दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, हम सभी जानते हैं कि “बैली फैट” के कारण बाहर निकला हुआ पेट किसी को भी अच्छा नहीं लगता, खुद अपने को भी नहीं। इसे कम करने के लिये लोगबाग अनेक उपाय करते हैं जैसे डाइटिंग, सुबह का नाश्ता छोड़ देना, दवाईयां, जिम में जाकर एक्सरसाइज करना आदि। पर इन सबसे भी कोई फायदा नहीं होता उल्टा कई बार शरीर को नुकसान हो जाता है। मगर क्या आप जानते हैं कि योगा एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जिसके द्वारा बैली फैट को कम किया जा सकता है। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “बैली फैट कम करने के योगासन”।
योगा एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जिसके द्वारा अनेक शारीरिक और मानसिक बीमारियों का इलाज किया जाता है। योगा का लोहा आज पूरा विश्व मान चुका है और 21 जून को विश्व योगा दिवस मनाया जाता है। देसी हैल्थ क्लब इस आर्टिकल के माध्यम से आज आपको बैली फैट के बारे में विस्तार से जानकारी देगा और यह भी बतायेगा कि कौन-कौन से योगासन के द्वारा इसे कम किया जा सकता है। तो सबसे पहले जानते हैं कि बैली फैट क्या है और इसके कितने प्रकार होते हैं। फिर इसके बाद बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।
बैली फैट क्या है? – What is Belly Fat?
सरल भाषा में कहें तो, बैली फैट यानी पेट पर चर्बी (वसा – Fat) का बढ़ जाना ही बैली फैट कहलाता है। जिसके कारण पेट बाहर निकल आता है और शरीर बेढब दिखाई देता है। इसे मोटापा भी कहते हैं जिसको दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है एक सर्वांग मोटापा जिसमें लगभग शरीर के सभी अंगों पर समान रूप से फैट बढ़ता है और दूसरा सीमित मोटापा, इसमें शरीर के कुछ अंगों पर ही फैट बढ़ता है जैसे बांह, जांघ या पेट पर।
ज्यादातर यह फैट पेट पर बढ़ता है जोकि एक समस्या है और इससे छुटकारा पाना जरूरी है। बैली फैट के कई कारण हो सकते हैं जिनका जिक्र हम आगे करेंगे। पेट की चर्बी के बारे में और इससे छुटकारा पाने के बारे में हम पहले ही लिख चुके हैं। इस बारे में विस्तार से जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “पेट की चर्बी कम करने के उपाय” पढ़ें।
बैली फैट के प्रकार – Types of Belly Fat
बैली फैट निम्नलिखित पांच प्रकार का होता है –
1. ब्लोटेड बेली (Bloated Belly)- असंतुलित, खराब, पोषक तत्वों की कमी वाले भोजन या अपच के कारण एसिडिटी और गैस बनती है जिससे पेट फूलने या ब्लोटिंग की समस्या होती है। ग्लूटेन, एल्कोहल लैक्टोज इंटॉलरेंस के कारण भी यह समस्या हो सकती है। यह मोटे लोगों के साथ पतली महिलाओं पर भी प्रभाव डालता है। पेट पर कई घंटे सूजन भी रह सकती है। इससे छुटकारा पाने के लिए नियमित व्यायाम और फाइबर युक्त भोजन उत्तम उपाय हैं।
2. लोअर बेली (Lower Belly)- इसमें शरीर का ऊपरी हिस्सा यानी पेट के ऊपर का भाग ठीक रहता है मगर पेट और निचले भाग का आकार बिगड़ जाता है। बैली फैट का यह प्रकार अधिकतर महिलाओं में देखने को मिलता है। यह कम गतिविधियों और पाचन संबंधी समस्याओं के कारण होता है।
