायी होता है। 

7. अग्नाशय (Pancreas) – यह ग्रंथि इंसुलिन हार्मोन रिलीज़ करने के लिये जिम्मेदार होती है जो रक्त में ग्लुकोज़ के स्तर को नियंत्रित करती है।

8. एड्रेनल (Adrenal) – यह उन हार्मोन का निर्माण करती हैं जो सेक्स और कोर्टिसोल, तनाव को कंट्रोल करते हैं।

9. ओवरिज (Ovaries) – ओवरिज केवल महिलाओं में होती है। यह एस्ट्रोजन, टेस्टोस्टेरोन और प्रोजेस्टेरोन, महिला सेक्स हार्मोन का उत्पादन करती है।

10. अंडकोष ग्रन्थि (Testicle) – यह पुरुषों में, पुरुष सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन तथा शुक्राणुओं का उत्पादन करती है।

हार्मोनल डिसऑर्डर के सामान्य कारण – Common Causes of Hormonal Disorder

हार्मोनल डिसऑर्डर के सामान्य कारण भी होते हैं जो महिला और पुरुष दोनों में हो सकते हैं। ये निम्न प्रकार हैं –

  • अनुवांशिकता
  • तनाव, चिंता, अवसाद
  • नींद की समस्या
  • भोजन विकार, असंतुलित और पोषक तत्व रहित भोजन
  • हार्मोन थेरेपी
  • कुछ दवाओं की प्रतिक्रिया
  • कीमोथेरेपी 
  • ट्यूमर
  •  पिट्यूटरी ट्यूमर
  • चोट या आघात

हार्मोनल डिसऑर्डर के जोखिम कारक – Risk Factors for Hormonal Disorders

निम्नलिखित कारक भी हार्मोनल डिसऑर्डर को ट्रिगर कर सकते हैं – 

  • विषाक्त खाद्य, पेय पदार्थ
  • कीटनाशक
  • रसायनों, पेन्ट आदि के संपर्क में आना
  • धूम्रपान
  • अत्याधिक शराब पीना
  • ड्रग्स का सेवन
  • फास्ट फूड या जंक फूड अधिक सेवन
  • किसी विशेष खाद्य या पेय पदार्थ से एलर्जी
  • किसी विशेष दवा से एलर्जी
  • ऐसी स्थिति जिसमें बहुत देर तक खड़े होकर या बहुत देर तक बैठकर कार्य करना पड़ता हो
  • शरीर को उचित आराम ना मिल पाना
  • गतिहीन जीवन शैली जिसमें कोई शारीरिक गतिविधि ना हो।

हार्मोनल डिसऑर्डर के सामान्य लक्षण – Common Symptoms of Hormonal Disorder

महिलाओं और पुरुषों में पाए जाने वाले हार्मोनल डिसऑर्डर के सामान्य लक्षण निम्न प्रकार हैं –

  • असामान्य गति से वजन बढ़ना
  • अचानक से वजन कम होना
  •  थकावट और कमजोरी
  •  मांसपेशी में शिथिलता यानि कमजोरी
  •  मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन
  •  जोड़ों में दर्द, सूजन या जकड़न 
  • सर्दी और गर्मी के प्रति संवेदनशीलता 
  • कब्ज रहना या कई बार मल त्याग की समस्या होना
  • जल्दी-जल्दी मूत्र विसर्जन की समस्या 
  • अधिक पसीना आना
  • अधिक भूख, प्यास लगना
  • दृष्टि धुंधली होना
  • हृदय गति में वृद्धि या कमी होना
  • त्वचा में ड्राईनेस
  • चेहरे पर सूजन
  • कामेच्छा, कामशक्ति में कमी
  • तनाव, डिप्रेशन 
  • चिंता या भय 
  • व्यवहार में चिड़चिड़ापन  
  • घबराहट

हार्मोनल डिसऑर्डर के घरेलू उपाय – Home Remedies for Hormonal Disorder

अब बताते हैं आपको कुछ निम्नलिखित घरेलू उपाय जिनको अपनाकर हार्मोनल डिसऑर्डर को रोका जा सकता है और यह समस्या है भी तो इससे छुटकारा पाया जा सकता है।

1. नारियल का तेल (Coconut oil)- दोस्तो, नारियल प्रकृति द्वारा दिया गया एक ऐसा वरदान है कि जिसके पानी में प्राकृतिक मिठास होती है। इसे पीया तो समझो जैसे अमृत पी लिया हो। स्वास्थ के लिये बेहद लाभकारी होता है। जहां तक नारियल के तेल का प्रश्न है तो यह प्राकृतिक एंटीसेप्टिक होता है अनेक रोगों के निवारण में काम आता है। 

