दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। दोस्तो, स्वागत है आपका हमारे ब्लॉग पर। आज हम आपके लिये एक ऐसा खाद्य पदार्थ लेकर आये हैं जिसके आटे का उपयोग व्रत के भोजन के रूप में भी किया जाता है, क्योंकि यह अनाज की श्रेणी में नहीं आता। हम कुट्टू के आटे की बात नहीं कर रहे। यह एक ऐसा फल है जो अपवित्र स्थान पर (तालाब में कीचड़) पैदा होने के बावजूद इसे पवित्र माना जाता है। इसे छिलका उतार कर ऐसे ही खाओ या उबाल कर या सुखाकर पीस कर इसके आटा का हलुआ बनाकर। इसकी प्राकृतिक मिठास से आप आनन्दित हो जायेंगे। यह पौष्टिक तत्वों से भरपूर होने के साथ-साथ औषधिय गुणों से भी समृद्ध होता है जो अनेक बीमारियों के उपचार में काम आता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं “सिंघाड़े” की। इसके खाने के अनेक फायदे होते हैं और ज्यादा खा लो तो नुकसान भी। दोस्तो, यही है हमारा आज का टॉपिक “सिंघाड़ा खाने के फायदे”। देसी हैल्थ क्लब इस लेख के माध्यम से आज आपको सिंघाड़े खाने के फायदे बतायेगा और नुकसान के बारे में भी जानकारी देगा। तो, सबसे पहले जानते हैं कि सिंघाड़ा क्या होता है और यह कहां पाया जाता है। इसके बाद फिर बाकी बिन्दुओं पर जानकारी देंगे।
सिंघाड़ा क्या होता है?– What is a Water Chestnut?
दोस्तो, सामान्यतः फल गोलाकार होते हैं या फिर लंबे परन्तु सिंघाड़ा एक विचित्र फल है जिसका आकार तिकोना होता है और इसके अंदर की गिरी भी त्रिकोणाकार लिये होती है। इसी गिरी को खाया जाता है। आयुर्वेद में सिंघाड़े की गिरी और पत्तों का उपयोग किया जाता है। सिंघाड़े को तालों और तालाबों में रोपकर लगाया जाता है। इन ताल, तालाबों में कीचड़ होना बहुत जरूरी है। इसका पौधा पानी के अंदर दूर तक लता के रूप में फैला हुआ होता है। इसीलिये सिंघाड़े को एक जलीय पौधे के रूप में जाना जाता है। इसके पत्ते चौड़े और कटावदार होते हैं। इसके फूल सफेद होते हैं और फल हरे रंग का त्रिकोणात्मक जिस पर दो काँटे कवच के रूप में इसकी रक्षा करते हैं। इसका छिलका खुरदरा और मोटा परन्तु मुलायम होता है जो आराम से उतर जाता है। इसके अंदर सफेद रंग की गिरी निकलती है जिसे खाते हैं।
सिंघाड़ा कहां होता है? – Where is the Water Chestnut?
1. सिंघाड़े की सर्वाधिक पैदावार भारत सहित चीन और जापान के अतिरिक्त एशिया महाद्वीप और यूरोप के देशों में होती है। अफ्रीका महाद्वीप के देशों में भी इसकी खेती होती है।
2. भारत में सिंघाडे़ की खेती बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के तालाबों में इसकी खेती की होती है।
3. भारत के मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी जबलपुर जिले में सिहोरा नगर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर इसकी खेती की जाती है। सिहोरा नगर क्षेत्र के अंतर्गत खितौला कस्बे में स्थित सिंघाड़ा मंडी एशिया की सबसे बड़ी सिंघाड़ा मंडियों में शामिल है। विशेष स्वाद के कारण सिहोरा के सिंघाड़े की विदेशों में भारी मांग है। खितौला कस्बे से सिंघाड़े का बड़े पैमाने पर कारोबार होता है।
सिंघाड़े के गुण – Properties of Water Chestnut
1. सिंघाड़े की तासीर ठंडी होती है।
2. इसका स्वाद में प्राकृतिक मिठास होती है।
3. इसे कच्चा खाने और अनेक प्रकार के व्यंजन बनाने के अतिरिक्त हर्बल औषधि के रूप में इसकी गिरी और पत्तियों का उपयोग किया जाता है।
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4. सिंघाड़े के आटे का उपयोग अबीर बनाने में भी किया जाता है।