3. स्ट्रेस बेली (Stress Belly)- इसमें नाम के अनुरूप तनाव के कारण फैट बढ़ता है। कोई व्यक्ति जब बहुत ज्यादा मानसिक तनाव से ग्रस्त रहने लगता है या लंबे समय तक एक ही जगह बैठे रहता है और वहीं खाता है तो उसके पेट पर फैट जमा होने लगता है। कोर्टिसोल के स्तर में वृद्धि इसका मुख्य कारण होता है।
4. हार्मोनल बेली (Hormonal Belly)- हार्मोन में परिवर्तन और असंतुलन के कारण पेट पर अतिरिक्त फैट जमा होने लगता है जिससे वजन बढ़ता जाता है। हाइपरथायरायडिज्म से पीसीओएस तक, कई हार्मोनल परिवर्तन होते हैं और और अनियमितताएं भी होती हैं।
5. पोस्टपार्टम बेली (Postpartum Belly)- प्रसव के पश्चात कुछ महिलाओं का गर्भाशय भारी हो जाता है जिसके कारण उनका पेट बाहर निकल जाता है। वे गर्भवती ना होते हुऐ भी गर्भवती जैसी दिखाई देती हैं। प्रसव के बाद इस स्थिति को सामान्य होने में समय लगता है, इसलिये तनावमुक्त रहना चाहिये। प्रसव के तीन महीने बाद एक्सरसाइज शुरु कर सकती हैं।
बैली फैट बढ़ने के कारण – Reasons for Increasing Belly Fat
ऊपर हमने बैली फैट के प्रकार में कुछ कारणों का जिक्र किया है। बैली फैट बढ़ने के सामान्यतः निम्नलिखित कारण होते हैं –
1. बढ़ती उम्र (Growing Old)- बढ़ती उम्र में अक्सर बैली फैट बढ़ ही जाता है चाहे महिला हो या पुरुष। बढ़ती उम्र में अनेक परिवर्तन होते हैं जैसे जीवनशैली, खानपान में बदलाव। सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारियां भी इसका कारण बनते हैं। बैली फैट 40 की उम्र के बाद ज्यादातर महिलाओं को प्रभावित करता है।
2. रजोनिवृत्ति (Menopause)- रजोनिवृत्तिभी बैली फैट बढ़ने का कारण है क्योंकि रजोनिवृत्ति के समय हार्मोन्स में परिवर्तन होता है, एस्ट्रोजन हार्मोन कम और एंड्रोजन हार्मोन ज्यादा हो जाते हैं।
3. नींद (Sleep)- नींद पूरी ना होना अर्थात् पर्याप्त नींद ना लेना या बहुत अधिक सोना, इन दोनों ही स्थितियों में पाचन तंत्र पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इस कारण शरीर में फैट जमा होने लगता है।
4. शारीरिक गतिविधि (Physical Activity)- शारीरिक गतिविधि ना होना या बहुत कम होना भी बैली फैट को जन्म देता है। एक ही जगह बैठे रहना जैसे ऑफिस, दुकान आदि। ना कहीं घूमना फिरना, ना सुबह शाम की सैर ना ही व्यायाम ये सब वजह बहुत हैं बैली फैट के बढ़ने की।
5. तनाव (Stress)- तनाव बहुत बड़ा कारण है फैट के बढ़ने का क्योंकि इससे भी चर्बी बढ़ाने का कारण बनता है। तनाव रहने से रक्त में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ता है जो शरीर में फैट को बढ़ा देता है। इस कारण वसा कोशिकायें बड़ी हो जाती हैं जिसका सीधा प्रभाव पेट पर पड़ता है।
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6. खाते रहना (Keep Eating)- कुछ लोग ऐसे होते हैं जो वक्त, बेवक्त खाते ही रहते हैं। कभी खाली बैठे हुऐ, कभी ज्यादा काम के बहाने तो कभी स्वाद चखने के लिये। बिना भूख खाते रहने से कार्ब्स और फैट की बहुत अधिक मात्रा उनके पेट में चली जाती है इस कारण कमर और पेट के आसपास का फैट बढ़ने लगता है।