यह मेटाबोलिज्म को बढ़ा कर मोटापे को कम करने में सहायता करता है। यह शरीर की आंदरूरी सूजन को कम करता है जो हार्मोनल डिसऑर्डर की वजह से हो सकती है। हार्मोनल डिसऑर्डर की समस्या से राहत पाने के लिए शुद्ध प्राकृतिक नारियल तेल भोजन में इस्तेमाल करें तथा दिन में दो बार एक-एक चम्मच पी सकते हैं। ये फैटी एसिड युक्त होता है। 

2. ग्रीन टी (Green Tea)- एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइन्फ्लेमेटरी जैसे गुणों से सम्पन्न ग्रीन टी मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर वजन कम करने मदद करती है तथा आंदरूरी सूजन को कम करती है। यह हार्मोन संतुलन को बनाए रखती है। 

दिन में दो या तीन बार ग्रीन टी का सेवन करें, हार्मोनल डिसऑर्डर की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा। ग्रीन टी पर अधिक  जानकारी के लिए हमारा पिछला आर्टिकल “ग्रीन टी के फायदे” पढ़ें। 

3. ओट्स (Oats)- कई विटामिन और खनिज तत्वों से भरपूर ओट्स को सुपरफूड माना जाता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लेमेटरी,एंटीमाइक्रोबियल गुण मौजूद होते हैं। यह पाचनतंत्र के लिये सबसे बेहतरीन भोजन माना जाता है।

यह इम्युनिटी को बढ़ाता है, मोटापा कम करता है, पेट साफ़ रखता है, तनाव को दूर करता है, हड्डियों को मजबूत बनाता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। ओट्स रक्त में ग्लुकोज़ की मात्रा को नियंत्रित करता है तथा शरीर की सूजन को कम करके हार्मोन में संतुलन बनाए रखता है। अपने भोजन में ओट्स को शामिल करें।

4. दालचीनी (Cinnamon)- भारतीय मसाले अपने औषधीय गुणों के कारण विश्व में प्रसिद्ध हैं। दालचीनी में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीफंगल, एंटीइंफ्लामेटरी, एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। इसके एंटीमाइक्रोबियल गुण पाचन तंत्र व पेट में संक्रमण का कारण बनने वाले बैक्टीरिया के विरुद्ध लड़ते हैं और एंटीइंफ्लामेटरी सूजन कम करने का काम करते हैं। 

हार्मोनल डिसऑर्डर से राहत पाने के लिए अपने भोजन में दालचीनी का उपयोग करें। इसके अतिरिक्त चाय बनाते समय भी इसमें दालचीनी पाउडर डाल दें, फिर इस चाय को पीएं। दालचीनी पर विस्तार से जानकारी के लिए हमारा पिछला आर्टिकल “दालचीनी के फायदे” पढ़ें। 

5. दही (Curd)- प्राकृतिक प्रोबायोटिक होती है। प्रोबायोटिक्स वे बैक्टीरिया होते हैं जिनको अच्छा माना जाता है और स्वास्थ के लिए लाभदायक होते हैं। शरीर में अच्छे बैक्टीरिया की कमी के कारण पाचन से संबंधित समस्याएं होती हैं तथा अंदर सूजन भी बनती है। 

परिणाम स्वरूप हार्मोन में असंतुलन हो जाता है। इसलिए प्रतिदिन एक कप दही का सेवन करें। इससे हार्मोनल डिसऑर्डर की संभावना नहीं होगी।

6. गाजर (Carrot)- कई विटामिन और पोटेशियम, कैल्शियम, फाइबर, मैग्‍नीशियम, सोडियम, आयरन, फास्‍फोरस आदि खनिजों से भरपूर गाजर में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीकार्सिनोजेनिक, एंटीडायबिटिक गुण मौजूद होते हैं। यह ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रोल को कंट्रोल करती है, वजन कम करती है, हड्डियां मजबूत बनाती है तथा आयरन की कमी को पूरा करके एनीमिया की समस्या से राहत दिलाती है। यह महिलाओं के लिए विशेष लाभकारी  होती है। 

यह अतिरिक्त एस्ट्रोजेन को शरीर से बाहर निकाल कर शरीर को डिटाक्सीफाई करती है। मासिक धर्म से पहले होने वाली समस्याओं के निवारण के लिये महिलाओं को गाजर का जूस पीना चाहिये। यह हार्मोनल डिसऑर्डर के लक्षणों को कम करने में मदद करती है।