5. सिंघाड़ा, एंटीऑक्सीडेंट, एंटी कैंसर, एनाल्जेसिक, एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीमाइक्रोबियल, एंटीअल्सर आदि गुणों से सम्पन्न होता है।
6. सिंघाड़े में विटामिन-ए, विटामिन-बी6, विटामिन-सी, सिट्रिक एसिड, फॉस्फोरस, प्रोटीन, निकोटिनिक एसिड, मैंगनीज, थायमिन, कैल्शियम, पोटेशियम, सोडियम, आयोडीन, मैग्नीशियम, कार्बोहाइड्रेट, एनर्जी, डाइटरी फाइबर, जिंक, आयरन जैसे पोषक तत्व होते हैं।
7. पोषक तत्व (मात्रा प्रति 100 ग्राम) –
कैलोरी : 64 kcal
पानी : 48.2 ग्राम
प्रोटीन : 3.4 ग्राम
टोटल फैट : 0.1 ग्राम
फाइबर : 5.7 ग्राम
शुगर : 2.86 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट : 15.71 ग्राम
सोडियम : 14 मिली ग्राम
कैल्शियम : 17.6 मिली ग्राम
पोटेशियम : 584 मिली ग्राम
जिंक : 0.4 मिली ग्राम
आयरन : 0.7 मिली ग्राम
विटामिन-सी : 6 प्रतिशत
विटामिन-बी6 : 15%
सिंघाडे़ का उपयोग – Use of Water Chestnut
दोस्तो, सिंघाडे़ का उपयोग आप निम्न प्रकार से कर सकते हैं –
1. सिंघाड़े का छिलका उतारकर ऐसे ही खा सकते हैं।
2. सिंघाड़े को छिलका समेत उबाल कर इसका छिलका उतार कर खा सकते हैं।
3. जूस निकाल कर पी सकते हैं।
4. इसके आटे की रोटी, मिठाई, हलुआ व अन्य व्यंजन बना सकते हैं।
5. इसके आटे के नमकीन व्यंजन बना सकते हैं।
सिंघाड़ा कितना खाना चाहिये? – How Much Water Chestnuts Should be Eaten?
1. इस बारे में कोई प्रमाणिक दस्तावेज नहीं है और ना ही कोई वैज्ञानिक आधार। हां, इतना अवश्य है कि सिंघाड़ा पचने में भारी होता है। अतः यह आपकी पाचन प्रणाली पर निर्भर करता है।
2. इसकी मात्रा इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप इसे किस रूप में ले रहे हैं।
3. वैसे सामान्यतः 25 से 50 ग्राम के बीच खा सकते हैं।
सिंघाड़ा खाने के फायदे – Benefits of Eating Water Chestnut
1. ऊर्जा प्रदान करे (Provide Energy)- सिंघाड़ा खाने का सबसे बड़ा तो फायदा यही है कि आपको ऊर्जा मिलती है। शारीरिक कमजोरी महसूस होना, थकावट महसूस होना इन सबके लिये सिंघाड़ा बेहद फायदेमंद है। इसके लिये प्रतिदिन सिंघाड़े के आटे का हलुआ बनाकर खायें। इसके खाने से आपके शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और यह कार्य, इसमें पाये जाने वाले पौष्टिक तत्व और आयोडीन करते हैं। आपको अपने अंदर तुरंत शक्ति का अनुभव होता है। अधिक जानकारी के लिये हमारे पिछले आर्टिकल “शारीरिक कमजोरी दूर करने के उपाय“ और “आयोडीन की कमी पूरी करने के उपाय“ पढ़ें।
2. पानी की कमी पूरी करे (Make up for the Lack of Water)- सिंघाड़ा जलीय फल है जो पैदा ही जल में होता है। इसमें पानी की भरपूर मात्रा होती है। सर्दियों में पानी कम पीया जाता है। ऐसे में यदि रोजाना दो, चार सिंघाड़े खा लिये जायें तो शरीर में पानी की कमी पूरी होती रहती है। यदि किसी को विशेषकर सर्दियों में दस्त या अन्य कारण से पानी की कमी हो रही है तो उसे सिंघाड़े का सेवन करना चाहिये। शरीर हाइड्रेट रहेगा और पेट में ठंडक भी रहेगी।
3. पेट की समस्या में फायदेमंद (Beneficial in Stomach Problem)- यद्यपि सिंघाड़ा पचने में भारी होता है परन्तु यदि इसको कम खाया जाये तो इसमें मौजूद फाइबर पाचन प्रक्रिया में मदद करता है। यह पेट की समस्याओं के उपचार के लिये बेहतरीन प्राकृतिक विकल्प है। ठंडी तासीर होने के कारण यह आंतरिक गर्मी को दूर करता है। कब्ज, उल्टी, दस्त जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है। इसके एंटी अल्सर गुण पेट में अल्सर से भी छुटकारा दिला सकते हैं।