7. जंक फूड व तले भुने खाद्य पदार्थ (Junk Food and Fried Foods)- पिज्जा, बर्गर, मोमोज़ जैसे जंक फूड, तले भुने खाद्य पदार्थ, कोल्ड ड्रिंक्स आदि फैट को बढ़ाने का काम करते हैं। इसकी चपेट में छोटे बच्चे और टीनेजर्स अधिक हैं।
8. अधिक मीठे पदार्थ (More Sweet Foods)- अधिक मीठे खाद्य, पेय पदार्थ भी बैली फैट को बढ़ाने में मदद करते हैं जैसे मिठाईयां, फ्रूट जूस, फ्रूट/मिल्क शेक, बार-बार चाय, कॉफी आदि का सेवन।
9. शराब (Liquor)- बहुत ज्यादा और रोजाना शराब पीने से भी शरीर पर फैट जमता है साथ ही लिवर और फेफड़ों पर भी बुरा असर पड़ता है।
10. विशेष बीमारियां (Special Diseases)- कुछ विशेष बीमारियों के कारण जैसे कि थायराइड, किडनी और हृदय रोग, भी फैट तेजी से बढ़ता है।
बैली फैट कम करने के योगासन – Yoga Asanas To Reduce Belly Fat
दोस्तो, अब बताते हैं आपको कुछ निम्नलिखित योगासन जिनको करके आप बैली फैट कम कर सकते हैं –
1. ताड़ासन (Tadasana)- अनेक आसनों का आधार होने के कारण इसे मूलभूत आसन माना जाता है। इसे करना भी आसान है। इसके करने से ना केवल पेट की चर्बी कम होती है बल्कि, कमर में दर्द, मांसपेशियों, पैरों और घुटनों में होने वाले दर्द से राहत मिलती है। शरीर सुडौल रहता है, कद बढ़ता है और शारीरिक तथा मानसिक संतुलन बना रहता है। गर्भवती महिलाओं कम रक्तचाप वालों को, हृदय संबंधी समस्या वालों को यह आसन नहीं करना चाहिये।
ताड़ासन करने की विधि –
(i). पहले एकदम सीधे खड़े हो जाएं, पैरों को मिला लें या इनके बीच लगभग 10 सें।मी। का फासला रख सकते हैं, गर्दन, कमर सीधी, बाजू तने हुऐ।
(ii). अब हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाकर, बाजुओं को सिर से ऊपर ले जायें। बाजू कानों से सटे हुए और हथेलियां आकाश की ओर। सिर हल्का सा पीछे, आंखें सामने की ओर केन्द्रित।
(iii). एड़ियों को ऊपर उठायें यानी सारा वजन पैर के पंजों पर। गहरी सांस भरते हुए शरीर को ऊपर खींचें, संतुलन बनाये रखें। सांस लेते रहें और 5-7 सेकेन्ड इसी मुद्रा में रहें।
(iv). हथेलियां खोल दें और वापिस पहले वाली सामान्य वाली स्थिति में आ जायें।
(v). फिर से हथेलियां मिलाकर बाजू सिर से ऊपर ले जायें, गहरी सांस भरते हुए, एड़ियों को ऊपर उठाकर, पूरे शरीर को ऊपर खींचें, सांस लेते हुए कुछ सेकेन्ड रुकें और वापस सामान्य स्थिति में आ जायें।
(vi). इस प्रक्रिया को दोहराते रहें जब तक आपको सहज लगे।
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2. त्रिकोणासन (Trikonasana)- पेट की चर्बी कम करने के लिये यह उत्तम आसन है मगर हल्का सा कठिन है। इसमें शरीर की त्रिकोण की मुद्रा बनती है इस कारण इसे त्रिकोणासन कहते हैं। इस योगासन से शरीर के सभी अंग प्रभावित होते हैं। इसमें मांसपेशियों पर खिंचाव पड़ने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर बनता है। कमर दर्द, साइटिका, कब्ज और एसिडिटी की समस्याओं में आराम मिलता है। हाई और लो ब्लड प्रेशर, अधिक कमर में दर्द, अधिक एसिडिटी, गर्दन और अधिक पीठ दर्द की स्थिति में इस योगासन को ना करें।