7. डार्क चॉकलेट (Dark Chocolate)- डार्क चॉकलेट में कई प्रकार के विटामिन तथा आयरन, कॉपर, फ्लैवनॉल्स, जिंक कैल्शियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। डार्क चॉकलेट एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होती है। इसके अतिरिक्त इसमें एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीप्लेटलेट एंटीहाइपरटेन्सिव तथा मोटापा कम करने वाला एंटीओबेसिटी गुण भी होते हैं। 

डार्क चॉकलेट को मूड अच्छा करने का सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है। यह तनाव, डिप्रेशन, चिंता आदि को दूर कर खुशी का माहौल बनाती है। ये सभी हार्मोनल डिसऑर्डर के लक्षण हैं जिनको कम करने में डार्क चॉकलेट सक्रिय भूमिका निभाती है। डार्क चॉकलेट पर विस्तार से जानकारी के लिए हमारा पिछला आर्टिकल “डार्क चॉकलेट के फायदे” पढ़ें। 

8. बीज (Seed)- कुछ खाद्य पदार्थों के बीजों में अद्भुत शक्ति होती है और ऐसे औषधीय गुण मौजूद होते हैं जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ के लिये लाभदायक होते हैं। उदाहरण के लिये अलसी के बीज (Flax seeds), कद्दू के बीज (Pumpkin seeds) और सूरजमुखी के बीज (Sunflower seeds) ऐसे ही स्वास्थवर्धक बीज हैं।

इन सभी में ओमेगा-3 Fatty acid भरपूर मात्रा में उपलब्ध होता है जो विशेषकर महिलाओं के लिये अधिक उपयोगी होता है। मासिक धर्म से समय और रजोनिवृति के दौरान हार्मोन के स्तर में कुछ परिवर्तन होने लगते हैं जो हार्मोनल डिसऑर्डर की वजह बनते हैं। इसके लक्षणों को कम करने में ये बीज सक्रिय भूमिका निभाते हैं।

9. एवोकाडो (Avocado)- एवोकाडो एक ऐसा फल है जो कई विटामिन और कई खनिज तत्वों से भरपूर होता है। यह एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है। एवोकाडो को मोनोअनसैचुरेटेड, पॉलीअनसेचुरेटेड और सैचुरेटेड फैटी एसिड का समृद्ध स्रोत माना जाता है।

जिनमें एंटीइंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं जो हार्मोनल डिसऑर्डर के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं। इसलिये वजन कम करने और हार्मोनल डिसऑर्डर की समस्या से राहत पाने के लिए प्रतिदिन एवोकाडो का सेवन करें।

10. अश्वगंधा (Ashwagandha)- अश्वगंधा एक ऐसी जड़ी बूटी है जो पेट की समस्याओं से छुटकारा दिलाती है, इम्युनिटी बूस्ट करती है और संक्रमण से बचाती है। इसके अतिरिक्त यह तनाव, चिंता, डिप्रेशन, नींद की समस्या जोकि हार्मोनल डिसऑर्डर के लक्षण हैं को कम करने में मदद करती है। 

यौन संबंधित समस्याएं, मासिक धर्म की अनियमितता आदि भी हार्मोनल डिसऑर्डर के लक्षण हैं, अश्वगंधा इनका भी निवारण करती है। हार्मोन में संतुलन बनाए रखने और हार्मोनल डिसऑर्डर यदि है तो इससे छुटकारा पाने लिए प्रतिदिन 2-3 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण का सेवन करें। अश्वगंधा पर विस्तार से जानकारी के लिए हमारा पिछला आर्टिकल “अश्वगंधा के फायदे” पढ़ें।

हार्मोनल डिसऑर्डर से बचाव – Prevention of Hormonal Disorder 

दोस्तो, अब बताते हैं आपको कुछ निम्नलिखित उपाय जिनको अपनाकर हार्मोनल डिसऑर्डर की स्थिति से बचा जा सकता है। हां, हार्मोनल डिसऑर्डर के कुछ कारण ऐसे होते हैं जिनको रोका नहीं जा सकता परन्तु जीवनशैली में कुछ बदलाव करके ऐसी स्थिति की गति को कम किया जा सकता है – 

1. खानपान (Food and Drink)- आपका भोजन विटामिन और खनिजों युक्त, पोषक तत्वों से भरपूर होना चाहिए। भोजन में दही, ड्राई फ्रूट्स, ताजा फल, हरी सब्जियां, सलाद आदि सम्मलित होने चाहिएं।

2. मीठा कम खाएं (Eat Less Sweets)-  रिफाइंड शुगर का अत्याधिक सेवन करना, हार्मोनल डिसऑर्डर को ट्रिगर कर सकता है। इसलिये मीठा कम खाएं विशेषकर 40 वर्ष की आयु शुरु होने पर। अग्नाशय अधिक इंसुलिन रिलीज़ करने लगता है जिससे डायबिटीज भी होने की संभावना रहती है।  स्वास्थ के लिये नमक भी कम खाएं तो बेहतर होगा। 