4. गर्भवती महिलाओं के लिये फायदेमंद (Beneficial for Pregnant Women)- गर्भवती महिलाओं के लिये विशेष लाभकारी होता है। इससे गर्भपात की संभावना नहीं रहती। सात महीने के गर्भ से सिंघाड़े का सेवन विशेष लाभदायक होता है। सिंघाड़े के पोषक तत्व गर्भस्थ शिशु के विकास में सहायक होते हैं और महिला के स्वास्थ में भी फायदा पहुंचाते हैं। महिला को आयोडीन और आयरन की कमी नहीं होती साथ ही हाईपरटेंशन की समस्या से भी राहत मिलती है। गर्भवती महिलाओं को सिंघाड़ा, कमलनाल, मुनक्का, मुलेठी, कसेरू और चीनी पीसकर दूध में मिलाकर पीना चाहिये। गर्भवती महिलाओं को अपना ध्यान किस तरह रखना चाहिये, इस विषय पर अधिक जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “गर्भावस्था में सावधानियां : कुछ टिप्स“ अवश्य पढ़ें।
5. पीलिया में लाभकारी (Beneficial in Jaundice)- सिंघाड़े के गुण शरीर को डिटोक्सिफाइड करते हैं अर्थात् शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल कर रक्त को शुद्ध करने में मदद करते हैं। अतः इसके फायदे पीलिया में भी देखे जा सकते हैं। पीलिया के मरीजों को सिंघाड़े को ऐसे ही कच्चा या जूस निकाल कर सेवन करना चाहिये। पीलिया पर अधिक जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “पीलिया से छुटकारा पाने के देसी उपाय“ पढ़ें।
6. अनिद्रा में लाभकारी (Beneficial in Insomnia)- जब आप आंखों में नींद होते हुऐ भी ज्यादा दिनों, हफ्तों या महीनों तक सो नहीं पाते तो यह स्थिति इंसोमनिया यानी अनिद्रा कहलाती है। सिंघाड़े में मौजूद पॉलीफेनोलिक, फ्लैवोनॉइड एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल तथा एंटीकैंसर गुण अनिद्रा से राहत दिला सकते हैं। रात को सोने से पहले दो, तीन सिंघाड़े गुनगुने दूध के साथ सेवन करें। अनिद्रा पर अधिक जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “इंसोमनिया से राहत पाने के उपाय“ पढ़ें।
7. गले में खराश, दर्द और थायराइड विकार के लिये(For sore throat, pain and Thyroid Disorders) – गले में संक्रमण के कारण खराश होती है और दर्द बनता है। इनसे छुटकारा पाने के लिये सिंघाड़े के आटे को दूध में मिलाकर खायें। इससे तुरंत आराम लग जायेगा। इसी प्रकार थायरॉयड ग्रंथि में विकार के कारण गले में सूजन आ जाती है और गॉइटर यानी घेंघा रोग तथा अन्य रोग होने की संभावना रहती है। सिंघाड़े में मौजूद आयोडीन इन संभावनाओं को खत्म करता है। गले में टॉन्सिल की समस्या होने पर सिंघाड़े को पानी में उबालकर, ठंडा होने पर (थोड़ा) गुनगुना सा, इस पानी से प्रतिदिन कुल्ला करें। इससे सूजन में भी आराम लगेगा। इसी प्रकार सिंघाड़ा थायरॉयड ग्रंथि को सुचारू रूप से कार्य करने में मदद करता है। इन विषयों पर विस्तार से जानकारी के लिये हमारे पिछले आर्टिकल “गले में दर्द और खराश के घरेलू उपाय“ और “थायरॉयड के देसी उपाय” पढ़ें।
8. फटी एड़ियों के लिए (Cracked Heels)- एड़ियां अनियमित खानपान, कैल्शियम, मैंगनीज, आयरन, विटामिन-ई आदि की कमी से फटती हैं। सिंघाड़ा एक ऐसा फल है जो अपने ही पोषक तत्वों से मैंगनीज ग्रहण करता है, बाकी सब पोषक तत्व इसमें मौजूद होते हैं। इसके नियमित सेवन से शरीर में मैंगनीज की कमी नहीं होती और फटी एड़ियां ठीक हो जाती हैं। एड़ियों की सूजन और दर्द के लिये कच्चा सिंघाड़ा पीसकर पेस्ट लगायें, आराम लग जायेगा। फटी एड़ियों पर विस्तृत जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “फटी एड़ियों से छुटकारा पाने के देसी उपाय“ पढ़ें।