त्रिकोणासन करने की विधि –
(i) मैट बिछाकर सीधा खड़े हो जाएं, बाजुओं को शरीर से सटाकर रखें, पैरों के बीच लगभग दो फीट का गैप बनायें। फिर बाजुओं को कंधों तक फैलाएं।
(ii) अब सांस भरते हुऐ अपने दायीं बाजू को सिर से ऊपर ले जायें और बाएं पैर को थोड़ा सा बाहर की तरफ मोड़ दें।
(iii) सांस छोड़ते हुए कमर को धीरे-धीरे बायीं तरफ झुकाएं। दायीं बाजू को जमीन के समानांतर लायें और बाएं हाथ से बाएं पैर के टखने को छूएं। यदि नहीं छू सकते तो हाथ जहां तक ला सकते हैं वहां तक लायें। दृष्टि ऊपर की ओर रहे, 10-30 सेकेंड तक इसी मुद्रा में रहें, सांस लेते और छोड़ते रहें। अपनी सामान्य स्थिति में वापस आयें।
(iv) अब बायीं बाजू ऊपर, दायां पैर बाहर की ओर मुड़ा हुआ, कमर को धीरे-धीरे दायीं तरफ झुकाएं। बायीं बाजू जमीन के समानान्तर, दायें हाथ से दायें पैर के टखने को छूने का प्रयास करें। सांस लेते रहें, कुछ सेकेंड रुकें और वापस सामान्य स्थिति में आयें।
(v) हर तरफ के 3-5 चक्र कर सकते हैं।
3.उत्तानपादासन (Uttanpadasana)- इस आसन की विशेषता यह है कि इसे पीठ के बल लेट कर किया जाता है और पैरों को ऊपर उठाना होता है। इसीलिये इसे उत्तान (ऊपर उठा हुआ) पाद (पैर) योगासन कहा जाता है। इसके करने से पेट मांसपेशियां मजबूत होती हैं, पेट का फैट कम होने के अतिरिक्त गैस, एसिडिटी, कब्ज आदि की समस्या में फायदा होता है। यह आसन गर्भवती महिलाओं को और उन लोगों को नहीं करना चाहिये जिनका पेट का ऑपरेशन हुआ हो।
उत्तानपादासन करने की विधि –
(i). सबसे पहले मैट बिछा कर पीठ के बल लेट जायें। बाजू जमीन पर टिके हुए, हथेलियां जमीन की तरफ।
(ii). गहरी सांस भरते हुए दोनों पैरों को धीरे-धीरे ऊपर उठायें, 30 डिग्री के कोण तक ऊपर यानी लगभग जमीन से एक फुट ऊपर।
(iii). लगभग 30 सेकेन्ड तक पैरों को इसी पोजीशन में रोकें, सांस लेते रहें। फिर गहरी सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे पैरों को नीचे जमीन पर लायें।
(iv). इसे तीन से पांच बार करें।
(v). ध्यान रहे पैरों को धीरे-धीरे ऊपर ले जाना है और नीचे लाना है, झटके के साथ नहीं।
4. धनुरासन (Dhanurasana)- इस आसन की विशेषता है कि यह पेट के बल लेटकर किया जाता है। इसे करते समय शरीर का मुद्रा धनुष के आकार की हो जाती है। पेट का फैट कम करने के अतिरिक्त शरीर का वजन कम करने के लिये इस आसन को करना लाभप्रद होता है। किडनी, अग्न्याशय, लिवर और आंतों की समस्या में भी धनुरासन को लाभदायक माना जाता है। कमर दर्द से छुटकारा पाने के लिये यह रामबाण योगासन माना जाता है। हर्निया, पथरी, पेट में अल्सर, साइटिका जैसी समस्या में इस आसन को नहीं करना चाहिये।
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धनुरासन करने की विधि –
(i) मैट बिछाकर पेट के बल लेट जायें, ठोड़ी जमीन पर टिकी हुई, दृष्टि सामने की ओर सीधी और दोनों हाथ जांघो से लगे हुए।
(ii) सांस छोड़ते हुए दोनों घुटनों को मोड़कर उठायें और दोनों हाथ पीछे ले जाकर टखनों को पकड़ें।