3. ओमेगा-3 फैटी एसिड (Omega-3 Fatty Acid)- हार्मोन में संतुलित बनाए रखने के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थों को अपने भोजन में सम्मलित करें। हमने ऊपर कुछ बीजों का जिक्र किया है। ओमेगा-3 फैटी एसिड हार्मोनल डिसऑर्डर से होने वाली सूजन से राहत दिलाने में मदद करता है, साथ ही तनाल, चिंता, डिप्रेशन को भी कम करता है।

 इसके लिये सैल्मन और सार्डिन वसायुक्त मछली का सेवन कर सकते हैं। विकल्प स्वरूप 250-500 मिलीग्राम ओमेगा-3 फैटी एसिड सप्लीमेंट लिए जा सकते हैं। 

4. जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक्स, तीखा तेज मिर्च-मसाले वाले, ऑयली खाद्य पदार्थों को अवॉइड करें।

5. धूम्रपान, शराब, नशीले पदार्थ, ड्रग्स आदि को अवॉइड करें।

6. शारीरिक गतिविधियां (Physical Activities)- शारीरिक गतिविधियां ना करना या नहीं के बराबर गतिविधियां होना हार्मोनल डिसऑर्डर को ट्रिगर कर सकती हैं। यानि कि एक ही जगह बैठे रहना जैसे कि ताश खेलने वाले घंटों बैठे रहते हैं या लेटे रहना आदि, इन सबको अवॉइड करें और शारीरिक गतिविधियां करें। 

7. योग और व्यायाम करना (Yoga and Exercise)– प्रतिदिन सुबह हो सके तो शाम को भी योग, ध्यान, प्राणायाम और व्यायाम अवश्य करें, इससे शरीर चुस्त-दुरुस्त रहता है और हार्मोन में संतुलन बना रहता है। हार्मोनल डिसऑर्डर की स्थिति की संभावना ही नहीं रहेगी।

8. पर्याप्त नींद लें (Get Enough Sleep)- नींद एक ऐसी आवश्यकता है जो यदि पूरी ना हो या बार-बार बाधित हो, तो यह हार्मोनल डिसऑर्डर को ट्रिगर कर सकती है क्यों कि आराम भी शरीर के लिए बहुत जरूरी है। डॉक्टर भी 6-8 घंटे की नींद लेने की सलाह देते हैं। इसलिये हार्मोन में संतुलन बनाए रखने के लिए रात को जल्दी सोएं ताकि 6-8 घंटे की अच्छी नींद मिल सके।

9. रसायनों से बचें (Avoid Chemicals)- ऐसे स्थानों पर जाने से बचें जहां रसायनों का प्रभाव हो या पेन्ट, गैस आदि का प्रभाव हो। यदि काम ही कुछ इस प्रकार का है कि जहां इनके बीच ही रहना पड़ता हो तो प्रशासन से इनसे बचाव के तरीकों के बारे में जाने, समझें और अपनाएं।

Conclusion – 

दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको हार्मोन और हार्मोनल डिसऑर्डर के बारे में विस्तार से जानकारी दी। हार्मोन और हार्मोनल डिसऑर्डर क्या हैं, हार्मोन के प्रकार, अंतःस्रावी ग्रंथियां, हार्मोनल डिसऑर्डर के सामान्य कारण, हार्मोनल डिसऑर्डर के जोखिम कारक और हार्मोनल डिसऑर्डर के सामान्य लक्षण, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से हार्मोनल डिसऑर्डर के बहुत सारे घरेलू उपाय बताए और हार्मोनल डिसऑर्डर से बचाव के उपाय भी बताए। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा। 

दोस्तो, इस आर्टिकल से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो आर्टिकल के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह आर्टिकल आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।

Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से सलाह ले लें।

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हार्मोनल डिसऑर्डर के घरेलू उपाय
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हार्मोनल डिसऑर्डर के घरेलू उपाय
Description
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको हार्मोन और हार्मोनल डिसऑर्डर के बारे में विस्तार से जानकारी दी। हार्मोन और हार्मोनल डिसऑर्डर क्या हैं, हार्मोन के प्रकार, अंतःस्रावी ग्रंथियां, हार्मोनल डिसऑर्डर के सामान्य कारण, हार्मोनल डिसऑर्डर के जोखिम कारक और हार्मोनल डिसऑर्डर के सामान्य लक्षण, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया।
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