9. खुजली में लाभदायक (Beneficial in Itching)- त्वचा विकार तथा अन्य कारणों से शरीर पर खुजली हो जाती है जो कई बार भयंकर रूप ले लेती है। अधिकतर खुजली की समस्या गर्मियों में होती है। दाद, एक्जिमा, जैसे त्वचा रोगों का लक्षण है खुजली, ना कि अपने आप में त्वचा रोग। खुजली से राहत पाने लिये सिंघाड़े का नियमित रूप से सेवन कीजिये और सूखे सिंघाड़े को घिसकर इसमें नींबू का रस मिला कर प्रभावित स्थान पर लगायें। पहले तो थोड़ी देर चीस लगेगी लेकिन बाद में ठंडक महसूस होगी। खुजली पर अधिक जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “खुजली का देसी इलाज“ पढ़ें।
10. यौन विकार में लाभकारी (Beneficial in Sexual Disorder)- सिंघाड़े का सेवन यौन विकारों को दूर करने के लिये भी किया जाता है। इसका उपयोग निम्न प्रकार कर सकते हैं –
(i) नपुंसकता दूर करे – नपुंसकता की समस्या से छुटकारा पाने के लिये सिंघाड़े के आटे का देसी घी और चीनी के साथ हलुआ बनाकर खायें। कुछ ही सप्ताह में इस नपुंसकता की समस्या से राहत मिल जायेगी। नपुंसकता पर विस्तृत जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “नपुंसकता को दूर करने के देसी उपाय“ पढ़ें।
(ii) शुक्राणुओं में वृद्धि और गुणवत्ता में सुधार – सिंघाड़े के सेवन से शुक्राणुओं की संख्या में वृद्धि होती है और इनकी गुणवत्ता में भी सुधार होता है। इसके लिये आप सिंघाड़े के आटे का हलुआ बना कर खा सकते हैं या 5-10 ग्राम सिंघाड़े का आटा दूध के साथ खा सकते हैं। अधिक जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “शुक्राणु बढ़ाने के देसी उपाय“ पढ़ें।
(iii) वीर्य में वृद्धि – सिंघाड़े का आटा शुक्राणुओं में वृद्धि के साथ-साथ वीर्य में भी वृद्धि करता है और इसे गाढ़ा और पुष्ट बनाता है। 2-3 चम्मच सिंघाड़े का आटा खाकर ऊपर से गुनगुना दूध पी लें। बेहतर होगा यदि सिंघाड़े के आटे में बबूल की गोंद, देशी घी और मिश्री, इस मिश्रण का लगभग 30 ग्राम गुनगुने दूध के साथ सेवन करें। इससे यौन दुर्बलता भी खत्म हो जायेगी।
(iv) सेक्सुअल पावर बढ़ाये – सिंघाड़े का आटा और दूध यौन विकारों को दूर करने में किसी वरदान की तरह काम करता है। यह सेक्स पावर को भी बढ़ाता है। सिंघाड़े के बीज, खजूर, शतावरी की जड़, उड़द की दाल, और किशमिश को बराबर मात्रा में लेकर, इसका आठ गुना पानी और दूध में अच्छी तरह उबालें जब तक कि पानी खत्म ना हो जाये बस दूध बचा रहे। इसमें मिश्री, वंशलोचन, देसी घी और शहद मिलाकर पीयें। इस विषय पर विस्तृत जानकारी के लिये हमारा पिछला आर्टिकल “सेक्स पावर बढ़ाने के उपाय“ पढ़ें।
11. मूत्र विकार में लाभकारी (Beneficial in Urinary Disorder)- कई बार मूत्र बन्द हो जाता है जिसे सामान्य भाषा में “बन्ध लगना” कहते हैं। इस स्थिति में मूत्र बूंद-बूंद करके आता है, खुल कर नहीं आता। इस समस्या से राहत पाने के लिये 20-25 ग्राम सिंघाड़े का आटा 20 ग्राम ताल मिश्री और 15 ग्राम घी को मिक्स करके ठंडे पानी के साथ प्रतिदिन सुबह और शाम को खायें। सिंघाड़े में पाये जाने वाले एंजाइम संक्रमण को रोकने में मदद करते हैं, मूत्राशय को साफ करते हैं और मूत्र संक्रमण से होने वाली बीमारियों को ठीक करने में मदद करते हैं।