(iii) सांस लेते हुए सिर और छाती को जितना हो सके ऊपर उठायें, हाथों से पैरों को आगे की तरफ खींचें। शरीर का भार पेट पर आ जाना चाहिये। इसी कसी हुई घुमावदार, धनुष के समान मुद्रा में 10-20 सेकेन्ड तक रहें।
(iv) अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए पैरों, ठोड़ी और छाती को जमीन पर टिकायें और आराम करें। फिर अपनी सामान्य मुद्रा में वापिस आ जायें।
(v) इस योगासन के पांच चक्र करें अवश्य करने का प्रयास करें।
5. उष्ट्रासन (Ustrasana)- उष्ट्रासन करते समय शरीर की मुद्रा ऊंट की आकृति के समान बन जाती है। पेट की चर्बी कम करने के अतिरिक्त यह रीढ़ की हड्डी की समस्या से राहत पाने लिये उत्तम योगासन है। इसकी विशेषता है कि इसे सुबह के अतिरिक्त शाम के समय भी किया जा सकता है। इसमें रीढ़ की हड्डी को मोड़ा जाता है जिससे रीढ़ की हड्डी में लचीलापन आता है। इस योगासन से कमर और कंधे मजबूत बनते हैं और पाचन प्रक्रिया में सुधार होता है। हर्निया, थायरॉयड की समस्या वालों को यह योगासन नहीं करना चाहिये।
उष्ट्रासन करने की विधि –
(i) मैट बिछाकर घुटनों के बल बैठ जाएं, हाथ हिप्स पर रख लेंं। घुटने और कंधे एक सीध में, पैरों के तलवे ऊपर की ओर।
(ii) घुटनों और पैरों के बीच एक फुट की दूरी बनाकर घुटनों के बल खड़े हो जायें।
(iii) सांस भरते हुए धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकें और झुकते हुए हाथों से पैरों की ऐड़ियों को मजबूती से पकड़ लें। पूरा दबाव नाभि पर; ध्यान रहे कि पीछे झुकते हुए गर्दन में झटका न लगे।
(iv) गर्दन को ढीला रखें। गर्दन पर अकड़ापन या तनाव ना आने दें।
(v) इस मुद्रा में 30-60 सेकेन्ड तक रहें। सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आराम से वापस पहली स्थिति में आ जायें। ध्यान रहे कि वापस आते हुए कोई झटका नहीं लगना चाहिये।
6. भुजंगासन (Bhujangasana)- भुजंगासन सूर्य नमस्कार के 12 आसनों में आता है और यह 7वां आसन है। इसे करते समय शरीर की मुद्रा फन उठाये सांप के समान बन जाती है। इससे पेट की चर्बी कम होती है, शरीर लचीला बनता है और कमर दर्द में भी आराम लगता है। रीढ़ की ऊपरी हड्डियों पर दबाव पड़ने के कारण हड्डियों की स्थिति में सुधार होता है। पाचन में सुधार होता है और तनाव भी खत्म होता है। हर्निया, पीठ में चोट या फ्रक्चर, सिर दर्द, पेट के निचले भाग की सर्जरी की स्थिति में यह योगासन नहीं करना चाहिए।
भुजंगासन करने की विधि –
(i) मैट बिछाकर पेट के बल लेट जायें। दोनों हथेलियां जमीन की दिशा में जांघों के पास रखें। दोनों पैर पीछे की ओर सीधे रहें, इनके बीच में कोई गैप नहीं होना चाहिये, घुटने आपस में मिले हुए।
(ii) दोनों हाथ की हथेलियों को कंधों के नीचे लाकर जमीन पर टिकायें। अब सांस भरते हुए, हथेलियों पर वजन डालते हुए सिर को पीछे की तरफ खींचें और साथ ही शरीर के अगले हिस्से को यानी छाती, पेट तक को ऊपर उठायें। शरीर का सारा वजन हथेलियों पर और दबाव पेट पर महसूस करें। सांस लेते, छोड़ते रहें। ध्यान रहे कमर पर दबाव ना पड़े।
(iii) इस मुद्रा में 15-30 सेकेन्ड तक रहें फिर धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जायें।
(iv) शुरुआत में दो-तीन चक्र करें जिसे बाद में अभ्यास द्वारा बढ़ाया जा सकता है।
7. कुम्भकासन (Kumbhakasana)- बैली फैट कम करने लिये कुम्भकासन एक बेहतरीन मगर थोड़ा कठिन योगासन है क्योंकि आरम्भ में शरीर का संतुलन बनाना कठिन हो जाता है। इसलिये इसको किसी अच्छे योग गुरु/ट्रेनर की देखरेख में करना चाहिये। इस योगासन से ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है, रीढ़ की हड्डी मजबूत बनती है, बाजुओं को मजबूती मिलती है, वजन कम होता है, कमर दर्द में आराम मिलता है, गर्भवती महिलाऐं, लो ब्लड प्रेशर वाले लोग, घुटनों या टखनों में दर्द, सिर दर्द, अनिद्रा से ग्रस्त व्यक्ति यह योगासन ना करें।
कुम्भकासन करने की विधि –
(i) मैट बिछाकर पेट के बल लेट जाएं।
(ii) पैर के पंजे को जमीन से सटा दें, दोनों हाथ आगे कि तरफ कंधों के पास, हथेलियां जमीन की दिशा में।
(iii) अब सांस भरते हुए हथेलियों पर शरीर का पूरा वजन डालते हुऐ शरीर को ऊपर उठायें।
(iv) कमर और गर्दन को एकदम सीधा रखें, सांस लेते रहें, 30-60 सेकेन्ड इसी पोजीशन में रहें फिर वापस अवस्था में आ जायें।
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8. मत्स्यासन (Matsyasana)- मत्स्यासन को, भगवान विष्णु के अवतार (मत्स्यावतार), मत्स्य के कार्य-कलाप नाव में सवार मानव सहित सभी प्राणियों का भार और पानी में नाव तैरने के बीच संतुलन के साथ जोड़कर देखते हैं। इस आसन को करते समय शरीर की मुद्रा मछली के समान बनती है और शरीर और मन के बीच एक सामन्जस्य स्थापित होता है। यह आसन खाली पेट ही किया जाता है और इसे करने का सबसे अच्छा समय सुबह का ही होता है। फैट कम करने के अतिरिक्त सांस की समस्या, कब्ज, एसिडिटी से छुटकारा पाने का यह उत्तम योगासन है। इससे पीठ के ऊपरी भाग और गर्दन के पीछे की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। हिप्स के जोड़ और मांसपेशियों को अच्छा स्ट्रेच मिलता है। हाई या लो ब्लड प्रेशर, माइग्रेन, अनिद्रा, घुटने में दर्द, कमर और गर्दन में दर्द आदि की समस्या में यह आसन ना करें।
मत्स्यासन करने की विधि –
(i) मैट बिछाकर पीठ के बल लेट जायें। पैर मिले हुए, बाजू शरीर के साथ लगी हुई, हथेलियां जमीन की तरफ, हिप्स के नीचे।
(ii) सांस भरते हुए कोहनियों पर दबाव बनाते हुए छाती और सिर को ऊपर उठायें। छाती को जितना ऊपर उठा सकते हैं, उठायें। सिर को पीछे खींचते हुए सिर की चोटी के स्थान को जमीन तक लायें। ध्यान रहे भार कोहनियों पर रहे गर्दन पर दबाव नहीं पड़ना चाहिये।
(iii) यहां एक और स्थिति बनती है कि पहले पैरों की आलती-पालथी मार लें और हाथों से पैर के अंगूठों को पकड़कर, कोहनियों पर दबाव बनायें। फिर सांस भरते हुए छाती और सिर को ऊपर उठायें। ऐसा करना थोड़ा कठिन पड़ता है।
(iv) पैरों और जांघों का दबाव जमीन पर बनाये रखें।
(v) सांस लेते रहें, 30-60 सेकेन्ड तक इसी मुद्रा में रहें और फिर वापस सामान्य अवस्था में आ जायें।