12. ब्रोंकाइटिस और अस्थमा में लाभकारी (Beneficial in Bronchitis and Asthma)- श्वासनली में होने वाली सूजन को ब्रोंकाइटिस कहा जाता है, इसमें बलगम बाहर ना निकल कर अंदर गले और फेफड़ों में जमा होता रहता है। सिंघाड़े इस जमे हुए बलगम को पतला कर बाहर निकालने में मदद करता है। अस्थमा के मरीजों को एक चम्मच सिंघाड़े के आटे को ठंडे पानी में मिलाकर खाने की सलाह दी जाती है जिससे उनको अस्थमा में राहत मिल सके।
13. हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाये (Strengthen Bones and Teeth)- हड्डियों और दांतों की मजबूती के लिये कैल्शियम, पोटेशियम, विटामिन डी और फास्फोरस जरूरी होते हैं। सिंघाड़े में ये सभी खनिज मिल जाते हैं जो हड्डियों को मजबूती देते हैं। सिंघाड़े में मौजूद फास्फोरस और कैल्शियम जबड़े की हड्डी और दांतों को मजबूती प्रदान करते हैं। ये खनिज दांतों के सड़न को भी रोकते हैं। इसलिये यदि दांतों की कोई समस्या है तो सिंघाड़े का सेवन कीजिये।
14. ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करे (Control Blood Pressure)- सिंघाड़े में पोटेशियम की मात्रा अधिक और सोडियम की मात्रा कम होती है जोकि अच्छी बात है। इस वजह से पोटेशियम रक्त वाहिकाओं की दीवारों को आराम देता है और हाई ब्लड प्रैशर को नियंत्रित करता है। पोटैशियम वाले खाद्य पदार्थों में कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होने के कारण वजन भी नियंत्रण में रहता है जिससे हाई ब्लड प्रैशर की समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है।
सिंघाड़ा खाने के नुकसान – Side Effects of Eating Water Chestnut
जैसा कि हमने ऊपर बताया है सिंघाड़ा पचने में भारी होता है, इसलिये इसे ज्यादा नहीं खाना चाहिये अन्यथा है सकते हैं निम्नलिखित नुकसान –
1. पेट फूलना, पेट में दर्द, गैस, अपच आदि।
2. पाचन-तंत्र प्रभावित हो सकता है।
3. आँतों में सूजन भी हो सकती है।
4. कफ़ जम सकता है।
5. सर्दी खांसी की समस्या बन सकती है।
6. सिंघाड़ा खाने के बाद।
7. सिंघाड़ा खाने के बाद तुरंत पानी ना पीयें। वेसे कोई भी फल खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिये इससे पेट की समस्या होने की संभावना रहती है।
Conclusion –
दोस्तो, आज के लेख में हमने आपको सिंघाड़ा खाने के फायदे के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सिंघाड़ा क्या होता है, सिंघाड़ा कहां होता है, सिंघाड़े के गुण, सिंघाड़े का उपयोग और सिंघाड़ा कितना खाना चाहिये, इन सब के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया। देसी हैल्थ क्लब ने इस लेख के माध्यम से सिंघाड़े खाने के फायदे बताये और सिंघाड़े ज्यादा खाने के नुकसान भी बताये। आशा है आपको ये लेख अवश्य पसन्द आयेगा।
दोस्तो, इस लेख से संबंधित यदि आपके मन में कोई शंका है, कोई प्रश्न है तो लेख के अंत में, Comment box में, comment करके अवश्य बताइये ताकि हम आपकी शंका का समाधान कर सकें और आपके प्रश्न का उत्तर दे सकें। और यह भी बताइये कि यह लेख आपको कैसा लगा। आप इस पोस्ट को अपने दोस्तों और सगे – सम्बन्धियों के साथ भी शेयर कीजिये ताकि सभी इसका लाभ उठा सकें। दोस्तो, आप अपनी टिप्पणियां (Comments), सुझाव, राय कृपया अवश्य भेजिये ताकि हमारा मनोबल बढ़ सके। और हम आपके लिए ऐसे ही Health-Related Topic लाते रहें। धन्यवाद।
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