9. नौकासन (Boating)- जैसाकि नाम से पता चलता है कि यह नाव के समान योगासन अर्थात् इसे करने पर शरीर की मुद्रा नाव के समान हो जाती है। या ऐसा भी कह सकते हैं कि अंग्रेजी वर्णमाला के 22वां अक्षर वी (V) के समान शरीर की मुद्रा बन जाती है। इसे मध्यम श्रेणी का योगासन माना जाता है परन्तु यह सिक्स पैक योगासन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। पेट की चर्बी कम करने के साथ-साथ यह रीढ़ की हड्डी, फेफड़ों को मजबूत बनाता है और पाचन प्रक्रिया में सुधार करता है। कमर में दर्द, हर्निया, रीढ़ की हड्डी की समस्या, अल्सर|की स्थिति में यह योगासन नहीं करना चाहिये।
नौकासन करने की विधि –
(i) मैट बिछाकर आराम से बैठ जायें, टांगों को सामने की तरफ फैला लें। हाथों को पीछे की तरफ ले जायें और हिप्स से पीछे जमीन पर टिकायें।
(ii) अपने शरीर को थोड़ा ऊपर उठायें, रीढ़ की हड्डी एकदम सीधी रहे, हिप्स और टेलबोन (हिप्स के बीच की हड्डी) पर बैठ जायें, हाथों को आगे फैलायें।
(iii) टांगों को जमीन से ऊपर उठायें 30 से 45° तक। शरीर का भार हिप्स पर, दबाव नाभि पर। हाथों को टांगों के समानान्तर फैलाकर रखें या हाथों से घुटनों को नीचे की तरफ से पकड़कर रखें। यह शरीर की नाव के समान मुद्रा बन जायेगी।
(iv) सामान्य रूप से सांस लेते हुए 10 से 20 सेकेन्ड तक इसी मुद्रा में रहें। फिर वापस सामान्य अवस्था में आ जायें।
10. शवासन (Cremation)- शवासन अर्थात् शरीर की अवस्था शव (मुर्दा) के समान हो जाना। यह किसी भी योगासन के अंत में किये जाने वाला योगासन है। इसके करने से प्राकृतिक ऊर्जा प्राप्त होती है, आतंरिक ऊर्जा में बढ़ोत्तरी होती है, ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है, कमर दर्द, तनाव और अनिद्रा की समस्या से राहत मिलती है। शरीर शव के समान रहता है। इसके करने से शरीर में आतंरिक ऊर्जा बढ़ती है। यही प्राकृतिक ऊर्जा अनेक प्रकार की बीमारियों जैसे कमर दर्द आदि को समाप्त कर देती है। इसे नियमित रूप से करने से तनाव और अनिद्रा को दूर किया जा सकता है और उच्च रक्तचाप सामान्य रहता है। कमर, हिप्स, कंधों, सीने में, घुटनों में दर्द र्हो या पीठ में कड़ापन की स्थिति में इस योगासन को अवॉइड करें। यह योगासन करना जितना सरल लगता है वास्तव में उतना ही कठिन है।
शवासन करने का तरीका –
(i) समतल और सख्त सतह वाले स्थान पर मैट बिछाकर पीठ के बल सीधे लेट जायें। तकिया या कुशन का उपयोग ना करें। ध्यान रहे वहां आपको किसी भी प्रकार की डिस्टरबेंस ना हो।
(ii) अपनी आंखें बंद कर लें। दोनों टांगों के बीच लगभग डेढ़ फुट का गैप बनायें, पैर साइड-बाइ-साइड झुके हुए, जमीन को छूते हुए। बाहों की स्थिति शरीर से 45 डिग्री पर, हथेलियां खुली हुई आकाश की तरफ।
(iii) शरीर को एकदम ढीला छोड़ दें, मन को शांत करने का प्रयास की करें। सांसों की गति सामान्य।
(iv) सांसों की गति को धीमी करें मगर सांस गहरी रखते हुए अपना ध्यान सब तरफ से हटाकर शरीर पर केंद्रित करें। पहले पैरों के अंगूठे, फिर घुटने, पेट, छाती और इस प्रकार ऊपर के हिस्सों पर ध्यान लगायें। शरीर एकदम निश्चल।
(v) आप महसूस करें आपकी सांस लेने पर पूरे शरीर में सांस फैलती जा रही है और आपके अंदर अधिक ऊर्जा का संचार हो रहा है। सांस छोड़ने पर शरीर और मन शांत हो रहे हैं।
(vi) इस अवस्था में अपने को 5-10 मिनट तक स्थिर रखें।
(vii) वापस सामान्य अवस्था में आने के लिये, शरीर को धीरे-धीरे हिलायें, धीरे-धीरे आंखें खोलें और सुखासन या पद्मासन में बैठ कर कुछ देर तक आराम करें।
कुछ टिप्स – Some Tips
दोस्तो, केवल व्यायाम और योगासन करने से ही बैली फैट कम नहीं होगा, इसके साथ आपको अपने जीवन में, खानपान में कुछ बदलाव करने होंगे। हम बता रहे हैं आपको कुछ निम्नलिखित टिप्स जो बैली फैट कम करने में आप की मदद करेंगे –
1. नियमित रूप से व्यायाम और योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाइये।
2. इसके लिये रात को हल्का भोजन कीजिये, जल्दी सो जाइये ताकि आप भरपूर नींद ले सकें और सुबह जल्दी उठ जाइये ताकि आपको व्यायाम और योग के लिये समय मिल सके।
3. इस गलतफहमी में ना रहें कि सुबह का नाश्ता छोड़ने से फैट कम हो जायेगा। सुबह का नाश्ता छोड़ने से ज्यादा भूख लगती है, खाना ज्यादा और बार-बार खाया जाता है जिससे फैट अधिक मात्रा में शरीर के अंदर जाता है। इसलिये सुबह का नाश्ता जरूर करें।
4. सारे दिन कुछ ना कुछ खाने पीने की आदत को छोड़ें।
5. बादाम का सेवन करें। इसके पोलिअन्सैचुरेटिड और मोनोसैचुरेटिड फैट आपको ज्यादा खाने से, बचाने में मदद करते हैं। रात को 5-7 बादाम पानी में भिगो दें और अगले दिन सुबह इनका छिलका उतार कर खायें। इसके अतिरिक्त इसमें मौजूद ओमेगा 3 फैटी एसिड शरीर पर जमी चर्बी को में मदद करता है।
6. बादाम के साथ काजू, पिस्ता, अखरोट, किशमिश आदि भी ले सकते हैं मगर ध्यान रहे कि ये तले भुने ना हों।
7. कार्ब्स और फैट वाले खाद्य पदार्थों के बजाय प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करें जैसे पनीर, सोया, मूंग की दाल आदि।
8. शरीर को हाइड्रेट रखिये। इसके लिये आप सादा पानी के अतिरिक्त नारियल पानी, नींबू पानी, छाछ, ताजा फलों का जूस पी सकते हैं।
9. तले भुने, स्टार्च युक्त, और मीठे खाद्य पदार्थों को अवॉइड करें।
10. धूम्रपान, शराब या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन ना करें।
Conclusion –
दोस्तो, आज के आर्टिकल में हमने आपको बैली फैट कम करने के योगासन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। बैली फैट क्या है, बैली फैट के प्रकार और बैली फैट बढ़ने के कारण, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस आर्टिकल के माध्यम से बैली फैट कम करने के बहुत सारे योगासन बहुत विस्तार से बताये और कुछ टिप्स भी दिये। आशा है आपको ये आर्टिकल अवश्य पसन्द आयेगा।
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Disclaimer – यह आर्टिकल केवल जानकारी मात्र है। कोई भी योगासन योग गुरु/ट्रेनर की देखरेख में करें। किसी भी प्रकार की हानि के लिये ब्लॉगर/लेखक उत्तरदायी नहीं है। कृपया डॉक्टर/विशेषज्ञ से भी सलाह ले लें।
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